Monday, 27 December 2021

कोर्स 08 : गतिविधि 1 : अपने विचार साझा करें

आकलन के ऐसे कौन-से प्रकार हैं जिन्‍हें आप बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं? आकलन के प्रकारों की सूची बनाएं - विशेष रूप से लिखित परीक्षा से भि‍न्न आकलन के प्रकार सोचें। अपने विचार साझा करें। 


203 comments:

  1. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन पूर्णत:अनौपचारिक होना चाहिए। इस अवस्था में बच्चे औपचारिक मूल्यांकन के लिए स्वयं को तैयार नहीं कर पाते हैं ।अनौपचारिक मूल्यांकन के निम्नलिखित प्रकार हो सकते हैं
    अवलोकन
    खेल
    विभिन्न प्रकार की गतिविधियां
    शिक्षक को बच्चों के साथ अधिकतम समय व्यतीत कर के बच्चों की प्रत्येक गतिविधियों का सूक्ष्मता से अवलोकन करना एफ एल एन में आकलन का सबसे प्रमुख बिंदु माना जा सकता है।
    अंजय कुमार अग्रवाल
    मध्य विद्यालय कोयरी टोला
    रामगढ़

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  2. आकलन के ऐसे कौन-से प्रकार हैं कौन कौन सी दक्षता है जिन्‍हें आप बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं? आकलन के प्रकारों की सूची बनाएं - विशेष रूप से लिखित परीक्षम भि‍न्न आकलन के प्रकार सोचें। अपने विचार साझा कर सकते हैं।L

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  3. आकलन के ऐसे कौन-से प्रकार हैं और कौन कौन सी दक्षता है। आप बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं? आकलन के प्रकारों की सूची बनाएं - विशेष रूप से लिखित परीक्षा से भि‍न्न आकलन के प्रकार सोचें। अपने विचार साझा कर सकते हैं

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  4. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्‍हें हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं।आकलन के प्रकारों में हम अपने विचार यहाॅ साझा कर रहे हैं।:---
    01)अवलोकन विधि:- इसके द्वारा हम सतत् रूप से बच्चों का किसी कार्य क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों एवं कमजोरियों का आकलन आसानी से कर सकते हैं।
    02)खेल विधि द्वारा:- इसके द्वारा भी हम बच्चों का सतत् आकलन कर सकते हैं।
    03)गतिविधियों में भाग लेने:- इसके द्वारा भी इनका सकारात्मक एवं नकारात्मक भावों की ओर इनके रूझान को हम जान सकते हैं।
    04)सहपाठियों एवं शिक्षकों के प्रति उनका रूझान:- इसके आधार पर भी कई बातों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
    05)विद्यालय परिवेश एवं पर्यावरण के प्रति रुझान:- इसके द्वारा भी की बातों का पता लगाया जा सकता है।आदि

    कौशल किशोर राय,
    सहायक शिक्षक,
    उत्क्रमित उच्च विद्यालय पुनासी,
    शैक्षणिक अंचल:- जसीडीह,
    जिला:- देवघर,
    राज्य:- झारखण्ड।

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    1. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्हे हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं। जैसे - अवलोकन विधि,खेल विधि,गतिविधियों में भाग लेना,सहपाठियों एवं शिक्षकों के प्रति रुझान आदि।

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  5. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्‍हें हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं।आकलन के प्रकारों में हम अपने विचार यहाॅ साझा कर रहे हैं।:---
    01)अवलोकन विधि:- इसके द्वारा हम सतत् रूप से बच्चों का किसी कार्य क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों एवं कमजोरियों का आकलन आसानी से कर सकते हैं।
    02)खेल विधि द्वारा:- इसके द्वारा भी हम बच्चों का सतत् आकलन कर सकते हैं।
    03)गतिविधियों में भाग लेने:- इसके द्वारा भी इनका सकारात्मक एवं नकारात्मक भावों की ओर इनके रूझान को हम जान सकते हैं।
    04)सहपाठियों एवं शिक्षकों के प्रति उनका रूझान:- इसके आधार पर भी कई बातों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
    05)विद्यालय परिवेश एवं पर्यावरण के प्रति रुझान:- इसके द्वारा भी की बातों का पता लगाया जा सकता है।आदि

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  6. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्हे बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग किया जा सकता है:- 1 अवलोकन विधि:-इसके द्वारा सतत रूप से बच्चों का उपलब्धि तथा कमजोरी का आकलन किया जा सकता है. 2. खेल विधि:- इसके द्वारा भी सतत रूप से बच्चों का आकलन किया जा सकता है. 3. गतिविधि:-इसके द्वारा भी बच्चों का सकरात्मक तथा नकरामक भावों को जान पाते हैं. 4. शिक्षकों तथा सहपाठी के प्रति रुझान से भी उनका मनो भाव को जान पाते हैं. 5. विद्यालय परिवेश तथा पर्यावरण के प्रति रूझान से भी उनके मनो भाव को जान पाते हैं.

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    1. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्हें बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग किया जा सकता है पहला अवलोकन विधि इसके द्वारा स्वतंत्र रूप से बच्चों का उपलब्धि तथा कमजोरी का आकलन किया जा सकता है दूसरा खेल विधि इसके द्वारा भी सतत रूप से बच्चों का आकलन किया जा सकता है तीसरा गतिविधि इसके द्वारा भी बच्चों का सकारात्मक तथा नकारात्मक भाव को जान पाते हैं चौथा शिक्षकों तथा सहपाठी के प्रति रुझान से भी उनका मानव भाव को जान पाते हैं पांचवा विद्यालय परिवेश तथा पर्यावरण के प्रति जान से भी उनके मनोभाव को जान पाते हैं

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    2. Buniyadi awastha me bachhon ka aklan kai prakar se hota hai. Jaise khel ke madhyam se, gatividhi ke madhyam se,kahani ke madhyam se,kavita ke madhyam se, batchit ke madhyam se,class ke ander class ke bahar aklan hota rahta hai. Jisse bachhon ka dakshta and kamjori ka pata chalta hai.

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    3. आकलन के कई प्रकार हैं जिससे बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग किया जा सकता है। जैसे - अवलोकन विधि ,खेल विधि,गतिविधियों में भाग लेना,सहपाठियों तथा शिक्षकों के प्रति उनका रूझान,विद्यालय एवं पर्यावरण के प्रति रूझान।

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  7. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन पूर्णत:अनौपचारिक होना चाहिए। इस अवस्था में बच्चे औपचारिक मूल्यांकन के लिए स्वयं को तैयार नहीं कर पाते हैं ।अनौपचारिक मूल्यांकन के निम्नलिखित प्रकार हो सकते हैं
    अवलोकन
    खेल
    विभिन्न प्रकार की गतिविधियां
    शिक्षक को बच्चों के साथ अधिकतम समय व्यतीत कर के बच्चों की प्रत्येक गतिविधियों का सूक्ष्मता से अवलोकन करना एफ एल एन में आकलन का सबसे प्रमुख बिंदु माना जा सकता है।

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  8. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्हे हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं आकलन के प्रकारों में हम आपने विचारों को साझा कर रहे हैं:_१)अवलोकन विधि २)खेल विधि द्वारा ३)गतिविधियों में भाग लेने, ४)सहपाठियों एवम पर्यावरण के प्रति रुझान।

