निम्नलिखित कथनों पर विचार करें और साझा करें कि कुछ संस्थानों / विचारों और प्रथाओं को बदलने की आवश्यकता क्यों है
पुत्र पारिवारिक संपत्ति के कानूनी उत्तराधिकारी हैं
लड़कियों का शीघ्र विवाह
पुरुष देखभाल करने वाले/पोषण करने वाले
दहेज प्रथा
बेटियों पर बेटों को वरीयता
मासिक धर्म की वर्जनायेँ
लड़कियों की शारीरिक गतिशीलता पर प्रतिबंध
लड़कियाँ परिवार की अस्थायी सदस्य हैं
Those people who are still thinking like this they should change their thoughts.
ReplyDeleteHuman Behavior dependent on the situation of the social affect.
ReplyDeleteशिक्षा को अंधविश्वास से दूर कर और लिंग को दरकिनार कर एकसामान शिक्षा देने से देश को और लोगों को विकाश होगा
ReplyDeleteHuman Behavior dependent on the situation of the social affect.
ReplyDeleteAaj kal yeh samaj ki ku pratha hai.kuch policy lakar samaj ki ku pratha ko dur kiya jaa sakta hai.aur logo awareness lakar.SHYAMAL SARKAR
ReplyDeleteOur behavior dependent on the situation of the social affect. Those all are sicial evil. We should stop these evil . Those people who are still thinking like this they should change their thought.
ReplyDeleteशिक्षा को अंधविश्वास से दूर कर और लिंग को दरकिनार कर एकसामान शिक्षा देने से देश को और लोगों को विकाश होगा
ReplyDeleteहां उपर्युक्त विचारों एवं प्रथाओं को बदलने की परम आवश्यकता है, क्योंकि यह विचार और प्रथा लिंग भेद तथा असमानता को बढ़ावा देता है तथा यह एक सामाजिक कुरीति है जिसे समाज को बदलने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteThese are social evils and for the equality between male and female it is necessary to stop these evils
ReplyDeleteशिक्षा से लिंग भेद को दूर कर एक समान शिक्षा देने से देश के लोगों का विकास होगा ।
ReplyDeleteहां उपर्युक्त विचारों एवं प्रथाओं को बदलने की परम आवश्यकता है, क्योंकि यह विचार और प्रथा लिंग भेद तथा असमानता को बढ़ावा देता है तथा यह एक सामाजिक कुरीति है जिसे समाज को बदलने की आवश्यकता है। Dinesh Kumar Rana,MIDDLE SCHOOL SHIMLA MANDRO Karmatar jamtara
ReplyDeleteThere is no difference between boys and girls.
ReplyDeleteEducation leads our rights of equality and gives ability to remove old customs logically.
ReplyDeleteउपर्युक्त विचारों एवं प्रथाओं को बदलने की परम आवश्यकता है, क्योंकि यह विचार और प्रथा लिंग भेद तथा असमानता को बढ़ावा देता है तथा यह एक सामाजिक कुरीति है जिसे समाज को बदलने की आवश्यकता है।शिक्षा से लिंग भेद को दूर कर एक समान शिक्षा देने से देश के लोगों का विकास होगा ।
ReplyDeleteउपर्युक्त विचारों एवं प्रथाओं को बदलने की अति आवश्यकता है, क्योंकि यह विचार और प्रथा लिंग भेद तथा असमानता को बढ़ावा देता है एवं यह एक सामाजिक कुरीति है जिसे समाज को बदलने की जरूरत है। शिक्षा से लिंग भेद को दूर कर एक समान शिक्षा देने से देश के लोगों के साथ देश का सर्वांगीण विकास होगा।
DeleteEducation leads our rights of equality and gives ability to remove old customs logically.
ReplyDeleteEducation is the best way to stop old customs logically
Deleteशिक्षा को अंधविश्वास से दूर कर और लिंग को दरकिनार कर एकसामान शिक्षा देने से देश को और लोगों को विकाश होगा
ReplyDeleteAs a teacher we should not difference between boys and girls at any topic.our education policy also same right to boys as well as girl to get read
ReplyDeleteहम अक्सर देखते हैं बेटियां शादी करके ससुराल चली जाती।
ReplyDeleteखेत में औरतें धान की रपनी करती है
Soch change krane ka ki jarurt hai Aaj v larkiyo ki carrer ke bare mai nai sochte bs ye sochte hai dehaz dena hai to aage q padhaiye q job krwaye larkiyo ko ghar ka kam sikhna chhaiye or bs padhi likhi ho jo bacho ko bs padhaye aise soch walo ke bare me sochna chhaiye bina larki ka job nai to shadi nai ...
ReplyDeleteAll Are Superstitions And Hindrances In The Progress Of An Ideal Society.
ReplyDeleteShiksha ko andhvishwas se dur karna hoga aur aur ling per Dhyan na dekar saman drishtikon apnana hoga
ReplyDeleteUparyukt sabhi vichar smaj ki kuritiya hain sabhi vicharo se main sehmat nahi hoon sabhi vicharo ko ukhad kar phekne sabse upyukt hoga aur tabhi ham ek shashakt rashtra ki parikalpna kar payenge.
ReplyDeleteEducation ko andhviswash se dur karna hoga aor ling par dhayan na dekar saman dristikon apnana hoga
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteAtit ke aur wartaman me mahilao ke yogdaan ka udahaaran dekar sikhsha me gender ke bhedbhaav ko katam kiya ja sakta hai
ReplyDeletepeople need to be changed their mindset about gender.
ReplyDelete
ReplyDeleteशिक्षा को अंधविश्वास से दूर कर और लिंग को दरकिनार कर एकसामान शिक्षा देने से देश को और लोगों को विकाश होगा
हां उपर्युक्त विचारों एवं प्रथाओं को बदलने की परम आवश्यकता है, क्योंकि यह विचार और प्रथा लिंग भेद तथा असमानता को बढ़ावा देता है तथा यह एक सामाजिक कुरीति है जिसे समाज को बदलने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteऊपर दी गई सारी बातें सामाजिक मान्यताएं एवं सोच से सरोकार रखती हैं। कुछ नियम लोगों ने अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए बनाए तो कुछ रूढ़िवादी नियमों के पालन हेतु पर धीरे-धीरे चीजें बदल रहीं हैं और सोच में भी परिवर्तन हुआ है पर अभी बहुत कुछ होना बाकी है। मुझे लगता है कि वह स्कूलिंग के दौरान बच्चों में शिक्षा के साथ जेंडर सम्वेदनशीलता के गुणों को बढ़ावा देने से शायद एक बेहतर समाज के निर्माण में सहायक होगी। क्योंकि यही बच्चे हमारे भविष्य हैं और कल के समाज के निर्माण के उत्तरदायी भी।
ReplyDeleteशिक्षा को अंधविश्वास से दूर कर और लिंग को दरकिनार कर एकसामान शिक्षा देने से देश को और लोगों को विकाश होगा
ReplyDelete1 खेत जोतना पुरुष का काम है।
ReplyDelete2 रक्तदाता
We should do equal behave with both gender
ReplyDeleteWe should do equal behave with both gender
ReplyDeleteहां उपर्युक्त विचारों एवं प्रथाओं को बदलने की परम आवश्यकता है, क्योंकि यह विचार और प्रथा लिंग भेद तथा असमानता को बढ़ावा देता है तथा यह एक सामाजिक कुरीति है जिसे समाज को बदलने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteसमाजिक रूढ़िवादी धारणाओं के कारण हर माता पिता अपनी बेटियों का विवाह समाजिक दबाव और ख़ुद भी इस बात से डरते हैं कहीं बेटी किसी के साथ हमारी मर्जी के खिलाफ शादी न कर लें यह परम्परा कम शिक्षित परीवार में आज भी बना हुआ है पर शिक्षित परीवार इस से पूरी तरह उबर चुका है।
ReplyDeleteAbove given points are the social evils. These evils or inequalities should be eradicated from our social environment. We should not think that daughters are tension,but a daughter is like a teen son.our constitution has some fundamental rights that a daughter also deserves for this.
