Wednesday, 9 December 2020

मॉड्यूल 17 : गतिविधि 3: प्रदर्शन

अपने भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित करें जो लॉकडाउन की अवधि के दौरान हुए थे। आपने उन भावनाओं का सामना कैसे किया?

चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।

 

729 comments:

  1. In this module, covid 19 is very effectively described which gives us a lot of information and safety awareness towards covid 19 , which will help us to stay safe and healthy during the unlock period in the school it will help the school staffs as well as the students to be covid 19 free during this pandemic.

    Goutam Saha, Annada High school, Hazaribag Jharkhand

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  2. यह मांडयूल कोविड-19 के बारे में काफी प्रभावित हो रहा है। कोविड -19 के बारे में अच्छी -अच्छी जानकारी दें रही हैं। लम्बी अवधि के बाद विधायक जब खुलेगी, हमें किस तरह छोटे छोटे बच्चों को विधालय में बच्चों को बैठाना है।यह माॅडयुल हमें काफी प्रशिक्षण दें रही हैं। सिर्फ हमें इस माॅडयल का एक एक शब्द पर ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अपने-अपने घरों एवं शिवालयों में प्रभावी करने की आवश्यकता है।
    अशोक कुमार यादव
    कन्या मध्य विद्यालय पोड़ैयाहाट, गोड्डा।

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    2. यह माड्यूल कोविड-19के बारे में जानकारी प्राप्त करने का महत्त्वपूर्ण साधन है। लम्बी अवधि तक विद्यालय बंद रहने के बाद जब विद्यालय खुलें तब हमें किस तरह से छोटे बच्चों को सामाजिक दूरी का पालन करते हुए बच्चों को बैठाना है और पढ़ाई कराना चाहिए। इस माड्यूल में काफी महत्वपूर्ण जानकारियां दी जा रही है। बच्चों को अधिक मोबाइल फोन पर काम करने की आवश्यकता है इस महामारी से निपटने के लिए काफी सावधानी बरतें ये सावधानियां ही हमें बचा सकता है।Meera Devi PS Barwadih 1 Nawadih Bokaro

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    3. Lockdown में बहुत कुछ देखने और समझने को मिला

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  3. COVID-19 के दौरान हुए लाकडाउनकिए का दृश्य दिल को झकझोर देने वाला था|मैंने बहुत से मजदूरों को 200 से 250 किलोमीटर पैदल चलकर हमारे गांव आए, उन्हें देखा|
    Dinesh Prasad Shanti Rani middle school Bara Ghaghra Ranchi.

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  4. Covid 19 bahut kharab bimari hai.jharkhand ke shiksha mantri shree jagarnath Mahto is bimari se bahut prabhavit hue.hame ise samajhna chahie.hamlog lockdown ke samay ghar men band rahe.ek dusare se duri banay rakhe,mask lagay sabun,senitiger ka prayag kiye pratidin kapda dhoye sabun se snan kiye bachcho ko bhi samjhaye

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  5. People suffering from communication problem really heart us ,an emotional seen labour sleeping on railway track killed by passing train.

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  6. Covid 19 bahut kharab bimari hai Jharkhand ke shiksha mantri shree jagarnath Mahto is bimari se bahut prabhavit hue .isme bahut se log berojgar ho gaye.bachcho ka padhai likhai band raha. Diksha ap se hame jo jankari mili use lagu karna hoga. Bachcho ko hath dhulana senitiger karana mask lagana ityadi batana hoga. AKSHAYBAT KUMAR P.S.PITHAKIYARI,NIRSA 2 DHANBAD JHARKHAND

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  7. PRADIP KUMAR MANDAL
    UMS JAYPAHARI RANISHWER
    कोविड 19 लाॅक डाउन का समय मुश्किलो भरा रहा।बहुत सारे प्रतिबधों के बीच जीवन अनिश्चितंओ एवं उथलपुथल से घिरा था।पर मैने उसी समय जान लिया था कि अन्र्य महामारियो की तरह हमें इसके साथ ही जीना होगा।इसलिए अपनी शाररिक एंव मानसिक क्षमता को ऊच्च स्तर पर बनाने की कोशिश की।अब धोरे धीरे जिन्दगी पटरी पर आ रही है इसे देखकर दिल मे सुकुन आ रहा है।

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  8. *कोविड 19 को धन्यवाद*
    इसने मुझे काफी चीज़े सिखाई,
    संयम में रहना सिखाया,
    अपनो की परवाह करना सिखाया,
    अपने पराए का फर्क दिखाया,
    सीमित साधनों के साथ रहना सिखाया,
    प्रकृति के सुंदर दर्शन करवाए और कई अनुभव दिये ।
    कोरोना ने जो सिखाया, शायद वो कोई नही सीखा सकता था।
    *धन्यवाद कोविड 19*

    बहुत से लोगों को व्यक्तिगत स्तर,पर काफी क्षति दी है, उनके साथ हृदय से सहानुभूति है।

    आप सभी को अंग्रेजी नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं,

    अंग्रेजी नया वर्ष *2021* आपको उन तकलीफों से उभार कर, आप सभी को जीवन पथ पर, प्रभु आगे बढ़ाए।
    प्रदीप कुमार मंडल
    उमवि जयपहाड़ी रानीश्वर

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    1. लाँकडाउन के समय मेरा मन चिंताओं एवं भविष्य की आशंकाओं से भर गया था ।परन्तु यह समय संयम और अनुशासन का पाठ भी पढाया।अपने और दूसरों के प्रति संवेदनशील बनाया।लाचार मजदूरों,रिक्शेवालों और बूढ़े बूजुर्गों की सेवा करने का अवसर प्रदान किया।स्कूली बच्चों की पढाई के निमित्त मोबाइल के माध्यम से तकनीकी जानकारी प्राप्त करने का अवसर मिला।ईश्वर की अनुकम्पा से अव शनैः-शनैः लोग सहजता से जिन्दगी जीने लगे हैं।

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  9. जी,इस Covid-19 कोरोना महामारी में
    जो बहुत बड़ा लाॅकडाउन हुआ और हो रहा
    है इस लाॅकडाउन की अवधि के दौरान कुछ
    घटना जो अपने भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित
    कर रहे हैं :-
    ■ जैसे अपने स्कूलों के छात्रों का स्कूल जाना
    बंद हो गया और मैं उन्हें WhatsApp ग्रुप
    बनाकर मैं वीडियो के माध्यम से पढ़ाई को
    जारी किया।
    ■ इस कोरोना काल में हमें काफी कुछ सीख
    मिली जैसे:- अपने को संयमपूर्वक रहना, सीमित
    साधनों के साथ रहना, अच्छी तरह साफ-सफाई
    करना और रहना, देखभाल करना आदि ।

    Manki Samad
    N.P.S Chhota Sargidih
    District- Saraikela Kharsawan (Jharkhand)

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  10. जी,इस Covid-19 कोरोना महामारी में
    जो बहुत बड़ा लाॅकडाउन हुआ और हो रहा
    है इस लाॅकडाउन की अवधि के दौरान कुछ
    घटना जो अपने भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित
    कर रहे हैं :-
    ■ जैसे अपने स्कूलों के छात्रों का स्कूल जाना
    बंद हो गया और मैं उन्हें WhatsApp ग्रुप
    बनाकर मैं वीडियो के माध्यम से पढ़ाई को
    जारी किया।
    ■ इस कोरोना काल में हमें काफी कुछ सीख
    मिली जैसे:- अपने को संयमपूर्वक रहना, सीमित
    साधनों के साथ रहना, अच्छी तरह साफ-सफाई
    करना और रहना, देखभाल करना आदि ।

    Manki Samad
    N.P.S Chhota Sargidih
    District- Saraikela Kharsawan (Jharkhand)

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    1. इस कोविड19 के कारण हमारे जीवन में बहुत ही भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई। इस बीमारी के कारण हमारे देश के छोटे छोटे बच्चों को अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ा है जिसे इस माड्यूल में कुछ जानकारी दी गई है इसके साथ ही हमें विभिन्न प्रकार के प्रयास से बच्चों की पढ़ाई को जारी रखा गया है इस महामारी से बचाव के लिए लाकडाउन किया गया। इस महामारी के कारण हमारे बच्चों को मोबाइल फोन का उपयोग अधिक करना पड़ा है। जो स्वास्थ के लिए हानिकारक है ।Meera Devi PS Barwadih 1 Nawadih Bokaro Jharkhand

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    2. कोविड-19 कोरोना महामारी में जो बहुत बड़ी लंबी अवधि के लिए लॉक डाऊन हुआ|इस दौरान सभी विद्यालय बंद हैं, जिससे छात्रों का विद्यालय जाना भी बंद हो गया है इस कारण इन्हें ह्वाट्सएप्प ग्रुप से जोड़ कर वीडियो के माध्यम से बच्चों के पढ़ाई को जारी रखा गया है|साथ ही इस दौरान हमनें सयमपूर्वक रहना, सीमित संसाधनों के साथ रहना सीखा तथा देख- भाल जैसे मानवीय मूल्यों को समझा|

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  11. नावेल कोरोना वायरस के कारण पूरे विश्व मे एक शून्यकाल की स्थिति उतपन्न हो गई। सभी देश इस महामारी की रोक थाम के लिए विभिन्न प्रयास किया और अभी भी प्रयास जारी है।इस काल मे अनेक लोग एवं परिवार कोरोना से ग्रषित होकर मृत्यु का शिकार हो गए। इस महामारी से बचाव के लिए lockdown किया गया।सभी कल कारखाने बन्द किये गए,ट्रांसपोर्ट सेवाएँ बन्द की गई ।बहुतसे लोग बेरोजगार हो गए।
    अब पुनः धीरे धीरे क्रमबद्ध तरीके से सभी सेवाओं को बहाल किया जा रहा है।कोरोना के प्रसार से बचने के गहन जागरूकता की आवश्यकता है, विद्यालयों को खोलने के पूर्व एक संतुलित व्यवस्था का निर्माण करना होगा जिससे हम बच्चों को एवं स्वयं को भी सुरक्षित रखते हुए शिक्षण का माहौल तैयार हो सके।

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  12. बच्चे मोबाइल का उपयोग अधिक किए हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

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  13. COVID-19 के दौरान हुए लाकडाउनकिए का दृश्य दिल को झकझोर देने वाला था|मैंने बहुत से मजदूरों को 200 से 250 किलोमीटर पैदल चलकर हमारे गांव आए, उन्हें देखा

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    1. covid-19 के दौरान हुए लाकडाउन का दृश्य दिल को झकझोर देने वाला था। मैंने बहुत से लोगों को 200 से 250 किलोमीटर पैदल चलकर हमारे गाँव आए,उन्हे देखा

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  14. जी,इस Covid-19 कोरोना महामारी में
    जो बहुत बड़ा लाॅकडाउन हुआ और हो रहा
    है इस लाॅकडाउन की अवधि के दौरान कुछ
    घटना जो अपने भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित
    कर रहे हैं :-
    ■ जैसे अपने स्कूलों के छात्रों का स्कूल जाना
    बंद हो गया और मैं उन्हें WhatsApp ग्रुप
    बनाकर मैं वीडियो के माध्यम से पढ़ाई को
    जारी किया।
    ■ इस कोरोना काल में हमें काफी कुछ सीख
    मिली जैसे:- अपने को संयमपूर्वक रहना, सीमित
    साधनों के साथ रहना, अच्छी तरह साफ-सफाई
    करना और रहना, देखभाल करना आदि ।

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  15. जब संपूर्ण लोकडाउन की घोषणा हुई थी तब पूरा रोड में सन्नाटा छा गया था ।विद्यालय में बच्चे नहीं आ रहे थे ,हम भी घरों में थे ,जो भी मार्केट था सब बंद था। कहीं पर कोई दिखाई नहीं देता था लगता था ,जैसे कुछ हो गया है अपने बचपन से लेकर के अभी तक के समय में हमने ऐसी घटना नहीं देखी थी। लोग भावनात्मक रूप से टूट चुके थे। हम बच्चों से शैक्षणिक रूप से जुड़े रहने के लिए यूट्यूब में शैक्षणिक सामग्री भेजते थे। इंटरनेट हमारे और बच्चों के मिलने का एक सहारा था। इस प्रकार योगदान की अवधि हमारे लिए बहुत ही त्रासद पूर्ण थी ,लेकिन एक तरह से यह हमें सीखने के नए अवसर प्रदान कर रहे थे, इसलिए यह हमारे लिए एक वरदान भी था ।जब हम नयी तकनीकी से रूबरू हुए।

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  16. We are suffering from communication problem during lockdown really heart us.In this module gives us a lot of information and sefty information and awareness towards C19, which will help us to stay safe.

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  17. MD MERAZ AHMAD इसने मुझे काफी चीज़े सिखाई,
    संयम में रहना सिखाया,
    अपनो की परवाह करना सिखाया,
    अपने पराए का फर्क दिखाया,
    सीमित साधनों के साथ रहना सिखाया|

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    1. Covid-19 के दौरान हुए लाॅकडाउन का दृश्य दिल को दहला देने वाला था। हमने बहुत-से कर्मियों को कई सौ किलोमीटर पैदल चलकर अपने गांव वापस पहुंचते देखा है।लाॅकडाउन का समय मुश्किलों से भरा रहा। बहुत सारे प्रतिबंधों के बीच जिंदगी अनिश्चितता एवं उथल-पुथल से घिरा रहा। किंतु हमने निश्चय कर लिया कि अन्य महामारियों की तरह हमें इसके साथ भी जीना होगा।अत: अपनी शारीरिक एवं मानसिक क्षमता को उच्च स्तर पर बनाने की कोशिश की।अब धीरे-धीरे जीवन पटरी पर आ रही है,इसे देखकर दिल को सुकुन मिल रहा है।

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  18. एक दुखदाई अनुभूति जो कभी भुलाई नहीं जा सकती है। अपने घर की ‌चारदीवारी में बंद।न दोस्तों, परिचितों,रिस्तेदारों और न अपने विद्यार्थियों के साथ सीधा सम्पर्क हो पा रहा था।एक अजीब भय का वातावरण था कि पता नहीं कितनी जन-धन की क्षति होगी। बाजार भी लगभग बंद था। जरूरत की सामग्री भी बड़ी मुश्किल से और महंगे दामों में मिलती थी। एक बैचेनी फैली थी कि आखिर कब तक जिंदगी ऐसी चलेगी। लोग बाहर दूसरे राज्यों में फंसे थे और यातायात व्यवस्था ठप्प थी। एक तरफ बीमारी तो दूसरी तरफ बेरोजगारी, गरीबी और भूखमरी।बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण समय था। दूरसंचार और इंटरनेट का आभार जिसके कारण लोग एक दूसरे से जुड़े रहे। सरकार का भी आभार जिसने अपनी भूमिका ईमानदारी पूर्वक निभाया।
    उम्मीद है कि 2021में इस महामारी से मुक्ति मिल जाएगी मानवता को। वैक्सीन भी उपलब्ध हो चुके हैं वैज्ञानिकों के मेहनत और प्रयास से।

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  19. Covid19 is a communicable disease which is spread to contact often l give advise to other to live with safe and precaution.

