‘खुशी’ शब्द के बारे में सोचें। जो आपके दिमाग में तुरंत आए उसे साझा करें। यदि कोई व्यक्ति ‘खुशी’ के बारे में कुछ साझा करता है, जो आपके द्वारा साझा किए गए से बिलकुल अलग है तो आपको कैसा लगेगा? इस अंतर के क्या कारण हो सकते हैं? अपनी समझ साझा करें।
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कोई व्यक्ति ‘खुशी’ के बारे में कुछ साझा करता है, जो
ReplyDeleteप्रत्येक व्यक्ति का सोच अलग अलग होता है। अतः अभिव्यक्ति का भाव भी अलग अलग हो सकता है।
Deleteखुशी मानसिक भाव है। इससे मन मस्तिष्क को शांति मिलती है। यह कार्य की क्षमता को उन्नत करती है। मन मस्तिष्क में उल्लास का वातावरण रहता है।
Deleteखुशी एक तरह से मानसिक शांति प्रदान करती है, इससे जीवन में आगे बढने और जीवन की चुनौतियों को स्वीकार कर उनसे सामना करने की ताकत मिलती है।हर व्यक्ति के खुश रहने के अलग अंदाज है। कोई व्यक्ति अपने पैसों, रुतबे से खुश होता है कोई दूसरों को खुश कर खुश होता है। यदि कोई अलग तरीक़े से अपनी खुशी जाहिर करता है,तो मेरे विचार से उसका जीवन दृष्टिकोण अलग है,उसके अपने जीवन मूल्य हैं।
ReplyDeleteखुशी आंतरिक आनंद की स्थिति है जो तब आती है जब मन बेचैन सोच एवम चिंताओं से मुक्त होकर शांत हो जाता है|यह व्यक्ति को अच्छे रिश्ते , प्रेम और सद्भाव की ओर ले जाती है|जीवन के कठिन चुनौतियों से लड़ने के लिए हमें ताकत देती है|जिस तरह हर व्यक्ति का दृष्टिकोण अलग अलग होता है , उसी तरह उनके खुशी के भावना व्यक्त करने का तरीका हो सकता है जैसे एक व्यक्ति के पास बहुत पैसा है तो वह खुश होता है तो दूसरा अपना अच्छा स्वास्थ्य और दूसरो की खुशी देखकर खुश हो जाता है|सभी के लिए खुशी के अलग अलग मायने होते है|
Deleteजोर से चिल्लायेंगे।हर बच्चे का ख़ुशी को व्यक्त करने का ढंग अलग अलग हो सकता है।उसे टीचर के रूप में स्वीकार करना होगा।
ReplyDeleteMan ko chanchal,sphurti,se bhar de...
ReplyDeleteAugust 2021 at 21:30
ReplyDeleteखुशी एक तरह से मानसिक शांति प्रदान करती है, इससे जीवन में आगे बढने और जीवन की चुनौतियों को स्वीकार कर उनसे सामना करने की ताकत मिलती है।हर व्यक्ति के खुश रहने के अलग अंदाज है। कोई व्यक्ति अपने पैसों, रुतबे से खुश होता है कोई दूसरों को खुश कर खुश होता है। यदि कोई अलग तरीक़े से अपनी खुशी जाहिर करता है,तो मेरे विचार से उसका जीवन दृष्टिकोण अलग है,उसके अपने जीवन मूल्य हैं।
