समग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत आप कौन सी नवाचार गतिविधियाँ कर सकते हैं। एक संक्षिप्त योजना साझा करें।
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आप अपनी कक्षा/ स्कूल में खिलौना क्षेत्र कैसे सृजित करेंगे – इस बारे में सोचें। डी-आई-वाई खिलौनों का सृजन करने में बच्चों की सहायता के लिए ...
भारतीय संस्कृति पर्यावरण-संरक्षण में महत्त्वपूर्ण तथा सकारात्मक भूमिका रखती है। मानव तथा प्रकृति के बीच अटूट रिश्ता कायम किया गया है। जो पूर्णतः वैज्ञानिक तथा संतुलित है। हमारे शास्त्रों में पेड़, पौधों, पुष्पों, पहाड़, झरने, पशु-पक्षियों, जंगली-जानवरों, नदियाँ, सरोवन, वन, मिट्टी, घाटियों यहाँ तक कि पत्थर भी पूज्य हैं और उनके प्रति स्नेह तथा सम्मान की बात बतलायी गयी है। बुद्धिजीवियों का यह चिन्तन पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिये सार्थक तथा संरक्षण के लिये बहुमूल्य हैं।
ReplyDeleteभारतीय संस्कृति पर्यावरण-संरक्षण में महत्त्वपूर्ण तथा सकारात्मक भूमिका रखती है। मानव तथा प्रकृति के बीच अटूट रिश्ता कायम किया गया है। जो पूर्णतः वैज्ञानिक तथा संतुलित है। हमारे शास्त्रों में पेड़, पौधों, पुष्पों, पहाड़, झरने, पशु-पक्षियों, जंगली-जानवरों, नदियाँ, सरोवन, वन, मिट्टी, घाटियों यहाँ तक कि पत्थर भी पूज्य हैं और उनके प्रति स्नेह तथा सम्मान की बात बतलायी गयी है। बुद्धिजीवियों का यह चिन्तन पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिये सार्थक तथा संरक्षण के लिये बहुमूल्य हैं।
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समग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम बच्चो को नाटक के माध्यम से हमारी संस्कृति के बारे में ज्यादा बता पाएंगे। पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए हम बच्चो से अलग अलग विषय पर मॉडल बनवाकर और इतिहासिक स्थल दिखाकर हमारी संस्कृति की जानकारी दे सकते हैं।समग्र शिक्षा के सांस्कृतिक नवाचार के अंतर्गत बच्चों को प्रत्येक त्यौहारों खेलो नए फैसले की उपजने बजने पर उससे जुड़ी त्योहारों का महत्व पुत्र बच्चे के जन्म लेने की रूढ़िवादिता। अधिक जनसंख्या विकास रुकने का कारण उनके निवारण आदि के गतिविधियों का नाट्य रूपांतरण एवं प्रतियोगिता अंतरण नवाचार के द्वारा सीखने के प्रतिफल को बढ़ाया जा सकता है । पर्यावरण में नवाचार के अंतर्गत पौधों के औषधीय गुणों उनके बचाव संरक्षण पौधों के लिए नाले का पानी या गंदे पानी का सदुपयोग कैसे करें वर्षा जल संरक्षण कैसे करें पवन ऊर्जा का उपयोग सौर ऊर्जा का उपयोग का प्रोजेक्ट एवं उनका मॉडल बनाकर सीखने के प्रतिफल को बढ़ाया जा सकता है ...,
ReplyDeleteJagdish Kumar
UHS KORCHE
