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बच्चे हमारे विद्यालय में विभिन्न परिवेश से आते हैं जिस कारण उनकी समझ में भिन्नताएं होती हैं।हम अपने विद्यालय में बच्चों के समझ के आधार पर गतिविधियां एवं जानकारियां तय करते हैं।
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं। अतः उनके गुणों एवं समझ के आधार पर गतिविधियों का चयन किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आता हैं।उनकी समझ उसी अनुसार होती है ।उनके आधार पर विभिन्न समझ भी होती है।इसी आधार पर वे विभिन्न गतिविधि का चयन करतर हैं
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteIndividual differences have an important bearing on learning. The knowledge of individual differences cannot be neglected at all in imparting education to children Education should be provided to the children according to their individual abilities.Every child is unique and every child in the world _whatever his or her mother tongue may be ,uses language to fulfill certain immediate purposes. Language plays a very important role in the development of a child's personality and abilities.
ReplyDeleteWhatever the parents may or may not have done, the job of the teacher is to create an environment which permits children to make continuous attempts to link the use of language with life's experience and objects.So a school where children are not doing a variety of things,where they are mostly sitting and listening to the teacher and where there are no objects to touch manipulate, break and remake cannot be a good place to develop language skills and holistic development of the children.So for all round development of a child 'slanguage must be given weightage and importance as it plays an important role .
बच्चे हमारे देश के भविष्य हैं। उनका सर्वांगीण विकास होना आवश्यक है।
ReplyDeleteहर बच्चा अपने आप में विशेष होता है।
बच्चों को उनके पृष्ठभूमि के अनुसार रुचिकर गतिविधि करानी चाहिए। गतिविधि का चयन आयु के अनुसार एवं उनके सीखने की ज़रूरत के अनुरूप होना चाहिए।
मु० अफ़ज़ल हुसैन। उर्दू प्राथमिक विद्यालय मंझलाडीह, शिकारीपाड़ा,दुमका।
Kisi bhi topic ko sikhne ke liye uska rochak hona bahut hi jaruri hai.topic ko khel khel ke madhyam se bhi sikhaya ja sakta hai.TLM ke prayog se bhi topic ko ruchipurn banaya ja sakta hai.sabho bacche chahe wo kisi bhi parivesh se aate Hon, unhe rochak tarike se sikhaya ja sakta hai
ReplyDeleteBachche hamare desh ke bhavishya hai unka sarwagin vikash jaruri hai
ReplyDeleteबच्चे हमारे विद्यालयों में विभिन्न परिवेश से आते हैं, हर बच्चा अपने आप में विशेष होता है बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार खेल खेल में या गतिविधि के माध्यम से सिखाने से बच्चे तीव्र गति से सीखते हैं बच्चों को कर के सीखने की भी आजादी मिलने से उनके सीखने की गति तीव्र होती है
ReplyDeleteप्रत्येक शिक्षार्थी अपने आप में अद्वितीय होता है । उसके सीखने की गति, क्षमता एवं तरीके भी भिन्न होते हैं। विभिन्न शोधों से यह बात पूर्णतः साबित हो चुकी है कि जब बच्चे सक्रिय रूप से भाग लेते हें तभी सीखते हें । इसलिए हमें उन्हें अधिक से अधिक कियाकलाप के अवसर प्रदान करना चाहिए
ReplyDeleteAll the student should take care according to their capacity and ability by the teacher
ReplyDeletePrtiyek bachche ki sikhne ki shamita alag hoti hai.jiske karan uski soch aur vaywhar bhi bhin hote hain.isiliye hum shikshakon ko bachon ki sikhne ki shakta ke anusar kriyakalap ke aasar dene honge.
ReplyDeleteBachche vidyalaya mein alag alag parvesh se aate hain unki bhashayen bhinn hoti hain atah unke guno aur samajh ke aadhaar par gatividhiyon ka chunav karna bachchon ke liye labhdayak hoga
DeletePrtiyek bachche ki sikhne ki shamta alag hoti hai. Jiske karan suki aur vayawhar v bhin hote hai. Isliye hum teacher ko bachon ki sikhne ke shamta ke anusar kriyakalap ke awser dene honge.
Deleteबच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं। अतः सभी बच्चे अलग - अलग तरीकों से सीखते हैं।कक्षा में बच्चो की विभिन्न आवश्यकताओं एवं जरूरतों के अनुसार गतिविधियों का चयन कर सीखने का अवसर देना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं उसके समझ उनके अनुसार होती है उनके आधार पर विभिन्न समझ लेती है और इसी आधार पर विभिन्न गतिविधियां का चयन करती हैं।
ReplyDeleteबच्चे हमारे विद्यालय में विभिन्न परिवेश से आते हैं विभिन्न पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं और विभिन्न क्षमताओं वाले होते हैं हंसता हुआ अपने आप में अद्वितीय होते हैं उनकी संज्ञानात्मक क्षमता अलग होती है इसलिए हमें एक ही परिस्थिति में भिन्न भिन्न प्रकार के गतिविधियों द्वारा खेलो द्वारा उन्हें व अवसर प्रदान करना चाहिए जिससे उनका समग्र विकास हो सके और उनका अधिगम विकसित हो सके। इस कार्य में शिक्षक अभिभावक और स्वयं शिक्षार्थी की भूमिका वांछनीय है।
ReplyDeleteछात्र विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं। जिससे छात्र अलग अलग तरीके से सीखने का अवसर प्राप्त होंगे। छात्र को विभिन्न आवश्यकता और जरुरतों अनुसार गतिविधियों के आधार पर सीखने का मौका देना चाहिए
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं,अतः उनके आवश्यकतानुसार गतिविधियां होनी चाहिए ताकि वे सरलतापूर्वक सीख सकें।
Deleteबच्चे अलग अलग माहौल से विभिन्न प्रकार की जानकारियां हासिल करके आते हैं।फलतः उन्हें उनके ही अनुसार आवश्यकता आधरित आनंददायी,प्रेरक और ज्ञानवर्धक अवसर प्रदान करके आगे बढ़ने का माहौल प्रदान करने से वे अत्यंत सरल और सहज तरीके से आगे बढ़ते हैं और उसके बाद धीरे धीरे अन्य ज्ञानों को खुद में समावेशित करते हैं।अतः यह जरूरी है कि सर्वप्रथम हमें उनके बारे में सबकुछ ठीक से जान लेना चाहिए ताकि हम उपचारात्मक कार्य करते हुए उन्हें अग्रेतर बढ़ने का मौका दे सकें।Purushottam Kumar, Teacher UMS SANKI,Patrata,Ramgarh.
ReplyDeleteविद्यालय में बच्चे विभिन्न प्रदेशों से आते हैं हर बच्चा में अपना एक विशेषता होता है कुछ बच्चे खेल खेल के माध्यम से सीखते हैं कुछ बच्चे दूसरों को देखकर सीखते हैं कुछ बच्चे अनुभव करके सीखते हैं कुछ तेजी से सीखते हैं तो कोई धीमी गति से सीखते हैं कुछ बच्चे करके सीखते हैं बच्चों को करके सीखने की इजाजत मिलने से तीव्र गति से सीखते हैं बच्चे हमेशा सीखते रहते हैं।
ReplyDeleteबच्चे हमारे देश के भविष्य हैं। उनका सर्वांगीण विकास होना आवश्यक है।
ReplyDeleteहर बच्चा अपने आप में विशेष होता है।
बच्चों को उनके पृष्ठभूमि के अनुसार रुचिकर गतिविधि करानी चाहिए। गतिविधि का चयन आयु के अनुसार एवं उनके सीखने की ज़रूरत के अनुरूप होना चाहिए।
बच्चे हमारे देश के भविष्य हैं। उनका सर्वांगीण विकास होना आवश्यक है।
Deleteहर बच्चा अपने आप में विशेष होता है।
बच्चों को उनके पृष्ठभूमि के अनुसार रुचिकर गतिविधि करानी चाहिए। गतिविधि का चयन आयु के अनुसार एवं उनके सीखने की ज़रूरत के अनुरूप होना चाहिए।
बच्चे हमारे देश का भविष्य है इसलिए उनका सर्वांगीण विकास जरूरी है।
ReplyDeleteबच्चों का सर्वांगीण विकास की प्रकार के बातों पर निर्भर करता है।सर्वप्रथम शिक्षक होने के नाते हमें बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझना होगा;तभी यह संभव हो पायेगा।हम यहाँ निम्नलिखित बातों का उल्लेख कर सकते हैं:--
ReplyDelete1)प्रत्येक बच्चा का अलग होना,
2)उनका पिछला अनुभव,
3)साथियों के साथ परस्पर संवाद,
4)आसपास के वातावरण के साथ संपर्क
5)बच्चों के सीखने के विभिन्न तरीके,
6)कक्षा में सीखने की गति,
7)संज्ञानात्ममक,भावनात्मक एवं मनोगत्यात्मक कौशल,
8)कक्षा की परिस्थिति,
9)खोजी प्रवृति,नवाचार,समस्या-समाधान,आत्मविश्वास आदि गुणों का समावेश
10)सीखने के रोचक अनुभव,
11)प्रतिक्रियात्मक और सहायक पारस्परिक संबंध,
12)अनुभावात्मक सीखने के लिए सृजनात्मक परिवेश,
13)सीखने के समग्र रूप की पहचान,
14)इंद्रियों एवं कला द्वारा सीखने के कौशल आदि
कौशल किशोर राय,
सहायक शिक्षक,
उत्क्रमित उच्च विद्यालय पुनासी,
शैक्षणिक अंचल:- जसीडीह,
जिला:- देवघर,
राज्य:- झारखण्ड
बच्चों का सर्वांगीण विकास कई प्रकार के बातों पर निर्भर करता है। सर्वप्रथम शिक्षक होने के नाते हमें बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझना होगा;तभी यह संभव हो पायेगा।हम यहाँ निम्नलिखित बातों का उल्लेख कर सकते हैं:--
