Friday, 9 October 2020

माॅड्यूल 1 - गतिविधि 5: द एनिमल स्कूल (जानवरों का विद्यालय) कल्पित कथा पर चिंतन

 अपनी कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए कहानी में से क्या क्रिया बिंदु निकलते हैं?



3,409 comments:

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    1. विविधता को स्वीकार करते हुए विद्यार्थियों को उनके मौलिक गुणों को बिना नष्ट किये शिक्षण।

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    2. विद्यालय में विभिन्न परिवेश से छात्र -छात्रा पढने आते हैं। एक माला की तरह पिरोकर जब विद्यालय की समस्त गतिविधि बच्चों को बताना बिना किसी भेदभाव के संम्पन करायी जाती है तत्पश्चात समावेशी शिक्षा की परिकल्पना चरितार्थ होती है।

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    3. विद्यालय में विभिन्न परिवेश से छात्र -छात्रा पढने आते हैं। एक माला की तरह पिरोकर जब विद्यालय की समस्त गतिविधि बच्चों को बताना बिना किसी भेदभाव के संम्पन करायी जाती है तत्पश्चात समावेशी शिक्षा की परिकल्पना चरितार्थ होती है।

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    4. Bache ki sakratmak pahlu ko dekhte hue siksha dekar bacho ko age bdhana hai

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    5. किसी के ज्ञान का आकलन तुलनात्मक नहीं होना चाहिए। एक शिक्षक का कर्त्तव्य है कि वह ज्ञान का आकलन तुलनात्मक रूप से ना करे । शिक्षक का प्रयास होना चाहिए की वह उसके मूल प्रतिभा का विकाश करे और नए प्रतिभा का उसके अनुकूल सामंजस्य करते हुए सिखाय , जिससे विद्यार्थी को आनन्ददायी शिक्षा मील सके ।

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    6. शिक्षकों को प्रयास करना चाहिए कि सभी छात्रों को मूल प्रतिभा का विकास हो और नयी प्रतिभा बिना किसी हिचक या भेदभाव के साथ सम्पन कराई जाए जिससे समावेशी शिक्षा मिले, बच्चे लाभकारी हो।

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    7. सभी बच्चों मेंं एक जैसा कौशल नहीं होता।उनकी रुचि और कार्य क्षमता भी एक नहीं होता।किंतु समावेशी शिक्षा द्वारा उनके कौशल एवं रुचि को बढा सकते है।

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  2. यह मडयुल राष्ट्रिय शिक्षा नीती उसकी रूपरेखा .......

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  3. विद्यार्थियों की विविधता के आधार पर शिक्षण में बदलाव करते हुए उन्हें दक्ष बनाना।

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  4. Unknown fact for me its good to visit the site.

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  5. बच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों ,दक्षताओं ,सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना .उन्हें' जियो और जीने दो 'के भाव से लैस कर इस हेतु तत्पर बनाना .

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  6. The lesson we learn from the story that we should not to quarrel each other, we should help each other. If any of us confined with any problem, we should be gathered to solve our companion problem.

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  7. बच्चों में जो प्रतिभा है उसी से आगे बढ़ना है।उसके सकारात्मक पहलू को देखना है।

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  8. बच्चों में जो प्रतिभा है उसी से आगे बढ़ना है।उसके सकारात्मक पहलू को देखना है।

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  9. बच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनके अनुरूप शिक्षण कार्य कराकर उन्हे दक्ष बनाना एवं समस्याओं का समाधान करना

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  10. विद्यार्थियों की विविधता के आधार पर शिक्षण में बदलाव करते हुए उन्हें दक्ष बनाना।

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  11. सभी बच्चे के रूची अलग -अलग होते है |बच्चे की दक्षता शिक्षण अधिगम को प्रभावित करती हैं |बच्चे की रूची को पाठ योजना में समाहित करना चाहिए

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  12. सभी विद्यार्थियों को एक तराजू पर नहीं तौला जाना चाहिए बल्कि उन्हें उनकी रूचि के आधार पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए

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  13. यह माॅड्यूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति,उसकी रूपरेखा..........।

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  14. बच्चों की विविधता व रुचि को ध्यान में रखते हुए शिक्षण की योजना बनानी चाहिए ताकि प्रत्येक बच्चा साथ साथ सीख सके।

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  15. बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार शिक्षा देनी चाहिए। सभी बच्चों को एक जैसी शिक्षा देने से सभी बच्चे आत्मसात नहीं कर पाएंगे।

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  16. सभी बच्चे अलग हैं। सभी का रुचि भी अलग है। समावेशी siksha par जोर देना चाहिए।

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  17. समावेशी शिक्षा आवश्यक है

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  18. समावेशी शिक्षा के लिए उचित वातावरण बनाने, सफल करने में शिक्षकों की संेदनशीलता की बहुत भूमिका है।

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  19. बच्चों की क्षमता उसके सामाजिक परिवेश व पर्यावरण आदि पर भिन्न- भिन्न होती है। जो उसके सीखने की गति पर अधिगम की संप्राप्ति निर्भर है। यदि हम बच्चे के योग्यता के अनुशार व्यवहार करते है तो वह अभिप्रेरित होगा,ठीक इसके विपरीत अपेक्षाकृत अधिक व्यवहार करते है तो अक्षमता का भाव उत्पन्न हो सकता है,जो उसके अधिगमता को प्रभावित करता है।

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  21. बच्चों का सामाजिक परिवेश और रूचि अलग अलग होती है अतः इनपर अपेक्षा कृत ज्यादा दबाब नही डालना चाहिए।

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  22. Inclusive education bachhe ke physical mental aur uske janmjaat gunn ke adhaar par honi chahiye aur evaluation bhi flexible honi chahiye.

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  23. बच्चों में जो प्रतिभा है उसी से आगे बढ़ना है।उसके सकारात्मक पहलू को देखना है।

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  24. कहानी के अनुसार बच्चों में जो गुण मौजूद है उसी को निखारते हुए आगे बड़े।उनकी रुचि के अनुसार ही शिक्षा प्रदान करे ना की उनके विपरीत।ऐसा करने से उनके सभी प्रकार के विकास पर सकारात्मक प्रभाव दिखेगा।

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  25. बच्चों में जो प्रतिभा है उसी से आगे बढ़ना है।उसके सकारात्मक पहलू को देखना है।

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  26. मैं ने कोरोनाकाल में बच्चों से हमेशा मोबाइल फोन के माध्यम से संपर्क बनाए रखा और एक वॉट्सएप ग्रुप की स्थापना की।

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  27. इस कहानी के माध्यम से ये बात उभर कर सामने आया कि बच्चों मे कोई ना कोई प्रतिभा जन्मजात होती है। हमें उनके प्रतिभा को पहचान कर उसे प्रोत्साहित करना चाहिए।

    @jitu vijay Soren
    Govt. M. S. Nonihathwari
    Jama, Dumka

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  28. Iss kahani se yah baat spast ho rahi hai kii bachcho ke andar kuchh vishes goon hote hai aur oon goono ko sabke saath lekar chalna yaa feer aage badhna chahiye nahi to wah goon v khatam ho jayega jaise batakh ke saath huwa yah samaweshi shikchha kar sakta hai kii sabko saath lekar chalna chahiye

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  29. उपरोक्त कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एक ही कक्षा में विविध रुचि वाले छात्र-छात्राएं मौजूद और उपस्थित रहते हैं ऐसी परिस्थिति मेंउनके रुचि और अब उसका ध्यान में रखते हुए हमें शिक्षण सिद्धांत या विधि में कुछ परिवर्तन करते हुए उनके सर्वांगीण विकास के लिए हमें तत्पर रहना होगा।।

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  30. The maheme came from this story is inclusive education is necessary.as this allows all type children to learn frequently .