मन में उत्साह, उल्लास, एक उमंग आकाश को छूने की, इत्यादि । यह सब खुशी की ही तरंगें है । खुशी का नाम सुनते ही बुझे हुए चेहरों पर रौनक आ जाती है, सुख की चमक आ जाती है । खुशी में दूसरों को शामिल करें और स्वयं दूसरों की खुशी में दिल से शामिल हों । इस से हम अपनी खुशी के साथ दूसरों की खुशी को भी अपना मान कर दुगना आनन्द ले सकते है । ये छोटी-छोटी खुशियाँ ही हमारे जीवन का अंग है, इन्हें यूँ ही जाने न दें क्योंकि ये जल्दी-जल्दी चली जरूर जाती है परन्तु आती इतनी जल्दी-जल्दी नहीं । हमें इन्हें सम्भाल कर रखना चाहिए ।
ReplyDeleteखुशी एक मानसिक भाव है जिसकी महसूस होने पर तन मन प्रसन्न रहता है lजीवन जीने के प्रति उत्साह उमंग जोश का भाव रहता है lसंसार आनंद मय लगता है l
ReplyDeleteखुशी मानसिक संतोष और पूर्णता को दर्शाता है। यह मन में एक उत्साह लाता है।
ReplyDeleteसभी लोगों की अपनी अपनी अनुभूति होती ही जो उनके पास्ट एक्सपीरियंस आधारित होती है। अतः किसी के द्वारा जाहिर किए गए भिन्न अभिव्यक्ति का भी सम्मान करेंगे।
ReplyDeleteखुशी मानसिक पूर्णता की स्थिति है जो व्यक्ति में उत्साह भर देती है
ReplyDelete"खुशी"शब्द के बारे में सोचते ही एक हंसता -खिलखिलाता, प्रफुल्लित चेहरा नजर आता है।
ReplyDeleteप्रत्येक मनुष्य की अपनी अपनी सोच होती है तथा उसी के आधार पर वह निर्णय लेता है
ReplyDeletePratiyek manushya ki apni apni soch joti hai tatha ushi ke aadhar par wah nirnay leta hai
ReplyDeleteखुशी एक सकरात्मक सोच व्यक्त करता हैं
ReplyDeleteखुशी मन की शांति तथा चंचल मन है जो हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है।
ReplyDeleteखुशी एक तरह से मानसिक शांति प्रदान करती है, इससे जीवन में आगे बढने और जीवन की चुनौतियों को स्वीकार कर उनसे सामना करने की ताकत मिलती है।हर व्यक्ति के खुश रहने के अलग अंदाज है। खुशी"शब्द के बारे में सोचते ही एक हंसता -खिलखिलाता, प्रफुल्लित चेहरा नजर आता है।
ReplyDeleteAnand ,Santi lagta hai man me..kisi ka jwab uski manodasa par v nirbhar krta hai.
ReplyDeleteमन में उत्साह, उल्लास, एक उमंग आकाश को छूने की, इत्यादि । यह सब खुशी की ही तरंगें है । खुशी का नाम सुनते ही बुझे हुए चेहरों पर रौनक आ जाती है, सुख की चमक आ जाती है । खुशी में दूसरों को शामिल करें और स्वयं दूसरों की खुशी में दिल से शामिल हों । इस से हम अपनी खुशी के साथ दूसरों की खुशी को भी अपना मान कर दुगना आनन्द ले सकते है । ये छोटी-छोटी खुशियाँ ही हमारे जीवन का अंग है, इन्हें यूँ ही जाने न दें क्योंकि ये जल्दी-जल्दी चली जरूर जाती है परन्तु आती इतनी जल्दी-जल्दी नहीं । हमें इन्हें सम्भाल कर रखना चाहिए ।
ReplyDeleteखुशी मन की शांति तथा चंचल मन है जो हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है।
'ख़ुशी'एक ऐसी सुखात्मक अनुभूति है,जो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रफुल्लित करती है।
