कक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण या मुद्दे क्या होगा और क्यों?
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Class ke anussarall students ka age brabar nahi hona samaan sekhane ki i q samaan brabar nahi hona.
ReplyDeleteगणित की छोटी मोटी गतिविधि से विकासात्मक लक्ष्य को पाया जा सकता है।इसमें गतिवधि में खिलौने, कागज के टुकड़े,कंकड़,फूल,पती ,पुराने समान का उपयोग के करने से विकासात्मक लक्ष्य पाने में मदद मिलेगी।
DeleteClass me vikasatamak lakshyo ki prapti me chunautipurn muddon me bachhon ki aniyamit upasthiti,parents ka help na milna,bhasha aadi ho sakate hai.
DeleteMudaran samridha adhigam ke antergat niman prakar ke paitarnbanwane ka watavaran ka nirmaan kar sakate hai.
ReplyDeleteMudaran samriddha adhigam ke antergat niman prakar ke paitranwane ka watavaran ka nirman kar sakte hai.
DeleteClass ke anussarall students ka age brabar nahi hona samaan sekhane ki i q samaan brabar nahi hona.Mudaran samridha adhigam ke antergat niman prakar ke paitarnbanwane ka watavaran ka nirmaan kar sakate hai.
ReplyDeleteI can develop the interest and memory power with the help of story telling method, playing and dancing and toys among the children
ReplyDeleteमैं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए रुचिकर कहानियों का सहायता ले सकता हूँ।साथ ही खेल-2 के माध्यम से एवं खिलौने के द्वारा आदि माध्यमों से बुनियादी साक्षरता को मजबूती प्रदान कर सकते है।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteचुनौती यह होगी कि सरकारी विद्यालय के बच्चे जो कक्षा KG और कक्षा 1 में हैं,उनकी उपस्थिति प्रतिदिन नहीं रहने से बाधा उत्पन्न होगी सिखाने में,और इस आयु के बच्चों के माता - पिता भी उपस्थिति पर अधिक ध्यान नहीं देते, भले ही हम शिक्षक इस दिशा में लगातार प्रयासरत रहते हों। भाषा की दिक्कतें भी हैं।लेकिन मनोरंजकता बनाए रख कर चुनौती को कम करने की कोशिश मेरी जारी रहेगी।
ReplyDeleteChunauti yah hogi ki sarkari biddhalaya ke bacche jo kaksha KG aur kaksha1me hai unki upastithi pratidin nahi rahne se badha utpann hogi sikhane me aur is aayu ke bacchon ke mata pita bhi upastithi par adhik dhyan nahi dete bhale hi hum shikshak is disha me lagatar prayasarata rahte ho bhasha ki dikkate bhi hai lekin manoranjakta banay rak kar chunouti ko kam karne ki koshish meri jari rahegi
Deleteबच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए कक्षा का वातावरण रुचिकर और भयमुक्त होना चाहिए। कक्षा में अलग-अलग परिवेश , उम्र, बुद्धि वाले बच्चे आते है। उनको खेल-खेल, गतिविधि आधारित शिक्षा के माध्यम से उनकी बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान को मजबूत किया जा सकता है।
Deleteचुनौती यह होगी कि सरकारी विद्यालय के बच्चे जो कक्षा KG और कक्षा 1 में हैं,उनकी उपस्थिति प्रतिदिन नहीं रहने से बाधा उत्पन्न होगी सिखाने में,और इस आयु के बच्चों के माता - पिता भी उपस्थिति पर अधिक ध्यान नहीं देते, भले ही हम शिक्षक इस दिशा में लगातार प्रयासरत रहते हों। भाषा की दिक्कतें भी हैं।लेकिन मनोरंजकता बनाए रख कर चुनौती को कम करने की कोशिश मेरी जारी रहेगी।
DeleteI am agree to your thougt.we should be make good relationship with child and his family members to understand their needs andlackness.
Deleteकक्षा में कम बुद्धिमता और तीव्र बुद्धिमता वाले बच्चे होते हैं तथा एक बराबर उम्र के बच्चे भी नही होते हैं।इसलिए मैं कहानी सुनाने,खेल,नृत्य,तथा बच्चों में खिलौनों की सहायता से रुचि और स्मरण शक्ति का विकास करने का प्रयास कर सकता हूं।
ReplyDeleteविधालय मे बच्चो के साथ मै गतिवधि 03को कराकर बच्चो को गणित कि बुनियादी कौशलोका विकास विकसित करने मे मदद कर सकते है
ReplyDeleteविद्यालय में कम बुद्धिवाला और तीब्र बुद्धिवाला दोनों ही प्रकार के बच्चे होते हैं. इसमें एक समान उम्र के बच्चे भी नहीं होता. इसलिए मैं बच्चों को कहानी, khel, नृत्य तथा खिलौने की सहायता से रूचि और स्मरण शक्ति का विकाश करने का प्रयास कर सकता हूँ.
ReplyDeleteGanit ki chhoti chhoti gatividhi Karke Vikas atmak lakshya ko paya ja sakta hai
Deleteविद्यालय मे बच्चों को गतिविधियों के माध्यम से चीजों की तुलना छोटा-बड़ा ,चीजों की वर्गीकरण, शरूवाती ध्वनि अक्षरोंं से शब्द बनाना आदि सिखा कर बुनियादी कौशलों का विकास किया जा सकता है।
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण या मुद्दे निम्नलिखित हो सकते हैं:--
ReplyDelete01) सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते हैं अर्थात व्यक्तिगत भिन्नता,
02)बच्चों की नियमित उपस्थित,
03)बच्चों के घर/परिवेश में पर्याप्त प्रिंट संसाधनो का अभाव,
04)प्रारंभिक अवस्था में सर्वांगीण विकास के अवसर की कमी,
05)शिक्षकों के कार्यक्षमता में विभेद,
06)माता-पिता/अभिभावकों में सार्थक साक्षरता एवं बेहतर देखभाल की कमी,
07)अन्य कई परिवारिक,सामाजिक,आर्थिक,सांस्कृतिक,विद्यालय स्तरीय समस्यायें जो येन-केन जिम्मेदार हो सकते ।बहुत-बहुत धन्यवाद।
कौशल किशोर राय,
सहायक शिक्षक,
उत्क्रमित उच्च विद्यालय पुनासी,
शैक्षणिक अंचल:- जसीडीह,
जिला:- देवघर,
राज्य:- झारखण्ड
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का मुख्य ध्येय बच्चों का सर्वागींण विकास है। इसके अंतर्गत कुछ विकासात्मक लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं।जिनकी चुनौतीपूर्ण मुद्दे निम्नलिखित हो सकते हैं।
ReplyDelete1•बच्चों के स्वास्थ्य एवं खुशहाली को बनाये रखने के लिए बच्चों के शारीरिक या गत्यात्मक विकास, सामाजिक-भावनात्मक विकास आदि चुनौतीपूर्ण मुद्दे हैं। जैसे कि मौखिक और ग़ैर मौखिक तरीकों से स्वयं की अभिव्यक्ति करना, स्वतंत्र रुप से गतिविधियां करना,स्वच्छता संबंधी आदतों के विकास करना, समस्याओं का समाधान करना और आयु के अनुरूप स्वयं को समायोजित करना आदि।
2• बच्चों के बोलने के लिए प्रोत्साहित करना एवं उसे निरंतर बोलने के अवसर देना अत्यधिक ध्यान देने वाला कार्य होता है। बच्चों के माता पिता के साथ बातचीत कर उन्हें अपने बच्चों के साथ बोलने के अवसर देने के लिए कहना एवं विद्यालय स्तर पर भी शिक्षक को यह देखना होता है कि सभी बच्चों को सम्प्रेषण के उचित अवसर मिल रहा है कि नही।
3•बच्चों को अपने परिवेश से विभिन्न प्रकार की आकृतियों, रंगों, नमूने,स्थान आदि की पहचान कर ज्ञान अर्जित करना भी अति आवश्यक है।अपने सभी ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से विभिन्न वस्तुओं के बारे में चर्चा करना, वर्गीकरण करना, निष्कर्ष निकलना आदि।
सरकारी विद्यालय के बच्चे जो कक्षा KG और कक्षा 1 में आते हैं,उनको सिखाने में बहुत बड़ी चुनौती है उनकी उपस्थिति प्रतिदिन नहीं रहने से बाधा उत्पन्न होगी सिखाने में,और इस आयु के बच्चों के माता - पिता भी उपस्थिति पर अधिक ध्यान नहीं देते, भले ही हम शिक्षक इस दिशा में लगातार प्रयासरत रहते हों। भाषा की दिक्कतें भी हैं।लेकिन मनोरंजकता बनाए रख कर चुनौती को कम करने की कोशिश मेरी जारी रहेगी।
ReplyDeleteKaksha mein vikasatmak lakshya ki prapti mein chunautipurn muddon mein bachchon ki aniyamit upasthiti, abhibhavak ka sahyog na milna ,bhasha aadi ho sakate hain.ln muddon ke hote huye bhi sikshak bachchon ko kahaani,khel,niritya tatha khilauno ki sahaita se lakshya prapt kar sakte hain. MD SALAHUDDIN , Urdu PS Balika ena Islampur Jharia-1
Deleteबच्चों की अनियमित उपस्थिति,अभिभवको का सहयोग न् मिलना,भाषा इत्यादि दिक्कतें हो सकती हैं।
ReplyDeleteकक्षा में विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति में चुनौतीपूर्ण क्षण विभिन्न पहलुओं से जुड़ी नकारात्मक विचार प्रक्रियाओं और भावनाओं को समझाने और व्यक्त करने में कठिनाई होती है । शारीरिक स्वास्थ्य के मुद्दे , संवेदी समस्याएं , बौद्धिक अक्षमता , भाषायी कौशल , विभिन्न आयुवर्ग में सीखने के स्तर , अभिभावक से सहयोग न मिल पाना ,आक्रामक व्यवहार जैसी चुनौतीपूर्ण क्षण बच्चे के सर्वांगीण विकास में बाधा उत्पन्न करती है । इन सारी चीजों को ध्यान में रखते हुए मैं बच्चों के विकासात्मक लक्ष्य की प्राप्ति कर सीखने के अनुभव प्रदान करेंगे । ... धन्यवाद ।
ReplyDeleteसुना राम सोरेन (स.शि.)