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  31. एनिमल स्कूल में जिस प्रकार सभी जानवरों के जन्मजात गुण और क्षमता अलग-अलग होने के बावजूद उन्हें एक ही मापदंड पर परखा जा रहा था। उसी प्रकार ज्यादा से ज्यादा नम्बर लाने की होड़ में बच्चों की जन्मजात प्रतिभा की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

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  32. Baccho ko samajik and unka ruchi ka anusar kary karna uchit hoga.

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  33. Every child can learn. we have to focus on the special ability of the child.we have to provide opportunity to the child so that he can learn at his speed and intrest.soon we will find that he is intrested in learning all subjects.may be in some subjects his learning speed is slow but ultimately he will learn.

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  34. Bijay Kumar choudhary
    Ups SARAIYATAND BRC DEORI
    Dist Giridih

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    1. Bachho ki pratibha k aadhar par aage badhana hai
      Unke sakaratamak pahlu ko dekhna hai

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  35. Every child can learn. we have to focus on the special ability of the child.we have to provide opportunity to the child so that he can learn at his speed and intrest.soon we will find that he is intrested in learning all subjects.may be in some subjects his learning speed is slow but ultimately he will learn.

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  36. Students की विविधता के आधार पर शिछण में बदलाव करते हुए उन्हें दछ बनाना |

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  37. Bachho ki vividhta ke aadhar par apne sikshan main badlaw karna,unki ruchi ko dhyan main rakhkar sikshan ki yojna banana,bachho main jo bhi pratibha hai usi pratibha ko aadhar banakar bachho ko aage badhana,hum sikshakon ko samvedansheel hona,bachho ka aamajik pariveah aur unki ruchi ka dhyan rakhte hue unko develop karna

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  38. प्रत्येक बच्चे में कुछ विशेष प्रतिभा होती है जिसे निखारना शिक्षक की जिम्मेदारी है। बच्चों पर कुछ थोपा नहीं जाना चाहिए बल्कि उनकी रूचि के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाय।

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  39. कक्षा में बच्चों के विविधता को स्वीकार करना है। हमारे समाज में विभिन्न प्रकार के परिवेश से बच्चे विद्यालय आते हैं, उनका मानसिक स्तर भी अलग-अलग होता है,मेधा का स्तर भी अलग-अलग होते हैं। हमें उन विविधताओं को स्वीकार कर एवं विविधताओं को ध्यान में रखते हुए अपने शिक्षण प्रणाली में सुधार लाना ह, ताकि सभी छात्र-छात्राओं का सर्वांगीण विकास सम्भव हो सके। यही समावेशी शिक्षा का उद्देश्य है।

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  40. Class me बच्चों की विभिननताएं स्वीकार करते हुए चाहे वो बौद्धिक, शारीरिक, सांस्कृतिक,किसी भी रुप में हो विषय वस्तु में उनकी रूचि और अनिच्छा को ध्यान में रख कर शिक्षण कार्य का सुचारु रुप से निष्ठापूर्वक संपादन करना चाहिए।

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  41. To encourage children according to their capabilities & area of interest.

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  42. Har bachhe apne ap me khas hota hai or unme chhupi Hui pratibha hoti hai.bachhe mati k kachche bartan jese hote hai unhe jis dhanche me dhalenge bachhe usme dhal jate hai bas unhe uchit margdarsan ki jrurat hoti hai.

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  43. जानवरों के विद्यालय संबंधित रोचक वीडियो एवं सारांश से यह जानकारी परिलक्षित होती है कि सभी बच्चों की सीखने की शैली अलग-अलग होती है। बच्चों की अपनी रुझान एवं चाह के अनुसार उसे सीखने की स्वतंत्रता हम सभी शिक्षकों से प्राप्त रहनी चाहिए।। साथ ही साथ विभिन्न अलग-अलग स्थान और क्षमताओं के अनुसार उनके क्षमता का आकलन करना चाहिए। हम शिक्षकों को विविध एवं अंतर्मुखी विविधताओं वाले बच्चों को एक ही साथ विद्याधन करा तो सकते हैं परंतु उनकी रूचि का हमें खास ध्यान रखना अनिवार्य होगी।।

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  44. बच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों ,दक्षताओं ,सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना .

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  45. In class every child is unique. All have different capacities of learing and understanding a subject.
    Therefore we need to find ways to make them learn.

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  46. Bidyarthiyo ki vividhta ko dekhte hua prarup banana.

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  47. बच्चों की विलक्षण विशेषताओं, गुणों और कमजोरियों को पहचान कर, उन बच्चों को उनकी योग्यता और रुचि के अनुसार शिक्षण अधिगम कराया जाय। जिससे बच्चे छीजित ना हो। विविध योग्यता वाले बच्चों का शिक्षण अधिगम की विभिन्न जरूरतों को समझ कर अधिगम शैलियों पर विचार कर और उसी के अनुसार प्रतिक्रिया देंगे। शिक्षक को सहभागिता पूर्ण माहौल सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

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  48. सभी बच्चे कुछ न कुछ विशिष्ट गुणों से युक्त होते हैं। विविधता से युक्त इन्हीं विशिष्टताओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षण योजनाओं का निर्माण करना एवं प्रेरक और मित्रवत वातावरण में अधिगम सुनिश्चित कराना।

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  49. सभी बच्चे कुछ विशेष गुणों से भरपूर होता है उसे पहचान कर उनके गुणों को विकसित करना है।

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  51. इस कहानी से हमें ये पता चलता है कि बच्चे में जो गुण है हमें उसी गुण को निखारना चाहिए ताकि बच्चे और बेहतर कर सके,बच्चे में जो गुण है यदि हम उस गुण के विपरित बच्चो को शिक्षा प्रदान करते है तो बच्चो में नकरात्मक प्रभाव पड़ेगा। जैसे बतख के साथ हुआ

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  52. विधालय में सभी बच्चे एक जैसे हैं, इस आशय से बाहर आना होगा । बल्कि सभी बच्चों में अलग-अलग गुण होते हैं , इस बात को स्वीकारना होगा । और बच्चों के इस विशेष गुण को पहचान कर उत्साह पूर्ण माहौल में आवश्यकतानुसार बुलंद होंसले के साथ आगे बढ़ना और बढ़ाना चाहिए।

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  53. सभी बच्चों में सीखने की क्षमता होती है इसलिए शिक्षकों को सिर्फ बच्चों के लिए अनुकूल वातावरण बनाने की जरूरत है।

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  54. समावेशी शिक्षा के साथ साथ सर्वांगीण विकास जोर दिया गया है

