अपनी कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए कहानी में से क्या क्रिया बिंदु निकलते हैं?
This blog is for online NISHTHA Training for Jharkhand State. You are welcome to share your reflections/comments/suggestions on this page.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
कोर्स 12 : गतिविधि 5 : खिलौना क्षेत्र का सृजन – अपने विचार साझा करें
आप अपनी कक्षा/ स्कूल में खिलौना क्षेत्र कैसे सृजित करेंगे – इस बारे में सोचें। डी-आई-वाई खिलौनों का सृजन करने में बच्चों की सहायता के लिए ...
-
COVID-19 (कोरोना वायरस) के दौरान, आप अपने विद्यार्थियों के साथ किस प्रकार संपर्क में रहे? आपने अपने शिक्षण में क्या मुख्य बदलाव किये? अपने अ...
-
आई.सी.टी. से क्या तात्पर्य है ?
-
How does ICT support your Teaching- Learning- Assessment? Take a moment to reflect and share your understanding in the comment box.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteविविधता को स्वीकार करते हुए विद्यार्थियों को उनके मौलिक गुणों को बिना नष्ट किये शिक्षण।
Deleteविद्यालय में विभिन्न परिवेश से छात्र -छात्रा पढने आते हैं। एक माला की तरह पिरोकर जब विद्यालय की समस्त गतिविधि बच्चों को बताना बिना किसी भेदभाव के संम्पन करायी जाती है तत्पश्चात समावेशी शिक्षा की परिकल्पना चरितार्थ होती है।
Deleteविद्यालय में विभिन्न परिवेश से छात्र -छात्रा पढने आते हैं। एक माला की तरह पिरोकर जब विद्यालय की समस्त गतिविधि बच्चों को बताना बिना किसी भेदभाव के संम्पन करायी जाती है तत्पश्चात समावेशी शिक्षा की परिकल्पना चरितार्थ होती है।
DeleteBache ki sakratmak pahlu ko dekhte hue siksha dekar bacho ko age bdhana hai
Deleteकिसी के ज्ञान का आकलन तुलनात्मक नहीं होना चाहिए। एक शिक्षक का कर्त्तव्य है कि वह ज्ञान का आकलन तुलनात्मक रूप से ना करे । शिक्षक का प्रयास होना चाहिए की वह उसके मूल प्रतिभा का विकाश करे और नए प्रतिभा का उसके अनुकूल सामंजस्य करते हुए सिखाय , जिससे विद्यार्थी को आनन्ददायी शिक्षा मील सके ।
Deleteशिक्षकों को प्रयास करना चाहिए कि सभी छात्रों को मूल प्रतिभा का विकास हो और नयी प्रतिभा बिना किसी हिचक या भेदभाव के साथ सम्पन कराई जाए जिससे समावेशी शिक्षा मिले, बच्चे लाभकारी हो।
Deleteसभी बच्चों मेंं एक जैसा कौशल नहीं होता।उनकी रुचि और कार्य क्षमता भी एक नहीं होता।किंतु समावेशी शिक्षा द्वारा उनके कौशल एवं रुचि को बढा सकते है।
Deleteयह मडयुल राष्ट्रिय शिक्षा नीती उसकी रूपरेखा .......
ReplyDeleteविद्यार्थियों की विविधता के आधार पर शिक्षण में बदलाव करते हुए उन्हें दक्ष बनाना।
ReplyDeleteUnknown fact for me its good to visit the site.
ReplyDeleteबच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों ,दक्षताओं ,सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना .उन्हें' जियो और जीने दो 'के भाव से लैस कर इस हेतु तत्पर बनाना .
ReplyDeleteThe lesson we learn from the story that we should not to quarrel each other, we should help each other. If any of us confined with any problem, we should be gathered to solve our companion problem.
ReplyDeleteबच्चों में जो प्रतिभा है उसी से आगे बढ़ना है।उसके सकारात्मक पहलू को देखना है।
ReplyDeleteबच्चों में जो प्रतिभा है उसी से आगे बढ़ना है।उसके सकारात्मक पहलू को देखना है।
ReplyDeleteबच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनके अनुरूप शिक्षण कार्य कराकर उन्हे दक्ष बनाना एवं समस्याओं का समाधान करना
ReplyDeleteविद्यार्थियों की विविधता के आधार पर शिक्षण में बदलाव करते हुए उन्हें दक्ष बनाना।
ReplyDeleteसभी बच्चे के रूची अलग -अलग होते है |बच्चे की दक्षता शिक्षण अधिगम को प्रभावित करती हैं |बच्चे की रूची को पाठ योजना में समाहित करना चाहिए
ReplyDeleteसभी विद्यार्थियों को एक तराजू पर नहीं तौला जाना चाहिए बल्कि उन्हें उनकी रूचि के आधार पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए
ReplyDeleteयह माॅड्यूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति,उसकी रूपरेखा..........।
ReplyDeleteबच्चों की विविधता व रुचि को ध्यान में रखते हुए शिक्षण की योजना बनानी चाहिए ताकि प्रत्येक बच्चा साथ साथ सीख सके।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी रूचि के अनुसार शिक्षा देनी चाहिए। सभी बच्चों को एक जैसी शिक्षा देने से सभी बच्चे आत्मसात नहीं कर पाएंगे।
ReplyDeleteसभी बच्चे अलग हैं। सभी का रुचि भी अलग है। समावेशी siksha par जोर देना चाहिए।
ReplyDeleteसमावेशी शिक्षा आवश्यक है
ReplyDeleteसमावेशी शिक्षा के लिए उचित वातावरण बनाने, सफल करने में शिक्षकों की संेदनशीलता की बहुत भूमिका है।
ReplyDeleteबच्चों की क्षमता उसके सामाजिक परिवेश व पर्यावरण आदि पर भिन्न- भिन्न होती है। जो उसके सीखने की गति पर अधिगम की संप्राप्ति निर्भर है। यदि हम बच्चे के योग्यता के अनुशार व्यवहार करते है तो वह अभिप्रेरित होगा,ठीक इसके विपरीत अपेक्षाकृत अधिक व्यवहार करते है तो अक्षमता का भाव उत्पन्न हो सकता है,जो उसके अधिगमता को प्रभावित करता है।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबच्चों का सामाजिक परिवेश और रूचि अलग अलग होती है अतः इनपर अपेक्षा कृत ज्यादा दबाब नही डालना चाहिए।
ReplyDeleteInclusive education bachhe ke physical mental aur uske janmjaat gunn ke adhaar par honi chahiye aur evaluation bhi flexible honi chahiye.