ReplyDeleteखुशी एक तरह से मानसिक शांति प्रदान करती है, इससे जीवन में आगे बढने और जीवन की चुनौतियों को स्वीकार कर उनसे सामना करने की ताकत मिलती है।हर व्यक्ति के खुश रहने के अलग अंदाज है। कोई व्यक्ति अपने पैसों, रुतबे से खुश होता है कोई दूसरों को खुश कर खुश होता है। यदि कोई अलग तरीक़े से अपनी खुशी जाहिर करता है,तो मेरे विचार से उसका जीवन दृष्टिकोण अलग है,उसके अपने जीवन मूल्य
ReplyDeleteखुशी आंतरिक आनंद की स्थिति है जो तब आती है जब मन बेचैन सोच एवम चिंताओं से मुक्त होकर शांत हो जाता है|यह व्यक्ति को अच्छे रिश्ते , प्रेम और सद्भाव की ओर ले जाती है|जीवन के कठिन चुनौतियों से लड़ने के लिए हमें ताकत देती है|जिस तरह हर व्यक्ति का दृष्टिकोण अलग अलग होता है , उसी तरह उनके खुशी के भावना व्यक्त करने का तरीका हो सकता है जैसे एक व्यक्ति के पास बहुत पैसा है तो वह खुश होता है तो दूसरा अपना अच्छा स्वास्थ्य और दूसरो की खुशी देखकर खुश हो जाता है|सभी के लिए खुशी के अलग अलग मायने होते है|
ReplyDeleteखुश होने की स्थिति खुशी है। तनाव रहित स्थिति खुशी है।
ReplyDeleteखुशी एक संपद् है जो जीवन जीने के लिए सही राह अपने आप खुलने लगता है
ReplyDeleteमन में उत्साह, उल्लास एक उमंग यह सब खुशी के ही तरंगें हैं। खुशी का नाम सुनते ही बुझे हुए चेहरे पर रौनक आ जाती है,सुख की चमक आ जाती है। खुशी में दूसरों को शामिल करें और स्वयं दूसरों की खुशी में दिल से शामिल हों । इससे हम अपनी खुशी के साथ दूसरों की खुशी को भी अपना मानकर दुगुना आनंद ले सकते हैं।ये छोटी छोटी खुशियां ही हमारे जीवन का अंग है। इन्हें यूं ही जाने नहीं देना चाहिए क्योंकि ये जल्दी जल्दी चली जाती है परन्तु आती जल्दी जल्दी नहीं। हमें इन्हें संभाल कर रखना चाहिए।
ReplyDeleteखुशी वह है जो हमारे चेहरे पर एक मुस्कान ला देती है जिससे हमारे अंदर सकारात्मक सोच विकसित होती है।यह खुशी हमें अलग-अलग रूपों में प्राप्त होती है।खुशी के लिये यह आवश्यक नही की सभी के लिए यह समरूप हो यह व्यक्ति दर व्यक्ति बदल सकता है।
ReplyDeleteखुशी शब्द सुनते ही सकारात्मक ऊर्जा और सकारात्मक विचार
ReplyDeleteका अनुभव होता है ।
प्रत्येक मनुष्य के जीवन का अहम उद्देश्य आनन्द या खुशी पाना होता है।माध्यम या वस्तुनिष्ठता चाहे कु भी हो; शारीरिक तथा मानसिक प्रशांति का साकार रूप है ख़ुशी। यह मन का संतोष और पूर्णता से उत्पन्न होती है। मन में उत्साह उल्लास एवं उमंग का वहि: प्रकाश खुशी की तरंगें हैं। यह संतुष्टि का परिणाम होता है। खुशी से जीवन में आगे बढ़ने, चुनौतियों को स्वीकार करने या झेलने/ सामना करने और लक्ष्यों को प्राप्त करने की अदम्य इच्छा को शक्ति मिलती है।