प्रा.वि.भैरवपुर,धालभूमगगढ़ ।
पूर्वी सिंहभूम , झारखंड ।
बच्चों की नियमित उपस्थिति नहीं होने और अभिभावकों का सहयोग न मिलने तथा बौद्धिक क्षमता अलग अलग होने आदि दिक्कतें हो सकती है।
DeleteClass me seekhte samay aayu budhi kshamta ka alag astar aur samajeek parivesh chunavtipurn ho sakte hain pr gatividhi ko sameel kr lakshya prapt kiya ja sakta hai
ReplyDeleteRochak gatividhi dwara lakshya prapt kiya ja sakta hai
ReplyDeleteNice content and good for students
ReplyDeleteGanit keep choti moti gatividhi ke liye kankerketukre fool fal etiyadi
ReplyDeleteRastiye sikhschhs niti 2020 ka mukh dhyeh bacho ka vikash ho
ReplyDeleteरोचक और ज्ञानवर्धक गतिविधियों से बच्चों को लक्ष्य की प्राप्ति कराया जा सकता हैं।
ReplyDeleteविद्यालय मे बच्चों को गतिविधियों के माध्यम से चीजों की तुलना छोटा-बड़ा ,चीजों की वर्गीकरण, शरूवाती ध्वनि अक्षरोंं से शब्द बनाना आदि सिखा कर बुनियादी कौशलों का विकास किया जा सकता है।रोचक और ज्ञानवर्धक गतिविधियों से बच्चों को लक्ष्य की प्राप्ति कराया जा सकता हैं।
ReplyDeleteKaksha Mein Sabhi vikasatmak Lakshman se sambandhit sikhane ke Anubhav Pradhan karte samay sabse chunauti purn Chand yah mudde nimnalikhit ho sakte hain pahla Sabhi bacche Ek Jaise Nahin ho sakte hain dusra bacchon ki niyamit upsthit the Teesra bacchon ke ghar parivesh mein prayukt sansadhanon Ka abhav chautha prarambhik avastha Mein sarvadhik Vikas ke avsar ki Kami Mata Pita abhibhavak Mein Behtar dekhbhal ki Kami tatha parivarik Samajik Arthik sanskritik Vidyalay Stri samasya Jo Koi bhi taiyar ho sakte hain
ReplyDeleteअसमान बुद्धि और उम्र के कारण चुनौती उत्पन्न होती है, इसे रोचक और ज्ञानवर्धक गतिविधियों के द्वारा बच्चों मे लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है
ReplyDeleteअसमान बुद्धि और उम्र के कारण चुनौती उत्पन्न होती है, इसे रोचक और ज्ञानवर्धक गतिविधियों के द्वारा बच्चों में लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है।
ReplyDelete
ReplyDeleteकक्षा में कम बुद्धिमता और तीव्र बुद्धिमता वाले बच्चे होते हैं तथा एक बराबर उम्र के बच्चे भी नही होते हैं। असमान बुद्धि और उम्र के कारण चुनौती उत्पन्न होती हैविद्यालय मे बच्चों को गतिविधियों के माध्यम से चीजों की तुलना छोटा-बड़ा ,चीजों की वर्गीकरण, शरूवाती ध्वनि अक्षरोंं से शब्द बनाना आदि सिखा कर बुनियादी कौशलों का विकास किया जा सकता है। फिर भी रोचक और ज्ञानवर्धक गतिविधियों से बच्चों को लक्ष्य की प्राप्ति कराया जा सकता हैं।
विद्यालय मे बच्चों को गतिविधियों के माध्यम से चीजों की तुलना छोटा-बड़ा, चीजों की वर्गीकरण, शरूवाती ध्वनि अक्षरोंं से शब्द बनाना आदि सिखा कर बुनियादी कौशलों का विकास किया जा सकता है.रोचक और ज्ञानवर्धक गतिविधियों से बच्चों को लक्ष्य की प्राप्ति कराया जा सकता हैं। bhanu Pratap Manjhi. UHS CHIPRI. ICHAGARH, SERAIKELLA-KHARSWAN. JHARKHAND
ReplyDeleteAsikshit parents & bachchon ki jhijhakpan etc se gyan dene me challenge Aa sakta hai.
ReplyDeleteअसमान बुद्धि और उम्र के कारण चुनौती उत्पन्न होती है इसे रोचक और ज्ञानवर्धक गतिविधियों द्वारा बच्चों के व विकासात्मक लक्ष्य को प्राप्त की जा सकती है ।
ReplyDeleteBachchon ke sarvangin vikas ke liye manoranjak aur gyanvardhak gatividhiya atyant mahatvapurna hai. Bachchon me sikhne ke prati aakarshan badhane ke liye khel vidhi, kahani Sunana aur unki ruchi ke anusaar gatividhiyon dwara lakshya ki prapti ki ja sakti hai.
ReplyDeleteGanit ki CHOOTI chooti gatividhi se vikasatmak lakshya ok papt kiya ga sakta hai.Is lakshya ke prapti me kagaz ke tukde,kankad,khilaune aur tarah tarah ke phool patti se is lakshya ko prapt karne me sahayata hoti hai.
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण या मुद्दे बच्चों की मानसिका, शारिरिक छम्ता, स्वभाव, रुचि, लश्या आदि होगा|
ReplyDeleteसरकारी विद्यालय के बच्चे जो कक्षा 1में आते हैं,उनको सिखाने में बहुत बड़ी चुनौती है उनकी उपस्थिति प्रतिदिन नहीं रहने से बाधा उत्पन्न होगी सिखाने में,और इस आयु के बच्चों के माता - पिता भी उपस्थिति पर अधिक ध्यान नहीं देते, भले ही हम शिक्षक इस दिशा में लगातार प्रयासरत रहते हों। भाषा की दिक्कतें भी हैं।लेकिन मनोरंजकता बनाए रख कर चुनौती को कम करने की कोशिश मेरी जारी रहेगी।
ReplyDelete
ReplyDeleteइस प्रकार की विशेषताएं जो केजी सरकारी और कक्षा 1 में बनाई गई हैं, आयु वर्ग के हिसाब से खराब होगी, और आयु के हिसाब से माता-पिता भी इस तरह की गणना करेंगे, इसलिए हम शिक्षक हैं। इस तरह की कोशिश करें। शांत रहने के दौरान भी.
Premlata devi
G.M.S Pancha Ormanjhi Ranchi
चुनौती यह होगी कि सरकारी विद्यालय के बच्चे जो कक्षा KG और 1 में हैं, उनकी उपस्थिति प्रतिदिन नहीं रहने से बाधा उत्पन्न होगी सिखाने में, और इस आयु के माता पिता भी उपस्थिति पर अधिक ध्यान नहीं देते, भले ही हम शिक्षक इस दिशा में लगातार प्रयास करते रहते हैं। भाषा की दिक्कतें भी हैं। लेकिन मनोरजंकता बनाए रखकर चुनौती को कम करने की कोशिश मेरी जारी रहेगी।
ReplyDeleteचुनौती यह होगी कि सरकारी विद्यालय के बच्चे जो कक्षा KG और 1 में हैं, उनकी उपस्थिति प्रतिदिन नहीं रहने से बाधा उत्पन्न होगी सिखाने में, और इस आयु के बच्चो के माता पिता भी उपस्थिति पर अधिक ध्यान नहीं देते, भले ही हम शिक्षक इस दिशा में लगातार प्रयास करते रहते हैं। भाषा की दिक्कतें भी हैं। लेकिन मनोरंजकता बनाए रखकर चुनौती को कम करने की कोशिश मेरी जारी रहेगी।
ReplyDeleteविद्यालय मे बच्चों को गतिविधियों के माध्यम से चीजों की तुलना छोटा-बड़ा ,चीजों की वर्गीकरण, शरूवाती ध्वनि अक्षरोंं से शब्द बनाना आदि सिखा कर बुनियादी कौशलों का विकास किया जा सकता है।रोचक और ज्ञानवर्धक गतिविधियों से बच्चों को लक्ष्य की प्राप्ति कराया जा सकता हैं।
ReplyDeleteमैं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए रुचिकर कहानियों का सहायता ले सकता हूँ।साथ ही खेल-2 के माध्यम से एवं खिलौने के द्वारा आदि माध्यमों से बुनियादी साक्षरता को मजबूती प्रदान कर सकते है।
कक्षा में बच्चों में विकासात्मक लक्ष्य हासिल करने में निम्नलिखित चुनौतियाँ आ सकती हैं:
ReplyDelete1- सरकारी विद्यालय में बच्चे कक्षा 1 में आते है।पूर्व प्राथमिक कक्षा आंगनबाड़ी केंद्र में जाते हैं।दोनों में समन्वय स्थापित करना चुनौतीपूर्ण होगा।
2- अभिभावकों को भी काफ़ी महत्वपूर्ण भुमिका निभानी होगी।
मु॰ अफ़ज़ल हुसैन
उर्दू प्राथमिक विद्यालय मंझलाडीह, शिकारीपाड़ा , दुमका, झारखंड।
Bachcho ke bikasatmak lakshya se sambandhit unhe sikhne ke awsar pradan karne me mukhya rup se bachcho ki asamanta,unki aniyamitta,unki umra,unke mata-pita ki niraksharta ewam shikshako ki karyashaili hi chunotiya hai.
