हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की क्या भूमिका है? क्या यह अधिगम में सहायक हैं? शिक्षक व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं?
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आप अपनी कक्षा/ स्कूल में खिलौना क्षेत्र कैसे सृजित करेंगे – इस बारे में सोचें। डी-आई-वाई खिलौनों का सृजन करने में बच्चों की सहायता के लिए ...
Our daily routine is the most important factor to improve our social goodness. We should improve this quality ourselves as well as our students also.
ReplyDeleteDincharya samajik Guna mein mahatvpurn bhumika hai Jaise shikshan mein main Joda ja sakta hai aur pratidin ki uski ki karya se avgat Karate hue uske bare mein main Shiksha han Dene ka ka aasan hota hai hi aur vyaktigat Guna mein bahut aasani se a aur jaldi badlav hoti hai
Deleteहमारे दैनिक दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का बहुत प्रभाव पड़ता है।हमारे कार्यो पर सामाजिक गुणों का प्रभाव पड़ता है।निश्चित रूप से इसका प्रभाव विद्यार्थियों पर भी पड़ता है।समाजिक परिपेक्ष्य में हम कार्य भी करते हैं।
Deleteचूँकि हम सामाजिक प्राणी हैं जो जीवन की समस्त जरूरतों के लिए किसी न किसी रूप में समाज पर आश्रित हैं .परिणामतः हमें हमेशा समाज के साथ जुड़ाव बनाए रखना ही होता है .
ReplyDeleteदूसरी तरफ यह भी साफ है कि समाज में उन्हें अपेक्षाकृत अधिक सहयोग और सहानुभूति प्राप्त होती है जिन्हें समाज अच्छे इंसान के रूप में जानता है .इस सामाजिक विशेषण अथवा पहचान के मूल्याकन हेतु निर्धारित पहलुओं पर यदि गौर करें तो वे सब गुण सामने आ जाते हैं जिन्हें इस माड़यूल में व्यक्तिगत -सामाजिक गुण कहा गया है .
हम यूँ कह सकते हैं कि व्यक्तिगत -सामाजिक गुण हमारे जीवन की जटिलताओं को कम करने के अमोघ अस्त्र हैं .
यहाँ यह अंकित करना समीचीन होगा कि शिक्षा का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य भी जीवन की जटिलताओं से निजाद पाने का सामर्थ्य प्राप्त करना ही है .इस पावन कार्य को संपादित करने में शिक्षकों की अहम भूमिका है .अतएव व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों के विकास में शिक्षकों की अहम भूमिका है ,इसे नकारा नहीं जा सकता .
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Deleteप्रतिदिन की दिनचर्या में हम समाज के विभिन्न लोगों से मिलते हैं और उनसे सामंजस्य क़ायम करते हैं।दूसरों को सुनने और उन्हें सुरक्षित महसूस कराने का प्रयास करते हैं।अधिगम में ये गुण का बहुत महत्ब है।विद्यालय में विद्यार्थियों और शिक्षकों की व्यक्तिगत गुणों के साथ साथ उनमे सहिष्णुता,सहयोग,आदर,प्रेम आदि के गुण भी विकसित होते हैं जो अधिगम के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार करते हैं।ये गुण विद्यालय में अनुशासन स्थापित करते हैं।शिक्षक कक्षा शिक्षण,खेल,बागवानी,वृक्षारोपण,बाल संसद,समूह कार्य आदि के माध्यम से विद्यार्थियों में व्यक्तिगत एवम सामाजिक गुणों को विकसित करने में सहायता करते हैं।
ReplyDeleteहम जानते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है ।हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या सामाजिक और व्यक्तिगत रूप में होती रहती है, जिसमें सहयोग करना,आदर-सम्मान करना,आचार- विचार, रहन-सहन आदि गुण सम्मिलित है ।विद्यालय में बच्चे अनुशासन, खेल, वृक्षारोपण, संगीत, नाटक, समुह कार्यक्रमों आदि के माध्यम से विद्यार्थियों में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों को विकसित करने में भुमिका रहती है ।इस प्रकार यह बच्चों के अधिगम में सहायक है ।
Deleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं। प्रतिदिन हमारी दिनचर्या सामाजिक और व्यक्तिगत रूप में होती है।इसमें इसमें हम विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलते हैं।शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्देश्य से बच्चों के सामाजिक विकास,अनुशासन,दूसरों काकल्याणऔर सीखने की प्रवृत्ति है। विद्यालया में सामाजिक और व्यक्तिगत गुणों का विकास होताहै।
ReplyDeleteशिक्षण अधिगम की सफलता बच्चों के परिवेश, सामाजिक स्तर, जाति, लिंग एवं उसके दैनिक गतिविधि प्रभावित करता है |शिक्षण गतिविधि बच्चों के इन सभी बातों को ध्यान देकर बनाना चाहिए |
ReplyDeleteहमे अपने शिक्षण अधिगम में बच्चो के लिए हर प्रकार का गतिविधि को सामिल करना होगा।
ReplyDeleteशिक्षण अधिगम की सफलता बच्चों के परिवेश, सामाजिक स्तर, जाति, लिंग एवं उसके दैनिक गतिविधि प्रभावित करता है|शिक्षण गतिविधि बच्चों के इन सभी बातों को ध्यान देकर बनाना चाहिए |
ReplyDeleteHmare pratidin k dincharya me vyaktigat samajik guno ki bahut aham bhumika hoti hai.kyuki hum samaj se sabse pahle prabhavit hotel hai or agar hmara smaj ek adarsh smaj hai to isse hme adhigam me v labh hota hai.ek shikshak prerna shrot hire hai we vyaktigat samajik guno ko badhane me kati had Tak sahayak hotel hai.
ReplyDeleteसामाजिक मूल्यों के पोषण मेंं सामाजिक गुणों का महत्वपूर्ण योगदान है। आज समाज की जो भयानक और डरावनी तस्वीरें उभरकर सामने आ रही हैं उसका कारण सामाजिक मूल्यों का ह्रास ही है। स्वस्थ और सुरक्षित समाज के विकास में सामाजिक गुणों का होना नितांत आवश्यक है। विद्यालय का परिवेश एक ऐसा परिवेश है जहां नैतिक मूल्यों का व्यक्तिगत पोषण में ना सिर्फ प्रवेश कराया जाता है बल्कि उसके समुचित विकास के लिए हर संभव सकारात्मक पहलुओं को अपनाया भी जाता है।
ReplyDeleteमानव एक ऐसा प्राणी है जो समाज में रहता है। समाज के सभी व्यक्ति का परिवेश अलग अलग होता है जो लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। यह प्रभाव सकारातमक और नाकारात्मक दोनों होता है। अतः हमें शिक्षण अधिगम में इन बातो का ध्यान रखना चाहिए।
ReplyDeleteVyakti ek samajik prani h jo samaj m rhta h. Samajik parivesh sakaratamak r nakaratmak dono hota h. .school m sahi r galat k fark btaya jta h r sugam samajik sambandh bnane ki Sikh di jti h
ReplyDeleteसुप्रभात।।
ReplyDeleteहमारे प्रत्येक दिन के दिनचर्या में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का बड़ा ही अहम भूमिका है।। शिक्षक एक आईने की तरह है जो सामाजिक एवं व्यक्तिगत गुणों का स्वामी होता है। विशेषकर हमारे अंदर परिलक्षित होने वाले गुणों का विद्यालय बच्चे हैं अवलोकन करते हैं। अगर हमारे व्यक्तिगत सामाजिक गुण अच्छे नहीं होंगे तो उसके परिणाम हमारे विद्यालय बच्चों के ऊपर शाहजी देखने को मिलेंगे, क्योंकि बच्चे हमारे आदर्श और वसूलो पर चलते हैं बच्चे हैं एवंपैनी नजर से हमारे आदतों एवं गुणों को अपने ऊपर चलने का प्रयास करते हैं।।अतः एक शिक्षक के रूप में हमें हर संभव प्रयास रखना है कि अपना व्यक्तित्व अपना आदर्श अपना सामाजिक एवं व्यक्तिगत गुणों का निरंतर श्रेष्ठता प्राप्त करें।।
शिक्षण अधिगम में हमारे इन गुणों का काफी महत्व है और इनके बिना हम एक आदर्श शिक्षक नहीं बन सकते हैं।।
सुप्रभात।।
ReplyDeleteहमारे प्रत्येक दिन के दिन चर्चा में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का बड़ा ही महत्व है।।हमारे व्यक्तित्व एवं आदर्श जितना ऊंचा होगा हमारे स्वाभिमान भी उतना ही बड़े लगेंगे साथ ही साथ विद्यालय में अध्ययनरत सभी छात्र छात्रा को उच्च जीवन विचार प्राप्त करने में सहायक होंगे।। कारण यह है कि विद्यालय के सभी छात्र छात्राएं शिक्षक के आदर्श एवं उसूलों को अपने जीवन में उतारने का भरसक प्रयास करते हैं।। हम शिक्षक एक आईने के समान है जो इन बच्चों को उनकी भाभी जीवन को उच्चतर एवं आदर्श प्रदान करने में सहायक होते हैं।। शिक्षा के क्षेत्र में योग गुणों का बड़ा ही अहम योगदान है और इसके बिना हम एक आदर्श शिक्षक की श्रेणी या श्रेष्ठता नहीं प्राप्त कर सकते हैं।।
हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की महती भूमिका है। इससे दूसरों के प्रति हमारे सकारात्मक एवं नकारात्मक भाव विकसित होते हैं। यह अधिगम में बहुत सहायक है। शिक्षक अपने अंदर इन गुणों का विकास कर बच्चों में बढ़ाने में महती भूमिका निभाते हैं।