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  9. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन उचित और आवश्यक माना जाता है| आकलन के कई प्रकार हैं जो क्षेत्र एवं परिवेश विशेष के आधार पर प्राथमिकता में फर्क हो सकते हैं| इन्हें लिखित परीक्षा से भिन्न आकलन कहेंगे और यह आकलन लिखित परीक्षा के पूर्व के आकलन होंगे| अनौपचारिक आकलन में सर्वप्रथम हम बच्चे की विभिन्न गतिविधियों का सूक्ष्मता से अवलोकन करते हैं| विशेषकर बच्चे को खेल के माध्यम से देखते हैं कि बच्चे के शरीर के सभी अंग ठीक ढंग से विकसित है या नहीं| कहीं बच्चे विकलांग की गिनती में तो नहीं आते हैं? उनके ज्ञान इंद्रियां सही काम करते हैं या नहीं? साथ ही बच्चे इनमें से किसी न किसी तरह से बच्चों के समुदाय में कोई लीडरशिप का काम अवश्य कर सकता हो जिससे वह शिक्षिका के काम में भी सहायक होगा| इस तरह के और भी बच्चों को चुनकर दलगत विधि से छोटे-छोटे समुदाय में बच्चों को बांटकर, सभी बच्चों को शामिल करके क्रियाशील बना सकते हैं| इस समय हम कमजोर बच्चों का विशेष ख्याल करेंगे| इसके साथ ही हम देखेंगे कि बच्चे मुस्कुराते हंसते हुए एक दूसरे के साथ घुल मिल जाते हैं| एक दूसरे को स्वीकार करते हैं| अपने विचारों का आदान- प्रदान करते हैं| खेल सामग्री को एक दूसरे के साथ साझा करते हैं| एक दूसरे के साथ मिलकर रहने से उनके शब्द- भंडार का विस्तार करते हैं| बच्चों की रुचियों,खूबियों को पहचान कर उन्हें हम प्रोत्साहित करेंगे|

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  10. आप बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं? आकलन के प्रकारों की सूची बनाएं - विशेष रूप से लिखित परीक्षा से भि‍न्न आकलन के प्रकार सोचें। अपने विचार साझा कर सकते हैं
    कालेश्वर प्रसाद कमल
    प्रा विधालय झण्डापीपर गादी ( द )
    प्रखणड -धनवार ,जिला - गिरिडीह ,

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  11. आकलन के प्रकारों में हम आपने विचारों को साझा कर रहे हैं:_१)अवलोकन विधि २)खेल विधि द्वारा ३)गतिविधियों में भाग लेने, ४)सहपाठियों एवम पर्यावरण के प्रति रुझान।शिक्षक को बच्चों के साथ अधिकतम समय व्यतीत कर के बच्चों की प्रत्येक गतिविधियों का सूक्ष्मता से अवलोकन करना एफ एल एन में आकलन का सबसे प्रमुख बिंदु माना जा सकता है।

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  12. Observation,play method,participation in activities,environment& social activities etc may be the types of evaluation

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    1. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्‍हें हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं।आकलन के प्रकारों में हम अपने विचार यहाॅ साझा कर रहे हैं।:---
      01)अवलोकन विधि:- इसके द्वारा हम सतत् रूप से बच्चों का किसी कार्य क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों एवं कमजोरियों का आकलन आसानी से कर सकते हैं।
      02)खेल विधि द्वारा:- इसके द्वारा भी हम बच्चों का सतत् आकलन कर सकते हैं।
      03)गतिविधियों में भाग लेने:- इसके द्वारा भी इनका सकारात्मक एवं नकारात्मक भावों की ओर इनके रूझान को हम जान सकते हैं।
      04)सहपाठियों एवं शिक्षकों के प्रति उनका रूझान:- इसके आधार पर भी कई बातों का अंदाजा लगाया जा सकता है।

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    2. आकलन के कई ऐसे प्रकार हैं जिन्हें हम बच्चों के बुनियादी अवस्था में प्रयोग कर सकते हैं जैसे-अवलोकन, खेल विधि, गतिविधि, सहपाठी एवं शिक्षकों के प्रति बच्चों का रुझान।

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  13. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन पूर्णत:अनौपचारिक होना चाहिए। इस अवस्था में बच्चे औपचारिक मूल्यांकन के लिए स्वयं को तैयार नहीं कर पाते हैं ।अनौपचारिक मूल्यांकन के निम्नलिखित प्रकार हो सकते हैं
    अवलोकन
    खेल
    विभिन्न प्रकार की गतिविधियां
    शिक्षक को बच्चों के साथ अधिकतम समय व्यतीत कर के बच्चों की प्रत्येक गतिविधियों का सूक्ष्मता से अवलोकन करना एफ एल एन में आकलन का सबसे प्रमुख बिंदु माना जा सकता है। Bhanu Pratap Manjhi, UHS CHIPRI, ICHAGARH, SERAIKELLA-KHARSWAN JHARKHAND

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    1. Buniyadi avastha mein bacchon ka aakalan anopcharik Hona chahiye Jo is Prakar ho sakte hain 1 avlokan Vidhi Tu Khel Vidhi 3 gatividhi dwara 4 Sar partiyon kyon shikshakon Ke Prati Unka rujan Sath hi unke aaspaas ka parivesh tatha parichit Paryavaran se sambandhit Baton ke dwara mulyankan Kiya Ja sakta hai

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  14. आकलन के प्रकारों में हम आपने विचारों को साझा कर रहे हैं:_१)अवलोकन विधि २)खेल विधि द्वारा ३)गतिविधियों में भाग लेने, ४)सहपाठियों एवम पर्यावरण के प्रति रुझान।शिक्षक को बच्चों के साथ अधिकतम समय व्यतीत कर के बच्चों की प्रत्येक गतिविधियों का सूक्ष्मता से अवलोकन करना एफ एल एन में आकलन का सबसे प्रमुख बिंदु माना जा सकता है।

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  15. आकलन जिन बच्चों का किया जाना है वह वास्तव में इतने भोले भाले और परीक्षक जैसे शब्दों से अभी दूर होते हैं अर्थात हम बात कर रहे होते हैं बुनियादी कौशल के विकास में प्रारंभिक स्तर के बच्चों का आकलन मेरी समझ से बच्चों का आकलन निम्न विधियों से किया जा सकता है
    १) बच्चे का विद्यालय में व्यवहार
    २) सहपाठियों के साथ उसका व्यवहार
    ३) शिक्षकों के साथ का व्यवहार
    ४) विभिन्न विद्यालय गतिविधियों में उसकी भागीदारी
    ५) पढ़ाए जा रहे हैं या गतिविधि के अवलोकन में उसका व्यवहार
    ६) किस प्रकार के खेलों में रुझान व्यक्त करता है
    ७) क्या विद्यालय के परिवेश को अपना समझता है
    ८) क्या पर्यावरण के प्रति रुझान रखता है
    ९) मित्रों के साथ बोलने ,खेलने या अन्य क्रियाविधि में किए गए व्यवहार का आकलन
    १०) परिवार एवं पड़ोस के प्रति सामाजिक व्यवहार के आकलन से भी हम कई बुनियादी बातों का जानकारी पा सकते हैं और बच्चे के लिए रणनीति बना सकते हैं

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  16. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन अनौपचारिक रूप से होना चाहिए.इस अवस्था में बच्चे आकलन के लिए पूरी तरह तैयार नहीं होतेहैं|

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  17. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन उन्हें औपचारिक परीक्षा के रूप में न करके ऐसे तरीकों से करना चाहिए जिसमें बच्चे सहज रूप से अपने समझ का प्रदर्शन कर सकें और लर्निंग आउटकम का प्रयोग कर सकें।इन विधियों में खेल विधि,अवलोकन विधि आदि प्रमुख हैं।

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  18. बुनियादी अवस्था में बच्चों का औपचारिक अथवा लिखित मूल्यांकन करना उचित नहीं होगा। इस अवस्था में बच्चों का अनौपचारिक बातचीत, खेल, उनकी गतिविधियों में शामिल होकर तथा उनके क्रियाकलापों का अवलोकन कर उनका मूल्यांकन किया जा सकता है। बच्चों से उनके आसपास तथा परिचित पर्यावरण से संबंधित बातों के द्वारा उनका मूल्यांकन किया जा सकता है।

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  19. आकलन में मुख्य रूप से तीन बातों का समावेश होना चाहिए
    1.आकलन से हम किस दक्षता का पता करना चाहते हैं
    2.आकलन अधिक से अधिक अवलोकन आधारित हो।
    3.आकलन सकारात्मक एवं अभिभावक एवं बच्चों की सहभागिता से हो ।

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  20. Buniyadi awastha me bachcho ka aklan Kai parkar se hota hai jaise khel ke madhyam se,gatividhi ke madhyam se kahani ke madhyam,Kavita ke madhyam se, batchit ke madhyam se kaksha ke ander kaksha ke bahar satat aklan hote rahata hai jisse bachcho ki dakshta and kamjori ka pata chalta

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  21. बुनियादी अवस्था में बच्चों के आकलन के लिखित परीक्षा के अतिरिक्त निम्न प्रकार हो सकते हैं।1.अवलोकन2.जिज्ञासा प्रवृत्ति 3.खेल के माध्यम से आकलन.4.मौखिक रूप से परिवेश जनित ज्ञान का आकलन.