ReplyDeleteबच्चों में जो प्रतिभा है उसी से आगे बढ़ना है।उसके सकारात्मक पहलू को देखना है।
ReplyDeleteकहानी के अनुसार बच्चों में जो गुण मौजूद है उसी को निखारते हुए आगे बड़े।उनकी रुचि के अनुसार ही शिक्षा प्रदान करे ना की उनके विपरीत।ऐसा करने से उनके सभी प्रकार के विकास पर सकारात्मक प्रभाव दिखेगा।
ReplyDeleteबच्चों में जो प्रतिभा है उसी से आगे बढ़ना है।उसके सकारात्मक पहलू को देखना है।
ReplyDeleteमैं ने कोरोनाकाल में बच्चों से हमेशा मोबाइल फोन के माध्यम से संपर्क बनाए रखा और एक वॉट्सएप ग्रुप की स्थापना की।
ReplyDeleteइस कहानी के माध्यम से ये बात उभर कर सामने आया कि बच्चों मे कोई ना कोई प्रतिभा जन्मजात होती है। हमें उनके प्रतिभा को पहचान कर उसे प्रोत्साहित करना चाहिए।
ReplyDelete@jitu vijay Soren
Govt. M. S. Nonihathwari
Jama, Dumka
Iss kahani se yah baat spast ho rahi hai kii bachcho ke andar kuchh vishes goon hote hai aur oon goono ko sabke saath lekar chalna yaa feer aage badhna chahiye nahi to wah goon v khatam ho jayega jaise batakh ke saath huwa yah samaweshi shikchha kar sakta hai kii sabko saath lekar chalna chahiye
ReplyDeleteउपरोक्त कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एक ही कक्षा में विविध रुचि वाले छात्र-छात्राएं मौजूद और उपस्थित रहते हैं ऐसी परिस्थिति मेंउनके रुचि और अब उसका ध्यान में रखते हुए हमें शिक्षण सिद्धांत या विधि में कुछ परिवर्तन करते हुए उनके सर्वांगीण विकास के लिए हमें तत्पर रहना होगा।।
ReplyDeleteThe maheme came from this story is inclusive education is necessary.as this allows all type children to learn frequently .
ReplyDeleteएनिमल स्कूल में जिस प्रकार सभी जानवरों के जन्मजात गुण और क्षमता अलग-अलग होने के बावजूद उन्हें एक ही मापदंड पर परखा जा रहा था। उसी प्रकार ज्यादा से ज्यादा नम्बर लाने की होड़ में बच्चों की जन्मजात प्रतिभा की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
ReplyDeleteBaccho ko samajik and unka ruchi ka anusar kary karna uchit hoga.
ReplyDeleteEvery child can learn. we have to focus on the special ability of the child.we have to provide opportunity to the child so that he can learn at his speed and intrest.soon we will find that he is intrested in learning all subjects.may be in some subjects his learning speed is slow but ultimately he will learn.
ReplyDeleteBijay Kumar choudhary
ReplyDeleteUps SARAIYATAND BRC DEORI
Dist Giridih
Bachho ki pratibha k aadhar par aage badhana hai
DeleteUnke sakaratamak pahlu ko dekhna hai
Every child can learn. we have to focus on the special ability of the child.we have to provide opportunity to the child so that he can learn at his speed and intrest.soon we will find that he is intrested in learning all subjects.may be in some subjects his learning speed is slow but ultimately he will learn.
ReplyDeleteStudents की विविधता के आधार पर शिछण में बदलाव करते हुए उन्हें दछ बनाना |
ReplyDeleteBachho ki vividhta ke aadhar par apne sikshan main badlaw karna,unki ruchi ko dhyan main rakhkar sikshan ki yojna banana,bachho main jo bhi pratibha hai usi pratibha ko aadhar banakar bachho ko aage badhana,hum sikshakon ko samvedansheel hona,bachho ka aamajik pariveah aur unki ruchi ka dhyan rakhte hue unko develop karna
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे में कुछ विशेष प्रतिभा होती है जिसे निखारना शिक्षक की जिम्मेदारी है। बच्चों पर कुछ थोपा नहीं जाना चाहिए बल्कि उनकी रूचि के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाय।
ReplyDeleteकक्षा में बच्चों के विविधता को स्वीकार करना है। हमारे समाज में विभिन्न प्रकार के परिवेश से बच्चे विद्यालय आते हैं, उनका मानसिक स्तर भी अलग-अलग होता है,मेधा का स्तर भी अलग-अलग होते हैं। हमें उन विविधताओं को स्वीकार कर एवं विविधताओं को ध्यान में रखते हुए अपने शिक्षण प्रणाली में सुधार लाना ह, ताकि सभी छात्र-छात्राओं का सर्वांगीण विकास सम्भव हो सके। यही समावेशी शिक्षा का उद्देश्य है।
ReplyDeleteClass me बच्चों की विभिननताएं स्वीकार करते हुए चाहे वो बौद्धिक, शारीरिक, सांस्कृतिक,किसी भी रुप में हो विषय वस्तु में उनकी रूचि और अनिच्छा को ध्यान में रख कर शिक्षण कार्य का सुचारु रुप से निष्ठापूर्वक संपादन करना चाहिए।
ReplyDeleteTo encourage children according to their capabilities & area of interest.
ReplyDeleteHar bachhe apne ap me khas hota hai or unme chhupi Hui pratibha hoti hai.bachhe mati k kachche bartan jese hote hai unhe jis dhanche me dhalenge bachhe usme dhal jate hai bas unhe uchit margdarsan ki jrurat hoti hai.
ReplyDeleteजानवरों के विद्यालय संबंधित रोचक वीडियो एवं सारांश से यह जानकारी परिलक्षित होती है कि सभी बच्चों की सीखने की शैली अलग-अलग होती है। बच्चों की अपनी रुझान एवं चाह के अनुसार उसे सीखने की स्वतंत्रता हम सभी शिक्षकों से प्राप्त रहनी चाहिए।। साथ ही साथ विभिन्न अलग-अलग स्थान और क्षमताओं के अनुसार उनके क्षमता का आकलन करना चाहिए। हम शिक्षकों को विविध एवं अंतर्मुखी विविधताओं वाले बच्चों को एक ही साथ विद्याधन करा तो सकते हैं परंतु उनकी रूचि का हमें खास ध्यान रखना अनिवार्य होगी।।
ReplyDeleteबच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों ,दक्षताओं ,सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना .
ReplyDeleteIn class every child is unique. All have different capacities of learing and understanding a subject.
ReplyDeleteTherefore we need to find ways to make them learn.
Bidyarthiyo ki vividhta ko dekhte hua prarup banana.