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  20. इस Covid-19कोरोना महामारी में बहुत बड़ा लाॅकडाउन की घोषणा हुई थी,तब पूरा रोड में सन्नाटा छा गया था ।विद्यालय में बच्चे नहीं आ रहे थे ,हम भी घरों में थे ,जो भी मार्केट था सब बंद था। कहीं पर कोई दिखाई नहीं देता था लगता था ,जैसे कुछ हो गया है अपने बचपन से लेकर के अभी तक के समय में हमने ऐसी घटना नहीं देखी थी। लोग भावनात्मक रूप से टूट चुके थे। हम बच्चों से शैक्षणिक रूप से जुड़े रहने के लिए WhatsApp ग्रुप से यूट्यूब में शैक्षणिक सामग्री भेजते थे। इंटरनेट हमारे और बच्चों के मिलने का एक सहारा था। इस प्रकार योगदान की अवधि हमारे लिए बहुत ही त्रासद पूर्ण थी ,लेकिन एक तरह से यह हमें सीखने के नए अवसर प्रदान कर रहे थे, इसलिए यह हमारे लिए एक वरदान भी था ।जब हम नयी तकनीकी से रूबरू हुए।

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  21. लाकडाउन के जब कभी भी विद्यालय की ओर से बाजार जाना हुआ था तो ऐसा प्रतीत होता था कि विद्यालय भी हमारे साथ साथ बच्चों की भॉंति उदास हो गया है वह भी बच्चों के लिए अपने को isolation में रखा है ताकि वह भी बच्चों को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए हर सम्भव तंत्रपर है।उस वक़्त मुझे एहसास हुआ कि जब तक एक एक व्यक्ति को जागरूक करने की शख्त आवश्यकता है तभी इस ख़तरनाक महामारी से निपटने की उम्मीद लगाई जा सकती है इस प्रशिक्षण से मुझे आशा है कि अब तक आम लोगों में सजगता आ गई होगी फिर भी विद्यालय केreopening के बाद भी हम सभी लोगों के सामूहिक प्रयास से इस महामारी पर भी विजय पाया जा सकता है

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    1. Lockdown की अवधि के दौरान हुई विभिन्न घटनाओं से प्रभावित एवं मैं अपने भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित कर रहा हूं । नॉवेल कोविड-19 जैसे महामारी देश-विदेश से आए भयावह संदेश प्राप्त होने की स्थिति में मेरे घर के आस- पास तथा बाजारों में पूरा सन्नाटा रहा । परिवार के साथ घर के अंदर अंधेरी रात जैसी स्थिति में रहना पड़ा । न किसी रिश्तेदार , दोस्तों या परिचितों से पारस्पर संपर्क हुआ , न जाने आगे क्या होगा अजीब भय का माहौल था । खान-पान जीना मुश्किल , कितने जनधन कि क्षति , यातायात व्यवस्था ठप्प, बाहर काम में गए मजदूर वहीं भूखे प्यासे रहना पड़ा ।। इतना ही नहीं भिखारी, गरीबी और भुखमरी से जान भी गवांई । इंटरनेट और दूरसंचार के सहारे हम कुछ हद तक एक दूसरे से जुड़े रहे । उम्मीद है वैक्सीन हमारे देश को उपलब्ध होगी और धीरे-धीरे जीवन - यापन सामान्य होगी ।
      सुना राम सोरेन
      प्रा.वि.भैरवपुर,धालभूमगढ़ ।
      जिला - पूर्वी सिंहभूम ।

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  22. महामारी COVID-19 के दौरान हुए लाॅकडाउन का दृश्य दिल को झकझोर देने वाला था। मैंने बहुत से मजदूरों को 400से 550 किलोमीटर पैदल चलकर हमारे गांव आए, उन्हें देखा।

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  23. महामारी covid-19 के दौरान हुए लॉकडावन का दृश्य दिल को झकझोर देने वाला था। मैंने बहुत से मजदूरों को 400 से ज्यादा किलोमीटर पैदल चलकर हमारे गांव आए, उन्हें देखा।

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  24. Covid-19 कोरोना महामारी में
    जो बहुत बड़ा लाॅकडाउन हुआ और हो रहा
    है इस लाॅकडाउन की अवधि के दौरान कुछ
    घटना जो अपने भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित
    कर रहे हैं :-
    ■ जैसे अपने स्कूलों के छात्रों का स्कूल जाना
    बंद हो गया और मैं उन्हें WhatsApp ग्रुप
    बनाकर मैं वीडियो के माध्यम से पढ़ाई को
    जारी किया।
    ■ इस कोरोनाCovid-19 कोरोना महामारी में
    जो बहुत बड़ा लाॅकडाउन हुआ और हो रहा
    है इस लाॅकडाउन की अवधि के दौरान कुछ
    घटना जो अपने भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित
    कर रहे हैं :-
    ■ जैसे अपने स्कूलों के छात्रों का स्कूल जाना
    बंद हो गया और मैं उन्हें WhatsApp ग्रुप
    बनाकर मैं वीडियो के माध्यम से पढ़ाई को
    जारी किया।
    ■ इस कोरोना काल में हमें काफी कुछ सीख
    मिली जैसे:- अपने को संयमपूर्वक रहना, सीमित
    साधनों के साथ रहना, अच्छी तरह साफ-सफाई
    करना और रहना, देखभाल करना आदि । काल में हमें काफी कुछ सीख
    मिली जैसे:- अपने को संयमपूर्वक रहना, सीमित
    साधनों के साथ रहना, अच्छी तरह साफ-सफाई
    करना और रहना, देखभाल करना आदि ।

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  25. लौकडाउन के दौरान अचानक हमें अपने व्यवहार में अनेकों बदलाव करने पड़े।जैसे दोस्तों और रिश्तेदारों के घर आने -जाने से बचना ,हर बार घर से बाहर निकलते स्मूद मास्क पहनना, वापस घर आने पर कपड़े बदलना ,खुद को विसंक्रमित करना साथ ही बाजार से लाए सामानों को भी विसंक्रमित करना आदि भावात्मक रूप से तोड़ने वाला तय्य थका देने वाला था। हाँ धीरे -धीरे हमलोगों ने परिस्थिति के साथ सामंजस्य बैठाना आरम्भ कर दिया और अपने व्यवहार में बदलाव भी लाए।इसके सकारात्मक प्रभाव और परिणाम भी मिला।और भारत की अधिसंख्यक जनसंख्या कोविड के सीधे दुष्प्रभाव से सुरक्षित रही।

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  26. Hum jaise kitne hi teacher's KGBV me nirantar seva de rahe hai kam vetan me hi par wo vetan bhi sahi samay par nahi milta , students whatsapp par hi study kar rahe hai,ab simit sansadhano se hi logon ne jiwan gujarana sikh liya hai

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  27. I lived in a village area where mostly people spend their lives in very miserable conditions Some people were suffering from covid disease. I help them with money grain and sympathy

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  28. Sahdeo Das st j MS Barmasia 2jan2021 I helped some people who were suffering from covid. I helped them money and sympathy in village area

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  29. Anil Kumar Roy

    कोविड-19 लॉकडाउन सारे विश्व को झकझोर कर रख दिया। इसने काफी लोगों को जाने ली तथा लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। घर पर हमें रहने को मजबूर होना पड़ा ।गरीब लोग तो भूख से मारे गए ।यातायात के साधन बंद कर दिए गए। जिस कारण प्रवासी मजदूरों को चार सौ 500 किलोमीटर से लेकर 1500 किलोमीटर तक की पैदल यात्रा करना पड़ा और घर आना पड़ा। कल कारखाने बंद हो गए जिसका दुष्प्रभाव आम आदमी पर पड़ा। भगवान करे ऐसा अशुभ दिन ना आए ।अब मामला कुछ हद तक ठीक हो गया है ।धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो गई है।
    धन्यवाद।

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  30. कोविड 19 लाॅक डाउन का समय मुश्किलो भरा रहा।बहुत सारे प्रतिबधों के बीच जीवन अनिश्चितंओ एवं उथलपुथल से घिरा था।पर मैने उसी समय जान लिया था कि अन्र्य महामारियो की तरह हमें इसके साथ ही जीना होगा।इसलिए अपनी शाररिक एंव मानसिक क्षमता को ऊच्च स्तर पर बनाने की कोशिश की।अब धोरे धीरे जिन्दगी पटरी पर आ रही है इसे देखकर दिल मे सुकुन आ रहा है।

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  31. संयम में रहना सिखाया,
    अपनो की परवाह करना सिखाया,
    अपने पराए का फर्क दिखाया,
    सीमित साधनों के साथ रहना सिखाया|

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  32. यह मांडयूल कोविड-19 के बारे में काफी प्रभावित हो रहा है। कोविड -19 के बारे में अच्छी -अच्छी जानकारी दें रही हैं। लम्बी अवधि के बाद विधायक जब खुलेगी, हमें किस तरह छोटे छोटे बच्चों को विधालय में बच्चों को बैठाना है।यह माॅडयुल हमें काफी प्रशिक्षण दें रही हैं। सिर्फ हमें इस माॅडयल का एक एक शब्द पर ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अपने-अपने घरों एवं शिवालयों में प्रभावी करने की आवश्यकता है।

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  33. COVID-19 के दौरान हुए लाकडाउनकिए का दृश्य दिल को झकझोर देने वाला था|मैंने बहुत से मजदूरों को 200 से 250 किलोमीटर पैदल चलकर हमारे गांव आए, उन्हें देखा|

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  34. कोरोना के समय लाॅक डाउन का समय काफी विचलीत करने वाला रहा। अनिश्चितता और मानसिक क्षमताओं को बनाए रखना का था। प्रकृति ने सुन्दर दर्शन कराए, मानव को संवेदनशील बनाए। लाॅकडाउन में जब विद्यालय कार्य बंद था तो whatsappके माध्यम से वीडियो के द्वारा पढ़ाई जारी रहा। कोरोना काल हमें बहुत कुछ सीखने भी जेसे संयमित जीवन, साफ-सफाई का खास ख्याल, कम सन साधन का प्रयोग कर जीवन को सफल बनाने रखा।

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  35. कोविड-19 एक बहुत ही संक्रमित महामारी फैली और महामारी के दौरान बहुत बड़ा लॉकडाउन हुआ इस अवधि के दौरान बीच-बीच में बच्चों के साथ संपर्क बनाए रखा इस दौरान है घर जाकर सामाजिक दूरी मास बीच-बीच में हाथ धोने का कार्यक्रम इत्यादि का प्रयोग करते हुए बच्चों के संपर्क में रहा एवं व्हाट्सएप के माध्यम से जो मैट्रियल प्राप्त होता था बच्चों के साथ उसे साझा करते थे एवं पीडीएफ बनाकर बच्चों के बीच व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा जाता था इस अवधि के दौरान संजय मत रहना साफ सफाई पर विशेष ध्यान देना बीच-बीच में हाथ धुलाई का कार्य करना एवं तकनीकी जानकारी का अनुभव होना यह कोरोना काल की प्राथमिकताएं

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  36. N. P. Manjhi Bokaro लाकडाला मे छात्र के पढ़ाई लिखाई पर व्यापक असर पडा़|बच्चों के स्वाभाव मे चिड़चिड़ापन आ गया|छोटी छोटी बातों पर छगड़ने लगे थे|यह बहुत मुश्किल दौर था|उनमें सामान्य स्थिति बनाए रखने के लिए माता पिता को कफी संयम से काम लेना पड़ता था

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  37. जब संपूर्ण लोकडाउन की घोषणा हुई थी तब पूरा रोड में सन्नाटा छा गया था ।विद्यालय में बच्चे नहीं आ रहे थे ,हम भी घरों में थे ,जो भी मार्केट था सब बंद था। कहीं पर कोई दिखाई नहीं देता था लगता था ,जैसे कुछ हो गया है अपने बचपन से लेकर के अभी तक के समय में हमने ऐसी घटना नहीं देखी थी। लोग भावनात्मक रूप से टूट चुके थे। हम बच्चों से शैक्षणिक रूप से जुड़े रहने के लिए Whats App ग्रुप बनाकर मैं Digi SATH के द्वारा वीडियो के माध्यम से पढ़ाई को जारी रखा

    बनाकर मैं Digi SATH के द्वारा वीडियो के माध्यम से पढ़ाई को
    जारी

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  38. सच कहूँ तो कोविड:-19 ने पूरे विश्व को एक सबक दिलाया है कि प्रकृति के सामंजस्यपूर्ण वातावरण के साथ छेड़-छाड़ करने का परिणाम कितना भयावह हो सकता है। एक समय तो ऐसा लग रहा था कि मानो पूरी दुनिया काल के गाल में समा गया है और भावी भविष्य खतरे में पड़ गया है।परन्तु सावधानीपूर्वक संयमित दिनचर्या,माॅस्क,सेनेटाइजर,लाॅकडाउन आदि ने पुनः जीवन की नई आश को जगाने का कार्य किया है। इस दौरान कई प्रकार के भावनात्मक धटनाएं हमारे जीवन में हुए जिससे लगातार जुझ रहे हैं।मेने अपना ब्लड जांच कराया तो सुगर लेवल बढ़ा हुआ पाया। अब लगातार नियमित खान-पान,व्यायाम,जांच आदि कार्य कर रहा हूँ। धन्यवाद!

    कौशल किशोर राय,
    सहायक शिक्षक,
    उत्क्रमित उच्च विद्यालय पुनासी,
    जसीडीह, देवघर,झारखण्ड

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  39. कोविड -19 के लाॅकडाउन मे जीवन के बहुत से क्रियाकलाप थम से गये। लोगो को बहुत परेशानी हुई। छात्रो कि विद्यालय मे पढ़ाई-लिखाई बन्द हो गई। अस्पतालो मे मरीज भर गये। डाक्टरो को दिन रात काम करना पड़ा। सभी लोगो ने संयम रख कर लाॅकडाउन का सामना किए। इस के साथ हि बहुत से सकारात्मक परिणाम देखने को मिला। प्रकृति स्वच्छ हो गई। पशु पक्षी चहल-पहल उन्मुक्त हो गई। साफ सफाई करना' छात्रो के लिए डिजिटल कंटेंट बनाना एवू भेजना ,सीमित साधनो मे अपनी जरूरत पूरी करना आदि सीखने को मिला।

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  40. कोविड -19 के लाॅकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को स्टेशन से उनके घर तक पहुँचाना ह्रदयविदारक था| स्टेशन पर ट्रेन से उतरते के साथ धरती को चूमना मन को भावूकता से भर दिया|

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  41. Bachhon ke liye mobile hanikarak hua jo lockdown ki avdhi me use kiya gaya tha

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  42. Nakul Kumar Ball
    Ms Pandra Kayesthapara Nirsa Dhanbad

    Covid 19 के दौरान पूरे भारतवर्ष में लॉकडॉउन घोषित किया गया। लाकडाउन ने हमे बहुत कुछ सिखाया। इस lockdown ने हमे संयमित रहना, सीमित संसाधनों में गुजर बसर करना, महामारी का डंटकर मुकाबला करना सिखाया। इस घड़ी में जब हम अपने दोस्तो, घरवालों और विद्यार्थियों से मिल नहीं सकते तो मैंने whatsapp एवं विडियो कॉल के द्वारा संपर्क बनाए रखा।

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  43. लाक डाउन के दौरान चारों ओर हाहाकार मचा था सभी के पास भोजन की कमी हो गई थी लोग अफरा-तफरी में सामान खरीदना चाहते थे बहुत परिवारों ने जैसे तैसे भोजन करके अपना जीवन बिताया यह समय वास्तव में बहुत ही दुखदाई था

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  44. लाक डाउन के दौरान चारों ओर हाहाकार मचा था सभी के पास भोजन की कमी हो गई थी लोग अफरा-तफरी में सामान खरीदना चाहते थे बहुत परिवारों ने जैसे तैसे भोजन करके अपना जीवन बिताया यह समय वास्तव में बहुत ही दुखदाई था

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  45. ये महामारी काल तनाव और सुकुन दोनो लबरेज रहा। विद्यालय उदास रहा। पठन-पाठन का सारा कार्य अस्त व्यस्त हो गया। लेकिन यहां ICT बहुत बड़ा मददगार साबित हुआ।

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  46. कोविद-19 की परतंत्रता की बड़ी शारीरिक,मानसिक रुप से जकड़ गई थी।लगता था अगले ही पल कुछ होने वाला है। मैं अपने घर में एक तरह से कैद हो गई थी। लेकिन उसमें भी उन मजदूरों के लिए और गरीबो के लिए चंदा इकट्ठा करके भोजन का प्रबंध की।

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  47. Lockdown की अवधि सभी के लिए काफ़ी दुखद था ।इस अवधि में कोविड 19से पीड़ित अपने संबंधी भी पराये हो गये ।

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  48. Is lockdown awadhi ne mujhe bahut kuch sikhaya hai jismein sabse pahle mujhe apne parivar Ka mahatva pata Chala Ham bhag daud ki jindagi mein parivar ko jaise bhul hi jaate Hain .dusara ki jaan se badhkar aur kuchh nahin hai Ham sabhi log sirf apne kam dhandhe ke liye nikale rahte hain magar covid-19 hamen bataya ki hamen apna aur apnon Ka dhyan Kaise rakhna hai sayyam me Kaise rahana hai jarurato ko simit kaise karna hai kam chijon mein jina sikhaya aur saaf safai Ka to main aise bhi dhyan rakhti thi magar covid-19 ne mujhe saaf safai ki aur jyada dhyan dene ki or Mera dhyan aakarshit karaya.


