कृपया बारिश के मौसम से जुड़े अपने बचपन के अनुभवों को लिखें या चित्र बनाएँ ।
निर्देश: यह गतिविधि आपके बचपन की यादें / बारिश के मौसम का आनन्द साझा करने के लिए है। आप नीचे दिए गए बिंदुओं के आधार पर अपना अनुभव लिख सकते हैं तरह-तरह की आवाज़ें जो आपको याद हों - बारिश की आवाज़, छत पर गिरने वाली बारिश, हवा, बादलों के गर्जन , पक्षियों की तथा झरनों आदि की आवाज़ । बरसात के मौसम में मिट्टी की गंध - वनस्पति की, गीली मिट्टी की, नमी की, मौसम के दौरान विशेष भोजन की गंध जो आपको याद है ।उस समय पहनने वाले वस्त्र। बरसात के मौसम में भोजन, मौसम के विशेष गाने। त्यौहार और फसलें जो आपको याद हों कोई भी बीमारी जो लोग सोचते हों कि वह इस समय में उन्हें प्रभावित कर सकती है? भारी बारिश के कारण आने वाली समस्याओं या कठिनाइयों का सामना कभी आपको करना पड़ा हो । कुछ और जो आप साझा करना चाहते हैं?
चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
बरसात में हैजा,डायरिया मलेरिया चिकनगुनिया आदि बीमारियां होती हैं।
ReplyDeleteबरसात का अनुभव अलग है।बच्चे बहुत आनन्द लेते हैं।उन्हें वर्षा में भींगना अच्छा लगता है।हमें उनकी चिंता होती है।मगर वे मस्ती लेते हैं।
Deleteबरसात में बचचे बहुत आनन्द लेते हैं। बरषा में भींगना अच्छा लगता है लेकिन हमें उनकी चिंता होती हैं ।बरसात मे हैजा डायरियाँ मलेरिया सर्दी खांसी बीमारी होती है।
DeleteBarsat mein mendak ki tar tar awaj aur musladhar baris mein bhigna feeling hoti hai .aisa Laga ki barsa aayi aur phir sab bhigo kar chali gayi .
DeleteBarast mein bachche bhut msti krte hain hme v baris me Cigna achchha lagta hai
DeleteBarsaat me maleriya hoti hai
ReplyDeleteBarish k mosam me mujhe bahut maja aata Tha hum sabhi bacche bahut maje k saat nahate the Humare Ghar me aangan me pr pata nahi kyo Hume kuch nhi hota Tha na sardi khasi or na tabyat kharab hota Tha .
ReplyDeleteपानी से बच्चों के साथ खेलते ,एक दूसरे को पानी छींकते, कीचड़ में खूब खेलते ,जब हम कपड़े गीले करते तब घर जाते और मां से मुझे खूब डांट खाती थी।
ReplyDeleteI like rainy season
ReplyDeleteमै बरसात के मौसम पसंद करती हूं ।किन्तु अभी पानी में भींगने से बचना चाहिए।
ReplyDeleteRainy season was very charmful in my childhood. I liked to play in rain water.
ReplyDeleteIt reminds me about the paper boat,the excitement and the beautiful scene of the rainfall.
ReplyDeleteबरसात में हम सभी बच्चे कागज के नाव बनाया करते थे।मुझे मिट्टी की सोंधी खुशबू काफी पसंद है।हम अक्सर बारिश में भीगने के बहाने dhundha करते थे। मगर बारिश में सावधानी व बरतनी चाहिए इस मौसम में मलेरिया हैजा जैसी बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है।
ReplyDeleteबरसात में हम सभी बच्चे कागज के नाव बनाया करते थे।मुझे मिट्टी की सोंधी खुशबू काफी पसंद है।हम अक्सर बारिश में भीगने के बहाने dhundha करते थे। मगर बारिश में सावधानी व बरतनीबरसात में हैजा,डायरिया मलेरिया चिकनगुनिया आदि बीमारियां होती हैं
ReplyDeleteUnknown1 November 2020 at 00:41
ReplyDeleteबरसात में हम सभी बच्चे कागज के नाव बनाया करते थे।मुझे मिट्टी की सोंधी खुशबू काफी पसंद है।हम अक्सर बारिश में भीगने के बहाने dhundha करते थे। मगर बारिश में सावधानी व बरतनी चाहिए इस मौसम में मलेरिया हैजा जैसी बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है।
Reply
When i was child i used to hide under the tree or in houses near by but it get through many diseases which quite can get negative impacts on human health.
ReplyDeleteबरसातमेंबारिशकी बूंदें मन को काफी खुशी देती है,वर्षा ऋतुमें हम बचपन में कागज की नाव बना उसे बाहर पानीमें तैरने के लिए छोड़ देते थे।पर भींग जानेपर तबीयत बिगड़ जाती थी।जब पहली वारिश होती .है तो मिट्टी की सोंधी सोधी गंध अच्छी लगतीहै।
ReplyDeleteबरसातमेंबारिशकी बूंदें मन को काफी खुशी देती है,वर्षा ऋतुमें हम बचपन में कागज की नाव बना उसे बाहर पानीमें तैरने के लिए छोड़ देते थे।पर भींग जानेपर तबीयत बिगड़ जाती थी।जब पहली वारिश होती .है तो मिट्टी की सोंधी सोधी गंध अच्छी लगतीहै
ReplyDeleteबरसात के मौसम में जहां मौसम मस्ती का होता है वहीं बीमारी भी होती है हमे खुद और बच्चो को इनसे बचने के उपाय बताने चाहिए
ReplyDeleteBIRENDRA SINGH Teacher M S Kundri Lesliganj Palamau jharkhand
ReplyDeleteमेरे गांव में एक छोटा सा आहार है यह बरसात के मौसम में जब उसमें पानी भरता था तो बाहर से मछली भी आते थे। और उस मछली को मारने के लिए हम लोग मच्छरदानी का जाल बनाकर लगाते थे। यह काम हम लोग बचपन में बहुत ज्यादा खुशी के साथ करते थे ।आज भी याद है जब हम लोग उस मछली को मारने के लिए आपस में झगड़ा करते थे और रात को 12:01 बजे तक जगते थे ।सुबह मछली पकड़कर लाने में जो खुशी मिलती थी वह आज भी रोमांचित करती है । पानी बरसने का इंतजार होता था ताकि मछली आहार से बाहर निकले और हम उसे पकड़े।
वो भी क्या दिन थे बचपन के .......
Barsat Ke Dinon Mein pani ke sath khelna Bada maja Aata h. Kintu is Mausam Mein bahut sari Bimari hone Ka Dar BHI bana rahata h.is mosam meHone Wali Bimarike bare me bachho kobatani chahiye
ReplyDeleteसृजनात्मक विकास के साथ-साथ सर्वागीण विकास होता है
ReplyDeleteमेढ़क की टरटराहट,छोटी नदियों की गर्जना, किसानों का हल बैलों के साथ अपने खेत की ओर जाना ,जहाँ तहाँ बर्षा गीत सुनाई पड़ना |
ReplyDeleteबरसात में हम सभी बच्चे कागज के नाव बनाया करते थे।मुझे मिट्टी की सोंधी खुशबू काफी पसंद है।हम अक्सर बारिश में भीगने के बहाने dhundha करते थे। मगर बारिश में सावधानी व बरतनी चाहिए इस मौसम में मलेरिया हैजा जैसी बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है।
ReplyDeleteI recall my childhood in rainy season.
ReplyDeleteबरसात में हम सभी बच्चे कागज के नाव बनाया करते थे।मुझे मिट्टी की सोंधी खुशबू काफी पसंद है।जब हम कपड़े गीले करते तब घर जाते और मां से मुझे खूब डांट खाती थी।
ReplyDeleteबरसात के मौसम में जहाँ मौसम मस्ती का होता है वहीं बीमारी भी एक से बढ़कर एक होती है.हम खुद को और बच्चों को इनसे बचने के उपाय बतायी जानी चाहिए.
