सहपाठियों की भूमिका –अपने विचार साझा करें
अपने किशोरावस्था के वर्षों के बारे में सोचें जब
आपने अपने दोस्तों द्वारा मजेदार लगने वाली चीज़ो
को करने की कोशिश की, जैसे चोरी करना, ड्रग्स लेना या धूम्रपान करनाI ऐसी स्थिति में आपने
क्या किया ?आपके विचार, भावनाएं, और रणनीतियां क्या थीं? ब्लॉग पोस्ट में अपने
विचार साझा करेंI
Adolescent is important as well as tough stage of life. By applying life skills every problems can be solved in positive ways.
ReplyDeleteAgood parent and a good teachers advice is always needed.by follow there good word you prevent all such type of bad things.
ReplyDeleteAgood parent and a good teachers advice is always needed.by follow there good word you prevent all such type of bad things.
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अभिभावक और शिक्षक की सहायता से हमेशा अच्छी आदतों को अपनाने की कोशिश की है।
ReplyDeleteअभिभावक और शिक्षक को आदर्श मानकर उनका सहयोग और मार्गदर्शन प्राप्त कर स्वस्थ व्यवहार करना सीखा, सभी बुरी आदतों में सुधार कर अच्छी आदतों को आत्मसात करने का प्रयत्न किया।
ReplyDeleteअभिभावक और शिक्षक को आदर्श मानकर उनका सहयोग और मार्गदर्शन प्राप्त कर स्वस्थ व्यवहार करना सीखा, सभी बुरी आदतों को सुधार कर अच्छी आदतों को आत्मसात करने का प्रयत्न किया।
ReplyDeleteShagufta Parw अभिभावक और शिक्षक को आदर्श मानकर उनका सहयोग और मार्गदर्शन प्राप्त करें स्वस्थ व्यवहार करना सीखा सभी बुरी आदतों को सुधार कर अच्छी आदतों को अपनाने की कोशिश की ह
ReplyDeleteSarika Hemrom शिक्षक और अभिभावक के आदर्श सहयोग से और मार्गदर्शन से बुरी आदतों को सुधार कर अच्छी आदतों को आत्मसात करना आसान हो जाता है
ReplyDeletejust to recognised myself
ReplyDeleteअभिभावक और शिक्षक को आदर्श मानकर उनका सहयोग और मार्गदर्शन प्राप्त कर स्वस्थ व्यवहार करना सीखा, सभी बुरी आदतों को सुधार कर अच्छी आदतों को आत्मसात करने का प्रयत्न किया
ReplyDeleteशिक्षक और अभिभावकों के मार्गदर्शन प्राप्त कर अच्छी आदतों की ओर प्रसस्त हो्ना|
ReplyDeleteअपने सहपाठियों एवं मित्रों के साथ सदैव अच्छे व्यवहार को आत्मसात किया।
ReplyDeleteMatilda Marandi
ReplyDeleteVery Very beneficial to us.