ReplyDelete1)प्रत्येक बच्चा का अलग होना,
2)उनका पिछला अनुभव,
3)साथियों के साथ परस्पर संवाद,
4)आसपास के वातावरण के साथ संपर्क
5)बच्चों के सीखने के विभिन्न तरीके,
6)कक्षा में सीखने की गति,
7)संज्ञानात्ममक,भावनात्मक एवं मनोगत्यात्मक कौशल,
8)कक्षा की परिस्थिति,
9)खोजी प्रवृति,नवाचार,समस्या-समाधान,आत्मविश्वास आदि गुणों का समावेश
10)सीखने के रोचक अनुभव,
11)प्रतिक्रियात्मक और सहायक पारस्परिक संबंध,
12)अनुभावात्मक सीखने के लिए सृजनात्मक परिवेश,
13)सीखने के समग्र रूप की पहचान,
14)इंद्रियों एवं कला द्वारा सीखने के कौशल आदि
कौशल किशोर राय,
सहायक शिक्षक,
उत्क्रमित उच्च विद्यालय पुनासी,
शैक्षणिक अंचल:- जसीडीह,
जिला:- देवघर,
राज्य:- झारखण्ड
बच्चे हमारे देश के भविष्य हैं, उनका सर्वागीण विकास होना अति आवश्यक हैं
ReplyDeleteबच्चे अलग अलग माहौल से विभिन्न प्रकार की जानकारियां हासिल करके आते हैं।फलतः उन्हें उनके ही अनुसार आवश्यकता आधरित आनंददायी,प्रेरक और ज्ञानवर्धक अवसर प्रदान करके आगे बढ़ने का माहौल प्रदान करने से वे अत्यंत सरल और सहज तरीके से आगे बढ़ते हैं और उसके बाद धीरे धीरे अन्य ज्ञानों को खुद में समावेशित करते हैं।अतः यह जरूरी है कि सर्वप्रथम हमें उनके बारे में सबकुछ ठीक से जान लेना चाहिए ताकि हम उपचारात्मक कार्य करते हुए उन्हें अग्रेतर बढ़ने का मौका दे सकें
ReplyDeleteहाँ मैं इस बात से सहमत हूँ कि हर बच्चा अलग तरीकों से सीखते हैं।कारण वह अलग परिवेश से आते हैं और अलग अलग अनुभव के साथ आते है।विद्यालय आते ही उसे एक समावेशी वातावरण मिल जाता है।अतः उनके लिए कक्षा में सरल,आनददायक और उनके अनुसार शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था करने का काम करेंगे।
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं। अतः सभी बच्चे अलग - अलग तरीकों से सीखते हैं।कक्षा में बच्चो की विभिन्न आवश्यकताओं एवं जरूरतों के अनुसार गतिविधियों का चयन कर सीखने का अवसर देना चाहिए
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे स्वयं में विशेष होते हैं । बच्चों के रूचि अनुसार प्रोत्साहन देते हुए उनके पृष्ठभूमि के अनुसार नये नये रूचिकर गतिविधियों को कराते हुए बच्चों को आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए । ताकि बच्चे आसानी से सीख सकें ।
ReplyDeleteSavi bacho ko ak saman rup se dekhna chahiye
ReplyDeleteSUBHADRA KUMARI
ReplyDeleteRAJKIYAKRIT M S NARAYANPUR
बच्चें उनके परिवेश से संबंधित गतिविधियों के माध्यम से जल्दी सीखते हैं । अतः एक शिक्षिका होने के नाते हमें उनके परिवेश से आधारित शिक्षा देने की आवश्यकता है ताकि वह सिखने में गतिशील रह सके ।
बच्चों के सामाजिक परिवेश मे भिन्नता होती है।सामाजिक परिवेश में भिन्नता उनकी सोच और समझ मे भी भिन्नता उत्पन्न करता है।हम अपने विद्यालय में बच्चों के समझ केअनुरूप गतिविधि करते है।
ReplyDeleteविद्यालय में बच्चे विभिन्न परिवेश से आते हैं, उनके सीखने का तरीका भी अलग-अलग होता है|यदि बच्चों को उनकी रूचियों, क्षमताओं एवं उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सिखने-सीखाने पर जोर दिया जाता है तो बच्चे आसानी से सीखने में रूचि लेते हैं |
ReplyDeleteबच्चे विद्यालय में अलग- अलग वातावरण व परिवेश से आते हैं और उनके सीखने की क्षमता व लगन अलग- अलग होता है। यदि उनकी क्षमताओं और कार्यशैली के अनुरूप शिक्षण व्यवस्था की जाए तो बच्चे तेजी से सीखेंगे और उनका शिक्षण से लगाव भी बढ़ेगा।Dr. Sunil Kumar M.S.Sindri Chaibasa
ReplyDeleteबच्चे पूर्व से ही विभिन्न अनुभव एवम क्रियाशीलन से वाकिफ होते हैं।उनकी आन्तरिक क्षमता को उजागर करने की आवश्यकता है।उनकी स्वच्छंद प्रवृत्ति को सटिक दिशा देकर उन्हें उपयुक्त शिक्षण हेतु प्रेरित किया जा सकता है।
ReplyDeleteBachche hamare vidalay me vivin parivartan se aate hai. Har bachche apne aap me vishesh hote hai. Bachcho ko unki ruchi ke anusaran khel-khelme me ya gatividi ke madhyam se dikhane se tibra gati se sikhte hai. Bachcho ko apne se kar ke sikhane ki ajadi milane se unke dikhane ki gati adhik hoti hai
ReplyDelete.. Ttha parspar sambad se v bachcho ki sikhne ki gati me bridhi hoti hai. Jaise-sathiyo ke sath. Bari ke sath tthavivin prakar ki sahaayak samgriyo ke sath v sikhne me kafi maddatgar sabit ho sakta hai.
Tulsi oraon. Ps urma urdu nirsa Dhanbad.
ReplyDeleteबच्चे हमारे विद्यालयों में विभिन्न परिवेश से आते हैं, हर बच्चा अपने आप में विशेष होता है बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार खेल खेल में या गतिविधि के माध्यम से सिखाने से बच्चे तीव्र गति से सीखते हैं बच्चों को कर के सीखने की भी आजादी मिलने से उनके सीखने की गति तीव्र होती है
ReplyDeletePremlata devi
G.M.S Pancha Ormanjhi Ranchi
All the student take care according to their capacity and ability by the teacher.
ReplyDeleteHan main yah manta hun KI pratyek bachccha alag hai aur uske seekhne Kay tarikay bhi alag hain.Bachchon Ki kshamta keep nubile teaching Karen get.
ReplyDeleteAll the students come to different society and different inviroment so that take care according to their capacity and ability by the teacher.
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं। अतः सभी बच्चे अलग - अलग तरीकों से सीखते हैं।कक्षा में बच्चो की विभिन्न आवश्यकताओं एवं जरूरतों के अनुसार गतिविधियों का चयन कर सीखने का अवसर देना चाहिए खेमलाल महतो नव पराथमिक विधालय बरवाडीह
ReplyDeleteबच्चे जिज्ञासु एवं चंचल होते है। खेल के माध्यम से सवांद करना,सीखने-सिखाने के क्रम में स्वयं सीखने की स्वतंत्रता उन्हें देनी चाहिए ।
ReplyDeleteजी हां मैं मानती हूं की प्रत्येक बच्चा अलग है और उनके सीखने का तरीका भी अलग होता है तो मैं कक्षा में उनकी विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उनके पूर्व अनुभवों से सीखने का मौका देने से भी सीख सकते हैं बच्चों को अपने इंद्रियों से भी सीखते हैं बच्चों कला द्वारा भी सीख सकते हैं जैसे खेलो के द्वारा भी सिखा सकते हैं गति मुद्रा द्वारा जिसमें की शारीरिक विकास को बढ़ावा दे सकता शरीर के आकार को स्थिर ग्रिड बना सकते हैं शिक्षण अधिगम और टी एल एम गतिविधि के द्वारा भी करवा सकते हैं रोलप्ले कहानियां से भी करवा सकते हैं बच्चों का सप्ताहिक मूल्यांकन कर जो बच्चे पीछे रह गए सीखने में उनको संवाद के माध्यम से उनकी कठिनाइयों को समाधान करवा सकते हैं आदि
ReplyDeleteधन्यवाद
गतिविधियां रूचिकर होनी चाहिए जिससे सभी बच्चे जुड़ सके।
ReplyDeleteबच्चे अलग-अलग परिवेश और अलग-अलग वातावरण से आते हैं।वे दिन-प्रतिदिन के जीवन से बहुत कुछ सीख कर आते हैं। अतः शिक्षकों को बच्चों की ज्ञान क्षमता की जानकारी के अनुसार उनकी रुचि को देखते हुए सिखलाना है।
ReplyDeleteबच्चे हमारे विद्यालयों में विभिन्न परिवेश से आते हैं, उनके सीखने का तरीका भी अलग अलग होता है। बच्चों को
ReplyDeleteउनकी रूचि के अनुसार खेल खेल में या गतिविधियों के माध्यम सीखते हैं। बच्चों को कर के सीखने की भी आजादी मिलनी चाहिए ताकि बच्चे सीख सकें।
BACHON par aadharit gatibidhi honi chaheye
ReplyDeletePrayer bachcha alag hota hai aur uske sikhne ka Tarika bhi alag hota hai. Uske pass apne din practicing ke anubhav hote hai. Ek shikchak ke rup me mere liye bachchon ko samajhna, unki byaktigat aabashyakta ke anukul khel bidhi dwara unhe prabhavshali dhang se aage badhne me madad karna sabse mahatvapurna karya hai.
ReplyDeletePratyek bachcha Alag hota hai aur uske sikhne ka tarika bhi alag hota hai.Uske pass apne din pratidin ke anubhav hote hai.Ek shikchak ke rup me mere liye bachchon ko samajhna, unki byaktigat aabashyakta ke anukul unhe khel bidhi dwara aage badhne me prabhavshali dang se madad karna sabse aabashyak hai.
ReplyDeleteचूंकि बच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं, उनकी समझ उसी अनुरुप होते हैं, इसी आधार पर ही वे भिन्न भिन्न तरह के गतिविधियों का चुनाव करते हैं।
ReplyDeleteVidyalaya me anewale bachche alag-alag samajik ewam pariwarik pariwesh se aate hai,is isthiti me hame unke samajh or jankari ka ishesh dhyan rakhte huye usi ke anusar gatibidhi tay karni hogi.
ReplyDeleteShashi Kesh Munda, M.S.BERAKENDUDA ANANDPUR
ReplyDeletePratyek bachcha alag hai aur har bachcha alag- alag parivesh se aata hai,bachchon ke sikhne ka kshamta bhi alag - alag hota hai.Koi jaldi sikhta hai to koi vilamb se sikhta hai.
