Reflect on your emotional experiences that they underwent during the period of lockdown. How did you cope up with those emotions?
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लॉकडाउन के दौरान जब हम सभी घर में बंद थे तब रोजमर्रा और दैनिक वेतन भोगी जैसे श्रमिकों को भारी और जीवन कस्टमर हुआ उसकी कल्पना करना बहुत ही विकास है शरीर में कंपन उत्पन्न हो जाता है
ReplyDeleteलॉकडाउन मे गरीब किसानों की क्या हालात रही होगी ये सोचकर ही हमारी हालत खराब हो जाती है।
ReplyDeleteलॉकडाउन में जब श्रमिकों को अपने परिवार के साथ पैदल, छोटे-छोटे बच्चों को कंधे पर या साइकिल पर बिठाकर बड़े-बड़े महानगरों से घर वापसी करते देखा तो उन परिवारों का कष्ट देखकर ह्रदय द्रवित हो गया।
ReplyDeleteलेकिन रास्ते में जब स्वयंसेवी संस्थाओं या लोगों को उन्हें भोजन कराते, पानी देते, बिस्कुट तथा दूध का पैकेट पकड़ाते देखा तो कुछ तसल्ली महसूस हुई और मन शांत हुआ।
अनुपमा
टाटा कॉलेज कॉलोनी मध्य विद्यालय चाईबासा
पश्चिमी सिंहभूम
झारखंड
भारत में 30 जनवरी 2020 में कोरोनावायरस की पुष्टि की गई। शुरुआती दौर में लोगों ने काफ़ी हल्का में लिया और सोचा कि गर्मी आते ही करोना खत्म हो जाएगी लेकिन जब कोरोनावायरस राक्षसी सुरसा की भांति। मुंह फैलाना शुरू किया तो पूरे विश्व में भय का माहौल बन गया कि अब कैसे इससे निपटा जाए 25मार्च 2020 को पूरे देश में लोक डॉन की घोषणा कर दी गई जो जहां भी थे वहीं ठहर गए पूरा देश का चक्का जाम हो गया ट्रेन बस हवाई जहाज आवागमन के सभी साधन धर्मस्थल को बंद कर दिया गया घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया सभी को रोना से बचने के लिए अपने आप को घर में कैद कर लिया इस महामारी काल में मेरे बच्चे भी बंगलुरु में और भोपाल में फंसे थे उन्होंने घटना से हम लोग काफी सहमे हुए थे एकमात्र मोबाइल ही सहारा था चिंता के मारे प्राण निकले जा रहे थे जब समाचार में लाखों लोग पैदल भूखे प्यासे चलते हुए देखा तो हृदय द्रवित हो रहा था लेकिन जब स्वयंसेवी संस्था द्वारा और सरकार के द्वारा जगह-जगह पर खाने पीने की व्यवस्था की जा रही थी तो थोड़ा सुकून भी मिला अपनों को अपनों से बिछड़ने का भय समाया हुआ था पिताजी का स्वास्थ्य काफी खराब था घर जाना मुश्किल था लेकिन परमपिता परमेश्वर की कृपा से सब कुछ धीरे-धीरे ठीक हो रहा है आशा है कि सभी लोगों की जिंदगी जल्द ही सामान्य हो जाएगी
ReplyDeleteलोक डाउन की अवधि में मैं पूरी तरह घर में कैद रहा. केवल अतिआवश्यक कार्यवश घर से बाहर गया. इस दौरान रामायण और महाभारत जैसी लोकप्रिय धारावाहिक के प्रसारण सराहनीय रहा. दूरदर्शन द्वारा प्रसारित सामाचार अनेक प्रदेश से आ रहे मजबूर मजदूरों की हालात, बैल के स्थान पर महिला/पुरुष द्वारा गाड़ी खीचना, बेटे का शव गोद में लेकर चलना , पानी और भोजन के बिना पैदल चलना देखकर आंखों में स्वत: आंसू छलक जाते. सचमुच पूरी जिंदगी मानो ठहर सा गया.