ReplyDeleteबरसात मेंं पकौड़े खाने का अलग ही मजा है, भूँजा खाते हुए बरिश देखने का अलग ही आनंद है।कागज की नाव तैराते बच्चों को देखकर अपना बचपन बरबस याद आता है।
ReplyDeleteबरसात का मौसम का बहुत ही अधिक महत्व है।इस मौसम में जहां कृषक वर्ग खुश होते हैं वहीं दूसरी ओर व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों एवं नौकरी करने वाले को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। विद्यालय जाने वाले बच्चे अक्सर विद्यालय जाने के क्रम में भींग जाते थे । मैं भी इसका शिकार हुआ करता था।काफी मज़ा आता था। वर्षा जब ख़तम होती थी तो मिट्टी की सोंधी खुशबू और मेंढ़क कि टर टर आवाजें सुनाई देती थी।जो काफी सुंदर लगता था।आस पास के पेड़ पौधों में हरियाली नजर आती थी।कभी कभी कागज की नाव बना कर पानी में छोड़ देते थे।
ReplyDeleteयूं कहा जाय कि बारिश और बचपन का मज़ा ही कुछ और है।
परन्तु इस मौसम में अनेक प्रकार के रोग भी उत्पन्न होते हैं उनसे बचना भी अति आवश्यक है।
धन्यवाद।
बरसात के मौसम मे पानी जब खेतो में जमा हो जाता था तो हम दोस्तो के साथ पानी में नाव बनाकर खेलते थे इससे हमें आनंद तो मिलता था पर साथ ही सृजनात्मक विकास भी होता था
ReplyDeleteबरसात के दिनों में कागज की नाव बनाकर उसे पानी मे छोड़ते थे और बारिश में भीगने में बहुत अच्छा लगता था।
ReplyDeleteबरसात में हम सभी बच्चे कागज के नाव बनाया करते थे।मुझे मिट्टी की सोंधी खुशबू काफी पसंद है।मेढ़क की टरटराहट,छोटी नदियों की गर्जना, किसानों का हल बैलों के साथ अपने खेत की ओर जाना ,जहाँ तहाँ बर्षा गीत सुनाई पड़ना | बरसात के दिनों में कागज की नाव बनाकर उसे पानी मे छोड़ते थे और बारिश में भीगने में बहुत अच्छा लगता था। हमें आनंद तो मिलता था पर साथ ही सृजनात्मक विकास भी होता था
ReplyDeleteछत पर गिरती बारिश की बूंदों की आवाज़,धरती पर बारिश के बूंदों के गिरने के बाद उससे उठती मिट्टी की सौंधी-सौंधी सुगंध और बारिश के छीटों का शरीर पर सुखद स्पर्श की अनुभूति....काफी रोमांचित करता है।
ReplyDeleteबरसात में हम सभी बच्चे कागज के नाव बनाया करते थे।मुझे मिट्टी की सोंधी खुशबू काफी पसंद है।हम अक्सर बारिश में भीगने के बहाने dhundha करते थे। मगर बारिश में सावधानी व बरतनीबरसात में हैजा,डायरिया मलेरिया चिकनगुनिया आदि बीमारियां होती हैं
ReplyDeleteमै बरसात के मौसम पसंद करती हूं ।किन्तु अभी पानी में भींगने से बचना चाहिए।
ReplyDeleteबरसात में हम सभी बच्चे कागज के नाव बनाया करते थे।मुझे मिट्टी की सोंधी खुशबू काफी पसंद है।हम अक्सर बारिश में भीगने के बहाने dhundha करते थे। मगर बारिश में सावधानी व बरतनी चाहिए इस मौसम में मलेरिया हैजा जैसी बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है।
ReplyDeleteजिस समय हम सभी बच्चे थे, बरसात के पानी में भीगने का मज़ा ही अलग था। जब बारिश होती थी तो हम सब बच्चे कागज का नाव बनाते थे। जब भी बारिश होती थी मैं कोई बहाना बनाकर भींगता था। लेकिन अभी के बारिश में एहतियात बरतनी चाहिए इस मौसम में मलेरिया हैजा जैसी बीमारियों का खतरा जियादा रहता है।
ReplyDeleteबचपन में मैं अक्सर भींगते हुए खेतों में चले जाता था और पानी से भरे खेतों को देखते हुए समूद्र की कल्पना करता था कि शायद समूद्र ऐसा ही दिखता होगा। तब सर्दी, खांसी या बुखार के बारे में नहीं सोचा करता था।
ReplyDeleteबारिश में भीगना अच्छा है पर एक सीमा तक ही यह सही है। बारिश में कागज की नाव बनाना तथा गीली मिट्टी की सोंधी खुशबू मन को आनंद से भर देती है। हालांकि बच्चों को ज्यादा भीगना नहीं चाहिए क्योंकि इससे तबीयत भी बिगड़ सकती है
ReplyDeleteमैं बचपन में बारिश का खूब आनंद लेता था।बारिश में कबड्डी, खो-खो आदि खेल खेलता था। भींग-भींग कर खूब नहाता था। किसी भी प्रकार की बीमारियों का एहसास नहीं था।
ReplyDeleteबरसात का मौसम हमको बहुत पसंद हैं बरसात मे पकोड़ा और भुजा खाना सबको बहुत पसंद होता हैं ओर ठप ठप पानी की आवाज़ सुनना बहुत अच्छा लगता हैं पर बरसात अधिक होने पर एक जगह से दूसरे जगह आने जाने मे भारी दिक्क़त होती हैं।
ReplyDeleteबरसात का मौसम मुझे बहुत पसंद है। बारिश के पानी के गिरने की टिप टिप आवाज का आनंद लेते है। बारिश के बाद पक्षियों की कोलाहल का मनोरम दृश्य होता है। खेतो मे बहती हुई पानी कलकल करती मधुर आवाज सुनाई देती है ।फसलो कि हरियाली देखकर मन पुलकित हो जाता है। बारिश मे कभी - कभी बादलो की तेज गर्जन से डर का अनुभव होता है । बारिश मे डायरिया मलेरिया बीमारी होने की संभावना ज्यादा रहती है। बारिश मे झुला झूलने का त्योहार होता है जो बहुत ही आनन्दमयी होता है।
ReplyDeleteबरसातमेंबारिशकी बूंदें मन को काफी खुशी देती है,वर्षा ऋतुमें हम बचपन में कागज की नाव बना उसे बाहर पानीमें तैरने के लिए छोड़ देते थे।पर भींग जानेपर तबीयत बिगड़ जाती थी।जब पहली वारिश होती .है तो मिट्टी की सोंधी सोधी गंध अच्छी लगतीहै।
ReplyDeleteबर्षा का नाम सुनते ही बचपन की वे सारी बातें याद आ जाती है,कोयल नदी मे छलांग लगाकर तैरना,फूटबॉल खेलते समय फिसलना-गीरना,मच्छरदानी मे मछलियां फंसाना,मेढ़क और झीगूर की आवाजें, गीली मिट्टी से खेलना और कपड़े गंदे होने पर तमाचे खाना रोना चिल्लाना,फूल पौधे लगाना,बादलों की गड़गड़ाहट सुनकर कान बंद करते हुए घर की तरफ भागना,बारिश शुरू होते हीं भींगना नहाना और सर्दी जूकाम बुखार आदि हो जाने पर तीखी दवाओं लेने के नाम पर जी मिचलाना और न जाने कितने बातें दिमाग मे आने लगते हैं।इस गतिविधि मे हम बच्चों को जोड़कर उन्हें बर्षा के समय का वर्णन उनके ही मुह से करा सकते हैं।इसमे बच्चे स्वयं उतेजित होकर अपनी बात कहने के तैयार हो जायेंगे।वास्तव मे बच्चे एक चिंगारी के समान है जिन्हे हम शिक्षकगण को थोड़ी हवा देने कि जरूरत है वे बारुद बन सकते हैं।
ReplyDeleteखेतों में पिताजी के साथ किया गया काम याद आना....
ReplyDeleteमेरा बचपन मिट्टी के घरों में ही बीता है, इसलिए जब भी कभी बरसात का दिन आता था तब मेरे घर में चारो ओर से पानी टपकते रहता था,कभी-कभी तो रात को सो भी नहीं पाते थे, पूरा बिस्तर भींग जाया करता था पानी से। इसलिए जब भी बरसात का दिन आता था, मेरे मन में यही सवाल रहता था कि अब हम कहां सोयेंगे। कभी-कभी तो घरों में पैर रखने के लिए भी जगह नहीं रहते थे, ऐसे ही बीता है मेरा बचपन....🙏
ReplyDeleteBaris ke mouam bahut majedar hota hai.Garmi ke baad paheli baris man ko aanand deta hai.mitti ki saudhi khusbu bachpan me le jata hai.baris me sab jagah pani bhar jata hai.us samay khichdi khane me aanand aata hai.paukouda khane me maja lagta hai.baris me chatri,raincoat ka istemal bad jata hai.baris me bimari bhi bad jati hai.kisan ka chera khil jata hai.SHYAMAL SARKAR
ReplyDeleteBarsat bachon hi nahi balki sabka pasandida mausam hai.
ReplyDeleteबारिश होने पर स्कूल से भींगते हुए घर आना, भींग-भींग कर खेलना, कागज का नाव बनाकर तैराना और भी बहुत सारी बातें चलचित्र की भांति ऑखों के सामने आ जाते हैं।
ReplyDeleteIt was nice back then. We used to make paper boats and played with them in water collected in pits near homes. Also a lot dragonflies used to fly and we struggled to catch them in our hands. We played in the rain.
ReplyDeleteजब मैं छोटा था।बारिश के मौसम में अपने के पास से गुजरने वाली नहर में खूब मजे ले कर स्नान करता था। जब मैं शिक्षक बना उसके बाद ट्रेनिंग के लिए कॉलेज गया। उस दिन इतनी मूसलाधार बारिश हुई की लौटते समय बाढ़ आ गई। उस रोज मैं अपने घर वापस नहीं आ पाया।
ReplyDeleteBachpan kya aaj v garmi ke baad jab baarish shuru hoti hai to mujhe mitti kii sondhi sugandh bahut achchi lagti hai. Bachpan me baarish hone par kabhi kabhi darr v lagta thha jab bijli bahut jor kadakti thhi. Baarish hone par jab kabhi kabhi barf girti thhi to hum bahut maje se oon barfo ko jama karte thhe aur aam choonnne ke liye bahar nikal jaate thhe. Feer ghar aane par to kya hota thha aap sab samaj sakte hai. Mukesh chakravorty U.m.s.Haridih Baliapur Dhanbad.