Sikhne ki aajadi aur adhik gatividhi ka awsar pradan krna
ReplyDeleteविद्यालय में जब बच्चे विभिन्न परिवेश के आते हैं तो वे अपने साथ स्वयं के अनुभव, जानकारियां एवम समझ लेकर आते हैं। उनके सीखने की गति एवं क्षमता, उनके अपने अनुभव और उनकी आयु के अनुसार उनकी गतिविधियां का निर्धारण करते हैं।
ReplyDeleteबच्चे अपने पारिवारिक परिस्थितियों के अनुसार सीखने की गति में भिन्नता होती है इसलिए बच्चों के सीखने के लिए अनुकूल परिस्थितियां उत्पन्न करने होंगे एवं समय प्रदान करना है जिससे बच्चे सीखने में सहज महसूस कर आगे बढ़ने पाएं।
ReplyDeleteबच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं इसीलिए सब का पूर्व ज्ञान अलग अलग होता है और उनके सीखने की जरूरत के अनुरूप हमें उसे शिक्षा देनी चाहिए |
ReplyDeleteहर बच्चे लगभग-लगभग अलग अलग परिवेश से आते है। उनके परिवार और परिवेश के अनुसार गुणों में भी भिन्नता देखा जाता है। दरअसल हर बच्चों में कुछ न कुछ खाश विशेष गुण होते हैं। उन गुणों को विकसित करना और निखरना हमारे कर्त्तव्य और दायित्व है।
ReplyDeleteEvery child belongs to different environment.They learn from each other and understand well.children learn through game and activity as well as teacher's guidance play vital role.
Deleteबच्चे खेल खेल मे बहुत कुछ सीखते है।इसमें मौके देना चाहिए।
ReplyDeleteशिब नाथ साहानी
सहायक शिक्षक
पूर्वी सिंहभूम
Bachche bibhinna samajik parivesh se aate hai.Ataha hame unke guno aur chhamatao ke aadhar par gatibidhi ka chayan karna chahie.
ReplyDelete
ReplyDeleteबच्चें हमारे विद्यालय में विभिन्न परिवेश से आते हैं। विभिन्न पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं और विभिन्न क्षमताओं वाले होते हैं,हंसता हुआ अपने आप में अद्वितीय होते हैं उनकी संज्ञानात्मक क्षमता अलग होती है। इसलिए हमें एक ही परिस्थिति में भिन्न भिन्न प्रकार के गतिविधियों द्वारा खेलो द्वारा उन्हें व अवसर प्रदान करना चाहिए जिससे उनका समग्र विकास हो सके और उनका अधिगम विकसित हो सके। इस कार्य में शिक्षक अभिभावक और स्वयं शिक्षार्थी की भूमिका वांछनीय है।
Bachhe vibhinn prakar ke parivesh se aate hain.. Sabki apni kaabiliyat hoti hai atah sabhi aayamo ko dhayan me rkhkr hi sikshan adhigm ka dhyan rkhna chahiye
ReplyDeleteविशेष कर सरकारी स्कूलों में अधिकांश गरीब, सामाजिक दृष्टिकोण से पिछड़े एवं अशिक्षित परिवार के बच्चे आते हैं। उन्हें अपने घर के बोलचाल की भाषा के अलावे अन्य किसी भी भाषा का ज्ञान नहीं होता है। पाठ्य पुस्तक की भाषा से बिल्कुल अनभिज्ञ होते हैं। ऐसे बच्चों को उनके परिवेश में पाए जाने वाले सीखने की सामग्री, आपस में बातचित, चींजे बनाकर, अपनी भाषा में कहानी या बाद -विवाद के माध्यम से सीखने पर दिया जाता है। इसमें बच्चे रूची भी लेते हैं।
ReplyDeleteहमारे विद्यालय में बच्चे विभिन्न परिवेश से आते हैं जिसके कारण उनके ज्ञान का स्तर एवं स्वभाव भी भिन्न होता है बच्चों के समझ के स्तर को जानने के लिए या कोई नई जानकारी देने से पूर्व हम उनसे बातचीत करके या विभिन्न प्रकार से प्रश्न पूछ कर उनके पूर्व ज्ञान के स्तर को जानने का प्रयास करते हैं तदुपरांत हम उन्हें उनके स्तर के अनुरूप नई जानकारी देने का प्रयास करते हैं।
ReplyDeleteबच्चे हमारे विद्यालय में अलग अलग परिवेश से आते हैं विभिन्न पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं और विभिन्न क्षमताओं वाले होते हैं हंसता हुआ अपने आप में अद्वितीय होते हैं उनकी संज्ञानात्मक क्षमता अलग होती है इसलिए हमें एक ही परिस्थिति में भिन्न भिन्न प्रकार के गतिविधियों द्वारा खेलो द्वारा उन्हें व अवसर प्रदान करना चाहिए जिससे उनका समग्र विकास हो सके और उनका अधिगम विकसित हो सके। इस कार्य में शिक्षक अभिभावक और स्वयं शिक्षार्थी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण।
ReplyDeleteबच्चे अलग अलग माहौल से विभिन्न प्रकार की जानकारियां हासिल करके आते हैं।फलतः उन्हें उनके ही अनुसार आवश्यकता आधरित आनंददायी,प्रेरक और ज्ञानवर्धक अवसर प्रदान करके आगे बढ़ने का माहौल प्रदान करने से वे अत्यंत सरल और सहज तरीके से आगे बढ़ते हैं और उसके बाद धीरे धीरे अन्य ज्ञानों को खुद में समावेशित करते हैं।अतः यह जरूरी है।
ReplyDeleteबच्चे अलग अलग सामाजिक परिवेश से आते हैं अतः सभी बच्चे अलग अलग तरीकों से सीखते हैं|कक्षा में बच्चों की विभिन्न आवश्कताओं, जरूरतों के अनुसार गतिविधि का चयन कर सीखने का अवसर देना चाहिए|
ReplyDeleteबच्चे अलग-अलग सामाजिक परिवेश से आते हैं ।अतः सभी बच्चों को अलग-अलग तरीकों से सीखने का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए गतविधियों के द्वारा सीखना चाहिए ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके।
ReplyDeleteहमारे विद्यालय में बच्चे विभिन्न परिवेश से आते हैं।उनके समझ और सीखने की क्षमताओं मे भिन्नता होती है।हमें बच्चों क स्तर को ध्यान मेंरखते हुए गतिविधियों एवं सीखाने के अपनाने चाहिए।
ReplyDeleteहमारे विद्यालय में बच्चे विभिन्न परिवेश से आते हैं।फलस्वरूप उनकी समझ, अनुभव एवं पूर्व ज्ञान में भिन्नताएँ होती हैं।अतः हमारे विद्यालय में बच्चों के समझ के आधार पर उनके लिए भिन्न भिन्न गतिविधियों का चयन किया जाता है ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके।
ReplyDeleteNirmal Kumar Roy. Asstt. Teacher.Govt.Basic School Jorapokhar.Jhinkpani. West Singhbhum.
हां, मैं मानता हूं कि प्रत्येक बच्चे अलग है और उसके सीखने का तरीका भी अलग होता है । बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बच्चों को स्वयं करके सीखने स्वतंत्र अवसर देना चाहिए । स्वयं बच्चों के साथ मिलकर सीखने की प्रक्रिया में सहायता करना है । बच्चों के रुचि को जानना , पसंद को जानना , सीखने की कार्यशैली को जानकर सीखने का प्रयास कराना है । जरूरतों के अनुसार गतिविधि का चयन कर , सीखने का अवसर देकर , TLM गतिविधि अपनाकर खेल, कला , खोज , संगीत , कहानी इत्यादि के क्षेत्र में दृश्य , श्रव्य , गतिसंवेदी और स्पर्श साधन अपना कर बच्चे के विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा कर सकते है।
ReplyDeleteबच्चे विविध सामाजिक परिवेश, अलग अलग स्तर की जानकारी और अलग-अलग स्तर की समझ के साथ विद्यालय में आते हैं। उनकी विभिन्न आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षक विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के द्वारा उनके सीखने में मदद करते हैं।
ReplyDeleteAll the students are learning by activities and holistically and creative learning and provide excellent results.
ReplyDeleteबच्चे हमारे देश के भविष्य हैं उनका सर्वांगीण विकास होना आवश्यक है इसके लिए माता पिता एवं समुदाय की भागीदारी आवश्यक है गतिविधि आधारित क्रियाकलाप किया जाना चाहिए यह रूचि और आयु के अनुसार होना आवश्यक है थैंक्स
ReplyDeleteबच्चे अलग-अलग सामाजिक परिवेश से आते है अतः सभी बच्चे अलग-अलग तरीकों से सीखते हैं। कक्षा में बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं, जरूरतों के अनुसार गतिविधियों का चयन कर सीखने का अवसर देना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चे बिभिन्न परिवेश से आते है।इसलिए उनके सीखने के तरीके भी भिन्न भिन्न होते है।
ReplyDeleteबच्चे हमारे विद्यालयों में विभिन्न परिवेश से आते हैं प्रत्येक बच्चे में सीखने की आदत अलग-अलग होती है साथ ही बच्चे स्वयं के अनुभव के द्वारा करके ज्यादा सीखते हैं अतः उन्हें सीखने के लिए स्वतंत्रता देनी होगी इसके अलावा विद्यालयों में खेल गतिविधियों और परस्पर संवाद का मौका भी देने होंगे
ReplyDeleteBachche wibhinn samajik pariwesh se aate Hain unki mansikta bhi bhinn bhinn hoti hai we apne sathiyon bacon avm pariwesh ki chijon se sikhten Hain iske lie uchit mahoul chahie
ReplyDeletePrtiyek bachche ki sikhne ki shita alag hoti hai jiske karan uski soch aur vaywhar bhi bhin hote hain isliye hum shikshakon ko bachon ki sikhne shakta ke anusar kriyakalap ke anusar dene honge
ReplyDeleteBachche bibhinn samajika parivesh se aate hai aataaparyant unke gunon avam samaj kee aadhar par gatividhiyon ka chayan kiya jana chaiye
ReplyDeleteSchool m bachche bibhin samanik paribesh se aate hain, Atah suki samajh bhi alag alag hoti hai. Isliye hame alag alag gatibidhion ke dwara sikhana hoga.Use sikhne k liye swatantra China hoga.Learning by doing tatha learning by Playing bhi sahayak ho sakta hai.