ReplyDeleteएक ही कक्षा में विभिन्न स्तर के बच्चे होते हैं। किसी गतिविधि को करने में सभी बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करना। अनियमित उपस्थिति। कुछ ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
ReplyDeleteबच्चों की अनियमित उपस्थिति , अभिभावकों का सहयोग न मिलना भाषा इत्यादि दिक्कतें हो सकती है। ऱोचक और मनोरंजक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों की लक्ष्यो की प्राप्ति कराता जा सकता है।
ReplyDeleteBacchon ko Chitra dwara sikhane sikhane ki vidhi
ReplyDeleteएक ही कक्षा में विभिन्न स्तर के बच्चे होते हैं किसी गतिविधि को करने में सभी बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करना ।रोचक और मनोरंजन गतिविधियों के माध्यम से बच्चों की लक्ष्यों की प्राप्ति कराया जा सकता है।
ReplyDeleteछात्रों के सभी विकासात्मक लक्ष्य को प्राप्त करने में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अलग-अलग सामाजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के मध्य तालमेल बिठाते हुए एक साथ समरूप शिक्षण के विकासात्मक लक्ष्य को प्राप्त करना । नियमित एवं नियमित रूप से विद्यालय आने वाले छात्रों के अधिगम एवं विकासात्मक लक्ष्य को बिना किसी बाधा के प्राप्त करना।
ReplyDeleteमैं बच्चों में सभी तरह के विकास के लिए अच्छे कहानियों का सहयोग ले सकता हूँ|रोचक और रूचिकर गतिविधियों से बच्चों को लक्ष्य की प्राप्ति कराया जा सकता है|उमेश चंद्र साह,दुमका झारखंड
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने की अनुभव प्रदान करते समय हमें बहुत सी चुनौतियां का सामना करना पड़ता है । जैसे-प्रत्येक बच्चों में सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है, उनका पारिवारिक परिवेश भी सीखने की क्षमता को प्रभावित करता है,भाषा संबंधी चुनौती भी सामने रहती हैं,सीखने-सिखाने के लिए आवश्यक एवं पर्याप्त संसाधनों की कमी होती है,सभी बच्चों को सीखने की गतिविधि में भाग लेने के पर्याप्त अवसर मिलने में कठिनाई होती है,उनकी संप्रेषण क्षमता अलग-अलग होने के कारण आकलन करने में कठिनाई हो सकती है।इन सभी चुनौतियों को हम विविधता पूर्ण योजना बनाकर और उसे लागू कर सभी विकासात्मक लक्ष्यों को पूर्ण कर सकते हैं।
ReplyDeleteकक्षा में विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति में चुनौतीपूर्ण क्षण विभिन्न पहलुओं से जुड़ी नकारात्मक विचार प्रक्रियाओं और भावनाओं को समझाने और व्यक्त करने में कठिनाई होती है । शारीरिक स्वास्थ्य के मुद्दे , संवेदी समस्याएं , बौद्धिक अक्षमता , भाषायी कौशल , विभिन्न आयुवर्ग में सीखने के स्तर , अभिभावक से सहयोग न मिल पाना ,आक्रामक व्यवहार जैसी चुनौतीपूर्ण क्षण बच्चे के सर्वांगीण विकास में बाधा उत्पन्न करती है । इन सारी चीजों को ध्यान में रखते हुए मैं बच्चों के विकासात्मक लक्ष्य की प्राप्ति कर सीखने के अनुभव प्रदान करेंगे । ... धन्यवाद ।
ReplyDeleteकक्षा में विकासात्मक लक्ष्य से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय चुनौतीपूर्ण क्षण हो सकते हैं जैसे --(1)बच्चों का ग्रुप विभाजन करें और ध्यान दें कि उनमें किसी प्रकार का भेदभाव ना हो| (2) बच्चों को वस्तुएं इकट्ठा करने को कहें|(3) बच्चे सीखने की प्रक्रिया में शिक्षक की निगरानी में रहें जिससे किसी तरह के छोटे-बड़े घटनाएं ना हो|(4) जो बच्चे शिक्षा के निर्देश का पालन करते हैं उन्हें कम बुद्धि वाले बच्चों की सहायता करने को प्रेरित करें जिससे कम बुद्धि वाले बच्चे को उत्साह मिले एवं आपस में घुल- मिलकर रह सकें|(5) वे अपने मित्रों की सहायता से वस्तुओं की सही पहचान एवं प्रयोग के महत्व को समझें| साथ ही अपने घर में भी वस्तुओं के संबंध और वर्गीकरण के महत्व को समझें |वस्तुओं को सही जगह पर रखने का अभ्यास हो |(7) बच्चे की अनुपस्थिति से होने वाले कमी को पूरा करने के लिए शिक्षक पाठ्यक्रम में आगे बढ़ने के पहले बच्चे के पूर्व-ज्ञान की जांच करें|(8) शिक्षक बच्चों के प्रति धैर्य एवं सहनशील बनें| वे कभी-कभी विद्यालय में अभिभावक बुलाकर बच्चों,शिक्षकों के साथ आपसी संबंध को मजबूत करें |
ReplyDeleteधन्यवाद |
शिक्षिका
पुष्पा तेरेसा टोप्पो
ख्रीस्त राजा मध्य विद्यालय,
चंदवा,लातेहार -829203
विद्यालय में बच्चों को गतिविधियों के माध्यम से चीजों की तुलना छोटा बड़ा चीजों का वर्गीकरण शुरुआती ध्वनि अक्षरों से शब्द बनाना आदि सिखा कर बुनियादी कौशलों का विकास किया जा सकता है एवं रोचक और ज्ञानवर्धक गतिविधियों से बच्चों को लक्ष्य की प्राप्ति कराया जा सकता है।
ReplyDeleteविद्यालय में बच्चों को गतिविधि के माध्यम से चीजों की तुलना छोटा बड़ा चीजों का वर्गीकरण शुरुआती ध्वनि अक्षरों से शब्द बनाना आदि सिखा कर बुनियादी कौशलों का विकास किया जा सकता है एवं रोचक और ज्ञानवर्धक गतिविधियों से बच्चों को लक्ष्य की प्राप्ति कराया जा सकता है
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण या मुद्दे निम्नलिखित हो सकते हैं:--
ReplyDelete01) सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते हैं अर्थात व्यक्तिगत भिन्नता,
02)बच्चों की नियमित उपस्थित,
03)बच्चों के घर/परिवेश में पर्याप्त प्रिंट संसाधनो का अभाव,
04)प्रारंभिक अवस्था में सर्वांगीण विकास के अवसर की कमी,
05)शिक्षकों के कार्यक्षमता में विभेद,
06)माता-पिता/अभिभावकों में सार्थक साक्षरता एवं बेहतर देखभाल की कमी,
07)अन्य कई परिवारिक,सामाजिक,आर्थिक,सांस्कृतिक,विद्यालय स्तरीय समस्यायें जो येन-केन जिम्मेदार हो सकते ।बहुत-बहुत धन्यवाद।
Rochak gatividhi dwara lakhya prapt kiya ja sakta hai
ReplyDeleteविद्यालय में बच्चों के विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण होगा, बच्चों की बुनियाद साक्षरता के प्रति प्रभावशाली संप्रेषक बनाने हेतु, उनमें संवाद करने की क्षमता, स्वयं को वयक्त करने की क्षमता, दुसरो को समझने एवं समस्या को हल करने का चुनौतीपूर्ण क्षण होगा |जिसे हम सीखने की क्रिया को गतिविधियों के माध्यम से रूचिकर बनाकर हल कर सकते हैं|
ReplyDeleteगणित की छोटी मोटी गतिविधि से विकासात्मक लक्ष्य को पाया जा सकता है।इसमें गतिवधि में खिलौने, कागज के टुकड़े,कंकड़,फूल,पती ,पुराने समान का उपयोग के करने से विकासात्मक लक्ष्य पाने में मदद मिलेगी
ReplyDeleteकक्षा में सभी को विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए बच्चों को गतिविधियों द्वारा सिखाया जा सकता है।
ReplyDeleteChunouti purn mudde:Bachhon main vyaktigat bhinna, Sikshakon main karyakshamta vibhed aur Abhivabhakon main saksharta ki kami.
ReplyDeleteFor overall development of a chid their are so many activities that can be done in the classroom. Storytelling, drawing, some pictures activities in play way method ,arising questions by giving some toys etc.
ReplyDeleteBachchon ko vjbhinn gatividhiyan jaise chhota bada colour pahchanana vargikaran adi ke dwarabuniyadi saksharta aur sankhyatmak gyan dila sakte hai
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण या मुद्दे निम्नलिखित हो सकते हैं:--
ReplyDelete01) सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते हैं अर्थात व्यक्तिगत भिन्नता,
02)बच्चों की नियमित उपस्थित,
03)बच्चों के घर/परिवेश में पर्याप्त प्रिंट संसाधनो का अभाव,
04)प्रारंभिक अवस्था में सर्वांगीण विकास के अवसर की कमी,
05)शिक्षकों के कार्यक्षमता में विभेद,
06)माता-पिता/अभिभावकों में सार्थक साक्षरता एवं बेहतर देखभाल की कमी,
07)अन्य कई परिवारिक,सामाजिक,आर्थिक,सांस्कृतिक,विद्यालय स्तरीय समस्यायें हो सकते। किशोर कुमार राय उत्क्रमित उच्च विद्यालय कटघरी ,देवीपुर, देवघर
एक ही कक्षा में विभिन्न स्तर के बच्चे होते हैं।किसी भी गतिविधि में सभी बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करना।बच्चों की अनियमित उपस्थिति ,बच्चों के घर/परिवेश में प्रिंट संसाधनों का अभाव।कुछ ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
ReplyDeleteविद्यालय में बच्चों को गतिविधियों के माध्यम से चीजों की तुलना छोटा-बड़ा चीजो की वर्गीकरण सुरुवती ध्वनि अक्षर से शब्द बनाना आदि सिखाकर बुनियादी कौशलों को विकाश किया जा सकता है।
ReplyDeleteSHAKIL AHMED R M S BAREPUR HUSSAINABAD PALAMU
ReplyDeleteविकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण या मुद्दे निम्नलिखित हो सकते हैं
* बच्चों की अनियमित उपस्थिति
*बच्चों के घरेलू माहौल में शिक्षा को महत्व न देना
*विद्यालय परिसर का आकर्षक नहीं होना
*शिक्षण सामग्री या टी एल एम की अनुपलब्धता
*शिक्षकों को शिक्षण के स्थान पर अन्य गैर शैक्षणिक कार्यों में उलझकर रखना।
शकील अहमद
रा म विद्यालय बड़ेपुर हुसैनाबाद पलामू
Vikasatmak lakhon se sambandhit sikhne ke anubhav pradan karte samay chunouti purn mudde :Bachhon ki aaniyamit uoopastithi, gharelu mahol main Siksha ko mahatwa nahi dena aur Sikshikaon ko sikshan ke Sthan par ananya gair saikshanik karyon main uooljha kar rakhna.