ReplyDeleteपितृसत्तात्मक , रुढ़िवादी सामाजिक व्यवस्था के कारण पुत्र_ पुत्रियों मैं आसमानत महिलाओं को सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक स्थिति से कमजोर बनाती है, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए अच्छी शिक्षा देने एवं परिवारिक सामाजिक परिवेश में बदलाव कर जागरूक बनाया जा सकता है । लड़कों के समान लड़कियों को भी स्वतंत्रता प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाया जा सकता है तथा अच्छा बुरा सोचने की समझ पैदा की जा सकती है
Deleteउपरोक्त सभी विचार एक सामाजिक रूढ़िवादी धारणाओं के कारण आज भी इन चीजों पर समाज में पुत्र और पुत्रियों में आ समानताएं फैली हुई है l
Delete1.पुत्र को परिवारिक संपत्ति का अधिकार यह गलत है क्योंकि बेटे और बेटियों में कोई अंतर ना रखें तो दोनों का समान अधिकार होना चाहिए I
2. लड़कियों का शीघ्र विवाह यह बिल्कुल ही उचित नहीं है... सामाजिक रूढ़िवादी धरना कहीं ना कहीं समाज माता-पिता पर भी दबाव बनाती है की बच्ची बड़ी हो गई है अब इसकी शीघ्र शादी कर दिया जाए l ये सब धारणाएं समाप्त करने की आवश्यकता है |
SANDIP KUMAR
UPG HIGH SCHOOL KORCHE
शिक्षा से लिंग भेद को दूर कर एक सामान शिक्षा देने से देश के लोगो का विकास होगा।
ReplyDeleteकोई भी प्रथा या परंपरा सदियों से चली आ रही होती हैं और आज के संदर्भ में वे समयानुकूल नहीं होती है, वैसे परंपराओं को रुढ़िवादी के संज्ञान में रखते हैं। ऐसे रुढ़िवादी तथ्यों से विभेदीकरण को बढ़ावा मिलता है।
ReplyDeleteपितृसत्तात्मक व्यवस्था के कारण पुत्र-पुत्रियों , महिला-पुरुष , अमीर-गरीब के बीच उत्पन्न दृष्टिकोण के आधार पर सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति से कमजोर बनाती है। हमें जरूरत है कि ऐसे खामियों को दूर करने वाले तत्वों को समाज के पटल पर रखें ।
Boys and girls should be given equal rights in the education system. So that their would not be any gender discrimination.
ReplyDeleteLadka ladki ek saman hai rudi wadi pratha ko badalne ki aawasayakta hai
ReplyDeleteDahej par rok Tham karne ki avashyakta hai
ReplyDeleteसमाज से लिंगभेद दूर करने का एक उपाय शिक्षा ही है।
ReplyDeletethere should be no discrimination on gender.
ReplyDeleteहमे रुड़ी वादि परम्पराओं को तोड़ने का सत्त प्रयास करते रहना चाहिए इस तरह की भावना को दूर करने में अधिक प्रयत्न और सहनशीलता की आवश्यकता है ।
ReplyDeleteशिक्षा को लिंग आधारित भेदभाव से उपर उठकर बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है!
ReplyDeleteमासिकधर्म की वर्जनाए को छोडकर सभी रिवाजो मे परिवर्तन की आवश्यकता है क्योकि बिंदु 1234678 समाज द्वारा परिभाषित है और बिंंदु 5 प्रकृति की देन है!
ReplyDeleteलिंग भेदभाव को शिक्षा से दूर किया जा सकता है
ReplyDeleteShiksha se ling bhed ko dur kar ak saman shiksha dene se desh ki Longo ka vikas hoga.
ReplyDeleteआज रूढ़िवादी विचारों एवं प्रथाओं को बदलने की अतिआवश्यक है,क्योंकि यह विचार और प्रथा लिंग भेद तथा असमानता को बढ़ावा देता है साथ ही यह एक सामाजिक कुरीति है जिसे समाज को बदलने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteYe aatho vichardharaye hum sabhi ko roodhiyo se jakad kar rakhna kaa kaam kar rahi hai. Hume inn sabhi vicharo aur prathao ko todkar aage badhna hoga kyonki hamare samaj kaa vikas sirf purusho ke vikas se sambhav nahi hoga,samaj ke vikas ke liye ladkiyo kii bhagidaari v adhik se adhik sunishchit karni hogi. Ladko ke barabar hii ladkiyo ko v darja dena hoga.
ReplyDeleteआज के सामाजिक कुरीतियों एवं रुढिवादी विचारों एवं प्रथाओं के कारण लिंग भेद के असमानता को बढ़ावा मिल रहा है अतः शिक्षा के द्वारा ही इसे दूर किया जा सकता है।
DeleteHuman Behavior dependent on the situation of the social affect
DeleteWe should give a equal chances to both the gender but only men ploughs the field and in bike garage too.
ReplyDeleteहां, निसंदेह ऊपर अंकित विंदुओं पर विचार करने से यह स्पष्ट होता है कि,ये सभी प्रथाएं समाजिक उपज/कुरतीयां हैं। जो कि, किसी न किसी स्वार्थ से अपनाए गए होंगे जिसका धीरे धीरे समाजिक करण हो गया है।
ReplyDeleteअतः इन प्रथाओं/कुर्तियों को अस्वीकार करने की आवश्यकता है। जिसके लिए सभी वर्ग, समूह व समाज को एक जुट होकर जागरूकता के साथ निस्वार्थ भाव से कार्य करना होगा।
ऊपर वर्णित रूढ़िवादी प्रथाओं एवं विचारों को बदलने की आवश्कता है। शिक्षा से लिंग भेद दूर कर एक समान शिक्षा देने से विकास होगा।
ReplyDeleteऊपर वर्णित रूढ़िवादी प्रथाओं एवं विचारों को बदलने की आवश्कता है। शिक्षा से लिंग भेद दूर कर एक समान शिक्षा देने से विकास होगा।
ReplyDeleteआज के सामाजिक कुरीतियों एवं रुढिवादी विचारों एवं प्रथाओं के कारण लिंग भेद में असमानता को बढ़ावा मिल रहा है अतः शिक्षा के द्वारा इसे दूर किया जा सकता है
DeleteThose all are social evil. We stop these evil.
ReplyDeleteHa in kuprathao ko jad se mitana ha.ladke aur ladkiyon ko me bhed bhav nhi karna ha.lska neev hum shikshon ko rakhna ha.