ReplyDelete...........SHAMBHU SHARAN PRASAD
........MS KUSUNDA MATKURIA DHANBAD-1
प्रत्येक बच्चे की समझ और सीखने की योग्यता विभिन्न होती है।तदनुसार शिक्षकों को इसके लिए प्रयास करना आवश्यक है।बच्चों के परिवेश,उनके पूर्व ज्ञान और जिज्ञासु प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए उनके अधिगम स्तर को उन्नत किया जा सकता है।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे में सीखने,समझने और बोलने की क्षमता अलग अलग होतीहै।अतः शिक्षक को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ।
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश आते हैं। फलतः उनकी समझ में विभिन्नतारे होती हैं। हमें अपने विद्यालय में बच्चे के समझ के आधार पर गतिविधियों का चयन करना चाहिए।
ReplyDeleteमैं मानता हूं की प्रत्येक बच्चा अलग है और उनके सीखने का तरीका भी अलग होता है, तो मैं कक्षा में उनकी विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उनके पूर्व अनुभवों से सीखने का मौका देने से भी सीख सकते हैं बच्चों को अपने इंद्रियों से भी सीखते हैं, बच्चों कला द्वारा भी सीख सकते हैं जैसे खेलो के द्वारा भी सिखा सकते हैं गति मुद्रा द्वारा जिसमें की शारीरिक विकास को बढ़ावा दे सकता शरीर के आकार को स्थिर ग्रिड बना सकते हैं शिक्षण अधिगम और टी एल एम गतिविधि के द्वारा भी करवा सकते हैं।Rolplay, कहानियां से भी करवा सकते हैं।Motiur Rahman, UPS-Chandra para, Pakur
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे अपने आप में अद्वितीय होते हैं । उनके सीखने की गति, क्षमता एवं तरीके भी भिन्न होती है। विभिन्न शोधों से यह बात पूर्णता साबित हो चुकी है की जब बच्चे क्षत्रिय रूप से भाग लेते हैं ,
ReplyDeleteतभी वह जल्दी सीखते हैं । इसलिए हमें उन्हें अधिक से अधिक क्रियाकलाप का अवसर प्रदान करना चाहिए ।
प्रत्येक बच्चा प्रत्येक से अलग होता है और उनके सीखने की क्षमता भी अलग होती है । हम शिक्षकों को बच्चों की आवश्यकता के अनुरूप उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए उन्हें स्वयं करके सीखने और अपने विचार व्यक्त करने के लिए भरपूर अवसर देना चाहिए ।
ReplyDeleteबच्चे विद्यालय में अलग- अलग वातावरण व परिवेश से आते हैं और उनके सीखने की क्षमता व लगन अलग- अलग होता है। यदि उनकी क्षमताओं और कार्यशैली के अनुरूप शिक्षण व्यवस्था की जाए तो बच्चे तेजी से सीखेंगे और उनका शिक्षण से लगाव भी बढ़ेगा
ReplyDeleteChildren coming from different environment, having different capacities so according to their ability and interest they should be taught.
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चा अपने आप में अलग होता है और उनके सीखने के तरीके भी अलग-अलग होते हैं। कक्षा में बच्चों के सीखने के लिए विभिन्न आवश्यकताओं को हम इन तरीकों द्वारा जान सकते हैं या पूरा कर सकते हैं जान सकते हैं - बच्चों के पूर्व के अनुभव को जानने का प्रयास करना, विभिन्न तरह की गतिविधियां कराना , कक्षा का वातावरण खुशनुमा बनाना, स्वयं करके पर जोर देना, आपस में चर्चा करना, बातों को सुनने के लिए प्रोत्साहित करना, सकारात्मक रवैया अपनाना, बच्चों के सामाजिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में जानना, स्वास्थ्य के प्रति उनकी सजगता। इन सबसे प्राप्त अनुभव के आधार पर हम बच्चों के व्यवहार ,आदत, रुचि ,सीखने की क्षमता और गति तथा उनकी आवश्यकताओं के बारे में जानकर उनके अनुरूप शिक्षण का माहौल कक्षा में तैयार कर सकते हैं ताकि वे समग्र रूप से सीखने की ओर अग्रसर हो सके ।
ReplyDeleteat 06:47
ReplyDeleteबच्चे अलग अलग माहौल से विभिन्न प्रकार की जानकारियां हासिल करके आते हैं।फलतः उन्हें उनके ही अनुसार आवश्यकता आधरित आनंददायी,प्रेरक और ज्ञानवर्धक अवसर प्रदान करके आगे बढ़ने का माहौल प्रदान करने से वे अत्यंत सरल और सहज तरीके से आगे बढ़ते हैं और उसके बाद धीरे धीरे अन्य ज्ञानों को खुद में समावेशित करते हैं।अतः यह जरूरी है कि सर्वप्रथम हमें उनके बारे में सबकुछ ठीक से जान लेना चाहिए ताकि हम उपचारात्मक कार्य करते हुए उन्हें अग्रेतर बढ़ने का मौका दे सकें।
हम जानते हैं कि प्रत्येक अलग होता है और उसके पास अपने दिन प्रतिदिन के के पिछले अनुभव होते हैं जिन्हें वह विभिन्न प्रकार से अर्जित करता है। हमे यह मालूम है कि प्रत्येक बच्चे की संज्ञानात्मक क्षमता और काम करने का तरीका अलग होता है। यही कारण है कि उनकी सोच और व्यवहार में भी भिन्नता होती है क्योंकि वे समस्याओं और परिस्थितियों का आकलन व विश्लेषण अलग प्रकार से करते हैं और उसी के अनुसार निर्णय लेते हैं। हमारे लिए बच्चों को समझना,उनकी सीखने की जरूरतों को खोजना और उनका पता लगाना शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया से पहले किया जाने वाला बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य है। हमे इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि शिक्षण अधिगम एक सक्रिय,सहयोगपूर्ण और सामाजिक प्रक्रिया होती है जहाँ बच्चे और शिक्षक,बच्चे और विभिन्न प्रकार की सामग्री या वस्तुएँ और आपस में बच्चों के बीच भी परस्पर संवाद का होना काफी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में हमें एक सुविधाकर्ता की भूमिका निभानी होगी न कि एक शिक्षक की।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चा अलग तरीके से सीखता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रत्येक बच्चे के पास पिछले अनुभव का एक अनूठा मिश्रण है। सीखने के लिए बच्चों की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता होती है क्योंकि कोई किसी को सीखा तो सकता है लेकिन कोई किसी के लिए सीख नहीं सकता है। हम यह जानते हैं कि यदि बच्चे स्वयं करके सीखते हैं तो बेहतर सीखते हैं। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एन सी एफ-2005) से स्पष्ट होता है कि बच्चे विभिन्न तरीकों से सीखते हैं जैसे:-अनुभव से,चीज़ें बनाकर,प्रयोग द्वारा,पढ़कर,चर्चा करके,पूछकर,सुनकर,समझकर,सोचकर या चिंतन करके और अपने आपको लेखन या हाव-भाव द्वारा व्यक्त करके आदि। बच्चों के विकास के दौरान उन्हें ऐसे बहुत से अवसर देने की आवश्यकता होती है।
अतः हमें कक्षा में बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए निम्नलिखित कार्य करने होंगे;-
*सीखने के रोचक अनुभव:: बच्चों के लिए खेल गतिविधियों की सहायता से स्वयं करके सीखने का अनुभव देना सीखने-सिखाने का सबसे प्रभावशाली तरीका है। काल्पनिक खेलों के द्वारा बच्चों में सोचने की क्षमता विकसित होती है,उनका शब्द भंडार समृद्ध होता है,कल्पना शक्ति विकसित होती है,सुनना बोलना जैसे कौशलों का विकास होता ।
*प्रतिक्रियात्मक और सहायक पारस्परिक संबंध::बच्चे अपने अभिभावक,परिवार,शिक्षक,और समुदाय से बहुत कुछ सीखते हैं,जिसके परिणामस्वरूप वे न केवल स्वयं को सुरक्षित महसूस करते हैं बल्कि आशावादी जिज्ञासु और मिलनसार भी बनते हैं। परस्पर संवाद,प्रोत्साहन और सकारात्मक रवैया रखने से बच्चों में सीखने की क्षमता बढ़ती है।
*अनुभवात्मक सीखने के लिए सृजनात्मक परिवेश::जब बच्चों को सक्रिय और प्रत्यक्ष रूप से अपने आसपास के परिवेश को जानने का अवसर मिलता है तो शिक्षक और साथियों के मदद से उनकी जानकारी भी बढ़ती है। सृजनात्मक सीखने का परिवेश शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने वाला परिवेश है जिसमें सावधानी से चुने हुए खुले और नवीन संसाधन शामिल होते हैं।
*बच्चे समग्र रूप से सीखते हैं::छोटे बच्चे समग्र रूप से सीखते हैं। यानी कि विभिन्न स्रोतों या माध्यमों से तुरंत जानकारी ग्रहण कर लेते हैं। वे एक अनुभव से सीखते हैं और उस जानकारी को किसी असंबंधित सी प्रतीत होनेवाली जानकारी के अर्थ और संदर्भ में जोड़ लेते हैं।
*बच्चे अपनी इंद्रियों की सहायता से सीखते हैं::छोटे बच्चे अपनी इंद्रियों की सहायता से बहुत कुछ सीख लेते हैं और भाषा या चिंतन कौशल में कुशलता प्राप्त करने से पहले ही उनकी बारीकियाँ भी जान जाते हैं। उन्हें ऐसे बहुत से अवसर देने की आवश्यकता है जब वे अपनी समझ से अपने आसपास की घटना या चीज़ों को छानबीन कर सकें।
*बच्चे कला द्वारा सीखते हैं::छोटे बच्चे कला के द्वारा भी सीखते हैं। जैसे:-गति/मुद्रा का एक सत्र शारीरिक विकास को बढ़ावा दे सकता है। शरीर के आकार को स्थिर/सुदृढ़ बना सकता है। हाथ पाँव को मोड़ने या झुकाने में लचीलापन ला सकता है। भरोसेमंद संबंध स्थापित करके विकास को बढ़ावा दे सकते हैं। विभिन्न प्रकार की ध्वनियों का उच्चारण कर भाषा संबंधी विकास भी कर सकते हैं।
बच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं|अत: उनके गुणों एवं समझ के आधार पर गतिविघियाँ का चयन करना चाहिए|
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न परिवेश में रहते हैं,कपछ बच्चे विद्यालय में आकर जल्दी सीखते हैं,और कुछ बच्चे देर से सीखते हैं|इसलिए बच्चे की समझ के अनुसार गतिविधि करानी चाहिए|
ReplyDeleteबच्चों के सर्वांगीण विकास पर जोर देना चाहिए।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे में सीखने,समझने और बोलने की क्षमता अलग अलग होतीहै।अतः शिक्षक को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है । ( Nikhat jahan )
ReplyDeleteविभिन्न क्षमताओं वाले बच्चों को उनकी योग्यता के अनुरूप समूह में बांटते हुए उन्हें उनकी रुचि के क्रिया कलाप करने देंगे। इस तरह बच्चे अभिरुचि दिखाएंगे और सीखेंगे।
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न समाजिक परिवेश से आते हैं। उनके समझ के आधार पर गतिविधियों का चयन उनके शिक्षण के लिए किया जाना चाहिए।जिससे बच्चे सही रुप से सीख पायेगे।
ReplyDeleteBachche hamare school me vibhinn probesh se aate hain,har bachcha apne aap me vishes hota hai bachchon ko unki ruchi ke anusar khel- khel me ya gatividhi kemadhyam se sikne se bachche tivra gati se sikhte hain bachche Swamy kar ke sikhne ki aajadi milne se bachche jaldi sikhte hain.