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  55. सभी बच्चों में अपनी एक अलग क्षमता व विशेषता होती है। सभी बच्चों को एक ही विधि या पाठ्यक्रम से नहीं पढ़ाया जा सकता। शिक्षण ऐसा हो कि बच्चों में जो अच्छा है वो निरंतर बढ़ता रहे।

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  56. Students ko kahaniyon moral stories k madhyam se unka vikas kiya ja skta h

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  57. विद्यालय में छात्रों के दक्षता, संस्कृति ,सामाजिक परिवेश, व्यवहार भिन्नता को ध्यान रखते हुए उनकी अनुकूलता के आधार पर समस्या समाधान कर उनके प्रतिभा के अनुरूप शिक्षणकार्य कर उन्हें आगे बढाना होगा

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  58. छात्रों को उनके गुण के आधार पर शिक्षा देना ताके छात्रों का उन्नत विकास हो सके

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  59. समावेशी शिक्षा के साथ-साथ सर्वांगीण विकास पर भी ध्यान दिया गया है यह कमेंट

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  60. Sabhi children me sikhne ke gun hote hai en guno ko pahchan kar nirantar aage barhne ke liye protsahit karne ki jarurat hai tatha vidyalay me bhi anukul watawaran ka nirman karna chahiye

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  61. बच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों ,दक्षताओं ,सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना .उन्हें' जियो और जीने दो 'के भाव से लैस कर इस हेतु तत्पर बनाना

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  62. सभी विद्यार्थियों को एक जैसा नहीं समझा जाना चाहिए बल्कि उन्हें उनकी रूचि के आधार पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

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  63. जब बच्चे नामांकित होते हैं तो सबसे पहले हम उनका पोर्टफोलियो बनाएंगे और देखेंगे कि बच्चे किस चीज में निपुण है हम कोशिश करेंगे कि उसकी उसके उसी गुण को उभारा जाए।बच्चों की मूल विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए उसी के आधार पर गतिविधि बनाकर उन्हें नई जानकारी देंगे ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके ।सब बच्चा अपने आप में विशिष्ट होता है और सभी की अपनी अपनी काबिलियत होती है और हमें उसी रूप में उन्हें स्वीकार करना है।

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  64. This comment has been removed by the author.

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  65. विद्यालय के सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते हैं बल्कि वे अलग -अलग प्रतिभा के धनी होते हैं, इस बात को स्वीकार कर हमें उसके प्रतिभा को और निखारना चाहिए ताकि विद्यालय में बच्चे और बेहतर कर सके, यदि हम बच्चों के उस उस गुण के विपरीत शिक्षा प्रदान करते हैं तो बच्चों में नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और वह हर क्षेत्र में पीछे हो जाएगा जैसे उस बतख के साथ हुआ

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  66. सभी बच्चो की प्रतिभा अलग अलग होती है उन्हें एक ही तराजू में नहीं तौलना चाहिए हमें उनकी प्रतिभा को पहचाना चाहिए और हमें कुछ activity कराना चाहिए हमें इस बात का proper ध्यान देना चाहिए कि हमें ऐसी technology ka उपयोग करना चाहिए जिससे बच्चे खेल खेल में आसानी से सीख जाए और हमारा जो लक्ष्य है वो भी आसानी से पूरा हो जाए जिस बच्चे को जिस फील्ड में रुचि है उससे उसी फील्ड में motivate करना चाहिए

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  67. Vidyalay mein sabhi bacchon ki Ruchi ek Jaisi nahin Hoti hai hamen unki Ruchi ko Dhyan mein rakhte hue Shiksha pradan karna hai

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  68. In the school premises all teachers and learners are equal there is no discrimination among them.if we face any trouble we should gather and share the matter and solve it in the spot.we must live together with peace and harmony in friendly environment and nature.

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  69. बिमल कुमार दास

    मैंने विधालय के बच्चों का एक व्हाटस एप समूह बनाया एवं उसमें डिजी साथ के कन्टेंट को भेजा। बच्चों से दैनिक शैक्षिक संवाद किया। बच्चों एवं अविभावकों को कोरोना काल में सामाजिक दूरी का पालन,मास्क का उपयोग एवं साफ सफाई की जानकारी दी। गाँव जाकर मोहल्ला क्लास चलाया।

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  70. मैं कोरोना महामारी के समय व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से डीजी साथ के कंटेंट को भेजता हूँ, फोन के द्वारा बच्चों के पढाई संबंधित दिक्कतों को जानकर समाधान बताता हूँ.

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  71. बच्चो को उनके रूची के अनुसार शिक्षणकार्य करके दक्ष बनना|

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  72. विधालय में सभी बच्चे एक जैसे हैं, इस आशय से बाहर आना होगा । सभी बच्चों में अपनी एक अलग क्षमता व विशेषता होती है। शिक्षण ऐसा हो कि बच्चों में जो अच्छा है वो निरंतर बढ़ता रहे।

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  73. कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए कहानी में से बच्चों की रूचि, दक्षता, प्रतिभा, बच्चों में विविधता, सामाजिक परिवेश आदि क्रियाबिंदु निकलते हैं।

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  74. Class me bibin str ke Bache hote hai kyonki o bibin trh ke mahool smaj ar privesh se aate ar hmen sbon ka str ka saman rup se awlokan krte hue hmko inke Str ko swikar krte hue apne sikshn pddti ko sudar krna hoga Taki ek hi class me sbi Str ke bachon ka srwangin vikas ho ske ar yhi smavesi siksha ka lkshya v hai

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  75. विद्यालय के सभी बच्चे एक जैसा नहीं होते हैं।उनकी प्रतिभा अलग-अलग होती है, उन्हें एक ही तराजू में नहीं तौलना चाहिए।हमें उनकी प्रतिभा को पहचानना चाहिए। जिससे बच्चे खेल-खेल में आसानी से सीख जाए, और हमारे जो लक्ष्य है वो भी आसानी से पूरा हो जाय। बच्चे को जिस फील्ड में रुचि है,उसी फील्ड में मोटिवेट करना चाहिए।

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  76. Sabhi students ki Kisi na Kisi subject m interested hote h student ko unki ruchi k anusaar aage badhne k awsar dena aur usko Pratibha ko nikhana hi sabse jaruri h

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  77. हरेक बच्चे में कुछ अलग प्रतिभा होती हैं। उनकी प्रतिभा को बढ़ावा देने के साथ सहभागिता के सहारे जीवन की अन्य कौशलों का विकास किया जाना चाहिए। शिक्षक प्रेरक की भूमिका में रहें,बाधक न बने।

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  78. हमे शिक्षक के रूप में कोमलता से बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार ही पठन पाठन का कार्य करनी चाहिये, ताकि बच्चे बिना किसी दबाव के अपनी इच्छा से जो भी पढाया जाए ज्यादा सीख सके।उनकीं प्रतिभा को निखारने के कार्य शिक्षक को ही करना होता है।

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  79. हमे शिक्षक के रूप में कोमलता से बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार ही पठन पाठन का कार्य करनी चाहिये, ताकि बच्चे बिना किसी दबाव के अपनी इच्छा से जो भी पढाया जाए ज्यादा सीख सके।उनकीं प्रतिभा को निखारने के कार्य शिक्षक को ही करना होता है।