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण या मुद्दे निम्नलिखित हो सकते हैं:--
ReplyDelete01) सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते हैं अर्थात व्यक्तिगत भिन्नता,
02)बच्चों की नियमित उपस्थित,
03)बच्चों के घर/परिवेश में पर्याप्त प्रिंट संसाधनो का अभाव,
04)प्रारंभिक अवस्था में सर्वांगीण विकास के अवसर की कमी,
05)शिक्षकों के कार्यक्षमता में विभेद,
06)माता-पिता/अभिभावकों में सार्थक साक्षरता एवं बेहतर देखभाल की कमी,
07)अन्य कई परिवारिक,सामाजिक,आर्थिक,सांस्कृतिक,विद्यालय स्तरीय समस्यायें जो येन-केन जिम्मेदार हो सकते ।बहुत-बहुत धन्यवाद।
Yudika dungdung
GMS Awga bolba,simdega
बच्चों की सर्वागीण विकास के लिए शिक्षक , अभिभावक और बच्चों को जागरूक नहीं होंगे , तब तक शिक्षा का विकास नहीं कर सकते है । बाल वाटिका के अन्तर्गत बच्चों को रोचक एवं मनोरंजक खेल - कुद गतिविधियों से बच्चों को लक्ष्य की प्राप्ति कराया जा सकता है ।
ReplyDeleteकालेश्वर प्रसाद कमल ( स शिक्षक )
प्रा विधालय झण्डापीपर गादी (द)
प्र - धनवार , जिला - गिरिडीह , झारखंड
गणित की छोटी मोटी गतिविधि से विकासात्मक लक्ष्य को पाया जा सकता है। इसमें गतिविधि में खिलौने कागज के टुकड़े कंकड़ फूल पत्ती पुराने सामान का उपयोग के करने से विकासात्मक लक्ष्य पाने में मदद मिलेगी।
ReplyDeleteगणित की छोटी मोटी गतिविधियों से विकासात्मक लक्ष्य को पाया जा सकता है। ऐसी गतिवधि में खिलौने, कागज के टुकड़े,कंकड़,फूल,पती ,पुराने समान का उपयोग के करने से विकासात्मक लक्ष्य को पाने में मदद मिलेगी।
ReplyDeleteसीखने का अनुभव प्रदान करने में बच्चे का ध्यान आकर्षित करने में चुनौती है उसे अपनी तरफ आकर्षित करना। बच्चों के भीतर कुछ चल रहा होता है। उसे बच्चों के रुचि के अनुसार खेल या सार्थक गतिविधि द्वारा सीखने की प्रेरणा देना चाहिए।
ReplyDeleteविद्यालय के वैसे बच्चे जो वर्ग वन वन में नामांकित होते हैं इन बच्चों को सिखाना बहुत बड़ी चुनौती है कारण इन बच्चों की उपस्थिति प्रतिदिन नहीं रहने से सिखाने में बाधक पर होती दूसरी बड़ी चीज बच्चे के माता पिता भी इनकी उपस्थिति पर अधिक ध्यान नहीं देते हैं फिर भी हम शिक्षक इस दिशा में लगातार मेहनत करते रहते हैं ताकि रोचक और ज्ञानवर्धक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के विकासात्मक लक्ष्य को हासिल किया जा सके
ReplyDeleteसरकारी विद्यालयों में छोटे बच्चों के नियमित उपस्थिति तथा अभिभावकों में जागरूकता का अभाव मुख्य चुनौती है।
ReplyDeleteविकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय चुनौतीपूर्ण छन भी आएंगे जैसे बच्चों का उपस्थिति अनियमित अभिभावकों का सहयोग ना मिलना स्कूल प्रबंधन को तथा भाषा से संबंधित आदि
ReplyDeleteविद्यालय में बच्चों को गतिविधियों के माध्यम से चीजों की तुलना छोटा बड़ा चीजों का वर्गीकरण एवं प्रारंभिक ध्वनि अक्षर से शब्द बनाना आदि सिखा कर बुनियादी कौशलों का विकास किया जा सकता है।
ReplyDeleteकक्षा में विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने का अनुभव प्रदान करते समय कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जैसे बच्चों की अनियमित उपस्थिति, भाषा की समस्या ,माता-पिता का अशिक्षित होना, सभी बच्चों के सीखने की क्षमता में भिन्नता, घर में पढ़ाई के वातावरण का नहीं होना आदि।
ReplyDeleteGood contentis mathematical activities nice for the students.
ReplyDeleteSabhi bacche adwitiya hain aur Sabhi ko ek hi tarike se sikhana sambhav nahi hai.bacchon ka absent hona, mata pita ka bacchon per dhyan na Dena,ek hi class me bahut jyada bacchon ka hona samasya utpanna karti hai.
ReplyDeleteFLN का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रिंट रिच कोना तैयार करने के साथ साथ पर्यावरण में मौजूद सामग्रियों का उपयोग कर चुनौतियों को आसान बनाया जा सकता है|
ReplyDeleteकक्षा में त्रिस्तरीय विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में इन तीनों लक्ष्य के पारस्परिक सम्बन्धों को ध्यान में रखकर छोटे बड़े समूहों में गतिविधियों के अनुभव बच्चों प्रदान करना होगा।सम्बन्धित अनुभव प्रदान करते समय अलग परिवेश से आये बच्चो एवम व्यक्तिक भिन्नता के बीच तालमेल बैठाना, माता पिता और अभिभावक का सहयोग,भाषायी तालमेल बैठाना और सबको करके सीखने का अनुभव दे पाना चुनौतीपूर्ण होगा।
ReplyDeleteयद्धपि ततसम्बन्धी चुनौतियों से हमारा वास्ता कक्षा में अनुभव को अपनाते हुए होगी और खुद भैस अनुभव से बेहतर तरीके से चुनौती को वहन कर पाने की क्षमता प्राप्त कर पाएंगे।
धन्यवाद।
सभी विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आयोजित गतिविधियों में सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण वह क्षण होता है जब कुछ बच्चे गतिविधि मे संंलग्न होते हैं तो कुछ बच्चे शरारत कर अन्य बच्चों का ध्यान भंग कर देते हैं ऐसी चुनौती से निपटने के लिए शिक्षक की पैनी नजर होनी चाहिए ताकि बच्चों का ध्यान न भटके और बीच बीच मे प्रश्न पूछकर गतिविधि में सक्रियता बनाए रखना चाहिए।
ReplyDeleteKaksha mein main vikasatmak Lakshya ki prapti mein bahut se a chunauti PUR Chand ho sakte hain jismein bacchon ki aayu bhasha aniyamit upsthiti parivarik parivesh Jaise chunauti hi chunautiyon ka Samna kaksha mein main sikhane sikhane ka mahaul manoranjak AVN khel kahani e ke madhyam se a Ruchi kar aur Anand Di banaa sakte hain .
ReplyDeleteकक्षा में त्रिस्तरीय विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में इन तीनों लक्ष्य के पारस्परिक सम्बन्धों को ध्यान में रखकर छोटे बड़े समूहों में गतिविधियों के अनुभव बच्चों प्रदान करना होगा।सम्बन्धित अनुभव प्रदान करते समय अलग परिवेश से आये बच्चो एवम व्यक्तिक भिन्नता के बीच तालमेल बैठाना, माता पिता और अभिभावक का सहयोग,भाषायी तालमेल बैठाना और सबको करके सीखने का अनुभव दे पाना चुनौतीपूर्ण होगा।
ReplyDeleteयद्धपि ततसम्बन्धी चुनौतियों से हमारा वास्ता कक्षा में अनुभव को अपनाते हुए होगी और खुद भी अनुभव से बेहतर तरीके से चुनौती को वहन कर पाने की क्षमता प्राप्त कर पाएंगे।
धन्यवाद।
अक्सर देखा जाता हैं कि विद्यालयी बच्चों बौद्धिक भिन्नता के साथ-साथ आर्थिक एवं सामाजिक भिन्नता भी कक्षा पाया जाता हैं ऐसे में विकासात्मक लक्ष्य प्राप्त करना काफी चुनोतिपूर्ण है। इसलिए मैं बच्चों को कहानी, khel, नृत्य तथा खिलौने की सहायता से रूचि और स्मरण शक्ति का विकाश करने का प्रयास कर सकता हूँ.।
ReplyDeletePHUL CHAND MAHATO
UMD GHANGHRAGORA
CHANDANKIYARI
BOKARO
कक्षा में सर्वांगीण विकास लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण या मुद्दे निम्नलिखित हो सकते हैं--
ReplyDelete*बच्चों में सीखने के प्रति भिन्नता का होना ।
*अनियमित उपस्थिति ।
*अपर्याप्त प्रीटं संसाधनों का अभाव ।
*प्रारंभिक अवस्था में सर्वांगीण विकास हेतु अवसर की कमी।
*शिक्षको की कार्य क्षमता में विभेद ।
*बच्चों के माता-पिता में शिक्षा का अभाव ।
*परिवेश में उपस्थित समस्याएं जिम्मेदार हो सकते हैं ।
Sarkari vidyalayon me vividh IQ, bhashayi, awam aarthik sthhiti ke bachche padte hain.jisse kathin paristithhi to utpan hoti hi hai.ek teacher sunya niwedan kr aas pados me milne wale TLM,Jaise ..Tree,pathr,kanch ki tuti chudiyan,kam anche aadi ke upyog se kuch samadhan kiya ja sakta hai.