ReplyDeleteबच्चे हमारे विद्यालय में विभिन्न परिवेश आते है एवं सभी विभिन्न क्षमताओं वाले होते हैं इसीलिए हमें एक ही परिस्थिति में भिन्न-भिन्न प्रकार के गतिविधियों द्वारा, खेलों द्वारा बच्चों को सीखने का अवसर प्रदान करना होगा जिससे बच्चों का समग्र विकास हो सके और उनका अधिगम विकसित हो सके।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की पारिवारिक पृष्ठभूमि अलग-अलग होती है। उनका सामाजिक परिवेश भी भिन्न-भिन्न होता है। अत्याचार विदित है कि उनके सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होगी। कुछ बच्चे किसी चीज को जल्दी समझ लेते हैं और कुछ बच्चे उसी चीज को समझने में काफी समय लेते हैं। अतः हमारा प्रयास होगा कि प्रत्येक बच्चे को उसकी आवश्यकता के अनुसार शिक्षा प्रदान करने का प्रयास किया जाएगा। बच्चों से अलग-अलग मिलकर उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे तथा उसके समाधान का प्रयास करेंगे। इसके लिए आवश्यकता पड़े तो समाज के प्रबुद्ध लोगों तथा उसके अभिभावकों से भी संपर्क किया जाएगा। बच्चे के लिए सरल सुगम और आनंददाई शिक्षा की व्यवस्था करने का प्रयास करेंगे। खेल गतिविधि द्वारा भी रोचक तरीके से समझाने का प्रयास करेंगे।
ReplyDeleteहमारे विद्यालय में बच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं!इसलिए उनके सीखने और समझने के तरीके भी अलग-अलग होते हैं!सर्वप्रथम हमें उन्हें समझना होगा एवं उनके अनुसार शिक्षण विधि अपनाकर ज्यादा से ज्यादा उन्हें सीखने की प्रणाली यथा खेल विधि, संगीत विधि ,रोचक कहानी, संवाद विधि अन्यान रोचक गतिविधियों के द्वारा बच्चों को सीखने का अवसर प्रदान करने की कोशिश होनी चाहिए ताकि बच्चे रुचि लेकर सभी गतिविधियों को आत्मसात कर सकें!जिससे उनका सर्वांगीण विकास संभव हो पाएगा!
ReplyDeleteWe know that every child is different from others which is known as personal individuality.ln every aspect of a child's development this personal individuality plays an important role.
ReplyDeleteThat's why a teacher should be very careful about children's learning process.First of all,as a teacher,I will carefully observe every child's personal individuality - social and personal background,interests,learning levels etc. and accordingly I plan to deliver lessons.Mostly I will try to be a facilitator not a teacher.I will give them a plenty of time to ask questions,discuss problems and discover the things.I will help them in this process.I also provide them an environment in which they feel themselves fearless,playful.Activity based experience should also given to them.
बच्चे हमारे विद्यालय में विभिन्न परिवेश से आते हैं विभिन्न पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं और विभिन्न क्षमताओं वाले होते हैं हंसता हुआ अपने आप में अद्वितीय होते हैं उनकी संज्ञानात्मक क्षमता अलग होती है इसलिए हमें एक ही परिस्थिति में भिन्न भिन्न प्रकार के गतिविधियों द्वारा खेलो द्वारा उन्हें व अवसर प्रदान करना चाहिए जिससे उनका समग्र विकास हो सके और उनका अधिगम विकसित हो सके। इस कार्य में शिक्षक अभिभावक और स्वयं शिक्षार्थी की भूमिका वांछनीय है
ReplyDeleteChildren come from different cultures and religion, their home atmosphere and parents living standard make different in thinking and behavior. When come to school specially in govt. School they adjust slowly. The teachers and parents as well as guardian should take kin interstate to boost the mentality of children regarding reading, writing and thoughts.
ReplyDeleteTaking interst in children from relative teachers, parents and guardians- Inspired the children thoughts in every field.
ReplyDeleteविद्यालयों में भिन्न भिन्न सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक परिवेश से बच्चे आते हैं। उनकी अधिगम स्तर व सीखने की क्षमता व रुचि भी भिन्न-भिन्न होती है। हमें इन बातों का ध्यान रखते हुए उन्हें सीखने के अवसर देनी चाहिए।
ReplyDeleteSach me bachche alag alag parivesh se ane ke karan unme sikne ki vibhinnata hogi. Bachche ki sikne ki pravriti dekkar unhe usi kal koushal pradaan ki jani chahiye.
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ReplyDeleteRlsingh31 October 2021 at 23:24
बच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आता हैं।उनकी समझ उसी अनुसार होती है ।उनके आधार पर विभिन्न समझ भी होती है।इसी आधार पर वे विभिन्न गतिविधि का चयन करतर हैं
छात्र विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं. कक्षा में बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं एवं जरूरतों के अनुसार गतिविधियों का चयन कर सीखने का अवसर देना चाहिए |
ReplyDeleteबच्चों की परिस्थिति को प्रतिकूलता से अनुकूलता में परिवर्तित करने तथा शिक्षण अभिरूचि जाग्रत कर उनमें विधायक दृष्टिकोण उत्पन्न करने का प्रयास होना चाहिए।
ReplyDeleteजी हां मैं मानती हूं की प्रत्येक बच्चा अलग है और उनके सीखने का तरीका भी अलग होता है तो मैं कक्षा में उनकी विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उनके पूर्व अनुभवों से सीखने का मौका देने से भी सीख सकते हैं बच्चों को अपने इंद्रियों से भी सीखते हैं बच्चों कला द्वारा भी सीख सकते हैं जैसे खेलो के द्वारा भी सिखा सकते हैं गति मुद्रा द्वारा जिसमें की शारीरिक विकास को बढ़ावा दे सकता शरीर के आकार को स्थिर ग्रिड बना सकते हैं शिक्षण अधिगम और टी एल एम गतिविधि के द्वारा भी करवा सकते हैं रोलप्ले कहानियां से भी करवा सकते हैं बच्चों का सप्ताहिक मूल्यांकन कर जो बच्चे पीछे रह गए सीखने में उनको सहायता कर सकते है, निर्णय लेने में आजादी देकर, तथा शिक्षण प्रक्रिया में बच्चों की बातों को स्वीकार कर उन्हें भय मुक्त कर उनकी आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं l
ReplyDeleteJagannath Bera
Oriya MS Arong, Baharagora, East Singhbhum.