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  80. बच्चों की रूची के विरुद्ध हांंकना सही नही कहा जा सकता।उनके दिलचस्पी के अनुसार ही अवसर प्रदान करना परिणाम दायी साबित होगा।ऐसा हमे लगता है।

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  81. प्रत्येक बच्चे की प्रतिभा का सम्मान तथा प्रोत्साहन और आगे बढ़ने की प्रेरणा व अवसर....... विद्यालय परिवार का दायित्व व कर्म।

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  82. व्यैक्तिक विभिन्नता को स्वीकारते हुए एक ऐसा वातावरण बनाना होगा जहाँ सबको अपनी विशेषताओं को बढाने का पूरा अवसर मिले साथ ही नए कौशलों में अभिरुचि सहज ही उत्पन्न होता रहे|

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  83. हरेक बच्चो में कुछ अलग प्रतिभा होती हैं। उनकी प्रतिभा को बढ़ावा देने के साथ सहभागिता के सहारे जीवन की अन्य कोशलों का विकास किया जाना चाहिए। शिक्षक प्रेरक की भुमिका में रहें। बाधक न बने।

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  84. बच्चो को उनके रूची अनुभव और क्षमता के अनुसार शिक्षणकार्य करके दक्ष बनना|

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  85. विभिन्नता को एकसाथ करते हुए समग्र विकास करने का प्रयास करना।

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  86. बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार ही उन पर बोझ डालना चाहिए। उनकी रुचि अनुसार ही उनका मार्गदर्शन कर आगे बढने देना चाहिए।

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  87. Bacche me phle se moujood dakshta ko swikar krte hue plus point k roop me aage lejana hoga jisse wo apne marji k mutakib aur khusi khusi ananddai mahool me sikhega

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  88. Samaveshi Shiksha main vibhinn parivarik Sanskriti AVm kshamta ke bacche aate Hain. bacchon ki dakshta AVm kshamta ke anurup shikshan karya kara kar unhen Daksh banana Avm unki apni Ruchi ke anurup aage badhane hetu prerit karna chahie.

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  89. हरेक बच्चों में कुछ अलग प्रतिभा होती हैं। उनकी प्रतिभा को बढ़ावा देने के साथ सहभागिता के सहारे जीवन की अन्य कोशलो का विकास किया जाना चाहिए। शिक्षक प्रेरक की भूमिका में रहें। बाधक न बने।

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  90. हर बच्चा किसी न किसी क्षेत्र में विशेष होता है। शिक्षकों को उनकी उन्हीं क्षमताओं को पहचानना और उसी अनुसार प्रोत्साहन व अवसर देना चाहिए। इसके विपरीत कार्य करने से उनकी दक्षताएं समाप्त हो जाएंगी और नयी दक्षताओं का भी विकास नहीं हो पाएगा।इस तरह से बच्चे की सीखने की ललक भी खत्म हो जाएगी।

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  91. बच्चे किस फील्ड में अच्छा कर सकते हैं इस बात को जानना एवं उनकी रुचि को ध्यान में रखते हुए शिक्षण कार्य करना

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  92. हरेक बच्चों में कुछ ना कूछ अलग प्रतिभा होती हैं।सभी बच्चे एक जैसे नहीं होता,उन्हे उनके प्रतिभा के अनुसार ही शिक्षा देना चाहिए,

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  93. सभी बच्चे विशेष गुणों से भरपूर होते हैं । उसे पहचान कर उनके गुणों को विकसित करना है। बच्चों के रुचि एवं योग्यता के अनुसार शिक्षण कराया जाए। इस प्रकार बच्चे विद्यालय से बाहर नहीं होंगे और अपनी शिक्षण कार्य को जारी रखेंगे।

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  94. हर बच्चे में अलग अलग प्रतिभा होती हैं। कुछ अलग सोचने समझ होती हैं। उसी के अनुसआर बच्चे को शिक्षा देनी चाहिए।

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  95. Janvaron jis tarah apna na na hi ek khas visheshta tuti hai usi tarah se unki ki dincharya Khan pan rahan sahan alag Hoti hai usi tarah school mein bhi E bacchon ke sath ISI tarah ka ka vyavhar apna te hue a Shiksha Di jaati Hain

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  96. बच्चों को उनकी अधिगम स्तर के आधार पर शिक्षा देनी चाहिए

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  97. बच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों, दक्षताओं, सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना|
    Anil kumar singh, Ums Suggi...

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  98. हर बच्चे की एक अपनी प्रतिभा होती है। बच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों ,दक्षताओं ,सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना

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  99. बच्चों की विविधता, उनके स्तर को देखते हुए उन्हें दक्ष बनाने पर जोर होना चाहिए।

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  100. Bacchon ki daskta ko sakaraatmak roop se swikar krna chahye

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  101. बच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों, दक्षताओं, सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना|

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  102. सभी बच्चे एक समान नहीं होते है। सभी का एक नेसर्गिक गुण होता है। हम शिक्षक होने के नाते उनके अंदर छिपे हुए उन गुणों को पहचान्ना एवं उन्हें प्रोत्साहित करना हमारा काम है।

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  103. Bacche me phle se mujood daksta ko swikaar krte hue plus point k roop me iska istemaal krna hoga Aur bacche ko apne marzi k mutabik anaandai mahool me sikhne k liye aursar pardan krna hoga

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  104. विद्यार्थियों की विविधता के आधार पर शिक्षण में बदलाव करते हुए उन्हें दक्ष बनाना।

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  105. Sab bacche kuch wisees guno me bharpoor hote h use phachan kar use uske guno k anusar badho dena hoga

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  106. विद्यार्थियों को उनके मौलिक गुणों को बिना नष्ट किये, विविधता को स्वीकार करते हुए शिक्षण में बदलाव करते हुए उन्हें दक्ष बनाना।

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  107. सभी बच्चों में कुछ न कुछ प्रतिभाऐ निहित होती हैं,शिक्षक का काम उन प्रतिभाओं को निखारना होना चाहिए।

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  108. BACCHO KO UNKE RUCHI KE ANUSAR SIKSHA DENA.