ReplyDeleteशिक्षा को अंधविश्वास से दूर कर और लिंग को दरकिनार कर एकसामान शिक्षा देने से देश को और लोगों को विकाश होगा
ReplyDeleteआज के इस दौर मैं जो समाजिक रूढ़िवादी बढ़ती जा रही है। इस को खत्म karne ke liye शिक्षा बहुत जरूरी है। बेटियों को आगे लाना होगा aiwam उन्हें प्रोत्साहित करना होगा।
ReplyDeleteमेरे विचार से इन सामाजिक कुरीतियों को केवल शिक्षा के द्वारा हीं समाप्त किया जा सकता है।
ReplyDeleteकिसी भी प्रकार की कुरीति और गलत प्रथा को बदलना ही चाहिए।उपरोक्त तमाम विंदू समाज एवं लोकहित में नहीं हैं।जिन्हें हर हाल में बदलना ही चाहिए।चूँकि जन्मदाता प्रभु कभी विभेद नहीं करता।जैसे-प्राणवायु समान,भोजन समान,जन्म और मृत्यु समान तो फिर हमलोग क्यों विभेद करते हैं।दरअसल हमेशा से समाज पुरुष प्रधान ही रहा है, इसीलिए ये रूढ़िवादी परम्पराएं आज भी समाज में मौजूद हैं।इससे निदान के लिए चहुमुखी प्रयास की आवश्यकता है, जिसकी पहली सीढ़ी शिक्षक ही है।Purushottam Kumar,UMS Sanki,Patratu,Ramgarh(Jharkhand)
ReplyDeleteहां उपर्युक्त विचारों एवं प्रथाओं को बदलने की परम आवश्यकता है, क्योंकि यह विचार और प्रथा लिंग भेद तथा असमानता को बढ़ावा देता है तथा यह एक सामाजिक कुरीति है जिसे समाज को बदलने की आवश्यकता है।
ReplyDeletePrabir Kumar Shaw
H.S.Karaikela
West Singhbhum.
हमें उपरोक्त रूढ़िवादी मान्यताओं एवं परंपराओं से समाज को मुक्त कराना होगा और इसके लिए समाज को शिक्षित कर जेंडर संबंधी भेदभाव को मिटाना होगा| मेरे विचार से हम शिक्षकगण इसमे अहम भूमिका निभा सकते हैं|
ReplyDeleteउपरोक्त कथन और टिप्पणियों से यह सर्व विदित होता है कि लिंग भेद को बढ़ावा दिया जा रहा है जो कि कतई सार्वभौमिक सत्य को प्रदर्शित नहीं करता है।। लिंग भेद करने से बिचारे कुंठित हो जाती है।। अतः किसी भी दुर्गम परिस्थिति में हमें लिंगभेद से बचना चाहिए और सभी को आगे बढ़ने का एक अवसर प्रदान करना चाहिए।।
ReplyDeleteहाँ, उपर्युक्त विचार एवम प्रथा में परिवर्तन करके ही हम भविष्य में एक विकासशील समाज का सृजन कर सकते हैं, जिसका आरंभ हम स्वयं से करे।
ReplyDeleteहाँ, उपर्युक्त विचार एवम प्रथा में परिवर्तन करके ही हम भविष्य में एक विकासशील समाज का सृजन कर सकते हैं, जिसका आरम्भ हम स्वयं स करे।
ReplyDeleteपहले से चली आ रही रुढिवादिता,ग़लत परंपराओं, अंधविश्वासों को जड़ से समाप्त किए बिना सही समाज की स्थापना नहीं हो सकती।
ReplyDeleteThere is essential to stop these social evil for social equality and development of our nation.As a teacher it is our responsibilities to give education of equality to our students.
ReplyDeleteDowry system is an indigenous crime.it should be stopped.
ReplyDeleteउपरोक्त सभी विचार सांस्कृतिक, सामाजिक रूढ़ि वादी व्यवहार के प्रचलन का परिणाम है। लैंगिक अंतर जैविक है जबकि जेंडर के आधार पर भेदभाव लड़कियों/महिलाओं को उनको समान अधिकार से वंचित करता है। प्रारंभिक स्तर से बच्चों के बीच जब हम अध्यापन कार्य करते हैं तो सन्दर्भित पाठों, विषयों से इस मुद्दे को जोड़कर जेंडर आधारित भेद पूर्ण व्यवहार पर चर्चा और जागरूक होने वाली गतिविधियों को अपनाया जाना चाहिए।
ReplyDeleteDinanath prasad, AD.H.S.KANJO,RAMGARH, DUMKA JHARKHAND,
शिक्षा को लिंग आधारित भेदभाव से उपर उठकर बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है!
ReplyDeleteस्वथ समाज के निर्माण के लिए उपरोक्त विचारों और प्रथाओं को बदलने की आवश्यकता है। वर्तमान समय में समाज में लड़के और लड़कियों में भेदभाव नहीं करना चाहिए। समाजिक बदलाव में शैक्षिक संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
ReplyDeleteउपरोक्त आठ विन्दुओं पर विचारोपरांत स्पस्ट होता है कि वे सभी विंदु जेंडर विपरीत आचरण हैं जिनमें परिवर्तन लाये बिना स्वस्थ समाज की परिकल्पना असम्भव होगी।
ReplyDeleteशिक्षा को लिंग आधारित भेदभाव से उपर उठकर बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है!
ReplyDeleteहां, उपयुक्त आठो(08) विचारों एवं प्रथाओं को बदलने की जरूरत है क्योंकि यही वह विचार और प्रथा है जो लिंग भेद (जेंडर) तथा असमानता को बढ़ावा दे रहा है।यह एक सामाजिक कुरीति है जिसे वर्तमान पीढ़ी को बदलना होगा।यह शिक्षा एवं सामाजिक जागरूकता द्वारा ही संभव है।
ReplyDeleteसभी कुरीतियों को दूर करने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteउपरोक्त विन्दुओं को वर्तमान में बदलने का समय आ गया है । इस पोस्टमर्डान युग में लिंग भेद से ऊपर उठकर एक स्वस्थ समाज का नींव हम तभी डाल सकते हैं जब इंसान आपस में सम्मान का भाव रखें । और ये तभी संभव जब लिंग-भेद समाप्त हो जाय या कम से कम हो ।
ReplyDeleteजैसे-जैसे शिक्षा एवं साक्षरता दर बढ़ रही है,वैसे-वैसे लड़कें और लड़कियों में अंतर भी समाप्त हो रहा है।आज लड़कियाँ भी वे सभी काम कर सकती हैं जो लड़कें कर सकते हैं।अतः लड़कियों के अधिकार भी लडकों के बराबर है।इसलिए लड़कियों से भेदभाव करने वाली सभी प्रथाएं समाप्त की जानी चाहिए। --संतोष कुमार सिन्हा, उ.म.वि.बासोडीह, बिरनी, गिरिडीह ।
ReplyDeleteउपर्युक्त बिन्दूओं पर विचार करना है,लिंग भेद को समाप्त कर समाज में दोनों को समान अधिकार मिलना चाहिए ।
ReplyDeleteThese are social evils. We should stop these evils for the happiness of the society. People who are still thinking about these evils should change their thoughts.