ReplyDeleteबच्चों की विलक्षण विशेषताओं, गुणों और कमजोरियों को पहचान कर, उन बच्चों को उनकी योग्यता और रुचि के अनुसार शिक्षण अधिगम कराया जाय। जिससे बच्चे छीजित ना हो। विविध योग्यता वाले बच्चों का शिक्षण अधिगम की विभिन्न जरूरतों को समझ कर अधिगम शैलियों पर विचार कर और उसी के अनुसार प्रतिक्रिया देंगे। शिक्षक को सहभागिता पूर्ण माहौल सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteसभी बच्चे कुछ न कुछ विशिष्ट गुणों से युक्त होते हैं। विविधता से युक्त इन्हीं विशिष्टताओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षण योजनाओं का निर्माण करना एवं प्रेरक और मित्रवत वातावरण में अधिगम सुनिश्चित कराना।
ReplyDeleteसभी बच्चे कुछ विशेष गुणों से भरपूर होता है उसे पहचान कर उनके गुणों को विकसित करना है।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteइस कहानी से हमें ये पता चलता है कि बच्चे में जो गुण है हमें उसी गुण को निखारना चाहिए ताकि बच्चे और बेहतर कर सके,बच्चे में जो गुण है यदि हम उस गुण के विपरित बच्चो को शिक्षा प्रदान करते है तो बच्चो में नकरात्मक प्रभाव पड़ेगा। जैसे बतख के साथ हुआ
ReplyDeleteविधालय में सभी बच्चे एक जैसे हैं, इस आशय से बाहर आना होगा । बल्कि सभी बच्चों में अलग-अलग गुण होते हैं , इस बात को स्वीकारना होगा । और बच्चों के इस विशेष गुण को पहचान कर उत्साह पूर्ण माहौल में आवश्यकतानुसार बुलंद होंसले के साथ आगे बढ़ना और बढ़ाना चाहिए।
ReplyDeleteसभी बच्चों में सीखने की क्षमता होती है इसलिए शिक्षकों को सिर्फ बच्चों के लिए अनुकूल वातावरण बनाने की जरूरत है।
ReplyDeleteसमावेशी शिक्षा के साथ साथ सर्वांगीण विकास जोर दिया गया है
ReplyDeleteसभी बच्चों में अपनी एक अलग क्षमता व विशेषता होती है। सभी बच्चों को एक ही विधि या पाठ्यक्रम से नहीं पढ़ाया जा सकता। शिक्षण ऐसा हो कि बच्चों में जो अच्छा है वो निरंतर बढ़ता रहे।
ReplyDeleteStudents ko kahaniyon moral stories k madhyam se unka vikas kiya ja skta h
ReplyDeleteविद्यालय में छात्रों के दक्षता, संस्कृति ,सामाजिक परिवेश, व्यवहार भिन्नता को ध्यान रखते हुए उनकी अनुकूलता के आधार पर समस्या समाधान कर उनके प्रतिभा के अनुरूप शिक्षणकार्य कर उन्हें आगे बढाना होगा
ReplyDeleteछात्रों को उनके गुण के आधार पर शिक्षा देना ताके छात्रों का उन्नत विकास हो सके
ReplyDeleteसमावेशी शिक्षा के साथ-साथ सर्वांगीण विकास पर भी ध्यान दिया गया है यह कमेंट
ReplyDeleteSabhi children me sikhne ke gun hote hai en guno ko pahchan kar nirantar aage barhne ke liye protsahit karne ki jarurat hai tatha vidyalay me bhi anukul watawaran ka nirman karna chahiye
ReplyDeleteबच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों ,दक्षताओं ,सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना .उन्हें' जियो और जीने दो 'के भाव से लैस कर इस हेतु तत्पर बनाना
ReplyDeleteसभी विद्यार्थियों को एक जैसा नहीं समझा जाना चाहिए बल्कि उन्हें उनकी रूचि के आधार पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
ReplyDeleteजब बच्चे नामांकित होते हैं तो सबसे पहले हम उनका पोर्टफोलियो बनाएंगे और देखेंगे कि बच्चे किस चीज में निपुण है हम कोशिश करेंगे कि उसकी उसके उसी गुण को उभारा जाए।बच्चों की मूल विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए उसी के आधार पर गतिविधि बनाकर उन्हें नई जानकारी देंगे ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके ।सब बच्चा अपने आप में विशिष्ट होता है और सभी की अपनी अपनी काबिलियत होती है और हमें उसी रूप में उन्हें स्वीकार करना है।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteविद्यालय के सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते हैं बल्कि वे अलग -अलग प्रतिभा के धनी होते हैं, इस बात को स्वीकार कर हमें उसके प्रतिभा को और निखारना चाहिए ताकि विद्यालय में बच्चे और बेहतर कर सके, यदि हम बच्चों के उस उस गुण के विपरीत शिक्षा प्रदान करते हैं तो बच्चों में नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और वह हर क्षेत्र में पीछे हो जाएगा जैसे उस बतख के साथ हुआ
ReplyDeleteसभी बच्चो की प्रतिभा अलग अलग होती है उन्हें एक ही तराजू में नहीं तौलना चाहिए हमें उनकी प्रतिभा को पहचाना चाहिए और हमें कुछ activity कराना चाहिए हमें इस बात का proper ध्यान देना चाहिए कि हमें ऐसी technology ka उपयोग करना चाहिए जिससे बच्चे खेल खेल में आसानी से सीख जाए और हमारा जो लक्ष्य है वो भी आसानी से पूरा हो जाए जिस बच्चे को जिस फील्ड में रुचि है उससे उसी फील्ड में motivate करना चाहिए
ReplyDeleteVidyalay mein sabhi bacchon ki Ruchi ek Jaisi nahin Hoti hai hamen unki Ruchi ko Dhyan mein rakhte hue Shiksha pradan karna hai
ReplyDeleteIn the school premises all teachers and learners are equal there is no discrimination among them.if we face any trouble we should gather and share the matter and solve it in the spot.we must live together with peace and harmony in friendly environment and nature.
ReplyDeleteबिमल कुमार दास
ReplyDeleteमैंने विधालय के बच्चों का एक व्हाटस एप समूह बनाया एवं उसमें डिजी साथ के कन्टेंट को भेजा। बच्चों से दैनिक शैक्षिक संवाद किया। बच्चों एवं अविभावकों को कोरोना काल में सामाजिक दूरी का पालन,मास्क का उपयोग एवं साफ सफाई की जानकारी दी। गाँव जाकर मोहल्ला क्लास चलाया।
मैं कोरोना महामारी के समय व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से डीजी साथ के कंटेंट को भेजता हूँ, फोन के द्वारा बच्चों के पढाई संबंधित दिक्कतों को जानकर समाधान बताता हूँ.