प्यारे बच्चे की सिखने की शमता अलग होती है। जिस्के करन सूकी और वायवर वी भी होते हैं। इसलिये हम टीचर को बच्चों की सीखने के शमता के अनुसर क्रियाकलाप के अवसर देने होंगे।
ReplyDeleteBachho ka sarbangin vikas hona chahiye
ReplyDeleteजी हां में पढ़ रहे हैं और आधुनिक सीखने का तरीका भी अलग है। आंतरिक रूप से भी शामिल हो सकता है। रॉल प्लो से भी करवा सकते हैं। सकते हैं . भानु प्रताप मांझी.उ.उ.वि चिपड़ी, ईचागढ़ सरायकेला खरसावां
ReplyDeleteहां कक्षा में हर एक बच्चा एक दूसरे से अलग होता है उनके सीखने का तरीका भी एक दूसरे से अलग होता है इसलिए कक्षा में बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार खेल-खेल में सहज गतिविधि के माध्यम से सीखने और सिखाने के तरीके हमे अपनाना चाहिए क्योकि हम जानते कि जब बच्चे सक्रिय रूप से भाग लेते हैं तभी सीखते हैं इसलिए उन्हें अधिक से अधिक स्वयं से किए जानेवाले क्रियाकलाप के अवसर देने चाहिए,प्यार से दोस्त बनकर उनके सबसे आसान जो उस बच्चे को लगे वही तरीका अपनाना हमारा प्रयास होना चाहिए जो हमारे लिए और उस बच्चे के लिए बेहतर होग अर्चना सिन्हा उत्क्रमित मध्य विद्यालय पचपेड़ी मेराल जिला गढ़वा झारखंड धन्यवाद
ReplyDeleteबच्चे अलग-अलग परिवेश से आते है तथा सिखने का भी कौशल अलग-अलग होती हैं। बच्चे की स्थिति को देखते हुए सिखाने का प्रकृया अपनाया जाना है।
ReplyDeleteविद्यालय में आने वाले प्रत्येक बच्चे अलग अवश्य होता है इस बात पर मेरी पूर्ण सहमति है ! साथ ही उनके सीखने की तरीका भी अलग होता है,जिसका वजह विभिन्न पृष्ठभूमि से आए बच्चे ,उनके विरासत, बच्चों की उम्र, शारीरिक स्वस्थता, संतुलित भोजन की उपलब्धता एवं उनके शिक्षण हेतु आवश्यकताओं में भिन्नता।
ReplyDeleteबच्चे अपने ज्ञान का निर्माण स्वयं करते हैं। इस क्रम में शिक्षक एक सुगम-कर्ता के रूप में बच्चों की ज्ञान निर्माण प्रक्रिया में सहभागिता निभाता है ,जिससे सीखना बच्चों के लिए अर्थपूर्ण बन सके | मैं उनके विभिन्न आवश्यकताओं को निम्न-वत पूरा करने का प्रयास करेंगे :-
१) सर्वप्रथम कक्षा में एक भयमुक्त एवं आनंददायी वातावरण का माहौल प्रदान कर |साथ ही बच्चों को अपनी समझ को अभिव्यक्त करने का अवसर एवं अपनी हंसी न उड़ाए जाने का वातावरण प्रदान कर।
२) उनके परिपक्वता की आवश्यक स्तर का पता लगाकर शिक्षण का श्रीगणेश।
३) उनके अनुभवों का पता लगाकर आवश्यक शिक्षण अधिगम सामग्रियों का व्यवस्था कर।
४) विभिन्न प्रकार की ज्ञानवर्धक चीजों का निर्माण कर तथा निर्माण हेतु अवसर प्रदान कर।
५) विभिन्न प्रकार की रूचि-कर प्रयोगों (दैनिक जीवन से संबंधित) को करवाकर।
६) कक्षा में भाषा-समृद्ध वातावरण का निर्माण कर।
७) चित्र ,कहानी,कविता,दृश्य आदि से बच्चों को अधिक से अधिक समय पढ़ने का मौका देकर।
८) किसी भी घटना ( कक्षा-अंतर्गत) पाठ ,कविता, कहानी, त्योहार, पर्यावरण ,प्रदूषण आदि पर खुलकर चर्चा की माहौल प्रदान कर|
९) रुचिकर,आनंददायी एवं प्रोत्साहन वाली बातों से पाठ संपर्कित बात पूछकर।
१०) उनके हर प्रकार की समस्याओं एवं विचारों को बेझिझक बोलने का माहौल तैयार कर तथा धैर्य सहित सुनने का अवसर देकर।
११) विचारों को भाषण या लेखन द्वारा व्यक्त करने हेतु प्रेरणा एवं प्रोत्साहन प्रदान कर।
१२) कक्षा में संवाद का उचित माहौल तैयार कर।
१३) कक्षा में चित्रकारी,संगीत,खेल,नाटक, नैतिक घटनाओं पर कहानी कथन/घटना कथन आदि को अधिक से अधिक बढ़ावा देकर।
१४) कक्षा में इंटरनेट के प्रयोग से विभिन्न ज्ञानवर्धक जानकारियों को प्राप्त कराने की उपायों को मार्गदर्शन देकर मुहैया प्रदान कर।
१५) नित्य-नूतन गतिविधियां एवं नवाचारों को प्रदान कर।
१६) अभिभावकों,समुदाय,विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों, पुराने छात्रों आदि प्रकार के हितधारकों से नियमित रूप से आवश्यक बातचीत एवं पहल को अपनाकर।
१७) विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा प्रदान करने हेतु व्यवस्था प्रदान कर।
Children comes from different environment and having different curiosity. So., we have to adapt new teaching skill so that all children take more interest in learning things.
ReplyDeleteबच्चें विभिन्न परिवेश सं आते हैं, तथा सिखने का प्रतिभा भी अलग अलग होती है बच्चों की स्थिति देखते हुए उनका सिखने की प्रक्रिया अपना चाहिए ।
ReplyDeleteबच्चे हमारे विद्यालय में विभन्न परिवेश से आते हैं जिस कारण उनकी समझ में विभिननताएं होती हैं। हम अपने विद्यालय में बच्चो के आधार पर गतिविधियां एवं जानकारियां तय करते हैं।
ReplyDeleteविभिन्न परिवेश और विभिन्न भाषा- भाषी, जाति- धर्म, रहन-सहन, शिक्षित- अशिक्षित परिवारों से विद्यालय आने वाले बच्चे अलग- अलग स्वभाव और सीखने के स्तर वाले होते हैं जिन्हें कुछ सिखाने के लिए उन्ही के अनुरूप गतिविधि का चयन करना आवश्यक होता है जिसमें वे रूचि के साथ भाग लें और सीखें.अत: बच्चों को कुछ सीखने के समय हमें ऐसी गतिविधि का चयन करना चाहिए जिससे अधिकाधिक बच्चे लाभान्वित हो. इसलिए यह आवश्यक है कि शिक्षकों की संख्या पर्याप्त हो और उन्हें सिखाने के लिए पर्याप्त समय मिले.
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न परिवेश के समाज से स्कूल आ रहा है और उन्हें उनके गतिविधियों के अनुसार ही गतिविधियों का चयन कर उनके आवश्यकताओ को पूरा किया जा सकता है ।
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं फलतः बच्चे भिन्न-भिन्न गति से सीखते हैं हमारी कार्ययोजना इस महत्वपूर्ण बिंदु को ध्यान में रखकर बनाई जानी चाहिए
ReplyDeleteबच्चे बिभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं। उनकी समझ उसी अनुसार होती है। बच्चों को उनके रूचि अनुसार खेल खेल में या गतिविधि के माध्यम से सिखाने की आजादी मिलने से उनकी सीखने की गति तीव्र होती है।
ReplyDeleteविद्यालय में जब बच्चे विभिन्न परिवेश के आते हैं तो वे अपने साथ स्वयं के अनुभव, जानकारियां एवम समझ लेकर आते हैं। उनके सीखने की गति एवं क्षमता, उनके अपने अनुभव और उनकी आयु के अनुसार उनकी गतिविधियां का निर्धारण करते हैं।
ReplyDeleteअतः उन्हें उनके ही अनुसार आवश्यकता आधरित आनंददायी,प्रेरक और ज्ञानवर्धक अवसर प्रदान करके आगे बढ़ने का माहौल प्रदान करने से वे अत्यंत सरल और सहज तरीके से आगे बढ़ते हैं और उसके बाद धीरे धीरे अन्य ज्ञानों को खुद में समावेशित करते हैं।अतः यह जरूरी है कि सर्वप्रथम हमें उनके बारे में सबकुछ ठीक से जान लेना चाहिए ताकि हम उपचारात्मक कार्य करते हुए उन्हें आगे बढ़ने हेतु समुचित मौका दे सकें
बच्चे देश के भविष्य है और उनका सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना हम सभी शिक्षकों का कर्तव्य है।यह सच है कि हमारे विद्यालय में आने वाले बच्चे विभिन्न परिवेश से, उम्र में भिन्नता, आर्थिक और सामाजिक रूप से भिन्न परिवेश, भाषायी अन्तर जैसी भिन्नताएं लिए विद्यालय में प्रवेश करते है। यही कारण है कि उनकी समझ एक नहीं होता। सभी एक दूसरे से अलग होते हैं।ऐसी स्थिति में हम शिक्षकों की जिम्मेवारी/कर्तव्य हो जाता है कि प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता/गति को ध्यान में रखते हुए उन्हें उत्तरोत्तर आगे बढ़ावे ताकि वे अपनी कक्षा की दक्षता हासिल कर सकें।
ReplyDeleteRlsingh31 October 2021 at 23:24
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आता हैं।उनकी समझ उसी अनुसार होती है ।उनके आधार पर विभिन्न समझ भी होती है।इसी आधार पर वे विभिन्न गतिविधि का चयन करत हैं।
बच्चे अपने अभिभावक,परिवार,शिक्षक और समुदाय में बहुत कुछ सीखते हैं ।
ReplyDeleteबच्चों का सर्वांगीण विकास की प्रकार के बातों पर निर्भर करता है।सर्वप्रथम शिक्षक होने के नाते हमें बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझना होगा;तभी यह संभव हो पायेगा।हम यहाँ निम्नलिखित बातों का उल्लेख कर सकते हैं:--
ReplyDelete1)प्रत्येक बच्चा का अलग होना,
2)उनका पिछला अनुभव,
3)साथियों के साथ परस्पर संवाद,
4)आसपास के वातावरण के साथ संपर्क
5)बच्चों के सीखने के विभिन्न तरीके,
6)कक्षा में सीखने की गति,
7)संज्ञानात्ममक,भावनात्मक एवं मनोगत्यात्मक कौशल,
8)कक्षा की परिस्थिति,
9)खोजी प्रवृति,नवाचार,समस्या-समाधान,आत्मविश्वास आदि गुणों का समावेश
10)सीखने के रोचक अनुभव,
11)प्रतिक्रियात्मक और सहायक पारस्परिक संबंध,
12)अनुभावात्मक सीखने के लिए सृजनात्मक परिवेश,
13)सीखने के समग्र रूप की पहचान,
बच्चे अलग-अलग तरीकों से सीखते हैं इसलिए कक्षा में बच्चों को खेल खेल में शिक्षा गतिविधि चित्रकारी एवं बच्चों के रुचिकर तरीकों को अपनाएंगे।
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं. उनकी समझ उसी अनुसार होती है. उनके आधार पर विभिन्न समझ भी होती है. इसी आधार पर वे विभिन्न गतिविधि का चयन करते हैं.