ReplyDeleteपहले से चली आ रही रूढ़िवादिता, गलत धारणाओं, गलत परंपराओं, अंधविश्वासों को जड़ से समाप्त किए बिना सही समाज की स्थापना नहीं हो सकती है। अतः शिक्षा के द्वारा लिंग आधारित भेदभाव को दूर कर बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteशिक्षा से लिंग भेद को दुर कर एक समान शिक्षा देने से देश के लोगों का बिकास होगा
ReplyDeleteउपरोक्त दिये गए सभी बिंदु परम्परागत समय से आ रही रूढ़ीवादी विचारधारा है जिसे समाज में आज भी अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए महिलाओं पर थोपा जाता रहा है जिसे दूर करने के लिए हर लड़की को शिक्षित होना होगा
ReplyDeleteSamaj me ling adharitbhed bhaw se dur kar bachhon ke sarwngin vikas par dhyan dene ki jarurat hai
ReplyDeleteलिंगभेद से ऊपर उठकर सभी को समान अधिकार और समान शिक्षा देकर ही हम एक सशक्त समाज की कल्पना कर सकते है।
ReplyDeleteThere are many stereotypes about gender.But we have think beyond all these and do works for a ideal society.
ReplyDeleteUpar di gye sari rudiwsdi manyatay at darnao ko change krke hi schooling time se hi siksha ke sath zender ke prti smvednsilta ke guno ko bdakar hi ek behtar samaj ewm rastr ka nirmaan KR sakte . Kyonki yhi Bache future ke nirmata hai to aise me unme suruwat se hi upar ke sirshak ke rudiwsdi vicharon se due krna hoga.
ReplyDeleteMs ROWAULI Bandgaon
PRAKASH MUNDU
को कथाओं को बदलना बहुत जरूरी है पर एक बात पर विचार करने की आवश्यकता है की जिसे हम कुप्रथा कर हैं यह दर्शन हमारे समाज में कब आई क्यों आए और कहां से आई अगर हम यह जान लें तो उपत्रों के विकास पर हम निरंतर लगाम लगाते रहेंगे और आगे भी कोई कुप्रथा नहीं जन्म लेगी
ReplyDeleteइस तरह की रूढ़िवादी धारणाओं से हम देश के आधे विकास को बाधित करता है।इसलिए इस तरह की धारणाओं को बदलना अत्यंत आवश्यक है।
ReplyDeleteपुरुष प़धान समाज दव्।रा निमित रूढिवदि समाज मे दहेज प़था के चलन मे लडकी के क्षमता को गौण रूप मे देखा जाता है। जो जेंडर संबंधी रूढियो को मजबूत करता है।
ReplyDeleteहां उपर्युक्त विचारों एवं प्रथाओं को बदलने की परम आवश्यकता है, क्योंकि यह विचार और प्रथा लिंग भेद तथा असमानता को बढ़ावा देता है तथा यह एक सामाजिक कुरीति है जिसे समाज को बदलने की आवश्यकता है।
ReplyDelete
ReplyDeleteस्वथ समाज के निर्माण के लिए उपरोक्त विचारों और प्रथाओं को बदलने की आवश्यकता है। वर्तमान समय में समाज में लड़के और लड़कियों में भेदभाव नहीं करना चाहिए। समाजिक बदलाव में शैक्षिक संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
Human behavior depends on the social affect.But those all social evil should stop and equal behave with both gender also transgender.
ReplyDeleteपुरानी रुढ़िवादी अवधारणाओं को त्यागना अतिआवश्यक हैं।इस नये दौर में लड़के हो या लड़कियां सबको समान शिक्षा देना चाहिए।तभी एक नये राष्ट्र की कल्पना कर सकते है।विद्यालय में कोई तरह का जेन्डर संम्बन्धित शिक्षा से बच्चों को अछूता नहीं रखना चाहिए।
ReplyDeleteउपर्युक्त प्रथा एक सामाजिक अभिशाप है।जिसे शिक्षा द्वारा ही दूर किया जा सकता है।
ReplyDeleteशिक्षा को अंधविश्वास से दूर कर और लिंग को दरकिनार कर एकसामान शिक्षा देने से देश को और लोगों को विकाश होगा
ReplyDeletePurani rudhiwadi Soch ko hm siksha k madhyam se badal skte h..ladke ladkiya sabhi barabar h..ye kehna glt h ki ladkiya ni kr skti ..Avi har chij m ladkiya sbse age h..
ReplyDeleteशिक्षा को अंधविश्वास से दूर कर और लिंग को दरकिनार कर एकसामान शिक्षा देने से देश को और लोगों को विकाश होगा
ReplyDeleteThere should be no discrimination on the basis of gender, boys and girls are equal in every aspect of life. People should let go their conservative approach/thinking.
ReplyDeleteनिश्चित तौर पर इन धारणाओं को बदलने की जरुरत है।यह धारणा लिंग भेद तथा असमानता को बढ़ावा देता है।
ReplyDeleteOur behavior dependent on the situation of the social affect.People should let go their conservative approach/thinking.People who are still thinking about these evils should change their thoughts.
ReplyDeleteशिक्षा को अंधविश्वास से दूर कर और लिंग को दरकिनार कर एकसामान शिक्षा देने से देश को और लोगों को विकाश होगा
ReplyDeleteउपरोक्त विचारों और प्रथाओं को बदलने की जरूरत है, क्योंकि यह विचार और प्रथा लिंग भेद एवं असमानता को बढ़ावा देता है तथा यह एक सामाजिक कुरीति है जिसे समाज को बदलने की जरूरत है
ReplyDeleteDowry systim is a crime As a teacher it is our responsibilities to give education of equality to our student
ReplyDeleteउपरोक्त सभी विचारो का खंडन करना अत्यंत आवश्यक है क्योकि ये समाज मे असमानता को बढ़ावा देगे। इन सामाजिक कुरीतियो को निर्मूल करना आवश्यक है।
ReplyDeleteउपरोक्त सभी कथनों के संदर्भ में कहा जा सकता है कि उन्हें दूर करने का एकमात्र उपाय शिक्षा है/
ReplyDeleteपूर्णतः सत्य
DeleteRurhivadu vicharo aur prathaon ko ab to turant hi badal dalne ki awasyakta hai nahi to hamari pragati hi ruk jayegi.Samay ke sath parivartan ho rahe hein lekin ise puri tarah samapt ker root se ukhar ker phekne ki awasyakta hai tabhi hum samaj mein samavesh rup mein pragati ker payenge.
ReplyDeleteBecause if sons will be successor of the property of their parents ,then there is no guarantee that their sons will take care of them during their old ages.dowry system should be avoided and abolished otherwise it will empty our society.
ReplyDeleteउपर्युक्त विचारों एवं प्रथाओं को बदलने की परम आवश्यकता है, क्योंकि यह विचार और प्रथा लिंग भेद तथा असमानता को बढ़ावा देता है तथा यह एक सामाजिक कुरीति है जिसे समाज को बदलने की आवश्यकता है।
ReplyDeletepeople need to be changed their mindset about gender.