ReplyDeleteBarsat me malaria, dengue jaise bimariyan hoti hain
ReplyDeleteबरसात बच्चों ही नहीं, सभी का पसंदीदा मौसम और विषय है।बर्षा अधिक होने पर बाढ़ ,फसल नष्ट , भुखमरी,महामारी जैसे समस्या आती है।
ReplyDeleteबारिश होने पर स्कूल से भींगते हुए घर आना, भींग-भींग कर खेलना, कागज का नाव बनाकर तैराना और भी बहुत सारी बातें चलचित्र की भांति ऑखों के सामने आ जाते हैं।बारिश में भीगना अच्छा है पर एक सीमा तक ही यह सही है।
ReplyDeleteचिलचिलाती धूप और गर्मी से निजात दिलाती है बारिश का मौसम। बारिश की बूंदें सुखी धरती और धरती के जीवों में एक नई संचार एवं उत्साह भर देती है। गर्मी और शीत ऋतु के मध्य बारिश का मौसम अपने साथ हरियाली, सुहावन अम्बर, सुहावन प्रकृति का दृश्य लेकर आती है।
ReplyDeleteबारिश के मौसम से तरह-तरह की आवाजें जुड़ी हुई है- टप-टप गिरती वर्षा की बूंदे, हवा की सरसराहट, बादलों का गर्दन, मेंढ़कों का टर्राना ,झींगुरों का गर्जन आदि।
ReplyDeleteबारिश होने के बाद मिट्टी की सोंधी गंध ,बारिश के समय बनने वाली पकौड़ीओं का चाय के साथ लुफ्त उठाना,कागज की कश्ती चलाना ,एक दूसरे पर पानी उछालना,कभी-कभी बारिश में भींगना, छाता लेकर सड़क पर पानी से बचते हुए चलना, पेड़ों के नीचे खड़े होना और ऊपर से टप टप गिरती हुई बूंदों को महसूस करना, भुने हुए गरमा-गरम भुट्टे खाना ।
मलेरिया ,डेंगू आदि बीमारियां भी इस मौसम में खूब होती हैं।
भारी बारिश के कारण नालियों का पानी अपनी गंदगियों के साथ सड़क पर बहने लगता है। हमारे शहर में कचहरी तालाब का पानी सड़कों के ऊपर से बहने के कारण रास्ता भी बंद हो जाता है।(जब बहुत अधिक और लगातार वर्षा होती है)।
अनुपमा
टाटा कॉलेज कॉलोनी मध्य विद्यालय चाईबासा
पश्चिमी सिंहभूम
झारखंड
वारिस होने पर स्कूल से भिगे हुए घर आना,भिग -भिग कर खेलना । कागज का नाव बनाकर तैरना ओर भी बहुत बाते चलचित्र कि भाति आखो के सामने आ जाती है ।
ReplyDeleteहमारा देश विभिन्न जलवायु से सुसज्जित है, परन्तु सबसे आनंद से भरपूर मौसम बरसात का होता है। बारिश में बच्चों के साथ साथ सबों का में उन बूंदों के साथ खेल खेलने को प्रफुल्लित हो उठता है। कृषक जन के मन में अच्छी फसल होने की उम्मीद मानो चमक बिखेर देती है। जीव जंतु अपितु सम्पूर्ण सृष्टि भाव विभोर हो कर बारिश का आनंद उठाते हैं। परन्तु इस मौसम में कुछ परेशानियां भी साथ आती है, जैसे जो लोग कच्चे मकानों में रहते हैं उन्हें अपने मकान की क्षति होने की आशंका होती है। साथ ही बरसात में अनेकों संक्रामक रोगों का भी खतरा रहता है।
ReplyDeleteऋतुओं की रानी वर्षा सबसे अच्छी ऋतु लगती है।बारिश की बूंदें जहाँ प्रकृति को नवजीवन देती है वहीं तन मन को भी काफी प्रभावित करती हैं।
ReplyDeleteमुझे याद है बचपन में जब बारिश शुरू होती थी हम अपने घरों से निकलकर बारिश में भीगने चले जाते थे ।हमारे माता-पिता हमें रोकने के लिए पीछे पीछे दौड़े आते थे । वह हमें बारिश में भीगने और खेलने से मना करते थे पर हम रुकने वाले कहां थे ।बहते पानी में कागज का नाव बनाकर बहाना मुझे बड़ा आनंद देता होता था ।पानी के साथ बहकर आने वाले रेत से घरौंदा बनाना उसमें खेलना, टूटने पर रोना ,मेरा घरौंदा अच्छा है ,अपने साथियों के साथ झगड़ना इत्यादि ।आज भी उस याद करके मैं मन में याद कर रोमांचित होता हूं ।वो बारिश की बूंदे वह कागज की कश्ती वह बचपन की यादें सब कुछ ताजा हो जाता है।
ReplyDeleteBarsat sirf bacchon ka hi nahi sabhi ka pasandida mouasam hai.Kyonki agar barsat ka mousam nahi ata to ham bharat wasibhukhe pet sona parta. Kyonki bharat ki adhi aabadi krishi par ashrit hain.
DeleteBarsa nahi hogi to dharti ki hariyali khatam ho jaigi
ReplyDeleteप्रसाद के बारे में सोचते हैं हमारे बचपन की बहुत सारी बातें हमें याद आने लगती है इस तरह से हम बारिश के मौसम में पानी से भीग गए थे और हमारे हाथों में डांट कर अंदर कर लेते थे भीम भीम के स्कूल जाना बहुत ही अच्छा लगता था
ReplyDeleteबरसात में हम सभी बच्चे कागज के नाव बनाया करते थे।मुझे मिट्टी की सोंधी खुशबू काफी पसंद है।मेढ़क की टरटराहट,छोटी नदियों की गर्जना, किसानों का हल बैलों के साथ अपने खेत की ओर जाना ,जहाँ तहाँ बर्षा गीत सुनाई पड़ना | बरसात के दिनों में कागज की नाव बनाकर उसे पानी मे छोड़ते थे और बारिश में भीगने में बहुत अच्छा लगता था। हमें आनंद तो मिलता था पर साथ ही सृजनात्मक विकास भी होता था
ReplyDeleteBarish k dino maa k mana krne k baad bhi varsha k pani me khub nahate the. Ghar ane par khub pitai bhi hoti thi lekin barish me bhingna mujhe bohot pasand hai
ReplyDeleteबरसात के दिनों बचपन में बहुत ही मजा आता था। विद्यालय से आते जाते भींग कर आनंद आता था। बरसात में सर्दी खाशी हो जाता था और माता पिता से पिटाई मिलता था।
ReplyDeleteवर्षा ऋतु में हम बचपन मे कागज़ की नाव बनाकर पानी में छोड़ देते थे। भींग जानें पर तबियत खराब हो जाती थी इस मौसम मेे डायरिया मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का खतरा ज्यादा होता हैं।
ReplyDeleteवेसे तो बारिश का मौसम काफी सुहाना होता है, लेकिन बारिश के कारण गांवों में आवागमन की असुविधा हो जाती है। बरसात के दिनों में नदी, तालाब आदि का पानी प्रदूषित हो जाता है और कीड़े-मकोडों, का प्रकोप बढ़ जाता है। बरसात के कारण बीमारी जैसे डायरिया, हैजा, मलेरिया आदि फैलने का डर बना रहता है।
ReplyDeleteबारिश का मौसम आते ही मिट्टी की सौंधी सुगंध मन को आनंदित कर देती है| बारिश के साथ ही बचपन की यादें ताजा हो जाती है जब हम भींग कर फुटबॉल खेला करते थे|
ReplyDeleteबारिश का मौसम आते ही मिट्टी की सौंधी सुगंध मन को आनंदित कर देती है| बारिश के साथ ही बचपन की यादें ताजा हो जाती है जब हम भींग कर फुटबॉल खेला करते थे|
ReplyDeleteमैं बरसात के मौसम पसंद करती हूं और बच्चों को पानी में खेलना पसंद है।
ReplyDeleteमैं बरसात के मौसम पसंद करती हूं और बच्चों को पानी में खेलना पसंद है।
ReplyDeleteमैं बरसात के मौसम पसंद करती हूं और बच्चे को भी बरसात में खेलना पसंद है।
ReplyDeleteBarsath ka time me bundo se khelna achcha lagta hai
ReplyDeleteमैं ग्रामीण इलाके से हूँ! बचपन में मैं बारहों माह पशु चराने का काम किया करता था!बैल चराते हुए हम लड़के खूब खेलते थे, चाहे घनघोर वर्षा क्यों न हो रही हो!लेकिन सभी मौसमों के थपेड़े सहने के कारण हम बीमार नहीं होते थे! खेल में मशगूल हो कभी- कभी किसी की खेती बैलों द्वारा खिला देते और खेत स्वामी से बचने के लिए खूब भागते थे!
ReplyDeleteबाद में मेरी ही नादानी से कान की बीमारी हो गयी और भीगने पर कान में पानी जाने का भय होने लगा और अब आवश्यक कार्य के अतिरिक्त मैं बारिश से बचने में रहने लगा!
Barish ka mausam bahut suhana aur prakriti ka sabse Sundar roop hota hai
ReplyDeleteबारिश का मौसम मुझे बहुत पसंद है ।बचपन की बहुत सारी यादें इससे जुड़ी हुई हैं जैसे कि बारिश की बूंदों से खेलना ।
ReplyDeleteलोग बारिश को भी अपने ही नजरिया से देखते हैं! अगर खेत सूखा हो तो किसान बारिश आने की प्रार्थना करता है, पर जब उसका काम निकल जाता है और बारिश आती है तो कोसने लगता है, चाहे उस समय बारिश की अन्य अवश्यकता हो!