ReplyDeleteउ म वि बाराडीह बोकारो
लॉकडाउन में जब श्रमिकों को अपने परिवार के साथ पैदल, छोटे-छोटे बच्चों को कंधे पर या साइकिल पर बिठाकर बड़े-बड़े महानगरों से घर वापसी करते देखा तो उन परिवारों का कष्ट देखकर ह्रदय द्रवित हो गया।
ReplyDeleteलेकिन रास्ते में जब स्वयंसेवी संस्थाओं या लोगों को उन्हें भोजन कराते, पानी देते, बिस्कुट तथा दूध का पैकेट पकड़ाते देखा तो कुछ तसल्ली महसूस हुई और मन शांत हुआ।
25 मार्च 2020 से पूरे देश में लॉकडाउन होने से पूरा देश जैसे रुक सा गया।जो जहां था वो वहीं रह गया। लॉक डाउन के कारण पूरे देश में किसी भी वस्तु का उत्पादन होना बंद हो गया। इसी लॉकडाउन के दौरान मेरे पिताजी की तबियत खराब हुई।उनका रक्तचाप अचानक बढ़ गया।कोई भी डॉक्टर उनका इलाज करने को तैयार नहीं हुआ,जिसका परिणाम यह हुआ कि उनको ब्रेन स्ट्रोक्स हुआ और वे लकवा के रोगी हो गये।मेरे पिताजी का निधन 28 जून 2020 में हो गया।मेरे लिए एवम मेरे परिवार के लिए यह घटना झकझोर कर रख दिया। न जाने हमारे जैसे कितने परिवारों को ऐसा दिन देखना पड़ा होगा।
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान जब हम सभी घर में बंद थे तब रोजमर्रा और दैनिक वेतन भोगी जैसे श्रमिकों को भारी और जीवन कस्टमर हुआ उसकी कल्पना करना बहुत ही विकास है शरीर में कंपन उत्पन्न हो जाता है Upgrade high school Gunjardih
ReplyDeleteलोटन के दौरान में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा हर जगह महामारी फैली हुई थी लोग घरों से बाहर निकल नहीं पा रहे थे बाजार बंद थे दुकानें बंद थी विद्यालय बंद थे और समूह को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा
ReplyDelete25 मार्च 2020 से पूरे देश में लाॅकडाउन होने से पूरा देश जैसे रूक सा गया। जो जहां था वहीं रह गया। इस दौरान दूरदर्शन द्वारा प्रसारित समाचारों में अनेक प्रदेशों से मजबूर श्रमिकों को अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर, बिना भोजन और पानी के पैदल अपने घर की ओर वापसी करते हुए देखी तो उन परिवारों का कष्ट देखकर ह्रदय द्रवित हो गया। इतना ही नहीं रास्ते में पड़ने वाले गांव के लोगों का व्यवहार भी उन परिवारों के साथ अच्छा नहीं था।उन परिवारों को गांव के चापाकल से पानी तक नहीं लेने दिया जा रहा था। और तो और कुछ गांवों के लोगों ने महानगरों से लौटने वाले श्रमिकों को गांव के अंदर प्रवेश नहीं करने दिया। कुछ लोगों ने तो गांव के बाहर ही पेड़ों पर मचान बनाकर अपने बुरे दिन बिताए। लोगों की ऐसी विषम परिस्थितियों को देख कर मेरे आंखों से आंसू छलक पड़े।
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान जब हम सभी घर में बंद थे तब रोजमर्रा और दैनिक वेतन भोगी जैसे श्रमिकों को भारी और जीवन कष्टकर हुआ उसकी कल्पना करना बहुत ही विकास है शरीर में कंपन उत्पन्न हो जाता है।
ReplyDeleteReply
लॉकडाउन के दौरान जब हम सभी घर में बंद थे तब रोजमर्रा और दैनिक वेतन भोगी जैसे श्रमिकों को भारी और जीवन कस्टमर हुआ उसकी कल्पना करना बहुत ही जटिल है शरीर में कंपन उत्पन्न हो जाता है
ReplyDeleteReply
Kovid-19 ka suruvat sabse pahle China men December 2019 men huee. India men isse surkshit rahne ke liye 25 March 2020 se lockdown ki gayee. Logon ko ghar men hi surkshit rahna pada. Garib majdooron ko bahut pareshani huyee. Bazar ,kayee samaroh men aana jana band raha. School, College band kar diye gaye. Vidyarthiyon ki padhayee badhit ho gayee.
ReplyDeleteKovid-19 ka suruvat sabse pahle China men December 2019 men huee. India men isse surkshit rahne ke liye 25 March 2020 se lockdown ki gayee. Logon ko ghar men hi surkshit rahna pada. Garib majdooron ko bahut pareshani huyee. Bazar ,kayee samaroh men aana jana band raha. School, College band kar diye gaye. Vidyarthiyon ki padhayee badhit ho gayee.