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  49. कोविड-19 के आरंभिक दौर मे जब सभी राज्यों में लाँकडाऊन की प्रक्रिया शुरू हुई तो जिस भय का वातावरण बना वह अवर्णनीय है,बीमारी से अधिक दहसत का माहौल था।इस दौरान भविष्य की चिंता सताने लगी थी।
    अब स्थिति में सुधार के साथ जनजीवन सामान्य हो रहा है और दिल को कुछ शकुन मिल रहा है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति भी ठीक हो रहे हैं।इस काल मे सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों की शिक्षा मे हुआ है इसकी भरपाई के लिए जो भी प्रयास किया गया है उससे कुछ प्रतिशत बच्चे हीं लाभ उठा पाये हैं जो आर्थिक रूप से सम्पन्न परिवार से हैं।आम आदमी आर्थिक तंगी से जूझ रहा है लाँकडाऊन ने कई लोगों के रोजगार छिन लिया और यातायात व्यय मे बेतहाशा वृद्धि हुई है।सामान्य जीवन जीने की स्वतंत्रता छिन्न गई है।
    इस महामारी मे बच्चों की शिक्षा जारी रखने के लिए कई अभिभावकों से सम्पर्क किया और शिक्षा प्राप्त करने की नई तकनीक की जानकारी दी जैसे-टीवी चैनल प्रोग्राम, मोबाइल वाट्सएप ग्रूप से लर्निंग कंटेट देखना सिखाया, जिन अभिभावकों के पास स्मार्ट फोन नही था उनके बच्चों को भी ग्रूप बना कर अन्यय बच्चों के साथ देखने के लिए प्रोत्साहित किया।

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  50. जींस कोशिश 19मे धन्यवाद इसे काफ़ी चीजें सिखाई , संयम से रहना, अपनों को परवाह करना सिखाया, सीमित चीज़ों साधनों के साथ रहना सिखाया,साथ ही बहुत से लोगों के साथ काफ़ी क्षति हुई है।

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  51. अब तक के अपने जीवन काल में इस प्रकार की अप्रत्याशित भयावहता की कल्पना भी नहीं थी। जैसे पुरी दुनिया थम सी गई-- किसी को कोई अंदाज़ा और न ही अंदेशा थी। मनुष्य की विशेषता या मूल्य पल भर में जैसे छीन सा गया हो प्रकृति और इस अदृश्य विषाणु के सामने। मानव जीवन को झकझोर कर रख दिया। अमीर- गरीब ऊंच- नीच विभिन्न सम्प्रदाय के लोग असहाय, निहत्था मजबूर हो गए। एक अंजान अनदेखा विषाणु का कहर और जुर्रत जुर्म ऐसा किजो पकड़ में न आए पर इसका प्रभाव दिल दिमाग में भय ,आतंक और अवसाद भर दिया। मानव हतप्रभ किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया। जिधर भी देखो एक अजीब सन्नाटा जैसे मरघट की शांति!घर में दुबके पड़े लोग बच्चा जवान बुजुर्ग। जो भी दुस्साहस दिखाया काल के गाल में समा गया।पावन्दियों की बेड़ी में बंधे कसमसाता जनजीवन। जीवन अनिश्चित मुश्किलों से भरा और उथल पुथल से घिरा।
    पर कहते हैं कुछ पाने के लिए कुछ खोना/त्यागना होता है। कोविड-19 को धन्यवाद भी देना है। प्रर्यावरण, प्रकृति, पशु-पक्षी खुशहाल दिखें।कोविड ने हमें उचित पाठ पढ़ाया। आत्मसंयम, अनुशासन, आत्मसंतुष्टि, अपना पराया का विभेद भूलना सीखाया,स्वच्छता का पाठ पढ़ाया। प्रकृति और संस्कार के महत्व को उजागर किया, जीओ और जीने दो की नीति को याद दिलाया, दूसरों की सहायता, सहानुभूति और परानुभूति सम्पन्न बनाया । परिस्थिति के साथ सामंजस्य स्थापित करना तथा सहनशील और धैर्यवान होना सीखाया।

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  52. कोविड 19 का लॉकडाउन का दृश्य बड़ा ही डरावना था।
    सब कुछ बन्द गरीब मजदूर सेंकड़ों किमी पैदल और भूखा चल रहा था। लेकिन हम लोग धैर्य बनाए रखने में सफल रहे

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  53. Covid-19 कोरोना महामारी में
    जो बहुत बड़ा लाॅकडाउन हुआ और हो रहा
    है इस लाॅकडाउन की अवधि के दौरान कुछ
    घटना जो अपने भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित
    कर रहे हैं :-
    1. जैसे अपने स्कूलों के छात्रों का स्कूल जाना
    बंद हो गया और मैं उन्हें WhatsApp ग्रुप
    बनाकर मैं वीडियो के माध्यम से पढ़ाई को
    जारी किया।
    2. इस कोरोना काल में हमें काफी कुछ सीख
    मिली जैसे:- अपने को संयमपूर्वक रहना, सीमित
    साधनों के साथ रहना, अच्छी तरह साफ-सफाई
    करना और रहना, देखभाल करना आदि ।
    इसके अलावा सभी घर पर ही रहे ।।

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  54. कोविड १९ के दौरान सब जगह की गतिविधि बन्द हो गई। ऐसा लगा दुनिया बदल चुका है। पर मैंने सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित किया।बच्चों से मोबाइल फोन से सम्पर्क किया। बच्चों को e content के बारे में चर्चा किया। उनके माता पिता और बच्चों को जागरूक किया। कुछ बच्चे जिसके पास एंड्रॉयड स्मार्टफोन था उसे आईटीसी द्वारा स्टडी करने के लिए सहयोगात्मक वातावरण निर्माण किया। फ़िर और बच्चों ने रुचि दिखाई। कोविद १९ चरम पर था। मैंने हिम्मत नहीं हारी। हमलोग धैर्य पूर्वक कठिन परिस्थिति का सामना करते हुए बच्चों का मनोबल ऊंचा रहे इसका प्रयास किया।

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  55. COVID 19का संपूर्ण LOCKDOWN का संस्मरण बहुत ही डरावना है । इसमें लोगों के बीच डर पैदा हो गया था । प्रवासी मजदूर घर वापस आने के लिए बस और ट्रकों की छतों पर सफर करते थे । बहुत तो पैदल और साईकिल से हजारों किलोमीटर की यात्रा करके घर आए । जो घर में थे वे भी बेचैन और व्याकुल रहते थे । दैनिक उपयोग की सामग्री भी नहीं मिल पाती थी । जो मिलती थी वो भी बहुत ऊँचे दामों पर । दोस्त, रिस्तेदार से मिल नहीं पा रहे थे । डर डर के घर के बाहर निकलते थे ।

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  56. इस Covid-19कोरोना महामारी में बहुत बड़ा लाॅकडाउन की घोषणा हुई थी,तब पूरा रोड में सन्नाटा छा गया था ।विद्यालय में बच्चे नहीं आ रहे थे ,हम भी घरों में थे ,जो भी मार्केट था सब बंद था। कहीं पर कोई दिखाई नहीं देता था लगता था ,जैसे कुछ हो गया है अपने बचपन से लेकर के अभी तक के समय में हमने ऐसी घटना नहीं देखी थी। लोग भावनात्मक रूप से टूट चुके थे। हम बच्चों से शैक्षणिक रूप से जुड़े रहने के लिए WhatsApp ग्रुप से यूट्यूब में शैक्षणिक सामग्री भेजते थे। इंटरनेट हमारे और बच्चों के मिलने का एक सहारा था। इस प्रकार योगदान की अवधि हमारे लिए बहुत ही त्रासद पूर्ण थी ,लेकिन एक तरह से यह हमें सीखने के नए अवसर प्रदान कर रहे थे, इसलिए यह हमारे लिए एक वरदान भी था ।जब हम नयी तकनीकी से रूबरू हुए।

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  57. कोविड 19 लाॅक डाउन का समय मुश्किलो भरा रहा।बहुत सारे प्रतिबधों के बीच जीवन अनिश्चितताओं एवं उथलपुथल से घिरा था।पर मैने उसी समय जान लिया था कि अन्र्य महामारियो की तरह हमें इसके साथ ही जीना होगा।इसलिए अपनी शारीरिक एंव मानसिक क्षमता को ऊच्च स्तर पर बनाने की कोशिश की।अब धोरे धीरे जिन्दगी पटरी पर आ रही है इसे देखकर दिल मे सुकुन आ रहा है । यह महामारी एक संदेश दे गया है कि विपत्तियों में घबराना नहीं चाहिए बल्कि समझदारी से काम लेना चाहिए ।

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  58. दिल दहलाने वाला रहा!

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  59. कोविड-19 से उत्पन्न लाकडाउन जहां सम्पूर्ण संसार के लिए एक दुःखदायी अनुभूति थी, वहीं यह आश्चर्यजनक भी थी कि, सम्पूर्ण सड़कें, दुकानें,बाजारें, स्कूल, कालेज, परिवहन आदि बंद कर दी गई।
    एक तरफ़ जहां दिखाई नहीं देने वाली वायरस से लोग सहमे हुए थे वहीं दूसरी तरफ सड़कों और बाजारों में पसरे सन्नाटे से डरे हुए थे। बेरोजगारी, भुखमरी तथा दूसरे राज्यों से लोगों का वापस घर लौटना । कुल मिलाकर एक अजीब माहोल/वातावरण था। जिसमें बड़ी बैचेनी थी।
    हालांकि इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि,दूर संचार और इंटरनेट की पहुंच लगभग घर-घर तक हो गया। जिसके माध्यम से पढ़ने-पढ़ाने, तथा एक दूसरे से जुड़े रहे। इस दौर में सफाई कर्मचारियों, स्वास्थ्यकर्मियों, चिकित्सक, पुलिसकर्मी तथा सरकारों के कार्यों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता, जिसने बड़ी ईमानदारी से अपनी-अपनी भूमिका/जिम्मेदारी का निर्वहन किया है।

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  60. लॉक डाउन की अवधि में कई भावनात्मक परिवर्तन हुए ,बच्चे ,परिवेश और उनके परिवार की स्थिति को बहुत नजदीक से जानने का मौका मिला । इसके अलावा कई परिवारों के बारे में यह समझने का मौका मिला कि उनकी आर्थिक स्थिति या खाने में कितनी तरह की दिक्कतें हैं ,इन तक राशन आदि की व्यवस्था की, बच्चे जो ऑनलाइन पढ़ाई के लिए सक्षम नहीं हो पा रहे थे उन्हें प्रिंटेड नोट्स बांटे, मैंने अपने विद्यालय में फ्री वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध कराई, बच्चों के घरों पर जाकर उनकी स्थिति का जायजा लिया।। जहां तक संभव हो सके समाधान करने की कोशिश की । इस लॉकडाउन अवधि में मुझे एक सामाजिक जिम्मेदारी वाले शिक्षक के रूप में अपने को प्रस्तुत करने का समय मिला

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  61. कोबिड-19 के भयावह रूप धारण करने से समाज व छात्रों को बहुत कुछ सीखने को मिला। हम सभी को अपने विद्यालय का संचालन करने हेतू डिजिटल सामग्रियों यथा मोबाइल, लैपटॉप व टेलीविजन पर आश्रित होना पड़ा। हमें वीडियो निर्माण कर प्रत्येक छात्र- छात्राओं को भेजना एक कठिन कार्य रहा।digi -sath के e-content प्रत्येक छात्रों तक पहुंचाना एक और कठिन कार्य रहा। इन सभी चुनौतियों से निपटने में डिजिटल प्रयोग को बढ़ावा मिला और डिजिटल प्रयोग में मजा आया।
    Dr.Sunil kumar M.S.Sindri , Sadar Chaibasa

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  62. कहते हैं कुछ पाने के लिए कुछ खोना या त्यागना होता है कोबिट 19 को धन्यवा।द देना है कि, पर्यावरण ,प्रकृति ,पशु-पक्षी खुशाल दिखे ।कॉविड ने हमें उचित पाठ पढ़ाया ।आत्म संयम ,अनुशासन ,आत्म संतुष्टि, अपना- पराया का विवाद भूलना सिखाया, स्वच्छता का पाठ पढ़ाया, प्रकृति और संस्कार के महत्व को उजागर किया जियो और जीने दो की नीति या दिलाया दूसरों की सहायता सहानुभूति और अनुभूति संपन्न बनाया परिस्थिति के साथ सामंजस्य स्थापित करना तथा सहनशील और धैर्यवान होना सिखाया सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में एवं सहयोगात्मक वातावरण निर्माण किया आईसीटी का खूब इस्तेमाल करना सीखा। बच्चों को भी इस्तेमाल करने को मजबूर किया इससे अच्छा- बुरा दोनों तरह से भावात्माक रूप से प्रभावित हो रहे है।

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  63. Covid 19 के आने से मैंने स्कूल के सभी बच्चो से ब्यक्ति गत रूप से सम्पर्क किया अभिवको
    से पढ़ाई एवं M.D.M का चावल राशि वितरण किया , जो नया अनुभव रहा |

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  64. ये महामारी काल तनाव और सुकुन दोनो लबरेज रहा। विद्यालय उदास रहा। पठन-पाठन का सारा कार्य अस्त व्यस्त हो गया। लेकिन यहां ICT बहुत बड़ा मददगार साबित हुआ।

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  65. इस Covid-19 कोरोना महामारी में
    जो बहुत बड़ा लाॅकडाउन हुआ और हो रहा
    है इस लाॅकडाउन की अवधि के दौरान कुछ
    घटना जो अपने भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित
    कर रहे हैं :-
    ■ जैसे अपने स्कूलों के छात्रों का स्कूल जाना
    बंद हो गया और मैं उन्हें WhatsApp ग्रुप
    बनाकर मैं वीडियो के माध्यम से पढ़ाई को
    जारी किया।
    ■ इस कोरोना काल में हमें काफी कुछ सीख
    मिली जैसे:- अपने को संयमपूर्वक रहना, सीमित
    साधनों के साथ रहना, अच्छी तरह साफ-सफाई
    करना और रहना, देखभाल करना आदि ।

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  66. Covid-19 ने हमें बहुत कुछ सिखाया। सीमित साधनों में रहना,साफ सफाई में रहना,देखभाल करना , अपनों का ख्याल रखना।

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  67. पूरे दिन भर घर में बैठे रहकर पहले-पहल तो क्या करूँ समझ ही नहीं आ रहा था
    फिर अपने छिपी प्रतिभा को अभ्यास कर उभारा ,जैसे गायन , वादन एवं कम्प्युटर ।

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  68. This comment has been removed by the author.