ReplyDeleteLing bhed ek samajik buraee hai ling pratha dahej pratha Bal wiwah jaisi kuritiyon ko Nadal kar samaj desh ko ek Naya aayam Dena haiaur ye sab shiksha se hi sambhaw hai
ReplyDeleteइस तरह के कुरीतियों को बदलने की सख्त जरूरत है जब तक इन कुरीतियों को हम नहीं बदलेंगे तब तक हम नए समाज की परिकल्पना नहीं कर सकते इन्हें बदलने के बाद ही हमारा समाज आगे बढ़ सकता है
ReplyDeleteउपर्युक्त बिन्दूओं पर विचार करना है,लिंग भेद को समाप्त कर समाज में दोनों को समान अधिकार मिलना चाहिए ।
ReplyDeleteइस तरह के कुरीतियों को बदलने की जरूरत है । बदलने पर ही नये समाज की परिकल्पना कर सकते हैं। इन्हें दूर करने का एकमात्र उपाय शिक्षा ही है।
ReplyDeleteजैसे जैसे शिक्षा बढ़ रही है लड़के लड़की में अंतर समाप्त हो रहा है लड़कियां भी सभी काम कर सकती है और इसके अधिकार भी लड़कों से बढ़कर है इसलिए लड़कियों से भेद भाव वाली सभी प्रथाऐं समाप्त हो जानी चाहिए |
ReplyDeleteउपरोक्त विचारों और प्रथाओं को बदलने की जरूरत है, क्योंकि यह विचार और प्रथा लिंग भेद एवं असमानता को बढ़ावा देता है तथा यह एक सामाजिक कुरीति है जिसे समाज को बदलने की जरूरत है|
ReplyDeleteWe should try to change this type of thoughts in our society. Those are the social evils and we should stop these evils by giving the some good example.These People are still thinking like this we should try to motivate to change their bad thoughts.
ReplyDeleteTo bring equality.
ReplyDeleteलिंग के आधार पर भेद भाव को खत्म करना अत्यंत आवश्यक है. इससे समाज में समानता का भाव बढ़ेगा और पुरुष और स्त्री सभी को समान अवसर प्राप्त होंगे.
ReplyDeleteAll these points promotes gender discrimination..so to bring equality we need to eradicate these social evils
ReplyDeleteशिक्षा को अंधविश्वास से दूर कर और लिंग को दरकिनार कर एक समान शिक्षा देने से देश का और लोगों का विकास होगा।
ReplyDeleteशिक्षा को अंधविश्वास को दूर कर और लिंग को दरकिनार कर एक समान शिक्षा देने से देश का और लोगों का विकास होगा।
ReplyDeleteसमाज से लिंगभेद दूर करने का एक उपाय शिक्षा ही है।
ReplyDeleteलिंगभेद के आधार पर हम यदि इन दानव रूपी कुरीतियों का पोषण करते हैं, तो हम निश्चित ही अनेकों प्रतिभाओं को निखरने से वंचित कर देते हैं। साथ ही दहेज प्रथा जैसे कुरीति के वजह से आज हमारे देश में जहां बेटियों को देवी का दर्जा प्राप्त है, भ्रूण हत्या का दंश झेलना पड़ता है। जीवन के किसी भी निर्णय का उचित समय व महत्व निर्धारित है ऐसे में लिंग आधारित भेदभाव कर बाल विवाह तथा अन्य कुरितियों का प्रसार होता है। अत: समाज में एक स्वस्थ वातावरण के निर्माण के लिए इन कुरीतियों का दमन अनिवार्य है।
ReplyDeleteउपर्युक्त विचारों एवं प्रथाओं को बदलने की परम आवश्यकता है, क्योंकि यह विचार और प्रथा लिंग भेद तथा असमानता को बढ़ावा देता है तथा यह एक सामाजिक कुरीति है जिसे समाज को बदलने की आवश्यकता है
ReplyDeleteलिंगभेद के आधार पर हम यदि इन दानव रूपी कुरीतियों का पोषण करते हैं, तो हम निश्चित ही अनेकों प्रतिभाओं को निखरने से वंचित कर देते हैं। साथ ही दहेज प्रथा जैसे कुरीति के वजह से आज हमारे देश में जहां बेटियों को देवी का दर्जा प्राप्त है, भ्रूण हत्या का दंश झेलना पड़ता है। जीवन के किसी भी निर्णय का उचित समय व महत्व निर्धारित है ऐसे में लिंग आधारित भेदभाव कर बाल विवाह तथा अन्य कुरितियों का प्रसार होता है। अत: समाज में एक स्वस्थ वातावरण के निर्माण के लिए इन कुरीतियों का दमन अनिवार्य है।
ReplyDeleteजेंडर संबंधित कुछ धारणाएं परम्परागत और रूढ़िवादी हैं।जिनमे परिवर्तन हो रहे हैं।इसमें परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण शिक्षा रहा है।आज शिक्षा की स्वीकार्यता हर स्तर पर हो रही है ।परन्तु आज भी उच्च शिक्षा में इसका अनुपात कम है।जरूरत यही है इस जेंडर अंतर को कम किया जाय।इसके लिये चली आरही है धारणा को बदलने की जरूरत है।सामाजिक चेतना को और धारदार बनाने की जरूरत है।
ReplyDeleteराजीव लोचन सिंह दुमका
There is no difference between boys and girls all are equal
ReplyDeleteजेंडर संबंधित कुछ धारणाएं परम्परागत और रूढ़िवादी हैं।जिनमे परिवर्तन हो रहे हैं।इसमें परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण शिक्षा रहा है।आज शिक्षा की स्वीकार्यता हर स्तर पर हो रही है ।परन्तु आज भी उच्च शिक्षा में इसका अनुपात कम है।जरूरत यही है इस जेंडर अंतर को कम किया जाय।इसके लिये चली आरही है धारणा को बदलने की जरूरत है।सामाजिक चेतना को और धारदार बनाने की जरूरत है।
ReplyDeleteशिक्षा को लिंग आधारित भेदभाव से उपर उठकर बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है!
ReplyDeleteऊपर अंकित सभी बिंदु समाज के लोक हित में नहीं है। इसलिए हमें रूढ़िवादी परंपराएं बदलने की आवश्यकता है। जिसे हम शिक्षक गण ही बदल सकते हैं शिक्षा से ही लिंगभेद दूर किया जा सकता है। अतः हमें एक समान शिक्षा देने की आवश्यकता है
ReplyDeleteOur behavior dependent on the situation of the social affect. Those all are sicial evil. We should stop these evil . Those people who are still thinking like this they should change their thought.
ReplyDeleteHaan in sabhi prathaon aur vicharon ko badalne ki awasyakta hai ,ye sabhi samaaj ki kuritiyan hain,balikaon ko samaaj me samanta ka avsar Pradan karna cahiye.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteलिंग भेद दूर हो रहा है, धीरे धीरे शिक्षा के क्षेत्र में ब्यापक विकास हो रहा है देश और समाज आगे बढ़ रहा है त्व|
ReplyDeleteFor education boys and girls should be treated equally. in India all have the right to education so equal importance should be given to them on this field.
ReplyDeleteFor giving good education boys and girls should be treated equally. There should not be any discrimination.
ReplyDeleteNo gender discrimination in learning process
ReplyDeleteउपर्युक्त आठों प्रकार की प्रथाओं एवं विचारधाराओं के कारण ही समाज में रूढ़िवादिता चरम पर है ।इन्हें समाप्त कर हम समाज में हिंसा ,भेदभाव ,नारी शोषण और अत्याचार जैसी समाज को पीछे ले जानेवाली कुप्रथाओं पर विजय पा सकते हैं तथा समाज का संतुलित एवं समरस विकास कर सकते हैं ।
ReplyDeleteEducation is the only way to end such things but one thing must be noted that here education includes higher education and skilled man and women .
ReplyDeleteWe have to change in this type of social custom by education.