ReplyDeleteव्यक्तिगत दृष्टिकोण, विचार सोच के आधार पर हर एक व्यक्ति की आनन्दानुभूति पृथक-पृथक होती है। मूलभूत बात यह है कि ख़ुशी अवसाद को दूर हटाती, चेहरों पर रौनक लाती, शारीरिक तथा मानसिक तनाव का निराकरण करती,दिल दिमाग को तरोताजा करती। खुशियों में दूसरों को शामिल करने या फिर दूसरों की खुशियों में दिल से तथा सकारात्मक ढंग से सम्मिलित होने पर आनन्दानुभूति में वृद्धि होती है।
निष्ठा के माध्यम से शिक्षा को नया रूप मिला विचार सोच के आधार पर हर एक मनुष्य की आनन्द पृथक होती हैं।
ReplyDeleteKhushi ek Aisa bhav hai jo man Ko Anand ka ehsaas dilata hai
ReplyDeleteJis kisi chij se achha fill ho use khushi kahte hai
ReplyDeleteखुशी आंतरिक आनंद की स्थिति है जो तब आती है जब मन बेचैन सोच एवम चिंताओं से मुक्त होकर शान्त हो जाता है और मन मोहित हो जाता है।
ReplyDeleteखुशी एक मानसिक भाव है जिसकी महसूस होने पर तन मन प्रसन्न रहता है lजीवन जीने के प्रति उत्साह उमंग जोश का भाव रहता है lसंसार आनंद मय लगता
ReplyDeleteखुशी एक मानसिक भाव है जिसकी महसूस होने पर तन मन प्रसन्न रहता है lजीवन जीने के प्रति उत्साह उमंग जोश का भाव रहता है lसंसार आनंद मय लगता है
ReplyDeleteख़ुशी'एक ऐसी सुखात्मक अनुभूति है,जो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रफुल्लित करती है
ReplyDeleteखुशी संतुष्टि का आउटपुट हैं
ReplyDeleteखुशी का अर्थ होता है आनंद एवं ऐसा शब्द जो आपके मन को आनंदित करता है। खुशी से लोगों की मानसिक संतुलन बनी रहता है। खुशी और दूसरे के विचारों की भिन्नता को समाहित कर देखा जाना चाहिए।
ReplyDeleteखुशी अर्थात् बहुत प्रसन्न होना जब कोई वस्तु हमें मिल जाती है या हमारी इच्छा पूरी हो जाती है तो उससे मन काफी प्रसन्न हो जाता हैऔर हम थोड़ा मुस्कुरा देते हैं भावनाओं में अंतर इसलिए होता है क्योंकि सामाजिक सांस्कृतिक विविधता एक दूसरे के बीच पायी जाती है पर सार एक ही होता है
ReplyDeleteहमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुण जैसे आशावादी दृष्टिकोण, कौशल उत्साह, धैर्य, कार्यकुशलता अप्रत्यक्ष रुप से विद्याथिर्यों को प्रभावित करता है वे शिक्षक कोरोला माडल के रूप में देखते हैं
ReplyDelete। माध्यमिक स्तर के बच्चे विशेष रूप से शिक्षक से प्रभावित होते हैं उनकी भूमिका बच्चों के जीवन मूल्यों को समझने में मदद करता है।दवव
अप्राप्त वस्तु जब प्राप्त हो जाती है तो मनुष्य को खुशी मिलती है।यह मनुष्य के जीवन मे शान्ति का अनुभव कराती है।शान्ति एक मानसिक अवस्था है जो जीवन के लिए जरूरी है।
ReplyDeleteKhusi ek ehsas hai jo sab k liye alag alag ho skti hai. Kisi ko paise s khusi milti hai to kisi ko dusro ki seva kar k khusi milti hai. Sab k liye khusi ki apni alag paribhasa hai .