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  22. Education in small children must be in friendly atmosphere with education with the help of play in education so later on rhe assessment will be perfect for the time being. Himanshu, Dumka.

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  23. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन उचित और आवश्यक माना जाता है| आकलन के कई प्रकार हैं जो क्षेत्र एवं परिवेश विशेष के आधार पर प्राथमिकता में फर्क हो सकते हैं| इन्हें लिखित परीक्षा से भिन्न आकलन कहेंगे और यह आकलन लिखित परीक्षा के पूर्व के आकलन होंगे| अनौपचारिक आकलन में सर्वप्रथम हम बच्चे की विभिन्न गतिविधियों का सूक्ष्मता से अवलोकन करते हैं| विशेषकर बच्चे को खेल के माध्यम से देखते हैं कि बच्चे के शरीर के सभी अंग ठीक ढंग से विकसित है या नहीं| कहीं बच्चे विकलांग की गिनती में तो नहीं आते हैं? उनके ज्ञान इंद्रियां सही काम करते हैं या नहीं? साथ ही बच्चे इनमें से किसी न किसी तरह से बच्चों के समुदाय में कोई लीडरशिप का काम अवश्य कर सकता हो जिससे वह शिक्षिका के काम में भी सहायक होगा| इस तरह के और भी बच्चों को चुनकर दलगत विधि से छोटे-छोटे समुदाय में बच्चों को बांटकर, सभी बच्चों को शामिल करके क्रियाशील बना सकते हैं| इस समय हम कमजोर बच्चों का विशेष ख्याल करेंगे| इसके साथ ही हम देखेंगे कि बच्चे मुस्कुराते हंसते हुए एक दूसरे के साथ घुल मिल जाते हैं| एक दूसरे को स्वीकार करते हैं| अपने विचारों का आदान- प्रदान करते हैं| खेल सामग्री को एक दूसरे के साथ साझा करते हैं| एक दूसरे के साथ मिलकर रहने से उनके शब्द- भंडार का विस्तार करते हैं| बच्चों की रुचियों,खूबियों को पहचान कर उन्हें हम प्रोत्साहित करेंगे| Nitish kumar

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  24. आकलन के ऐसे कौन-से प्रकार हैं और कौन कौन सी दक्षता है। आप बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं? आकलन के प्रकारों की सूची बनाएं - विशेष रूप से लिखित परीक्षा से भि‍न्न आकलन के प्रकार सोचें। अपने विचार साझा कर सकते हैं

    Premlata devi
    G.M.S Pancha

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  25. Buniyadi avastha Mein bacchon Ka aakalan anopcharik Hona chahie Kyunki is avastha mein bacche purn purn Roop se taiyar nahin Hote Hain

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  26. बुनियादी अवस्था में बच्चों का मूल्यांकन औपचारिक एवं अनौपचारिक रूप से निम्नांकित निधियों द्वारा किया जा सकता है-
    1. मौखिक रूप से बातचीत करके ।
    2.अवलोकन करके।
    3.खेल द्वारा ।
    4.गतिविधि द्वारा ।
    5.प्रोजेक्ट कार्य द्वारा

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  27. There will be two types of judgements of children's learning outcomes at fundamental level.first officials & 2nd non-officials. We can use these process-
    1)individual observations by the parents and teacher in children's activities in game
    2)in studies or doing project work on class work activities
    3)talking or behaving with their colleagues .

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  28. At the fundamental level we can judge the children by their --
    1)activities in class room
    2)play grounds
    3)with their friends(in game)
    4)talking with them
    5)thought on particular matter.

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  29. बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ आकलन के लिए लिखत परीक्षा के अलावा मौलिक शिक्षा, गतिविधि द्वार परीक्षा चार्ट पेपर पर परीक्षा खेल - खेल में परीक्षा आदि द्वारा आकलन कर सकते हैं|

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  30. अबलोकन , चित्रकला, रनिंग आउटकम, खेल विधी है।

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  31. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों तारीको से होना चाहिए। उन्हें चित्र दिखाकर मौखिक प्रश्न पूछना,खेल-खेल प्रश्न पूछना आदि। विभिन्न प्रकार के गतिविधियों द्वारा भी उनका आंकलन किया जा सकता है।

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    1. In fundamental level observation of activities in classroom, play method be the best method for their evaluation

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    2. In fundamental level observation of activities in classroom, play method be the best method for their evaluation.

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  32. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन अनौपचारिक होना चाहिए। औपचारिक विधि को वे आत्मसात नहीं कर पाएंगे।अवलोकन विधि. खेल विधि,गतिविधि, प्रोजेक्ट विधि इत्यादि का प्रयोग कर उनका आकलन करना चाहिए।

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  33. बुनियादी अवस्था में बच्चों का औपचारिक अथवा लिखित मूल्यांकन करना उचित नहीं होगा। इस अवस्था में बच्चों का अनौपचारिक बातचीत, खेल, उनकी गतिविधियों में शामिल होकर तथा उनके क्रियाकलापों का अवलोकन कर उनका मूल्यांकन किया जा सकता है। बच्चों से उनके आसपास तथा परिचित पर्यावरण से संबंधित बातों के द्वारा उनका मूल्यांकन किया जा सकता है।इस तरह के और भी बच्चों को चुनकर दलगत विधि से छोटे-छोटे समुदाय में बच्चों को बांटकर, सभी बच्चों को शामिल करके क्रियाशील बना सकते हैं| इस समय हम कमजोर बच्चों का विशेष ख्याल करेंगे| इसके साथ ही हम देखेंगे कि बच्चे मुस्कुराते हंसते हुए एक दूसरे के साथ घुल मिल जाते हैं| एक दूसरे को स्वीकार करते हैं| अपने विचारों का आदान- प्रदान करते हैं| खेल सामग्री को एक दूसरे के साथ साझा करते हैं| एक दूसरे के साथ मिलकर रहने से उनके शब्द- भंडार का विस्तार करते हैं|Motiur Rahman, UPS-Chandra para, Pakur

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  34. Anjani Kumar Choudhary. 8809058368

    बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन उचित और आवश्यक माना जाता है| आकलन के कई प्रकार हैं जो क्षेत्र एवं परिवेश विशेष के आधार पर प्राथमिकता में फर्क हो सकते हैं| इन्हें लिखित परीक्षा से भिन्न आकलन कहेंगे और यह आकलन लिखित परीक्षा के पूर्व के आकलन होंगे| अनौपचारिक आकलन में सर्वप्रथम हम बच्चे की विभिन्न गतिविधियों का सूक्ष्मता से अवलोकन करते हैं| विशेषकर बच्चे को खेल के माध्यम से देखते हैं कि बच्चे के शरीर के सभी अंग ठीक ढंग से विकसित है या नहीं| कहीं बच्चे विकलांग की गिनती में तो नहीं आते हैं? उनके ज्ञान इंद्रियां सही काम करते हैं या नहीं? साथ ही बच्चे इनमें से किसी न किसी तरह से बच्चों के समुदाय में कोई लीडरशिप का काम अवश्य कर सकता हो जिससे वह शिक्षिका के काम में भी सहायक होगा| इस तरह के और भी बच्चों को चुनकर दलगत विधि से छोटे-छोटे समुदाय में बच्चों को बांटकर, सभी बच्चों को शामिल करके क्रियाशील बना सकते हैं| इस समय हम कमजोर बच्चों का विशेष ख्याल करेंगे| इसके साथ ही हम देखेंगे कि बच्चे मुस्कुराते हंसते हुए एक दूसरे के साथ घुल मिल जाते हैं| एक दूसरे को स्वीकार करते हैं| अपने विचारों का आदान- प्रदान करते हैं|

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  35. आकलन के कई प्रकार है जिन्हें हबनियादी अवस्था मे बच्चो के साथ प्रयोग कर सकते हैं 1आकलन के प्रकारों मे हम अपने विचार व्कप्र कर रहे हैं 1अव के केलो के केकन विधि 2 खेल विधि 3 विभिवभिन्नप्रप्रकारके ग्त्ती विधियों मे भाग लेने

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  36. Aklan ke kai prakar hai jinhe hum buniyaadi avastha me baccho ke saath prayog kar sakate hai aklan ke prakaro me hum apni vichar sajha kar rahe hai 1avlokan vidhi 2khel vidhi 3vibhin prakar ke gatividhiyo me bhaag lene.