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ReplyDeleteDincharya samajik Guna mein mahatvpurn bhumika hai Jaise shikshan mein main Joda ja sakta hai aur pratidin ki uski ki karya se avgat Karate hue uske bare mein main Shiksha han Dene ka ka aasan hota hai hi aur vyaktigat Guna mein bahut aasani se a aur jaldi badlav hoti hai
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, हमारी प्रत्येक दिन की सामाजिक गतिविधियों का समाज पे असर पड़ता है।इस अवधारणा को शिक्षक और बड़ा सकते हैं।
ReplyDeleteप्रतिदिन दिनचर्या में व्यक्तिगत समाजिक गुणों की अति महत्वपूर्ण भूमिका है। यह छात्रों को अपने मित्र, परिवार के सदस्य, समाज, विद्यालय से बाहर की दुनियाँ आदि के साथ खुद को सामंजस्य स्थापित करने में मदद पहुंचाता है।
ReplyDeleteव्यक्तिगत सामाजिक गुणों का अधिगम के क्षेत्र में अति महत्वपूर्ण भूमिका है।
एक शिक्षक विभिन्न खेल,शारिरिक शिक्षा, परस्पर वार्तालाप, सकारात्मक सोंच आदि क्रियाकलापों द्वारा शिक्षार्थियों में सामाजिक गुणों को बढ़ावा देते हैं।
वयक्तिक और सामाजिक जीवन में उन सभी सद्गुणों का समायोजन करना आवश्यक है जिससे ना केवल स्वयं का विकास होता है बल्कि एक सुदृढ स और सशक्त समाज के निर्माण में भी अहम भूमिका निभाता है क्योंि जो व्यक्ति के लिए अच्छा और उचित है वो समाज के लिए भी स्वीकार्य है और जो व्यक्ति के लिए अनुचित है वह जाहिर सी बात है कि समाज के लिए भी अस्वीकार्य है। ईर्ष्या द्वेश की भावना , सीनियर जूनियर की भावना ,को दूर कर बच्चों में प्रेम, सहयोग, दया आदि भावनाओ का संचार करना है जिससे सबका साथ सबका विकास की भावना यथार्थ में चरितार्थ हो सके।
ReplyDeleteयह कोर्स उचित मनविया गुणों के विकास को सुदृढता प्रदान करता है और पूरे समाज के लिए लाभकारी सोच उत्पन करता और कराता है।
ReplyDeleteवयक्तिक और सामाजिक जीवन में उन सभी सद्गुणों का समायोजन करना आवश्यक है जिससे ना केवल स्वयं का विकास होता है बल्कि एक सुदृढ स और सशक्त समाज के निर्माण में भी अहम भूमिका निभाता है क्योंि जो व्यक्ति के लिए अच्छा और उचित है वो समाज के लिए भी स्वीकार्य है और जो व्यक्ति के लिए अनुचित है वह जाहिर सी बात है कि समाज के लिए भी अस्वीकार्य है। ईर्ष्या द्वेश की भावना , सीनियर जूनियर की भावना ,को दूर कर बच्चों में प्रेम, सहयोग, दया आदि भावनाओ का संचार करना है जिससे सबका साथ सबका विकास की भावना यथार्थ में चरितार्थ हो सके।
ReplyDeleteवयक्तिक और सामाजिक जीवन में उन सभी सद्गुणों का समायोजन करना आवश्यक है जिससे ना केवल स्वयं का विकास होता है बल्कि एक सुदृढ स और सशक्त समाज के निर्माण में भी अहम भूमिका निभाता है क्योंि जो व्यक्ति के लिए अच्छा और उचित है वो समाज के लिए भी स्वीकार्य है और जो व्यक्ति के लिए अनुचित है वह जाहिर सी बात है कि समाज के लिए भी अस्वीकार्य है। ईर्ष्या द्वेश की भावना , सीनियर जूनियर की भावना ,को दूर कर बच्चों में प्रेम, सहयोग, दया आदि भावनाओ का संचार करना है जिससे सबका साथ सबका विकास की भावना यथार्थ में चरितार्थ हो सके।
ReplyDeleteReply
Everybody performs certain functions in a group.Take, for example, the production team.Here people are joined together by other interests, as well as those production, they exchange certain political, moral, aesthetic, scientific and other values.A group generates public opinion,its sharpen and polishes the mind and shapes the character and with.
ReplyDeleteIt is sometimes said that society carries the individual as a river carries a boat.
मनुष्य एक समाजिक प्राणी है।हमारी प्रत्येक दिन की दिनचर्या में हमारी और हमसबों की व्यक्तिगत समाजिक गुणों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ReplyDeleteहमारा यही गुण विशेषता हमारे, परिजन,हमारे समाज,हमारे विद्यालय एवं विद्यालय परिवार, हमारे इष्ट मित्रों एवं हमारे संपर्कित तमाम लोगों साथ स्वयं का तालमेल बनाने सामंजस्य स्थापित करने में महती भूमिका अदा करता है।
अधिगम के क्षेत्र में यह और भी प्रबलता के साथ अपनी भूमिका और उद्देश्य बयां करता है। इसके बैगेर सफल और असरकारक अधिगम की अपेक्षा निरर्थक है।
एक अध्यापक विभिन्न प्रकार की गतिविधियों से, व्यायाम, योग, खेल,शारिरिक शिक्षा, स्वस्थ वादविवाद, सकारात्मक विचार, कैंप टुर, समाजिक दौरा, प्रोजेक्ट वर्क, संसाधनों का सही उपयोग आदि क्रियाकलापों द्वारा बच्चों विद्यार्थीयों में सामाजिक गुणों को समावेशन कर एक उत्कृष्ट नागरिक के गुणों को उभार सकते हैं और एक सफल मानवीय गुणों से युक्त नागरिक बना सकते हैं। देते हैं।
हमे शिक्षण अधिगम मे बच्चो के सर्वागीण विकास के लिए पाठ आधारित गतिविधियो के अलावा नैतिक शिक्षा पर आधारित गतिविधियो को शामिल करना होगा।
ReplyDeleteManusya ek samajik prani hai.hum apne samaaj se parivesh se bahut kuch seekte hai,vyaktigat samajik gun hamare jeevan ki jalita ko kam karne mai aham bhumika nibhata hai,yah hame anushshit karta hai aur kartavyanistha ke marg par nirantar chalne ke liye prerit karta hai
ReplyDeleteBaiktigat tatha samajik view is important. A teacher can help students to form a positive perspective of others belief and thought.
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों कि महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि हम मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं। प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग भावनाएं होती है।
ReplyDeleteव्यक्तिगत-सामाजिक अधिगम में सहायक है कयोंकि शिक्षक और छात्र दोनों एक दूसरे को समझने और उसकी सराहना करने के लिए व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों को समझता है तो इस प्रकार एक स्वस्थ कक्षा और विधालय का निर्माण होता है जो बच्चों के जीवन में उनके अधिगम और वयवहार को प्रभावित करता है। P.S.DARDMARA, DEOGHAR
सेवा भाव के साथ हमेशा सहायता के लिए उपलब्ध रहना एवं आपसी सौहार्द बनाये रखना ही हमारी मुख्य भूमिका है I शिक्षक समाज का आईना होते हैं, उनके द्वारा किये गए कार्य उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किये जाते हैं निश्चित रूप से शिक्षक की भूमिका अधिगम में सहायक है और व्यावहारिक एवं सामाजिक भूमिका अच्छी तरह निभाते हैं
ReplyDeletemanushya ek samajik prani hai ,aise mein vyaktigat samajik gunon ka hona mahatwapurna hai,wah samaj se prem,sahyog,aadar, samanubhuti jaise anek gunon ko sikhta hai.ye gun shikshan ko prabhvi banane mein sahayak hai.Shikshak samaj ke darpan hain , vidyalay ka shikshan vatavaran taiyar karne mein mahatwapurna yogdan hai,enhi vyaktigat-samajik gunon ka prayog kar bachchon ke chaturdik vikas ki neenv rakhte hain.
ReplyDeleteBoth social skill(samajik gun) and personal qualities (vyaktigat gun) are highly important in anyone's life. Playing a vital role.. influences people around us too. As a teacher if I consider, being social never fascinated me as it influences my children i.e., my students. We need to be what we are as future generations are following us. People are born to do their karma and so we need to take care of it and always do our jobs. We have to be sure we don't disappoint our creator and be sure about values to be safed ..
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं। प्रतिदिन हमारी दिनचर्या सामाजिक और व्यक्तिगत रूप में होती है।इसमें इसमें हम विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलते हैं।शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्देश्य से बच्चों के सामाजिक विकास,अनुशासन,दूसरों काकल्याणऔर सीखने की प्रवृत्ति है। विद्यालया में सामाजिक और व्यक्तिगत गुणों का विकास होताहै।
ReplyDeleteराम चन्द्र मिश्र 17/10/2020
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। हम व्यक्तिगत रूप से भी समाज में समाहित है। दोनों एक-दूसरे के पूरक है। शिक्षक एवं विद्यार्थी भी समाज के अभिन्न अंग है।मनुष्य का विकास समाज से ही होता है। बच्चे समाज तथा स्कूल से समाजिक और व्यक्तिगत गुणों को सीखता है। इस प्रकार सर्वांगीण विकास होता है।
Baiktigat tatha samajik view is important. A teacher can help student to from a positive. Perspective of other belief and thought.