ReplyDeleteबच्चे हमारे विधालय में विभिन्न परिवेश से आते हैं सभी बच्चे अलग अलग तरीकों से सीखते हैं। कक्षा में बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं एवं जरूरतों के अनुसार गतिविधियों का चयन कर सीखने का अवसर देना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों में सीखने की गति भिन्न होती है। अतः उन्हें विभिन्न गतिविधियों/खेलों जो उनके सीखने के अनुरूप हो,का समुचित अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteBachchen hamare Vidyalay men vibhinn pariwesh se aate hain har bachcha apne aap men vishesh hota hai bachchon ko unki ruchi ke anusar khel -khel men ya gatividhi ke madhyam se sikhane se bachchen tivbra gati se sikhte hain
ReplyDeleteबच्चे हमारे विद्यालय में विभिन्न परिवेश से आते हैं विभिन्न पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं और विभिन्न क्षमताओं वाले होते हैं हंसता हुआ अपने आप में अद्वितीय होते हैं उनकी संज्ञानात्मक क्षमता अलग होती है इसलिए हमें एक ही परिस्थिति में भिन्न भिन्न प्रकार के गतिविधियों द्वारा खेलो द्वारा उन्हें व अवसर प्रदान करना चाहिए जिससे उनका समग्र विकास हो सके और उनका अधिगम विकसित हो सके। इस कार्य में शिक्षक अभिभावक और स्वयं शिक्षार्थी की भूमिका वांछनीय है। भानु प्रताप मांझी उ उ वि चिपड़ी ईचागढ़ सरायकेला-खरसावां
ReplyDeleteAll children are different skills and knowledge so we should teach them very carefully and easily
ReplyDeleteHar bache me sikhne ki kshamta alag alag hoti hai isliye unhe sabse pale samjhna hota hai tab phir bar bar uske anusar sikhayenge Ums Barmasia shikaripara 8.11.2021
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चा अपने आप में अनोखा होता है ।वह विभिन्न परिस्थितियों से जूझ कर विद्यालय आता है ।उसके सीखने के अवसर ,उसकी सामाजिक स्थितियां अलग अलग होती है। फिर भी कुछ मायनों में वह बिल्कुल अलग होता है। विद्यालय में 1 शिक्षक का कर्तव्य होना चाहिए कि वह प्रत्येक बच्चे को सीखने के समान अवसर प्रदान करें। कक्षा में ऐसी स्थितियां उत्पन्न करें जिससे कि प्रत्येक बच्चा अपने स्थितियों अपने स्तर और अपनी गति के अनुसार सीख सकें।
ReplyDeleteअंजय कुमार अग्रवाल मध्य विद्यालय कोइरी टोला रामगढ़
सभी बच्चे अलग अलग परिवेश से आते हैं, हर बच्चा एक विशेष गुण के साथ अपना काम करते हैं, उनको सीखने का स्वतंत्र अवसर दिया जाना चाहिए, उनकी रूची के अनुसार खेल खेल में उन्हे अपनी भावना को संवाद द्वारा बोलने का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए, उन्हें अपनी बात कहने का पूरा अवसर प्रदान किया जाए जिससे वे डर के मौहोल से निकल कर सभी गतिविधियों में भाग ले सके ।
ReplyDeleteशशि हेमरोम
उत्कृमित मध्य विद्यालय चोगा सोनहातु रांची ।
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ReplyDeleteसभी बच्चे अलग होते है तथा सभी के सीखने की क्षमता अलग अलग होती है, बच्चे सीखने के लिए पूर्व ज्ञान का उपयोग करते है।
ReplyDeleteAll the students come to different society and different invironment so that take care according to their capacity and ability by the teacher.
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं।उनकी समझ उन्ही के अनुसार होती है ।उनके आधार पर विभिन्न समझ भी होती है।इसी आधार पर वे विभिन्न गतिविधि का चयन करते हैं।
ReplyDeleteबच्चे अलग अलग माहौल से विभिन्न प्रकार की जानकारियां हासिल करके आते हैं।फलतः उन्हें उनके ही अनुसार आवश्यकता आधरित आनंददायी,प्रेरक और ज्ञानवर्धक अवसर प्रदान करके आगे बढ़ने का माहौल प्रदान करने से वे अत्यंत सरल और सहज तरीके से आगे बढ़ते हैं और उसके बाद धीरे धीरे अन्य ज्ञानों को खुद में समावेशित करते हैं।अतः यह जरूरी है कि सर्वप्रथम हमें उनके बारे में सबकुछ ठीक से जान लेना चाहिए ताकि हम उपचारात्मक कार्य करते हुए उन्हें अग्रेतर बढ़ने का मौका दे सकें।
ReplyDeleteहर बच्चे विभिन्न परिवार,परिवेश, वातावरण, रुचि लेकर आते हैं । इसलिए हरेक का सीखने की प्रवृत्ति भी अलग-अलग होते हैं। शिक्षक को हमेशा भयमुक्त वातावरण बनाकर बच्चों के मन को जीत लेना चाहिए। बच्चे अपने मन का विचार तथा जिज्ञासा परस्पर आदान-प्रदान कर सके। हम शिक्षकों को बच्चों के मन की जिज्ञासा को दूर करने के लिए उचित सलाह या उत्तर देने के प्रति जागरूक होना होगा।
ReplyDeleteबच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं साथ ही उनकी दक्षता भी अलग- अलग-होती है।उनको आवश्यकता के अनुसार ज्ञानवर्धक अवसर देने से वे अत्यंत सरल और सहज तरीके से आगे बढ़ेंगे।
ReplyDeleteBacche vibhin pariwesh se aate hain. Atah gatividhiyon ka chayan unke anusar ho to we apna samajh jald viksit kar payenge.
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं।अतः उनके आवश्यकता अनुसार गतिविधिया होनी चाहिए जिससे सभी बच्चे सरलतापूर्वक अलग अलग ढंग से सीख सकें कि
ReplyDeleteप्रत्येक शिक्षार्थी अपने आप में अद्वितीय होता है । उसके सीखने की गति, क्षमता एवं तरीके भी भिन्न होते हैं। विभिन्न शोधों से यह बात पूर्णतः साबित हो चुकी है कि जब बच्चे सक्रिय रूप से भाग लेते हें तभी सीखते हें । इसलिए हमें उन्हें अधिक से अधिक कियाकलाप के अवसर प्रदान करना चाहिएshripati Singh Munda UHS CHIPRI ICHAGARH SARAIKELLA KHARSWAN
ReplyDeleteबच्चे हमारी विद्यालय में विभिन्न परिवेश से आते है। जिस कारण उनकी समझ में भिननताएं होती है। हम अपने विद्यालय में बच्चों के समझ के आधार पर गतिविधियों एवं जानकारी तय करते हैं।
ReplyDelete08:14
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं।अतः उनके आवश्यकता अनुसार गतिविधिया होनी चाहिए जिससे सभी बच्चे सरलतापूर्वक अलग अलग ढंग से सीख सकें कि
bachchon ka sarwangin vikas hona ati aawashyak hai tavi education ka leval uper uthega.
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न परिवेश से ,अलग-अलग गुणो़ से युक्त होते है।इनका ध्यान रखते हुए बच्च़ो का सर
ReplyDeleteवा़गीण विकास पर ध्यान देना चाहिए।
बच्चें हमारे विद्यालय में विभिन्न परिवेश से आते हैं। विभिन्न पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं और विभिन्न क्षमताओं वाले होते हैं,हंसता हुआ अपने आप में अद्वितीय होते हैं उनकी संज्ञानात्मक क्षमता अलग होती है। इसलिए हमें एक ही परिस्थिति में भिन्न भिन्न प्रकार के गतिविधियों द्वारा खेलो द्वारा उन्हें व अवसर प्रदान करना चाहिए जिससे उनका समग्र विकास हो सके और उनका अधिगम विकसित हो सके। इस कार्य में शिक्षक अभिभावक और स्वयं शिक्षार्थी की भूमिका वांछनीय है। KISHOR KUMAR ROY UHS.KATHGHARI DEVIPUR DEOGHAR
ReplyDeleteबच्च़ो के रुचि एवं पसंदका ख्याल रख कर प्रदर्शित एव़ं संभावित सृजन शक्ति का विकास करना।
ReplyDeleteBacchon ke ruchi ko dhyan me rakhkar gatividhi ka chayan karna behtar hoga.
ReplyDeleteझारखंड राज्य में भाषा में भी विभिन्नता है ऐसे में उनकी परिवेश जाति धर्म स्थान के साथ और भी प्रभावित होता है । जिसके कारण पठन-पाठन में अनेक तरह की विभि नता देखने को मिलती है । इसलिए बच्चों की रुझान को देखते हुए उनकी सक्रियता किस प्रकार बढ़ेगी। इस पर जरूर चिंतन करना चाहिए क्योंकि पठन-पाठन में गतिविधि जब शामिल किया जाता है। तब स्थान विशेष का भी ख्याल रखा जाता है तभी यह संभव हो पाता है कि सभी बच्चे एक आदर्श शिक्षण को प्राप्त कर पाते हैं ऐसे में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण है लेकिन उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण अभिभावक और उस क्षेत्र के वातावरण का प्रभाव वांछनीय है।
ReplyDeleteब्रह्मदत्त नायक
रा उ म वि कुलुकेरा सिमडेगा
Sabhi bachhe alag-alag parivesh she aate hain isliye unka anubhav,baudhik astar,seekhne ki kshamta,ruchi ityadi bhinna-bhinna hote gain.atah unhe seekhane ke liye samuchit mahaul uplabdh karana jaroori hai.
ReplyDeleteBachche hamare desh ke dharohar hain ye alag alag parivesh se aate hai .isiliye unke sikhane ka tarika bhi alag alag hota hai atah bachcho ki awashyakta aur jarurat on ke anusar gatibidhiyon ka chayan kar sikhane ka awasar dena chahiye
ReplyDeleteविद्यालय में बच्चे अलग-अलग परिवेश और अलग-अलग भाषा एवं आर्थिक पृष्ठभूमि से आते हैं ।बच्चे की सीखने की स्तर भी भिन्न-भिन्न होती है। तथा विद्यालय के परिवेश में सभी बच्चों को एक समान ढंग से सिखाने के लिए भाषा का ख्याल रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि बच्चे का घर का भाषा क्षेत्रीय भाषा के आधार पर हम बच्चों को ज्यादा आसानी से सिखा सकते हैं ।और विद्यालय के एक परिवेश में ढालकर समान रूप से शिक्षा दे सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न परिवेश से आलग-अलग तरह के बौधिक क्षमता वाले होते हैं।इनका ख्याल रखते हुए ज्ञान देना।
ReplyDeleteBachche hamare desh ke dharohar hain ye alag alag parivesh se aate hai .isiliye unke sikhane ka tarika bhi alag alag hota hai atah bachcho ki awashyakta aur jarurat on ke anusar gatibidhiyon ka chayan kar sikhane ka awasar dena chahiye.
ReplyDeleteBachchon ko unki chamta ke anusar sikhne ke awsar dene chahiye
ReplyDeleteBacchon ko unki chamta ke anusar sikhne ke awsar dene chahiye
ReplyDeleteविद्यालय में बच्चे विभिन्न परिवेश से आते है। उन सभी का सीखने की छमता भिन्न भिन्न होती है।उनकी दक्षता के अनुसार शिक्षा देनी चाहिए।
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं,अतः आवश्यकता के अनुसार गतिविधियां होनी चाहिए जिसे सरलतापूर्वक सीख सके।
ReplyDeleteVidyalay me bachche bivinna samajik paribesh se ate hain.Unke samajh bhi bivinna hoti hai.Unke samajh ke adhar par gatibidhi tay karna chahiye.