ReplyDeleteबच्चो को उनके रूची के अनुसार शिक्षणकार्य करके दक्ष बनना|
ReplyDeleteविधालय में सभी बच्चे एक जैसे हैं, इस आशय से बाहर आना होगा । सभी बच्चों में अपनी एक अलग क्षमता व विशेषता होती है। शिक्षण ऐसा हो कि बच्चों में जो अच्छा है वो निरंतर बढ़ता रहे।
ReplyDeleteकक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए कहानी में से बच्चों की रूचि, दक्षता, प्रतिभा, बच्चों में विविधता, सामाजिक परिवेश आदि क्रियाबिंदु निकलते हैं।
ReplyDeleteClass me bibin str ke Bache hote hai kyonki o bibin trh ke mahool smaj ar privesh se aate ar hmen sbon ka str ka saman rup se awlokan krte hue hmko inke Str ko swikar krte hue apne sikshn pddti ko sudar krna hoga Taki ek hi class me sbi Str ke bachon ka srwangin vikas ho ske ar yhi smavesi siksha ka lkshya v hai
ReplyDeleteविद्यालय के सभी बच्चे एक जैसा नहीं होते हैं।उनकी प्रतिभा अलग-अलग होती है, उन्हें एक ही तराजू में नहीं तौलना चाहिए।हमें उनकी प्रतिभा को पहचानना चाहिए। जिससे बच्चे खेल-खेल में आसानी से सीख जाए, और हमारे जो लक्ष्य है वो भी आसानी से पूरा हो जाय। बच्चे को जिस फील्ड में रुचि है,उसी फील्ड में मोटिवेट करना चाहिए।
ReplyDeleteSabhi students ki Kisi na Kisi subject m interested hote h student ko unki ruchi k anusaar aage badhne k awsar dena aur usko Pratibha ko nikhana hi sabse jaruri h
ReplyDeleteहरेक बच्चे में कुछ अलग प्रतिभा होती हैं। उनकी प्रतिभा को बढ़ावा देने के साथ सहभागिता के सहारे जीवन की अन्य कौशलों का विकास किया जाना चाहिए। शिक्षक प्रेरक की भूमिका में रहें,बाधक न बने।
ReplyDeleteहमे शिक्षक के रूप में कोमलता से बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार ही पठन पाठन का कार्य करनी चाहिये, ताकि बच्चे बिना किसी दबाव के अपनी इच्छा से जो भी पढाया जाए ज्यादा सीख सके।उनकीं प्रतिभा को निखारने के कार्य शिक्षक को ही करना होता है।
ReplyDeleteहमे शिक्षक के रूप में कोमलता से बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार ही पठन पाठन का कार्य करनी चाहिये, ताकि बच्चे बिना किसी दबाव के अपनी इच्छा से जो भी पढाया जाए ज्यादा सीख सके।उनकीं प्रतिभा को निखारने के कार्य शिक्षक को ही करना होता है।
ReplyDeleteबच्चों की रूची के विरुद्ध हांंकना सही नही कहा जा सकता।उनके दिलचस्पी के अनुसार ही अवसर प्रदान करना परिणाम दायी साबित होगा।ऐसा हमे लगता है।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की प्रतिभा का सम्मान तथा प्रोत्साहन और आगे बढ़ने की प्रेरणा व अवसर....... विद्यालय परिवार का दायित्व व कर्म।
ReplyDeleteव्यैक्तिक विभिन्नता को स्वीकारते हुए एक ऐसा वातावरण बनाना होगा जहाँ सबको अपनी विशेषताओं को बढाने का पूरा अवसर मिले साथ ही नए कौशलों में अभिरुचि सहज ही उत्पन्न होता रहे|
ReplyDeleteहरेक बच्चो में कुछ अलग प्रतिभा होती हैं। उनकी प्रतिभा को बढ़ावा देने के साथ सहभागिता के सहारे जीवन की अन्य कोशलों का विकास किया जाना चाहिए। शिक्षक प्रेरक की भुमिका में रहें। बाधक न बने।
ReplyDeleteबच्चो को उनके रूची अनुभव और क्षमता के अनुसार शिक्षणकार्य करके दक्ष बनना|
ReplyDeleteविभिन्नता को एकसाथ करते हुए समग्र विकास करने का प्रयास करना।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार ही उन पर बोझ डालना चाहिए। उनकी रुचि अनुसार ही उनका मार्गदर्शन कर आगे बढने देना चाहिए।
ReplyDeleteBacche me phle se moujood dakshta ko swikar krte hue plus point k roop me aage lejana hoga jisse wo apne marji k mutakib aur khusi khusi ananddai mahool me sikhega
ReplyDeleteSamaveshi Shiksha main vibhinn parivarik Sanskriti AVm kshamta ke bacche aate Hain. bacchon ki dakshta AVm kshamta ke anurup shikshan karya kara kar unhen Daksh banana Avm unki apni Ruchi ke anurup aage badhane hetu prerit karna chahie.
ReplyDeleteहरेक बच्चों में कुछ अलग प्रतिभा होती हैं। उनकी प्रतिभा को बढ़ावा देने के साथ सहभागिता के सहारे जीवन की अन्य कोशलो का विकास किया जाना चाहिए। शिक्षक प्रेरक की भूमिका में रहें। बाधक न बने।
ReplyDeleteNo comments
ReplyDeleteहर बच्चा किसी न किसी क्षेत्र में विशेष होता है। शिक्षकों को उनकी उन्हीं क्षमताओं को पहचानना और उसी अनुसार प्रोत्साहन व अवसर देना चाहिए। इसके विपरीत कार्य करने से उनकी दक्षताएं समाप्त हो जाएंगी और नयी दक्षताओं का भी विकास नहीं हो पाएगा।इस तरह से बच्चे की सीखने की ललक भी खत्म हो जाएगी।
ReplyDeleteबच्चे किस फील्ड में अच्छा कर सकते हैं इस बात को जानना एवं उनकी रुचि को ध्यान में रखते हुए शिक्षण कार्य करना
ReplyDeleteहरेक बच्चों में कुछ ना कूछ अलग प्रतिभा होती हैं।सभी बच्चे एक जैसे नहीं होता,उन्हे उनके प्रतिभा के अनुसार ही शिक्षा देना चाहिए,
ReplyDeleteसभी बच्चे विशेष गुणों से भरपूर होते हैं । उसे पहचान कर उनके गुणों को विकसित करना है। बच्चों के रुचि एवं योग्यता के अनुसार शिक्षण कराया जाए। इस प्रकार बच्चे विद्यालय से बाहर नहीं होंगे और अपनी शिक्षण कार्य को जारी रखेंगे।
ReplyDeleteहर बच्चे में अलग अलग प्रतिभा होती हैं। कुछ अलग सोचने समझ होती हैं। उसी के अनुसआर बच्चे को शिक्षा देनी चाहिए।
ReplyDeleteJanvaron jis tarah apna na na hi ek khas visheshta tuti hai usi tarah se unki ki dincharya Khan pan rahan sahan alag Hoti hai usi tarah school mein bhi E bacchon ke sath ISI tarah ka ka vyavhar apna te hue a Shiksha Di jaati Hain
ReplyDeleteबच्चों को उनकी अधिगम स्तर के आधार पर शिक्षा देनी चाहिए
ReplyDeleteबच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों, दक्षताओं, सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना|
ReplyDeleteAnil kumar singh, Ums Suggi...
हर बच्चे की एक अपनी प्रतिभा होती है। बच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों ,दक्षताओं ,सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना
ReplyDeleteबच्चों की विविधता, उनके स्तर को देखते हुए उन्हें दक्ष बनाने पर जोर होना चाहिए।
ReplyDeleteBacchon ki daskta ko sakaraatmak roop se swikar krna chahye
ReplyDeleteबच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों, दक्षताओं, सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना|
ReplyDeleteसभी बच्चे एक समान नहीं होते है। सभी का एक नेसर्गिक गुण होता है। हम शिक्षक होने के नाते उनके अंदर छिपे हुए उन गुणों को पहचान्ना एवं उन्हें प्रोत्साहित करना हमारा काम है।
ReplyDeleteBacche me phle se mujood daksta ko swikaar krte hue plus point k roop me iska istemaal krna hoga Aur bacche ko apne marzi k mutabik anaandai mahool me sikhne k liye aursar pardan krna hoga
ReplyDeleteविद्यार्थियों की विविधता के आधार पर शिक्षण में बदलाव करते हुए उन्हें दक्ष बनाना।
ReplyDeleteSab bacche kuch wisees guno me bharpoor hote h use phachan kar use uske guno k anusar badho dena hoga
ReplyDeleteविद्यार्थियों को उनके मौलिक गुणों को बिना नष्ट किये, विविधता को स्वीकार करते हुए शिक्षण में बदलाव करते हुए उन्हें दक्ष बनाना।
ReplyDeleteसभी बच्चों में कुछ न कुछ प्रतिभाऐ निहित होती हैं,शिक्षक का काम उन प्रतिभाओं को निखारना होना चाहिए।
ReplyDeleteBACCHO KO UNKE RUCHI KE ANUSAR SIKSHA DENA.