ReplyDeleteKovid-19 ka suruvat sabse pahle China men December 2019 men huee. India men isse surkshit rahne ke liye 25 March 2020 se lockdown ki gayee. Logon ko ghar men hi surkshit rahna pada. Garib majdooron ko bahut pareshani huyee. Bazar ,kayee samaroh men aana jana band raha. School, College band kar diye gaye. Vidyarthiyon ki padhayee badhit ho gayee.
ReplyDeleteDISASTER'S that too of a PANDEMIC is always a horrible experience. We are also so afraid about the situation that creates lot
ReplyDeleteOf mental pressure and anxiety. But with the blessings of God we get rid of the situation but we have to work cautiously in future also.
लॉकडाउन में जब श्रमिकों को अपने परिवार के साथ पैदल छोटे मोटे बच्चों को कंधे पर या साइकिल पर बिठाकर बड़े-बड़े महानगरों से घर वापसी करते देखा। तो उन परिवारों का कष्ट देखकर ह्रदय द्रवित हो गया।
ReplyDeleteलेकिन रास्ते में जब स्वयंसेवी संस्थाओं का लोगों को उन्हें भोजन कराते, पानी का बोतल देते, बिस्कुट तथा दूध का पैकेट पकड़ाते देखा तो कुछ तसल्ली महसूस हुई और मन शांत हुआ।
It was the TV and mobile which had helped to be in touch with the world and society.Daily playing indoor games and regular exercise has helped in well being and tide over the crisis situation.
ReplyDeleteLockdown teaches us to lead a new stage of life.
ReplyDeleteLockdown के दौरान हमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा जब हम अपने परिवार के साथ अपने बच्चों के साथ जब घर में रहे तो शिक्षा में काफी बाधित हुई करुणा के कारण बच्चे शिक्षा से दूर रहे कुछ दिन बाद जब तन तन के माध्यम से हमारे बच्चों के लिए सीखने सिखाने की पाठ्य सामग्री विभाग के द्वारा उपलब्ध कराया गया तब हम अपने बच्चों से जोड़ता है और उससे पहले हम बच्चों से नहीं जोड़ता है इसका हमें खेद है क्योंकि करोना वायरस के कारण विद्यालय बन रहा और हम विद्यालय से दूर रहे इस पर हमें खेद है
ReplyDeleteDue to covid we have faced a new chalanges in our life,it was the electronic media which has helped us to recover from that situation and how to be safe at our home.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteOur prime minister annaounced complete lockdown on 25th March 2020 suddenly. He thought that he would must be perfectly end the covid 19 pendamic disease within 21 days. But the disease increase in day to day and lockdown also increased. Most of labours and workers want to back home on this period but due to perfect lockdown he had very difficulties suffer on the way. All the transport faccilities are became closed. So many peoples with his small child, family and along luggage set out on foot for home. In the way he had defferent kind of inconvenience just like food problems, water problems etc.
ReplyDeleteBut our NGO workers serve them with sympathy and solve the problems as soon as possible. I advice to our government please consider carefully on serious matter before doing any plan.
कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों को अनेक प्रकार की समस्याओं से जूझना पड़ा। लोग मिलो मिल पैदल चलते देखे गए। भूख और प्यास से जूझते हुए लोगों को देखकर बड़ा दुख होता था। और तो और लोग बैल की जगह पुरुष और महिला को बैलगाड़ी खींचते देखा गया। भूख प्यास पैदल चलते चलते कई लोगों को जान गंवाना पड़ा। मां की गोद में मृत बच्चे को लेकर पैदल चलने को विवश देखना बड़ा ही कारुनिक और मार्मिक दृश्य था।
ReplyDeleteउत्क्रमित उच्च विद्यालय गुंजरडीह बोकारो
COVID-19 महामारी के दौरान जब LOCK DOWN पूरे देश में लगाया गया था तो उस समय सभी लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। खास करके मजदूर वर्ग के लोग काफी प्रभावित हुए।
ReplyDeleteLockdown ki awadhi me mein Puri tarah Ghar main hi Rahi Keval jarurat padne par Ghar se bahar gai. durdarshan per dharmik serial Ramayan aur Mahabharat Durdarshan dwara prasarit samacharon mein anek Pradesh se aa rahe Pravasi majduron ke halat koi paidal,to koi cycle, to koi BaiL ke sthan per mahila purush dwara gadi khichanna,bhukhe pyase Safar karne ko bivas.aankhon mein swachhata aansu chalak aate Mano jindagi tham si gayi Ho.