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  37. बुनियादी अवस्था में बच्चों के आकलन के लिए हम विभिन्न प्रकार के तरीकों का प्रयोग कर सकते हैं जैसे कि हम बच्चों के आकलन के लिए अवलोकन विधि का सहारा ले सकते हैं| साथ ही साथ छोटे बच्चों के आकलन के लिए हम कुछ गतिविधियों का भी आयोजन कर सकते हैं| छोटे बच्चों के आकलन के लिए खेल का भी सहारा लिया जा सकता है| अतः उपरोक्त विधियों से हम बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन करने का प्रयास कर सकते हैं

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  38. नियादी अवस्था में बच्चों का औपचारिक अथवा लिखित मूल्यांकन करना उचित नहीं होगा। इस अवस्था में बच्चों का अनौपचारिक बातचीत, खेल, उनकी गतिविधियों में शामिल होकर तथा उनके क्रियाकलापों का अवलोकन कर उनका मूल्यांकन किया जा सकता है। बच्चों से उनके आसपास तथा परिचित पर्यावरण से संबंधित बातों के द्वारा उनका मूल्यांकन किया जा सकता है।

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  39. I can use playing methods, story telling methods, painting, walking with student, oral methods etc

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  40. Buniyadi awastha me bachcho ka aklan karne ke kai tarike ho sakte hai jaise- awlokan vidhi,khel vidhi,gatividhi me bhag lekar,sahpathiyo me apsi rujhan lakar ityadi.

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  41. बुनियादी अवधारणाओं को मिलकर काम करना शुरू करें और अपने आप को समर्थन देने वाले मजेदार और रोमांचक माहोल बच्चों के साथ बातचीत कर करते रहना चाहिए।बुनियादी अवस्था में बच्चे गिली मिट्टी की तरह ही होते हैं तो आप उसे जैसे बनाने चाहते हैं वैसा ही बनेगा और अपने सच्चाई और ईमानदारी से बच्चों के साथ खेल खेल में बुनियादी अधिगम दिया जा सकता है और मुल्यंकन किया जा सकता है।

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  42. मौखिक रूप से बात चित करके, अवलोकन के द्वारा , खेलविधि से तथा व्यक्ति गत हावभाव देख कर बुनियादी आकलन कर सकते हैं ।

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  43. Mokhik rup se baatchit krke,awlokan k dwara aaklan kr sakte h

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  44. 1.Observatin method
    2.Oral questions
    3.play way methods
    4.activity methods are some points through which we can measure how learning is acheived.

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  45. Aklan ke kai praker hai jinhe hum buniyaadi avastha me bachho ke abolokan vidhi,khel vidhi etc kar sakte hai

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  46. आकलन को अवलोकन, क्रमिक ग्यान वृद्धि, बच्चे के व्यावहारिक सहयोग की भावना, अनुशासन, आदि को समाहित कर किया जा सकता है

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  47. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन पूर्ण रूप से अनौपचारिक होना चाहिए, क्योंकि वे उस समय ओपचारिक या लिखित परीक्षा देने के योग्य नहीं होते। अतः उनका आकलन खेल गतिविधियों द्वारा, सहपाठी और शिक्षकों के प्रति व्यवहार, विद्यालय परिवेश और पर्यावरण के प्रति आचरण, अवलोकन आदि के द्वारा किया जाना चाहिए।

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  48. बुनियादी अवस्था मैं बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं आलनके प्रकार के हम आपके विचारों को साझा कर रहे हैं ,खोज विधि , गतिविधि में भाग लेने साथियों और एवं पर्यावरण के प्रति रुझान ।

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  49. मेरे विचार से बुनियादी अवस्था में बच्चे के साथ सीखने -सिखाने के लिए मुख्यत: तीन प्रकार का आकलन का प्रयोग करना चाहिए । जो निम्नवत है -
    (1) अधिगम का आकलन: (रचनात्मक ) - इस तरह के आकलन में छात्र और शिक्षक दोनों क्रियाशील होते है और दोनों के बीच अंर्तक्रिया होते हैं । शिक्षण के दौरान बच्चे क्या सीखा, कैसे सीखा, क्या नहीं सीखा के बारे में पता लगाया जा सकता है । जैसे - खेल विधि, भ्रमण विधि, कविता, कहानी, संगीत, कला इत्यादि के माध्यम से गतिविधि के दौरान आकलन होना चाहिए ।
    (2) अधिगम का आकलन: (योगात्मक ) - बच्चे को स्ंत्रांत में सम्पूर्ण पाठ पढ़ लेने, सभी प्रकार के सूचना ले लेने एवं उसके बाद की आकलन प्रक्रिया जो तहकीकात कर निर्माण होता है और कार्य के अंत में आकलन किया जाना चाहिए ।
    (3) अधिगम के रूप में आकलन: (निदानात्मक) - बच्चों को खुद से या स्वयं का आकलन होना चाहिए । उसके अंदर कितने क्षमता है, अपने कार्य से कितने पाया, कितने सीखा , कितने छात्रों को ज्ञान दे पाया इन सारी चीजों का आकलन होना चाहिए । ... धन्यवाद ।

    सुना राम सोरेन (स.शि.)
    प्रा.वि.भैरवपुर , धालभूमगढ़ ।
    पूर्वी सिंहभूम, झारखंड ।

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  50. आकलन के कई प्रकार है जिन्हें हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते है।बच्चों का आकलन पूर्ण रूप से अनौपचारिक होना चाहिए।इस अवस्था में बच्चे औपचारिक या लिखित परीक्षा देने के लिए स्वयं को तैयार नहीं कर पाते है। उनका आकलन खेलविधि द्वारा, विद्यालय परिवेश एवं पर्यावरण के प्रति व्यवहार, गतिविधियों में भाग लेने,सहपाठियों एवं शिक्षकों के साथ व्यवहार, अवलोकन आदि के द्वारा किया जा सकता है।

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  51. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन पूर्णत अनौपचारिक होना चाहिए क्योंकि बच्चे छोटे होते हैं। अता अनौपचारिक बातचीत खेल प्रश्न पूछने और गतिविधि के द्वारा आकलन किया जा सकता है।

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  52. बच्चों का आकलन हम कई तरह से कर सकते है।
    प्रदर्शन के द्वारा हम आकलन कर सकते है। कहानी वाचन के दौरान आकलन कर सकते है। नाटक में सम्मिलित कर आकलन किया जा सकता है।

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  53. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्‍हें हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं।आकलन के प्रकारों में हम अपने विचार यहाॅ साझा कर रहे हैं।:---
    01)अवलोकन विधि:- इसके द्वारा हम सतत् रूप से बच्चों का किसी कार्य क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों एवं कमजोरियों का आकलन आसानी से कर सकते हैं।
    02)खेल विधि द्वारा:- इसके द्वारा भी हम बच्चों का सतत् आकलन कर सकते हैं।
    03)गतिविधियों में भाग लेने:- इसके द्वारा भी इनका सकारात्मक एवं नकारात्मक भावों की ओर इनके रूझान को हम जान सकते हैं।
    04)सहपाठियों एवं शिक्षकों के प्रति उनका रूझान:- इसके आधार पर भी कई बातों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
    05)विद्यालय परिवेश एवं पर्यावरण के प्रति रुझान:- इसके द्वारा भी की बातों का पता लगाया जा सकता है।
    5) बच्चों से मौखिक प्रश्न पूछ कर भी उसका आकलन कर सकते हैं आदि।

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  54. नियमित अवलोकन समग्र विकास का आधार है

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  55. Aklan ke kaiyi prakar ho sakte hain jinhein hum bunyadi awastha mein bacchon ke sath prayog kar sakte hain. Shikshan ke doaran bacche ne kya sikha,kaise sikha ,kyon sikha aor kya nahin sikha? Khel vidhi dwara. Gatividhiyon jaise-kavita,kahani adi mein bhag lene ke dwara akalan kar sakte hain.