ReplyDeleteयह बिल्कुल सही है कि प्रत्येक बच्चा अलग होता है और उनके सीखने का तरीका भी अलग होता है,इसके लिए मैं प्रयास करूँगा कि मै प्रत्येक बच्चे पर अलग-अलग ध्यान दे सकूँ। में बच्चों के बैठने की व्यवस्था इस प्रकार करूँगा कि एक कमजोर छात्र एक तेज छात्र के साथ बैठे ताकि कक्षा के दौरान छात्र शिक्षक के साथ-साथ अपने सहपाठियों से भी सीख सके।
ReplyDeleteBachche vibhinn pariwesh se aate h isiliye unme vyaktigat vibhinnta payi jati h . Sabhi bachchon alag samajik,aarthik, aadhyatmik, etyadi maahol milta h tatha sabhi ki saririk kshamta bhi vinn hoti h. Isiliye bachchon ke pathan paathan prakriya ko prarambh krne se pehle in baaton ko dhyan me rakhna chahiye. Aur pathyakaram taiyaar krte waqt v in pehluwon ko dhyan me rakhna chahiye.
ReplyDeleteहां मैं मानती हूँ कि प्रत्येक बच्चा अलग है और उसके सीखने का तरीका भी अलग होता है।कक्षा में बच्चों के विभिन्न आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए आनंददायी,प्रेरक,ज्ञानवर्धक अवसर प्रदान करके आगे बढ़ने का माहौल प्रदान करने से बच्चे सहज तरीके से सीखते है।
ReplyDeleteबच्चे हमारे देश के भविष्य हैं। उनका सर्वांगीण विकास होना आवश्यक है।
ReplyDeleteहर बच्चा अपने आप में विशेष होता है।
बच्चों को उनके पृष्ठभूमि के अनुसार रुचिकर गतिविधि करानी चाहिए। गतिविधि का चयन आयु के अनुसार एवं उनके सीखने की ज़रूरत के अनुरूप होना चाहिए।रणजीत प्रसाद मध्य विद्यालय मांडू। रामगढ़
बच्चे विभिन्न परिवेश से आते हैं उनकी घर की भाषा विद्यालय की भाषा से भीम हो सकती है। बच्चों के परिवेश और भाषा को ध्यान में रखते रखते हुए गतिविधियों का चयन किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न परिवेश से आते हैं उनकी घर की भाषा विद्यालय की भाषा से भिन्न हो सकती है। बच्चों के परिवेश और भाषा को ध्यान में रखते हुए गतिविधियों का चयन किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteThere are different students which belong to various cultures so we should select according to their understanding.
ReplyDeleteहमारे विधालय में विभिन्न परिवेश से आते है.हर बच्चे अपने आप में विशेष होतें है.गतिविधि या खेल खेल में सीखने से अधिगम क्षमता बढता है.
ReplyDeleteEvery child is different and unique.His skill,knowledge, interest, learning level and environment all are different from each other.So we should apply different types of activities during learning according to their interest,culture environment,avaible resources and learning level of children. ANIL KUMAR GUHS LOTWA PALKOT GUMLA
ReplyDeletePrateyek baccha alag hai aor sikhne ka tarika alag hai.Han ise main manti huin ki bacchon ki vibhin awasyakta ko pura karne ke liye bacchon ki ruchi ke anusar sikhne ka awser deker vibhin tarah ki gatividhiyan jaise khel,kala,khoj,sangit adi dwara,apas mein chercha karke ,bhaymukt holer sikh sakte hain.
ReplyDeleteकक्षा में बच्चों के विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उन्हें विभिन्न प्रकार की गतिवधियों का अवसर दे कर उनकी रुचि का पता लगाएंगे और उसे पूरा करेंगे।
ReplyDeleteStudents belong to different kinds of families having different socio-economic status. Students posses different learning tendency as well as capabilities. Each student learn objectives and in specific ways. Teachers are required to deal teachings in the mode of facilitator. Teachers have to select teaching method, teaching equipment for concerned student. *****Acharya Rajendra Prasad I/c HM UMS Upperloto, Latehar
ReplyDeleteHamare vidyalay me vibhinna parivesh se bachche aate hai.Unki samajh bhi alag alag hoti hai.Ataha hame gatividhiyon ka chayan bhi unki samajh ke anurup hi karna chahie.
ReplyDeleteविद्यार्थी अपने विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं। अतः उनके गुणों एवं समझ के आधार पर गतिविधियों का चयन किया जाना चाहिए। तथा सीखने के भरपुर अवसर मिले ।
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न परिवेश से विद्यालय आते हैं। हर बच्चे अपने आप में खास होते हैं । बच्चे अपने साथ कुछ न कुछ अनुभव लेकर विद्यालय आते हैं उसी अनुभव को आधार बनाकर बच्चों को सिखाना चाहिए। गतिविधि का चयन ऐसा करना चाहिए की बच्चों की रुचि के अनुसार हो । हर बच्चे खोजी प्रवृत्ति के होते हैं इसको ध्यान अवश्य देना चाहिए । बच्चों को स्वयं करने की ओर अग्रसर करना चाहिए। परस्पर संवाद बच्चों में होना चाहिए इससे बच्चे बहुत कुछ सीख सकते हैं। गतिविधि करवाते समय यह ध्यान देना चाहिए कि बच्चे किस परिवेश से आ रहे हैं ऐसे में गतिविधि के द्वारा बच्चों को सीखने में आसानी होगी तथा सीखने का भरपूर अवसर मिलेगी। इन
ReplyDeleteWe should've deal with different level students with different pattern.Only then they can understand the content accordingly
ReplyDeleteAs we know that we have students from different categories.so we have to try our best to improve their learning competency.
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते है। प्रत्येक बच्चा स्वंय मे विशेष होता है। उनके सीखने का तरीका भी अलग - अलग होता है। यदि उनकी क्षमता और कार्यशैली के अनुरूप शिक्षण व्यवस्था की जाए तो बच्चे तेजी से सीखेंगे और उनका शिक्षण से लगाव भी बढ़ेगा।
ReplyDeleteहमारे विद्यालय के बच्चे अलग अलग सामाजिक परिवेश से आते हैं। अतः उनके गुणों और समझ के अनुसार गतिविधियों का चयन होना चाहिए।
ReplyDeleteसभी बच्चे एक जैसे नहीं होते हैं, वे सभी अलग अलग बुद्धि संपन्न होते हैं इसलिए वे भिन्न भिन्न तरीके से सीखते हैं।उन्हें वर्ग में उन सभी अवसर प्रदान करने। है जिससे वे अनुभव से, चीजे बनाकर,प्रयोग द्वारा, पढ़कर, सोचकर, समझ कर,सुनकर, पूछ कर, चर्चा कर, खेलकर और अपने आप को लेखन अथवा हाव भाव द्वारा व्यक्त कर सीख सकें
ReplyDeleteएक ही समाज में परिवेश और परिस्थितियों की भिन्नता के कारण बच्चों की सीखने की गति में भिन्नता हो सकती है।इसलिए उन्हें अलग अलग अवसर एवं अनुभव देने से बच्चों को सीखने में आसानी होती है।विद्यालय में उनके प्रयोग एवं भावनाओं की सराहना मिलने से वे बेझिझक सीखने को अभिप्रेत होते हैं।
ReplyDeletePrimary level pe bacche alag alag parivesh se atte hain. Har bacche mein sikhne ki gati alag hoti hai.unhe unke level ke anusar hi avsar ar anubhav dene chahiye. Unhe alag alag vidhi ex.rango ke sath ya fir khel khel ya fir anya ruchikar tarike se sikhane chahiye.
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे अपने आप में अद्वितीय होते हैं बच्चों के सीखने की गति क्षमता एवं सीखने के तरीके अलग होते हैं अनेक शोधों से यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि बच्चे जब सक्रिय रुप से भाग लेते हैं तो अवश्य सीखते हैं अतः बच्चों को अधिक से अधिक क्रियाकलाप हेतु अवसर प्रदान करना चाहिए
ReplyDeleteWastav me bachchon ki ruchiyon ko dhyan me rakh kr uske samajh ke anurup hum class ke watawaran ka nirman karenge aur unse saral tarike se baat -chit kr,khel aur gatiwidhiyon ko samil kr tatha dostana wyawahar kr unki seekhane ki jaruraton ko pura kr payenge...aisa mera wichar hai..saath hi unke sthaniyata tatha matribhasha ko v gatiwidhiyon me sthan denge to unka judaw nihsandeh bana rahega....
ReplyDeleteWe have to pay attention to all the students coming from different categories.
ReplyDeleteबच्चे हमारे देश के भविष्य है|इसलिए उनका सर्वागीण विकास जरूरी है|
ReplyDeletePrimary level mein bacche alag alag parivesh se atte hain.Har bacche mein sikhne ki gati alag alag hoti hai. Unhe unke level ke anusar hi avsar ar anubhav dene chahiye. Unhe alag alag vidhi ar sikhne ki jigyasa ke anusar alag alag tarike jaise rango ya khel ke dwara ya physically kisi chig ko Dikha kr unki ruchi ko dhyan mein rakh kr age badhna ke liye prarit krna chaiye.
ReplyDeleteबच्चे हमारे विद्यालय में विभिन्न परिवेश से आते हैं जिस कारण उनकी समझ में भिन्नताऐं होती है उनकी सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होंगी कुछ बच्चे किसी चीज को जल्दी समझ लेते हैं और कुछ बच्चे किसी चीज को समझने में
ReplyDeleteकाफी समय लेते हैं अतः हमारा प्रयास होगा कि बच्चे को उनकी आवश्यकता के अनुसार शिक्षा प्रदान करने का प्रयास किया जाएगा । उनकी सीखने की क्षमता भी अलग होगी कुछ बच्चे किसी चीज को जल्दी समझ लेते हैं और कुछ बच्चे उसी चीज को समझने में काफी समय लेते हैं अतः हमारा प्रयास होगा कि बच्चे बच्चे को उनकी आवश्यकता के अनुसार शिक्षा प्रदान करने का प्रयास किया जाएगा ।
Ha pratek bachha alag hai aur unke sikhne Ka tarika bhi alag hota hai.kachha me bachho ki vibhinna awasakta ko pura karne ke liya bachho ki vividata ko dhyan me rakh kar kiya jayega.
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