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  109. किसी भी विद्यालय में नामांकित बच्चे विभिन्न समाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से आते हैं।उनमें विभिन्न प्रकार की भिन्नता पाई जाती है।सबों मे अपने अपने परिवेश का प्रभाव होता है।परिवारिक एवं सामाजिक
    परिवेश मे भिन्नता के कारण बच्चों के सीखने एवं विद्यालय
    परिवेश मे ढलने की गति में भी भिन्नता होगी।
    ऐसी स्थिति में शिक्षकों का दायित्व होता है कि एक ऐसे वातावरण का निर्माण किया जाए, जिससे विभिन्न गुणवत्ता वाले बच्चों में सामंजस्य स्थापित कर उनको साथ साथ आगे बढ़ने का अवसर प्रदान हो।

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  110. Students कि विविधता के आधार पर शिक्षण में बदलाव करते हुए दक्ष बनाना।

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  111. शिक्षकों को बच्चों के अनुरूप शिक्षा देने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

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  112. हमारे क्लास रूम में बच्चे अलग-अलग स्वभाव,अलग-अलग रुचि, अलग-अलग अधिगम-स्तर के होते हैं ! कुछ विशेष आवश्यकता वाले बच्चे होते हैं तो कुछ सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़े हुए बच्चे होते हैं ! हमें इस एनिमल स्कूल के माध्यम से मुख्य निचोड़ बिंदु के रूप में यह समझ आया कि हमें विभिन्न विविधताओं वाले बच्चों को एक साथ समावेशी शिक्षण के रूप में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को अपनाना होगा ताकि वह सभी बच्चे आगे अपने समाज में, अपने परिवेश में, हर स्तर पर बेहतर कर सकें इसके लिए बच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों ,दक्षताओं ,सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना तो होगा ही, साथ ही उन्हें भविष्य में हर संभावित मुश्किलों से, संभावित परेशानियों से कैसे सामना करें,इसके लिए उन्हें दक्ष बनाना होगा और इसके लिए जरूरी है कि हम उनके अंदर मौजूद गुणों, उनकी काबिलियत को आधार बनाकर उन्हें एक साथ उसी प्रकार आगे की ओर बढ़ाएं ! धन्यवाद !

    रंजीत कुमार सिन्हा,
    सहायक शिक्षक,
    एमटी मध्य विद्यालय रामपुर, कतरास
    धनबाद (झारखंड)

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  113. सभी बच्चे विशेष गुणों से भरपूर होते हैं । उसे पहचान कर उनके गुणों को विकसित करना है। बच्चों के रुचि एवं योग्यता के अनुसार शिक्षण कराया जाए। इस प्रकार बच्चे विद्यालय से बाहर नहीं होंगे और अपनी शिक्षण कार्य को जारी रखेंगे

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  114. हमारे क्लास रूम में बच्चे अलग-अलग स्वभाव,अलग-अलग रुचि, अलग-अलग अधिगम-स्तर के होते हैं ! कुछ विशेष आवश्यकता वाले बच्चे होते हैं तो कुछ सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़े हुए बच्चे होते हैं ! हमें इस एनिमल स्कूल के माध्यम से मुख्य निचोड़ बिंदु के रूप में यह समझ आया कि हमें विभिन्न विविधताओं वाले बच्चों को एक साथ समावेशी शिक्षण के रूप में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को अपनाना होगा ताकि वह सभी बच्चे आगे अपने समाज में, अपने परिवेश में, हर स्तर पर बेहतर कर सकें इसके लिए बच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों ,दक्षताओं ,सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना तो होगा ही, साथ ही उन्हें भविष्य में हर संभावित मुश्किलों से, संभावित परेशानियों से कैसे सामना करें,इसके लिए उन्हें दक्ष बनाना होगा और इसके लिए जरूरी है कि हम उनके अंदर मौजूद गुणों, उनकी काबिलियत को आधार बनाकर उन्हें एक साथ उसी प्रकार आगे की ओर बढ़ाएं ! धन्यवाद !

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  115. विद्यालय में अध्ययन रत सभी बच्चों में कुछ न कुछ प्रतिभायें निहित होती हैं।शिक्षक का काम है कि उन प्रतिभाओं को निखारते हुए स्कूली शिक्षा में समाहित करना।

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  116. बच्चों में विविधता को स्वीकार करते हुए उनके नैसर्गिक गुणों को तराशना एवं शिक्षा में उनकी रूचि, क्षमता एवं आवश्यकता का ध्यान रखना

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  117. हर बच्चे मे एक विशेष प्रकार का गुण होता है।उसके अन्दर की प्रतिभा को पहचान कर उसके अनुरूप निखारना होगा।

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  118. विद्यालय में छात्रों के दक्षता, संस्कृति ,सामाजिक परिवेश, व्यवहार भिन्नता को ध्यान रखते हुए उनकी अनुकूलता के आधार पर समस्या समाधान कर उनके प्रतिभा के अनुरूप शिक्षणकार्य कर उन्हें आगे बढाना होगा

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  119. बच्चों की विविधता व रुचि को ध्यान में रखते हुए शिक्षण की योजना बनानी चाहिए ताकि प्रत्येक बच्चा साथ साथ सीख सके।

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  120. कहानी को चिंतन करने के पश्चात हम अपनी शिक्षण विधियों में बदलाव करते हुए कक्षा में प्रत्येक बच्चे की रूचि, उनकी आवश्यकताएं आदि को ध्यान में रखकर शिक्षण कार्य करने की आवश्यकता है प्रत्येक बच्चा अपने आप में एक अनुपम उपहार है इसे हमें प्रेम पूर्वक सवारना है।

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  121. हमारे विद्यालय के सभी बच्चे एक समान क्षमतावान नही होते हैं।हमें उनकी विविधता को समझते हुए शिक्षण कार्य करने की रणनीति तैयार करनी चाहिए।सकारात्मक चिंतन एवं समावेशी शिक्षण से हम ऐसा कर सकते हैं।

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  122. हर बच्चा अपने आप में खास होता है। बच्चे की विशिष्टता क्षेत्र विशेष में उसकी दक्षता रुचि आदि का ध्यान रखते हुए योजनाबद्ध तरीके से शिक्षण करना।

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  123. बच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों ,दक्षताओं ,सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना

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  124. This comment has been removed by the author.

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  125. Bachho ki bibidhata k adhar par shikshan jojona taiyar karna aur bachhe k ruchi k anusar use shiksha dena.

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  126. बच्चों में जो प्रतिभा है उसको बढ़ाना है तथा उसको उसी में दक्ष बनाना है। लेकिन मैट्रिक के बाद।

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  127. Sabhi bacchon ki apni ek bishesh chhamta hoti..sabhi sab chheej Mai perfect Nahi hote hai... hum unhe apni chhamta se alag ya jis chheej Mai wo perfect Nahi hai use karane ke liye unki chhamta ke anurup teacher ko Vidhi apnani hogi ...

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  128. pratek bachhe ki apni vishesh kshamta hooti hai kisi ko khel, kisi ko painting mein to kisi ko koi anya chijon mein ruchi hoti hai,unki visheshtaon aur ruchi ke anusar shiksha dena chahiye.

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  129. हमारे विधालय के सभी बच्चे एक समान नहीं सीख सकते हैं, उनकी विविधता को देखते हुए शिक्षण मे बदलाव की जरूरत है और यह समावेशी शिक्षण से हो सकता है।

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  130. बच्चो की विविधता व रूचि को ध्यान में रखते हुए शिक्षण की योजना बनानी चाहिए ताकि सभी बच्चे साथ साथ सीख सकें

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  131. "विविधता का समावेशन"एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है किंतु वर्तमान, तेजी से बदलते परिप्रेक्ष्य में विद्यालयी परिदृश्य मैं सकारात्मक बदलाव हेतु इसे मूर्त रूप देना आवश्यक है तभी समावेशी समाज का लक्ष्य पूरा होगा।
    सीमा कुमारी
    रा.म.वि.चतरा
    अनगडा,रांची

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  132. विद्यार्थियों की विविधता को स्विकार् करते हुए, इनकी इछाओ, दक्षता सामाजिक और व्यक्तिगत अनुभवों को आधार बनाकर समस्या के समाधान हेतु सक्षम बनाना।

    SHEO SHANKAR PANDEY

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  133. बच्चों की विविधता को ध्यान में रखकर शिक्षण का कार्य करना।

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  134. Baccho me jo pratibha hn usse ko majbut banana hn .