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  56. बच्चों का आकलन औपचारिक और अनौपचारिक दोनों विधियों द्वारा किया जाना चाहिए। प्रारंभिक अवस्था में अनौपचारिक विधियां अधिक उपयोगी हो सकती हैं।

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  57. Bacchon se puchna ki aapko kya lagta hai ki kahani me aage kya Hua hoga?.aap is jagah hote to kya kerte? Is naam se milta julta naam aur kya kya ho sakta hai? Aap apne ghar aur Bahar kya kya dekhne hain?

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  58. आकलन कई प्रकार से किये जा सकते हैं।FLN में आकलन के लिए हमें सीखने के तीन लक्ष्य को ध्यान में रखकर कई तरह के गतिविधयों को अपना सकते हैं।खेल विधि,अवलोकन,प्रिंट के साथ सहकार्य,कहानी,सहपाठियों और पर्यावरण के साथ अन्तः क्रिया एवम रुझान,वार्तालाप आदि गतिविधयों को आकलन के लिये अपनाया जा सकता है।

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  59. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन मौखिक प्रश्न पूछ कर करना चाहिए क्योंकि वह औपचारिक रूप से उत्तर दे पाने में सक्षम नहीं होते हैं। अतः अनौपचारिक प्रकार जैसे खेल के द्वारा और अन्य गतिविधियों के द्वारा उनका आकलन किया जा सकता है।

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  60. हम जानते हैं कि प्राइमरी स्तर पर विभिन्न पृष्ठभूमि के बच्चे
    विद्यालय में शामिल होते हैं। ऐसे में हमें बुनियादी अवस्था में सभी बच्चों के साथ निम्न आकलन किया जाना चाहिए:-
    १) सहभागिता परिचय विधि:- इस विधि से हम बच्चों से उनकी अपनी भाषा में सामुहिक रूप से उनके रहन-सहन, परिवार से सम्बंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।इस तरह की जानकारी बच्चों के अन्दर से उत्साह उत्पन्न करता है, जिससे उनमें आत्मविश्वास और संवेदनशीलता के गुण विकसित होते हैं।
    २)खेल विधि से आकलन:-बच्चों के लिए खेल सबसे प्यारा होता है।हम बच्चों से खिलौने,ब्लाक निर्माण कार्य, चित्रों के माध्यम से विभिन्न बिंदुओं पर जांच कर सकते हैं।
    ३) अवलोकन विधि से आकलन:- आकलन करने में अवलोकन का महत्वपूर्ण स्थान है। इस विधि में केवल इतना ध्यान देने की आवश्यकता है कि इस विधि में सभी बच्चे लाभान्वित हो सकें। इसमें बच्चों के प्रिंट को सही दिशा में पढ़ने, ब्लाकों का सही-सही रखना तथा आकार-प्रकार आदि से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
    ४) औपचारिक आकलन:- प्रारंभिक स्तर पर बच्चों से उनके स्तर के अनुसार सरल प्रश्नों को शामिल किया जाना चाहिए।
    इस तरह से बच्चों के आकलन में सीखने और सिखाने के लिए सहयोगात्मक, विभिन्न प्रकार की गतिविधियों, आदि को शामिल किया जाना चाहिए।

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  61. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्हें हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर कर सकते हैं आकलन के प्रकारों में हम अपने विचारों को साझा कर रहे हैं पहला अवलोकन विधि दूसरा खेल विधि तीसरा गतिविधियों में भाग लेने चौथा सहपाठियों एवं पर्यावरण के प्रति रुझान पांचवा विद्यालय प्रवेश एवं पर्यावरण के प्रति रुझान छठवां बातचीत एवं मौखिक प्रश्न पूछ कर भी आकलन कर सकते हैं।

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  62. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन निम्न प्रकार से की जानी चाहिए :-1)मौखिक - बच्चों को उनके आस-पास के परिचित वस्तुओं,कहानियाँ आदि से सबंधित बाते करके
    2) अवलोकन विथि द्वारा । 3)खेल -खेल में।

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  63. मौखिक रूप से बात चित करके, अवलोकन के द्वारा , खेलविधि से तथा व्यक्ति गत हावभाव देख कर बुनियादी आकलन कर सकते हैं

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  64. एक शिक्षक ke द्वारा अपने छात्रों का सतत आकलन किया जाता है। जैसे- खेलते समय, बच्चों द्वारा कोई भी शैक्षिक या गैर शैक्षिक गतिविधि करते समय, कक्षा में अध्ययन या कोई क्रियाकलाप करते समय, प्रोजेक्ट कार्य करते समय इत्यादि।

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  65. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्‍हें हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं।आकलन के प्रकारों में हम अपने विचार यहाॅ साझा कर रहे हैं।:---
    01)अवलोकन विधि:- इसके द्वारा हम सतत् रूप से बच्चों का किसी कार्य क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों एवं कमजोरियों का आकलन आसानी से कर सकते हैं।
    02)खेल विधि द्वारा:- इसके द्वारा भी हम बच्चों का सतत् आकलन कर सकते हैं।
    03)गतिविधियों में भाग लेने:- इसके द्वारा भी इनका सकारात्मक एवं नकारात्मक भावों की ओर इनके रूझान को हम जान सकते हैं।

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  66. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्‍हें हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ निम्नलिखित तरीकों से प्रयोग कर सकते हैं:-
    (1)अवलोकन विधि:- इसके द्वारा हम सतत् रूप से बच्चों का किसी कार्य क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों एवं कमजोरियों का आकलन आसानी से कर सकते हैं।
    (2)खेल विधि द्वारा:- इसके द्वारा हम बच्चों का सतत् आकलन कर सकते हैं।
    (3)गतिविधियों में भाग लेने:- इसके द्वारा इनका सकारात्मक एवं नकारात्मक भावों की ओर इनके रूझान को हम जान सकते हैं।
    (4)सहपाठियों एवं शिक्षकों के प्रति उनका रूझान:- इसके आधार पर कई बातों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
    (5)विद्यालय परिवेश एवं पर्यावरण के प्रति रुझान:- इसके द्वारा कई बातों का पता लगाया जा सकता है।

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  67. बुनियादी अवस्था में बच्चों के आकलन के लिए लिखित परीक्षा से अलग कुछ इस प्रकार से आकलन कर सकते हैं - अवलोकन करके,खेल विधि से ,गीत /कविता /नाटक और कहानी के द्वारा, मौखिक प्रश्नोत्तरी ,आपसी सहयोग ,सहपाठी के साथ बातचीत ,शिक्षकों के साथ बातचीत, स्वास्थ्य के प्रति रुझान ,उनके नैतिक मूल्य ,पर्यावरण के प्रति सजगता ,सुनने/बोलने का तरिका,भाषा का प्रयोग व समझ। इन तरीकों से मौखिक तथा वैसे कार्य जिनमें बच्चे अपनी इंद्रियों का प्रयोग कर सकते हैं, के द्वारा हम बच्चों का आकलन उनकी बुनियादी अवस्था में कर सकते हैं ।

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  68. बच्चों का आकलन इस तरह से हो कि उनके सीखने में आनेवाली कठिनाईयों को दूर किया जा सके। आकलन मौखिक, गतिविधि आधारित, गतिविधि के प्रति बच्चों में रूझान, अन्य बच्चों के साथ व्यवहार, शिक्षकों, बड़ों, के साथ व्यवहार द्वारा किया जा सकता है

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  69. बुनियादी अवस्था मे बच्चो का मूल्यांकन औपचारिक एवम अनोपचारिक रूप से किया जा सकता है। जैसे-
    1 मौखिक
    2 खेल
    3 अवलोकन
    4 गतिविधि
    5 प्रोजेक्ट।इतियादी।

    अवलोकन

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  70. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्हें हम बुनियादी अवस्था में बच्चो . के साथ प्रयोग कर सकते हैं जैसे- अवलोकन विधि, खेल विधि द्वारा गतिविधि में शामिल कर, सहपाठियों एवं शिक्षकों के प्रति रूमान पर्यावरण के प्रति रूझान आदि का प्रयोगकर सकते हैं ।

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  71. Buniyadi Avastin me bachchon ka aaklan bahut hi manoranjak tarike se kiya jana chahiye.shikchak avlokan dwara, khel vidhi dwara, bibhin prakar ki ruchikar gatibidhiyon dwara bachchon ka satat aaklan kar sakte hai. Shikchak bachchon ke saath adhik se adhik samay byatit karke unki ruchi ke anusaar naye naye prayog kar sakte hai. Isse bachchon ke rujhan ki jankari bhi uplabdh ho sakti hai.