ReplyDelete25 मार्च 2020 से पूरे देश में लाॅकडाउन होने से पूरा देश जैसे रूक सा गया। जो जहां था वहीं रह गया।जिनका जीविका दैनिक दिहाड़ी पर निर्भर है, उन्हें इस महामारी के समय बहुत ही दयनीय स्थिति का सामना करना है। यह सोच कर ही मन विचलित हो गया है। इस दौरान दूरदर्शन द्वारा प्रसारित समाचारों में अनेक प्रदेशों से मजबूर श्रमिकों को अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर, बिना भोजन और पानी के पैदल अपने घर की ओर वापसी करते हुए देखी तो उन परिवारों का कष्ट देखकर ह्रदय द्रवित हो गया। इतना ही नहीं रास्ते में पड़ने वाले गांव के लोगों का व्यवहार भी उन परिवारों के साथ अच्छा नहीं था।उन परिवारों को गांव के चापाकल से पानी तक नहीं लेने दिया जा रहा था। और तो और कुछ गांवों के लोगों ने महानगरों से लौटने वाले श्रमिकों को गांव के अंदर प्रवेश नहीं करने दिया। कुछ लोगों ने तो गांव के बाहर ही पेड़ों पर मचान बनाकर अपने बुरे दिन बिताए। लोगों की ऐसी विषम परिस्थितियों को देख कर मेरे आंखों से आंसू छलक पड़े
ReplyDeleteCovid-19 जैसे विषम परिस्थिति में लोगों को अपना पेट पालना मुश्किल था, लोग अपने अपने घर में बंद थे, रोज़गार बंद होने के कारण सभी मजदूर अन्य जगहों से अपने अपने घर लौट रहे थे। रेलवे ट्रैक पर पैदल यात्रा कर घर आते 15 मजदूरों की ट्रेन द्वारा रोंदा जाना सबसे दर्दनाक घटना था, इस घटना ने मेरे ह्रदय को अन्दर से झकझोर कर रख दिया। लोगो का रोड पर अपने परिवार के साथ पैदल चलना, हज़ारों मील पैदल चल कर घर आना सबसे बड़ी दुखद परिस्थिति थी।
ReplyDeleteकोविड_19 के कारण 25मार्च 2020को पूरे देश में लॉकडाउन होने से पूरा देश जैसे रुक गया। सारे कल कारखाने बंद होने शुरू हो गए और मजदूर अपने प्रदेशों में लौटने लगे जिसके कारण उनको अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा यह सब देख कर मन द्रवित हो उठा।ईश्वर करे ऐसे हालात फिर कभी ना दिखाए।
ReplyDeleteलॉक डाउन की अविधि, यह साबित कर दिया कि हम कितने बौने हैं! इंसान के समक्ष जीवन एक यक्ष प्रश्न बनकर उपस्थित हुआ। हम सभी बेबस, मजबूर और निरीह बनकर रह गए, मानो सागर की लहरें ठहर गई होंं। एक तरफ दुखियारों का हुजूम था ,तो दूसरी तरफ सहायकों की टोली। कहीं मानवता शर्मसार हो रही थी, तो कहीं मानवीय सिद्धांतों की नई परिभाषा गढ़ी जा रही थी। यह अविधि मानवीय रिश्तोंं, पारिवारिक-सामाजिक-आर्थिक और धार्मिक रिश्तों और सहयोग का अद्भुत कालांश साबित हुआ।
ReplyDeleteLock down period was a very positive period I got time to be with my loved ones I did all the activities which I wanted to do.
ReplyDeleteShri Narendra Modi announced complete lockdown on 25th March 2020 . He thought that he would somehow manage to control covid 19 pendamic. But the disease increase in day to day and lockdown also increased. Most of labours and workers went to back home during this period but due to perfect lockdown he had very difficulties suffer on the way. All the transport facilities were closed. So many peoples with his small child, family and along luggage set out on foot for home. In the way he had different kind of inconvenience just like food problems, water problems etc.
ReplyDeleteBut our NGO workers served them with sympathy and solve the problems as soon as possible.