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  69. यदि लाॅकडाउन को अच्छा माने तो ये हमारे लिए एक अवसर के रूप मे था। हम सभी ने शारीरिक एंव मानसिक क्षमता को सुधारने की कोशिश की।

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  70. covid 19 ke falswarup lockdown ke duran hume bahut samsao ka samna karna para lekin hum apne sujbuj se samsao ka samadhan karne ka prayas kiye

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  71. लॉक डाउन की अवधि में विद्यालय बंद रहने के कारण बच्चों की पड़ाई बाधित हो रहा था जिसे मैं whatsApp के माध्यम से बच्चों का पड़ाई जारी रखा और इस समय हम संयम से रहना, साफ सफाई करना और सीमित साधनों के साथ रहने का आदत बनाया।

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  72. लाक डाउन अवधि में वहुत ही भयानक रूप बन गई थी। सभी डर डर के रह रहे थे। सभी को अपनी जीवन लीला समाप्त होता दिख रहा था।

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  73. लॉक डाउन क़े दौरान मजदूरों का अपने परिवार के साथ घऱ पैदल आना दिल को झकजोर देने वाला था।उनको देखकर दिल भावुक हो जाता था।

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  74. कोविड 19 सम्पूर्ण मानव जाति को झकझोर कर रख दिया।मैं भी इस विश्वव्यापी महामारी में काफी कुछ सीखा अपने एवं परिवार के साथ संयम के साथ रहना ,सीमित संसाधनों का उपयोग करना , स्वच्छता,आदि ।इस संक्रमण काल में मैं प्रशासन के निर्देशानुसार देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले मजदूरों की निगरानी भी किया इससे बचने के आवश्यक निर्देशों को पालन कराने हेतू प्रोत्साहन दिया ।
    राज किशोर प्रसाद
    रा.प्रा.वि.सेवई
    जिला सिमडेगा, झारखंड।

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  75. लाकडाउन के समय हमसब बहुत भयभीत और आशंकित थे।इस कठिन परिस्थिति मे हमसब धैर्य से काम लिया। कोविड-19 से बचने के सुझावों का अक्षरशः पालन किया।इस महामारी ने धैर्य, संयम,साहस और एकाकी जीवन जीने का पाठ सिखा दिया। सुरक्षा ही बचाव है ।हर क्षेत्र के लिए यह एक मूल मंत्र है।

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  76. covid ke dauran kam band ho jane ke karan bahut se logon ko aarthik pareshani jhelni padi us dauran maine kuch sambandhi ko kuch aarthik madad ki

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  77. Covid19 कोरोना वायरस के कारण पूरे विश्व मे एक शून्यकाल की स्थिति उतपन्न हो गई। सभी देश इस महामारी की रोक थाम के लिए विभिन्न प्रयास किया और अभी भी प्रयास जारी है।इस काल मे अनेक लोग एवं परिवार कोरोना से ग्रषित होकर मृत्यु का शिकार हो गए। इस महामारी से बचाव के लिए lockdown किया गया।सभी कल कारखाने बन्द किये गए,ट्रांसपोर्ट सेवाएँ बन्द की गई ।बहुतसे लोग बेरोजगार हो गए।
    अब पुनः धीरे धीरे क्रमबद्ध तरीके से सभी सेवाओं को बहाल किया जा रहा है।कोरोना के प्रसार से बचने के गहन जागरूकता की आवश्यकता है, विद्यालयों को खोलने के पूर्व एक संतुलित व्यवस्था का निर्माण करना होगा जिससे हम बच्चों को एवं स्वयं को भी सुरक्षित रखते हुए शिक्षण का माहौल तैयार हो सके।

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  78. करुणा काल में हमारा जीवन यांत्रिक से हो गया था हालांकि हमारा जीवन संयमित अवश्य था परंतु हम सीमित क्षेत्र घरों में ही सिमट कर के रह गए हमारे मित्र जंतुओं को अवश्य स्वतंत्रता आजादी मिल गई थी एक करुणा काल इतिहास में एक चिर स्मरणीय महामारी के रूप में जाना जाएगा

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  79. कोविड 19 लाॅक डाउन का समय मुश्किलो भरा रहा।बहुत सारे प्रतिबधों के बीच जीवन अनिश्चितंओ एवं उथलपुथल से घिरा था।पर मैने उसी समय जान लिया था कि अन्र्य महामारियो की तरह हमें इसके साथ ही जीना होगा।इसलिए अपनी शाररिक एंव मानसिक क्षमता को ऊच्च स्तर पर बनाने की कोशिश की ।
    अब धीरे धीरे जब सब कुछ सामान्य हो रहा है तो हमे और सचेत रहने की आवश्यक्ता है स्कूल खुलने पर बच्चों पर विशेष ध्यान देने की आवयश्कता है उनको जागरूक करने की आवश्यकता है इस संकट काल में भी हम सभी को मिलकर निरंतर प्रगति के पथ पर चलते रहना है ।

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    1. कोबिद 19 का समय बहुत ही मुश्किलो से भरा था ।वैष्विक महामारी से भय्यभीत ये दुनिया संकट का सामना करते हुए जित हासिल की।ऐसे संकेत कल में भी सरकार द्वारा डिगी साथ के माद्यम से बच्चो के शिक्षा को जारी रखा ।हमें बछो के इ साथ साथ पूरे समुदाय को कोबिद जैसे महामारी से लड़ने के लियेजागृक करना ह साथ ही पढ़ाई भिजारी रखना है।धन्यवाद। kalyani kumari dumka

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  80. Due to Covid 19,our life has been badly influanced .Every section of society was living with fear and sadness.Daily earning people and small businessmen were worstly effected.Not only education but whole economy of india had been affected also.

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  81. एक दुखदाई अनुभूति जो कभी भुलाई नहीं जा सकती है। अपने घर की ‌चारदीवारी में बंद।न दोस्तों, परिचितों,रिस्तेदारों और न अपने विद्यार्थियों के साथ सीधा सम्पर्क हो पा रहा था।एक अजीब भय का वातावरण था कि पता नहीं कितनी जन-धन की क्षति होगी। बाजार भी लगभग बंद था। जरूरत की सामग्री भी बड़ी मुश्किल से और महंगे दामों में मिलती थी। एक बैचेनी फैली थी कि आखिर कब तक जिंदगी ऐसी चलेगी। लोग बाहर दूसरे राज्यों में फंसे थे और यातायात व्यवस्था ठप्प थी। एक तरफ बीमारी तो दूसरी तरफ बेरोजगारी, गरीबी और भूखमरी।बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण समय था। दूरसंचार और इंटरनेट का आभार जिसके कारण लोग एक दूसरे से जुड़े रहे। सरकार का भी आभार जिसने अपनी भूमिका ईमानदारी पूर्वक निभाया।

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  82. । MD.SHAMIM AKHTER,U.M.S.RAJOUN (URDU),C.R.C.:UPG GOVT H.S.MADHURA,MEHARMA,GODDA,JHARKHAND हमने अपने भावनात्मक अनुभव का प्रदर्शन लाव्क डाउन के दौरान इस प्रकार किया:-घर से बाहर निकलना मुश्किल,दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलना कठिन,लम्बी यात्रा करना भी मुश्किल,हाथ मिलाना और मुनाफा करने मेन्भी डर बना रहना। पर्व और त्योहार मनाने मेनन कठिनाई,एक साथ मिलकर पूजा पाठ करने और नमाज अदा करने मेनन काफी दिक्कतों का सामन करना पडा। हमने इसका मुकाबला सब्र, हिम्मत, साहस और धैर्य से किया।

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  83. लाॅकडाउन के दौरान अपने जीवन में बहुत ही भावपूर्ण अनुभव हुए ।अपने एवं अपने परिवार के प्रति बहुत ही सावधानी बरतनी पड़ती है एवं साथ ही एक शिक्षक होने के नाते सभी छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करते हुए उन्हें सही मार्गदर्शन कराते रहे।

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  84. लौकडाउन के दौरान अचानक हमें अपने व्यवहार में अनेकों बदलाव करने पड़े।जैसे दोस्तों और रिश्तेदारों के घर आने -जाने से बचना ,हर बार घर से बाहर निकलते स्मूद मास्क पहनना, वापस घर आने पर कपड़े बदलना ,खुद को विसंक्रमित करना साथ ही बाजार से लाए सामानों को भी विसंक्रमित करना आदि भावात्मक रूप से तोड़ने वाला तय्य थका देने वाला था। हाँ धीरे -धीरे हमलोगों ने परिस्थिति के साथ सामंजस्य बैठाना आरम्भ कर दिया और अपने व्यवहार में बदलाव भी लाए।इसके सकारात्मक प्रभाव और परिणाम भी मिला।और भारत की अधिसंख्यक जनसंख्या कोविड के सीधे दुष्प्रभाव से सुरक्षित रही।

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  85. कोरोना काल में हमलोगों का जीवन बहुत ही मुश्किलों भरा रहा। लोगों से मिलना जुलना नहीं के बराबर हुआ और जिनसे मिले भी तो डर के साए में। बस अपने परिवार के सदस्यों के बीच ही सारा समय बिताना पड़ा। हम सबों ने सुरक्षा के सारे नियमों का पालन करते हुए अपने कार्यों का जिम्मेदारी पूर्वक निर्वहन किया।
    अजय कुमार गुप्ता
    कैरीडीह जमुआ
    गिरिडीह

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  86. Covid-19 lock down jab se shuru hua tab se aadmiyoan ke bhavna me bhay ho gaya ki es bimari se bach ker rahna chahiye.kiyanki eske bhay se school college etc band ho gaya tha.

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  87. Usha Kumari
    M. S. Hamidganj
    17 मार्च 2020 के दिन से
    Covid 19 के कारण विद्यालयों को बंद कर दिया गया। पूरेदेश में लॉकडाउन होने के कारण बहुत से परिवार
    अपने परिजनों तक पहुँच नहीं पाए। उस स्थिति में जीवन
    में बहुत ही भावपूर्ण अनुभव हुए अपने एवं अपनो के प्रति बहुत ही सावधानी बरतनी पडी़।

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  88. मो इकबाल आलम,उ म बि निमगाछी।covid19 जो चीन से फैलकर पूरे विश्व में संचारित हो रहा था एक माहमारी जो बहुत ही भयाबह थीं।जिसके चपेट में हमारा देश भी आया और फिर हमारे देश में भी लॉक डाउन लगा दिया गया ।ऐसा मेरे जीवन में पहली बार हुआ है।मीडिया द्वारा जो आंकड़ा प्राप्त हो रहा था वह बहुत ही डरावना था।पहली बार लोग अपने घर ही बंद होकर रहने लगे थे।स्कूल ,कॉलेज,कारखाने आदि सब बंद हो गए।किसी भी बाहरी ब्यक्ति के संपर्क में आने से डरने लगे थे।सब को यही चिंता थी कि इस महामारी से कैसे बचा जाए ।लोग मास्क ,सैनिटाइजर आदि का उपयोग करने लगे।धार्मिक अनुष्ठान बन्द कर दिए गए ताकि दुसरो के संपर्क में न आ सके ।

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  89. भारत में कोरोना महामारी की पुष्टि 30 जनवरी 2020 को केरल में हुई। इसका प्रसार रोकने के लिए 25 मार्च 2020 को संपूर्ण देश में लाकडाउन की घोषणा कर दी गई, जिससे सभी तरह की गतिविधियां ठहर-सा गया। सभी शिक्षण संस्थान, धार्मिक स्थल एवं आवागमन की सभी सुविधाएं रोक दी गई थी। जनजीवन अस्त व्यस्त हो गई थी। महामारी का भय इस तरह व्याप्त हुआ था कि लोग पैदल ही भूखे-प्यासे अपने-अपने घर जाने लगे इसे देखकर मेरा मन द्रवित हो रहा था।

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  90. Lockdown ke dauran sabse Adhik bhavnatmak Anubhav us dauran us Drishya Ko Dekhkar hua Jab Mere Ghar Ke Samne se a saikdon kilometre Dur Se Paidal chalkar majdur Jaate the Aur Main social distancing ka Palan karte hue unke Paidal Yatra Shuru karne ka Sthan ki jankari Leta Jab Mein unse Yatra Shuru karne ke bare mein puchta to vah batate Yatra Shuru kiye Hue 8 din ho gaye aur char din ki yatra abhi aur baki hai to man Kafi Dravid Hota covid19 ki sthiti Kafi Dil Ko jhakjhor deta tha

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  91. कोविड 19 के कारण अचानक लाकडाउन एक नया अनुभव प्रदान किया। संयम से रहना, परिवार के साथ समय बिताना,मास्क पहन कर अपने तथा दूसरे को वायरस से बचाना। विद्यालय बंद होने के बाद बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखना बहुत जरूरी था जिसे Whatsapp के माध्यम से पुरा किया गया ।

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  92. लौकडाउन के दौरान अचानक हमें अपने व्यवहार में अनेकों बदलाव करने पड़े।जैसे दोस्तों और रिश्तेदारों के घर आने -जाने से बचना ,हर बार घर से बाहर निकलते स्मूद मास्क पहनना, वापस घर आने पर कपड़े बदलना ,खुद को विसंक्रमित करना साथ ही बाजार से लाए सामानों को भी विसंक्रमित करना आदि भावात्मक रूप से तोड़ने वाला तय्य थका देने वाला था। हाँ धीरे -धीरे हमलोगों ने परिस्थिति के साथ सामंजस्य बैठाना आरम्भ कर दिया और अपने व्यवहार में बदलाव भी लाए।इसके सकारात्मक प्रभाव और परिणाम भी मिला और भारत की अधिसंख्यक जनसंख्या कोविड के सीधे दुष्प्रभाव से सुरक्षित रही।

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  93. COVID-19 के दौरान हुए संपूर्ण लाॅकडाउन के कारण पुरा विश्व रूक सा गया था । आवागमन के सभी साधन (रेल हवाई जहाज) बंद रहने के कारण सन्नाटा पसरा हुआ था ।कल कारखाने बंद रहने के कारण दिहाड़ी मजदूरों को भोजन के लाले पड़ गये थे ।कोरोना काल में सबसे भावनात्मक दृश्य तो तब देखने को मिला जब दिहाड़ी मजदूर 1600-1700 किमी रात-दिन पैदल चलकर अपने गांव पहुचे ।

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  94. Covid19 महामारी के दौरान लॉकडउन में काफी कुछ सीखने को सीखने के अवसर मिले मै कुछ भावात्मक अनुभवों को प्रदर्शित कर रहा हूं।
    # whatsapp School Group बनाने
    # Online Training on digital platform
    # संयमित रहना
    # सर्टिफिकेट अपडेट
    # e content प्रत्येक छात्रों तक पहुंचाना इत्यादि।

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  95. यह मांडयूल कोविड-19 के बारे में काफी प्रभावित हो रहा है। कोविड -19 के बारे में अच्छी -अच्छी जानकारी दें रही हैं। लम्बी अवधि के बाद विद्यालय जब खुलेगी, हमें किस तरह छोटे छोटे बच्चों को विद्यालय में बच्चों को बैठाना है।यह माॅडयुल हमें काफी प्रशिक्षण दें रही हैं। सिर्फ हमें इस माॅडयल का एक एक शब्द पर ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अपने-अपने घरों एवं विद्यालय में प्रभावी करने की आवश्यकता है

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  96. COVID-19 के कारण लाकडाला के समय का दृश्य सचमुच दिल को दहला देनेवाला था.मीडिया के माध्यम से मजदूरों को विभिन्न परिस्थितियों से गुजरते हुए अपने वतन को जाते देखकर मैं भावुक हो गया था.