समग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू पर्यावरण के अंतर्गत हम बच्चों को पर्यावरण में नवाचार के अंतर्गत पौधों के औषधीय गुणों उनके बचाव संरक्षण पौधों के लिए नाले का पानी या गंदे पानी का सदुपयोग कैसे करें वर्षा जल संरक्षण कैसे करें पवन ऊर्जा का उपयोग और सौर ऊर्जा का उपयोग उनका मॉडल बनाकर सीखने के प्रतिफल को बढ़ावा देकर तथा सांस्कृतिक नवाचार के अंतर्गत बच्चों को त्योहारों एवं मेला की जानकारी देकर कब कब किस त्यौहार में कहां कहां मेला लगता है और फसलों के ऊपज में कौन कौन सा त्यौहार मनाया जाता है।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा भारतीय संस्कृति पर्यावरण-संरक्षण में महत्त्वपूर्ण तथा सकारात्मक भूमिका रखती है। मानव तथा प्रकृति के बीच अटूट रिश्ता कायम किया गया है। जो पूर्णतः वैज्ञानिक तथा संतुलित है। हमारे शास्त्रों में पेड़, पौधों, पुष्पों, पहाड़, झरने, पशु-पक्षियों, जंगली-जानवरों, नदियाँ, सरोवन, वन, मिट्टी, घाटियों यहाँ तक कि पत्थर भी पूज्य हैं और उनके प्रति स्नेह तथा सम्मान की बात बतलायी गयी है।
ReplyDeleteSaptah mein kisi Ek Din bacchon Ko Apne Kshetra Mein hone wale a paudhon ke bare mein Jankari Khatta karne ki gatividhi Kare Ja sakti hai
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के अन्तर्गत भारतीय संस्कृति-संरक्षण के अग्रणी धनी के रूप में झारखंड प्रदेश भी अपना स्थान रखता है। जो संस्कृति पर्यावरण-संरक्षण को नाटक के रूप में गतिविधि के माध्यम से परिचित कराया जाएगा वैसे भी इस प्रदेश में संस्कृति और पर्यावरण के साथ गहन रिस्ता रखता है यहाँ के स्थानीय पर्व त्योहार करमा सरहुल सरना पूजा आदि पर्यावरण के साथ संबंध रखता है जो हमारे जीवन के साथ जुड़ाव रखता है तथा कृषि प्रधान होने के कारण वर्षा के साथ पर्यावरण का गहन रिश्ता को बताकर साथ ही पेड़-पौधों नदी-नाला पहाड़-पर्वत जड़ी-बूटी फल-फूल पशु-पक्षी जंगली-जानवर वन मिट्टी झरने झील छोटे-बड़े जलाशय जंगली जीव-जंतुओं आदि-आदि हमारे जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी है जिसके बिना जीवन कि कल्पना नहीं की जा सकती तो क्यों नहीं हम इसे बचाए रखे जीवन जीने के लिए बहुत ही जरूरी है।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा भारतीय संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सकारात्मक एवं महत्वपूर्ण है। विद्यार्थियों को आसपास के आदिवासियों के संस्कृतिक कार्यक्रम में ले जाकर उनके पारंपरिक पर्यावरण संरक्षण सह सहभागिता वाली जीवन शैली से अवगत करायेंगे ।
ReplyDeleteMd Aabid hussain सभी राज्य अपनी परिस्थिति आवश्यकता समझ उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं जिसका सकारात्मक परिणाम स्कुली शिक्षा मे दिखाई दे रहा है।
ReplyDeleteभारतीय संस्कृति एवं पर्यावरण संरक्षण के संबंध में छात्रों के अधिगम हेतु उनका हमारी संस्कृति एवं पर्यावरण से परिचय कराना अत्यंत आवश्यक है। विद्यालय के आस-पास के स्थानों जैसे:पहाड़, जंगल, नदी आदि का भ्रमण कराएंगे।अपने आस-पास की संस्कृति से परिचय कराने के लिए आदिवासी समाज से संबंधित पर्व त्योहार एवं अन्य रीति रिवाजों का अवलोकन करने के अवसर देंगे। पुरातत्वीय स्थलों की सैर कराएंगे।
ReplyDeleteमु० अफजल हुसैन, उर्दू प्राथमिक विद्यालय मंझलाडीह शिकारीपाड़ा दुमका।