ReplyDeleteकक्षा में सर्वांगीण विकास लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण या मुद्दे निम्नलिखित हो सकते हैं--
ReplyDelete1•बच्चों के स्वास्थ्य एवं खुशहाली को बनाये रखने के लिए बच्चों के शारीरिक या गत्यात्मक विकास, सामाजिक-भावनात्मक विकास आदि चुनौतीपूर्ण मुद्दे हैं। जैसे कि मौखिक और ग़ैर मौखिक तरीकों से स्वयं की अभिव्यक्ति करना, स्वतंत्र रुप से गतिविधियां करना,स्वच्छता संबंधी आदतों के विकास करना, समस्याओं का समाधान करना और आयु के अनुरूप स्वयं को समायोजित करना आदि।
2• बच्चों के बोलने के लिए प्रोत्साहित करना एवं उसे निरंतर बोलने के अवसर देना अत्यधिक ध्यान देने वाला कार्य होता है। बच्चों के माता पिता के साथ बातचीत कर उन्हें अपने बच्चों के साथ बोलने के अवसर देने के लिए कहना एवं विद्यालय स्तर पर भी शिक्षक को यह देखना होता है कि सभी बच्चों को सम्प्रेषण के उचित अवसर मिल रहा है कि नही।
3•बच्चों को अपने परिवेश से विभिन्न प्रकार की आकृतियों, रंगों, नमूने,स्थान आदि की पहचान कर ज्ञान अर्जित करना भी अति आवश्यक है।अपने सभी ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से विभिन्न वस्तुओं के बारे में चर्चा करना, वर्गीकरण करना, निष्कर्ष निकलना आदि।
Aksar deka jata hai kvidhalayi bacchon me boudhik bhinnta ke sath sath aarthik avm samaajik bhinnta bhi kaksha me pata jata hai aise me vikashatamak laksya praapt karna kafi chunoutipurn hai isliye main bacchon ko kahani khel niratya thatha khilaune ki sahayata se ruchi aur smaran sakti ka vikash karne ka prayaas kar sakti hun
ReplyDeleteमेरे विचार से कक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण या मुद्दे होंगे :
ReplyDelete१) बच्चों के सेहत पर सही ध्यान तथा आनंदित जीवन जारी रखना।
क्योंकि सबसे शुरुआती वर्ष बच्चे के विकास के सबसे असाधारण वर्ष होते हैं। जीवन में सब कुछ सीखने की क्षमता इन्हीं वर्षों पर निर्भर करती है। इस नींव को ठीक से तैयार करने के कई फायदे हैं। स्कूल में बेहतर शिक्षा प्राप्त करना और उच्च शिक्षा की प्राप्ति जिससे समाज को महत्वपूर्ण सामाजिक तथा आर्थिक लाभ मिलते हैं।
इसलिए विद्यालय में दाखिला लेने के साथ-साथ उनकी दिव्यांगता ( यदि कोई हो)की जांच पड़ताल तथा आवश्यक समावेशीकरण एवं शारीरिक रूप से स्वास्थ्य चेतना तथा योगा,खेल एवं यथासंभव सुपोषण की उपलब्धता मुहैया कराने पर विशेष ध्यान देना पड़ेगा।
२) बच्चों के भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता पर ध्यान देना।
क्योंकि जिन बच्चों को अच्छी देखरेख और पोषण दिया जाता है,उनके संज्ञानात्मक,भाषा,भावनात्मक और सामाजिक कौशल बेहतर होने की,स्वस्थ बड़े होने की और आत्मविश्वास से पूर्ण होने की संभावना अधिक होती है। एक वयस्क के रूप में हमारे हित के लिए यह सभी चीजें जरूरी हैं। प्रारंभिक बचपन के अनुभव ही हमारी भविष्य को बनाते हैं।
इसलिए उन्हें बिना किसी ठेस पहुंचाए हर समय उनके अभिव्यक्तिकरण को संपोषित करते रहना होगा।
३) सुनियोजित प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा।
क्योंकि उचित शिक्षा के बगैर जीवन ही अधूरी है।
इसलिए उन्हें एक उत्साह पूर्ण माहौल प्रदान कर एक सुनियोजित प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा प्रदान करना होगा। आयु विकास की दृष्टि से खेल-आधारित गतिविधियों के उचित कार्यक्रम,पारस्परिक क्रियाओं तथा अनुभवों के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देना होगा। उन्हें अधिक संरचित वातावरण के लिए परिपक्वता की दृष्टि से तैयार करना होगा।
कक्षा में सर्वांगीण विकास लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण या मुद्दे निम्नलिखित हो सकते हैं--
ReplyDelete*बच्चों में सीखने के प्रति भिन्नता का होना ।
*अनियमित उपस्थिति ।
*अपर्याप्त प्रीटं संसाधनों का अभाव ।
*प्रारंभिक अवस्था में सर्वांगीण विकास हेतु अवसर की कमी।
*शिक्षको की कार्य क्षमता में विभेद ।
*बच्चों के माता-पिता में शिक्षा का अभाव ।
*परिवेश में उपस्थित समस्याएं जिम्मेदार हो
गणित की छोटी मोटी गतिविधि से विकासात्मक लक्ष्य को पाया जा सकता है।इसमें गतिवधि में खिलौने, कागज के टुकड़े,कंकड़,फूल,पती ,पुराने समान का उपयोग के करने से विकासात्मक लक्ष्य पाने में मद
ReplyDeleteकक्षा में विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति में चुनौतीपूर्ण क्षण विभिन्न पहलुओं से जुड़ी नकारात्मक विचार प्रक्रियाओं और भावनाओं को समझाने और व्यक्त करने में कठिनाई होती है । शारीरिक स्वास्थ्य के मुद्दे , संवेदी समस्याएं , बौद्धिक अक्षमता , भाषायी कौशल , विभिन्न आयुवर्ग में सीखने के स्तर , अभिभावक से सहयोग न मिल पाना ,आक्रामक व्यवहार जैसी चुनौतीपूर्ण क्षण बच्चे के सर्वांगीण विकास में बाधा उत्पन्न करती है । इन सारी चीजों को ध्यान में रखते हुए मैं बच्चों के विकासात्मक लक्ष्य की प्राप्ति कर सीखने के अनुभव प्रदान करेंगे
ReplyDeleteJagannath Bera.
Oriya MS Arong, Baharagora, East Singhbhum.
सबसे चुनौतीपूर्ण होगा सभी बच्चों को समान रूप से सिखाना । कारण बच्चे विभिन्न परिवेश से आते हैं, उनके घर की भाषा भिन्न-भिन्न होती है । उनकी बुद्धिमत्ता भी तीक्ष्ण, औसत एवं कम भी हो सकता है। उनके आयु में भी भिन्नता हो सकती है। माता-पिता के द्वारा घर में बच्चे को समय ना दे पाना आदि शामिल है
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण इसप्रकार है:-शारीरिक स्वास्थ्य के मुद्दे,बौद्धिक अक्षमता, भाषायी कौशल, अभिभावक से सहयोग न मिलना ,विभिन्न आयुवर्ग के बच्चों में सीखने का स्तर जैसी अनेक चुनौतीपूर्ण क्षण बच्चों के सर्वांगिण विकास में बाथा उत्पन्न करती है।
ReplyDeleteविभिन्न प्रकार की गतिविधि जो छोटे बच्चों के लिए बनाए गए हैं उनसे बच्चों में जागरूकता को रुचि कर बना कर भाषा, गणित व अन्य बिषय में कराकर बच्चों को दक्ष किया जाता है जिससे बच्चों का न केवल बातचीत में सुधार होता है बल्कि अन्य लेखन कला व अन्य ज्ञान में उत्तरोत्तर बृद्धि होने लगती है|
ReplyDeleteKaksha mein vikasatmak Lakshya ko purn karne main Kai chunautipurn charanon ka Samna karna padega parantu ine sab Ko najarandaaz karte hue Apne Lakshya ko pura karne ke liye Tan man dhan se Jude Jana hoga bacchon ki aayu AVN parivesh ko dekhte hue gatividhi ka chunav karna hoga
ReplyDeleteबच्चों को उनके स्तर के अनुसार और उनके दैनिक जीवन से जुड़ी हुई गतिविधियां करा कर तथा विद्यालय में प्रिंट रिच वातावरण तैयार कर बच्चों मैं पढ़ने के प्रति रुचि पैदा की जा सकती है
ReplyDeleteविद्यालय मे बच्चों को गतिविधियों के माध्यम से चीजों की तुलना छोटा-बड़ा ,चीजों की वर्गीकरण, शरूवाती ध्वनि अक्षरोंं से शब्द बनाना आदि सिखा कर बुनियादी कौशलों का विकास किया जा सकता
ReplyDeleteविद्यालय में सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण भाषा से है क्योंकि बहुत बार जब मैं हिन्दी में बोलती हूं तो बच्चे समझ नहीं पाते और मेरे द्वारा किसी और से पुछकर मुण्डारी में बता पातीं हूं, समझा पातीं हूं।
ReplyDeleteगतिविधि, खिलौने एवं रोचक कहानियों जैसे विकल्प के उपयोग से हम बच्चों के कौशल को विकसित कर सकते हैं।
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण या मुद्दा होगा बच्चों की मानसिक क्षमता, शारीरिक क्षमता,स्वभाव और रूचि आदि लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए उनके वर्तमान परिस्थितियों को समझते हुए उनका निदान करना चाहिए ।खेल खेल के माध्यम से,गतिविधियों और बच्चों के द्वारा बोली जानी वाली भाषा का स्वाता उपयोग करने दिया जाना चाहिए।
ReplyDeleteEcc
ReplyDeleteसबसे बड़ी चुनौती है बच्चों की कक्षा में नियमित उपस्थिति और अभिभावकों द्वारा सहयोग नहीं मिलना।
ReplyDeleteअंजय कुमार अग्रवाल
मध्य विद्यालय कोयरी टोला
रामगढ़
कक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से सम्बंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण/मुद्दे हो सकते हैं:-
ReplyDelete१) अभिभावकों/ माता-पिता द्वारा बच्चों को विद्यालय स्तर पर विपरित अन्य कार्यों में शामिल करना,( ग्रामीण क्षेत्रों में)
२) बच्चों की संख्या-अनुपात में वर्ग कक्ष अथवा शिक्षकों की कमी,
३) भाषा स्तर पर भिन्न भाषी बच्चों की सीखने की गति धीमी होगी,
४) अभिभावकों, माता-पिता का अशिक्षित होना।
क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे कई उदाहरण हैं जिससे बच्चे प्रभावित रहते हैं।
Class mein sabhi vikashatmak lakshyon se related shikhne ke anubhav pradan karte time sabse chunoutipurn murder ho sakte hain:-1)lack of teachers.2)abhibhawako aur Mata-Pita ka uneducated hona.3)Bhasha level par alag bhashi bachcho ki shikhne ki gati dhimi hogi.
ReplyDeleteप्रारंभिक स्तर पर बच्चों के विकासात्मक लक्ष्य की प्राप्ति हेतु काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं। बच्चों के बौद्धिक क्षमता में अंतर, नियमित उपस्थिति का अभाव, घर परिवेश में प्रिंट संसाधनों का अभाव, बच्चों का सिर्फ विद्यालय पर ही निर्भर था, बच्चों के अभिभावकों मैं शिक्षा की कमी, बच्चों के मातृभाषा एवं शिक्षक की भाषा में अंतर। बच्चों के बच्चों के विकासात्मक लक्ष्य की प्राप्ति में
ReplyDeleteसमस्याएं हैं।
राजेंद्र पंडित, सहायक शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय चांदसर, महागामा गोड्डा।
Bachho ke bikashatmak lakshya prapt karne me hame anek chunoutio ka samna karna parta hai.Jaise alag alag star ke bachcho ka hona,paribarik prishtbhumi,parivesh ityadi.