ReplyDeleteJai Prakash Tiwari
ReplyDeleteबरसात का मौसम आनन्ददायक और सुहावना होता है चारों ओर हरियाली की छटा मनमोहक होता है देहाती कृषक महिलाएं मधुर गीत गाते हुए खेतों में रोपनी करतीं हैं कजरी गीत का आंनद कुछ और होता है बारिश में खेलने में बच्चे बहुत आनन्द लेते हैं
NIKHAT JAHAN (ASSISTANT TEACHER )
ReplyDeleteP/S JALAN NAGAR DHANBAD 2
बीमारी भी होती है हमे खुद और बच्चो को इनसे बचने के उपाय बताने चाहिए
Reply
I like to the reniy session
ReplyDeleteमुझे बरसात का मौसम बहुत अच्छा लगता है
ReplyDeleteमैं बरसात का मौसम पसंद करती हूँ, बचपन की बहुत सारी यादें वारिश में भीगनें पर सामने झलकने लगता हैं
ReplyDeleteबरसात के मौसम में जब अधिक बारिश होती थी तो मैं कागज का नाव बनाकर अपने स्कूल के थोड़ी दूर बड़ा नाला में जाकर बहाता और उसका आनंद लेता।कभी कभी अपने कमरे की खिड़की पर बैठकर बारिश का आनन्द लेता था।
ReplyDeleteबरसात के मौसम में पानी से बच्चों के साथ खेलने एक दूसरे को पानी छीटने, कीचड़ में दौड़ लगाने ,अपने-अपने कपड़े गीले करने की बचपन की स्मृति आज भी याद है ।
ReplyDeleteबारिश के दिन में विद्यालय आने जाने के क्रम में भींगना अच्छा लगता था। एक दुसरे के साथ बरसात के दिन में जो पानी गड्ढे में जमा हो जाता था उसे एक दूसरे पर छिरकना अच्छा लगता था।भींग कर खेलने में भी बहुत आनंद आता था।
ReplyDeleteबारिश के मौसम में पानी गंदा हो जाता है जिससे हैजा, मलेरिया आदि बीमारी फैलने लगती है लेकिन बचपन में पानी का मज़ा लेने में पीछे नहीं रहते थे। कीचड़ में कूदना, फिसलना, बहता पानी पर मेड़ बनाना,मछली पकड़ना, आंधी में गिरे आम इकट्ठा करने, बज्रपात का भय न करना, ओलावृष्टि पर बर्फ का मजा लेना इत्यादि।
ReplyDeleteBarish ke mousham me mai aur mere dost barish ka maja lete aur bhing bhing kar khelte the.
ReplyDeleteरसात में हम सभी बच्चे कागज के नाव बनाया करते थे।मुझे मिट्टी की सोंधी खुशबू काफी पसंद है।हम अक्सर बारिश में भीगने के बहाने dhundha करते थे। मगर बारिश में सावधानी व बरतनी चाहिए इस मौसम में मलेरिया हैजा जैसी बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है।
ReplyDeleteमैं जब छोटी थी हमारे घर का छत खपरे का होता था,बारिश के मौसम में अकसर इधर-उधर पानी टपकने लगता था|हम सभी भाई-बहन भाग-भाग कर वहॉं बर्तन रखा करते थे|फिर कागज़ के नाव बनाकर पानी में तैरने के लिए छोड़ दिया करते थे|बारिश में गरमा गरम पकौड़े खाने का,वह भी माँ के हाथ का....बहुत याद आता है|
ReplyDeleteबरसात के मौसम में जहां मौसम मस्ती का होता है वहीं बीमारी भी होती है हमे खुद और बच्चो को इनसे बचने के उपाय बताने चाहिए
ReplyDeleteबारिश के मौसम का नाम सुनते ही हम सभी को अपने बचपन की यादें ताजा हो जाती है।जहाँ एक तरफ यह मौसम यादें ताजा करती है वही दूसरी तरफ काफी परहेज से भी जुड़ी होती है क्योंकि बीमारियों का मौसम भी यही से प्रारंभ होता है।इसलिए जितना हम बारिश के मौसम का आनंद उठाते है उतना ही परहेज की भी जरूरत है।
ReplyDeleteबारिश के मौसम में किसान तो खुश होते हैं लेकिन बारिश में कुछ लोगों की दिक्कत हो जाती है जैसे बाढ़ आ जाना, घर डूब जाना, फसल नुकसान होना आदि
ReplyDeleteबारिश के दिन में हमलोग विद्यालय से आते वक्त भींगते हुऐ आते थे । और घर में आ कर नहा लेते थे । बारिश में साइकिल चलाना, आम चुनना, बर्फ के गोले चुनना । बारिश खत्म होने के बाद डेम जाना । सुबह सुबह आंधी के बाद चारो तरफ पेड़ टूटे हुए, रास्ता बंद । इस तरह की बहुत सी सुहानी यादें है।
ReplyDeleteवेसे तो बारिश का मौसम काफी सुहाना होता है, लेकिन बारिश के कारण गांवों में आवागमन की असुविधा हो जाती है। बरसात के दिनों में नदी, तालाब आदि का पानी प्रदूषित हो जाता है और कीड़े-मकोडों, का प्रकोप बढ़ जाता है। बरसात के कारण बीमारी जैसे डायरिया, हैजा, मलेरिया आदि फैलने का डर बना रहता है।
ReplyDeleteवेसे तो बारिश का मौसम काफी सुहाना होता है, लेकिन बारिश के कारण गांवों में आवागमन की असुविधा हो जाती है। बरसात के दिनों में नदी, तालाब आदि का पानी प्रदूषित हो जाता है और कीड़े-मकोडों, का प्रकोप बढ़ जाता है। बरसात के कारण बीमारी जैसे डायरिया, हैजा, मलेरिया आदि फैलने का डर बना रहता है।
ReplyDeleteबरसात के पानी मे भीगना कागज की नाव चलना बहुत अच्छा लगता था पानी मे भींग भींग कर साइकिल चलाना तो और भी मजेदार होता था जबकि खाने में पकौड़ी और सत्तू पराठा का कोई जवाब नहीं है। हम बारिश में भी फुटबॉल खेला करते थे ।
ReplyDeleteवेसे तो बारिश का मौसम काफी सुहाना होता है, लेकिन बारिश के कारण गांवों में आवागमन की असुविधा हो जाती है। बरसात के दिनों में नदी, तालाब आदि का पानी प्रदूषित हो जाता है और कीड़े-मकोडों, का प्रकोप बढ़ जाता है। बरसात के कारण बीमारी जैसे डायरिया, हैजा, मलेरिया आदि फैलने का डर बना रहता है।
ReplyDeleteBarsat ki pani me bachhon sath khelte, ak-dusre ko pani chhinte, kichad me khub khelte, jab hum kapde gile-ganda karta tab ghar jate hi maa se khub daant padta. Or barsaat me haiza, maleria or dairiya adi bimariyon se jujhna padta hai.
ReplyDeleteBarsat ki pani me bachhon sath khelte, ak-dusre ko pani chhinte, kichad me khub khelte, jab hum kapde gile-ganda karta tab ghar jate hi maa se khub daant padta. Or barsaat me haiza, maleria or dairiya adi bimariyon se jujhna padta hai.
ReplyDeleteबरसात में हम सभी बच्चे कागज के नाव बनाया करते थे।मुझे मिट्टी की सोंधी खुशबू काफी पसंद है।हम अक्सर बारिश में भीगने के बहाने dhundha करते थे। मगर बारिश में सावधानी व बरतनी चाहिए इस मौसम में मलेरिया हैजा जैसी बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है।
ReplyDeleteC.K.Rajak
ReplyDeleteबरसात के आगमन से ही प्राकृतिक सुन्दरता देखने को मिलता है, सभी जीव जंतुओं इस ॠतु की आगमन का स्वागत करता है। बचपन मे बरसात के समय बहुत अच्छा तथा मजा आता था, कागज के नाव बनाकर बहते हुए पानी पर तैराते थे,बिद्यालय जाने के क्रम मे सिर पर पोलीथिन पहन कर तथा काॅपी और किताब को प्लास्टिक में भर कर ले जाते थे, घर से कभी-कभी छतरी मिलता था व भी बड़़ा वाला ले जाने मे असुविधा होता था कभी-कभी हवा के चलते छतरी उलट जाता था। बरसात के दिन मे बिद्यालय जाने का रास्ता बहुत कीचड़ हो जाता था पैर जमीन मे घुस जाता था। रात मे मेंढक की टर-टर की आवाज से बाहर निकलने मे डर लगता था। बरसात के दिन मे तालाब मे मछली पकड़ने के लिए जाते थे।
Barsh ke mausam mein pani mein khelna mujhe bahut accha lagta hai ,kagaz ki naav chalana,bansi se machli pakadna aadi .Barsh ke mausam mein bahut sari bimariyan bhi hoti hain Jo mujhe bilkul bhi pasand nahi hai.
ReplyDeleteबरसात के दिनों में कागज की नाव बनाकर उसे आंगन में बहते हुए पानी में छोडते थे, और बारिश में भीगने में बहुत मजा आता था।
ReplyDeleteमुझे आज भी वो दिन और दृश्य याद है । लगातार चार-पाँच दिनों तक भारी बारिश हो रही थी ।बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी । हम अपने परिवार जनों के साथ घर में कैद थै। गरज के साथ पानी बरस रहा था । नदी में भयंकर बाढ़, बाढ़ की आवाज़ आ रही थी । ऐसा लग रहा था मानो हमारा गांव समुन्दर के ऊपर तैर रहा था । बड़े-बड़े साँप पानी में तैर रहा थे। घरों में भी घुस जाते थे । हमलोग उन्हें मार देते थे । 5दिनों के बाद बारिश रुक गई । हम बाहर निकले तो देखे कि बहुत से जंतु जानवरों का शव पड़ा हुआ था । आदि आदि ...