भारतीय सांस्कृतिक विरासत अमूल्य एवं विविधताओं से भरा-पूरा है । महापुरुषों के जयंती एवं पर्व- त्योहार के अवसरों पर विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम, मंचन, लोक नृत्य के माध्यम से छात्रों में अपनी सभ्यता संस्कृति की जानकारी देंगे, इससे छात्रों में संवाद करने की क्षमता, ज्ञान कौशल, नेतृत्व क्षमता का विकास होगा। विद्यालय में पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रम तथा प्रत्येक छात्र के जन्मदिन के अवसर पर उन्हें एक पौधा विद्यालय परिवार की ओर से भेंट करेंगे।तथा छात्रों से यह शपथ लेंगे कि मैं इस पेड़ की रक्षा करूंगा/ करूंगी।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत त्योहारों के महत्व एवं उसके वैज्ञानिक पहलू तथा पर्यावरण का जीवन पर प्रभाव से संबंधित नाट्य-प्रदर्शन , संगीत और चित्रकला के आयोजन से संबंधित गतिविधियां करा सकते हैं।
ReplyDeleteHARENDRA PRASAD
M.S.DAHIYARI
NAWADIH, BOKARO
JHARKHAND
भारत की संस्कृति एवं पर्यावरण संरक्षण के संबंध में छात्रों के अधिगम हेतु उनका हमारी संस्कृति एवं पर्यावरण से परिचय कराना अत्यंत आवश्यक है। विद्यालय के आस-पास के स्थानों जैसे:पहाड़, जंगल, नदी आदि का भ्रमण कराएंगे।अपने आस-पास की संस्कृति से परिचय कराने के लिए आदिवासी समाज से संबंधित पर्व त्योहार एवं अन्य रीति रिवाजों का अवलोकन करने के अवसर देंगे। पुरातत्वीय स्थलों की सैर कराएंगे। नैतिक मूल्यों एवं सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के पथ पर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करेंगे|
ReplyDeleteभारतीय संस्कृति पर्यावरण-संरक्षण में महत्त्वपूर्ण तथा सकारात्मक भूमिका रखती है। मानव तथा प्रकृति के बीच अटूट रिश्ता कायम किया गया है। जो पूर्णतः वैज्ञानिक तथा संतुलित है। हमारे शास्त्रों में पेड़, पौधों, पुष्पों, पहाड़, झरने, पशु-पक्षियों, जंगली-जानवरों, नदियाँ, सरोवन, वन, मिट्टी, घाटियों यहाँ तक कि पत्थर भी पूज्य हैं और उनके प्रति स्नेह तथा सम्मान की बात बतलायी गयी है। बुद्धिजीवियों का यह चिन्तन पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिये सार्थक तथा संरक्षण के लिये बहुमूल्य हैं।
ReplyDeleteभारत की सांस्कृतिक विरासत विविधताओं से भरा है । महापुरुषों के जयंती एवं पर्व- त्योहार के अवसरों पर विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम, मंचन, लोक नृत्य के माध्यम से छात्रों में अपनी सभ्यता संस्कृति की जानकारी देंगे, इससे छात्रों में संवाद करने की क्षमता, ज्ञान कौशल, नेतृत्व क्षमता का विकास होगा। विद्यालय में पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रम तथा प्रत्येक छात्र के जन्मदिन के अवसर पर उन्हें एक पौधा विद्यालय परिवार की ओर से भेंट करेंगे तथा उसे अपने घर की बागवानी में लगाने कहेंगे|
ReplyDeleteभारतीय संस्कृति पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण तथा सकारात्मक भूमिका अदा करती है पर्यावरण से संबंधित पेड़ पौधे झरना नदी पहाड़ इन सब की चर्चा बच्चों में करके उनकी गुणवत्ता उनकी उपयोगिता की समझ बनाया जा सकता है साथ ही विभिन्न पर्व त्योहारों में स्कूल में नाटक मंचन संवाद आदि कार्यक्रम प्रायोजित करके सांस्कृतिक धरोहर का विकास किया जा सकता है