ReplyDeleteउपरोक्त आठ बिन्दुओ से मैं सहमत नहीं हूं।ये रूढ़ीवादी विचारधारा हैं।इसमें बदलाव होना चाहिए।सबको समान अधिकार हैं।
ReplyDeleteउपर्युक्त विचार परम्परागत एवं सामाजिक कुप्रथा हैं सामाज तथा देश के विकास के लिए इसे त्यागना अति आवश्यक है।
ReplyDeleteहमें रूढ़िवादी मान्यताओं एवं परंपराओं से समाज को मुक्त कराना होगा और समाज को शिक्षित कर जेंडर संबंधी रूढ़िवादी भेदभाव को मिटाना होगा। शिक्षा के माध्यम से समाज में फैले लिंग - भेद को दूर करना होगा जिससे देश का सवार्गींण विकास हो सके।
ReplyDeleteAbove are social evils. we should prevent those evils in
ReplyDeletesociety for nation's development.
उपर्युक्त विचार/प्रथाएं सामाजिक तथा सांस्कृतिक विभेद हैं। इनके मूल में रूढ़ियां हैं। सभी मानवों के स्वाभाविक विकास के लिए इन कुप्रथाओं को यथाशीघ्र त्याग करना श्रेयस्कर होगा।
ReplyDeleteUparyukt prathao ko badalne ki aawashkta hai taki laingik samanata aur sashaktikaran ko bal mile aur samaj me gender anukul vatawaran bane.
ReplyDeleteजेंडर संबंधित कुछ धारणाएं परम्परागत और रूढ़िवादी हैं।जिनमे परिवर्तन हो रहे हैं।इसमें परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण शिक्षा रहा है।आज शिक्षा की स्वीकार्यता हर स्तर पर हो रही है ।परन्तु आज भी उच्च शिक्षा में इसका अनुपात कम है।जरूरत यही है इस जेंडर अंतर को कम किया जाय।इसके लिये चली आ रही है धारणा को बदलने की जरूरत है। और शिक्षा को सर्वसाधारण के हिसाब से तैयार करना होगा!चेतना को और धारदार बनाने की जरूरत है।
ReplyDeleteआमतौर पर परिवारों के बीच यह मान्यता चली आरही है कि वंश तो लड़कों से चलता है,जो पुत्र को संपत्ति का वारिश,लड़कियों कोपर्य धन,लड्कोंको गार्जियन बनाता है और लड़कियों को अपने घर जल्द भेजने की मानसिकता से उनकी जल्द शादी की जाती है|पहले ज्ञान और सुविधा के अभाव में मासिक धर्म के समय लड़कियों की परेशानी को देखते हुए कुछ वर्जनाएं बनी होंगी|
ReplyDeleteमेरी सोच है किवंश चलाने के लिए दोनों लिंगों का होना आवश्यक हैऔर एक लिंग ही अपने टन का होता है,दूसरा हमेसे दुसरे घर का होता है|फिर लड़की ही क्यों न हो वंश उससे भी चलेगा,सिर्फ अपनी सोंच को सही दिशा दिया जाए|मासिक धर्म की परेशानियों पर विज्ञानं से नियंत्रण किया जा चुका है,इसलिए मासिक धर्म की वर्जनाओं का आज कोई स्थान नहीं है|सिर्फ रूधि मानसिकता को समझाने की जरूरत है|
समाज में लड़का और लड़कियों दोनों को सामान रूप से देखा जाना चाहिए ,दोनों को सामान अधिकार और अवसर होगा
ReplyDeleteरूढ़िवादी सोच को दूर करके नयी सोच को अमल में लाना होगा
आज भी समाज में लड़कियों के साथ भेदभाव किया जाता है। यह रूढ़िवादी मानसिकता है। दहेज़ इसमें एक अहम भूमिका अदा करता है। राम चन्द्र मिश्र।
ReplyDeleteनि:संदेह उपरोक्त सभी विन्दु सामाजिक उत्थान हेतु हितकारी नहीं है। इन सामाजिक कुरीतियों की एकमात्र समाधान शिक्षा है। अतः इन रुढिवादी मान्यताओं एवं परंपराओं से मुक्ति हेतु हमें सामाजिक लिंगभेद को त्यागना होगा एवं लडकियों की शिक्षा को प्राथमिकता देनी होगी।
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ReplyDeleteआमतौर पर परिवारों के बीच यह मान्यता चली आरही है कि वंश तो लड़कों से चलता है,जो पुत्र को संपत्ति का वारिश,लड़कियों कोपर्य धन,लड्कोंको गार्जियन बनाता है और लड़कियों को अपने घर जल्द भेजने की मानसिकता से उनकी जल्द शादी की जाती है|पहले ज्ञान और सुविधा के अभाव में मासिक धर्म के समय लड़कियों की परेशानी को देखते हुए कुछ वर्जनाएं बनी होंगी|
ReplyDeleteमेरी सोच है किवंश चलाने के लिए दोनों लिंगों का होना आवश्यक हैऔर एक लिंग ही अपने टन का होता है,दूसरा हमेसे दुसरे घर का होता है|फिर लड़की ही क्यों न हो वंश उससे भी चलेगा,सिर्फ अपनी सोंच को सही दिशा दिया जाए|मासिक धर्म की परेशानियों पर विज्ञानं से नियंत्रण किया जा चुका है,इसलिए मासिक धर्म की वर्जनाओं का आज कोई स्थान नहीं है|सिर्फ रूधि मानसिकता को समझाने की जरूरत है|
संत कुमार लाल
उपरोक्त पॖथाओं और विचारों को बदलने की जरुरत है, कारण लिंग भेद पॖथा और विचार समाज में व्यवहारिक असमानता को बढ़ावा देने का काम करता है,जिसे सामाजिक कुरीति के नाम से जाना जाता है आज के समाज में इसे बदलने की जरुरत है|
ReplyDeleteGeeta Kumari_03_11_2020
ReplyDeleteहमारा समाज पितृसत्तात्मक है। हमारे समाज में प्रथा या परंपरा सदियों से चली आ रही है आज भी लड़के लड़कियों में अंतर समक्षा जाता है।1-लडकियो का शीघ्र विवाह करना यह बिल्कुल ही उचित नहीं है
2-समाज में दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए जागरूकता फैलाना चाहिए
3-बेटा को परिवारिक संपत्ति का अधिकार यह ग़लत है क्योंकि बेटे और बेटियों में कोई अंतर ना रखें दोनों का पिता की संपत्ति पर समान अधिकार होना चाहिए। UPG PS Indira Nagar Im Park Colony.Dhanbad
उपर्युक्त 8 प्रकार के विचार और प्रथायें पारंपरिक और रूढिवादपूर्ण हैं जिनके कारण हमारे समाज में नारी शोषण से संबंधित अपराध और सामाजिक असमानता ब्याप्त है। हमे समाज मे जेंडर असमानता औऱ इससे जुड़ी कुरीतियों को दूर करने के लिए शिक्षा को जेंडर समावेशी और जेंडर निष्पक्ष बनाने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteWhoever believes even in a single of these 8 conservative traditions is a supporter of gender discrimination.Initiatives must be taken in order to deny these useless traditions.