ReplyDeleteगणित की छोटी मोटी गतिविधि से विकासात्मक लक्ष्य को पाया जा सकता है।इस गतिवधि में खिलौने, कागज के टुकड़े,कंकड़,फूल,पती ,पुराने समान का उपयोग के करने से विकासात्मक लक्ष्य पाने में मदद मिलेगी।
ReplyDeleteविद्यालय में बच्चों को गतिविधि के माध्यम से चीज़ों की तुलना छोटा बड़ा चीज़ों का वर्गीकरण शुरुआती ध्वनि अक्षरों से शब्द बनाना आदि सिखा कर बुनियादी कौशलो का विकास किया जा सकता है एवं रोचक और ज्ञानवर्धक गतिविधियों से बच्चों को लक्ष्य की प्राप्ति कराता जा सकता है।
ReplyDeleteसरकारी स्कूलों के बच्चे आम तौर पर अनियमित होते हैं। कुछ खाश बच्चे नियमित रूप से आते है और पढ़ाई में रुचि रखते हैं । लेकिन जो बच्चे अनियमित होते हैं वे कमजोर भी होते हैं।एक ही वर्ग के बच्चों में अन्तर पाया जाता है। यह शिक्षक के लिए चुनौतीपूर्ण होता है और पढ़ाई को एक स्तर पर लाने में बहुत ही परेशानी होती हैं।
ReplyDeleteDarkari school me bachchon ki upasthiti regular nahi rahne waise bachcho ka darvangin vikas apekshakrit kam hota hai.aise bachchon me afhikanshtah abhivanchit varg ke bachche hi hote hain aise bachchon ko sikhana ek chunautipurn kary hota hai
ReplyDeleteपरिस्थितियाँ चाहे कितनी भी विपरीत प्रतीत हो किन्तु अगर किसी कार्य को छोटे छोटे भागों में विभाजित करके किया जाए तो वो बड़े ही सुगमता से किया जा सकता है, बच्चों के साथ भी यही होना चाहिए, अगर बच्चे किसी चीज/विषय को सही से समझ नहीं पाता है तो उसे छोटे छोटे गतिविधियों में विभाजित करके अच्छे से समझाया जा सकता है।
ReplyDeleteVikashatamak lakshya k chunoti purna kshan hai different learning capability ka hona.Trs. ko different level k anusar teaching goal set karna hoga slowly bachhe me parivartan aa sakega.
ReplyDeleteविधालय मे बच्चो के साथ मै गतिवधि 03को कराकर बच्चो को गणित कि बुनियादी कौशलोका विकास विकसित करने मे मदद कर सकते हैं।
ReplyDeleteकक्षा में कम बुद्धिमता और तीव्र बुद्धिमता वाले बच्चे होते हैं तथा एक बराबर उम्र के बच्चे भी नही होते हैं।इसलिए मैं कहानी सुनाने,खेल,नृत्य,तथा बच्चों में खिलौनों की सहायता से रुचि और स्मरण शक्ति का विकास करने का प्रयास कर सकता हूं।...
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण या मुद्दे निम्नलिखित हो सकते हैं:1.बच्चों में वैयक्तिक विभिन्नता।2. उम्र में विभिन्नता। 3.अनियमित उपस्थिति। 4. असमान बौद्धिक/मानसिक क्षमता। 5. रुचियों में विभिन्नता। 6.सामाजिक एवम सांस्कृतिक परिवेश आदि। हमे उपर्युक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए गतिविधियों का चयन करना होता है जिससे बच्चों के सीखने को प्रभावी बनाया जा सके।
ReplyDeleteकक्षा में विविन्न प्रकार के बच्चे होते हैं शिक्षक को सर्वांगीण विकास हेतु बहुत बड़ी चुनोती होती है बच्चे खेल कहानी बहुत पसंद करते हैं ,अर्थात कहे कहानी के माध्यम से गतिविधि करा कर विषयों का जानकारी दी जा सकती है।
ReplyDeleteअसमान बुद्धि और उम्र के कारण चुनौती उत्पन्न होती है, इसे रोचक और ज्ञानवर्धक गतिविधियों के द्वारा बच्चों मे लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती हैl
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण या मुद्दे निम्नलिखित हो सकते हैं: 1.बच्चों में वैयक्तिक विभिन्नता।2.उम्र में विभिन्नता। 3.अनियमित उपस्थिति। 4.असमान बौद्धिक/मानसिक क्षमता। 5.रुचियों में विभिन्नता। 6.अलग सामाजिक एवम सांस्कृतिक परिवेश आदि। हमें उपर्युक्त परिस्थितियों पर ध्यान रखते हुए गतिविधियों का चयन करने की आवश्यकता है ताकि बच्चों के सीखने को प्रभावी बनाया जा सके।
ReplyDeleteअपने आस-पास के वातावरण से अन्तर्सम्बंध स्थापित करने एवं उनका उपयोग संख्यात्मक ज्ञान के लिए करने से बच्चों में एक अभिरुचि का विकास होता है|खेल के माध्यम से उनमें एक विशेष रूचि उत्पन्न होने के साथ बौद्धिक स्तर भी बढ़ता है |
ReplyDeleteसभी बच्चों की उम्र,समझ, पारिवारिक पृष्ठभूमि, सामाजिक परिवेश, सांस्कृतिक परिवेश में भिन्नता होती है।विकासात्मक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उपरोक्त भिन्नता बहुत बड़ी चुनौती है।प्रत्येक बच्चों के लिए अलग-अलग स्तर की तैयारी की आवश्यकता होगी।
ReplyDeleteगणित की छोटी मोटी गतिविधियों से विकासात्मक लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।इस गतिविधि में खिलौने,कागज के टुकड़े, कंकड़-पत्थर, फुल पति, पुराने समान कार्य उपयोग करने से विकासात्मक लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
SUBHADRA KUMARI
ReplyDeleteRAJKIYAKRIT M S NARAYANPUR
DiSTRICT BOKARO
कक्षा में सीखने सिखाने के दौरान हमारे बीच सबसे बड़ी चुनौती है -"बच्चों का ध्यान पढ़ाई में केंद्रित रखना"
चूंकि इस उम्र में बच्चों का ध्यान किसी भी गतिविधि पर अधिक देर तक स्थिर नहीं रहता है। वे जल्दी जल्दी नया करने पर जोर देते है। इस स्थिति में हमें एक शिक्षक होने के नाते बच्चों का ध्यान सीखने में केंद्रित रखने के लिए आकर्षक गतिविधि द्वारा उन्हें तल्लीनता पूर्वक सिखाने में जोर देने की आवश्यकता है।
Mansik vikas ke liye Khel kud bhi kaafi anivarya hai,isse students mein team work ki bhavna jagrut hoti hai aur dimag viksit hota hai
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्षों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय कई मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें बच्चों की अनियमित उपस्थिति, अभिभावकों का बच्चों के पठन-पाठन पर ध्यान न देना, पढ़ाई के प्रति उदासीनता प्रमुख कारण है।
ReplyDeleteअभिभावकों का विभिन्न कारणों से बच्चों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाना, इसका प्रमुख कारण है।
गणित की गतिविधियों में विकासात्मक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए खेल विधि एवं करके सीखना विधि सबसे उपयुक्त है।
ReplyDeleteGanit ki gatividiyon me vikasatamak laxya ko prapt karne ke liye aananddayi khel vidhi avan karke sikhna sabse upukt hai.
ReplyDeleteGanit ki gatividiyon m vikasatamak laxya ko prapt karne k liye aananddayi khel vidhi avan kar ke sikhna sabse upukt h
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने की अनुभव प्रदान करते समय कई चुनौतियों एवं मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है। जैसे:-बच्चों के ग्राह्य
ReplyDeleteक्षमता में भिन्नता। बच्चों के अलग-अलग पृष्ठभूमि से आना। बच्चों की उपस्थिति में कमी। बच्चों का विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश से संबंध। भिन्न-भिन्न बच्चों के बुद्धिमत्ता एवं मानसिकता में अंतर इत्यादि। उपर्युक्त चुनौतियों को आनंद आई एवं मनोरंजक गतिविधियों द्वारा बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
गणित की गतिविधियों में विकासात्मक लक्ष को प्राप्त करने के लिए अनन्ददायी खेल विधि के द्वारा सिखाना सबसे उपयुक्त है।
ReplyDeleteबच्चों के सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दा है, बच्चों की उपस्थिति। गांव के अभिभावक भी बच्चों को प्रतिदिन विद्यायालय नहीं भेजते हैं। अतः विद्यालय का महौल रूचिपूर्ण और सकारात्मक गतिविधि आधारित रहने से बच्चे का उपस्थिति खुद बढ़ेगा।
ReplyDeleteKachcha me sabhi vikasatmak lakshyuon se sambhandhit sikhane ke anubhav pradan karte samay sabse chunauti Purna mudde nimn ho sakte hai~. 01.VayKtigat bhinnata. 02.Bachchon ki niyamit upasthiti. 03. Bachchon ke ghar/parivesh me paryapt print sansadhano ka abhao. 04. Sarvangin vikas ke avashar me Kami. 05.Sikshakon ke karyashamta me vibhed. 06.Mata-pita/abhibhawakon me sarthak saksharta ewam behatar dekhbhal ki kami. Aruna Sinha, assistant teacher UMS kanya Gidhour , Chatra
ReplyDeleteचुनौती यह होगी सरकारी विद्यालय के बच्चों के अभिभावकों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है। जिसके कारण बच्चों की विद्यालय में उपस्थिति अच्छी नहीं है। यह बच्चे अपने घर में रहकर परिवार की सहायता करते हैं।
ReplyDeleteबिद्यालय में बच्चों की गतिविधियों के माध्यम से चीजों की तुलना,छोटा बड़ा चीजों की वर्गीकरण, शुरूआत ध्वनि अक्षरों से शब्द बनाना आदि सिखा कर बुनियादी कौशल का विकास किया जा सकता है । रोचक और ज्ञानवर्धक गतिविधियों से बच्चों को लक्ष्य की प्राप्ति कराता था सकता है
ReplyDeleteबच्चों को नए शब्दों को सुनने और समझने मे समस्या आती है,अपने विचारों को प्रकट करने में समस्या आती है
ReplyDeleteबच्चों को नए शब्दों को सुनने और समझने मे समस्या आती है,अपने विचारों को प्रकट करने में समस्या आती है । कक्षा में रुचिकर गतिविधियों की कमी के कारण बच्चों में उदासीनता आदि समस्याएँ आती हैं।
ReplyDeleteVidyalay me gatibidhi ke madhyam se bachchon ko bastuon ki tulana karna,bargikaran karna,suruati dhawni,tukant dhawni se sabda banana adi sikhakar bachchon ko bhasa tatha ganit ki buniyadi kousalon ka vikas kiya ja sakta hai.