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत त्योहारों के महत्व एवं उसके वैज्ञानिक पहलू तथा पर्यावरण का हमारे जीवन पर प्रभाव से संबंधित नाटक चित्रकला संगीत निबंध लेखन क्विज के आयोजन से संबंधित गतिविधियां करा सकते हैं।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम विभिन्न त्योहारों के द्वारा बच्चों को अपनी संस्कृति से अवगत कराएंगे तथा पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत विभिन्न प्राकृतिक पहाड़ पर्वत पेड़ पौधे का भ्रमण कराकर उन्हें संबंधित जानकारी प्रदान करेंगे
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरण पहलू के अंतर्गत हम बच्चों को पर्यावरण के नवाचारों के अंतर्गत पौधे के विभिन्न गुणों एवं उनके संरक्षण संबंधित बातें बताएंगे !साथ ही हम बेकार बहता पानी का उपयोग पौधे एवं अन्य फसलों के लिए किस प्रकार कर सकते हैं! पर्यावरण और वर्षा के बीच के गहन रिश्तो को भी बताएंगे! बच्चों को सांस्कृतिक से अवगत कराने के लिए आसपास में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ले जाकर उनके पारंपरिक पर्यावरण जीवन शैली से अवगत कराएंगे!
ReplyDeleteशिक्षा के अन्तर्गत भारतीय संस्कृति-संरक्षण के अग्रणी धनी के रूप में झारखंड प्रदेश भी अपना स्थान रखता है। जो संस्कृति पर्यावरण-संरक्षण को नाटक के रूप में गतिविधि के माध्यम से परिचित कराया जाएगा वैसे भी इस प्रदेश में संस्कृति और पर्यावरण के साथ गहन रिस्ता रखता है यहाँ के स्थानीय पर्व त्योहार करमा सरहुल सरना पूजा आदि पर्यावरण के साथ संबंध रखता है जो हमारे जीवन के साथ जुड़ाव रखता है तथा कृषि प्रधान होने के कारण वर्षा के साथ पर्यावरण का गहन रिश्ता को बताकर साथ ही पेड़-पौधों नदी-नाला पहाड़-पर्वत जड़ी-बूटी फल-फूल पशु-पक्षी जंगली-जानवर वन मिट्टी झरने झील छोटे-बड़े जलाशय जंगली जीव-जंतुओं आदि-आदि हमारे जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी है जिसके बिना जीवन कि कल्पना नहीं की जा सकती तो क्यों नहीं हम इसे बचाए रखे जीवन जीने के लिए बहुत ही जरूरी है।
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OM PRAKASH MUKUL.(A.T.), UMS BHAGAIYA HEERA KHUTHARI, THAKUR GANGTI,GODDA, JHARKHAND. सभी विद्यालय राज्य प्रदत contents,डिजिटल उपकरण द्वारा उपयोग कर शैक्षणिक कार्य में साकारात्मक परिणाम उपलब्ध कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए नवाचार एवं उत्कृष्ट गतिविधियों का विशेष महत्व प्रदर्शित करता है।
ReplyDeleteगतिविधि-- एक साथ मंच पर एक समुह में छात्र/छात्राएं नृत्य करते हुए गाते हैं--
ReplyDeleteसब मिलके आवा रे आवा, सब मिलके साथे गावा।
जंगल जमीन पहाड़ बचावा, झारखंडे के मान बाचावा।
शिक्षा के अन्तर्गत भारतीय संस्कृति-संरक्षण के अग्रणी धनी के रूप में झारखंड प्रदेश भी अपना स्थान रखता है। जो संस्कृति पर्यावरण-संरक्षण को नाटक के रूप में गतिविधि के माध्यम से परिचित कराया जाएगा वैसे भी इस प्रदेश में संस्कृति और पर्यावरण के साथ गहन रिस्ता रखता है यहाँ के स्थानीय पर्व त्योहार करमा सरहुल सरना पूजा आदि पर्यावरण के साथ संबंध रखता है जो हमारे जीवन के साथ जुड़ाव रखता है तथा कृषि प्रधान होने के कारण वर्षा के साथ पर्यावरण का गहन रिश्ता को बताकर साथ ही पेड़-पौधों नदी-नाला पहाड़-पर्वत जड़ी-बूटी फल-फूल पशु-पक्षी जंगली-जानवर वन मिट्टी झरने झील छोटे-बड़े जलाशय जंगली जीव-जंतुओं आदि-आदि हमारे जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी है।