ReplyDeleteहमारे प्रत्येक दिन के दिन चर्चा में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का बड़ा महत्व है। शिक्षक एक आईने की तरह समाज के लिए काम करता है उनका व्यक्तित्व जितना ऊंचा और सरल होगा वह उतने प्रतिभावान वाले व्यक्तित्व का स्वामी बनेंगे। बच्चों हमेशा शिक्षक की बातों का अमल करते हैं एवं उनके आदर्श एवं उसूलों को अपने जीवन पर उतारने का सार्थक प्रयास हमेशा करते हैं। इसीलिए सामाजिक एवं व्यक्तिगत गुणों का विकास करना प्रत्येक शिक्षक का परम कर्तव्य है।। शिक्षण अधिगम में शिक्षकों का व्यक्तित्व एवं आचरण का बड़ा ही महत्व है।।
ReplyDeleteप्रतिदिन व्यगत्तिगत और सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं। प्रतिदिन हमारी दिनचर्या सामाजिक और व्यक्तिगत रूप में होती है।इसमें इसमें हम विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलते हैं।शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्देश्य से बच्चों के सामाजिक विकास,अनुशासन सीखने की प्रवृत्ति है। विद्यालय में सामाजिक और व्यक्तिगत गुणों का विकास होताहै।
ReplyDeleteस्वस्थ और सुरक्षित समाज के विकास में सामाजिक गुणों का होना नितांत आवश्यक है। विद्यालय का परिवेश एक ऐसा परिवेश है जहां नैतिक मूल्यों का व्यक्तिगत पोषण में ना सिर्फ प्रवेश कराया जाता है बल्कि उसके समुचित विकास के लिए हर संभव सकारात्मक पहलुओं को अपनाया भी जाता है।
ReplyDeleteशिक्षण अधिगम की सफलता बच्चों के परिवेश, सामाजिक स्तर, जाति, लिंग एवं उसके दैनिक गतिविधि प्रभावित करता है|शिक्षण गतिविधि बच्चों के इन सभी बातों को ध्यान देकर बनाना चाहिए
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। हमें सदैव सामाजिक,आर्थिक, सांस्कृतिक, व्यक्तिगत, अध्यात्मिक आदि गुणों के सकारात्मक विकास से विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास कर सकते हैं।
ReplyDeleteSunita Teresa Hansda. K.G.B.V. Ramghar. Dist - Dumka. हमें बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए पाठ आधारित गतिविधियों के अलावा नैतिक शिक्षा पर आधारित गतिविधियों, सामाजिक गतिविधियाँ और दलगत कार्यों पर आधारित शैक्षणिक गतिविधियों को भी शामिल करना चाहिए।
ReplyDeleteएक सुन्दर और स्वस्थ समाज के निर्माण में सामाजिक एवं नैतिक गुणों का होना अत्यंत आवश्यक है जिसमें शिक्षकों की भूमिका अहम होती है|शिक्षक, विद्यालय परिवेश में सामाजिक और नैतिक मूल्यों का पोषण व्य़क्तिगत रूप से बच्चों में एवं उनके समुचित विकास के लिए सकारात्मक रूप से सतत् प्रयत्नशील रहते हैं|
ReplyDeleteHmare pratidin k dincharya me vyaktigat samajik guno ki bahut aham bhumika hoti hai.kyuki hum samaj se sabse pahle prabhavit hotel hai or agar hmara smaj ek adarsh smaj hai to isse hme adhigam me v labh hota hai.ek shikshak prerna shrot hire hai we vyaktigat samajik guno ko badhane me kati had Tak sahayak hotel hai.
ReplyDeleteमानव एक ऐसा प्राणी है जो समाज में रहता है। समाज के सभी व्यक्ति का परिवेश अलग अलग होता है जो लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। यह प्रभाव सकारातमक और नाकारात्मक दोनों होता है। अतः हमें शिक्षण अधिगम में इन बातो का ध्यान रखना चाहिए
ReplyDeleteAs we know that Early to bed Early to rise makes a man health wealthy and wise...so we should follow this idioms and should also teach our students to follow this one of the most important idioms in our daily lives
ReplyDeletePartidin k jivan me vayktigat ,samajik guno ka bhut mahtav hai.school me teacher apne in guno k dwara students k samne aadarsh bntye hai.in guno k adhar per hi students me prem , help, bagwani,saaf safai jaise guno ka vikash hota hai
ReplyDeleteहमारे प्रतिदिन के दिनचर्या में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का बड़ा महत्व है। यह अधिगम में सहायक है। शिक्षण अधिगम में शिक्षकों का व्यक्तित्व एवं आचरण का काफी महत्व है। शिक्षक कक्षा शिक्षण , खेल, बागवानी वृक्षारोपण, समूह कार्य आदि के माध्यम से विद्यार्थियों में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों को विकसित करने में सहायता करते है। शिक्षण अधिगम की सफलता बच्चों के परिवेश , सामाजिक स्तर , जाति, लिंग, एवं उसके दैनिक गतिविधियों को प्रभावित करता है।अतः शिक्षण गतिविधियों में इन सभी बातों का ध्यान रखना चाहिए।
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं। प्रतिदिन हमारी दिनचर्या सामाजिक और व्यक्तिगत रूप में होती है।इसमें इसमें हम विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलते हैं।शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्देश्य से बच्चों के सामाजिक विकास,अनुशासन,दूसरों काकल्याणऔर सीखने की प्रवृत्ति है। विद्यालया में सामाजिक और व्यक्तिगत गुणों का विकास होताहै।
ReplyDeleteहमारा व्यक्तिगतगुण हमारी दैनिक जटिलताओं को कम करने में बहुत ही सहायक है यह रोजमर्रा की जिंदगी को आसान बनाती है साथ ही दूसरे के साथ व्यवहार कुशल कैसे बनी के लिए मार्ग प्रशस्त करती है छात्रों की व्यक्तिगत गुणों को शिक्षक निखार सकता है सामाजिक परिवेश में उन्नति के शिखर पर पहुंचने के लिए व्यक्तिगत गुणों का होना अत्यंत आवश्यक है
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की भूमिका बहुत ही अहम है। क्योंकि, प्रतिदिन हमारी दिनचर्या ही इन्हीं रूपों में होती है। इसके अंतर्गत हम-सब अपने घरों में, सड़कों पर, बाजार में, अस्पताल में,या विधालय आदि में अलग-अलग लोगों से मिलते-जूलते रहते हैं। इन्हीं लोगों से हम सब रोज कुछ न कुछ सीखते ही रहते हैं। जो कि एक निरंतर प्रक्रिया है।
ReplyDeleteहां, निसंदेह हम कह सकते है कि,यह भूमिका हमारे अधिगम में महत्वपूर्ण सहायक है।
तथा शिक्षक व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों को बढ़ाने में बहुत ही अहम भूमिका निभाते हैं । इस आशय से इंकार नहीं किया जा सकता है।
I think personnel and social views are very essential for everyone. It may helps a student to take experiences regarding happening around the world
ReplyDeleteसामाजिक,आर्थिक, सांस्कृतिक, व्यक्तिगत, अध्यात्मिक आदि गुणों के सकारात्मक विकास से विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास कर सकते हैं
ReplyDeleteसामाजिक,आर्थिक, सांस्कृतिक, व्यक्तिगत, अध्यात्मिक आदि गुणों के सकारात्मक विकास से विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास कर सकते हैं
ReplyDeleteHamari pratidin ki dincharya me byaktigata samajik guno ki bisesh bhumika hai..uske upar hamara byabohar kaisa hoga nirbhar karta hai..shikshak byaktigata-samajik guno ki badhane k liye aham bhumika rakhti hai..
ReplyDeleteव्यक्तिगत और सामाजिक गुण हमें आत्मविश्वास से परिपूर्ण व्यक्ति बनने में सहायता करती है यह अधिगम को आनंदमयी बनाता है। शिक्षक अपने व्यवहार तथा समर्थन द्वारा विद्यार्थियों में इन गुणों को बढ़ाते हैं।
ReplyDeleteBaiktigat tatha samajik view is important . A teacher can help student to from a positive of other belief and thought.
ReplyDeleteव्यक्तिगत और सामाजिक गुणों को विकसित करने में शिक्षक की भूमिका बहुत हद तक जिम्मेवार होती है, इसे नाकारा नहीं जा सकता
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। प्रतिदिन हमारी दिनचर्या की शुरुआत सामाजिक और व्यक्तिगत रूपों में होती है। प्रतिदिन हम नए नए लोगों से मिलते हैं एवं उनके अनुभवों से कुछ ना कुछ जरूर सीखते हैं। शिक्षा का उद्देश्य है या नहीं है कि केवल साक्षरता,उच्च शिक्षा क्षमताओं का विकास हो बल्कि नैतिक, सामाजिक तथा समस्या समाधान क्षमताओं का भी विकास हो।
ReplyDeleteहां यह अधिगम में सहायक है तथा शिक्षक व्यक्तिगत तथा सामाजिक गुणों को बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं।
हमारा व्यक्तिगतगुण हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को आसान बनाती है तथा व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का अधिगम के क्षेत्र में अति महत्वपूर्ण भूमिका है।
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।अधिगम के क्षेत्र में इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है ।शिक्षक व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्यों कि वे विद्यार्थियों के आदर्श होते हैं।
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है।
ReplyDeleteहर ब्यक्ति का सामाजिक परिवेश अलग होता है जो लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित करता है।यह प्रभाव सकरात्मक औऱ नकारात्मक दोनों होता है।शिक्षण अधिगम में इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।एक शिक्षक के रूप में हमें सकरात्मक माहौल को विकसित करना चाहिए।
ReplyDeleteDincharya samajik Guna mein mahatvpurn bhumika hai Jaise shikshan mein main Joda ja sakta hai aur pratidin ki uski ki karya se avgat Karate hue uske bare mein main Shiksha han Dene ka ka aasan hota hai hi aur vyaktigat Guna mein bahut aasani se a aur jaldi badlav hoti hai
ReplyDeleteDincharya samajik Guna mein mahatvpurn bhumika hai Jaise shikshan mein main Joda ja sakta hai aur pratidin ki uski ki karya se avgat Karate hue uske bare mein main Shiksha han Dene ka ka aasan hota hai hi aur vyaktigat Guna mein bahut aasani se a aur jaldi badlav hoti hai
ReplyDeleteHmara har din Ka suruwat samajik or viyaktigat rup se hota h. Isme sakaratmak nakaratmak dono prakar k log rhte h. Parantu ek sikshak ko dhyan rakhna h ki wo Apne aas pas sakaratmak mahol bnaye..
ReplyDeleteWe are a social animal and our daily routine is the most important factor to improve our social goodness sikchhan adhigam ki prapti m vyaktigat samajik Gino ki sham bhumika h because I hi qualities k dwara hamare aur students k bhich mazboot sambandh k nirmaan hota h Jo adhigam prapti m aaham sopan h
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, प्रतिदिन की दिनचर्या में सामाजिक मूल्य के पोषण में समाज की भी महत्वपूर्ण योगदान होता है, वर्त्तमान में समाज की जो स्थिति है इससे पता चलता है की सामाजिक मूल्यों की ह्रास हो चुकी है परन्तु ऐसे भी लोग हैं जो सामाजिक मूल्यबोध को समझते हैं समाज की भलाई के लिए अपने को समर्पित करते हैं l विद्यालय भी एक एक सामाजिक परिवेश है जहाँ शिक्षक के व्यक्तिगत गुणों का बहुत मायने रखता है जिससे बच्चे निडर होकर शिक्षक से व्यक्तिगत पोषण प्राप्त करते हैं जो बच्चों की एवं समाज की समुचित विकास के लिए सहायता मिलता है l
ReplyDeletei beg to say that this content is fabulas.