अभिभावक और शिक्षक को आदर्श /श्रेष्ठ समझकर उनके मार्गदर्शन में बुरी आदतों को छोड़ा,नियमित अध्ययन, रचनात्मक सोच विचार और चिन्तन पर फोकस किया अपने व्यवहारों को सामाजिक और मानवीय व्यवहारों तबदील किया
ReplyDeleteAisi sthiti Mein Mere Shikshak Ne Mere abhibhavak ke Sahyog Se Mujhe Meri Buri aadaton se chutkara delay Jab Meri Buri aadaten chhut Gai Tab Se Main Apne Shikshak Aur abhibhavak Ko Aadarsh Mankar Jivan ke Sahi path per chalne laga aur dusron ko bhi Buri Aadat chhodane ke liye prerit Karne Laga
ReplyDeleteकिशोरावस्था में हम काफी चंचल होत हैं अपने सहपाठियों के साथ मिलकर कोई ग़लत काम करने में काफी मजा आता है लेकिन उस समय हम ग़लत और सही का़ विभेद नहीं कर पाते हैं ऐसे में हमारे शिक्षक ही सही मार्ग दर्शन करते हैं
ReplyDeleteकिशोरावस्था में अपने शारीरिक बदलाव एवं व्यवहार को अपने सहपाठियों से सीखा मैं वैसे सहपाठियों के साथ रहा जिनकी सोच सकारात्मक रही नकारात्मक सोच वाले सहपाठियों से मैंने परहेज किया। अपने अभिभावक एवं शिक्षक के मार्गदर्शन में एक कुशल व्यवहार को अपनाते हुए अपने सार्थक जीवन की ओर अग्रसर हुआ।
ReplyDeleteकिशोरावस्था में चूं कि अपने सहपाठियों के साथ मिलकर कोई ग़लत काम करने में काफी मजा आता है लेकिन उस समय क्या ग़लत है और क्या सही है उसका अन्तर नहीं कर सकते हैं ऐसे में शिक्षक ही हमारा मांग दर्शन करते हैं
ReplyDeleteAvibhavak aur Sikshikaon ki prerna se sadaiv achha kam hi kiya hai
ReplyDeleteअभिभावक व शिक्षकों के मार्गदर्शन ने नैतिक व मानवीय मूल्य को समझने, व उन्हे आत्मसात करने के लिए हमेशा प्रेरित किया। उन्होंने जीवन को दिशा दी।
ReplyDeleteHamesha achhi aadto ko hi dosto se sikha
ReplyDeleteOne should always try to be in right path,in case of friend circle ,one should try to adapt only good things and to neglect bad habbits .things which we need to hide from parents and society are bad or wrong things which need to be prevented.
ReplyDeleteमाता - पिता के सच्चरित्र, बड़े भाई - बहनों के मार्गदर्शन ने कभी भी उस ओर मुड़ने नहीं दिया। सण्डे स्कूल की शिक्षा ( चर्च की इकाई ) ने चरित्र की पवित्रता की शिक्षा दी। रचनात्मक कार्यों में झुकाव की वजह से बुरी आदतों के लिए अवकाश ही नहीं रहा।
ReplyDeleteHamesha good habits ko friends se shiksha.
ReplyDeleteशिक्षक और माता पिता या कोई भी अभिभावक के अच्छे मार्गदर्शन से हमेशा मन में सकारात्मक विचार आते रहे है। बुरी बातें कभी मन में आया ही नहीं।
ReplyDeleteशराब को दोस्तो के कहने पर लिए थे।पर स्वाद इतना खराब लगा की उसके बाद मैंने कभी नहीं लिया। मैने तब स्रीफ चखने तक ही सीमित रखा।
ReplyDeleteअभिभावक और शिक्षक को आदर्श मानकर उनका सहयोग और मार्गदर्शन प्राप्त कर स्वस्थ व्यवहार करना सीखा, सभी बुरी आदतों को सुधार कर अच्छी आदतों को आत्मसात करने का प्रयत्न किया।
ReplyDeleteमाता पिता एवं शिक्षकों ने यह बताया कि अच्छे मित्रों की संगति करो। काफी लाभदायक रहा ,हमने जीवन में खास करके किशोरावस्था में कई गलतियां की , परंतु गलतियों को सीढ़ी बनाकर जीवन में आगे बढ़ते गया।
ReplyDeleteकिशोरावस्था में अपने शारीरिक बदलाव एवं व्यवहार को अपने सहपाठियों से सीखा मैं वैसे सहपाठियों के साथ रहा जिनकी सोच सकारात्मक रही नकारात्मक सोच वाले सहपाठियों से मैंने परहेज किया। अपने अभिभावक एवं शिक्षक के मार्गदर्शन में एक कुशल व्यवहार को अपनाते हुए अपने सार्थक जीवन की ओर अग्रसर हुआ।
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