ReplyDeletenagpuri song chota nagpur jisme jharkhand k sbhi kala kriti ka ullekh kiya gya hai jiske sahare hum bache ko jharkhand ki kala smjha skte hai
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा भारतीय संस्कृति पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण तथा सकारात्मक भूमिका रखती है महापुरुषों के जयंती एवं पर्व त्यौहार के अवसरों पर विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम लोक नृत्य आदि के माध्यम से छात्रों में अपनी सभ्यता संस्कृति की जानकारी देंगे इससे छात्रों में संवाद करने की क्षमता ,विद्यालय में पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रम तथा प्रत्येक छात्र के जन्मदिन के अवसर पर उन्हें एक पौधा विद्यालय परिवार की ओर भेंट करेंगे
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ReplyDeleteकई शोधो के अध्ययन के बाद रोबिनसन एवं अन्य (2008) ने विद्यार्थी अधिगम पर विदयालय नेतृत्व के प्रभाव के चार प्रकारो के बारे मे ये है_प्रत्यय प्रभाव'म
ध्यवृती प्रभाव 'पारस्परिक प्रभाव 'और प्रतिकूल प्रभाव।1)प्रारम्भिक विदयालयो के सन्दर्भ मे विदयालय नेतृत्व कर्ता स्वयं शिक्षण कार्य में अधिक से अधिक संलग्न हो़।2) उद।हरण के लिए नेतृत्व कर्ता 'शिक्षकगुणवता के माध्यम से; विद्यार्थी अधिगम को प्रभावित करता है।3) इसका अभिप्राय यह है कि जहाँ एक ओर विदयालय नेतृत्व विद्यार्थियों के अधिगम को प्रभावित करता है वहीं दूसरी ओर विद्यार्थी अधिगम भी विदयालय नेतृत्व को प्रभावित करता है ।
समग्र शिक्षा के अन्तर्गत पर्यावरणीय पहलूओं एवं संस्कृति को समझने के लिए हम नवाचार के रूप में किसी स्थानीय मेले , पर्यटन स्थल एवं क्षेत्र भ्रमण का कार्यक्रम करेंगे जिससे हम बच्चो में पर्यावरण संरक्षण एवं संस्कृति की समझ विकसित कर पाने का प्रयास करेंगे ।
ReplyDeleteबैद्यनाथ हाँसदा , स० शि०,
प्रा० वि० बाराटाँड़ ,दुमका ।
समग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत आप कौन सी नवाचार गतिविधियाँ कर सकते हैं। एक संक्षिप्त योजना साझा करें।
ReplyDeleteमन-मस्तिष्क-हृदय-शरीर एवं आत्मा के सर्वांगीण विकास हेतु योजना बनायी जा सकती है। खेल, बागवानी, विभिन्न विषयों पर गोष्ठियों का आयोजन आदि जैसे कार्य किये जा सकते हैं। विद्यालय स्तर पर प्रतियोगिताओं का आयोजन एवं विद्यालय के बाहर भी विद्यालय संबंधी प्रतियोगिताओं एवं आयोजनों में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना चाहिए।
सांस्कृतिक पहलू के अन्तर्गत हम किसी स्थानीय समुदाय के किसी त्योहार या मेले या विवाह कार्यक्रम में स्कूल के बच्चों को ले जा सकते हैं।इससे बच्चे विभिन्न संस्कृतियों से परिचित होंगे।पर्यावरणीय पहलू के अन्तर्गत बच्चों को विभिन्न समूहों को विद्यालय-प्रांगण में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे लगाकर उनका पोषण एवं विश्लेषण करने एवं अपना अनुभव साझा करने के लिए कहा जा सकता है।इससे बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता आएगी तथा टीम भावना का विकास होगा।