ReplyDeleteBachpan hi nhi balki avi bhi mujhe pani parne ke bad mitti ki bhini - bhini khusbu bahut achhi lgti ha.Bijli ki gargarahat se mn me bhay lgta tha.Rimjhim pani me geet gati dhan ropni geet avi bhi kan me gunjta ha.mujhe bhi unlogo ke sath kam karne ka mn krta tha.Hame is mousam me hone wali bimariyon jaise haiza, malaria ke prati jagruk hona chahiye.
ReplyDeleteबारिश के मौसम से जुड़े मेरे अपने बचपन के अनुभव भी मजेदार ही है। गांव का मामला हुआ करता था। जैसे ही बादल छाते लगभग पड़ोस के सभी बच्चे इकट्ठा हो जाते। फिर जैसे ही बारिश शुरू होती, बच्चे कुलही/सड़क में चिल्लाते हुए दौड़ लगाने लगते थे। बरसते हुए पानी में सभी बच्चे चारों तरफ दौड़ते - भागते। तथा सड़क पर बहते पानी को रोकने की कोशिश करते। वापस घर लौटने पर पिताजी की डांट और डांट से बचाने के लिए मां की ममता का जो मिश्रित अनुभव है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।
ReplyDeleteथोड़ी देर बाद मां - बाप का समझाना कि, इस पानी में भींगने से कितने तरह की बीमारीयां होती हैं। हमें आज भी याद है।
बारिश में रास्ते पर किचड़ तो आम बात होती थी,रात को रोशनी देखकर कीड़े मकोड़े का आना आफत ही हुआ करता था।
लेकिन बचपन में बरसात में चारों ओर हरियाली का दृश्य, मन को भाता था और आज भी भाता है।
Prerna Topno,kGBV murhu,khunti,mujhe barish ka mausam pasand hai aur pakode khana is season me par mujhe thundering se bahut darr lagti hai bachpan me paper ke naav banakar khelna aur bhigna yaad hai mujhe
ReplyDeleteबचपन और बारीश ये बात सुनकर ही मन ही मन एक अजीब सी कहानी बन जाती है !बारीश की शुरुआत जैसे ही होती थी सभी दोस्त मस्ती करने निकल पड़ते थे ! मां पिता जी डर भी रहता था ! लेकिन बचपन तो बचपन जबरदस्ती भिगने निकल जाते थे इसके बाद चारों तरफ़ मेंढक की टऱ टऱ की आवाज ,उधर कोयल कि कू-कू की बोल और अन्य सबूत,
ReplyDeleteबचपन में बारिश के मौसम मेरे लिए सबसे आनंददायक किन्तु कठिनाइयों से भरपूर रहता था, आनंददायक इसलिए क्यूंकि मेरे यहाँ के सभी तालाबों के साथ साथ एक नदी है जो बारिश के मौसम में भर जाता था जिसमे खूब नहाया करते थे और साथ ही साथ कभी कभी मछली भी पकड़कर लाते थे,बारिश में दोस्तों के साथ फुटबॉल खेलने का वो सुनहरा पल कभी नहीं भूल सकते हैं,
ReplyDeleteबारिश की आवाज़,ठंडी ठंडी हवा, बादलों के गर्जन ,पक्षियों की तथा पशुओं की आवाज़ । बरसात के मौसम में गीली मिट्टी की गंध ये सब कभी नहीं भूल सकते । बारिश में बीमारी भी खूब पकड़ता था |
भारी बारिश के कारण कई सारे कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा हैं, कच्चा मकान होने के कारण भारी बारिश से अनेक परेशानियों को झेलना पड़ता था
उस समय बारिश के कारण हफ़्तों तक बिजली भी नहीं आती थी,कच्ची सड़कों पर तो मानों हाल जोत दिया हो वैसा नजारा देखने को मिलता था,भारी बारिश से नदी भर जाने के कारण हमारे गाँव का संपर्क रेलवे स्टेशन और बस अड्डे से बिल्कुल कट ही जाता था
जैसा भी था लेकिन काफी मजेदार समय था बारिश में नहाने का मजा साथ ही साथ मेंढ़कों के टर्रटराने कि आवाज,खेतों में फसल बुआई कि खुशी कुल मिलकर सबकुछ आनन्ददायक ही था |
बरसात की बारिश मेस्कूल से लौटते वक्त अपनी किताबों को अपने शर्ट मे लपेटकर दौड़ते हुए घर भागना ,घर मे मां से मार खाना, रविवार के दिन भाई बहनों के साथ खेत मे धान रोपनी के समय बिचड़े उखाड़ने एवं डालने मेंका मजा ही कुछ और था।
ReplyDeleteBarsat ki baarish sabhi ke liye yadgar pal hoti hai. Barsat ke din mai Kagaj ke naaw ko tairana alag hi Anand ki anubhti deti thi. Rimjhim barish ki wo annaddayk tiptipahat.dhan ki ropai ka drishya that un kheto mai kamgaro ka ek sath dhan ke lagane ka drishya ankho ko bhlibhut kardeti hai . Bachpan mai baarish mai bhigne la maza swarg ki anubhuti karwata tha .ups HARIPALDIH SAVITRI DEVI
ReplyDeleteबरसात की बारिश मेस्कूल से लौटते वक्त अपनी किताबों को अपने शर्ट मे लपेटकर दौड़ते हुए घर भागना ,घर मे मां से मार खाना, रविवार के दिन भाई बहनों के साथ खेत मे धान रोपनी के समय बिचड़े उखाड़ने एवं डालने मेंका मजा ही कुछ और था।
ReplyDeleteबारिश के मौसम मे खेल कुद करने मे बहुत मजा आता था |
ReplyDeleteबर्षा का नाम सुनते ही बचपन की वे सारी बातें याद आ जाती है,कोयल नदी मे छलांग लगाकर तैरना,फूटबॉल खेलते समय फिसलना-गीरना,मच्छरदानी मे मछलियां फंसाना,मेढ़क और झीगूर की आवाजें, गीली मिट्टी से खेलना और कपड़े गंदे होने पर तमाचे खाना रोना चिल्लाना,फूल पौधे लगाना,बादलों की गड़गड़ाहट सुनकर कान बंद करते हुए घर की तरफ भागना,बारिश शुरू होते हीं भींगना नहाना और सर्दी जूकाम बुखार आदि हो जाने पर तीखी दवाओं लेने के नाम पर जी मिचलाना और न जाने कितने बातें दिमाग मे आने लगते हैं।इस गतिविधि मे हम बच्चों को जोड़कर उन्हें बर्षा के समय का वर्णन उनके ही मुह से करा सकते हैं।इसमे बच्चे स्वयं उतेजित होकर अपनी बात कहने के तैयार हो जायेंगे।वास्तव मे बच्चे एक चिंगारी के समान है जिन्हे हम शिक्षकगण को थोड़ी हवा देने कि जरूरत है वे बारुद बन सकते हैं।
ReplyDeletePrabir Kumar Shaw
H.S.KARAIKELA; West Singhbhum.
Barish ke rim jhim bundon me bhingna achha lgta tha. Pahli barish ke bad mitti ki sondhi khusbu achhi lgti thi.Bijli ki garjan se achanak dar jate the. Lekin se mousam me hone wali bimariyon ke prati sachet rahna jaruri ha.
ReplyDeleteबरसात में हम सभी बच्चे कागज के नाव बनाया करते थे।मुझे मिट्टी की सोंधी खुशबू काफी पसंद है।हम अक्सर बारिश में भीगने के बहाने ढूंढा करते थे। मगर बारिश में सावधानी व बरतनीबरसात में हैजा,डायरिया मलेरिया चिकनगुनिया आदि बीमारियां होती हैं
ReplyDeleteवर्षा का मौसम का कुछ ओर ही बात होता है ।इस मौसम में भींगकर नहाना परम आनंद की अनुभूति देता है ।परन्तु हमारे अभिभावक को उतनी ही चिंता बताती है,क्योंकि अकसर अनुभव किया गया है कि जब भी हम भींगकर घर पहुचते थे तो सर्दी जुकाम भी साथ में लाते थे ।
ReplyDeleteबरसात में हम सभी बच्चे कागज के नाव बनाया करते थे।मुझे मिट्टी की सोंधी खुशबू काफी पसंद है।
ReplyDeleteRainy season is very beautiful for any season it is very beautiful
ReplyDeleteबारिश में कागज के नाव बनाना और भींगना बच्चों को बहुत ही अच्छा लगता है परंतु इससे वो बिमार भी हो सकते हैं
ReplyDeleteबारिश में कागज के नाव बनाना और भींगना बच्चों को बहुत ही अच्छा लगता है और मिट्टी की खुशबू काफी पसंद है।
ReplyDeleteBachban m barish m bhigne k aanad hi alag th hm apni masti m jhum kr barish m biga krte th . Aut aagaj ki nav bana kr tairaya krte th . Eo din mujhe abhi bhi anndit kr dete h.