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  97. कोविड-19 लॉकडाउन सारे विश्व को झकझोर कर दिया। इसने काफी लोगों की जान ली तथा लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। घर पर रहने को मजबूर होना पड़ा।गरीब लोग भूख से मारे गए। यातायात के साधन बंद कर दिए गए जिस कारण प्रवासी मजदूरों को पैदल यात्रा करना पड़ गया। कारखाने बंद हो गया जिसका दुष्प्रभाव आम जनता पर पड़ गया।इस काल में हमें बहुत कुछ सीखने जैसे-संयमित जीवन, साफ-सफाई का खास ख्याल,कम साधनों का प्रयोग कर जीवन को सफल बनाने लगे।

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  98. मुझे मोबाइल फोन का use करना महामारी ने सिखाया।

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  99. संयम में रहना सिखाया,
    अपनो की परवाह करना सिखाया,
    अपने पराए का फर्क दिखाया,
    सीमित साधनों के साथ रहना सिखाया|

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  100. कोविड19 लॉक डाउन का समय बहुत ही मुश्किलो भरा रहा।बहुत सारे प्रतिबंधों के बीच जीवन अनिश्चिताओं व उथल-पुथल से घिरा था।लॉक डाउन के दौरान सभी तरह के आवागमन के साधन जैसे- बसें, रेल व हवाई जहाज आदि, बंद होने के कारण चारों ओर संन्नाटा छा गया था।विद्यालय बंद होने के कारण बच्चें नही आ रहे थे।हम भी घरों में थे। बाजार बंद पडे़ हुए थे, कहीं पर भी कोई दिखाई नहीं देता था।मानो कोई अजी़ब सी कोई घटना हो गई है। मैनें अपने जीवन में बचपन से लेकर आज तक ऐसी कोई घटना नहीं देखा था।लोग भावनात्मक रूप से टूट चुके थे।दिहाड़ी मजदूर हजारों किमी दूर से पैदल यात्रा कर अपने-अपने घर लौट रहे थे। गांवो में बाहर से आये दिहाड़ी मजदूरों को घूसने नहीं दिया जाता था ,उसे गांव के बाहर तंबु लगाकर चौदह-पंद्रह दिनों रहना पड़ता था। ऐसी ही भावनात्मक दृश्य मैनें अपने जीवन में पहली बार देखा।इस विषम परिस्थितियों में लोग अपने घरों से बाहर निकल से डरते थे। सभी लोग सरकार के दिशानिर्देशानुसार लॉक डाउन का पालन करते हुए घरों से बाहर नहीं निकल रहे थे।अब धीरे धीरे जिन्दगी पटरी पर आ रहा है इसे देखकर दिल में सुकुन आ रहा है।

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  101. कोविड19 लॉक डाउन का समय बहुत ही मुश्किलो भरा रहा।बहुत सारे प्रतिबंधों के बीच जीवन अनिश्चिताओं व उथल-पुथल से घिरा था।लॉक डाउन के दौरान सभी तरह के आवागमन के साधन जैसे- बसें, रेल व हवाई जहाज आदि, बंद होने के कारण चारों ओर संन्नाटा छा गया था।विद्यालय बंद होने के कारण बच्चें नही आ रहे थे।हम भी घरों में थे। बाजार बंद पडे़ हुए थे, कहीं पर भी कोई दिखाई नहीं देता था।मानो कोई अजी़ब सी कोई घटना हो गई है। मैनें अपने जीवन में बचपन से लेकर आज तक ऐसी कोई घटना नहीं देखा था।लोग भावनात्मक रूप से टूट चुके थे।दिहाड़ी मजदूर हजारों किमी दूर से पैदल यात्रा कर अपने-अपने घर लौट रहे थे। गांवो में बाहर से आये दिहाड़ी मजदूरों को घूसने नहीं दिया जाता था ,उसे गांव के बाहर तंबु लगाकर चौदह-पंद्रह दिनों रहना पड़ता था। ऐसी ही भावनात्मक दृश्य मैनें अपने जीवन में पहली बार देखा।इस विषम परिस्थितियों में लोग अपने घरों से बाहर निकल से डरते थे। सभी लोग सरकार के दिशानिर्देशानुसार लॉक डाउन का पालन करते हुए घरों से बाहर नहीं निकल रहे थे।अब धीरे धीरे जिन्दगी पटरी पर आ रहा है इसे देखकर दिल में सुकुन आ रहा है।

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  102. Covid_19 ek waishwik mahamari hai iska wirus china se wiksit hua shuru men helikopton we chemical ka chhirkaw kiya gaya avm us din logon ko hgaron se bahar nahin nikalne ki hidayat di gaee iske prasar ko dekhte hue lock down lagaya gaya hamen gharon se nikalna muskil ho gaya jaruri smanon ke lie hi nikalna para school dookanen yatayat office bazar etc band kar die gas mask sinitiser samajik duri ka palan karna para air karna par raha hai

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  103. महामारी covid-19 के दौरान हुए लॉकडावन का दृश्य दिल को झकझोर देने वाला था। मैंने बहुत से मजदूरों को 400 से ज्यादा किलोमीटर पैदल चलकर हमारे गांव आए, उन्हें देखा।

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  104. कोविड19 लॉक डाउन का समय बहुत ही मुश्किलो भरा रहा।बहुत सारे प्रतिबंधों के बीच जीवन अनिश्चिताओं व उथल-पुथल से घिरा था।लॉक डाउन के दौरान सभी तरह के आवागमन के साधन जैसे- बसें, रेल व हवाई जहाज आदि, बंद होने के कारण चारों ओर संन्नाटा छा गया था।विद्यालय बंद होने के कारण बच्चें नही आ रहे थे।हम भी घरों में थे। बाजार बंद पडे़ हुए थे, कहीं पर भी कोई दिखाई नहीं देता था।मानो कोई अजी़ब सी कोई घटना हो गई है। मैनें अपने जीवन में बचपन से लेकर आज तक ऐसी कोई घटना नहीं देखा था।लोग भावनात्मक रूप से टूट चुके थे।दिहाड़ी मजदूर हजारों किमी दूर से पैदल यात्रा कर अपने-अपने घर लौट रहे थे। गांवो में बाहर से आये दिहाड़ी मजदूरों को घूसने नहीं दिया जाता था ,उसे गांव के बाहर तंबु लगाकर चौदह-पंद्रह दिनों रहना पड़ता था। ऐसी ही भावनात्मक दृश्य मैनें अपने जीवन में पहली बार देखा।इस विषम परिस्थितियों में लोग अपने घरों से बाहर निकल से डरते थे। सभी लोग सरकार के दिशानिर्देशानुसार लॉक डाउन का पालन करते हुए घरों से बाहर नहीं निकल रहे थे।

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  105. It was very pathetic to face and spend time in covid-19 lockdown period.Introvrt people searched, created and find out their goals to do something better in life while extrovert people hardly adjusted according to that adverse situations.I also entertained these periods in teaching our sons and learned cooking better than earlier.This lockdown learned a lots also as-importance of YOGA, equality of human beings among mature, value of health and cleanliness etc.

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  106. कोविड-19 ने हमें सिखाया है संगम के साथ रहना अपने पराए का भेद करना अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न प्रकार के उपाय करना स्वास्थ्य पर ध्यान देना आधी

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  107. विड-19 एक बहुत ही संक्रमित महामारी फैली और महामारी के दौरान बहुत बड़ा लॉकडाउन हुआ इस अवधि के दौरान बीच-बीच में बच्चों के साथ संपर्क बनाए रखा इस दौरान है घर जाकर सामाजिक दूरी मास बीच-बीच में हाथ धोने का कार्यक्रम इत्यादि का प्रयोग करते हुए बच्चों के संपर्क में रहा एवं व्हाट्सएप के माध्यम से जो मैट्रियल प्राप्त होता था बच्चों के साथ उसे साझा करते थे एवं पीडीएफ बनाकर बच्चों के बीच व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा जाता था इस अवधि के दौरान संजय मत रहना साफ सफाई पर विशेष ध्यान देना बीच-बीच में हाथ धुलाई का कार्य करना एवं तकनीकी जानकारी का अनुभव होना यह कोरोना काल की प्राथमिकताएं

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  108. Lockdown ke douran bahut saare anubhav aise rahe jo pahle kabhi dekhe aur soone v nahi thhe. Mere saath hii ek ghatna huwi.Mere Mata-pita mujhse kuchh hii doori lagbhag 30 k.m. ki doori par mere gaaw me rahe thhe. Maa kii aankh kii dawa khatm honewali thhi aur waha wo dawa nahi mil rahi thhi mujhe bahut chinta hone lagi. Tabhi maine police ke helpline number par call kiya aur oonhone mujhe rasta bataya.oonke kahne ke anusar meri maa ko Maine dawa pahoochaya. Covid-19 ke douran sabhi log mask kaa zaroor prayog kare aur sirf kaam rahne par hii ghar se nikla.Thanku. Mukesh chakravorty U.m.s.Haridih Baliapur Dhanbad

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  109. Hamare 90k Gramin ek hi Parivar ki do sadasya kar is Karan Akal Mrityu Ho Gai Humne Aisi Bhavna Aisi Rishta hi bar Dekha Hai isliye apne aap ko hamari samajhne ki Anil bhai

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  110. कोविद 19 एक बहुत ही खतरनाक वायरस के रूप में 2020 में मेरे देश मे चीन से फैला।इसने सारे अपनो से दूर कर दिया।अगर किसी को छिक भी आ जाती थी तो अगल बगल के लोग उसे घूरने लग जाते थे और तुरन्त उससे दुरो बना लरए थे।
    मनोहर लाल चक्रम,UMS KHERHO,Peyar war,Bokaro,Jharlhamd

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  111. In covid 19 period i feel that what happen in this situation how children's will come over how they learn how we face it situation

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  112. कोविड-19 लॉक डाउन का समय बड़ा चुनौतीपूर्ण रहा। सभी तरह के प्रतिबंधों के बावजूद जीवन को सुरक्षित रखने और संयमित जीवन की कला हमने सीखा ।अब अनलॉक की अवधि में पुनः लोगों की जिंदगी को धीरे-धीरे सामान्य हो रही है ,और हम सामान्य जीवन जीने की ओर बढ़ रहे हैं ।

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  113. महामारी covid-19 के दौरान हुए लॉकडावन का दृश्य दिल को झकझोर देने वाला था। मैंने बहुत से मजदूरों को 400 से ज्यादा किलोमीटर पैदल चलकर हमारे गांव आए, उन्हें देखा।
    कोविड-19 लॉक डाउन का समय बड़ा चुनौतीपूर्ण रहा। सभी तरह के प्रतिबंधों के बावजूद जीवन को सुरक्षित रखने और संयमित जीवन की कला हमने सीखा ।अब अनलॉक की अवधि में पुनः लोगों की जिंदगी को धीरे-धीरे सामान्य हो रही है ,और हम सामान्य जीवन जीने की ओर बढ़ रहे हैं ।

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  114. Is mahamari me jab lokdown ki ghosna hui
    Ham puri sayam ke sath rahne lage avshykata ko kam kiye ghar me puri tarah band huwe

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  115. COVID-19 LOCKDOWN के समय , मैं साफ सफाई पर ध्यान तथा अपने परिवार /परिजनों का देखभाल तथा तन मन धन से साथ दिया।
    अपने आसपास के बच्चों का पढ़ाई जारी रखने का काम किया तथा आसपास के लोगों का सहयोग किया।

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  116. कोविड-19 लॉक डाउन का समय बड़ा चुनौतीपूर्ण रहा। सभी तरह के प्रतिबंधों के बावजूद जीवन को सुरक्षित रखने और संयमित जीवन की कला हने सीखा ।अब अनलॉक की अवधि में पुनः लोगों की जिंदगी को धीरे-धीरे सामान्य हो रही है ,और हम सामान्य जीवन जीने की ओर बढ़ रहे हैं (upgps Arkosa Nawa Toli,lohardaga)

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  117. This comment has been removed by the author.