ReplyDeleteकिसी भी विद्यालय में नामांकित बच्चे विभिन्न समाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से आते हैं।उनमें विभिन्न प्रकार की भिन्नता पाई जाती है।सबों मे अपने अपने परिवेश का प्रभाव होता है।परिवारिक एवं सामाजिक
ReplyDeleteपरिवेश मे भिन्नता के कारण बच्चों के सीखने एवं विद्यालय
परिवेश मे ढलने की गति में भी भिन्नता होगी।
ऐसी स्थिति में शिक्षकों का दायित्व होता है कि एक ऐसे वातावरण का निर्माण किया जाए, जिससे विभिन्न गुणवत्ता वाले बच्चों में सामंजस्य स्थापित कर उनको साथ साथ आगे बढ़ने का अवसर प्रदान हो।
Students कि विविधता के आधार पर शिक्षण में बदलाव करते हुए दक्ष बनाना।
ReplyDeleteशिक्षकों को बच्चों के अनुरूप शिक्षा देने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
ReplyDeleteहमारे क्लास रूम में बच्चे अलग-अलग स्वभाव,अलग-अलग रुचि, अलग-अलग अधिगम-स्तर के होते हैं ! कुछ विशेष आवश्यकता वाले बच्चे होते हैं तो कुछ सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़े हुए बच्चे होते हैं ! हमें इस एनिमल स्कूल के माध्यम से मुख्य निचोड़ बिंदु के रूप में यह समझ आया कि हमें विभिन्न विविधताओं वाले बच्चों को एक साथ समावेशी शिक्षण के रूप में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को अपनाना होगा ताकि वह सभी बच्चे आगे अपने समाज में, अपने परिवेश में, हर स्तर पर बेहतर कर सकें इसके लिए बच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों ,दक्षताओं ,सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना तो होगा ही, साथ ही उन्हें भविष्य में हर संभावित मुश्किलों से, संभावित परेशानियों से कैसे सामना करें,इसके लिए उन्हें दक्ष बनाना होगा और इसके लिए जरूरी है कि हम उनके अंदर मौजूद गुणों, उनकी काबिलियत को आधार बनाकर उन्हें एक साथ उसी प्रकार आगे की ओर बढ़ाएं ! धन्यवाद !
ReplyDeleteरंजीत कुमार सिन्हा,
सहायक शिक्षक,
एमटी मध्य विद्यालय रामपुर, कतरास
धनबाद (झारखंड)
सभी बच्चे विशेष गुणों से भरपूर होते हैं । उसे पहचान कर उनके गुणों को विकसित करना है। बच्चों के रुचि एवं योग्यता के अनुसार शिक्षण कराया जाए। इस प्रकार बच्चे विद्यालय से बाहर नहीं होंगे और अपनी शिक्षण कार्य को जारी रखेंगे
ReplyDeleteहमारे क्लास रूम में बच्चे अलग-अलग स्वभाव,अलग-अलग रुचि, अलग-अलग अधिगम-स्तर के होते हैं ! कुछ विशेष आवश्यकता वाले बच्चे होते हैं तो कुछ सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़े हुए बच्चे होते हैं ! हमें इस एनिमल स्कूल के माध्यम से मुख्य निचोड़ बिंदु के रूप में यह समझ आया कि हमें विभिन्न विविधताओं वाले बच्चों को एक साथ समावेशी शिक्षण के रूप में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को अपनाना होगा ताकि वह सभी बच्चे आगे अपने समाज में, अपने परिवेश में, हर स्तर पर बेहतर कर सकें इसके लिए बच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों ,दक्षताओं ,सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना तो होगा ही, साथ ही उन्हें भविष्य में हर संभावित मुश्किलों से, संभावित परेशानियों से कैसे सामना करें,इसके लिए उन्हें दक्ष बनाना होगा और इसके लिए जरूरी है कि हम उनके अंदर मौजूद गुणों, उनकी काबिलियत को आधार बनाकर उन्हें एक साथ उसी प्रकार आगे की ओर बढ़ाएं ! धन्यवाद !
ReplyDeleteविद्यालय में अध्ययन रत सभी बच्चों में कुछ न कुछ प्रतिभायें निहित होती हैं।शिक्षक का काम है कि उन प्रतिभाओं को निखारते हुए स्कूली शिक्षा में समाहित करना।
ReplyDeleteबच्चों में विविधता को स्वीकार करते हुए उनके नैसर्गिक गुणों को तराशना एवं शिक्षा में उनकी रूचि, क्षमता एवं आवश्यकता का ध्यान रखना
ReplyDeleteहर बच्चे मे एक विशेष प्रकार का गुण होता है।उसके अन्दर की प्रतिभा को पहचान कर उसके अनुरूप निखारना होगा।
ReplyDeleteविद्यालय में छात्रों के दक्षता, संस्कृति ,सामाजिक परिवेश, व्यवहार भिन्नता को ध्यान रखते हुए उनकी अनुकूलता के आधार पर समस्या समाधान कर उनके प्रतिभा के अनुरूप शिक्षणकार्य कर उन्हें आगे बढाना होगा
ReplyDeleteबच्चों की विविधता व रुचि को ध्यान में रखते हुए शिक्षण की योजना बनानी चाहिए ताकि प्रत्येक बच्चा साथ साथ सीख सके।
ReplyDeleteकहानी को चिंतन करने के पश्चात हम अपनी शिक्षण विधियों में बदलाव करते हुए कक्षा में प्रत्येक बच्चे की रूचि, उनकी आवश्यकताएं आदि को ध्यान में रखकर शिक्षण कार्य करने की आवश्यकता है प्रत्येक बच्चा अपने आप में एक अनुपम उपहार है इसे हमें प्रेम पूर्वक सवारना है।
ReplyDeleteहमारे विद्यालय के सभी बच्चे एक समान क्षमतावान नही होते हैं।हमें उनकी विविधता को समझते हुए शिक्षण कार्य करने की रणनीति तैयार करनी चाहिए।सकारात्मक चिंतन एवं समावेशी शिक्षण से हम ऐसा कर सकते हैं।
ReplyDeleteहर बच्चा अपने आप में खास होता है। बच्चे की विशिष्टता क्षेत्र विशेष में उसकी दक्षता रुचि आदि का ध्यान रखते हुए योजनाबद्ध तरीके से शिक्षण करना।
ReplyDeleteबच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों ,दक्षताओं ,सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteBachho ki bibidhata k adhar par shikshan jojona taiyar karna aur bachhe k ruchi k anusar use shiksha dena.
ReplyDeleteबच्चों में जो प्रतिभा है उसको बढ़ाना है तथा उसको उसी में दक्ष बनाना है। लेकिन मैट्रिक के बाद।
ReplyDeleteSabhi bacchon ki apni ek bishesh chhamta hoti..sabhi sab chheej Mai perfect Nahi hote hai... hum unhe apni chhamta se alag ya jis chheej Mai wo perfect Nahi hai use karane ke liye unki chhamta ke anurup teacher ko Vidhi apnani hogi ...
ReplyDeletepratek bachhe ki apni vishesh kshamta hooti hai kisi ko khel, kisi ko painting mein to kisi ko koi anya chijon mein ruchi hoti hai,unki visheshtaon aur ruchi ke anusar shiksha dena chahiye.