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  72. बच्चों का आकलन इस तरह से होना चाहिए कि उनके सीखने में आनेवाली कठिनाइयों को दूर किया जा सके। आकलन मौखिक,गतिविधि आधारित, गतिविधि के प्रति बच्चों में रुझान, अन्य बच्चों के साथ व्यवहार,शिक्कों के प्रति व्यवहार, बड़ों के साथ व्यवहार के द्वारा आकलन किया जा सकता है।

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  73. बुनियादी अवस्था में बच्चों का औपचारिक अथवा लिखित मूल्यांकन करना उचित नहीं होगा। इस अवस्था में बच्चों का अनौपचारिक बातचीत, खेल, उनकी गतिविधियों में शामिल होकर तथा उनके क्रियाकलापों का अवलोकन कर उनका मूल्यांकन किया जा सकता है। बच्चों से उनके आसपास तथा परिचित पर्यावरण से संबंधित बातों के द्वारा उनका मूल्यांकन किया जा सकता है।रणजीत प्रसाद मध्य विद्यालय मांडू,रामगढ़।

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  74. आकलन जिन बच्चों का किया जाना है वह वास्तव में इतने भोले भाले और परीक्षक जैसे शब्दों से अभी दूर होते हैं अर्थात हम बात कर रहे होते हैं बुनियादी कौशल के विकास में प्रारंभिक स्तर के बच्चों का आकलन मेरी समझ से बच्चों का आकलन निम्न विधियों से किया जा सकता है
    १) बच्चे का विद्यालय में व्यवहार
    २) सहपाठियों के साथ उसका व्यवहार
    ३) शिक्षकों के साथ का व्यवहार
    ४) विभिन्न विद्यालय गतिविधियों में उसकी भागीदारी
    ५) पढ़ाए जा रहे हैं या गतिविधि के अवलोकन में उसका व्यवहार
    ६) किस प्रकार के खेलों में रुझान व्यक्त करता है
    ७) क्या विद्यालय के परिवेश को अपना समझता है
    ८) क्या पर्यावरण के प्रति रुझान रखता है
    ९) मित्रों के साथ बोलने ,खेलने या अन्य क्रियाविधि में किए गए व्यवहार का आकलन
    १०) परिवार एवं पड़ोस के प्रति सामाजिक व्यवहार के आकलन से भी हम कई बुनियादी बातों का जानकारी पा सकते हैं और बच्चे के लिए रणनीति

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  75. Aaklan kai trh se kiya ja sakta hai. Isme bache ke rujhaan onki jigayasa aadt ruchi pasand napasand onki gatividhi aadi ko jankr ya awlokan kr onka aaklan kiya ja sakta hai.
    Prakash Mundu
    Middle school Rowauli
    Bandgaon west Singhbhum

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  76. बुनियादी स्तर पर बच्चों का मूल्यांकन अनौपचारिक रु से करना बेहतर होगा |इस अवस्था में बच्चे अधिकतर खेल में रुचि लेते हैं यदि उस खेल में ही अवधारणा को जोड़ दिया जाय तथा अवलोकन सूक्ष्मता से किया जाय तो उसका प्रारंभिक मूल्यांकन किया जा सकता है |

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  77. बुनियादी स्तर पर बच्चों का आकलन भिन्न भिन्न विधियों से किया जा सकता है जैसे -
    बच्चे का विद्यालय में व्यवहार कैसा है,सहपाठियों के साथ उसका व्यवहार कैसा है,शिक्षकों के साथ उसका व्यवहार भी समझने की आवश्यकता है,विभिन्न विद्यालय गतिविधियों में उसकी भागीदारी कैसी है,पढ़ाए जा रहे हैं या गतिविधि के अवलोकन में उसका व्यवहार कैसा है,किस प्रकार के खेलों में रुची लेता है,पर्यावरण के प्रति उसका विचार कैसा है,मित्रों के साथ कैसा व्यवहार कैसा है, परिवार एवं अड़ोस-पड़ोस के प्रति बच्चे का सामाजिक व्यवहार के आकलन से भी हम कई बुनियादी बातों का जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और बच्चे के लिए रणनीति बना सकते हैं

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  78. आकलन जिन बच्चों का किया जाना है वह वास्तव में इतने भोले भाले और परीक्षक जैसे शब्दों से अभी दूर होते हैं अर्थात हम बात कर रहे होते हैं बुनियादी कौशल के विकास में प्रारंभिक स्तर के बच्चों का आकलन मेरी समझ से बच्चों का आकलन निम्न विधियों से किया जा सकता है
    1) बच्चे का विद्यालय में व्यवहार
    2) सहपाठियों के साथ उसका व्यवहार
    3) शिक्षकों के साथ का व्यवहार
    4) परिवार एवं पड़ोस के प्रति सामाजिक व्यवहार के आकलन से भी हम कई बुनियादी बातों का जानकारी पा सकते हैं और बच्चे के लिए रणनीति बना सकते हैं

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  79. आकलन के प्रकार पहला अवलोकन विधि दूसरा खेल विधि तीसरा शिक्षकों एवं साफ पार्टियों के प्रति रुझान चौथा विद्यालय का परिवेश एवं पर्यावरण के प्रति रुझान व्यवहार परीक्षण इत्यादि प्रकार से बच्चों का आकलन किया जा सकता है

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  80. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एयरटेल एंड का सीधा संबंध बच्चों में बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान से है और बच्चों में ज्ञान की स्तर मैं वृद्धि हो तुम जांच जिसे आमतौर पर आकलन या मूल्यांकन माना जाता है किया जाना चाहिए जो पूर्णता अनौपचारिक हो जिससे बच्चों पर यह दबाव ना हो ।
    यह आकलन मुख्य रूप से अवलोकन,गतिविधियां, समानता और भिन्नता,संग्रह एवं मिलान,बड़ा छोटा,ऊपर नीचे,मोटा पतला,से संदर्भित एवं समूह में या एकल रूप मे लगातार होना चाहिए।
    PHULCHAND MAHATO
    UMS GHANGHRAGORA
    CHANDANKIYARI
    BOKARO

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  81. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्‍हें हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं।आकलन के प्रकारों में हम अपने विचार यहाॅ साझा कर रहे हैं।:---
    01)अवलोकन विधि:- इसके द्वारा हम सतत् रूप से बच्चों का किसी कार्य क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों एवं कमजोरियों का आकलन आसानी से कर सकते हैं।
    02)खेल विधि द्वारा:- इसके द्वारा भी हम बच्चों का सतत् आकलन कर सकते हैं।
    03)गतिविधियों में भाग लेने:- इसके द्वारा भी इनका सकारात्मक एवं नकारात्मक भावों की ओर इनके रूझान को हम जान सकते हैं।
    04)सहपाठियों एवं शिक्षकों के प्रति उनका रूझान:- इसके आधार पर भी कई बातों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
    05)विद्यालय परिवेश एवं पर्यावरण के प्रति रुझान:- इसके द्वारा भी की बातों का पता लगाया जा सकता है।आदि।

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  82. मौखिक और लिखित दोनो तरह के आकलन आवश्यक है, बच्चों के लिए कुछ तार्किक प्रश्नों का उपयोग करके भी आकलन किया जा सकता है,open ended प्रश्न भी किया जा सकता है।

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  83. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्हे हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं आकलन के प्रकारों में हम आपने विचारों को साझा कर रहे हैं:_१)अवलोकन विधि २)खेल विधि द्वारा ३)गतिविधियों में भाग लेने, ४)सहपाठियों एवम प

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  84. बेड बेड मौखिक और लिखित दोनों तरह के आकलन आवश्यक है। बच्चों के लिए तार्किक प्रश्नों का उपयोग करके भी बच्चों का आकलन किया जा सकता