Lockdown 25 March 2020 ko Laga tha.. lockdown ke samay sabhi ko bhay ka Vatawaran tha ese samay me Doordarshan par dikhaiye Gaye Ramayan, Mahabharat adi serialo se logo ka Manobal Badha..
ReplyDeleteलोक डॉन की पहली अवधि के दौरान घरों में बंद कर जीवन गुजारना काफी मुश्किल था। खास करके बच्चों को समझाना बहुत मुश्किल हो रहा था। सड़कें वीरान रहती थी। इसी
ReplyDeleteबीच कोरोना हेतु घर-घर सर्वे के कार्य में लगाये जाने की सा सूचना प्राप्त होते ही अज्ञात भय से मन सिहर उठा ।लेकिन कर्तव्य पथ से पीछे हटना हमारी प्रकृति नहीं है। पूरी तैयारी के साथ सुरक्षा साधनों को तैयार करके सर्वे हेतु निकल पड़ा।
Covid-19 and the lockdown was a totally new experience for us. It was difficult and also a learning experience. Being teachers we were expected to take online class so that the student community doesn't suffer. It was a challenge to connect with the students online and also ensure that learning takes place. with a lot of fear, anxiety and grief of losing the loved ones the whole world continued and shall continue to fight all adversities and try to return back to our normal life.
ReplyDeleteCovid 19 and lockdown period was a totally new and learning experience for all of us. Connecting with students online was the greatest challenge for us as teachers. Staying at home all the time, meeting our friends and relatives only through online was also challenging. The emotional health was affected. Inspite all the fear anxiety and grief, fulfilling our duty as a teacher was also important.
ReplyDeleteLock down period was a very positive period I got time to be with my loved ones I did all the activities which I wanted to do.
ReplyDeleteDuring the period of lockdown I saw the plight of people, specially the workers and daily wagers who were deprived of their job and thrown out of the quarters by the owners, were the suffering the most. I have been living in my village which is situated along national highway 23. We saw many traveling on foot, many bare foot. My villagers arranged for food and water. I also donated some for this. I tried to suggest them about the use of mask and social distancing, how to try to keep ourselves safe from the Corona. I tried my best to keep myself and my family and friends happy and healthy.
ReplyDeleteLockdown period was both positive and negative.it taught me the importance of family and also job .many people were fired of their job during lockdown which was really frustrating news.
ReplyDeleteBut by god's grace my job was safe and secure which really boosted my moral during lockdown
Covid- 19 ke karan 22 march 2020 ko pure desh me lock down hone se pura desh jase ruk gaya.sare kal - karkhane band hone suru ho gaye aur majdur apane pradesho me lautane lage jis karan unhen anek prakar ki kathinayika samana karana pada .kahi manawta sarmsar ho rahi thi to kahi manviya sidhanto ki nayi paribhasha gadhi ja rahi thi.kafi sankat ka samay tha.
ReplyDeleteDuring covid 19 hearing tge the alarming rate of rise in positive cases was very terrifying, so took all the precautions necessary and stayed indoors, even if things needed for daily necessity were not there, managed with it. LOOKING at the condition of Labourours was heart couldn't bear, tried to help out with money and foof
ReplyDeleteThe experience of covid-19 was frightful. Daily news and fear all around made it very difficult in initial days, but later there was feeling of gratitude.
ReplyDeleteNeelam5 January 2021 at 09:41
ReplyDelete25 मार्च 2020 से पूरे देश में लाॅकडाउन होने से पूरा देश जैसे रूक सा गया। जो जहां था वहीं रह गया। इस दौरान दूरदर्शन द्वारा प्रसारित समाचारों में अनेक प्रदेशों से मजबूर श्रमिकों को अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर, बिना भोजन और पानी के पैदल अपने घर की ओर वापसी करते हुए देखी तो उन परिवारों का कष्ट देखकर ह्रदय द्रवित हो गया। इतना ही नहीं रास्ते में पड़ने वाले गांव के लोगों का व्यवहार भी उन परिवारों के साथ अच्छा नहीं था।उन परिवारों को गांव के चापाकल से पानी तक नहीं लेने दिया जा रहा था। और तो और कुछ गांवों के लोगों ने महानगरों से लौटने वाले श्रमिकों को गांव के अंदर प्रवेश नहीं करने दिया। कुछ लोगों ने तो गांव के बाहर ही पेड़ों पर मचान बनाकर अपने बुरे दिन बिताए। लोगों की ऐसी विषम परिस्थितियों को देख कर मेरे आंखों से आंसू छलक पड़े।
25 March 2020 pura Desh mein lauda lag Gaya Jaise pure Desh prabhavit Ho Gaya aur is mein hamare se pure Desh mein tahlaka macha Diya
ReplyDelete25 march 2020 se pure desh me lockdown hone se pura desh ruk sa gya.