ReplyDeleteजेंडर केअंतर को कम किया जाना चाहिए ,बिना किसी भेदभाव के समान अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है।दिए गए आठ विचार रूढिवादी है। लिंग भेद आज भी देखी जाती है। शिक्षा से सामाजिक कुरीतियों पर काबू किया जा सकता है। समावेशी जेंडर पाठ्यक्रम सम्मिलित किया जाना चाहिए।पारिवारिक सम्पत्ति पर बेटियों और बेटों दोनों पर समान हक होना चाहिए ।मासिक धर्म की आज कोई वर्जना नहीं है विग्यान ने सभी मिथ्या को तर्क सहित रूढि धारणाओं को स्पष्ट कर दिया है।
ReplyDeleteउपर्युक्त आठ विचार रूढि वादी हैं।समावेशी शिक्षा के द्वारा जेंडर असामनता को दूर किया जा सकता है।पारंपरिक और रूढि वादी विचार कुरितियों को दूर किया जाना चाहिए।पारिवारिक संपत्ति पर बेटी और बेटा दोनों को समान अधिकार है।
ReplyDeleteरूढ़िवादिता लिंग-भेद की उपज है। आधुनिक शिक्षा में लिंग-भेद मिटता जा रहा है। शिक्षा ही इसमें पूर्ववत् अंतर को समाप्त करने में सहायक होगा।
ReplyDeleteउपर्युक्त आठ विचार रूढि वादी हैं।समावेशी शिक्षा के द्वारा जेंडर असामनता को दूर किया जा सकता है।पारंपरिक और रूढि वादी विचार कुरितियों को दूर किया जाना चाहिए।पारिवारिक संपत्ति पर बेटी और बेटा दोनों को समान अधिकार है।
ReplyDeleteअंधविश्वासों, रूढ़ीवादी विचारों एवं समाजिक कुरीतियों , प्राचलनो के कारण लिग भेद के असमानताओं को बढ़ावा मिल रहा हैै। अतः शिक्षा के द्वारा ही इसे दूर किया जा सकता है। शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों को आगे आना होगा।
ReplyDeleteहमें इन सभी रूढ़िवादी परम्पराओं से ऊपर सोचकर सभी को समान शिक्षा प्रदान करनी चाहिए ताकि हम इन कुरूतियों को दूर कर सकें।इसे शिक्षा के द्वारा ही दूर किया जा सकता है।इसके लिए शिक्षकों और बुद्धिजीवियों को आगे आने की जरूरत है।
ReplyDeleteहमें इन सभी रूढ़िवादी परम्पराओं से ऊपर सोचकर सभी को समान शिक्षा प्रदान करनी चाहिए ताकि हम इन कुरूतियों को दूर कर सकें।इसे शिक्षा के द्वारा ही दूर किया जा सकता है।इसके लिए शिक्षकों और बुद्धिजीवियों को आगे आने की जरूरत है।
ReplyDeleteआज रूढ़िवादी विचारों एवं प्रथाओं को बदलने की आवश्यकता है,क्योंकि यह विचार और प्रथा लिंग भेद तथा असमानता को बढ़ावा देता है, साथ ही यह सामाजिक कुरीति है,जिसे बदलने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteकुछ सामाजिक प्रथाओं को बदलने की आवश्यकता है । जैसे संपत्ति का अधिकार में पुत्र और पुत्री की समान भागीदारी होने से सामाजिक समरूपता होगी । देहेज प्रथा सिर्फ कानुन बना देने से नहीं रूकने वाला जब तक हम समाज में बेटियों को और सामाज के रूदीवादि विचारधारा के लोगो को शिक्षित नहीं करेंगे।
ReplyDeleteअंध विश्वास को शिक्षा से दूर कर और लिंगभेद को दरकिनार कर समान शिक्षा से देश और लोगो का विकास किया जा सकता है
ReplyDeleteEqual right should be given to both son and daughter in paternal property.
ReplyDeleteआमतौर पर परिवारों के बीच यह मान्यता चली आरही है कि वंश तो लड़कों से चलता है,जो पुत्र को संपत्ति का वारिश,लड़कियों कोपर्य धन,लड्कोंको गार्जियन बनाता है और लड़कियों को अपने घर जल्द भेजने की मानसिकता से उनकी जल्द शादी की जाती है|पहले ज्ञान और सुविधा के अभाव में मासिक धर्म के समय लड़कियों की परेशानी को देखते हुए कुछ वर्जनाएं बनी होंगी|
ReplyDeleteमेरी सोच है किवंश चलाने के लिए दोनों लिंगों का होना आवश्यक हैऔर एक लिंग ही अपने टन का होता है,दूसरा हमेसे दुसरे घर का होता है|फिर लड़की ही क्यों न हो वंश उससे भी चलेगा,सिर्फ अपनी सोंच को सही दिशा दिया जाए|मासिक धर्म की परेशानियों पर विज्ञानं से नियंत्रण किया जा चुका है,इसलिए मासिक धर्म की वर्जनाओं का आज कोई स्थान नहीं है|सिर्फ रूधि मानसिकता को समझाने की जरूरत है|
आमतौर पर परिवारों के बीच यह मान्यता चली आरही है कि वंश तो लड़कों से चलता है,जो पुत्र को संपत्ति का वारिश,लड़कियों कोपर्य धन,लड्कोंको गार्जियन बनाता है और लड़कियों को अपने घर जल्द भेजने की मानसिकता से उनकी जल्द शादी की जाती है|पहले ज्ञान और सुविधा के अभाव में मासिक धर्म के समय लड़कियों की परेशानी को देखते हुए कुछ वर्जनाएं बनी होंगी|
ReplyDeleteमेरी सोच है किवंश चलाने के लिए दोनों लिंगों का होना आवश्यक हैऔर एक लिंग ही अपने टन का होता है,दूसरा हमेसे दुसरे घर का होता है|फिर लड़की ही क्यों न हो वंश उससे भी चलेगा,सिर्फ अपनी सोंच को सही दिशा दिया जाए|मासिक धर्म की परेशानियों पर विज्ञानं से नियंत्रण किया जा चुका है,इसलिए मासिक धर्म की वर्जनाओं का आज कोई स्थान नहीं है|सिर्फ रूधि मानसिकता को समझाने की जरूरत है|
आमतौर पर परिवारों के बीच यह मान्यता चली आरही है कि वंश तो लड़कों से चलता है,जो पुत्र को संपत्ति का वारिश,लड़कियों कोपर्य धन,लड्कोंको गार्जियन बनाता है और लड़कियों को अपने घर जल्द भेजने की मानसिकता से उनकी जल्द शादी की जाती है|पहले ज्ञान और सुविधा के अभाव में मासिक धर्म के समय लड़कियों की परेशानी को देखते हुए कुछ वर्जनाएं बनी होंगी|
ReplyDeleteमेरी सोच है किवंश चलाने के लिए दोनों लिंगों का होना आवश्यक हैऔर एक लिंग ही अपने टन का होता है,दूसरा हमेसे दुसरे घर का होता है|फिर लड़की ही क्यों न हो वंश उससे भी चलेगा,सिर्फ अपनी सोंच को सही दिशा दिया जाए|मासिक धर्म की परेशानियों पर विज्ञानं से नियंत्रण किया जा चुका है,इसलिए मासिक धर्म की वर्जनाओं का आज कोई स्थान नहीं है|सिर्फ रूधि मानसिकता को समझाने की जरूरत है|
ये सभी बुराई का जड़ है
ReplyDeleteशिक्षा को अंधविश्वास से दूर कर और लिंग को दरकिनार कर एकसामान शिक्षा देने से देश को और लोगों को विकाश होगा
ReplyDeleteहमें इन सभी रूढ़िवादी परम्पराओं से ऊपर सोचकर सभी को समान शिक्षा प्रदान करनी चाहिए ताकि हम इन कुरूतियों को दूर कर सकें। उपर्युक्त विचारों एवं प्रथाओं को बदलने की आवश्यकता है, क्योंकि यह विचार और प्रथा लिंग भेद तथा असमानता को बढ़ावा देता है एवं यह एक सामाजिक कुरीति है जिसे समाज को बदलने की जरूरत है। शिक्षा से लिंग भेद को दूर कर एक समान शिक्षा देने से देश के लोगों के साथ देश का विकास होगा।
ReplyDeletehttps://www.youtube.com/watch?v=SpPozOvNrKA
https://youtu.be/Nc1yfX_nqhM
हां उपर्युक्त प्रथाओं को बदलना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि वे सभी बुराइयों का जड़ है।एक शिक्षक होने के नाते मेरा फ़र्ज़ है कि इन प्रथा को समाप्त करने के लिए लोगों को जागरूक करें।
ReplyDeleteहाँ ,उपर्युक्त विचारों और प्रथाओं को बदलने की परम आवश्यकता है , क्योंकि यह विचार और प्रथा लिंग भेद तथा असमानता को बढ़ावा देता है । यह एक सामाजिक कुरीति है , जिसे समाज को बदलने की आवश्यकता है ।
ReplyDeleteशिक्षित सामाज से ही लिंग भेद,बालक बालिका के प्रति अलग सोचने की परंपरिक प्रवृत्ति को समाप्त किया जा सकता हैं। एक समान शिक्षा और व्यवहार से ही हम सबका कल्याण व विकास होगा। परम्परागत सोच बदलना होगा ।
ReplyDeleteUparukt prathawon ko samapt karna aawasayk hai kyuni e sabhi samajik burai hain.sikshak hone ke nate mera farz hai ki ham iske liye logo ko jagruk karna chahiye.