ReplyDeleteहम सभी एक सामाजिक प्राणी है। शिक्षकों का फर्ज है कि वह अपने समाज के लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने का प्रयास करें। बच्चों को प्रतिदिन व्यायाम एवं योग करने के लिए प्रेरित करते रहे।
ReplyDeleteसामाजिक और व्यक्तिगत रूप में होती है।इसमें इसमें हम विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलते हैं।शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्देश्य से बच्चों के सामाजिक विकास,अनुशासन,दूसरों काकल्याणऔर सीखने की प्रवृत्ति है। विद्यालया में सामाजिक और व्यक्तिगत गुणों का विकास होताहै।
ReplyDeleteHmare pratidin ki dinçhrya me vayktigat samajik guno ki bhut aham bhumika hoti hai. Ye adhigam me shayak hota hai. School me teacher apne in guno ke dwara students ke samne aadarsh bnte hai.
ReplyDeleteHAMARE PRATIDIN KE DINCHRYA ME BAKTIGAT SAMAJIK GUNO KE MAHATTAPURNA BHUMIKA HAI.
ReplyDeleteसमाज के हर व्यक्ति में अलग अलग गुण होते है |शिक्षक होने के नाते सबका ख्याल रखते हुए विद्यालय में उचित परिवेश तैयार करना हमारी जिम्मेदारी है |
ReplyDeleteहमारे दिनचर्या मे व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की भूमिका बहुत अहम है, समाज के प्रति हमारी सोच, व्यवहार, नज़रिया आदि प्रभाव अन्य लोगों पर पड़ता है।
ReplyDeleteव्यक्तिगत सामाजिक गुण अधिगम के लिए सहायक का कार्य करता है। एक शिक्षक इन गुणों को स्कूली छात्रों के व्यक्तिगत जीवन में बढ़ावा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे बच्चों मे समाज के प्रति साकारात्मक सोच विकसित हो सके।
बच्चे भिन्न भिन्न सामाजिक ,आथिर्क एवं संस्कृतिक पृष्ठभूमि से आते हैं साथ ही उनकी क्षमताएं और रूचि अलग अलग होती है।इस प्रकार ऊनके विविधताओं को ध्यान में रख कर शिक्षण कार्य करना जिससे समावेशी शिक्षा का उद्देश्य पूरा हो सके।
ReplyDeletekisi ne thik he kaha hai person ek samajik prani hai jo jeevan ke samsth jaroot ke liye kisi na kisi rup me samaj par asrit hai pranam tah hamesa samaj ke sath juraw baneye rakhna hai dusri taraf yah bhi saf hai ki samaj me unhe adhik sahyog aur sahnobhuti pratap hyoti hai jinhe insaan ke rup me janta haisamjik pahachaN KA mulyankan karne hatu gaur se dekha jaye to sabhi gur pratap ho te hai jinhe is module me yatigat samajik gurn kaha jata hai
ReplyDeletejugni madam
ReplyDeletekisi ne thik he kaha hai person ek samajik prani hai jo jeevan ke samsth jaroot ke liye kisi na kisi rup me samaj par asrit hai pranam tah hamesa samaj ke sath juraw baneye rakhna hai dusri taraf yah bhi saf hai ki samaj me unhe adhik sahyog aur sahnobhuti pratap hyoti hai jinhe insaan ke rup me janta haisamjik pahachaN KA mulyankan karne hatu gaur se dekha jaye to sabhi gur pratap ho te hai jinhe is module me yatigat samajik gurn kaha jata hai
हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिकत सामाजिक गुणों की अहम् भूमिका है। व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को अपनाते हुए अधिगम की प्रक्रिया को समावेशी अवं सुदृढ़ बनाने में सहायक सिद्ध होता है।
ReplyDeleteEk teacher ko har bacche ka sahi dhayan rakhte hue school me uchit parewesh tayar karna chahye.
ReplyDeleteबच्चें बहुत सारे व्यक्तिगत सामाजिक गुण कक्षाओं के बाहर सीखते हैं । जैसे आपसी सहयोग, किसी की बातों को सुनना, अपनी बातों को सुनाना, समूह में कुछ करना और भी बहुत कुछ ।ये सारी चीजें अधिगम में बच्चों को सहायता पहुंचातीं है ंं।एक शिक्षक भी जब बच्चों से प्रार्थना, खेलकूद, शैक्षणिक गतिविधि,कक्षा में सुनना, सुनाना,प्रोत्साहन देना, उत्साहित करना जैसे कार्य करते हैं तब वे व्यक्तिगत सामाजिक व्यवहारों को बढ़ावा देने का कार्य करते हैं ।
ReplyDeleteVayaktigat aur samajik guno ko biksit karne me teacher ki bhumika bahut mahatwapurn hoti hai.Ise innkar ya nakara nhi kiya ja sakta.
ReplyDeleteएक स्वस्थ समाज और सुंदर समाज के निर्माण में सामाजिक एवं नैतिक गुणों का होना अत्यंत आवश्यक है जिसमें शिक्षकों की भूमिका अहम होती है|हमें सदैव सामाजिक,आर्थिक, सांस्कृतिक, व्यक्तिगत, आदि गुणों के सकारात्मक विकास से विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास कर सकते हैं।
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। जो समाज में निवास करता है।प्रतिदिन हमारी दिनचर्या सामाजिक एवं व्यक्तिगत रूप में होती है। शिक्षक एक आईने की तरह है, जो सामाजिक एवं व्यक्तिगत व गुणों का स्वामी होता है। हमारे व्यक्तित्व एवं आदर्श जितना ऊंचा होगा हमारे स्वाभिमान भी उतना ही बड़े लगेंगे, साथ ही साथ विद्यालय में अध्ययनरत सभी बच्चों को उच्च जीवन विचार प्राप्त करने में सहायक होंगे।
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, वह समाज में अन्य लोगों से जुड़े रहना चाहता है। इसके लिए उसकी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुण झलकता है,वह दूसरे के साथ जैसा व्यवहार करेगा,उसके साथ भी वैसा ही व्यवहार होगा यह गुण,उसके अधिगम में बहुत ही सहायक होंगे वह इसके माध्यम से विद्यार्थियों में सहानुभूति परानुभूति,सहयोग की भावना,सकारात्मक सोच, एवं विभिन्न नैतिक गुणों का विकास कर सकता है।
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| यह अधिगम में सहायक है| शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं|
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। मनुष्य का सामाजिक होना पारस्परिक संबंध को दर्शाता है। मनुष्य की अनन्त आवश्यकता की पूर्ति सामाजिक सहयोग से ही सम्भव है। मनुष्य की दैननदिनी में व्यक्ति गत/सामाजिक गुण परिलक्षित होते हैं।अतः हम यह कह सकते है कि यह अधिगम में सहायक है, क्योंकि शिक्षक व्यक्तिक गुणो से युक्त हो सामाजिक गुणों की अभिवृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन कर सकते हैं।
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है| यह अधिगम में सहायक है| शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं|
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है मनुष्य समाज में ही रहना पसंद करता है इसलिए मनुष्य में सामाजिक गुणों का समावेश होना जरूरी है
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्या भी अधिगम के विभिन्न सोपान है। विद्यालय में सर्वसमर्थ वातावरण का निर्माण एक शिक्षक के हाथों में है, जहां बच्चों द्वारा किया जाने वाला सामूहिक कार्य उनमें अनेक व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का विकास करता है।
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं। प्रतिदिन हमारी दिनचर्या सामाजिक और व्यक्तिगत रूप में होती है।इसमें इसमें हम विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलते हैं।शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्देश्य से बच्चों के सामाजिक विकास,अनुशासन सीखने की प्रवृत्ति है। विद्यालय में सामाजिक और व्यक्तिगत गुणों का विकास होता है
ReplyDeleteस्वस्थ और सुरक्षित समाज के निर्माण में वयक्ति में सामाजिक गुणों का विकास जरूरी है। विद्यालय का परिवेश छात्रों के नैतिक व सामाजिक गुणों जैसे सहयोग,आदर,प्रेम
ReplyDeleteसहिष्णुता के विकास में सहायक होता है, जो अधिगम के
लिए साकारात्मक वातावरण तैयार करते हैं।
Bacho ko unki apni language me padhaya jay to jyada samajh payenge
ReplyDeleteप्रतिदिन की दिनचर्या में हम समाज के विभिन्न लोगों से मिलते हैं और उनसे सामंजस्य क़ायम करते हैं।दूसरों को सुनने और उन्हें सुरक्षित महसूस कराने का प्रयास करते हैं।अधिगम में ये गुण का बहुत महत्ब है।विद्यालय में विद्यार्थियों और शिक्षकों की व्यक्तिगत गुणों के साथ साथ उनमे सहिष्णुता,सहयोग,आदर,प्रेम आदि के गुण भी विकसित होते हैं जो अधिगम के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार करते हैं।ये गुण विद्यालय में अनुशासन स्थापित करते हैं।शिक्षक कक्षा शिक्षण,खेल,बागवानी,वृक्षारोपण,बाल संसद,समूह कार्य आदि के माध्यम से विद्यार्थियों में व्यक्तिगत एवम सामाजिक गुणों को विकसित करने में सहायता करते हैं।
ReplyDeleteहमारी प्रत्येक दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका है । चूँकि मनुष्य सामाजिक प्राणी है इसलिये उसे समाज में रहने के सामाजिक मानक मूल्यों का पालन करना होता है।
ReplyDeleteविद्यालय का वातावरण विद्यार्थियों और समाज के लिए उनके व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विद्यार्थियों की अधिगम के दौरान भावनाएं एक महत्वपूर्ण भूमिका निभातीं हैं। सकारात्मक सोच और नकारात्मक सोच का भी बच्चों पर अच्छा या बुरा असर पड़ता है।
शिक्षक समाज का आईना होता है। शिक्षक का व्यक्तित्व आद्रश होगा तो बच्चे भी अनुशासित और प्रतिभाशाली होंगे।
हमें शिक्षण अधिगम में बच्चो के सर्वागिण विकास के लिए पाठ आधारित गतिविधियां के अलावा नैतिक शिक्षा पर आधारित गतिविधियों को शामिल करना होगा/
ReplyDeleteहमें शिक्षण अधिगम में बच्चो के सर्वागिण विकास के लिए पाठ आधारित गतिविधियां के अलावा नैतिक शिक्षा पर आधारित गतिविधियों को शामिल करना होगा/
ReplyDeleteहमें शिक्षण अधिगम में बच्चो के सर्वागिण विकास के लिए पाठ आधारित गतिविधियां के अलावा नैतिक शिक्षा पर आधारित गतिविधियों को शामिल करना होगा/
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ReplyDeleteOur personal and social behaviour in day to day life has a great impact in teaching and learning.It works like a tuning setter.positivity in the class is a must.A teacher may have vast knowlege but without positive personal and social behaviour he can not deliver what he ought to.