ReplyDeleteCovi 19 ki mahamari and lockdowm ki isthiti me bacchon ki padhai mki jo nuksan hua h iski bharpai kabhi nhi ho sakti aisa lagta h jsisa ki jindagi tham si gai h sara kaam ruk sa gya h bacchen padhsi se koso door ho gaye h...
ReplyDeleteलॉकडाउन मे गरीब किसानों की क्या हालात रही होगी ये सोचकर ही हमारी हालत खराब हो जाती है
ReplyDeleteलोक down ke chalte bahoot se log asamay hi kal ke gal me chale gaye samay par unka ilaj naho ho paya.
ReplyDeleteLockdown के दौरान हमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा जब हम अपने परिवार के साथ अपने बच्चों के साथ जब घर में रहे तो शिक्षा में काफी बाधित हुई करुणा के कारण बच्चे शिक्षा से दूर रहे कुछ दिन बाद जब तन तन के माध्यम से हमारे बच्चों के लिए सीखने सिखाने की पाठ्य सामग्री विभाग के द्वारा उपलब्ध कराया गया तब हम अपने बच्चों से जोड़ता है और उससे पहले हम बच्चों से नहीं जोड़ता है इसका हमें खेद है क्योंकि करोना वायरस के कारण विद्यालय बन रहा और हम विद्यालय से दूर रहे इस पर हमें खेद है
ReplyDeleteभारत में 30 जनवरी 2020 में कोरोनावायरस की पुष्टि की गई। शुरुआती दौर में लोगों ने काफ़ी हल्का में लिया और सोचा कि गर्मी आते ही करोना खत्म हो जाएगी लेकिन जब कोरोनावायरस राक्षसी सुरसा की भांति। मुंह फैलाना शुरू किया तो पूरे विश्व में भय का माहौल बन गया कि अब कैसे इससे निपटा जाए 25मार्च 2020 को पूरे देश में लोक डॉन की घोषणा कर दी गई जो जहां भी थे वहीं ठहर गए पूरा देश का चक्का जाम हो गया ट्रेन बस हवाई जहाज आवागमन के सभी साधन धर्मस्थल को बंद कर दिया गया घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया सभी को रोना से बचने के लिए अपने आप को घर में कैद कर लिया इस महामारी काल में मेरे बच्चे भी बंगलुरु में और भोपाल में फंसे थे उन्होंने घटना से हम लोग काफी सहमे हुए थे एकमात्र मोबाइल ही सहारा था चिंता के मारे प्राण निकले जा रहे थे जब समाचार में लाखों लोग पैदल भूखे प्यासे चलते हुए देखा तो हृदय द्रवित हो रहा था लेकिन जब स्वयंसेवी संस्था द्वारा और सरकार के द्वारा जगह-जगह पर खाने पीने की व्यवस्था की जा रही थी तो थोड़ा सुकून भी मिला अपनों को अपनों से बिछड़ने का भय समाया हुआ था पिताजी का स्वास्थ्य काफी खराब था घर जाना मुश्किल था लेकिन परमपिता परमेश्वर की कृपा से सब कुछ धीरे-धीरे ठीक हो रहा है आशा है कि सभी लोगों की जिंदगी जल्द ही सामान्य हो जाएगी
ReplyDeleteलॉकडाउन में जब श्रमिकों को अपने परिवार के साथ पैदल, छोटे-छोटे बच्चों को कंधे पर या साइकिल पर बिठाकर बड़े-बड़े महानगरों से घर वापसी करते देखा तो उन परिवारों का कष्ट देखकर ह्रदय द्रवित हो गया।
ReplyDeleteलेकिन रास्ते में जब स्वयंसेवी संस्थाओं या लोगों को उन्हें भोजन कराते, पानी देते, बिस्कुट तथा दूध का पैकेट पकड़ाते देखा तो कुछ तसल्ली महसूस हुई और मन शांत हुआ।
Lockdown ke chalte bahut se logo ko har field me paresani ka samna karna padh raha hai
ReplyDeleteLockdown ke chalte bahut se logo ko har field me paresani ka samna karna padh raha hai
ReplyDeleteGood content
ReplyDeleteSaf rahna aur sawachh rahne hamare liye bahut jaruri hai
ReplyDeleteLockdown me sabhi ko paresani ka saman karna pada
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान जब हम सभी घर में बंद थे तब रोजमर्रा और दैनिक वेतन भोगी जैसे श्रमिकों को भारी और जीवन कष्टकर हुआ उसकी कल्पना करना बहुत ही विकास है शरीर में कंपन उत्पन्न हो जाता है।
ReplyDeleteDuring this corona virus pandemic whole world peoples have been suffered whether may be education occupation health etc.