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से सम्बन्धित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय बहुत सारी चुनौतियाँ सामने आती हैं ।आने वाली चुनौतियों को सफलता पूर्वक सामना करके ही बच्चों का सर्वागीण विकास किया जा सकता है
ReplyDelete।
तीनों विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति किसी एक गतिविधि से भी हासिल की जा सकती है परन्तु बच्चों में निरंतरता बनी रहे इसके लिए अभिभावक ही तत्पर नहीं रहते अतः सबसे पहले उन्हें प्रेरित किया जाना आवश्यक है |दूसरे कि बच्चों की समझ शक्ति भिन्न होती है इस लिए इसे किसी समय अवधि में बाँध कर पूरा नहीं किया जा सकता पर पदाधिकारियों को यह प्रताड़ित करने का अवसर बन जाता है जो नहीं होना चाहिए शिक्षकों को पूरी छुट हो कि वह निर्भय होकर अपनी योजनाओं को अमल कर सकें|
ReplyDeleteAnjani Kumar Choudhary 8809058368
ReplyDeleteचुनौती यह होगी कि सरकारी विद्यालय के बच्चे जो कक्षा KG और कक्षा 1 में हैं,उनकी उपस्थिति प्रतिदिन नहीं रहने से बाधा उत्पन्न होगी सिखाने में,और इस आयु के बच्चों के माता - पिता भी उपस्थिति पर अधिक ध्यान नहीं देते, भले ही हम शिक्षक इस दिशा में लगातार प्रयासरत रहते हों। भाषा की दिक्कतें भी हैं।लेकिन मनोरंजकता बनाए रख कर चुनौती को कम करने की कोशिश मेरी जारी रहेगी
I think story telling by involving the students a good idea
ReplyDeleteआस पास की वस्तुओ को टी एल एम की भूमिका
ReplyDeleteका सहारा लेकर सुगम शिक्षा प्रदान किया जा सकता है। अभिभावक की प्रत्येक गतिविधि बाल शिक्षण मे सहायक है।
Good Subject
ReplyDeleteBachcho ke sarwangin vikas ke liye ruchika kahaniyon ke sath 2 khel khel awam khiloune adi ke madhyam se buniadi saksharta ko majburi pradan kar sakte hain
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ReplyDeleteगणित की छोटी मोटी गतिविधि से विकासात्मक लक्ष्य को पाया जा सकता है।इसमें गतिवधि में खिलौने, कागज के टुकड़े,कंकड़,फूल,पती ,पुराने समान का उपयोग के करने से विकासात्मक लक्ष्य पाने में मदद मिलेगी।
ReplyDeleteगतिविधियों के माध्यम से विद्यालय में बच्चों को वस्तुओं की तुलना, वर्गीकरण, अक्षरों से शब्द बनाना आदि सिखा कर बुनियादी कौशलों का विकास किया जा सकता है|
ReplyDeleteगतिविधियों के माध्यम से बच्चों में विकास किया जा सकता है बुनियादी कौशल का। आसपास की चीजों को प्रयोग करके।
ReplyDeleteहमें भाषा सिखाने की शुरुआत मुखिक सबदों से करनी चाहिए, फिर उसके बाद वर्णमाला से पढाई लिखी के माध्यम से भाषा सीखना चाहिए| उसके बाद बोलकर, चित्रा कहानियों द्वारा, वाक्यों द्वार, छोटे पढ़ के द्वारा फिर बड़ी कहानियों के द्वारा की जानी चाहिए|
ReplyDeleteI'll try to develop all attitudes and activities in the children.
ReplyDeleteI'll try my best to help all type of children in all auspect.
ReplyDeleteबच्चों में भाषाई दक्षताएं को बढ़ाने के लिए ऐसी गतिविधियां को कराना बच्चों के लिए सीखने में काफी मदद मिलती है । ऐसे गतिविधियों को करने बच्चों में संख्या ज्ञान, विभिन्नता को पहचानने के कौशल, तथा विभिन्न प्रकार के फलों में कितने बीज , तथा पत्तों को भिन्नता के कौशल विकसित होते हैं ।
ReplyDeleteविकासात्मक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए चुनौतीपूर्ण मुद्दे निम्नलिखित हो सकते हैं।
ReplyDelete1•बच्चों के स्वास्थ्य एवं खुशहाली को बनाये रखने के लिए बच्चों के शारीरिक या गत्यात्मक विकास, सामाजिक-भावनात्मक विकास आदि चुनौतीपूर्ण मुद्दे हैं। जैसे कि मौखिक और ग़ैर मौखिक तरीकों से स्वयं की अभिव्यक्ति करना, स्वतंत्र रुप से गतिविधियां करना,स्वच्छता संबंधी आदतों के विकास करना, समस्याओं का समाधान करना और आयु के अनुरूप स्वयं को समायोजित करना आदि।
2• बच्चों के बोलने के लिए प्रोत्साहित करना एवं उसे निरंतर बोलने के अवसर देना अत्यधिक ध्यान देने वाला कार्य होता है। बच्चों के माता पिता के साथ बातचीत कर उन्हें अपने बच्चों के साथ बोलने के अवसर देने के लिए कहना एवं विद्यालय स्तर पर भी शिक्षक को यह देखना होता है कि सभी बच्चों को सम्प्रेषण के उचित अवसर मिल रहा है कि नही।
बहुत अनुभव प्राप्त हुआ बच्चों के विकास में सहयोग करने के लिए
ReplyDeleteगतिविधियों के मध्यम से विद्यालय में मैं बच्चों को विद्यालय में वास्तुओं की तुलना वर्गिकरण अक्षर से शब्द बनाना आदि शिक्षा कर बुनियादी शिक्षा एवीएन सांख्य ज्ञान को बेहतर बनाया जा सकता
ReplyDeleteचुनौतीपूर्ण मुद्दे या क्षण निम्नांकित होंगे।
ReplyDelete1.बच्चों की सीखने की क्षमता एक समान नहीं होना।
२.बच्चों की अनियमित उपस्थिति।
3.अभिभावकों के द्वारा अपेक्षित सहयोग का अभाव।
4.विभिन्न सामाजिक पृष्ठभूमि एवं बौद्धिक स्तर के बच्चों का होना।
सरकारी विद्यालय के बच्चे जो कक्षा KG और कक्षा 1 में आते हैं,उनको सिखाने में बहुत बड़ी चुनौती है उनकी उपस्थिति प्रतिदिन नहीं रहने से बाधा उत्पन्न होगी सिखाने में,और इस आयु के बच्चों के माता - पिता भी उपस्थिति पर अधिक ध्यान नहीं देते, भले ही हम शिक्षक इस दिशा में लगातार प्रयासरत रहते हों। भाषा की दिक्कतें भी हैं।लेकिन मनोरंजकता बनाए रख कर चुनौती को कम करने की कोशिश मेरी जारी रहेगी
ReplyDeleteचुनौती यह होगी कि सरकारी विद्यालय के बच्चे जो कक्षा KG और कक्षा 1 में हैं,उनकी उपस्थिति प्रतिदिन नहीं रहने से बाधा उत्पन्न होगी सिखाने में,और इस आयु के बच्चों के माता - पिता भी उपस्थिति पर अधिक ध्यान नहीं देते, भले ही हम शिक्षक इस दिशा में लगातार प्रयासरत रहते हों। भाषा की दिक्कतें भी हैं।लेकिन मनोरंजकता बनाए रख कर चुनौती को कम करने की कोशिश मेरी जारी रहेगी
ReplyDeleteBachhon ki aniyamit upasthiti tatha bachhon ke learning level me Antar main problems hai
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण/मुद्दे निम्न होते है-
ReplyDelete1. कक्षा एक में आने वाले बच्चे विभिन्न परिवेश एवं भिन्नता के साथ कक्षा में प्रवेश लेते हैं।
2. बच्चे की घर की भाषा एवं विद्यालय की भाषा में अन्तर के कारण हम शिक्षक को उन्हें सीखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो जाता है।
3. उम्र में भिन्नता के कारण भी सभी एक समान गति से निर्धारित उपलब्धि हासिल नहीं कर पाते हैं यह भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य हैं।
3. अभिभावकों की साक्षरता में अन्तर का भी असर बच्चों के सीखने पर पड़ता है। कुछ बच्चे जल्दी सीखते हैं जबकि कुछ को समझना मुश्किल होता है।
4. बच्चों की दैनिक उपस्थिति एक समान नहीं रहता जिसका सीधा असर बच्चों के सीखने पर पड़ता है।हम शिक्षक चाहकर भी सभी को निर्धारित लक्ष्य तक नहीं पहुंचा पाते।
5. विद्यालय में संसाधन की कमी भी एक कारण है जो बच्चों के विकासात्मक लक्ष्यों को हासिल करवाने में बांधा उत्पन्न करता है।
चुनोतियां तो बहुत सारे है और इसके निपटने के लिए संसाधन बहुत ही सीमित है.सरकारी विद्यालय में बच्चे बहुत ही गरीब परिवारों से आतें है और माता-पिता या अभिभावक रोजगार के लिए दूर दराज़ जाने के कारण बच्चों पर बिशेष रूप से ध्यान नही दे पाते हैं.इस कारण बच्चे नियमित रूप से विद्यालय में उपस्थित नहीं होता है.अभिभावकों में विद्यालय के प्रति उदासीन होना, जागरुकता की कमी, गरीब आदि के कारण बच्चों की समुचित एवं सामुहिक विकास उतनी तत्परता से नहीं हो रही है जिसके लिए कहीँ न कहीं हम सब उत्तरदायी है.
ReplyDeleteSabhi vikasatmak Lakshya se sambandhit sikhane ke Anubhav pradan karte samay sabse chunauti purn Mudda Vividh Bhasha come upsthiti alag parivesh abhibhavakon ki Bhumika ka kam Hona hai
ReplyDeleteBacchon ki animated upsthiti tatha tha tatha bacchon ke learning lable Mein antar main problem hai
ReplyDeleteSankhi wikasatmak lakshya se sambandhit sikhane ke anubhav pradan karte samay sense chunauti purn muddy vivid bhasha thodi upasthiti alag pariwesh abhibhavakon KI kam bhumika hona hai.
ReplyDelete(खोज होम। विद) किसके साथ? एसोसिएशन द्वारा मिलान कौशल विकसित करने के लिए जोड़ी वस्तुओं का एक समूह टेबल या पर्श पर फैलाएं जैसे ताला-चाबी, टूथब्रश और टुथपेस्ट, पेंसिल और रबड़, प्लेट और कटोरी आदि वस्तुओं को दिखाएं और कहें संबंधित क्यों है बताएं।यह वही चुनौतीपूर्ण समय होगा जब बच्चों में किसी वस्तु का दूसरे वस्तु से संबंध समझने। का कौशल विकसित होगा।
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्य को प्राप्त करने में चुनौती के रूप में हम बहुत सारी चीजों को देख सकते हैं जैसे साधनों की कमी,माता-पिता एवं अभिभावकों की उदासीनता,स्थानीय परिवेश के वस्तुओं की अनदेखी आदि।इन सभी का उपयोग करके समाधान निकाला जा सकता है।
ReplyDeleteBaccho ke vikasatmak lakshya ko prapt krne ke liye unhe different madhyamo se jaise unke ass-pass ke sulabh vastu se,khilonose,goliyo se,apne parivar ke sadasyon ke beech sambondho se unmein vikas la sakte hain.
ReplyDeleteFor aiiround development We can apply Playing method,Learning by doing,telling interested story and by the help of toy distributors among the children.