ReplyDeleteमनुष्य सामाजिक प्राणी है। समाज में सामाजिक गुणों का विकास होता है। साथ ही साथ उसका नैतिक विकास भी होता है। ये गुण कक्षा शिक्षण में काफी सहायक होते है और अधिगम को बढ़ावा देते है।
ReplyDeleteएक शिक्षक के रूप में हमें हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए कि सामाजिक एवं व्यक्तिगत गुणों का निरंतर विकास हो। शिक्षक को चाहिए कि अधिगम में बच्चों के समुचित विकास के लिए पाठ आधारित गतिविधियों के अलावे नैतिक शिक्षा पर भी बच्चों का ध्यान आकृष्ट करे।
ReplyDeleteउमेश चंद्र साह
राजकीय मध्य विद्यालय सालतोला
रानीशवर, दुमका
Hamare jeewan me vyaktigt samajik guno ki bahut bhumika h.ye hamare adhigam ko prabhawit krte h.Ek teacher ki isme atyant mukhya bhumika h.Jo jitna hi samajik hota h wo utna hi safal hota h.ye gun hamare vyaktitwa ki visestayen h.Divya Sinha
ReplyDeleteTara Kumari . UMS Khilkinari, Jama, Dumka । हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। हमारी साकारात्मक गुणों के विकास से ही स्मरण,विकर्षित एवं अनुसाशित समाज का निर्माण होगा।
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है विद्यार्थियों को विद्यालय से विविध अनुभव प्राप्त होते हैं जिससे वह सामाजिक जीवन के हर तरह की परिस्थितियां एवं चुनौतियां को स्वीकार करने में सक्षम हो और अच्छी तरह से अपने जीवन में सफलता पानी के लिए प्रयास करते हैं!
ReplyDeleteहम एक सामाजिक प्राणी है और हमें समाज में हर समय रहना पड़ता है । समाज में घटित घटनाओं का असर हमारे जीवन पर पड़ता है। हम शिक्षक हैं। अतः हमें अपने अंदर के सामाजिक और व्यक्तिगत गुणों का पहचान करना है, उन आदर्शों का पहचान करना है, जिससे समाज में एक आदर्श स्थापित हो सके। हमारे सकारात्मक और नकारात्मक सोच विद्यालय के वातावरण में, विद्यालय में अध्ययनरत बच्चे तथा समाज को प्रभावित करती है इसलिए अपने अंदर वैसे व्यक्तिगत गुणों का विकास करें , सामाजिक गुणों का विकास करें ,जो एक आदर्श बन सके।
ReplyDeleteहमारी दिनचर्या में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का एक अहम भूमिका है।यह अधिगम में मदद करता है। जिससे एक व्यक्ति का संस्कारी होना यह बतलाता है कि वह एक बेहतर नागरिक हैं,जो देश निर्माण में सहायक होगा
ReplyDeleteसुलोचना मराण्डी सहायक शिक्षिका
बालक मध्य विद्यालय बरहरवा
साहेबगंज
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।सृष्टि से ही मनुष्य को सबसे ऊंचा स्थान मिला है। चूंकि मनुष्य बुद्धि जीवी प्राणी है और शिक्षा से ही बुद्धि का विकास होता है। सामाजिक प्राणी होने के नाते सामाज के सारे सकारात्मक गुण का विकास से विद्याथिर्यों का सर्वांगीण विकास संभव है।
ReplyDeleteHamari dincharya mein vyaktigat AVN samajik gunon ka bahut hi mahatvpurn bhumika hai. Ham log ek samajik prani hai aur samaj ke sath ham log Jude hue hain. Ham log shikshak warg se Hain aur ham log vidyarthiyon ko samaj ke sath uchit vyavhar tatha vyaktigat AVN samajik guno ko sikhane mein main madad karte Hain jisse vah aage chal kar samaj mein ek Adarsh nagrik ban sake.
ReplyDeleteहमारे प्रत्येक दिन की दिनचर्या में विभिन्न रुपों में सामाजिक और व्यतिगत किर्या- कलाप शामिल रहते हैं, क्योंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु उनमें इन सामाजिक और व्यक्तिगत गुणों जैसे-सहयोग, सहनशीलता, संवेदनशील,पुनरानुभूति..का विकास होना आवश्यक है, जो समाज या विद्यालय के सर्वसमर्थ वातावरण में ही सम्भव है। विश्वनाथ यादव (बोकारो)
ReplyDeleteहमारे दैनिक दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का बहुत प्रभाव पड़ता है।हमारे कार्यो पर सामाजिक गुणों का प्रभाव पड़ता है।निश्चित रूप से इसका प्रभाव विद्यार्थियों पर भी पड़ता है।समाजिक परिपेक्ष्य में हम कार्य भी करते हैं।
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। हम सामज् में विभिन् प्रकार के लोगो से मिलते-जुलते है। शिक्षा का महत्वपुर्न् उदेश्य बच्चोंं के सामाजिक विकास,अनुशासन,एक दूसरे की सहायता और सीखने की प्रवृति में है। और स्कूल में ही बच्चोंं को सामाजिक और विविभिन् प्रकार का विकास होता है।
ReplyDeleteचूँकि हमलोग एक सामाजिक प्राणी हैं। अतः हमारे प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसका सीधा प्रभाव हमारे जीवन,समाज तथा संस्कृति से है। ये हमें आपस में सामंजस्य स्थापित करने हेतु सहायता प्रदान करती है। इसकी सकारात्मक चीजें विधार्थी जीवन की आधारशिला है। ये उनके व्यवहारिक,वैश्विक स्तर एवं अधिगम का आधार है। व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की विकास में शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्योंकि एक आदर्श शिक्षक की पहचान इन्हीं गुणों से होती है।
ReplyDeleteChuki manav samajik prani ha atah hamari pratidin ki din charya me vyaktigat- samajik gunon ki aaham bhumika ha.Iska prabhav sakaratmak aur nakaratmak dono ho sakta ha.Ha yah adhigam me sahayak ha.Ek teacher prabhavi sahayak ke roop me apne school me vyaktigat-samajik gunon ko badhane bhumika nibha sakte ha.
ReplyDeleteHamari pratidin ki dincharya me vyaktigat-samajik gunon ki aaham bhumika ha.iska positive aur negative dono effect parta ha.sakaratmak bhavnaye adhigam me sayak jabki nakaratmak bhavnaye adhigam me badha dalti ha.Teacher vyaktigat-samajik gunon ko badhane me aaham bhumika nibhate ha.
ReplyDeleteRakesh kumar Ranjan
M S Ranibahal
हमारी दैनिक दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों का होना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इससे हम समाज के साथ सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं और स्वयं तथा समाज के विकास के लिए उपयोगी कारक है।अधिगम में इनकी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि जो भी हम सीखते हैं उसका प्रयोग इसी समाज के बीच रहकर करते हैं।इस कार्य में शिक्षक एक मज़बूत भूमिका निभाते हैं।
ReplyDeleteहम प्रत्येक दिन समाज के विभिन्न लोगों से मिलते रहते हैं,दूसरों को सुनते हैं और उनसे सामंजस्य करने का प्रयत्न करते हैं। अधिगम में यह गुण एक महत्वपूर्ण है। एवं अधिगम के लिए साकारात्मक वातावरण तैयार करने में सहायक होता है।
ReplyDeleteहमारे दैनिक जीवन मैं सामाजिक परिवेश का बहुत बड़ा प्रभाव होता है मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है इसलिए समाज से जुड़ा रहता है अपने दैनिक जीवन के कार्य समाज से जुड़कर करता है इसलिए अधिगम मैं इसकी बहुत बड़ी भूमिका होती है अक्सर देखा जाता है आसपास के वातावरण से बच्चे बहुत कुछ सीख जाते हैं अच्छा या बुरा बच्चों के ऊपर सामाजिक गुणों का बहुत बड़ा प्रभाव होता है जिससे जोड़कर शिक्षकों को बच्चों को समझना होता है
ReplyDelete1.हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की महती भूमिका है।
ReplyDelete2.यह अधिगम में सहायक है .