ReplyDeleteसमाज में रूढ़िवादिता, पूर्वाग्रह, असमानता ,भेदभाव और शोषण के संदर्भ में इसके विविध आयामों को समझना है।पूर्वाग्रह की समस्या के समाधान के लिये तर्क पर आधारित वैज्ञानिक शिक्षा और नैतिकता तथा मानवतावादी भावनाओं का प्रसार भी आवश्यक है।
ReplyDeleteहां उपर्युक्त विचारों एवं प्रथाओं को बदलने की परम आवश्यकता है, क्योंकि यह विचार और प्रथा लिंग भेद तथा असमानता को बढ़ावा देता है तथा यह एक सामाजिक कुरीति है जिसे समाज को बदलने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteउपर्युक्त कथनों में कुछ कथन ऐसी हैं जिनमें कुछ संस्थानों पर परिवर्तन नजर आते हैं, परंतु आज भी कुछ संस्थान ऐसी है जहां इन सारी कथनों को बदलने की आवश्यकता है। यह विचार और प्रथाएं लिंग भेद तथा असमानता को बढ़ावा देती हैं तथा यह एक सामाजिक कुरीति है। इस लिंगभेद को दूर करने में शिक्षक एक अहम भूमिका निभाते हैं। सभी शिक्षक मिलकर इसमें परिवर्तन ला सकते हैं तथा एक स्वच्छ समाज का निर्माण कर सकते हैं।
ReplyDeleteपरम्परागत सोच बदलना होगा तभी हम सबका विकास होगा।
ReplyDeleteउपर्युक्त परंपरागत सोच लड़के एवं लड़कियों के बीच असमानता को दर्शाता है जो सर्वथा गलत है। समाज में लड़कियों के प्रति व्याप्त सोच के बदलने के लिए हमे आगे आने के जरूरत है।
ReplyDeleteDahej paratha ek samajik abhishap hai jise siksha dwara he dur kya ja sakti hai by Bikram Majhi
ReplyDeleteजेंडर सम्बन्धी धारणा परम्परागत एवं रूढ़ीवादी है। पुरूष को ही परिवार का सर्वेसर्वा माना जाता है। स्त्री को पुरुष से कमतर समझा जाता है । पुरुष को जन्म से ही पारिवारिक सम्पति का अधिकार मिल जाता है और स्त्री को पराया समझा जाता है। लड़को को हर जगह वरीयता दी जाती है । लड़कियो की कम उम्र मे शादी करके उनसे दहेज माँगा जाता है। लड़कियो के प्रतिभा को उभरने नही दिया जाता है। धीरे धीरे शिक्षा के कारण इन रूढ़िवादी मे कमी आ रही है लड़कियो ने अपनी क्षमता साबित करके समानता का अधिकार कानून से प्राप्त कर लिया है । अब लड़का लड़की को समान समझा जाने लगा है। लेकिन समाजिक स्तर पर अभी भी बदलाव की आवश्यकता है। जो समान शिक्षा देकर ही हो सकता है। लड़कियो को मासिक धर्म को लेकर जो भी वर्जनाये थी वो भी शिक्षा से दूर हो रही है।
ReplyDeleteप्रस्तुत बिंदु लैंगिक असमानता को बढ़ावा देती हैं।अतः इन्हें बदलने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteउपरोक्त प्रथाओ और विचारों को बदलने की जरूरत हैं क्योंकि लिंग भेद प्रथा औऱ विचार समाज मे व्याहारिक असमानता को बढ़ावा देने का काम करता हस। जिससे सामाजिक कुरीति के नज़्म से जाना जस्ट7 हैं।आज के समाज मे इसे बदलने की जरूरत हैं।
ReplyDeleteइसमे मेरे विचार से बेटियों पर बेटों की वरीयता के सोंच को बदलने की आवयश्यक्ता है क्योंकि बेटियां किसी भी मामले में बेटों से कमतर नही आंकी जा सकती बहुत मामलो में बेटियां बेटो से ज्यादा अच्छी तरह अपने माता पिता के लिए खड़ी रहती दिखाई देती है और वो बेटो से ज्यादा सफलता भी अर्जित कर पाती है।
ReplyDeleteदोनो ही महत्वपूर्ण है और समान है ऐसी सोच परिवार में होनी चाहिए।
उपर्युक्त विचारों एवं प्रथाओं को बदलने की परम आवश्यकता है, क्योंकि यह विचार और प्रथा लिंग भेद तथा असमानता को बढ़ावा देता है तथा यह एक सामाजिक कुरीति है जिसे समाज को बदलने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteEducation is the best way to stop old customs logically.becoz education leads our right of equality.
ReplyDeleteऊपर अंकित सभी रूढ़िवादी कुप्रथाओं के कारण ही हमारा समाज सामाजिक पिछड़ेपन का शिकार है ।सम्पत्ति विवाद ,नारी शोषण ,परिवार पर पुरुष एकाधिकार ,दहेज वेदी पर बेटियों की बलि ,बलात्कार और स्त्रियों को हेय दृष्टि से देखे जाने जैसी घटनाएँ समाज में आम हो गई है ।इन रूढ़िवादी परम्पराओं का अंत करके ही हम स्वस्थ्य और सभ्य समाज की स्थापना कर पाने में सक्षम होंगे ।
ReplyDeleteउपरोक्त दिये गए सभी बिंदु परम्परागत समय से आ रही रूढ़ीवादी विचारधारा है जिसे समाज में आज भी अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए महिलाओं पर थोपा जाता रहा है जिसे दूर करने के लिए हर लड़की को शिक्षित होना होगा
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