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  135. Animal story se Sikh Mila ki sabhi Bachchan apnejanm se anokhe ,vishisht and alag-alag personality ke hai. Unli kshamta aur pasand ke anusar life me safalta pane me sahyog Kare. Sabhi ko Ek unit se nahi maphe

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  136. प्रत्येक बच्चे में कुछ विशेष प्रतिभा होती है जिसे निखारना शिक्षक की जिम्मेदारी है। बच्चों पर कुछ थोपा नहीं जाना चाहिए बल्कि उनकी रूचि के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाय।

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  137. Savi baccho ka sikhne ka star ek jaisa an hi hai baccho kaechha dakhata ko dekhte huge rannity tayer karna chaiye

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  138. बच्चें भिन्न-भिन्न सामाजिक,आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से आते हैं साथ ही उनकी क्षमताएं एवं रूचि अलग-अलग होती है। इस प्रकार उनके विविधताओं को ध्यान में रखकर शिक्षण कार्य करना जिससे समावेशी शिक्षा का उद्देश्य पूरा हो सके।

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  139. बच्चे अलग-अलग माहौल से विद्यालय आते हैं उनमें विविधता होती है तथा रुचि भी एक जैसी नहीं है|अतः बच्चों को आनंदमय माहौल में रूचि के अनुसार पढाना श्रेयस्कर होगा|

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  140. प्रत्येक बच्चा विशिष्ट होता है । इसको ध्यान में रखते हुए शिक्षण योजना बनाकर समावेशी शिक्षा हो ।

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  141. विद्यालय में विविध परिवेश एवं समुदाय से बच्चे आते हैं , जिनमे रुचि एवं क्षमता अलग अलग होती है जिसको ध्यान मे रख कर बच्चे को सीखने का अवसर देना चाहिए |

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  142. विभिन्न परिवेश से आये विभिन्न क्षमताओं वाले बच्चों को उनकी क्षमताओं के अनुसार शिक्षा प्रदान करना ही समावेशी शिक्षा का मूल उद्देश्य है।बच्चो के लिए शिक्षा बोझ ना बने बल्कि शिक्षा आनंददायी हो और उनकी क्षमताओं के अनुसार हो।

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  143. To encourage children according to their copabilities and area of interest.

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    1. 1.कक्षा मे विविधता का शिक्षक को योजना बनानी चाहिए ताकि सभी बच्चे साथ साथ सीख सकें।

      2.उनके अन्दर की प्रतिभा को पहचान कर उसके अनुरूप निखारना चाहिए।

      3.बच्चों पर कुछ थोपा नहीं जाना चाहिए बल्कि उनकी रूचि के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना
      चाहिए।

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  144. Bachchon k pratibhaon k vividhta ko pahchan kar unke pratibhaon me aur adhik nikhar lane ka mauka unhen diya jana chahiye na ki sikhne k liye pressurise kiya jana chahiye.

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  145. एनिमल स्कूल की कहानी से यह तात्पर्य निकलता है कि सभी प्राणियों का एक विशेष गुण होता है और उस विशेष गुण और परिस्थिति में ही वह अपने आप को स्थापित एवं श्रेष्ठ साबित करने में सहायक होते हैं।। उसकी विपरीत परिस्थिति में वह अपने आपको ज्यादा समय तक उस स्थान पर मजबूती से टिके रहना बड़ा है असंभव सा प्रतीत होता है।। आस्था विद्यालय के विविध गुण और बीवी क्षमता रखने वाले बच्चों को उनके रुचि उनके अभिलाषा इच्छा के अनुसार ही उन्हें कार्य करने की स्वतंत्रता तथा हमें पूर्ण सहयोग देने के लिए तत्पर रहना होगा।।

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  146. Students me jo pratibha hai usi se aage badhana hai. Hume unhi ke anurup shikshan karya krakr unhne daksh bnanana hai.

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  147. बच्चों की रुचि एवं उनकी नैसर्गिक क्षमता की पहचान कर तदनुसार पाठ चर्चा होनी चाहिए ।

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  148. बच्चो को उनकी रुचि के अनुसार के विषय को पढ़ाना उचित होगा। सभी बच्चो के ऊपर सभी विषय थोपना उचित नहीं । बच्चे की जिस क्षेत्र में रुचि है ।उसे क्षेत्र में उन्हें आगे बढ़ना चाहिए।

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  149. विधालय में सभी बच्चे एक जैसे हैं, इस आशय से बाहर आना होगा । सभी बच्चों में अपनी एक अलग क्षमता व विशेषता होती है। शिक्षण हर एक के मुताबिक होना चाहिए|

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  150. 1.कक्षा मे विविधता का शिक्षक को योजना बनानी चाहिए ताकि सभी बच्चे साथ साथ सीख सकें।

    2.उनके अन्दर की प्रतिभा को पहचान कर उसके अनुरूप निखारना चाहिए।

    3.बच्चों पर कुछ थोपा नहीं जाना चाहिए बल्कि उनकी रूचि के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना
    चाहिए।

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  151. बच्चों की रुचि,विविधता को देखते हुए योजना बनानी चाहिए

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  152. बच्चे अलग अलग स्वभाव अलग क्षमता, अलग अलग रूचि, एवं प्रतिभा से परिपूर्ण होतेहैं अत एव सभी की प्रतिभा का समुचित विकास हो इस पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है! उनकी क्षमता को प्रोत्साहित करके उनके आत्मविश्वास को उभारना उन्हें आगे बढ़ने में सहायक होगा!

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  153. विधालय में सभी बच्चे एक जैसे हैं, इस आशय से बाहर आना होगा । सभी बच्चों में अपनी एक अलग क्षमता व विशेषता होती है। शिक्षण हर एक के मुताबिक होना चाहिए|

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  154. बच्चों में कुछ गुण जन्मजात होते हैं तो कुछ परिवेश के कारण उभर कर सामने आते हैं। जिसमें वह दक्ष हो जाते हैं। यहां कहानी में वैसे पात्र थे जो किसी एक कार्य के लिये ही अनुकूलित है दूसरे कार्य उनसे शायद हो ही नहीं पाते। पर समझने की बात यह है कि शिक्षा के क्रम में हम सभी पर ध्यान दें, सभी कुछ ना कुछ क्षेत्र में दक्ष या अनुकूलित होते हैं हमें उन्हें समझना होगा और उन गुणों को ज्यादा उभरना निखारना होगा। अलग-अलग अनुकूलन वाले बच्चों को या विद्या ग्रहण करने वाले पात्रों को हम एक साथ ही लेकर चलेंगे