3.इससे दूसरों के प्रति हमारे सकारात्मक एवं नकारात्मक भाव विकसित होते हैं। यह अधिगम में बहुत सहायक है।
4. शिक्षक अपने अंदर इन गुणों का विकास कर बच्चों में बढ़ाने में महती भूमिका निभाते हैं।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं।हमें मानव कल्याण के लिए ऐसा कार्य करना चाहिए, जो कि लोगों के लिए लाभप्रद हो।सभी के साथ अच्छी सोच का उपज करना बेहतर होगा।लोगों को सामाजिक सद्भभावना के साथ सहभागिता होनी चाहिए।
ReplyDeleteसमाज मानव द्वारा बनाया गया है। इसलिए यह जरूरी है कि शिक्षक के रूप में हमें समाज के मुद्दों और बारीकियों की पूरी समझ हो। यह छात्रों की वर्तमान स्थिति और वातावरण को समझने में मदद करता है और इसलिए उचित शिक्षा सुनिश्चित करता है। हां, शिक्षक इस प्रक्रिया में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं। प्रतिदिन हमारी दिनचर्या सामाजिक और व्यक्तिगत रूप में होती है।इसमें इसमें हम विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलते हैं।शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्देश्य से बच्चों के सामाजिक विकास,अनुशासन,दूसरों काकल्याणऔर सीखने की प्रवृत्ति है। विद्यालया में सामाजिक और व्यक्तिगत गुणों का विकास होताहै।
ReplyDeleteमनुस्य एक सामाजिक प्राणी होने के नाते उनका व्यवहार अलग अलग होता है यह उनके सामाजिक आर्थिक परिपेक्ष्य पर निर्भर करता है
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहकर अपने अन्दर अनेक व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास करता है। यह प्रकिया जन्म के साथ ही शुरू हो जाती हैं। कक्षा में भी हम बच्चों में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास करने का प्रयास करते हैं।
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है प्रतिदिन हमारी दिनचर्या से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है शिक्षक इस में महत्वपूर्ण योगदान निभाते हैं
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं।हमें समाजिक सदभावना को लचीला करना चाहिए।साथ ही बच्चों को भी सामाजिक कार्यों के प्रति प्रेरित करना चाहिए।
ReplyDeleteशिक्षक की प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षण में होती है जो कक्षा में बच्चों द्वारा अधिगम किया जाता है तदनुसार वे भी अपनी व्यक्तिगत सामाजिक जीवन में तथा समूह में कार्य निष्पादन अपनी संस्कृति आदि गुणों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ReplyDeleteप्रतिदिन की दिनचर्या में हम समाज के विभिन्न लोगों से मिलते हैं और उनसे सामंजस्य क़ायम करते हैं।दूसरों को सुनने और उन्हें सुरक्षित महसूस कराने का प्रयास करते हैं।अधिगम में ये गुण का बहुत महत्ब है।विद्यालय में विद्यार्थियों और शिक्षकों की व्यक्तिगत गुणों के साथ साथ उनमे सहिष्णुता,सहयोग,आदर,प्रेम आदि के गुण भी विकसित होते हैं जो अधिगम के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार करते हैं।ये गुण विद्यालय में अनुशासन स्थापित करते हैं।शिक्षक कक्षा शिक्षण,खेल,बागवानी,वृक्षारोपण,बाल संसद,समूह कार्य आदि के माध्यम से विद्यार्थियों में व्यक्तिगत एवम सामाजिक गुणों को विकसित करने में सहायता करते हैं।हम जानते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है ।हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या सामाजिक और व्यक्तिगत रूप में होती रहती है, जिसमें सहयोग करना,आदर-सम्मान करना,आचार- विचार, रहन-सहन आदि गुण सम्मिलित है ।विद्यालय में बच्चे अनुशासन, खेल, वृक्षारोपण, संगीत, नाटक, समुह कार्यक्रमों आदि के माध्यम से विद्यार्थियों में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों को विकसित करने में भुमिका रहती है ।इस प्रकार यह बच्चों के अधिगम में सहायक है ।
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ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्चा में व्यक्तिगत समाजिक गुणों की अहम भूमिका है।शिक्षण कार्यों मे बच्चों से जुड़ाव का यह बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। शिक्षकों को हमेशा अपनी इन गुणों को बेहतर बनाने का प्रयास करते रहना चाहिए।
ReplyDeleteप्रतिदिन की दिनचर्या में हम समाज के विभिन्न लोगों से मिलते हैं और उनसे सामंजस्य क़ायम करते हैं।दूसरों को सुनने और उन्हें सुरक्षित महसूस कराने का प्रयास करते हैं।अधिगम में ये गुण का बहुत महत्ब है।विद्यालय में विद्यार्थियों और शिक्षकों की व्यक्तिगत गुणों के साथ साथ उनमे सहिष्णुता,सहयोग,आदर,प्रेम आदि के गुण भी विकसित होते हैं जो अधिगम के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार करते हैं।ये गुण विद्यालय में अनुशासन स्थापित करते हैं।शिक्षक कक्षा शिक्षण,खेल,बागवानी,वृक्षारोपण,बाल संसद,समूह कार्य आदि के माध्यम से विद्यार्थियों में व्यक्तिगत एवम सामाजिक गुणों को विकसित करने में सहायता करते हैं।हम जानते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है ।हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या सामाजिक और व्यक्तिगत रूप में होती रहती है, जिसमें सहयोग करना,आदर-सम्मान करना,आचार- विचार, रहन-सहन आदि गुण सम्मिलित है ।विद्यालय में बच्चे अनुशासन, खेल, वृक्षारोपण, संगीत, नाटक, समुह कार्यक्रमों आदि के माध्यम से विद्यार्थियों में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों को विकसित करने में भुमिका रहती है ।इस प्रकार यह बच्चों के अधिगम में सहायक है ।
ReplyDeletevery good activety
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यतिगत सामजिक गुणें का बहुत प्रभाव पड़ता हैं। हमारे कामों पर सामाजिक गुणों का इसका प्रभाव निश्चित रूप से इसका प्रभाव विद्यार्थियों पर भी पड़ता हैं। अतः हमें प्रति दिन सकारात्मक व स्वच्छ दृष्टिकोण के साथ शिक्षण कार्य करना चाहिए। हाँ यह अधिगम में सहायक हैं।
ReplyDeleteNishtha training jharkhand is a very good training for teacher
ReplyDeletehamari pratidin ki dicharya me beyaktigat samajik gunong kabahut prabhav parta hai.hame Prati din sakaratmak va swach dristikon me sath sikchan karya karna chahiey.yah adhigam me sahayak hai
ReplyDeleteजिस प्रकार एक मुस्कराता हुआ प्रसन्न चित चेहरा सहज ही आकषिर्त करता है और सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करता है उसी प्रकार अच्छा व्यवहार, सहयोग की भावना, स्वस्थ दृष्टि कोण, क्षमाशीलता आदि व्यक्ति गत गुण सामाजिक व्यवहार का विकास एवं र्निमाण करता है! शिक्षक अपने
ReplyDeleteइन गुणों के द्वारा बच्चों को अच्छा माहौल एवं सहजता से सीखने का अवसर प्रदान कर सकता है!
BINAY KUMAR PANDEY हमारे दिनचर्या में ब्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका होती है।यह गुण ही हमे लोगो से जोड़ता है।ब्यक्तिगत सामाजिक गुण सीखने के लिए पहला पायदान प्रदान करता है।यह अधिगम में अधयक है।शिक्षक अपने कौशल द्वारा इसका पोषण एवम बृद्धि करते है।
ReplyDeleteSocial & personal qualities play a vital roles in daily routine life of teachers as well as students by creating safe & healthy school environments.Their learning processes are directly influenced by these qualities that help in developing positive thinking in students.
ReplyDeleteहमारे दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका होती है, कुछ बच्चे शिक्षक के गुण, व्यवहार को देखकर अपने को ढालते हैं लेकिन कुछ इन्ही बच्चों के गुण, व्यवहार देखकर अपने व्यवहार बदलते हैं
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यतिगत सामजिक गुणें का बहुत प्रभाव पड़ता हैं। हमारे कामों पर सामाजिक गुणों का इसका प्रभाव निश्चित रूप से इसका प्रभाव विद्यार्थियों पर भी पड़ता हैं। अतः हमें प्रति दिन सकारात्मक व स्वच्छ दृष्टिकोण के साथ शिक्षण कार्य करना चाहिए।
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। हमारे दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका होती है। यह गुण ही हमें समाज से जुड़े रहने में मददगार साबित होता है। व्यक्तिगत सामाजिक गुण सीखने की पहली कडी है। यह अधिगम में सहायता करता है और एक शिक्षक अपने कौशल के द्वारा इसका पोषण और वृद्धि कर सकता है।
ReplyDeleteAnil Kumar Verma
ReplyDeleteUMS HUDMUD SIMARIA CHATRA
समाज के सभी व्यक्ति का परिवेश अलग अलग होता है जो लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। यह प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों होता है।
सामाजिक मूल्यों के पोषण में सामाजिक गुणों का महत्वपूर्ण योगदान है। आजकल समाज की जो भयानक, डरावनी मैसेज उभर कर सामने आ रही है उसका कारण है सामाजिक मूल्यों का ह्रास होना। स्वस्थ और सुरक्षित समाज के विकास के लिए सामाजिक गुणों का होना अति आवश्यक है।
विद्यालय परिवेश एक ऐसा परिवेश है जहां छात्रों में नैतिक मूल्यों का व्यक्तिगत पोषण में न सिर्फ प्रवेश कराया जाता है बल्कि उसके समुचित विकास के लिए हर संभव सकारात्मक पहलुओं को अपनाया भी जाता है।
हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका होती है, मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, तथा एक दूसरे से मेल मिलाप रखते हैं और एक दूसरे के आर्थिक सामाजिक व आर्थिक सामाजिक स्थिति में सहयोग भी करते हैं। शिक्षक विद्यालय में बागवानी, प्रार्थना, खेलकूद, बाल संसद आदि कार्य कराते हैं, इससे बच्चों में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ावा मिलता है और इससे बच्चे अनुशासित तथा प्रतिभाशाली होते हैं।
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, मारे प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका होती है मनुष्य एक दूसरे को सामाजिक तथा आर्थिक रूप में सहयोग करता है इसी तरह विद्यालय में शिक्षक बागवानी प्रार्थना खेलकूद बाल संसद आदि कार्य कराते हैं। बच्चे को नैतिक शिक्षा का भी ज्ञान कराते हैं इससे बच्चे को व्यक्तिगत तथा सामाजिक गुणों को बढ़ावा देता है Soni Kumari m.s.koriyasa deoghar
ReplyDeleteहम समाज का एक घटक हैं। जो जीवन की समस्त जरूरतों के लिए किसी न किसी रूप में समाज पर आश्रित हैं।
ReplyDeleteदूसरी तरफ यह भी साफ है कि समाज में उन्हें अपेक्षाकृत अधिक सहयोग और सहानुभूति प्राप्त होती है जिन्हें समाज अच्छे इंसान के रूप में जानता है .इस सामाजिक विशेषण अथवा पहचान के मूल्याकन हेतु निर्धारित पहलुओं पर यदि गौर करें तो वे सब गुण सामने आ जाते हैं जिन्हें इस माड़यूल में व्यक्तिगत -सामाजिक गुण कहा गया है .
हम यूँ कह सकते हैं कि व्यक्तिगत -सामाजिक गुण हमारे जीवन की जटिलताओं को कम करने के अमोघ अस्त्र हैं .