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  118. कोविड-19 वैश्विक महामारी मनुष्य के जीवन के लिए एक बहुत बड़ी चुनौतीपूर्ण जीवन साबित हो रहा है क्योंकि यह महामारी मनुष्य को बचने के लिए एक दूसरे को कैसे संभले एवं प्राकृतिक से यह सबक लेने के लिए एक चुनौती साबित हुआ कि हम लोगों को सुरक्षित कैसे रहना है और संयम कैसे बढ़ता है जब लोग डॉन हुआ उस समय से हम लोगों को काफी डरावना महसूस हो रहा था और एक दूसरे से मिलने के लिए बहुत ही घबराहट महसूस हो रहा था सभी लोग अपने अपने घरों में सुरक्षित थे एवं सामाजिक दूरी रखने के साथ-साथ दिन में हाथ धोने की आदत सी पड़ गई क्योंकि कोविड-19 महामारी का जो संक्रमण है वह एक दूसरे में फैलता था और इसी के वजह से लोग एक दूसरे से मिलने में बहुत डर रहे थे लेकिन जैसे-जैसे यह महामारी का प्रकोप कम हुआ वैसे वैसे अनलॉक की प्रक्रिया चालू हुई एवं लोगों की सावधानी के वजह से यह बीमारी का संक्रमण भी कम हुआ हालांकि इस महामारी के वजह से हमारे जीवन को काफी प्रभावित किया जैसे बच्चों की पढ़ाई कारोबार यह सारे के सारे बहुत नुकसान हुए जिसकी भरपाई करना संभव प्रतीत नहीं हो रहा है लेकिन फिर भी जहां तक संभव हो हम सभी मिलकर इस बीमारी से जैसे सामना किए उसी प्रकार बच्चों में जो शिक्षण अधिगम की खाई उत्पन्न हुई है उसको पूर्ण करना हम शिक्षकों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है और इसे हम लोग कोशिश करें की अधिक से अधिक बच्चों से फोन के माध्यम से या अन्य स्रोतों से इन कमी को पूर्ण करें और जैसे ही विद्यालय खुलता है तो बच्चों को समाजिक दूरी बनाते हुए उनकी शिक्षण को पूर्ण करने की कोशिश करेंगे

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  119. Covid-19 कोरोना महामारी के दौरान जो लॉकडाउन हुआ बचपन से लेकर अब तक कभी ऐसा नहीं हुआ था और ना ही देखा। इस अवधि में कुछ परिस्थितियां जोकि अपने भावनात्मक अनुभव को प्रदर्शित कर रहे हैं:-
    *सारी शिक्षण संस्थान बंद, यातायात के साधन बंद, व्यापार बंद, हाट बाजार बंद, दुकाने बंद आदि होने से वातावरण सन्नाटा रहा और अपने अपने घरों में दुबक के रहना पड़ा।
    * इस काल से काफी कुछ सीखने को मिला:-अपने विद्यालय के बच्चों का व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर पठन-पाठन जारी रखा संयम पूर्वक रहना सीखा सीमित साधनों के साथ जीवन यापन करने सिखा साफ सफाई रहना एवं स्वास्थ्य की देखभाल करना आदि।

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  120. यह मांडयूल कोविड-19 के बारे में काफी प्रभावित हो रहा है। कोविड -19 के बारे में अच्छी -अच्छी जानकारी दें रही हैं। लम्बी अवधि के बाद विधायक जब खुलेगी, हमें किस तरह छोटे छोटे बच्चों को विधालय में बच्चों को बैठाना है।यह माॅडयुल हमें काफी प्रशिक्षण दें रही हैं। सिर्फ हमें इस माॅडयल का एक एक शब्द पर ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अपने-अपने घरों एवं शिवालयों में प्रभावी करने की आवश्यकता है।
    Nand Gopal Tiwari chatra

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  121. लॉकडाउन बहुत ही भयानक रूप बन गयी थी सभी लोग डर डरकर अपने घरों में रह रहे थे एवं एक दूसरों से मिलना जुलना बंद कर दिए थे।,

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  122. कोविड-19 के दौरान हुए लोकडाउन दिल को झकझोर देने वाला था ।एक दुखदाई अनुभूति जो कभी भुलाई नहीं जा सकती घर से काफी दूर रहने के कारण परिवार में सब घबराए हुए थे ।काफी लंबे समय से दूर रहने के कारण हमेशा मन उदास रहता था ।अब धीरे-धीरे सब सामान होते जा रहा है और काम में भी मन लगने लगा है।

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  123. कोविड-19 के दौरान हुए लॉकडाउन किए का दृश्य दिल को झकझोर देने वाला था ।मैंने बहुत से मजदूरों को 300 से 400 किलोमीटर पैदल चलकर हमारे गांव आए देखा। स्टेशन पर ट्रेन से उतरते समय धरती को प्रणाम करना ,मन को भावुकता से भर दिया।
    लॉकडाउन में बहुत कुछ सिखाया भी संयम में रहना सिखाया।
    साफ-सफाई का खास ख्याल ,
    अपनों की परवाह करना सिखाया ,
    अपने पराए का फर्क दिखाया।
    सीमित साधनों के साथ रहना सिखाया।

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  124. कोविड 19 लॉकडाउन का समय मुश्किलों से भरा हुआ था इस अवधि में मैं एक शिक्षिका के रुप में विद्यालय बंद होने पर बच्चों का एक whatsapp ग्रुप बनाकर कर उसमें पढ़ाई जाने वाली सामग्री को भेजा । बच्चो और अमिभावकों केसाथ एक भावनात्मक जुड़ाव हो गया उन्हें साफ- सफाई से रहने ,मास्क का उपयोग करने ,सेनेटाइजर का उपयोग करने और सरकार द्वारा दिए गए गाइडलाइन को मानने का निर्देश दिया ।

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  125. Covid-19 वैश्विक महामारी ने हमें वास्तविक रूप से बहुत कुछ सीख दे गया। प्रकृति की महत्ता, स्वच्छता, अपने लिये सजगता, वैकल्पिक साधनों की ओर ध्यान आकर्षण इत्यादि पर पुनर्विचार करने का अवसर दिया। लेकिन इस बीच बच्चों के निर्बाध शिक्षा पर रोक लग गया। बच्चे शिक्षा से दूर होते गए। हालांकि आभासी शिक्षा पर जोर तो दिया गया लेकिन प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के लिए लाभदायक नही हो पाया। उम्मीद है सरकार स्कूलों को नियमित संचालन की दिशा में जल्द ही कोई महत्वपूर्ण निर्णय लें।

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  126. Md Abid hussain covid19 वैश्विक महामारी में दिल झकझोर देने वाला दरश देखा 200,300औऱ400 किलोमीटर पैदल चलकर घर आये।

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  127. Covid19ne hame sanyam se rahna apano ki fikra karna apane paraye ka fark aursimit sansadhano ke sathrahna sikhaya

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  128. कोविड १९ LOCKDOWN का बड़ा चुनौती पूर्ण रहा।

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  129. इस Covid-19 कोरोना महामारी में
    जो लाॅकडाउन हुआ, इस लाॅकडाउन की अवधि के दौरान कुछ घटना जो अपने भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित
    कर रहे हैं :-
    1) जैसे अपने स्कूलों के छात्रों का स्कूल जाना
    बंद हो गया और मैं उन्हें WhatsApp ग्रुप
    बनाकर मैं वीडियो के माध्यम से पढ़ाई को
    जारी रखी।
    2) इस कोरोना काल में हमें काफी कुछ सीख
    मिली जैसे:- अपने को संयमपूर्वक रहना, सीमित
    साधनों के साथ रहना, अच्छी तरह साफ-सफाई
    करना और रहना, देखभाल करना आदि ।
    3) जीवन में किसकी अधिक जरूरत है, हमें इस बात का पता चला।

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  130. Covid-19 के द्वारा हुए लाकडाउन का दृश्य दिल को झकझोर देने वाला था, सब कुछ बंद हो चुका था, लोग भावात्मक रूप से टूट चुके थे, हम बच्चों को शैक्षणिक रूप से जुड़े रहने के लिए whatsApp ग्रुप बनाकर DigiSATH के द्वारा वीडियो के माध्यम से पढाई को जारी रखा गया

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  131. करने वाला रहा। अनिश्चितता और मानसिक क्षमताओं को बनाए रखना का था। प्रकृति ने सुन्दर दर्शन कराए, मानव को संवेदनशील बनाए। लाॅकडाउन में जब विद्यालय कार्य बंद था तो whatsappके माध्यम से वीडियो के द्वारा पढ़ाई जारी रहा। कोरोना काल हमें बहुत कुछ सीखने भी जेसे संयमित जीवन, साफ-सफाई का खास ख्याल, कम सन साधन का प्रयोग कर जीवन को सफल बनाने रखा।

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  132. कोविड -19 लॉकडाउन का समय मुश्किलों से भरा हुआ था। इस अवधि में मैं विद्यालय बंद होने पर बच्चों का एक whatsapp ग्रुप बनाकर कर उसमें पढ़ाई जाने वाली सामग्री को भेजा । बच्चो और अमिभावकों के साथ एक भावनात्मक जुड़ाव हो गया । उन्हें साफ- सफाई से रहने ,मास्क का उपयोग करने ,सेनेटाइजर का उपयोग करने और सरकार द्वारा दिए गए गाइडलाइन को मानने का निर्देश दिया ।

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  133. नावेल कोरोना वायरस के कारण पूरे विश्व मे एक शून्यकाल की स्थिति उतपन्न हो गई। सभी देश इस महामारी की रोक थाम के लिए विभिन्न प्रयास किया और अभी भी प्रयास जारी है।इस काल मे अनेक लोग एवं परिवार कोरोना से ग्रषित होकर मृत्यु का शिकार हो गए। इस महामारी से बचाव के लिए lockdown किया गया।सभी कल कारखाने बन्द किये गए,ट्रांसपोर्ट सेवाएँ बन्द की गई ।बहुतसे लोग बेरोजगार हो गए।

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  134. COVID-19 के दौरान हुए लाकडाउनकिए का दृश्य दिल को झकझोर देने वाला था|मैंने बहुत से मजदूरों को 200 से 250 किलोमीटर पैदल चलकर हमारे गांव आए, उन्हें देखा

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  135. covid-19 के दौरान हुए लाकडाउन का दृश्य दिल को झकझोर देने वाला था। मैंने बहुत से लोगों को 200 से 250 किलोमीटर पैदल चलकर हमारे गाँव आए,उन्हे देखा

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  136. कोविड 19 लाॅक डाउन का समय मुश्किलो भरा रहा। बहुत सारे प्रतिबंधों के बीच जीवन अनिश्चिताओ एवं उथलपुथल से घिरा था, पर मैने उसी समय जान लिया था कि अन्र्य महामारियो की तरह हमें इसके साथ ही जीना होगा, इसलिए अपनी शारीरिक एंव मानसिक क्षमता को ऊच्च स्तर पर बनाने की कोशिश की।अब धोरे धीरे जिन्दगी पटरी पर आ रही है इसे देखकर दिल मे सुकुन आ रहा है।

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  137. 2020 का वर्ष मनुष्य जाति के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं रहा। एक छोटे से शहर युवान से निकला हुआ अदृश्य वायरस पूरे समाज को इतनी जटिलता से प्रभावित करेगी किसी ने सोचा नहीं था। कुछ चंद महीनों में इस अदृश्य वायरस ने अपना कदम दुनिया के हर बड़े और छोटे जगह पर रख चुका था। हमारे देश भारत में 22 मार्च 2020 को जनता कर्फ्यू लगने के पश्चात यह एहसास हुआ कि यह कोई मामूली वायरस नहीं है। यह अदृश्य वायरस एक ही दिन में, देश के रफ्तार को रोक दिया। यह वायरस हर वर्ग के लोगों को प्रभावित किया, खासकर विद्यार्थियों के शिक्षण संस्थानों से दूरी ने शिक्षा जगत को बूरी तरह से प्रभावित किया है। इस महामारी ने गरीबों और दिहाड़ी मजदूरों के जीवन को भी बूरी तरह से प्रभावित किया है। एक तरफ जहां बीमारी का डर का माहौल था, वहीं दूसरी तरफ रोजगार का अभाव और पैसों की कमी के वजह से लोग भूखे मर रहे थे। छोटे गांव से महानगरों में पलायन करके गए मजदूरों की स्थिति बहुत ही दर्दनाक थी। एका-एक कर्फ्यू लगने के बाद यह सारे दिहाड़ी मजदूर बेरोजगार हो चुके थे, इनके पास रहने के तो दूर, खाने तक के भी पैसे नहीं थे। यह सारे मजदूरों ने मजबूरी में अपने गांव की तरफ रुख तो किया लेकिन यातायात साधनों के ठप होने के वजह से उन्हें सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। भूख प्यास और थकान के वजह से बीच रास्ते में ही कई मजदूरों ने अपना दम तोड़ा और और ना जाने कितने परिवार बिखर गए। कोविड -19 के इतने बुरे प्रकोप के बाद भी हम भारतीयों ने पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाई है। यह पहचान एकता के साथ-साथ एक स्वस्थ, शिक्षित और जागरूक होने का प्रमाण करती हैं। इस बुरे वक्त ने हमें काफी कुछ सिखाया, कम संसाधनों के बीच हम लोगों ने नए सुबह का इंतजार किया और यह सुबह बहुत जल्द आने वाला है।

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  138. covid-19 के दौरान पुरे भारत बर्ष में लाॅकडाउन घोषित किया गया लाॅकडाउन ने हमें बहुत कुछ सिखाया! इस लाॅकडाउन ने हमें संयमित रहना सीमित संसाधनों में गुज़र बसर करना महामारी का मुकाबला करना सिखाया घरवालों और विधार्थियो से मिल नही सकते तो मैंने वाॅटसप एवं विडियो काॅल के द्वारा सम्पर्क बनाए रखा!

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  139. लोकडाउन के अवधि के दौरान कोविड -19 से आरक्षण के लिए सामाजिक दूरियां मास्टर का उपयोग करना। हमेशा हाथों से साबुन से धोना खाने वालों से अलग रहना।

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  140. Covid19 के कारण विद्यालय बंद हो गए। बच्चों की पढ़ाई का बहुत loss हो गया। वैसे तो हम शिक्षक विद्यालय का What's app. group बना कर DIGI SATH के द्वारा बच्चों को Online content उपलब्ध करा रहे हैं। परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी का उचित उपयोग नहीं हो पाता है। इस कारण हम शिक्षक अपने उद्देश्य में अधिक सफल नहीं हो पा रहे हैं।
    आशा है कि निकट भविष्य में Corona vaccine आ जाएगा और फिर विद्यालय नियमित रूप से संचालित होने लगेंगे।
    मु० अफजल हुसैन, उर्दू प्राथमिक विद्यालय मंझलाडीह,शिकारीपाड़ा,दुमका।

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  141. कोविड-19 लोक डॉन का समय मुश्किलों भरा रहा। पूरे भारतवर्ष में लोक डॉन घोषित किया गया । लॉकडाउन ने हमें बहुत कुछ सिखाया इस लॉकडाउन ने हमें सीमित रहना सीमित संसाधनों में गुजर-बसर करना महामारी का मुकाबला करना सिखाया। घरवालों और विद्यार्थियों से मिल नहीं सकते तो व्हाट्सएप ग्रुप एवं वीडियो कॉल के द्वारा संपर्क बनाए रखा । बच्चों और अभिभावकों के साथ एक भावनात्मक जुड़ाव बना। जिससे साफ सफाई से रहने मास्क का उपयोग करने सैनिटाइजर का उपयोग करने सरकार द्वारा दिए गए गाइडलाइन को मानने का निर्देश दिया गया। ताकि कोविड-19 को फैलने से रोका जा सके।

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  142. जब संपूर्ण लोकडाउन की घोषणा हुई थी तब चारो तरफ सन्नाटा छा गया था ।सड़क पर वाहनों की आवाजाही बंद हो गई थी ।दवा एवं किराना दुकान को छोड़कर सभी दुकानें बंद हो गई थी ।स्कूल भी बंद है।बच्चे विद्यालय नहीं आ रहे हैं ।हमलोग घरों में थे ।खाने का सामान भी काफी मुश्किल से मिल रहा था।उस समय मन मे अजीब सा डर समा गया था ।बहुत से लोगों को बहुत बहुत सारे कठिनाईयां हुई । लोग सैकड़ों मील पैदल चल घर पहुंचे कुछ समय बद जब आंशिक लोकडाउन हुआ कुछ दुकानें खुलने लगी तब जा कर मन मे थोड़ा सुकून मिला ।अब धीरे धीरे सामान्य हो है।

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  143. जब हमारे यहां लोक डाउन सुरु हुआ तो ग्रामीण इलाकों में इसकी जानकारी लोगों को बायरस के बारे नहीं थी तब मैंने लोगों को इसके बारे में विस्तार से बताया।

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  144. COVID-19 के दौरान हुए लाकडाउनकिए का दृश्य दिल को झकझोर देने वाला था|मैंने बहुत से मजदूरों को 200 से 250 किलोमीटर पैदल चलकर हमारे गांव आए, उन्हें देखा