ReplyDeleteअपने बचपन की बरसात की कई यादें हमें आज भी बहुत ही रोमांचित एवं पुलकित कर देती है। इसी तरह की एक वाकिया मेरे किशोरावस्था के दौरान गांव जाते वक्त मूसलाधार बारिश में भिंगते हुए महसूस हुआ था।
ReplyDeleteहम मिडिल स्कूल की पढ़ाई करने घर से तीन किमी दूर जाते थे .वहाँ पहूँचने पर शायद ही कोई दिन हो जब हमें किसी न किसी कारण के तहत दंडित न होना पड़े .इस परिस्थिति में शिक्षकों के सहानुभूति बटोरने के दिन हुआ करते थे बरसात वाले दिन .इन दिनों हमारे पास स्कूली ऊब से बचने के हजारो विकल्प खुले होते थे .जैसे -भींग कर स्कूल पहूँचना ,कीचड़ में गिरकर कीचड़ सने कपड़ों में जाना ,देर से स्कूल जाना आदि आदि .
ReplyDeleteअब इन स्थितियों के बाद एक ही रास्ता था छुट्टी .और लक्ष्य प्राप्त हो जाने के बाद की स्थिति तो आप सब समझ ही रहे हैं .
स्कूल और घर दोनों जगह सहनुभूति और स्वतंत्रता का आनंद प्राप्त कर हमारा दिन .......
बरसात का नाम सुनते ही मुझे पानी की बड़ी-बड़ी बूंदे याद आती है|हम सब बचपन में बारिश में नहाने का आनंद उठाते थे। बारिश की आवाज बड़ी मनमोहक होती है।बारिश के मौसम में मेंढक की टरर्र टरर्र आवाज सुनने को मिलती है।बारिश के मौसम से तरह-तरह की आवाजें जुड़ी हुई है- टप-टप गिरती बारिश की बूंदे ,हवा की सरसराहट ,बादलों का गर्जन आदि। बारिश के होने के बाद मिट्टी की सोंधी गंध, गरम-गरम पकोड़े, कागज के नाव, छत पर जाकर लेट जाना आदि।
ReplyDeleteबारिश के मौसम में मलेरिया,डेंगू आदि बीमारियां भी खूब होती है। बारिश के कारण नदियों में बाढ़ आना, किसानों का फसल डूबना, नदियों का कटना जिसमें बहुत सारे घर का भी गिरना, आदि कठिनाइयां का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद भी बारिश के मौसम बहुत पसंद आती है।
Barish k mosam me mujhe bahut maja aata Tha hum sabhi bacche bahut maje k saat nahate the Humare Ghar me aangan me pr pata nahi kyo Hume kuch nhi hota Tha na sardi khasi or na tabyat kharab hota Tha .
ReplyDeleteBarish ke mausam me mujhe bahut maja aata tha Hum sabhi bachhe bahut maje ke sath nahate the Humare ghar ke aangan me kagaj ka naw banaker chalate the Hume kuch nahi hota tha na sardi aur na tabiyat kharab hota tha
ReplyDeleteBachpan ka barsat bahut hi manbhavan tha kyunki use samay hamen barish mein bhejne ka vah nahin tha use samay ham khoob Masti karte the kagaj ki naav banakar Pani mein main bahut aate the bada Anand aata tha
ReplyDeleteबरसात का मौसम मेरे लिए बहुत मजेदार है।इस मौसम में कई तरह की बिमारियों का सामना करना पड़ता है।
ReplyDeleteRainy season is very beautiful and joyful season. It brings freshness in our tiring lives
ReplyDeleteBarish me ham sabhi sathi kub maje karte the or ganw me pahle bahut kam pak ghar rata tha jab barish hoti to ham sabhi bachche bhigte hue us chhat ke pani se khub maje se nahate the jab chhat se pani niche girte the to nahane me maja ata tha
ReplyDeleteI used to play football in rainy season.i felt very happy in rainy season
ReplyDeleteबारिश में भीगना अच्छा है पर एक सीमा तक ही यह सही है। बारिश में कागज की नाव बनाना तथा गीली मिट्टी की सोंधी खुशबू मन को आनंद से भर देती है। हालांकि बच्चों को ज्यादा भीगना नहीं चाहिए क्योंकि इससे तबीयत भी बिगड़ सकती है
ReplyDeleteReply
Monsoon memories back from childhood days simply make me nostalgic. Back then, Monsoon meant floating paper boats in rain water streams. It was the time when playing in the puddles of water was the best moment of the day. It was the time when the smell of earth meant the onset of a joyous season.
ReplyDeleteBarish ek aisa mousam h jisme hame bhout maza ata h or barish waqt hame barish bhigna v bhout pasand h
ReplyDeleteMonsoon memories back from childhood days simply make me nostalgic. Back then, Monsoon meant floating paper boats in rain water streams. It was the time when playing in the puddles of water was the best moment of the day. It was the time when the smell of earth meant the onset of a joyous season.
ReplyDeleteMaking paper boats...jumping in the puddle of water,hot samosas,Snell of earth..wow..what a nostalgic memory
ReplyDeleteबरसात का इंतजार मैं बचपन में बहुत ज्यादा करता था, चूँकि मेरे ही मुहल्ले में एक बड़ा सा पक्का मकान था।बारिश के समय हमलोग घर के बाहर सड़क की सफाई करते थे।सभी लोग अपने अपने घर के सामने पड़ी गंदगी को उसी समय बहाते थे और इसी बहाने हमलोगों को नहाने का मौका मिल जाता था।हमलोग उसी पक्के मकान के बगल में नल के नीचे खड़े होकर खूब मस्ती करते हुए नहाते रहते थे।साथ ही हम किसान परिवार से हैं,अच्छी बारिश होने पर कुदाल लेकर खेतों की ओर हमलोग जाते थे और सभी अपने अपने खेतों की मेड ठीक करने लगते थे, ताकि हमारे खेत में जल्दी से पानी जमा होगा तो हम पहले ही अपना खेत रोपाई कर लेंगे।परन्तु इस समय हैजा,डायरिया,स्माल पॉक्स आदि का खतरा ज्यादा रहता था।फिर भी बरसात बहुत ही मजेदार होता था, भुला नहीं जाता बचपन। Purushottam Kumar Teacher UMS SANKI,Patratu,Ramgarh(Jharkhand).
ReplyDeleteबारिश के मौसम में मां प्याज़ और आलू के पकौड़े बनाती थी और साथ में होती थी धनिए की चटनी.
ReplyDeleteबचपन ही अच्छा था. जब मन होता, तब बारिश में जाकर भीग तो सकते थे. अब तो भीगने से एक ख़्याल रोक देता है
When I was a child I fell very happy when rain started in the school,because after the bell I used to jump in the water and making paper boats and drew into the water.when boats are flowing into the water I feel very happy.Syed Afroz Ahmad Assistant teacher M.S.Haidarnagarbazar school Palamau (jharkhand)
ReplyDeleteबारिश में भींगना मुझे बचपन से ही बहुत अच्छा लगता आया है |भारी बारिश के बाद रात भर मेंढक की टर्र -टर्र की आवाज आती रहती है |पूरा वातावरण हरा -भरा नजर आता है| बजरंग महतो ,उत्क्रमित मध्य विद्यालय देवघरा, बाघमारा
ReplyDeleteBarsat ke mausam me aanand bahut aata h is mausam ko bhula nahi ja sakta h is mausam me prakrti ka surjan hota h .prantu jayada barish hone se kaphi nuskan hota hai.
ReplyDeleteबरसात का अपना ही महत्व है इस मौसम में सब कुछ हरा भरा सा लगता है। बचपन के बरसात की बात ही अलग है अभी अगर बात करें तो गायक स्व जगजीत सिंह के गाने की वह लाइन याद आ जाती हैं जिसमें उन्होंने कहा यह दौलत भी ले लो यह शोहरत भी ले लो भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी मगर मुझको लौटा दो बचपन की यादें वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी। बचपन में बारिश का अलग आनंद मैंने उठाया। बारिश होने पर कॉपी के दो चार पन्ने तो जरूर फट जाया करते थे, जिनके नाव बनाकर बारिश के पानी में बहने के लिए छोड़ देते थे। स्कूल से घर आते आते बहते पानी में चलते चलते नीचे के कपड़े तो प्राय भींग ही जाया करते थे। बारिश के पानी में मेड़ बनाना आम बात थी और उसमें पपीते के डंठल डालकर उससे पानी को बहाना अजीब खुशी देता था। बचपन में अगर छाता हाथ में हो तो भी बारिश से भीगना मानो उसके प्रति हमारा प्रेम ही था बार-बार छाता हटाकर आकाश की और देखना और भीग जाना। इस दौरान छोटे-छोटे बरसाती जीव को देखकर और खुशी मिलती थी।
ReplyDeleteबारिश के दिनों की रिमझिम फुहार देखते ही मन प्रफुल्लित हो उठता है। हर ओर हरियाली और फसलों के लहलहाते खेत । झिंगुरों की आवाज़ हर ओर एक मनोरम दृश्य मन को एक नई ऊर्जा से भर देती है।
ReplyDeleteबरसात के मौसम में जहां मौसम मस्ती का होता है वहीं बीमारी भी होती है हमे खुद और बच्चो को इनसे बचने के उपाय बताने चाहिए
ReplyDeleteSAROJ KUMARI
M.S KOBNA JHARKHAND
मेरे बचपन के दिनों में एक बार बारिश के समय मैं शाम को नदी की ओर घूमने गया था,अचानक बारिश स्टार्ट हो गई और मैं काफी डर गया ! मैं तुरंत घर की ओर वापस निकला और झींगुर की आवाज, मेंढक की टर्र टर्र की आवाजें मुझे बार-बार डरा रही थी! वह बारिश की शाम मैं आज भी भूल नहीं पाता !