ReplyDeleteहमारे विधालय के सभी बच्चे एक समान नहीं सीख सकते हैं, उनकी विविधता को देखते हुए शिक्षण मे बदलाव की जरूरत है और यह समावेशी शिक्षण से हो सकता है।
ReplyDeleteबच्चो की विविधता व रूचि को ध्यान में रखते हुए शिक्षण की योजना बनानी चाहिए ताकि सभी बच्चे साथ साथ सीख सकें
ReplyDelete"विविधता का समावेशन"एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है किंतु वर्तमान, तेजी से बदलते परिप्रेक्ष्य में विद्यालयी परिदृश्य मैं सकारात्मक बदलाव हेतु इसे मूर्त रूप देना आवश्यक है तभी समावेशी समाज का लक्ष्य पूरा होगा।
ReplyDeleteसीमा कुमारी
रा.म.वि.चतरा
अनगडा,रांची
विद्यार्थियों की विविधता को स्विकार् करते हुए, इनकी इछाओ, दक्षता सामाजिक और व्यक्तिगत अनुभवों को आधार बनाकर समस्या के समाधान हेतु सक्षम बनाना।
ReplyDeleteSHEO SHANKAR PANDEY
बच्चों की विविधता को ध्यान में रखकर शिक्षण का कार्य करना।
ReplyDeleteBaccho me jo pratibha hn usse ko majbut banana hn .
ReplyDeleteAnimal story se Sikh Mila ki sabhi Bachchan apnejanm se anokhe ,vishisht and alag-alag personality ke hai. Unli kshamta aur pasand ke anusar life me safalta pane me sahyog Kare. Sabhi ko Ek unit se nahi maphe
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे में कुछ विशेष प्रतिभा होती है जिसे निखारना शिक्षक की जिम्मेदारी है। बच्चों पर कुछ थोपा नहीं जाना चाहिए बल्कि उनकी रूचि के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाय।
ReplyDeleteSavi baccho ka sikhne ka star ek jaisa an hi hai baccho kaechha dakhata ko dekhte huge rannity tayer karna chaiye
ReplyDeleteबच्चें भिन्न-भिन्न सामाजिक,आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से आते हैं साथ ही उनकी क्षमताएं एवं रूचि अलग-अलग होती है। इस प्रकार उनके विविधताओं को ध्यान में रखकर शिक्षण कार्य करना जिससे समावेशी शिक्षा का उद्देश्य पूरा हो सके।
ReplyDeleteबच्चे अलग-अलग माहौल से विद्यालय आते हैं उनमें विविधता होती है तथा रुचि भी एक जैसी नहीं है|अतः बच्चों को आनंदमय माहौल में रूचि के अनुसार पढाना श्रेयस्कर होगा|
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चा विशिष्ट होता है । इसको ध्यान में रखते हुए शिक्षण योजना बनाकर समावेशी शिक्षा हो ।
ReplyDeleteविद्यालय में विविध परिवेश एवं समुदाय से बच्चे आते हैं , जिनमे रुचि एवं क्षमता अलग अलग होती है जिसको ध्यान मे रख कर बच्चे को सीखने का अवसर देना चाहिए |
ReplyDeleteविभिन्न परिवेश से आये विभिन्न क्षमताओं वाले बच्चों को उनकी क्षमताओं के अनुसार शिक्षा प्रदान करना ही समावेशी शिक्षा का मूल उद्देश्य है।बच्चो के लिए शिक्षा बोझ ना बने बल्कि शिक्षा आनंददायी हो और उनकी क्षमताओं के अनुसार हो।
ReplyDeleteTo encourage children according to their copabilities and area of interest.
ReplyDelete1.कक्षा मे विविधता का शिक्षक को योजना बनानी चाहिए ताकि सभी बच्चे साथ साथ सीख सकें।
Delete2.उनके अन्दर की प्रतिभा को पहचान कर उसके अनुरूप निखारना चाहिए।
3.बच्चों पर कुछ थोपा नहीं जाना चाहिए बल्कि उनकी रूचि के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना
चाहिए।
Bachchon k pratibhaon k vividhta ko pahchan kar unke pratibhaon me aur adhik nikhar lane ka mauka unhen diya jana chahiye na ki sikhne k liye pressurise kiya jana chahiye.
ReplyDeleteएनिमल स्कूल की कहानी से यह तात्पर्य निकलता है कि सभी प्राणियों का एक विशेष गुण होता है और उस विशेष गुण और परिस्थिति में ही वह अपने आप को स्थापित एवं श्रेष्ठ साबित करने में सहायक होते हैं।। उसकी विपरीत परिस्थिति में वह अपने आपको ज्यादा समय तक उस स्थान पर मजबूती से टिके रहना बड़ा है असंभव सा प्रतीत होता है।। आस्था विद्यालय के विविध गुण और बीवी क्षमता रखने वाले बच्चों को उनके रुचि उनके अभिलाषा इच्छा के अनुसार ही उन्हें कार्य करने की स्वतंत्रता तथा हमें पूर्ण सहयोग देने के लिए तत्पर रहना होगा।।
ReplyDeleteStudents me jo pratibha hai usi se aage badhana hai. Hume unhi ke anurup shikshan karya krakr unhne daksh bnanana hai.
ReplyDeleteबच्चों की रुचि एवं उनकी नैसर्गिक क्षमता की पहचान कर तदनुसार पाठ चर्चा होनी चाहिए ।
ReplyDeleteबच्चो को उनकी रुचि के अनुसार के विषय को पढ़ाना उचित होगा। सभी बच्चो के ऊपर सभी विषय थोपना उचित नहीं । बच्चे की जिस क्षेत्र में रुचि है ।उसे क्षेत्र में उन्हें आगे बढ़ना चाहिए।
ReplyDeleteविधालय में सभी बच्चे एक जैसे हैं, इस आशय से बाहर आना होगा । सभी बच्चों में अपनी एक अलग क्षमता व विशेषता होती है। शिक्षण हर एक के मुताबिक होना चाहिए|
ReplyDelete1.कक्षा मे विविधता का शिक्षक को योजना बनानी चाहिए ताकि सभी बच्चे साथ साथ सीख सकें।
ReplyDelete2.उनके अन्दर की प्रतिभा को पहचान कर उसके अनुरूप निखारना चाहिए।
3.बच्चों पर कुछ थोपा नहीं जाना चाहिए बल्कि उनकी रूचि के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना
चाहिए।
बच्चों की रुचि,विविधता को देखते हुए योजना बनानी चाहिए
ReplyDeleteबच्चे अलग अलग स्वभाव अलग क्षमता, अलग अलग रूचि, एवं प्रतिभा से परिपूर्ण होतेहैं अत एव सभी की प्रतिभा का समुचित विकास हो इस पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है! उनकी क्षमता को प्रोत्साहित करके उनके आत्मविश्वास को उभारना उन्हें आगे बढ़ने में सहायक होगा!