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  145. जब संपूर्ण लोकडाउन की घोषणा हुई थी तब पूरा रोड में सन्नाटा छा गया था ।विद्यालय में बच्चे नहीं आ रहे थे ,हम भी घरों में थे ,जो भी मार्केट था सब बंद था। कहीं पर कोई दिखाई नहीं देता था लगता था ,जैसे कुछ हो गया है अपने बचपन से लेकर के अभी तक के समय में हमने ऐसी घटना नहीं देखी थी। लोग भावनात्मक रूप से टूट चुके थे। हम बच्चों से शैक्षणिक रूप से जुड़े रहने के लिए यूट्यूब में शैक्षणिक सामग्री भेजते थे। इंटरनेट हमारे और बच्चों के मिलने का एक सहारा था। इस प्रकार योगदान की अवधि हमारे लिए बहुत ही त्रासद पूर्ण थी ,लेकिन एक तरह से यह हमें सीखने के नए अवसर प्रदान कर रहे थे, इसलिए यह हमारे लिए एक वरदान भी था ।जब हम नयी तकनीकी से रूबरू हुए।

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  146. इस महामारी का दृश्य दिल को झकझोर देने वाला था चारों ओर सन्नाटा छाया हुआ था लोग अपने घरों में कैद हो गए थे जो लोग अपने गांव शहर से दूर थे वह चार सौ 500 किलोमीटर रात दिन पैदल चलकर अपने घरों को वापस आ रहे थे जो कि बड़ा ही दुखदाई दृश्य था

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  147. कोबिड19के दरमियान लोक डाउन की अवधि में हमने बहुत कुछ सीखा है| संयम रहना, यहतियात बरतना और अपने स्वास्थ्य को ठीक रखना एक चुनौतियों भरा अवधि था| अभी भी चुनौती पूर्ण है परन्तु इस महामारी से डरना नही है लड़ना है|

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  148. कोविड 19 महामारी के कारण पूरे देश मे किये गये सम्पूर्ण लॉक डाउन ने महामारी की भयावहता का आभास कर दिया था।ऐसा लग रहथा मानो जीवन ठहर सा गया है।बीमारी से अधिक दहशत का माहौल था।अलग अलग राज्यों मे रहने वाले बच्चों और रिश्तेदारों की चिंता ने दिन का चैन और रातों की निंद उड़ा दी थी।दूरदर्शन मे दिखाये जा रहे कोविड 19 के समाचारों और प्रवासी मजदूरों के पलायन की दर्दभरी परिस्थितियों ने हमारे पूरे अस्तित्व को मानो झकझोर दिया था।विद्यालय बंद हो जाने के कारण बच्चों की पढाई बाधित हो गई हम अपने ही घरों मे कैद हो भविष्य की आशंकाओं के बीच जीने लगे।इस दौरान हमने अपने को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वयं को मजबुत किया इसके लिए योग का सहारा लिया।सीमित साधनो के साथ जीवन जीना सिखा।आधुनिक संचार के साधनो ने हमे सहारा दिया ।इनके माध्यम से सबकी खबर लेती रही स्कूल के बच्चों को ई कंटेंट के माध्यम से पढाई जारी रखने का निर्देश देती रही।स्वयं को सहारा देते हुये जरुरतमंदों को भी यथाशक्ति सहारा देने का प्रयास किया।अब vaccine के आने का इंतजार है जो इस महामारी से मानवता की रक्षा कर सके।

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  149. यह मांडयूल कोविड-19 के बारे में काफी प्रभावित हो रहा है। कोविड -19 के बारे में अच्छी -अच्छी जानकारी दें रही हैं। लम्बी अवधि के बाद विधायक जब खुलेगी, हमें किस तरह छोटे छोटे बच्चों को विधालय में बच्चों को बैठाना है।यह माॅडयुल हमें काफी प्रशिक्षण दें रही हैं। सिर्फ हमें इस माॅडयल का एक एक शब्द पर ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अपने-अपने घरों एवं शिवालयों में प्रभावी करने की आवश्यकता है।

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  150. कोविड-19 के दौरान कोई एक घटना नहीं बल्कि कई ऐसी घटनाएं हुई जो दिल को दहलाने वाली थी जिसमें टीवी पर देखा था की एक महिला सूटकेस खींचते हुए सड़क पर जा रही है और उसका बच्चा उसी सूटकेस पर सो रहा है दूसरी घटना एक बच्ची द्वारा अपने बीमार पिता को कई सौ किलोमीटर साइकिल पर बिठा कर ले जाना यह सभी घटनाएं दिल को छूने वाली थी जिस से प्रभावित होकर मैंने भी अपने आसपास जरूरतमंद लोगों की यथासंभव सहायता करने की कोशिश की

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  151. महामारी कोविड 19 लॉकडाउन का समय मुश्किलों से भरा हुआ था इस अवधि में मैं एक शिक्षिका के रुप में विद्यालय बंद होने पर बच्चों का एक whatsapp ग्रुप बनाकर कर उसमें पढ़ाई जाने वाली सामग्री को भेजा । बच्चो और अमिभावकों केसाथ एक भावनात्मक जुड़ाव हो गया उन्हें साफ- सफाई से रहने ,मास्क का उपयोग करने ,सेनेटाइजर का उपयोग करने और सरकार द्वारा दिए गए गाइडलाइन को मानने का निर्देश दिया ।

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  152. कोविड-19 महामारी दिल को झकझोर कर रख दिया जैसे ही लोग डाउन आरंभ हुआ कितने लोग यात्रा करते हुए अपनी जान गवा बैठे जिससे दिल दहल जाता है मानव जीवन ठहर सा गया और हमें परोपकार सहयोग आदि सद्गुणों को प्रदर्शित करने का मौका मिला अब धीरे-धीरे हे बीमारी में सुधार होने की उम्मीद है

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  153. मैं अपने परिवार वालों के स्वास्थ्य के बारे में काफी सतर्क रहा।हमेशा मन आशंकित रहा। मैंने कोविड सतर्कता के उपायों का पालन खुद किया तथा औरों को भी इस हेतु प्रेरित किया।कोविड का कोई केस मेरे अगल बगल में नहीं मिला।

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  154. Beating thalis by people was a hilarious memory for me. Pitiable condition of migrant labourers was a painful memory. But I know that human species and struggle are made for each other.

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  155. कोविड19महामारी के दौरान पूरे देश में काफी उथल-पुथल मची हुई थी। मजदूर वर्ग को काफी कठिनाई यों का सामना करना पड़ा था लाकडाउन के दौरान काफी लोगों की नौकरियां छूट गई,कल कारखाने बंद होने से सभी को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। विद्यालय बंद कर दिया गया है।बच्चों को पढ़ाई-लिखाई में काफी परेशानी हो रही है।डीजी साथ के द्वारा ईकटेनट भेज कर पढ़ाई करवाया जा रहा है लेकिन जिनके पास मोबाइल फोन नहीं है वे पढ़ाई नहीं कर सकते हैं। बहुत ही कठिनाईयों से भरा समय है, धीरे-धीरे अब लोग इस महामारी के साथ जीना सीख रहे हैं। ््व््््व्््व््््व््व््््व््््व्््व््््व््व््््व्््व््््व््व््््व््््व्््व्

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  156. कोशिश 19 लाँक डाउन का समय हमें बहुत कुछ सिखाया सीमित संसाधनों में रहना, साफ़-सफाई में रहना, देखभाल करना अपनों का ख्याल रखना

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  157. कोविड 19ने हमें सफाई,स्वच्ता ,मित्ब्ययिता,मेहनती,इत्यादि बनाया ल

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  158. Covid 19 AK ass mahamari hi Jo pore desh KO parbhavit kardiya hi

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  159. Covid-19 के दौरान हुए लाॅकडाउन का दृश्य दिल को दहला देने वाला था। हमने बहुत-से कर्मियों को कई सौ किलोमीटर पैदल चलकर अपने गांव वापस पहुंचते देखा है।लाॅकडाउन का समय मुश्किलों से भरा रहा। बहुत सारे प्रतिबंधों के बीच जिंदगी अनिश्चितता एवं उथल-पुथल से घिरा रहा। किंतु हमने निश्चय कर लिया कि अन्य महामारियों की तरह हमें इसके साथ भी जीना होगा।अत: अपनी शारीरिक एवं मानसिक क्षमता को उच्च स्तर पर बनाने की कोशिश की।अब धीरे-धीरे जीवन पटरी पर आ रही है,इसे देखकर दिल को सुकुन मिल रहा है।

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  160. Covid-19 के दौरान हुए लाॅकडाउन का दृश्य दिल को दहला देने वाला था। हमने बहुत-से कर्मियों को कई सौ किलोमीटर पैदल चलकर अपने गांव वापस पहुंचते देखा है।लाॅकडाउन का समय मुश्किलों से भरा रहा। बहुत सारे प्रतिबंधों के बीच जिंदगी अनिश्चितता एवं उथल-पुथल से घिरा रहा। किंतु हमने निश्चय कर लिया कि अन्य महामारियों की तरह हमें इसके साथ भी जीना होगा।अत: अपनी शारीरिक एवं मानसिक क्षमता को उच्च स्तर पर बनाने की कोशिश की।अब धीरे-धीरे जीवन पटरी पर आ रही है,इसे देखकर दिल को सुकुन मिल रहा है।

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  161. कोविड-19 के कारण लॉकडाउन की अवधि में मुझे भी बहुत सारे नए अनुभवों से सामना करने का मौका मिला । चारों तरफ बंद का ही नजारा रहता , लोग घरों में ही रहते । उसी अवधि में मुझे अपने विद्यालय क्षेत्र के अभिभावकों से मिलने का मौका मिला। टोले में हम शिक्षकों को देखकर अभिभावकों एवं बच्चों को बहुत आश्चर्य होता। उनके चेहरे पर एक अलग भाव होता था ।तब मैंने उन्हें कोविड-19 के समय बरती जाने वाली सावधानियों एवं बच्चों की पढ़ाई के बारे में बात करते तो उन्हें कुछ संतोष होता। अभी तो अनलॉक हो रहा है फिर भी हमारा जुड़ाव बच्चों व अभिभावकों से हो रहा है जो विद्यालय बंद रहने के कारण अभी तक विद्यालय से सीधे-सीधे नहीं जुड़े थे ।

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  162. लौकडाउन के सययमेरा मन चिंताओं एवम् भविष्य की आशान्काओ से भर गया था। परन्तु यह समय संयम और अनुशासन का पाठ भी पढ़ाया। अपने और दूसरों के प्रति संवेदनशील बनाया। लाचार मजदूर रिक्सा वाले बूढ़ों सेवा करने का अवसर प्रदान किया । स्कूली बच्चों को पढ़ाई में नियमित मोबाइल के माध्यम से तकनीकी जानकारी प्राप्त करने का अवसर मिला।

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  163. Lockdown avdhi me bahut hi bhyankrup ban gaya tha sabhi dar dar ke rah rhe thesabhi ko apni jivanlila smapa hota dhikh raha tha

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  164. Lock down ke dauran mai soch raha tha ki bachche ki padhai kaise hogi aur wo kaise apna course complete karenge

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  165. Unknown1 January 2021 at 09:39
    *कोविड 19 को धन्यवाद*
    इसने मुझे काफी चीज़े सिखाई,
    संयम में रहना सिखाया,
    अपनो की परवाह करना सिखाया,
    अपने पराए का फर्क दिखाया,
    सीमित साधनों के साथ रहना सिखाया,
    प्रकृति के सुंदर दर्शन करवाए और कई अनुभव दिये ।
    कोरोना ने जो सिखाया, शायद वो कोई नही सीखा सकता था।

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  166. नोवल कोरोनावायरस के कारण पूरे विश्व में 0 काल की स्थिति उत्पन्न हो गई।सभी देश इस महामारी की रोकथाम के लिए विभिन्न प्रयास किया और अभी तक प्रयास जारी है। इस काल में अनेक लोग एवं परिवार कोरोना से ग्रसित होकर मृत्यु का शिकार हो गए इस महामारी से बचाव के लिए लॉकडाउन किया गया सभी कल कारखाने बंद किए गए ट्रांसपोर्ट सेवाएं बंद की गई बहुत से लोग बेरोजगार हो गए। अब धीरे-धीरे क्रमबद्ध तरीके से सभी सेवाओं को बहाल किया जा रहा है कोरोला के प्रसार से बचने के लिए गहन जागरूकता की आवश्यकता है विद्यालयों को खोलने के पूर्व एक संतुलित व्यवस्था का निर्माण करना होगा जिसमें हम बच्चों को एवं स्वयं को भी सुरक्षित रखते हुए शिक्षण का माहौल तैयार कर सके।

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  167. नावेल कोरोना वायरस के कारण पूरे विश्व मे एक शून्यकाल की स्थिति उतपन्न हो गई। सभी देश इस महामारी की रोक थाम के लिए विभिन्न प्रयास किया और अभी भी प्रयास जारी है।इस काल मे अनेक लोग एवं परिवार कोरोना से ग्रषित होकर मृत्यु का शिकार हो गए। इस महामारी से बचाव के लिए lockdown किया गया।सभी कल कारखाने बन्द किये गए,ट्रांसपोर्ट सेवाएँ बन्द की गई ।बहुतसे लोग बेरोजगार हो गए।
    अब पुनः धीरे धीरे क्रमबद्ध तरीके से सभी सेवाओं को बहाल किया जा रहा है।कोरोना के प्रसार से बचने के गहन जागरूकता की आवश्यकता है, विद्यालयों को खोलने के पूर्व एक संतुलित व्यवस्था का निर्माण करना होगा जिससे हम बच्चों को एवं स्वयं को भी सुरक्षित रखते हुए शिक्षण का माहौल तैयार हो सके।

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  168. नावेल कोरोना वायरस के कारण पूरे विश्व मे एक शून्यकाल की स्थिति उतपन्न हो गई। सभी देश इस महामारी की रोक थाम के लिए विभिन्न प्रयास किया और अभी भी प्रयास जारी है।इस काल मे अनेक लोग एवं परिवार कोरोना से ग्रषित होकर मृत्यु का शिकार हो गए। इस महामारी से बचाव के लिए lockdown किया गया।सभी कल कारखाने बन्द किये गए,ट्रांसपोर्ट सेवाएँ बन्द की गई ।बहुतसे लोग बेरोजगार हो गए।
    अब पुनः धीरे धीरे क्रमबद्ध तरीके से सभी सेवाओं को बहाल किया जा रहा है।कोरोना के प्रसार से बचने के गहन जागरूकता की आवश्यकता है, विद्यालयों को खोलने के पूर्व एक संतुलित व्यवस्था का निर्माण करना होगा जिससे हम बच्चों को एवं स्वयं को भी सुरक्षित रखते हुए शिक्षण का माहौल तैयार हो सके।