ReplyDeleteबारिश के मौसम को ऋतुओं की रानी कहते हैं। कागज़ की नाव चलाना, बारिश में भीगना,माटी की सोंधी खुशबू याद आती है।
ReplyDeleteबारिश के मौसम की बचपन की यादें आज भी मन को प्रफुल्लित कर देती है। वो छत पर टपकती बुदों की आवाज। पहली बारिश से मिट्टी की सोंधी खुशबु। वो बारिश में भीगना। जमे हुए पानी में पैरो से छप-छप करना। मां से कहना कि आज पकौड़ी बनाओ। आज भी लगता है,कि जैसे कल हीं की बात हो। चारो ओर हरियाली हीं हरियाली। सभी ओर पानी का भर जाना। फटाफट नाव बनाकर पानी में रेस लगाना।मेंढ़क का टर्रटर सुनना।
ReplyDeleteB
ReplyDeletearasat ke mausam me bhingane me mujhe bahut achha lagata tha.khaskar school se lautate waqt.Qunki ghar aakar turant clothes change kar lete the.
Pagali barish hone par mitti ki Khushboo bahut pasand tha mujhe.
Bachpan me barista ka sabse pyara khel nav bana kar paani me tairana .and kiski naav aage hai sekhana bahut hi maje deta tha.
Par kabhi kabhi akele hone par jhingur ki aawaz and mendhak ka tartar bhot darata bhi tha.
Miss you childhood😔😔😔
Miss choudhary
UGMS Tantri Topchanchi Dhanbad
बरसात का मौसम का बहुत ही अधिक महत्व है।इस मौसम में जहां कृषक वर्ग खुश होते हैं वहीं दूसरी ओर व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों एवं नौकरी करने वाले को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। विद्यालय जाने वाले बच्चे अक्सर विद्यालय जाने के क्रम में भींग जाते थे । मैं भी इसका शिकार हुआ करता था।काफी मज़ा आता था। वर्षा जब ख़तम होती थी तो मिट्टी की सोंधी खुशबू और मेंढ़क कि टर टर आवाजें सुनाई देती थी।जो काफी सुंदर लगता था।आस पास के पेड़ पौधों में हरियाली नजर आती थी।कभी कभी कागज की नाव बना कर पानी में छोड़ देते थे।
ReplyDeleteयूं कहा जाय कि बारिश और बचपन का मज़ा ही कुछ और है।
परन्तु इस मौसम में अनेक प्रकार के रोग भी उत्पन्न होते हैं उनसे बचना भी अति आवश्यक है।
Rainy season is one of my favourite season ....rainy season was very dharmik in my childhood.
ReplyDeleteमेरे गांव में एक छोटा सा आहार है यह बरसात के मौसम में जब उसमें पानी भरता था तो बाहर से मछली भी आते थे। और उस मछली को मारने के लिए हम लोग मच्छरदानी का जाल बनाकर लगाते थे। यह काम हम लोग बचपन में बहुत ज्यादा खुशी के साथ करते थे ।आज भी याद है जब हम लोग उस मछली को मारने के लिए आपस में झगड़ा करते थे और रात को 12:01 बजे तक जगते थे ।सुबह मछली पकड़कर लाने में जो खुशी मिलती थी वह आज भी रोमांचित करती है । पानी बरसने का इंतजार होता था ताकि मछली आहार से बाहर निकले और हम उसे पकड़े।
ReplyDeleteवो भी क्या दिन थे बचपन के .......
बर्षा का नाम सुनते ही बचपन की वे सारी बातें याद आ जाती है,कोयल नदी मे छलांग लगाकर तैरना,फूटबॉल खेलते समय फिसलना-गीरना,मच्छरदानी मे मछलियां फंसाना,मेढ़क और झीगूर की आवाजें, गीली मिट्टी से खेलना और कपड़े गंदे होने पर तमाचे खाना रोना चिल्लाना,फूल पौधे लगाना,बादलों की गड़गड़ाहट सुनकर कान बंद करते हुए घर की तरफ भागना,बारिश शुरू होते हीं भींगना नहाना और सर्दी जूकाम बुखार आदि हो जाने पर तीखी दवाओं लेने के नाम पर जी मिचलाना और न जाने कितने बातें दिमाग मे आने लगते हैं।इस गतिविधि मे हम बच्चों को जोड़कर उन्हें बर्षा के समय का वर्णन उनके ही मुह से करा सकते हैं।इसमे बच्चे स्वयं उतेजित होकर अपनी बात कहने के तैयार हो जायेंगे।वास्तव मे बच्चे एक चिंगारी के समान है जिन्हे हम शिक्षकगण को थोड़ी हवा देने कि जरूरत है वे बारुद बन सकते हैं।
ReplyDeleteChildren enjoy too much in rainy season. We also enjoy rain.
ReplyDeleteबरसात का नाम सुनते मन्न प्रफुल्लित हो जाता है और बचपन की यादें ताज़ा हो जाती है। वो बरसा के पानी में नहाना, कागज का नाव l बनाकर बरसात का पानी में चलना ये सब मन को बचपन की याद दिला देती है। वो मिट्टी की सोंधी महक बहुत मन को प्रज्वलित कर देती जो आज के भीड़ भड़ाका और भाग दौड़ की ज़िंदगी में अनुभव करने को नहीं मिलता।
ReplyDeleteबारिश का मौसम बहुत ही सुहाना लगता है बचपन मे मैं झूला झुलती थी और कजरी गाती थी, रिमझिम बरसे ला हो सवानवा मोर सजनवा सुन ले ना झुर झुर डोलेला पवनवा, रही रही गर्जेला गगनवा मोर सझनवा सुन ल ना।
ReplyDeleteBarsaat ka mausam mujhe bhot pasand tha ,sbse achhi baat ye thi ki barish me bheeng kr makai khana pasand tha or sath hi pakode khana ,metti ki khusbu v bhot pasand aati thi
ReplyDeleteBarish ka mausam mujhe bhot pasand tha,sbse achhi baat ye lgti thi ki bheeng kr makai khana sath me pakode khana .
ReplyDeleteOne of my favourite season is rainy season . Still this season has its own charm.It brings with it many diseases and is like a bright sun for farmers.Every season has its pros and cons .Still rain is very important for livelihood.
ReplyDeleteRainy season so beautiful ,weather looks so cool and charming
ReplyDeleteबरसात का मौसम बहुत सुहावना होता है। मेढक टर्र टर्र करने लगता है। चारों ओर हरियाली छा जाती है।
ReplyDeleteबारिश में भीगने में मज़ा आता था बरसात के मौसम में मिट्टी की सौंधी-2 महक बहुत ही अच्छा लगता है। इस मौसम में स्कूल जाने के समय बारिश होने लगती थी इस कारण स्कूल नहीं जा पाना। इस मौसम में मक्का,मङुआ,धान आदि फसलें उगाई जाती थी।
ReplyDeleteजिस समय हम सभी बच्चे थे, बरसात के पानी में भीगने का मज़ा ही अलग था। जब बारिश होती थी तो हम सब बच्चे कागज का नाव बनाते थे। जब भी बारिश होती थी मैं कोई बहाना बनाकर भींगता था। लेकिन अभी के बारिश में एहतियात बरतनी चाहिए इस मौसम में मलेरिया हैजा जैसी बीमारियों का खतरा जियादा रहता है।
ReplyDeleteबरसात का अनुभव अलग है।बच्चे बहुत आनन्द लेते हैं।उन्हें वर्षा में भींगना अच्छा लगता है।हमें उनकी चिंता होती है।मगर वे मस्ती लेते हैं।
ReplyDeleteबरसात का समय सुहावना होता है|बच्चे खुब आनंद उठाते हैं|परन्तु उन्हें भींगने से मना करना चाहिए| बच्चे सर्दी, खांसी, बुखार आदि से पीड़ित हो सकता है|
ReplyDeleteबरसात का मौसम मुझे बहुत पसंद है। बारिश के पानी के गिरने की टिप टिप आवाज का आनंद लेते है। बारिश के बाद पक्षियों की कोलाहल का मनोरम दृश्य होता है। खेतो मे बहती हुई पानी कलकल करती मधुर आवाज सुनाई देती है ।फसलो कि हरियाली देखकर मन पुलकित हो जाता है। बारिश मे कभी - कभी बादलो की तेज गर्जन से डर का अनुभव होता है । बारिश मे डायरिया मलेरिया बीमारी होने की संभावना ज्यादा रहती है। बारिश मे झुला झूलने का त्योहार होता है जो बहुत ही आनन्दमयी होता है।
ReplyDeleteबरसात का मौसम काफी सुहाना होता हैं चारो ओर हरियाली छाई रहती है रात में मेढक का टर टर की आवाज़ अच्छी लगती है बिमारी की सम्भावना होती है सो हमे सावधानी बरतनी चाहिए
ReplyDeleteछत पर गिरती बारिश की बूंदों की आवाज़,धरती पर बारिश के बूंदों के गिरने के बाद उससे उठती मिट्टी की सौंधी-सौंधी सुगंध और बारिश के छीटों का शरीर पर सुखद स्पर्श की अनुभूति....काफी रोमांचित करता है।
ReplyDeleteबचपन के दिनों में बरसात के मौसम में भीगने का बहामनी ढूंढ़ा करती था, छत से गिरती हुई पानी की धार से खेलना, कागज की नाव बनाकर पानी में तैराना,छपाक करना अच्छा लगता था। भीगने पर डाँट भी पड़ती थी।