शिक्षा का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य भी जीवन की जटिलताओं से निजात पाने का सामर्थ्य प्राप्त करना ही है।इन गुणों के विकास में शिक्षक की अहम भूमिका है।इसे नकारा नहीं जा सकता।
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ReplyDeleteहमारे प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की हम भूमिका है। क्योंकि शिक्षक विद्यार्थियों के लिए एक रोल मॉडल होता है। शिक्षक जो कार्य करते हैं बहुत सारे छात्र उसकी नकल करते हैं।य कारण है कि शिक्षक अपने में अच्छे गुणों का पालन करने वाला हो ताकि छात्र भी अपने शिक्षक की तरह अच्छे गुणों को अपनाएं।
ReplyDeleteव्यक्तिगत सामाजिक गुण विद्यार्थियों के अधिगम में सहायक होता है। शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ावा देने में अहम किरदार अदा करते हैं। शिक्षक विद्यार्थियों के लिए उत्कृष्ट और बेहतर इंसान होता है इसलिए हर एक शिक्षक को अपने अंदर व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को आत्मसात करने वाला होना चाहिए।
शिक्षक
अखलाक अहमद
राजकीयकृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय
चामरोम, दुलमी, रामगढ़, झारखंड
भारत विविधताओं से भरा देश है। जिस प्रकार मनुष्य देखने में रंग रूप, से भिन्न भिन्न होता है। उसी प्रकार उनके विद्या अर्जन कौशल में भी अंतर देखने को मिलते हैं।। सभी बच्चों के प्रति समदर्शी की भावना विकसित कर उन्होंने शिक्षा प्रदान करना है।
ReplyDeleteमानव एक ऐसा प्राणी है जो समाज में रहता है। समाज के सभी व्यक्ति का परिवेश अलग अलग होता है जो लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। यह प्रभाव सकारातमक और नाकारात्मक दोनों होता है। अतः हमें शिक्षण अधिगम में इन बातो का ध्यान रखना चाहिए।
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं। प्रतिदिन हमारी दिनचर्या सामाजिक और व्यक्तिगत रूप में होती है।इसमें इसमें हम विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलते हैं।शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्देश्य से बच्चों के सामाजिक विकास,अनुशासन,दूसरों काकल्याणऔर सीखने की प्रवृत्ति है। विद्यालया में सामाजिक और व्यक्तिगत गुणों का विकास होता है ।
ReplyDeleteअच्छे व्यक्तियों से ही अच्छा समाज बनता है. किसी देश की उन्नति के लिए यह महत्वपूर्ण है. अच्छे व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण हमें सीखने और सिखाने दोनों ही क्षेत्रों में मदद करते हैं.
ReplyDeleteBacchon mein vyaktigat samagik gunon ke
ReplyDeletevikas se hi unka sarvangin Vikas sambhv hai.jisse des ke Vikas mein ve apna mahtwapurn yogdaan de sake
मानव एक ऐसा प्राणी है जो समाज में रहता है। समाज के सभी व्यक्ति का परिवेश अलग अलग होता है जो लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। यह प्रभाव सकारातमक और नाकारात्मक दोनों होता है। अतः हमें शिक्षण अधिगम में इन बातो का ध्यान रखना चाहिए।
ReplyDeleteमानव एक ऐसा प्राणी है जो समाज में रहता है। समाज के सभी व्यक्ति का परिवेश अलग अलग होता है जो लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। यह प्रभाव सकारातमक और नाकारात्मक दोनों होता है। अतः हमें शिक्षण अधिगम में इन बातो का ध्यान रखना चाहिए।
ReplyDeleteहमारे सारे कार्य व्यक्तिगत तथा सामाजिक परिप्रेक्ष्य में ही होते हैं ।हम प्रतिदिन अनेकों लोगों से मिलते-जुलते हैं, उनके विचारों व्यवहारों को समझते हैं तथा उसके अनुरूप अपने विचारों और व्यवहारों में परिवर्तन भी लाते है।अर्थात प्रतिदिन के कार्य से हमारा व्यवहार परिवर्तन होता है और इसी को अधिगम कहते हैं ।एक शिक्षक के रूप में हम बच्चों के साथ विद्यालय में जो कार्य करते हैं वह बच्चों के विभिन्न प्रकार से अधिगम में सहायक होता है ।
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।समाज में अलग-अलग तरह के लोग रहते हैं और उनका दृष्टिकोण भी अलग अलग होता है। अतः ऐसी स्थिति में बच्चों में सामाजिक एवं व्यकितक गुणों का विकास पर शिक्षकों को ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि वे अपने समाज में सामंजस्य स्थापित कर सके।
ReplyDeleteमनुष्य एक सामजिक प्राणि है।प्रतिदिन हामरे दिनचर्या सामाजिक और व्यक्तिगत रुप मे होतीहै।इसमें हम विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलते है।शिक्षा का महत्पूर्ण उद्देश्य से बच्चों में सामाजिक विकास, अनुशासन दूसरों क़े कल्याण करने की क्षमता का विकास होता है।
ReplyDeleteDincharya samajik Guna mein mahatvpurn bhumika hai Jaise shikshan mein main Joda ja sakta hai aur pratidin ki uski ki karya se avgat Karate hue uske bare mein main Shiksha han Dene ka ka aasan hota hai hi aur vyaktigat Guna mein bahut aasani se a aur jaldi badlav hoti hai
ReplyDeleteDincharya samajik Guna mein mahatvpurn bhumika hai Jaise shikshan mein main Joda ja sakta hai aur pratidin ki uski ki karya se avgat Karate hue uske bare mein main Shiksha han Dene ka ka aasan hota hai hi aur vyaktigat Guna mein bahut aasani se a aur jaldi badlav hoti hai
DeleteThanks
हम एक सामाजिक व्यक्ति हैं और हमारी दिनर्चया बच्चों के अधिग एवं सामाजिक व्यवहार से जुड़ा है ।
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।समाज में ही व्यक्तिगत, सामाजिक एवं नैतिक गुणों का विकास होता है।ये गुण कक्षा शिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।अतः शिक्षको को व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों को बढ़ाने पर बल देना चाहिए।
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की बहुत अहम भूमिका है । इसमें कोई दो राय नहीं है कि एक विलक्षण प्रतिभासम्पन्न शिक्षक छात्रों के अधिगम स्तर को बढ़ाने में सहायक होते हैं । शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को निःसंदेह बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाते हैं।
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ReplyDeleteDuniya ka hr jiv chahe o mnusya ho ya pasu apne ka ek smaj hota hai Jahan dono hi apne smaj ke tuor trike onhe samaj se milta hai ar smaj ke sath rhkr rhkr hi Vivian prakar ka Gyan v prpt hota hai. Samaj se hi mnusya ka naitik samajik at vyaktigt sdgunon ka vikash awm smvardan hota hai. Ar yhi gun class me bachon ko siksha pradan krne me mhtwapurn bhumika nibhata hai . Isliye teacher ko in guno ke vikash krne PR jor dena hi chahiye.
ReplyDeletePRAKASH MUNDU
Ms ROWAULI Bandgaon
ReplyDeleteहमारे दैनिक दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों का बहुत प्रभाव पड़ता है।हमारे कार्यो पर सामाजिक गुणों का प्रभाव पड़ता है।निश्चित रूप से इसका प्रभाव विद्यार्थियों पर भी पड़ता है।समाजिक परिपेक्ष्य में हम कार्य भी करते हैं।अतः ऐसी स्थिति में बच्चों में सामाजिक एवं व्यकितक गुणों का विकास पर शिक्षकों को ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि वे अपने समाज में सामंजस्य स्थापित कर सके।
Teacher samaj ka aaena hota hai aapne school ke baccho ka role modal hai . esliye hamare daynik dincarya ka samaj par parbhao parta hai . teacher hi bacchon me beyaktik-samajik guno ka vikas kar sakta hai
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का अहम भूमिका है।शिक्षक समाज का आईना होता है।एक शिक्षित समाज के निर्माण में बड़ा योगदान है। समाज में रहकर विद्यार्थियों के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए उसके व्यक्तिगत और सामाजिक संबंधों को प्रभावी ढ़ंग से संवाद करने के कौशलो को विकसित करते हैं ताकि वे अपने व्यक्तिगत सामाजिक और। शैक्षणिक पहलू में सर्वश्रष्ठ प्रदर्शन का सके।कक्षा में शिक्षक विद्यार्थियों के व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों जैसे देखभाल,चिंता,संवेदनशीलता,स्वीकृति,सहानुभूति,सहयोग आदि भावना को अपनाने के लिए अनुकूलन वातावरण बनाने में मदद करता है।यह अधिगम में सहायक है।विद्यालय में विभिन्न समाज के बच्चे ,विभिन्न प्रकार के अनुभव लेकर आते हैं। उन गुणों को पहचान कर छात्र के विश्वाश उसकी भावनाओं,उनके विचार प्रक्रिया और व्यवहार में बदलाव लाते है ताकि वे अपने शैक्षणिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन आर सके।साथ ही एक शिक्षित समाज का निर्माण कर सके।
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है.प्रतिदिन हमारी दिनचर्या सामाजिक और व्यक्तिगत रूप मे होती है. इसमें भी
ReplyDeleteहम विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलते हैं. शिक्षण अधिगम की सफलता बच्चों के परिवेश सामाजिक स्तर, जाति, लिंग और दैनिक गतिविधि प्रभावित करता he. शिक्षण गतिविधि इन बातो को ध्यान मे रखकर बनाना चाहिए.
बच्चों के परिवेश जाति, लिंग एवं दैनिक गतिविधि को प्रभावित करती हैं, शिक्षण गतिविधि इन बातों पर ध्यान में रख कर करना चाहिए.
ReplyDeleteMain is a social animal. I live also our society. Our daily routine is the most important factor to improve our social goodness. We should improve this quality ourselves as well as our students also.
ReplyDeleteBy
HEMANT KR. BAURI
UMS BABUDIH URDU CHAS 2 BOKARO.
मबच्चों के परिवेश जाति, लिंग एवं दैनिक गतिविधि को प्रभावित करती हैं, शिक्षण गतिविधि इन बातों पर ध्यान में रख कर करना चाहिए.
ReplyDeleteव्यक्तिगत सामाजिक गुण प्रत्येक व्यक्ति के दिनचर्या का अहम हिस्सा है, यह व्यक्ति के सर्वागीण विकास में सहायक है! रानी कुमारी
ReplyDeleteHamari Pratidin ki routine vyaktigat Samajik Hamare Jivan Ko Aage badhane Mein madad Karta Hai Kyunki manushya Ek Samajik prani hai ya adhigam Mein sat pratishat madadgar Sahayak Hai Shikshak vyaktigat Samajik unko padhaane Mein margdarshak ki Bhumika nibhate Hain
ReplyDeleteMD MERAZ AHMAD
ReplyDeleteहम सभी के दैनिक दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का बहुत प्रभाव पड़ता है।सामाजिक गुणों का हमारे कार्यों पर काफ़ी प्रभाव पड़ता रहता है और इससे हमारे शिष्यों पर प्रभाव पड़ ही जाता है।
Physical activities should be performed by us in accordance to maintain physical,mental and educational development
ReplyDeleteBeyaktigat samajik gunn, dainik jivan ke liye kafi aham hai,samajik prani hone ke karan samajik achha byahoar jaruri hai.