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  155. "द एनिमल स्कूल" एक बहुत ही प्रेरणादायक कहानी है और इस कहानी के माध्यम से हमें बहुत ही अच्छी सीख मिलती है। विद्यालय एवं कक्षा के सभी बच्चों में अलग अलग प्रतिभा एवं क्षमता होती है। हमे उनकी प्रतिभा एवं क्षमता के अनुरूप ही उन्हें सीखना चाहिए ।अगर हम उनकी प्रतिभा एवं क्षमता के विपरित कुछ सिखाने की कोशिश करेंगे तो वे कुछ नया तो शायद ही सीख पाए ,उनकी पहले वाली प्रतिभा एवं रुचि भी क्षीण हो जाएगी।

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  156. बच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी रूचियों ,दक्षताओं ,सामाजिक एवं वैयक्तिक अनुभवों को आधार बनाकर उन्हें समस्या समाधान हेतु सक्षम बनाना .उन्हें' जियो और जीने दो 'के भाव से लैस कर इस हेतु तत्पर बनाना।

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  157. विभिन्न स्तर के बच्चे विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करते हैं उनके क्षमता योग्यता और व्यवहार कुशलता को ध्यान में रखते हुए पढ़ाया जाना चाहिए कभी भी अनावश्यक विषय वस्तु को बच्चे के ऊपर थोप कर उसकी दक्षता को कम नहीं करना चाहिए कैसन हो कि वह बच्चा बीच में ही पढ़ाई छोड़ देंl

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  158. Bachho k vividhta ko samjhna aur unki ruchi , unki dakxta ko dhyan me rakhna.bachho k samajik parivesh ko samjhna, unper koi dabao nahi dalna.bachho k partibha ko badhana.

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  159. All children are not equal.They have different qualities.Some are proficient in one activity and some are in another.So, we have to identify their qualities and nourish them.

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  160. कहानी के माध्यम से समावेशी शिक्षा को बढ़ावा मिलती है।लेकिन इसमें विविधता का समावेशन एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है। बदलते परिवेश को ध्यान में रखते हुए बच्चो को शैक्षणिक कार्य कराना चाहिए।

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  161. विद्यार्थियों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनके अनुरूप शिक्षण कार्य करना और उनका सर्वागीण विकास करना।

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  162. विद्यार्थियों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनके अनुरूप शिक्षण कार्य करना और उनका सर्वागीण विकास करना।

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  163. विद्यार्थियों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनके अनुरूप शिक्षण कार्य करना और उनका सर्वागीण विकास करना।

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  164. अपनी कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए कहानी के आधार पर हम कह सकते है कि बच्चे में भिन्नता होती है तथा बच्चों की रूचि भी अलग-अलग होती है। अतः हमें अपने शिक्षण में बदलाव करते हुए उनकी रूचि के अनुरूप शिक्षण कार्य करना चाहिए।

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  165. विद्यार्थियों की क्षमता को पहचान कर उपयक्त शिक्षण विधि का चयन कर उन्हें दक्ष बनाना|
    -पंकज कुमार

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  166. बच्चे जो विभिन्न समस्याओं से ग्रसित हो सकते हैं लेकिन उनमे आत्मबल कम न हो, इसके लिये शिक्षक उनके अनुकूल शिक्षा दे एवम समरुप भाव बनाये रखे ताकि कक्षा मे वे अपने आप को अलग थलग महसूस न करें, इसका ध्यान शिक्षक हमेशा बनायें रखें।

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  167. हर विद्यार्थी में छिपी विशिष्टता की पहचान कर,उसे निखारने का हर संभव प्रयास करने पर ध्यान केन्द्रित करना श्रेयकर होगा, जिससे बच्चा अपनी कमियों से दूर,अपनी विशेष गुण का संवर्धन कर,उत्साह के रंग से सामाजिक दायित्वों को पूर्ण करने में सक्षम हो सके। ््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््

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  168. हमे वर्ग में बच्चों की विविधता को और उनके रुचि के अनुसार शिक्षण देना चाहिए

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  169. Sunita Teresa Hansda. K.G.B.V Ramghar. Dist - Dumka. बच्चों को सभी की अलग-अलग विशेषताओं का उल्लेख करते हुए उनका शैक्षणिक और मानसिक विकास करना ।

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  170. सभी बच्चे के रूची अलग -अलग होते है |बच्चे की दक्षता शिक्षण अधिगम को प्रभावित करती हैं |बच्चे की रूची को पाठ योजना में समाहित करना विभिन्न स्तर के बच्चे विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करते हैं उनके क्षमता योग्यता और व्यवहार कुशलता को ध्यान में रखते हुए पढ़ाया जाना चाहिए कभी भी अनावश्यक विषय वस्तु को बच्चे के ऊपर थोप कर उसकी दक्षता को कम नहीं करना चाहिए कैसन हो कि वह बच्चा बीच में ही पढ़ाई छोड़ देंl

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  171. Shikshak ko sabhi Vidyarthiyon ka sttar samjhte hue sabhi ko shisha diya jaaye. Vidyarthiyon ke kshamta anusar unko samay and dhyaan diya jaaye.

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  172. हरेक बच्चे में अलग -अलग प्रकार के कौशल एवम रूची होती है ।अतः उनके मौलिक प्रतिभा के आधार पर पढ़ाना उचित है।

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  173. कोविड-19महामारी के दौरान सभी विद्यालय बंद होने के बाद हमने विद्यार्थियों के घर-घर जाकर पुस्तक उपलब्ध कराए। उनका व्हाट्अप ग्रुप बनाया। Digi sath से प्राप्त लिंक के माध्यम से बच्चों कि पढ़ाई-लिखाई चालु रखी। परन्तु बहुत कम बच्चों के पास android phone है। अतः मोहल्ला कक्षा प्रारम्भ किया। बच्चों को सप्ताहिक क्विच में भाग लेने में मदद की

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  174. बच्चो मे विविधता होती है।उनकी विशेषताओ को परखकर उनके अनुरूप समावेशी शिक्षा प्रदान करना लाभदायक होगा।बच्चो के रूचि को ध्यान मे रखकर पाठयोजना बनाना होगा जिससे बच्चो कासमुचित विकास हो सके।

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  175. पंकज कुमार ओझा
    सहायक शिक्षक
    मध्य विद्यालय झखरा,ठाकुरगंगटी, गोड्डा (झारखंड)
    कक्षा में विभिन्न प्रतिभा,दक्षता, कौशल विकास से निपुण बच्चे आते हैं और बिल्कुल कमजोर दक्षता वाले बच्चे भी आते हैं। अपनी मर्जी सभी बच्चों पर थोप देने से उनकी अपनी प्रतिभा निखर नहीं पातीं या उसे निखरने का मौका हम नहीं दे पाते हैं। ऐसे में उनकी काबिलियत को पहचानने की जरूरत होती हैं। साथ - साथ हमें उन बच्चों को भी ध्यान रखना होता है जो बिल्कुल शांत बैठे हों। उन्हें भी बातचीत के माध्यम से उसकी रूचि अरूचि को जानकर विविधता के बीच सर्वागिण विकास पर बल देने की आवश्यकता होती है। बच्चे की वास्तविक प्रतिभा को परखकर ही हमें उसे बढ़ाने में मदद करनी चाहिए अन्यथा वे जानवरों का विद्यालय कथा के पात्र खरगोश की तरह भाग जाएंगे या फिर बतख, गिलहरी की तरह उनका मनोबल टूट जाएगा। सभी बच्चों के अंदर एक विशेष प्रतिभा छुपी होती है केवल उसे पहचानने और उसे निखार कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा हमें समस्त विदयालयी बच्चों के सर्वांगीण विकास की बातों को न भूलते हुए" सबका साथ सबका विकास"की ओर अग्रसर होना चाहिए।

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  176. Manju kumari MS Kandra chas,Bokaro Since,all children are coming from different environments & they all have different capabilities & interests.so,as a being of teacher,its our duty to recognize each & every students without any discrimination between them & we must motivate them according to their field of interest & ability.