ReplyDeleteहमारे यहां पेड़ पौधों का सांस्कृतिक धार्मिक व सामाजिक महत्त्व है यह हमारे पर्यावरण से जुड़े हुए हैं हमारे यहां आदिवासी हरिजन समुदाय में विभिन्न अवसरों पर आयोजित उत्सव में शराब की अहम भूमिका रही है हमारे यहां ताड़ और खजूर के पर्याप्त वृक्ष पाए जाते हैं जिस का रस निकाल कर शराब के तरह उपयोग करते हैं जिससे वे शारीरिक हानि पहुंचाते हैं सामाजिक परिवेश खराब करते हैं बच्चों पर भी इसका बुरा असर पड़ता है यदि विद्यालयी समुदाय और आस-पास परिवेश में ताड के रस से ताल मिस्री(palm candy)बनाने तथा खजूर के गुड बनाने पर चर्चा और गतिविधियों हो तो आर्थिक, समाजिक संस्कृति परिवेश और पर्यावरण साथ ही साथ शिक्षा में भी इसका व्यापक असर होगा
ReplyDeleteसमग्र शिछा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत त्योहारों के महत्व एवं उनके वैज्ञानिक पहलू तथा पर्यावरण का हमारे जीवन पर प्रभाव से संबंधित नाटक, चित्र कला, संगीत, निबंध लेखन,कीविजआयोजन से संबंधित गतिविधियां करा सकते हैं।
ReplyDeleteभारतीय संस्कृति पर्यावरण-संरक्षण में महत्त्वपूर्ण तथा सकारात्मक भूमिका रखती है। मानव तथा प्रकृति के बीच अटूट रिश्ता कायम किया गया है। जो पूर्णतः वैज्ञानिक तथा संतुलित है। हमारे शास्त्रों में पेड़, पौधों, पुष्पों, पहाड़, झरने, पशु-पक्षियों, जंगली-जानवरों, नदियाँ, सरोवन, वन, मिट्टी, घाटियों यहाँ तक कि पत्थर भी पूज्य हैं और उनके प्रति स्नेह तथा सम्मान की बात बतलायी गयी है। बुद्धिजीवियों का यह चिन्तन पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिये सार्थक तथा संरक्षण के लिये बहुमूल्य हैं।
ReplyDeleteGood content.
ReplyDeleteभारत की संस्कृति एवं पर्यावरण संरक्षण के संबंध में छात्रों के अधिगम हेतु उनका हमारी संस्कृति एवं पर्यावरण से परिचय कराना अत्यंत आवश्यक है। विद्यालय के आस-पास के स्थानों जैसे:पहाड़, जंगल, नदी आदि का भ्रमण कराएंगे।अपने आस-पास की संस्कृति से परिचय कराने के लिए आदिवासी समाज से संबंधित पर्व त्योहार एवं अन्य रीति रिवाजों का अवलोकन करने के अवसर देंगे। पुरातत्वीय स्थलों की सैर कराएंगे। नैतिक मूल्यों एवं सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के पथ पर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करेंगे|
ReplyDeleteभारत की संस्कृति एवं पर्यावरण संरक्षण के संबंध में छात्रों के अधिगम हेतु उनका हमारी संस्कृति एवं पर्यावरण से परिचय कराना अत्यंत आवश्यक है। विद्यालय के आस-पास के स्थानों जैसे:पहाड़, जंगल, नदी आदि का भ्रमण कराएंगे।अपने आस-पास की संस्कृति से परिचय कराने के लिए आदिवासी समाज से संबंधित पर्व त्योहार एवं अन्य रीति रिवाजों का अवलोकन करने के अवसर देंगे। पुरातत्वीय स्थलों की सैर कराएंगे। नैतिक मूल्यों एवं सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के पथ पर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करेंगे|
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