ReplyDeleteहमारे दैनिक जीवन में सामाजिक एवं व्यक्तिगत गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका है। विद्यार्थियों के जीवन पर इसका प्रभाव निश्चित रूप से पडता है। चूँकि विद्यालय भी समाज का ही एक अंग है, अतः विद्यालय और समाज की हर गतिविधि का प्रभाव विद्यार्थियों के जीवन और अधिगम पर पडता है। शैक्षिक वातावरण जितना सहज, व्यवहारिक और सवेंदनशील होगा, अधिगम उतना ही आसान होगा। इसमें सभी की साकारात्मक भूमिका होनी आवश्यक है।
ReplyDeleteअनन्त कुमार हाँसदा (गोड्डा)
Hamare pratidin ki dincharya me vyaktigat samajik goono ko bhoomika bahut mahtwapoorna hoti hai kyonki hum ek samaj me rahte hai jaha hum ek doosro kii achhi baaton se sikh kar aage badhte hai. Jaise agar mere bhaiya mere mata- pita kaa aadar karte hai to ise dekhkar hum v oonka aadar aur samman karenge. Haa ye adhigam me sahayak hota hai isse humse chhatra bahut achhi tarah se jood jaate hai.shikchhak vyaktigat samajik goono ko badhane me bahut mahatvapoorna bhumika nibhate hai. Chhatra shikchhako dwara pradarshit achhe goono ko apne andar samahit karne kaa prayas karte hai aur ek khushhaal samaj banane me apni bhumika ko nibhate hai.
ReplyDeleteमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। व्यक्तिगत गुणों के साथ साथ सामाजिक गुणों का भी प्रभाव पड़ता है। कक्षा में शिक्षक विद्यार्थियों के व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों जैसे देखभाल, चिंता, दया, सहानुभूति, सहयोग आदि की भावना को अपनाने के लिए अनुकूलन वातावरण बनाने में मदद करता है। यह अधिगम में सहायक है।
ReplyDeleteकुमारी माधुरी उ म वि तेतुलिया
चंदन कियारी बोकारो।
हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में वक्तिगत सामाजिक गुणों का महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। हमें समाज में हर समय रहना पड़ता है। जो बच्चों के जीवन पर बहुत प्रभाव डालता है
ReplyDeleteIndividual social merit ka hamare jiwan men bahut mahattwa hai bachchon men iske samaweshan hetu teacher ki aham bhumika hoti hai teacher bachchon KE bhawishya nirmata hotel hain
ReplyDeleteनिश्चित रूप से हम सबो की दैनिक दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का काफी महत्व है।वास्तव में व्यक्ति की सामरिक सफलता में उसके सामाजिक गुणों का महत्व ही सबसे ज्यादा होता है।एक शिक्षक को पर प्रभावशाली होने के लिए भी उनमें सामाजिक गुणों यथा कुशल व्यवहार,दया,क्षमा,सहानुभूति,आदर-सम्मान,एकरूपता आदि का होना परम् आवश्यक है।वास्तव में इसके बिना एक शिक्षक न ही प्रभावी शिक्षण की परिकल्पना कर सकता है और न ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की अवधारणा को ही स्थापित किया जा सकता है।अतः व्यक्ति की सामरिक सफलता में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों के महत्व को समझते हुए छात्रों के अंदर भी इन गुणों का विकास करना परम् आवश्यक हो जाता है।वास्तव में एक शिक्षक अपने आप को तब ही कुशल शिक्षक हो पायेगा जब व पाठ्य-पुस्तक की विषयवस्तु के अतिरिक्त उपरोक्त सामाजिक गुणों का विकास के मार्ग को भी प्रशस्त करे।
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में हम समाज के लोगो से मिलते जुलते रहते है, चूँकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। एक अच्छे ब्यक्तित्व एवं स्वच्छ समाज की कल्पना करना ब्यक्तिगत सामाजिक गुणो के बिना अधूरी है। जिसका हमारे परिवेश,समाज एवं विद्यालय परिवार पर गहरा प्रभाव डालता है।
ReplyDeleteचूँकि स्वस्थ और सुंदर समाज के निर्माण में सामाजिक गुणों का समाहित होना आवश्यक है,जिसको कि हम विद्यालय में छात्रों को नैतिक गुणों के साथ साथ व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों से रुबरु कराते है जिससे बच्चो में समाज के प्रति सकारत्मक सोच विकसित होने में सहायक सिद्ध होते है। अत:व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का अधिगम में नि:संदेह सहायक है।
शिक्षक छात्रों को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से यथा प्रार्थना,खेल कूद,भ्रमण,बाल संसद ईत्यदि से छात्रो में व्यग्तिगत एवं सामाजिक ब्यवहारो के प्रति परिचय एवं ईसके गुणों को अपने में समाहित करने का प्रयत्न करते हैं।
Personal social qualities play an important role in our day to day life.We should try our best to develop it among students.
ReplyDeleteमानव स्वभाव से एक चिंतनशील प्राणी है। जो व्यक्तिगत व सामाजिक रूप से एक स्वस्थ सामाजिक परिवेश के निर्माण में अपनी महती भूमिका का निर्वहण के साथ साथ एक आदर्श स्थापित करता है। एक योग्य शिक्षक बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए निरंतर क्रियाशील रह कर समाज को एक नई दिशा प्रदान करता है। संजय कुमार झा ,सहायक शिक्षक ,उत्क्रमित उच्च विद्यालय छोटीरणबहियार रामगढ़ दुमका
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका है ।सामाजिक वातावरण व्यक्तिगत गुणों को विकसित करने के लिए एक संदर्भ बनाता है ।यह अधिगम में सहायक है क्योंकि अधिगम प्रक्रिया में भावनाएं एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं ।सकारात्मक भावनाएं अधिगम को सुविधाजनक बनाती है जबकि नकारात्मक भावनाएं अधिगम में बाधा डालती है ।शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में निम्नलिखित भूमिका निभाते हैं:(1)आवश्यक गुणों और कोशलो का विकास करने में ।(2)ऐसा परिवेश निर्मित करने में जहाँ सभी स्वीकार्य महसूस करें, उनमें आत्मविश्वास जगे,वे ये महसूस करें कि वे एक दूसरे की भलाई के लिए तत्पर हो।
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यतिगत सामजिक गुणें का बहुत प्रभाव पड़ता हैं। हमारे कामों पर सामाजिक गुणों का इसका प्रभाव निश्चित रूप से इसका प्रभाव विद्यार्थियों पर भी पड़ता हैं। अतः हमें प्रति दिन सकारात्मक व स्वच्छ दृष्टिकोण के साथ शिक्षण कार्य करना चाहिए। हाँ यह अधिगम में सहायक हैं।
ReplyDeleteहमारे दैनिक दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का बहुत प्रभाव पड़ता है।हमारे कार्यो पर सामाजिक गुणों का प्रभाव पड़ता है।निश्चित रूप से इसका प्रभाव विद्यार्थियों पर भी पड़ता है।समाजिक परिपेक्ष्य में हम कार्य भी करते हैं।
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ReplyDeleteहमारे दैनिक दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों का बहुत प्रभाव पड़ता है।हमारे कार्यो पर सामाजिक गुणों का प्रभाव पड़ता है।निश्चित रूप से इसका प्रभाव विद्यार्थियों पर भी पड़ता है।समाजिक परिपेक्ष्य में हम कार्य भी करते हैं।अतः ऐसी स्थिति में बच्चों में सामाजिक एवं व्यकितक गुणों का विकास पर शिक्षकों को ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि वे अपने समाज में सामंजस्य स्थापित कर सके
Prabir Kumar Shaw ,H.S.Karaikela.
मनुष्य एक सामजिक प्राणी है I प्रतिदिन हमारी दिनचर्या व्यक्तिगत रूप से शुरू होकर सामाजिक रूप में खत्म होती है, प्रति दिन हम भिन्न- भिन्न प्रकार के लोगों से मिलते है I शिक्षा का महत्वपूर्ण उदेश्यों से बच्चों का व्यक्तिगत,मानसिक और सामाजिक गुणों का विकास होता है I
ReplyDeleteEk sikshak hone ke Karan humari Jo byaktigat aur samajik gun hai wo hamari pratidin ki dinacharya Mai bahut sahayak Hoti hai...haa ye adhigam Mai BHI sahayak Hoti hai...shikshak vidyarthi ke liye ek model hote hai...vidyarthi unke Jaise banna chahte hai..
ReplyDeleteसामाजिक गुण का अर्थ समाज द्वारा स्थापित मूल्य जिसका अनुसरण करना समाज के सभी लोगों के लिए जरूरी होता है जैसे आपस में मिल जुल कर रहना बड़ों का सम्मान करना एक दूसरे का सहयोग करना इन गुणों के कारण ही बच्चे अच्छे नागरिक बनते हैं । शिक्षक खेलकूद, सामूहिक कार्य आदि के द्वारा बच्चों के अंदर इस गुणों का विकास करते हैं।
ReplyDeleteहमारी प्रतिदिन कि दिनचर्या में व्यक्तिगत सामजिक गुणों से जीवनचर्य अच्छी रहती हैं| हमें कष्ट, दुःख, तकलीफ नहीं होती। यह अलीगढ़ में सहायक हैँ। शिक्षक व्यक्तिगत, सामजिक, गुणों को बढाने मैं प्रेरक का भुमिका निभाते हैं। आदर्श बनकर प्रेरणादायी बनते हैं|
ReplyDeleteA teacher should give knowledge of personal and social development to their students for being a good citizen.
ReplyDeleteEk teacher hone ke naate hamari Dainik dincharya saamajik roop se kaffi important Hoti hai ,ishka effect bacchon par padta hai Jo ki hamare personality aur shikshak adhigam mein bahut hi sahayak hoti hai . Ayah hame hamesha positive thinking hi rakhna chaieye.
ReplyDeleteShikshan kary me shikshak ki aham bhumika hoti h. Hamare personal and social value ka bachhon par bahut effect padta h. Shikshak ko bachhon ka rolmodel banana chahiye. hum apne behaviour se karmo se aisa kar sakte h.
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