ReplyDeleteKhushi Ek mansik Bhav hai jo manushya ko Khush Rakhta Hai Aur chunautiyon Ka Samna karne yogya banata hai
ReplyDeleteखुशी शब्द से मन शरीर में आनंद का भाव उत्पन्न होता है। हर व्यक्ति का सोच,भावना, नज़रिया "खुशी" को लेकर अलग हो सकती है। कारण हर व्यक्ति अलग अलग सामाजिक आर्थिक स्थिति में होता है।
ReplyDeleteखुशी एक मानसिक भाव है जिसकी महसूस होने पर तन मन प्रसन्न रहता है lजीवन जीने के प्रति उत्साह उमंग जोश का भाव रहता है lसंसार आनंद मय लगता है।ओर सभी खुश हो जाते हैं।
ReplyDeleteखुशी आंतरिक आनंद की स्थिति है जो तब आती है जब मन बेचैन सोच एवम चिंताओं से मुक्त होकर शान्त हो जाता है और मन मोहित हो जाता है।
ReplyDeleteReply
खुशी का मतलब मन शरीर में आनंद आने से है। किसी अन्य व्यक्ति के अनुसार खुशी शब्द का मतलब अलग हो सकती है क्योंकि हर व्यक्ति का सोच समझ उनके आर्थिक सामाजिक वातावरण पर आधारित होती है।
ReplyDeleteप्रत्येक व्यक्ति के खुशी के अलग अलग कारण हो सकते है।
ReplyDeleteKhusi ek bhav hai jo man ko anand ka ehsas dilata hai
ReplyDeleteमन मे होने वाली सुखद अनुभूति ही "खुशी" है। प्रत्येक व्यक्ति की सोचने या अनुभव करने की क्षमता अलग अलग होती है।
ReplyDeleteखुशी आंतरिक शांति देती है और दुसरों की भावनाओं को समझने में मदद करता है। इससे एक सकारात्मक सोच का विकास होता है।
ReplyDeleteखुशी हमारे अंदर का एक आंतरिक भाव है, एक साकार त्मक सोच है जो हमारे अंदर जीवन की चुनौतियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है और जीवन जीने की लगन को उत्पन्न करता है।
ReplyDeleteUHS BASWARIYA DEOGHAR
ReplyDeleteSUNEETA Assistant Teacher
खुशी मन के सुख का एक एहसास है.सब अच्छा अच्छा लगता है.जब किसी के विचार हम से नहीं मिलते तो हमको अजीब लगता है।ऐसा इसलिय है क्योंकि अलग अलग प्रति हमारा दृष्टि कौन अलग है हमारे अनुभव भी अलग होते हैं
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ReplyDeleteखुशी और दुख जीवन की मूलभूत भावनाएँ हैं। जो चीजें हमारे जीवन के लिए अनुकूल हैं वे हमें खुशी प्रदान करती हैं और जो चीजें जीवन के प्रतिकूल होती हैं वे हमें दुख प्रदान करती हैं। यदि कोई खुशी के बारे में मेरे से भिन्न विचार रखता है तो मुझे खुशी होगी क्योंकि सबके सोचने का नजरिया भिन्न होता है और होना भी चाहिए।
ReplyDeleteखुशी एक तरह से मानसिक शांति प्रदान करती है, इससे जीवन में आगे बढने और जीवन की चुनौतियों को स्वीकार कर उनसे सामना करने की ताकत मिलती है।हर व्यक्ति के खुश रहने के अलग अंदाज है। कोई व्यक्ति अपने पैसों, रुतबे से खुश होता है कोई दूसरों को खुश कर खुश होता है। यदि कोई अलग तरीक़े से अपनी खुशी जाहिर करता है,तो मेरे विचार से उसका जीवन दृष्टिकोण अलग है,उसके अपने जीवन मूल्य हैं।
ReplyDeleteअप्राप्त वस्तु जब प्राप्त हो जाती है तो मनुष्य को खुशी मिलती है।यह मनुष्य के जीवन मे शान्ति का अनुभव कराती है।शान्ति एक मानसिक अवस्था है जो जीवन के लिए जरूरी है।
ReplyDeleteखुशी मानसिक भाव है। इससे मन मस्तिष्क को शांति मिलती है। यह कार्य की क्षमता को उन्नत करती है। मन मस्तिष्क में उल्लास का वातावरण रहता है।
ReplyDeleteमन में उत्साह, उल्लास, एक उमंग आकाश को छूने की, इत्यादि । यह सब खुशी की ही तरंगें है । खुशी का नाम सुनते ही बुझे हुए चेहरों पर रौनक आ जाती है, सुख की चमक आ जाती है । खुशी में दूसरों को शामिल करें और स्वयं दूसरों की खुशी में दिल से शामिल हों । इस से हम अपनी खुशी के साथ दूसरों की खुशी को भी अपना मान कर दुगना आनन्द ले सकते है । ये छोटी-छोटी खुशियाँ ही हमारे जीवन का अंग है, इन्हें यूँ ही जाने न दें क्योंकि ये जल्दी-जल्दी चली जरूर जाती है परन्तु आती इतनी जल्दी-जल्दी नहीं । हमें इन्हें सम्भाल कर रखना चाहिए ।
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