ReplyDelete..........MS KUSUNDA MATKURIA DHANBAD-!
बाल वाटिका और कक्षा 1में पढ़ने आने वाले बच्चों के बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान को बढ़ाने में चुनौतियाँ तो अनेक हैं।परन्तु सार्थक मानसिकता और प्रभावी सम्प्रेषण के द्वारा इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।इसके लिए छोटी छोटी गतिविधियों का सहारा लेकर और विद्यालय के शिक्षकों एवं अभिभावकों के सम्मिलित योगदान से बच्चों के बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान संबर्धन के कार्य किए जा सकते हैं।
ReplyDeleteविद्यालय में गतिविधि हेतु आवश्यक सामग्री की कमी, भिन्न-भिन्न अस्पताल एवं क्षमता वाले बच्चे,भाषा, सामाजिक स्तर एवं बच्चों की अनियमित उपस्थिति इत्यादि चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
ReplyDeleteकक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यो से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चूनौतीपूर्ण क्षण या मुद्दे इसप्रकार हो सकते है-बच्चो की उपस्थिति प्रतिदिन नहीं रहने से सीखने में बाधा उत्पन्न होगी, असमान बुद्धि और उम्र के कारण सीखने में कठिनाई होगी, अभिभावको से सहयोग न मिल पाने से समस्याये होगी।ये चूनौतपूर्ण क्षण बच्चो के सर्वागीण विकास में बाधा उत्पन्न कर सकते है।
ReplyDeleteवर्ग में विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति में चुनौतीपूर्ण क्षण विभिन्न पहलुओं से जुड़ी नकारात्मक विचार प्रक्रियाओं और भावनाओं को समझाने और व्यक्त करने में कठिनाई होती है । शारीरिक स्वास्थ्य के मुद्दे,संवेदी समस्याए,बौद्धिक अक्षमता भाषायी कौशल,विभिन्न आयुवर्ग में सीखने के स्तर ,अभिभावक से सहयोग न मिल पाना ,आक्रामक व्यवहार जैसी चुनौतीपूर्ण क्षण बच्चे के सर्वांगीण विकास में बाधा उत्पन्न करती है । इन सारी चीजों को ध्यान में रखते हुए मैं बच्चों के विकासात्मक लक्ष्य की प्राप्ति कर सीखने के अनुभव प्रदान करेंगे।Motiur Rahman, UPS-Chandra para, Pakur
ReplyDeleteबच्चों को हम हर क्षेत्र में बिकाशात्मक शिक्षा दे सकते है परन्तु शिक्षा चुनौती पूर्ण तब होगी जब बच्चों को शिक्षक की भाषा समझ में नहीं आ रहा हो तथा बच्चों का पारिवारिक माहौल ठीक न हो, शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ित हो इस प्रकार से बहुत सारे कारणों के बजह से शिक्षा चुनौती पूर्ण हो सकती है।
ReplyDeleteझरना गोराई,नव प्राथमिक विद्यालय महुलटांड
ReplyDeleteतीन विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति के राह में निम्नलिखित चुनौतियां प्रमुख रूप से सामने आती हैं:-
ReplyDelete1. बच्चों की अनियमित उपस्थिति
1. अभिभावकों का साक्षर न होना
3. शिक्षक और बच्चे का अलग-अलग भाषाई पृष्ठभूमि
4. अधिकांश पुरुष शिक्षकों का छोटी उम्र के बच्चों के साथ
कार्य करने में अरुचि
5. आवश्यक आधारभूत संरचना तथा TLMs की कमी,आदि|
कक्षा में विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति में चुनौतीपूर्ण क्षण विभिन्न पहलुओं से जुड़ी नकारात्मक विचार प्रक्रियाओं और भावनाओं को समझाने और व्यक्त करने में कठिनाई होती है । शारीरिक स्वास्थ्य के मुद्दे , संवेदी समस्याएं , बौद्धिक अक्षमता , भाषायी कौशल , विभिन्न आयुवर्ग में सीखने के स्तर , अभिभावक से सहयोग न मिल पाना ,आक्रामक व्यवहार जैसी चुनौतीपूर्ण क्षण बच्चे के सर्वांगीण विकास में बाधा उत्पन्न करती है । इन सारी चीजों को ध्यान में रखते हुए मैं बच्चों के विकासात्मक लक्ष्य की प्राप्ति कर सीखने के अनुभव प्रदान करेंगे । रणजीत प्रसाद मध्य विद्यालय मांडू। रामगढ़
ReplyDeleteकक्षा मेें सभी विकासात्मक लक्ष्यों से सम्बंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतिपूर्ण क्षण या मुद्दे निम्नलिखित हैं:-
ReplyDelete1.बच्चों की अनियमित उपस्थिति ।
2.बच्चों के बौद्धिक स्तर में असमानता ।
3.बच्चों के पारिवारिक परिवेश में भिन्नता ।
4.बच्चों के अभिभावकों का असहयोगात्मक प्रवृत्ति ।
5.स्थानीय भाषा और विद्यालयी भाषा में अंतर ।
उपर्युक्त मुद्दों के कारण विकासात्मक लक्ष्यों से सम्बंधित सीखने के सभी अनुभव प्रदान करने समय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है ।
निम्नलिखित चुनौतियां सामने आ सकती हैं।
ReplyDeleteबच्चों की अनियमित उपस्थिति।
आवश्यक आधारभूत संरचना तथा TLMs की कमी।
आज की परिस्थिति में कोविड 19और उसके नए variant omicron se बच्चों को बचाना सबसे बड़ी चुनौती हो सकती है। कोविद के गाइड लाइन का पालन करना और कराना महत्वपूर्ण है। बच्चे स्वभाव से एक। दूसरे के समीप रहना चाहते हैं।मिलजुलकर खेलना और सीखना चाहते हैं।इस अवस्था में हमें बहुत sawdhan रहने की जरूरत है। अभी तक बच्चों को vaccine nahi lag payi hai।air बहुत सारे बच्चे बिना मास्क के भी आ रहे हैं।बच्चों और उनके अभिभावकों को और जागरूक बनाने की चुनौती है। हमारे gawn के एक युवा की मौत vaccine लगने के 24घंटे के भीतर हो गई। और यह लोगों केबीच वायरल भी हो गया।लोगों के बीच vaccine ke प्रति संदेह भी फ़ैल गया है। ऐसे माहौल मेजागृती लाना अनिवार्य है। विद्यालयों में अभी तक sanitisation ki प्रक्रिया और संसाधन उपलब्ध नहीं हुए हैं। ऐसे में विद्यालय के शिक्षकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती विद्यालय में पठान pathana कराना है।
ReplyDeleteसुखलाल मुर्मू धनबाद । कक्षा में सभी विकासात्मक लक्ष्यों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करते समय सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण या मुद्दे निम्नलिखित होंगे:- (1) बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना। (2) बच्चों के भावनात्मक एवं संज्ञानात्मक कौशल पर। ध्यान देन। (3) बच्चों के विभिन्न स्तर के आधार पर गतिविधियों द्वारा सीखना ।
ReplyDeleteDeshi aas pas apne pariwes me Kam lagat wali samgriyon ka upyog kar bachon ka vikas Kiya ja sakta hai.
ReplyDeleteDeshi apne ghar pariwar ke pas Kam lagat Wale samgriyon kaa upyog kar bachon ka vikas Kiya jaega.
ReplyDeleteApne as pas Kam lagat ka samgri upyog kar bachon ka vikas Kiya ja sakta hai.
ReplyDeleteChildren learn from all the things they are surrounded with.The thing which they need is proper guidance and to follow safety measures .
ReplyDeleteThe best thing teachers can do to motivate them is to understand the talent and hobby within them and provide light and guide in the same direction
The facts which are troublesome in such moments are inequalities in age , knowledge and the environment in which they spend more time in comparison to the School.
ReplyDeleteBesides the way they catch the things and time which they take for the same matters a lot.
Bachon ko warnmala ke pahle khel kawita kahani chitra adee ke madhyam se sikhaya ja sakta hai.
ReplyDeleteWarnmala ke pahle khel,kawita,kahani,chitron ke madhyam se sikhaya ja sakta hai
ReplyDeleteमैं एक ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षक होने के नाते यह अनुभव किया हूं कि बच्चे जब विद्यालय आना प्रारंभ करते हैं यानी उनके घर के भाषा और विद्यालय के भाषा में अंतर होता है।जो कि एक चुनौती है। बच्चे कभी अपने मन की भावना को प्रकट कर नहीं पाते हैं और विद्यालय में दिलचस्पी नहीं लगने के कारण बीच में अनुपस्थित रहने लगते हैं। ये भी दूसरी चुनौती है।इस परिस्थिति में उनके घरवालों से सम्पर्क कर नियमित रूप से विद्यालय लाने का प्रयास किया जाता है। विद्यालय आने पर विभिन्न खेल, कहानी आदि में उनके मन में एक उमंग और उत्साह पैदा कर दी जाती है और बच्चे का मन विद्यालय की ओर आकर्षित हो जाता।
ReplyDeleteएकल शिक्षकीय विद्यालय में कार्यरत होने के कारण विभागीय कार्यों को सहमत पूरा करते हुए कक्षा KG-5 के बच्चों के साथ सभी कक्षा का बराबर ध्यान रखते हुए FLN संबंधी सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने में मुझे परेशानी होती है लेकिन बाल संसद की मदद से थोड़ी सहायता मिलती है।
ReplyDeleteKaksha mein sabhi vikasatmak Lakshman se sambandhit sikhane ke Anubhav pradan karte samay Sabse badi chunauti bacchon ki Ruchi hoti hai bacchon ke liye anek unke Anukul gatividhiyon se adhik Ruchi lete hain aur unka sarvangin Vikas hota hai
ReplyDeleteकक्षा में विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति में चुनौतीपूर्ण क्षण विभिन्न पहलुओं से जुड़ी नकारात्मक विचार प्रक्रियाओं और भावनाओं को समझाने और व्यक्त करने में कठिनाई होती है । शारीरिक स्वास्थ्य के मुद्दे , संवेदी समस्याएं , बौद्धिक अक्षमता , भाषायी कौशल , विभिन्न आयुवर्ग में सीखने के स्तर , अभिभावक से सहयोग न मिल पाना ,आक्रामक व्यवहार जैसी चुनौतीपूर्ण क्षण बच्चे के सर्वांगीण विकास में बाधा उत्पन्न करती है । इन सारी चीजों को ध्यान में रखते हुए मैं बच्चों के विकासात्मक लक्ष्य की प्राप्ति कर सीखने के अनुभव प्रदान करेंगे संजय कुमार झा स.शि.
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