ReplyDelete
ReplyDeleteविधालय में सभी बच्चे एक जैसे हैं, इस आशय से बाहर आना होगा । सभी बच्चों में अपनी एक अलग क्षमता व विशेषता होती है। शिक्षण हर एक के मुताबिक होना चाहिए|
बच्चों में कुछ गुण जन्मजात होते हैं तो कुछ परिवेश के कारण उभर कर सामने आते हैं। जिसमें वह दक्ष हो जाते हैं। यहां कहानी में वैसे पात्र थे जो किसी एक कार्य के लिये ही अनुकूलित है दूसरे कार्य उनसे शायद हो ही नहीं पाते। पर समझने की बात यह है कि शिक्षा के क्रम में हम सभी पर ध्यान दें, सभी कुछ ना कुछ क्षेत्र में दक्ष या अनुकूलित होते हैं हमें उन्हें समझना होगा और उन गुणों को ज्यादा उभरना निखारना होगा। अलग-अलग अनुकूलन वाले बच्चों को या विद्या ग्रहण करने वाले पात्रों को हम एक साथ ही लेकर चलेंगे
ReplyDelete"द एनिमल स्कूल" एक बहुत ही प्रेरणादायक कहानी है और इस कहानी के माध्यम से हमें बहुत ही अच्छी सीख मिलती है। विद्यालय एवं कक्षा के सभी बच्चों में अलग अलग प्रतिभा एवं क्षमता होती है। हमे उनकी प्रतिभा एवं क्षमता के अनुरूप ही उन्हें सीखना चाहिए ।अगर हम उनकी प्रतिभा एवं क्षमता के विपरित कुछ सिखाने की कोशिश करेंगे तो वे कुछ नया तो शायद ही सीख पाए ,उनकी पहले वाली प्रतिभा एवं रुचि भी क्षीण हो जाएगी।
ReplyDelete
ReplyDeleteबच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों ,दक्षताओं ,सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना .उन्हें' जियो और जीने दो 'के भाव से लैस कर इस हेतु तत्पर बनाना।
विभिन्न स्तर के बच्चे विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करते हैं उनके क्षमता योग्यता और व्यवहार कुशलता को ध्यान में रखते हुए पढ़ाया जाना चाहिए कभी भी अनावश्यक विषय वस्तु को बच्चे के ऊपर थोप कर उसकी दक्षता को कम नहीं करना चाहिए कैसन हो कि वह बच्चा बीच में ही पढ़ाई छोड़ देंl
ReplyDeleteBachho k vividhta ko samjhna aur unki ruchi , unki dakxta ko dhyan me rakhna.bachho k samajik parivesh ko samjhna, unper koi dabao nahi dalna.bachho k partibha ko badhana.
ReplyDeleteAll children are not equal.They have different qualities.Some are proficient in one activity and some are in another.So, we have to identify their qualities and nourish them.
ReplyDeleteकहानी के माध्यम से समावेशी शिक्षा को बढ़ावा मिलती है।लेकिन इसमें विविधता का समावेशन एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है। बदलते परिवेश को ध्यान में रखते हुए बच्चो को शैक्षणिक कार्य कराना चाहिए।
ReplyDeleteविद्यार्थियों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनके अनुरूप शिक्षण कार्य करना और उनका सर्वागीण विकास करना।
ReplyDeleteविद्यार्थियों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनके अनुरूप शिक्षण कार्य करना और उनका सर्वागीण विकास करना।
ReplyDeleteविद्यार्थियों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनके अनुरूप शिक्षण कार्य करना और उनका सर्वागीण विकास करना।
ReplyDeleteअपनी कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए कहानी के आधार पर हम कह सकते है कि बच्चे में भिन्नता होती है तथा बच्चों की रूचि भी अलग-अलग होती है। अतः हमें अपने शिक्षण में बदलाव करते हुए उनकी रूचि के अनुरूप शिक्षण कार्य करना चाहिए।
ReplyDeleteविद्यार्थियों की क्षमता को पहचान कर उपयक्त शिक्षण विधि का चयन कर उन्हें दक्ष बनाना|
ReplyDelete-पंकज कुमार
बच्चे जो विभिन्न समस्याओं से ग्रसित हो सकते हैं लेकिन उनमे आत्मबल कम न हो, इसके लिये शिक्षक उनके अनुकूल शिक्षा दे एवम समरुप भाव बनाये रखे ताकि कक्षा मे वे अपने आप को अलग थलग महसूस न करें, इसका ध्यान शिक्षक हमेशा बनायें रखें।
ReplyDeleteहर विद्यार्थी में छिपी विशिष्टता की पहचान कर,उसे निखारने का हर संभव प्रयास करने पर ध्यान केन्द्रित करना श्रेयकर होगा, जिससे बच्चा अपनी कमियों से दूर,अपनी विशेष गुण का संवर्धन कर,उत्साह के रंग से सामाजिक दायित्वों को पूर्ण करने में सक्षम हो सके। ््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््
ReplyDeleteहमे वर्ग में बच्चों की विविधता को और उनके रुचि के अनुसार शिक्षण देना चाहिए
ReplyDeleteSunita Teresa Hansda. K.G.B.V Ramghar. Dist - Dumka. बच्चों को सभी की अलग-अलग विशेषताओं का उल्लेख करते हुए उनका शैक्षणिक और मानसिक विकास करना ।
ReplyDeleteसभी बच्चे के रूची अलग -अलग होते है |बच्चे की दक्षता शिक्षण अधिगम को प्रभावित करती हैं |बच्चे की रूची को पाठ योजना में समाहित करना विभिन्न स्तर के बच्चे विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करते हैं उनके क्षमता योग्यता और व्यवहार कुशलता को ध्यान में रखते हुए पढ़ाया जाना चाहिए कभी भी अनावश्यक विषय वस्तु को बच्चे के ऊपर थोप कर उसकी दक्षता को कम नहीं करना चाहिए कैसन हो कि वह बच्चा बीच में ही पढ़ाई छोड़ देंl
ReplyDeleteShikshak ko sabhi Vidyarthiyon ka sttar samjhte hue sabhi ko shisha diya jaaye. Vidyarthiyon ke kshamta anusar unko samay and dhyaan diya jaaye.
ReplyDeleteहरेक बच्चे में अलग -अलग प्रकार के कौशल एवम रूची होती है ।अतः उनके मौलिक प्रतिभा के आधार पर पढ़ाना उचित है।
ReplyDeleteकोविड-19महामारी के दौरान सभी विद्यालय बंद होने के बाद हमने विद्यार्थियों के घर-घर जाकर पुस्तक उपलब्ध कराए। उनका व्हाट्अप ग्रुप बनाया। Digi sath से प्राप्त लिंक के माध्यम से बच्चों कि पढ़ाई-लिखाई चालु रखी। परन्तु बहुत कम बच्चों के पास android phone है। अतः मोहल्ला कक्षा प्रारम्भ किया। बच्चों को सप्ताहिक क्विच में भाग लेने में मदद की
ReplyDeleteबच्चो मे विविधता होती है।उनकी विशेषताओ को परखकर उनके अनुरूप समावेशी शिक्षा प्रदान करना लाभदायक होगा।बच्चो के रूचि को ध्यान मे रखकर पाठयोजना बनाना होगा जिससे बच्चो कासमुचित विकास हो सके।
ReplyDeleteपंकज कुमार ओझा
ReplyDeleteसहायक शिक्षक
मध्य विद्यालय झखरा,ठाकुरगंगटी, गोड्डा (झारखंड)
कक्षा में विभिन्न प्रतिभा,दक्षता, कौशल विकास से निपुण बच्चे आते हैं और बिल्कुल कमजोर दक्षता वाले बच्चे भी आते हैं। अपनी मर्जी सभी बच्चों पर थोप देने से उनकी अपनी प्रतिभा निखर नहीं पातीं या उसे निखरने का मौका हम नहीं दे पाते हैं। ऐसे में उनकी काबिलियत को पहचानने की जरूरत होती हैं। साथ - साथ हमें उन बच्चों को भी ध्यान रखना होता है जो बिल्कुल शांत बैठे हों। उन्हें भी बातचीत के माध्यम से उसकी रूचि अरूचि को जानकर विविधता के बीच सर्वागिण विकास पर बल देने की आवश्यकता होती है। बच्चे की वास्तविक प्रतिभा को परखकर ही हमें उसे बढ़ाने में मदद करनी चाहिए अन्यथा वे जानवरों का विद्यालय कथा के पात्र खरगोश की तरह भाग जाएंगे या फिर बतख, गिलहरी की तरह उनका मनोबल टूट जाएगा। सभी बच्चों के अंदर एक विशेष प्रतिभा छुपी होती है केवल उसे पहचानने और उसे निखार कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा हमें समस्त विदयालयी बच्चों के सर्वांगीण विकास की बातों को न भूलते हुए" सबका साथ सबका विकास"की ओर अग्रसर होना चाहिए।
Manju kumari MS Kandra chas,Bokaro Since,all children are coming from different environments & they all have different capabilities & interests.so,as a being of teacher,its our duty to recognize each & every students without any discrimination between them & we must motivate them according to their field of interest & ability.