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  85. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन पूर्णत:अनौपचारिक होना चाहिए। इस अवस्था में बच्चे औपचारिक मूल्यांकन के लिए स्वयं को तैयार नहीं कर पाते हैं ।अनौपचारिक मूल्यांकन के निम्नलिखित प्रकार हो सकते हैं
    अवलोकन
    खेल
    विभिन्न प्रकार की गतिविधियां
    शिक्षक को बच्चों के साथ अधिकतम समय व्यतीत कर के बच्चों की प्रत्येक गतिविधियों का सूक्ष्मता से अवलोकन करना एफ एल एन में आकलन का सबसे प्रमुख बिंदु माना जा सकता है

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  86. आकलन के प्रकारों में हम अपने विचारों को साझा कर रहे हैं 1)अवलोकन विधि 2) खेल विधि 3)गति विधियों में भाग लेने 4)सहपाठियों, पर्यावरण के प्रति रुझान ,शिक्षको को बच्चों के साथ समय व्यतीत करके सूक्ष्मताseअवलोकन करना fln में आकलन का सबसे प्रमुख बिंदु माना जा सकता है

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  87. Buniyadi avastha mein bacchon ke aaklan ke Kai prakar ho sakte hain. yah aakalan likhit Pariksha se alag honge .1 Khel vidhi ismein bacchon ki Ruchi e unka dusre se vyavhar bacche ki sharirik Shamita ka pata lagaya ja sakta hai. 2. Avlokan vidhi is vidhi se bacchon ka pratyek gatividhi mein main ab lokan dwara unka aakalan Kiya ja sakta hai. 3. Gatividhi dwara is vidhi mein bhi jab bacche alag alag tarah ki gatividhi kar rahe ho use samay main unki ruchi unka vyavhar aadi ka aaklan Kiya ja sakta hai. 4 Bacchon se baat karke bhi maukhik roop se a unka aakalan Kiya ja sakta hai.

    Manju Kumari
    UPG PS PURANA SALDIH BASTI
    Adityapur, gamharia
    Saraikela-kharsawan

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  88. एक शिक्षक जब अपनी कक्षा में शिक्षण कार्य करता है, तब वह यह जानने के लिए भी उत्सुक होता है।कि उसके शिक्षण कार्य के दौरान बच्चो ने कितना सीखा।और वह यही जानने के लिए शिक्षण के समय छोटे छोटे प्रश्न पूछता है और अपने छात्रों से उत्तर प्राप्त करता है।जो कि अनौपचारिक रूप से होता रहता है।
    इस प्रकार हम कह सकते हैं कि बुनियादी अवस्था मे बच्चों के उपलब्धियों एवं कौशलों को बढ़ाने के लिये आकलन के अनेक तरीके हो सकतें हैं।
    1.चित्र/ पोस्टर पठन विधि :-शिक्षण के दौरान शिक्षक विभिन्न प्रकार के पोस्टर चित्र आदि का प्रयोग करते हैं।बच्चों को उनसे संबंधित प्रश्न पूछकर आकलन कर सकतें हैं।
    2. अवलोकन विधि :-शिक्षक शिक्षण के समय अनेक गतिविधियों का आयोजन करते हैं।उस दौरान बच्चे गतिविधियों में कितनी रुचि ले रहे हैं।किस प्रकार की गतिविधियों में भाग लेना पसंद करते हैं।इसकी सूचना प्राप्त कर सकतें है।
    3. खेल विधि:- खेल बच्चों की एक स्वाभाविक क्रिया है । बच्चों को भिन्न भिन्न खेलों में शामिल कर आकलन कर सकतें हैं।
    4.घटना-वृत्तांत/कहानी कथन विधि:-बच्चों को कहानी सुनना और उसे दोहराना या अपने साथी को सुनाना बहुत पसंद होता है।बच्चे को कहानी/घटना सुना कर या उससे सुनकर उसकी अभिव्यक्ति कौशल को जान पाएंगे।

    इस प्रकार हम कह सकते हैं शिक्षक निर्मित्त आकलन से बच्चे के शैक्षिक प्रगति का पता लगाया जा सकता है।

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  89. आकलन कई प्रकार हैं जिन्हें बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ किया जा सकता है-1 अवलोकन विधि २ खेत विधि 3 गतिविधियों

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  90. Aakalan ke taur par ham bachcho se maukhik question kar sakte hai ratha likhit exam bhi le sakte hai

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  91. आकलन केआके कई विधियां होती है जैसे खेल विधि अवलोकन विधि बच्चों की रुचि शिक्षकों के प्रति यह पता चलता है कि बच्चों में कितनी तरक्की हो रही है और वे अपने से अध्यापन के प्रति कितने सजग है।

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  92. बच्चों के आकलन के लिए कई तरीके अपनाए जा सकते हैं जैसे- उनकी जिज्ञासा के अनुसार, उनके खेल में भाग लेने के अनुसार, उनकी गतिविधियों के अनुसार , विद्यालयों के कार्यों में उनकी रुचि के अनुसार आदि।

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  93. एक शिक्षक जब अपनी कक्षा में शिक्षण कार्य करता है, तब वह यह जानने के लिए भी उत्सुक होता है।कि उसके शिक्षण कार्य के दौरान बच्चो ने कितना सीखा।और वह यही जानने के लिए शिक्षण के समय छोटे छोटे प्रश्न पूछता है और अपने छात्रों से उत्तर प्राप्त करता है।जो कि अनौपचारिक रूप से होता रहता है।
    इस प्रकार हम कह सकते हैं कि बुनियादी अवस्था मे बच्चों के उपलब्धियों एवं कौशलों को बढ़ाने के लिये आकलन के अनेक तरीके हो सकतें हैं।
    1.चित्र/ पोस्टर पठन विधि :-शिक्षण के दौरान शिक्षक विभिन्न प्रकार के पोस्टर चित्र आदि का प्रयोग करते हैं।बच्चों को उनसे संबंधित प्रश्न पूछकर आकलन कर सकतें हैं।
    2. अवलोकन विधि :-शिक्षक शिक्षण के समय अनेक गतिविधियों का आयोजन करते हैं।उस दौरान बच्चे गतिविधियों में कितनी रुचि ले रहे हैं।किस प्रकार की गतिविधियों में भाग लेना पसंद करते हैं।इसकी सूचना प्राप्त कर सकतें है।
    3. खेल विधि:- खेल बच्चों की एक स्वाभाविक क्रिया है । बच्चों को भिन्न भिन्न खेलों में शामिल कर आकलन कर सकतें हैं।
    4.घटना-वृत्तांत/कहानी कथन विधि:-बच्चों को कहानी सुनना और उसे दोहराना या अपने साथी को सुनाना बहुत पसंद होता है।बच्चे को कहानी/घटना सुना कर या उससे सुनकर उसकी अभिव्यक्ति कौशल को जान पाएंगे।

    इस प्रकार हम कह सकते हैं शिक्षक निर्मित्त आकलन से बच्चे के शैक्षिक प्रगति का पता लगाया जा सकता है। Kishor Kumar Ray ,UHS.KATHGHARI DEOGHAR

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  94. कक्षा में शिक्षण कार्य करते समय शिक्षा किया जानने के लिए उत्सव की शिक्षण कार्य के दौरान बच्चे ने क्या सिखा यह जानने के लिए शिक्षण के समय छोटे-छोटे प्रश्न पूछता है और अपने छात्रों से उत्तर प्राप्त होता है जो अनौपचारिक रूप से होते रहता है बच्चों की उपलब्धि एवं कौशल को बढ़ाने के लिए आकलन के कई तरह के हो सकते हैं चित्र पठन विधि खेल विधि अवलोकन विधि कहानी कथन विधि इस प्रकार शिक्षक के निर्मित आकलन से बच्चे के शैक्षिक प्रगति का पता लगाया जा सकता है।

















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  95. आकलन कई तरह से किया जा सकता है जिसमें बच्चों की रुझान उनकी जिज्ञासा आदत रुचि पसंद ना पसंद खेल गतिविधि आदि को जानकर या अवलोकन कर उनका आकलन किया जा सकता है