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  177. Every child is different so as a teacher, we must give the students the opportunity to learn according to their abilities and likes

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  178. To encourage children according to their capabilities and area of interest.

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  179. विविधता में एकता के तरीके से हम अगर एक कक्षा में काम करेंगे तो आसानी से हमारा लक्ष्य की पूर्ति होगी।हमारे विद्यालय के बच्चे भिन्न परिवेश,भिन्न वर्ग,भिन्न mental ability,different socio economic background से आते हैं।हमें एक शिक्षक के नाते बहुत ही broad सोच और balance मेथोड को अपना कर कक्षा का संचालन करना होता है।

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  180. प्रत्येक बच्चे में कुछ न कुछ प्रतिभाएँ छिपी होती है शिक्षक का काम है उनके अंदर की प्रतिभाओं को पहचान कर शिक्षण की योजना बनानी चाहिए ताकि प्रत्येक बच्चा साथ-साथ सीख सके।

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  181. बच्चे में क्या प्रतिभा है,यह पता कर उसके प्रतिभा को निखारना चाहिए।अन्य बच्चों के साथ तुलना न कर सभी बच्चों को उसके आवश्यकता अनुरुप शिक्षा देनी चाहिए।

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  182. रामचन्द्र राणा ,मध्य विद्यालय डांड ,कटकमसाण्डी, हजारीबाग
    कक्षा में विविधता संसार के प्रत्येक विद्यालय में हैं । सभी विद्यार्थी अलग अलग सामाजिक परिवेश से आते हैं। उनके सामाजिक,आर्थिक स्तर भिन्न होते हैं। शिक्षकों के लिए यह आवशयक हैं कि वे सभी बातो को ध्यान देते हुए कक्षा का संचालन करें। विद्यार्थियों में यह भावना न आने दें कि वे कमजोर है या उन्हें किसी से तुलना ना करें। ऐसा करने से उनके मन में यह बात बैठ जाती हैं और वह कक्षा में पिछड़ते जाते हैं। अभी की शिक्षा व्यवस्था मे मुल्यांकन अंको के आधार पर किया जाता है और उनके सामाजिक परिवेश व आर्थिक स्थिती को नजरअंदाज किया जाता हैं ।

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  183. Anil Kumar Verma
    UMS HUDMUD SIMARIA CHATRA
    हमारे समाज में विभिन्न प्रकार के परिवेश से बच्चे विद्यालय आते हैं, उनका मानसिक/ शारीरिक /आर्थिक स्तर भी अलग-अलग होता है।हमें उन विविधताओं को स्वीकार करना होगा और विविधताओं को ध्यान में रखते हुए अपनी शिक्षण प्रणाली में सुधार या बदलाव लाना होगा। जिससे सभी छात्र छात्राओं का सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा। शिक्षण प्रक्रिया ऐसा हो कि बच्चों में जो अच्छा गुण है वह निरंतर बढ़ता रहे। जिससे बच्चों में नकारात्मक प्रभाव ना पड़े। शिक्षण के दौरान बच्चे क्रियाशील रहे। शिक्षक उनका मार्गदर्शन करते रहेंगे। उनकी रूचि का हमें विशेष ध्यान रखना चाहिए। यही समावेशी शिक्षा का उद्देश्य है।

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  184. बच्चों की रूचि और उनकी प्रतिभा को ध्यान में रखते हुए शिक्षण की योजना बनानी चाहिए ताकि प्रत्येक बच्चे साथ- साथ सिख सकें I

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  185. सभी बच्चों की क्षमता और रुचि भिन्न होती है। एक शिक्षक का कर्तव्य है कि बच्चों की रुचि और क्षमता को ध्यान में रखते हुए उनकी प्रतिभा को निखारने का प्रयास करना चाहिए तथा इस भिन्नता को आगे लेकर चलते हुए उन्हें अच्छी शिक्षा देनी चाहिए।

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  186. सभी बच्चों में अपनी एक अलग क्षमता व विशेषता होती है। विद्यालय में बच्चों के दक्षता, संस्कृति, सामाजिक परिवेश व्यवहार भिन्नता को ध्यान रखते हुए इनकी प्रतिभा के अनुरूप शिक्षण कार्य कर उन्होंने आगे बढ़ाना होगा। जिससे बच्चों को आनंद दाई शिक्षा मिल सके।।

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  187. यह गतिविधि बहुत ही रोचक थी इससे हमने यह सीखा कि बच्चों को अपने दक्षता एवं रुचियां के आधार पर ही उनका लक्ष्य का चयन करना और सही ढंग से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए क्योंकि सभी बच्चों में कुछ ना कुछ विशिष्ट गुण होते हैं!

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  188. विद्यालय में बच्चों के दक्षता, संस्कृति, सामाजिक परिवेश , व्यवहार भिन्नता को ध्यान रखते हुए इनकी अनुकूलता के आधार पर समस्या समाधान कर उनके प्रतिभा के अनुरूप शिक्षण कार्य कर आगे बढ़ाना होगा।।

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  189. इस कहानी के आधार पर निम्नलिखित मुख्य बातें सामने उभर कर आते हैं:-
    सभी बच्चों में पूर्व से कुछ न कुछ प्रतिभा मौजूद होती है जिसकी प्राप्ति उन्हें जन्मजात अथवा अपने पारिवारिक एवं सामाजिक परिवेश में होती है. अतः बच्चे इसमें पूर्व से पारंगत होते हैं. जब किसी बच्चे को कोई नया कौशल सिखाया जाता है शुरुआत में उन्हें उसे सीखने में कठिनाई होती है जो कि नियमित अभ्यास के द्वारा दूर हो जाती है एवं बच्चे नये कौशल में भी दक्ष हो जाते हैं.अगर बच्चे का ध्यान सिर्फ नये कौशल को सीखने पर ही लगवाया जाता है तो वे अपने पूर्व पारंगत कौशल को भूलने लगते है. अतः यह आवश्यक है कि शिक्षकों द्वारा विद्यालय में नये कौशलों का नियमित अभ्यास करवाने के साथ साथ उनमे पूर्व से मौजूद गुणों एवं कौशलों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए. तभी बच्चे का सर्वांगीण विकास संभव होगा.

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  190. Sare bache ki chamta alag hoti h hame kisi ko judge nhi krna chahiye aur unhe kisi se campare nhi krna h aur unki ruchi k hisab se unpe dhyn dena chahiye

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