ReplyDeleteEvery child is different so as a teacher, we must give the students the opportunity to learn according to their abilities and likes
ReplyDeleteTo encourage children according to their capabilities and area of interest.
ReplyDeleteविविधता में एकता के तरीके से हम अगर एक कक्षा में काम करेंगे तो आसानी से हमारा लक्ष्य की पूर्ति होगी।हमारे विद्यालय के बच्चे भिन्न परिवेश,भिन्न वर्ग,भिन्न mental ability,different socio economic background से आते हैं।हमें एक शिक्षक के नाते बहुत ही broad सोच और balance मेथोड को अपना कर कक्षा का संचालन करना होता है।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे में कुछ न कुछ प्रतिभाएँ छिपी होती है शिक्षक का काम है उनके अंदर की प्रतिभाओं को पहचान कर शिक्षण की योजना बनानी चाहिए ताकि प्रत्येक बच्चा साथ-साथ सीख सके।
ReplyDeleteबच्चे में क्या प्रतिभा है,यह पता कर उसके प्रतिभा को निखारना चाहिए।अन्य बच्चों के साथ तुलना न कर सभी बच्चों को उसके आवश्यकता अनुरुप शिक्षा देनी चाहिए।
ReplyDeleteरामचन्द्र राणा ,मध्य विद्यालय डांड ,कटकमसाण्डी, हजारीबाग
ReplyDeleteकक्षा में विविधता संसार के प्रत्येक विद्यालय में हैं । सभी विद्यार्थी अलग अलग सामाजिक परिवेश से आते हैं। उनके सामाजिक,आर्थिक स्तर भिन्न होते हैं। शिक्षकों के लिए यह आवशयक हैं कि वे सभी बातो को ध्यान देते हुए कक्षा का संचालन करें। विद्यार्थियों में यह भावना न आने दें कि वे कमजोर है या उन्हें किसी से तुलना ना करें। ऐसा करने से उनके मन में यह बात बैठ जाती हैं और वह कक्षा में पिछड़ते जाते हैं। अभी की शिक्षा व्यवस्था मे मुल्यांकन अंको के आधार पर किया जाता है और उनके सामाजिक परिवेश व आर्थिक स्थिती को नजरअंदाज किया जाता हैं ।
Anil Kumar Verma
ReplyDeleteUMS HUDMUD SIMARIA CHATRA
हमारे समाज में विभिन्न प्रकार के परिवेश से बच्चे विद्यालय आते हैं, उनका मानसिक/ शारीरिक /आर्थिक स्तर भी अलग-अलग होता है।हमें उन विविधताओं को स्वीकार करना होगा और विविधताओं को ध्यान में रखते हुए अपनी शिक्षण प्रणाली में सुधार या बदलाव लाना होगा। जिससे सभी छात्र छात्राओं का सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा। शिक्षण प्रक्रिया ऐसा हो कि बच्चों में जो अच्छा गुण है वह निरंतर बढ़ता रहे। जिससे बच्चों में नकारात्मक प्रभाव ना पड़े। शिक्षण के दौरान बच्चे क्रियाशील रहे। शिक्षक उनका मार्गदर्शन करते रहेंगे। उनकी रूचि का हमें विशेष ध्यान रखना चाहिए। यही समावेशी शिक्षा का उद्देश्य है।
बच्चों की रूचि और उनकी प्रतिभा को ध्यान में रखते हुए शिक्षण की योजना बनानी चाहिए ताकि प्रत्येक बच्चे साथ- साथ सिख सकें I
ReplyDeleteसभी बच्चों की क्षमता और रुचि भिन्न होती है। एक शिक्षक का कर्तव्य है कि बच्चों की रुचि और क्षमता को ध्यान में रखते हुए उनकी प्रतिभा को निखारने का प्रयास करना चाहिए तथा इस भिन्नता को आगे लेकर चलते हुए उन्हें अच्छी शिक्षा देनी चाहिए।
ReplyDeleteसभी बच्चों में अपनी एक अलग क्षमता व विशेषता होती है। विद्यालय में बच्चों के दक्षता, संस्कृति, सामाजिक परिवेश व्यवहार भिन्नता को ध्यान रखते हुए इनकी प्रतिभा के अनुरूप शिक्षण कार्य कर उन्होंने आगे बढ़ाना होगा। जिससे बच्चों को आनंद दाई शिक्षा मिल सके।।
ReplyDeleteयह गतिविधि बहुत ही रोचक थी इससे हमने यह सीखा कि बच्चों को अपने दक्षता एवं रुचियां के आधार पर ही उनका लक्ष्य का चयन करना और सही ढंग से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए क्योंकि सभी बच्चों में कुछ ना कुछ विशिष्ट गुण होते हैं!
ReplyDeleteविद्यालय में बच्चों के दक्षता, संस्कृति, सामाजिक परिवेश , व्यवहार भिन्नता को ध्यान रखते हुए इनकी अनुकूलता के आधार पर समस्या समाधान कर उनके प्रतिभा के अनुरूप शिक्षण कार्य कर आगे बढ़ाना होगा।।
ReplyDeleteइस कहानी के आधार पर निम्नलिखित मुख्य बातें सामने उभर कर आते हैं:-
ReplyDeleteसभी बच्चों में पूर्व से कुछ न कुछ प्रतिभा मौजूद होती है जिसकी प्राप्ति उन्हें जन्मजात अथवा अपने पारिवारिक एवं सामाजिक परिवेश में होती है. अतः बच्चे इसमें पूर्व से पारंगत होते हैं. जब किसी बच्चे को कोई नया कौशल सिखाया जाता है शुरुआत में उन्हें उसे सीखने में कठिनाई होती है जो कि नियमित अभ्यास के द्वारा दूर हो जाती है एवं बच्चे नये कौशल में भी दक्ष हो जाते हैं.अगर बच्चे का ध्यान सिर्फ नये कौशल को सीखने पर ही लगवाया जाता है तो वे अपने पूर्व पारंगत कौशल को भूलने लगते है. अतः यह आवश्यक है कि शिक्षकों द्वारा विद्यालय में नये कौशलों का नियमित अभ्यास करवाने के साथ साथ उनमे पूर्व से मौजूद गुणों एवं कौशलों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए. तभी बच्चे का सर्वांगीण विकास संभव होगा.
Sare bache ki chamta alag hoti h hame kisi ko judge nhi krna chahiye aur unhe kisi se campare nhi krna h aur unki ruchi k hisab se unpe dhyn dena chahiye
ReplyDelete