ReplyDeleteMost of the daily wage workers have lost their jobs
Most of the volunteers and front line workers come ahead to healp needy people during this lockdown
लॉकडाउन में जब श्रमिकों को अपने परिवार के साथ पैदल, छोटे-छोटे बच्चों को कंधे पर या साइकिल पर बिठाकर बड़े-बड़े महानगरों से घर वापसी करते देखा तो उन परिवारों का कष्ट देखकर ह्रदय द्रवित हो गया।
ReplyDeleteलेकिन रास्ते में जब स्वयंसेवी संस्थाओं या लोगों को उन्हें भोजन कराते, पानी देते, बिस्कुट तथा दूध का पैकेट पकड़ाते देखा तो कुछ तसल्ली महसूस हुई और मन शांत हुआ।
लॉकडाउन के दौरान जब हम सभी घर में बंद थे तब रोजमर्रा और दैनिक वेतन भोगी जैसे श्रमिकों को भारी और जीवन कस्टमर हुआ उसकी कल्पना करना बहुत ही जटिल है शरीर में कंपन उत्पन्न हो जाता है
ReplyDelete25 मार्च 2020 से पूरे देश में लॉकडाउन होने से पूरा देश जैसे रुक सा गया।जो जहां था वो वहीं रह गया। लॉक डाउन के कारण पूरे देश में किसी भी वस्तु का उत्पादन होना बंद हो गया। इसी लॉकडाउन के दौरान मेरे पिताजी की तबियत खराब हुई।उनका रक्तचाप अचानक बढ़ गया।कोई भी डॉक्टर उनका इलाज करने को तैयार नहीं हुआ,जिसका परिणाम यह हुआ कि उनको ब्रेन स्ट्रोक्स हुआ और वे लकवा के रोगी हो गये।मेरे पिताजी का निधन 28 जून 2020 में हो गया।मेरे लिए एवम मेरे परिवार के लिए यह घटना झकझोर कर रख दिया। न जाने हमारे जैसे कितने परिवारों को ऐसा दिन देखना पड़ा होगा।
ReplyDeleteलॉकडाउन में जब श्रमिकों को अपने परिवार के साथ पैदल छोटे मोटे बच्चों को कंधे पर या साइकिल पर बिठाकर बड़े-बड़े महानगरों से घर वापसी करते देखा। तो उन परिवारों का कष्ट देखकर ह्रदय द्रवित हो गया।
ReplyDeleteलेकिन रास्ते में जब स्वयंसेवी संस्थाओं का लोगों को उन्हें भोजन कराते, पानी का बोतल देते, बिस्कुट तथा दूध का पैकेट पकड़ाते देखा तो कुछ तसल्ली महसूस हुई और मन शांत हुआ।
लॉकडाउन के दौरान जब हम सभी घर में बंद थे तब रोजमर्रा और दैनिक वेतन भोगी जैसे श्रमिकों को भारी और जीवन कस्टमय हुआ उसकी कल्पना करना बहुत ही मुश्किल है शरीर में कंपन उत्पन्न हो जाता है हमारे देश के बहुत गरीब और असहाय लोगों की इस महामारी में जाने चली गई तो बहुत लोग बेघर हो गए यह महामारी बहुत लोगों के लिए महाकाल बनकर आया ।
ReplyDeleteLockdown bound us stay in home. This situation make the students expart in digital learning.
ReplyDeleteBe safe and careful
ReplyDeleteकष्ट उनको हुआ,
ReplyDeleteकष्ट हमको हुआ।
वे पैदल चले,
हम दिल से डरें।