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  169. कोवि19 का शुरूआती दौर दिल दहलाने वाली थी।एक शाम सब्जी लेने हेतु मैं घर से बाहर निकला, रास्ता में कुछ लोग आ जा रहे थे, मैं दो लड़कों को देखा दोनों के पास छोटी थैली थी,हाथ में पानी का बोतल,एक लड़का दुकान से बिस्कुट खरीदा और रास्ते के किनारे बैठ कर खाने लगा और दूसरा लड़का रास्ते के दूसरी छोर में था, जिसके पास खाने को कुछ भी नहीं था। बेचारा चुपचाप बैठा था। चेहरा साफ-साफ कह रहा था कि मेरा कोई मदद करता मैं भूखा हूं, कोई तो मुझे एक निवाला दे। मैं भी डर गया चूंकि वह बाहर से आने वाला मजदूर लग रहा था।मन में संकोच था कि कहीं कोविड+ होगा तो? संपर्क करुं या नहीं। अंततः एक दोस्त के साथ मिलकर उस लड़के से संपर्क किया पर उसनेे भी डरे सहमे रहा। फिर कुछ दूरी पर पैसे रख उसे उठाने के लिए कहा,वह पैसे लेकर दुकान गया और खाने की सामग्री खरीदा।वह बोल भी नहीं सक रहा था।कोविड 19 बहुत कुछ सीखा दिया।यह तो अपनों से भी दूरी बना दिया था।अब यदि स्कूल खुलेगी तो बच्चों को विद्यालय में प्रवेश करने पर हमें बहुत ही सतर्कता बरतनी होगी। सामाजिक दूरी का पूरा पूरा ख्याल रखा जाना होगा,यह भी शानदार चुनौती होगी,पर शिक्षक होने के नाते मैं पूरी तन्मयता से कोविड 19 के नियमों का पालन करते हुए बच्चों के उज्जवल भविष्य बनाने का प्रयास करूंगा।

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  170. कोवि19 का शुरूआती दौर दिल दहलाने वाली थी।एक शाम सब्जी लेने हेतु मैं घर से बाहर निकला, रास्ता में कुछ लोग आ जा रहे थे, मैं दो लड़कों को देखा दोनों के पास छोटी थैली थी,हाथ में पानी का बोतल,एक लड़का दुकान से बिस्कुट खरीदा और रास्ते के किनारे बैठ कर खाने लगा और दूसरा लड़का रास्ते के दूसरी छोर में था, जिसके पास खाने को कुछ भी नहीं था। बेचारा चुपचाप बैठा था। चेहरा साफ-साफ कह रहा था कि मेरा कोई मदद करता मैं भूखा हूं, कोई तो मुझे एक निवाला दे। मैं भी डर गया चूंकि वह बाहर से आने वाला मजदूर लग रहा था।मन में संकोच था कि कहीं कोविड+ होगा तो? संपर्क करुं या नहीं। अंततः एक दोस्त के साथ मिलकर उस लड़के से संपर्क किया पर उसनेे भी डरे सहमे रहा। फिर कुछ दूरी पर पैसे रख उसे उठाने के लिए कहा,वह पैसे लेकर दुकान गया और खाने की सामग्री खरीदा।वह बोल भी नहीं सक रहा था।कोविड 19 बहुत कुछ सीखा दिया।यह तो अपनों से भी दूरी बना दिया था।अब यदि स्कूल खुलेगी तो बच्चों को विद्यालय में प्रवेश करने पर हमें बहुत ही सतर्कता बरतनी होगी। सामाजिक दूरी का पूरा पूरा ख्याल रखा जाना होगा,यह भी शानदार चुनौती होगी,पर शिक्षक होने के नाते मैं पूरी तन्मयता से कोविड 19 के नियमों का पालन करते हुए बच्चों के उज्जवल भविष्य बनाने का प्रयास करूंगा।

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  171. लाँकडाउन के समय मेरा मन चिंताओं एवं भविष्य की आशंकाओं से भर गया था ।परन्तु यह समय संयम और अनुशासन का पाठ भी पढाया।अपने और दूसरों के प्रति संवेदनशील बनाया।लाचार मजदूरों,रिक्शेवालों और बूढ़े बूजुर्गों की सेवा करने का अवसर प्रदान किया।स्कूली बच्चों की पढाई के निमित्त मोबाइल के माध्यम से तकनीकी जानकारी प्राप्त करने का अवसर मिला।ईश्वर की अनुकम्पा से अव शनैः-शनैः लोग सहजता से जिन्दगी

    * दयामय माजि (स.शिक्षक )
    * उ.म.वि.चौका (कुकड़ू)
    * सरायकेला-खरसावां ।

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  172. Kovid 19 me sabka bahut parishani hua.khas kar majdur logo ko.jo sabka yaad rahega.

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  173. कोविड 19 का शुरूआती दिन बेहद डरावना और अवसाद भरा था परन्तु समय के साथ यह समझ में आने लगा कि यह भी एक संक्रामक बिमारी है जिसका निदान अभी दुनिया के पास नहीं है परन्तु अगर हम कुछ सावधानियों को अपनाते हैं तो इससे डटकर लड़ और हरा सकते हैं |मास्क लगाना,सेनेतैजाशन सामाजिक दूरी जैसे विकल्प ने शीघ्र ही स्थितियों को नियंत्रित करने में मदद किये हैं अपेक्षा है कि शीघ्र ही टीका भी उपलब्ध हो जायेंगे|अगर हम कुछ सावधानियों के साथ विद्यालय को खोलें तो शिक्षा का कार्य भी सुचारू किया जा सकता है न कि इसकी भय से हम स्थाई घरों में कैद रहकर जीवन गुजारते रहेंगे|

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  174. संयम में रहना सिखाया,
    अपनो की परवाह करना सिखाया,
    अपने पराए का फर्क दिखाया,
    सीमित साधनों के साथ रहना सिखाया

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  175. इसने मुझे काफी चीज़े सिखाई,
    संयम में रहना सिखाया,
    अपनो की परवाह करना सिखाया,
    अपने पराए का फर्क दिखाया,
    सीमित साधनों के साथ रहना सिखाया,
    प्रकृति के सुंदर दर्शन करवाए और कई अनुभव दिये ।
    कोरोना ने जो सिखाया, शायद वो कोई नही सीखा सकता था।

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  176. Mahendra saw UMS Ukharsal jamua
    Giridih Jharkhand
    कोविड 19 से शुरूवाती दौर में बेहद डरावने से था सभी आपस में एक दूसरे से परेशान थे। सबो अंदर भय था।हर चौक चोराहे पर पुलिस का पहरा था। मानो सभी एक दूसरे के मुजरिम हो। लेकिन समय ओर हालातों से आज हम सुरक्षित है। तथा आगे भी हमें सतर्क एवं सुरक्षित रहना है।

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  177. यह मांडयूल कोविड-19 के बारे में काफी प्रभावित हो रहा है। कोविड -19 के बारे में अच्छी -अच्छी जानकारी दें रही हैं। लम्बी अवधि के बाद विधायक जब खुलेगी, हमें किस तरह छोटे छोटे बच्चों को विधालय में बच्चों को बैठाना है।यह माॅडयुल हमें काफी प्रशिक्षण दें रही हैं। सिर्फ हमें इस माॅडयल का एक एक शब्द पर ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अपने-अपने घरों एवं शिवालयों में प्रभावी करने की आवश्यकता है।
    अशोक कुमार यादव
    कन्या मध्य विद्यालय पोड़ैयाहाट, गोड्डा।

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  178. यह माड्यूल कोविड-19के बारे में जानकारी प्राप्त करने का महत्त्वपूर्ण साधन है। लम्बी अवधि तक विद्यालय बंद रहने के बाद जब विद्यालय खुलें तब हमें किस तरह से छोटे बच्चों को सामाजिक दूरी का पालन करते हुए बच्चों को बैठाना है और पढ़ाई कराना चाहिए। इस माड्यूल में काफी महत्वपूर्ण जानकारियां दी जा रही है। बच्चों को अधिक मोबाइल फोन पर काम करने की आवश्यकता है इस महामारी से निपटने के लिए काफी सावधानी बरतें ये सावधानियां ही हमें बचा सकता

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  179. Covid-19 hamen sanjam mein rahana Sikh a bacchon ki anupsthiti Vidyalay mein nahin Hui jisse a bacche ka Pratham pathum badhit vah bacche Apne vishay mein kamjor hue aur mobile ka upyog karne ka kam badha

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  180. कोविड 19 के आते ही चारों ओर डर का माहौल हो गया था।सभी लोग एक दूसरे से डरे हुए थे।इस बीच अगर कोई अजनबी दिख जाता तो लोग उससे दूर हो जाते थे। इस समय गांवो में लोग तुलसी,निम्बू,दालचीनी,गोलमिर्च,अदरख का काढ़ा पीने लगे ताकि इम्युनिटी बढ़ाया जा सके।सबों ने मास्क,गमछा,रुमाल,दुपट्टा से नाक और मुंह को ढंकना शुरू कर दिया।आवागमन बन्द हो गया, लोग अपने अपने घरों में दुबक गये।सबसे ज्यादा तकलीफ बच्चों के पढ़ाई की हुई चूँकि विद्यालय बन्द हो गया, हम शिक्षक मोबाइल के द्वारा ही बच्चों से कॉन्टेक्ट और व्हाट्स एप्प के जरिये कंटेंट भेजकर पढाई करवाते रहे परन्तु सन्तुष्टि नहीं मिल पाती है।चूँकि आमने सामने पढ़ने-पढ़ाने का मजा ही कुछ और है।खैर भगवान को शुक्रिया कि उन्होंने हम सबको बचा लिया।ऐसी विपत्ति दुबारा न आये ईश्वर से यही प्रार्थना है।Purushottam Kumar Teacher UMS SANKI,Patratu,Ramgarh.

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  181. कोविड 19 लाॅक डाउन का समय मुश्किलो भरा रहा। बहुत सारे प्रतिबधों के बीच जीवन अनिश्चितताओं एवं उथलपुथल से घिरा था।पर मैने उसी समय जान लिया था कि अन्य महामारियो की तरह हमें इसके साथ ही जीना होगा।इसलिए अपनी शाररिक एंव मानसिक क्षमता को ऊच्च स्तर पर बनाने की कोशिश की।अब धोरे धीरे जिन्दगी पटरी पर आ रही है इसे देखकर दिल मे सुकुन आ रहा है।

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  182. कोविड 19 लाॅक डाउन का समय मुश्किलों भरा रहा । बहुत सारे प्रतिबंधों के बीच जीवन अनिश्चितताओं एवं उथलपुथल से घिरा था।पर मैने उसी समय जान लिया था कि अन्य महामारियों की तरह हमें इसके साथ ही जीना होगा।इसलिए अपनी शारीरिक एवं मानसिक क्षमता को ऊच्च स्तर पर बनाने की कोशिश की।अब धीरे धीरे जिन्दगी पटरी पर आ रही है इसे देखकर दिल में सुकुन आ रहा है।

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  183. कोविड 19 लाॅक डाउन का समय मुश्किलो भरा रहा।बहुत सारे प्रतिबधों के बीच जीवन अनिश्चितंओ एवं उथलपुथल से घिरा था।पर मैने उसी समय जान लिया था कि अन्र्य महामारियो की तरह हमें इसके साथ ही जीना होगा।इसलिए अपनी शाररिक एंव मानसिक क्षमता को ऊच्च स्तर पर बनाने की कोशिश की।अब धोरे धीरे जिन्दगी पटरी पर आ रही है इसे देखकर दिल मे सुकुन आ रहा है।

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  184. जब कोविड19 को लेकर लाॅकडाउन हुआ,तब लाॅकडाउन का मतलब ही समझ में नहीं आता था।जब लाॅकडाउन शुरू हुआ तब तरह-तरह की चिंता सताने लगी कि घर कैसे जाएँ चूंकि परिवार से दूर हैं, घर पर बच्चे हैं उनका क्या होगा, यदि घर के किसी सदस्य को किसी तरह की शारीरिक समस्या हो जाय तब क्या करें?लेकिन समय के साथ ईश्वर की कृपा से सबकुछ ठीक रहा।

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  185. Covid-19 mhamari ke douran desh bhr me louckdaun ki sthiti thi samany jivan ast vyst ho gya bhutsari kthinaiyon ka samna karna pada logon me dar ki bhavna phail hai.adhikansh vyvstha online ke madhyam se hone lagi taki log ek dusre ke samprk me n aye apne svasthy ka vishesh dhyan rakhna padta tha.

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  186. कोविड-19 लाॅकडाउन के दौरान कोरोना बीमारी का आतंक छाया हुआ था। मानसिक रूप से सभी भयभीत ओर परेशान थे ।लाॅकडाउन का दृश्य विचलित करने वाले थे।लोग कई किलोमीटर पैदल चल कर अपने घर आ रहे थे। इस काल में कई लोग बीमारी के चपेट में आए,कईयों के रोजगार छिन गए।विद्यालय भी बन्द हो गए।लाॅकडाउन में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसलिए डिजिटल माध्यम से पढ़ाई को जारी रखा गया।
    कोरोना काल ने हमें काफी कुछ सिखाया-साफ-सफाई से रहना,बेवजह किसी चीज को न छुपा,संयमित रहना,अपनों की परवाह करना,दूसरों की मदद करना आदि।
    लाॅकडाउन के बाद अब जीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है यह देख सुकून महसूस हो रहा है।

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  187. Lockdown ki avadhi ke dauran ak ajib bhay ka vatavaran tha.ye soch kar dar lagata tha ki jane kitane dhan-jan ki kshati hogi. ak baicheni baicheni si lagati thi ki aakhir kab tak aisi jondagi chalegi. Hum logo ne dhairya rakhakar paristhiti ka samana kiya.ANJU KUMARI R B V PARASBANIA BALIAPUR DHANBAD JHARKHAND.

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  188. COVID 19का संपूर्ण LOCKDOWN का संस्मरण बहुत ही डरावना है । इसमें लोगों के बीच डर पैदा हो गया था । प्रवासी मजदूर घर वापस आने के लिए बस और ट्रकों की छतों पर सफर करते थे । बहुत तो पैदल और साईकिल से हजारों किलोमीटर की यात्रा करके घर आए । जो घर में थे वे भी बेचैन और व्याकुल रहते थे । दैनिक उपयोग की सामग्री भी नहीं मिल पाती थी । जो मिलती थी वो भी बहुत ऊँचे दामों पर । दोस्त, रिस्तेदार से मिल नहीं पा रहे थे । डर डर के घर के बाहर निकलते थे ।

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  189. COVID 19का संपूर्ण LOCKDOWN का संस्मरण बहुत ही डरावना है । इसमें लोगों के बीच डर पैदा हो गया था । प्रवासी मजदूर घर वापस आने के लिए बस और ट्रकों की छतों पर सफर करते थे । बहुत तो पैदल और साईकिल से हजारों किलोमीटर की यात्रा करके घर आए । जो घर में थे वे भी बेचैन और व्याकुल रहते थे । दैनिक उपयोग की सामग्री भी नहीं मिल पाती थी । जो मिलती थी वो भी बहुत ऊँचे दामों पर । दोस्त, रिस्तेदार से मिल नहीं पा रहे थे । डर डर के घर के बाहर निकलते थे ।

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  190. कोविड-19लाॅकडाउन के दौरान कोरोना बीमारी का आतंक छाया हुआ था। मानसिक रूप से सभी भयभीत और परेशान थे। लाॅकडाउन का दृश्य विचलित करने वाले थे।लोग कई किलोमीटर पैदल चल कर अपने घर आ रहे थे। इस काल में कई लोग बीमारी के चपेट में आए,कईयों का रोजगार छिन गया। विद्यालय भी बन्द हो गए।लाॅकडाउन में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसलिए डिजिटल माध्यम से पढ़ाई को जारी रखा गया।
    कोरोना काल ने हमें काफी कुछ सिखाया-साफ- सफाई से रहना,बेवजह किसी चीज को न छुना,संयमित रहना,अपनों की परवाह करना, दूसरों की मदद करना आदि ।
    लाॅकडाउन के बाद अब जीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है यह देख कर सुकून महसूस हो रहा है ।

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