ReplyDeleteबचपन मे बरसात से बहुत डर लगता था। खास कर बरसात के पहले बादलों का गरजना। कान को हथेलियों से ढक कर घर भागना पड़ता था। बाहर देखकर माँ की डांट भी पड़ती थी। बरसात के मौसम में तबियत बिगड़ती ही थी।
ReplyDeleteबरसात के पानी में भीगना अच्छा लगता था।छत से गिरते पानी मे खेलना कागज की नाव बनाकर खेलना अच्छा लगता था।
ReplyDeleteबारिश के दिनों में बरसात के पानी में खेलना बहुत ही अच्छा लगता था साथ ही बरसात के पानी में खेलना और भीगना बहुत ही अच्छा लगता था ,बरसात के पानी में कश्ती चलाना ,बरसात के पानी में भीगना और खेतों में हल चलाना और खेतों में धान बोना बहुत ही अच्छा लगता है ।,,धन्यबाद,,,
ReplyDeleteबरसात में बूंदें मन को काफी खुशी देती है,वर्षा ऋतु में हम बचपन में कागज की नाव बना उसे बाहर पानी में तैरने के लिए छोड़ देते थे।पर भींग जानेपर तबीयत बिगड़ जाती थी।जब पहली वारिश होती है तो मिट्टी की सोंधी सोधी गंध अच्छी लगती है।
ReplyDeleteबारिश एक ओर जहां हरियाली लाती वहीं सूक्ष्म जीवाणु से हमें सतर्क रहना चाहिए।
बरसात की बारिश मेस्कूल से लौटते वक्त अपनी किताबों को अपने शर्ट मे लपेटकर दौड़ते हुए घर भागना ,घर मे मां से मार खाना, रविवार के दिन भाई बहनों के साथ खेत मे धान रोपनी के समय बिचड़े उखाड़ने एवं डालने मेंका मजा ही कुछ और था।
ReplyDeleteबरसात का मौसम में बारिश का मज़ा लेते है लेकिन बारिश में बीमारियां और आपदा से प्रभावित लोगों को देखकर इस मौसम में सावधानी बरतते हुए मौसम का मज़ा लेते है
ReplyDeleteBarsat ka maosam bahut hi shana hoga hai
ReplyDeleteमुझे बारिश का मौसम बहुत अच्छा लगता है बारिश की मौसम में हम सभी बच्चे कागज की नाव बनाकर चलाया करते थे।
ReplyDeleteमुझे बारिश का मौसम पसंद है और बच्चे को भी बरसात का मौसम पसंद है और बच्चे बहुत ही मज़े से खेलते हैं,
ReplyDeleteबरसात के मौसम में बारिश की बूंदों की आवाज मेंढ़क की आवाज, झींगुर की आवाज अच्छा लगता है। बारिश में भीगने का मजा ही अलग है । छाता रेनकोट पहनना बारिश से बचने के लिए ताड़ ,केले के पत्ते का उपयोग करना हिमकन को चुनना मजा देता है
ReplyDeleteBardast ka mausam ka alg hi maza hai . Pani ka tap tap chuna chat se prom PR girti alg awaz Pani PR girne se alg awaz krti ndi male me bhti Pani ki tez daar ki bhaw ka awaz phad jharne se girti awaz awm osse or thi fuhara ek manorm drisya ko paida krti . Kgj ka naaw Pani me bhigna khelna acha lgta hai . Sara Khan Pani Pani ar kichad kichad ho jata kheton me dhan lgate kisaan awm sdko PR raincoat phone scooter chalate log dikhao dete. Bari's me maze ke sath sath Kai trh ki bimariyan v hoti jaise haija srdi khansi bhukaar aadi aajkl prdusan ki vjh se ye sb bimariyan Sam baat ho gyi hai. To is prakaar bari's ka mausam khin sukh samiridi lati hai to khin bhad bhuskalan Nadal fatna vajrpaat aandhi tufaan aadi v lati hai.
ReplyDeleteMs ROWAULI Bandgaon
PRAKASH MUNDU
बच्चे वारिश का बहुत आनंद लेते हैं। वारिश का अनुभव अलग है। वारिश की बूंदें मन को काफी खुशी देती है। वारिश में भीगना अच्छा लगता है,पर ज्यादा भींगने से तबियत बिगड़ भी सकती है।
ReplyDeleteबरसात के मौसम में जहां मौसम मस्ती का होता है वहीं बीमारी भी होती है हमे खुद और बच्चो को इनसे बचने के उपाय बताने चाहिए
ReplyDeleteबरसात मेंं पकौड़े खाने का अलग ही मजा है, भूँजा खाते हुए बरिश देखने का अलग ही आनंद है।कागज की नाव तैराते बच्चों को देखकर अपना बचपन बरबस याद आता है।
ReplyDeleteबरसात में मिट्टी से सोंधी खुशबू आती है।
ReplyDeleteबरसात के दिन सुहावने होते हैंक्षचारों तरफ हरियाली से मन प्रसन्न रहता है ऐसे में अवश्य कुछ पुरानी यादें भी जुड़ जाती है। ऐसे ही बरसात के मौसम में 1 दिन जब हम पांच ,छह घनिष्ठ सखियां एक साथ ही विद्यालय से पैदल वापस लौट रही थीं अचानक रास्ते में तेज बारिश होने लगी ,एक तो अल्हड़पने के दिन उस पर से बारिश में भीगना, और वह भी सखियों के साथ। हम सब के सब बहुत ही प्रसन्न थे। भीगने की तो चिंता ही ना रही। बारिशके पानी से सराबोर होते ,एक दूसरे पर पानी उछलते हंसी ठिठोली करते। पानी में छप छप करते तरह तरह की कल्पनाएं कर एक दूसरे को चिढ़ाते। बिल्कुल तर बतर घर वापस लौटे। इतना आनंद आया कि आज तक उस दिन को भूल नहीं सकी हूँ? इसके अलावा बारिश के मौसम में गरम गरम पकौड़ों या समोसों के साथ गरमा गरम चाय के आनन्द को कैसे भुला जा सकता है?
ReplyDeleteबरसात के मौसम में जहां मौसम मस्ती का होता है वहीं बीमारी भी होती है हमे खुद और बच्चो को इनसे बचने के उपाय बताने चाहिए
ReplyDeleteRainy season so beautiful ,weather looks so cool and charming
ReplyDeleteBarsaat k season me charon taraf hariyali chayi rahti hai.baris se bhingne se bachne k liye chhata ya barsaati ka upyog kiya jata hai.is mousam me malaria,dengu,haiza jaise ghatak bimariyan failti hain.atyadhik baris k karan nadi me badh aa jati hai aur kheton me fasal nast ho jate hain.baris me medhak v tarr-tarr aawaz karte hain.
ReplyDeleteBarish ka mousam childhood ke liye bahut hi umang wala hota h
ReplyDeleteRainy season so beautiful ,weather looks so cool and charming
ReplyDeleteबरसात में हम छत से गिरने वाले पानी को बरतनों में भरते थे। छत से गिरने वाली जल से हम नहाया करते थे। कागज़ के नाव बना कर चलाते थे।
ReplyDeleteबरसात मेंं पकौड़े खाने का अलग ही मजा है, भूँजा खाते हुए बरिश देखने का अलग ही आनंद है।कागज की नाव तैराते बच्चों को देखकर अपना बचपन बरबस याद आता है।
ReplyDeleteबरसात में हम सभी बच्चे कागज के नाव बनाया करते थे।मुझे मिट्टी की सोंधी खुशबू काफी पसंद है।हम अक्सर बारिश में भीगने के बहाने dhundha करते थे। मगर बारिश में सावधानी व बरतनी चाहिए इस मौसम में मलेरिया हैजा जैसी बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है
ReplyDeleteबरसात में भींगना अच्छा लगता है।पानी से खेलने मे मजा आता है।पानी में कागज का नाव चलाना अच्छा लगता है।बरसात सुहावना होता है।
ReplyDeleteBarsat ki Anubhuti behad achhi lagi jaysa ki sach mein baris huee aur o sab drish najar k samne aane laga sach mein ek adbhut activity hai .
ReplyDeleteBarsat ki Anubhuti behad achhi lagi jaysa ki sach mein baris huee aur o sab drish najar k samne aane laga sach mein ek adbhut activity hai .
ReplyDeleteDeepak Pradhan U.M.S.Tuntakel,Sonua West Singhbhum. बारिश का मौसम :चूंकि हम गांव मे रहते हैं हमारे गांव मे अधिकतर किसान रहते हैं।बारिश होते ही सभी कृषि कार्य मे व्यस्त हो जाते हैं। गांव मे सिर्फ खेती-बारी की ही बातें अब लोगों के बीच होती है।गांव का संपूर्ण माहौल कृषिमय हो जाता है। अब दिन की शुरुआत ही लोग खेतों की ओर कूच करते दिखते हैं। गांव का ये माहौल मुझे बहुत उद्वेलित करता है।
ReplyDeleteDeepak Pradhan U.M.S.Tuntakel,Sonua West Singhbhum. बारिश का मौसम :चूंकि हम गांव मे रहते हैं हमारे गांव मे अधिकतर किसान रहते हैं।बारिश होते ही सभी कृषि कार्य मे व्यस्त हो जाते हैं। गांव मे सिर्फ खेती-बारी की ही बातें अब लोगों के बीच होती है।गांव का संपूर्ण माहौल कृषिमय हो जाता है। अब दिन की शुरुआत ही लोग खेतों की ओर कूच करते दिखते हैं। गांव का ये माहौल मुझे बहुत उद्वेलित करता है।
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