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  96. प्रारंम्भिक अवस्था में आकलन के लिये बच्चों के संग बच्चा बनना होगा।उनके सोचने और समझने के स्तर को समझना होगा।उनकी अनुभूतियों को अपने बचपन की अनुभूतियों से मन में मिलान करना होगा।तब जाकर हम उनके क्रियाकलापों का वास्तविक आकलन कर पायेंगे।जैसे-
    1.बच्चे खेल के समय सांसारिकता से दूर होकर अपने निच्छल प्रेम का या असहमति के भाव का प्रदर्शन करते हैं।
    2.वे हार की भवना को प्रारंभ में सहन नहीं कर पाते लेकिन जल्द ही उसकी वास्तविकता को आत्मसात भी कर लेते हैं।उनकी इन नैसर्गिक प्रतिभाओं को सहेज कर हम उनके विकास को सही मार्ग दिखा सकते हैं।
    3.किसी घटना के अवलोकन में उससे प्रश्नः पूछने पर उनके उत्तर का विश्लेषण बच्चे के स्तर पर जाकर ही करना श्रेयस्कर होता है।
    इस तरह के क्रियाकलापों से उनके अधिगम में रुचिपूर्ण वृद्धि होगी।
    अशोक कुमार सिंह, स शि, उच्च विद्यालय भौंरा,झरिया,धनबाद।

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  97. अकलन्क कई प्रकार के होते हैं।जैसे उनकी जिज्ञाशा,खेल विधि से चित्रों को दिखाकर,और कई गतिविधि के द्वार आकलन किया जा सक्ता है।

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  98. Bachchon ka aanklan kai se kar sakte hain. Jaise:- shikshan ke dauran khel-khel me,pathan aur lekhan me, gatividhi me bhagidari, project kary me, kavita ya kahani pathan me, kisi natak me abhinay, sikshakon avam abhibhawako se batchit ke dauran, poster ko dikhakar aadi.

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  99. Aakalan kai prakaar ke hote hai jaise unki jigyasha khel bhidhi se chitron ko dikakar aur kai gatibhidhi ke dwaara aakalan kiya ja sakta hai

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  100. आकलन के अनेक प्रकार हो सकते हैं:-मौखिक प्रश्नोत्तरी, गतिविधियों में शत्-प्रतिशत भागेदारी,बच्चों के कार्यकलापों का सुक्ष्म निरीक्षण,खेलकूद में उनकी रूचि तथा समाज के प्रति उनका नजरिया|

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  101. बुनियादी अवस्था में बच्चों का अनौपचारिक आकलन किया जा सकता है। लिखित परीक्षा द्वारा आकलन अथवा औपचारिक आकलन उनके लिए उपयुक्त नहीं होगा। हम उनके विद्यालय में दिन-प्रतिदिन के व्यवहार का अवलोकन कर उनके संबंध में आकलन कर सकते हैं जैसे मित्रों के साथ उसका व्यवहार, शिक्षकों के साथ व्यवहार,खेलकूद के प्रति रुचि, खेलकूद के अलावा अन्य गतिविधियों में रुचि, स्वच्छता के प्रति उसकी जागरूकता,अनुशासन का पालन करता है या नहीं आदि।

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  102. अनौपचारिक आकलन इस अवस्था मे सर्वोपयोगी है। इसकी अनेक विधियां हो सकती है जैसे-अवलोकन विधि,खेलकूद विधि,सहपाठियों के साथ अन्तःपरस्परिक संबंध,शिक्षकों के प्रति रुझान,विद्यालय परिवेश के प्रति रुझान आदि।

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  103. औपचारिकआकलनइस अवस्था मेंउपयोगी हैकी गतिविधियां हो सकती हैजैसेअवलोकन विधिखेलकूद विधिसहपाठियों के साथपारीकसंबंधशिक्षकों के प्रतिरोजारुझानविदविद्यालय प्रवेश के प्रति रुझान

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  105. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन पूर्ण रूप से औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों तरीकों से होना चाहि। जैसे-उन्हें चित्र दिखाकर प्रश्न पूछना एवं खेल-खेल में प्रश्न पूछना,मौखिक प्रश्न पूछना,विद्यालय परिवेश एवं पर्यावरण के प्रति व्यवहार तथा विभिन्न प्रकार के गतिविधियों द्वारा उनका आकलन किया जा सकता है। Oman khan u m s Tikuldiha(meral) Garhwa

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  106. आकलन के कई प्रकार हो सकते हैं जो बच्चों के बुनियादी अवस्था मे प्रयोग किया जा सकता है।मसलन खेल खेल में भारी हल्का,बड़ा छोटे आदि।

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  107. अवलोकन,चित्रकला,लर्निंग आउटकम,खेल विधि है ।

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  108. अवलोकन, चित्रकला, लर्निंग आउटकम, खेल विधि है ।

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  109. अवलोकन, चित्रकला, लर्निंग आउटकम, खेल विधि है।

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  110. आकलन के कई प्रकार हैं जैसे अवलोकन विधि,खेल विधि गतिविधि आधारित इत्यादि। अनौपचारिक विधियों का प्रयोग ज्यादा किया जाना चाहिए

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  111. Assessment for fundamental stage- by observation, by activities, by questionnaire , by portfolios etc.

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  112. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्‍हें हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं।आकलन के प्रकारों में हम अपने विचार यहाॅ साझा कर रहे हैं।:---
    01)अवलोकन विधि:- इसके द्वारा हम सतत् रूप से बच्चों का किसी कार्य क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों एवं कमजोरियों का आकलन आसानी से कर सकते हैं।
    02)खेल विधि द्वारा:- इसके द्वारा भी हम बच्चों का सतत् आकलन कर सकते हैं।
    03)गतिविधियों में भाग लेने:- इसके द्वारा भी इनका सकारात्मक एवं नकारात्मक भावों की ओर इनके रूझान को हम जान सकते हैं।
    04)सहपाठियों एवं शिक्षकों के प्रति उनका रूझान:- इसके आधार पर भी कई बातों का अंदाजा लगाया जा सकता है

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  113. आकलन के अनेक प्रकार होते हैं जिसको हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं|
    आकलन के प्रकार-
    1) अवलोकन
    2) खेल
    3) गतिविधि
    4) सहपाठियों के प्रति रूझान

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  114. मेरे विचार से बच्चों का आकलन औपचारिक और अनौपचारिक दोनों के विधि से होना चाहिए.

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  115. प्रारम्भिक अवस्था में किसी भी बच्चे का आकलन उनके विभिन्न गतिविधियों तथा क्रिया करै द्वारा किया जा सकता है। जैसे सहपाठियों के साथ व्यवहार, शिक्षकों के साथ व्यवहार। किसी गतिविधि में उनकी भागीदारी। किसी खेल में रुचि, भागीदारी, सहभागियों के साथ व्यवहार,मनोयोग आदि।

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  116. आकलन के निम्न प्रकार हैं उपयुक्त साक्षरता और संख्या ज्ञान अनुभव और गतिविधियां अभिभावकों को आकलन चक्र में शामिल करके, आकलन डाटा में सुधार व्यक्तिगत तथा समूह से प्रयोग करके, बच्चे क्या और कैसे करते हैं परिवेश और क्षेत्रों में कैसे करते हैं, खेल खेल गतिविधि के द्वारा, रोचक कहानियां सुना कर, आनंदमई वातावरण बनाकर एवं गीत संगीत इत्यादि के द्वारा किया जा सकता है
    धन्यवाद
    चंचला रानी
    उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय जमुनियाटांड़ (पचड़ा)
    प्रखंड-केरेडारी
    जिला हजारीबाग
    झारखंड

    पचड़ा)

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  117. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्‍हें हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं।आकलन के प्रकारों में हम अपने विचार यहाॅ साझा कर रहे हैं।:---
    1 अवलोकन विधि:- इसके द्वारा हम सतत् रूप से बच्चों का किसी कार्य क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों एवं कमजोरियों का आकलन आसानी से कर सकते हैं।
    2 खेल विधि द्वारा:- इसके द्वारा भी हम बच्चों का सतत् आकलन कर सकते हैं।
    3 गतिविधियों में भाग लेने:- इसके द्वारा भी इनका सकारात्मक एवं नकारात्मक भावों की ओर इनके रूझान को हम जान सकते हैं।
    4 सहपाठियों एवं शिक्षकों के प्रति उनका रूझान:- इसके आधार पर भी कई बातों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
    5 विद्यालय परिवेश एवं पर्यावरण के प्रति रुझान:- इसके द्वारा भी की बातों का पता लगाया जा सकता है।
    6 जब बच्चे किसी गतिविधि कर रहे होते हैं तो उस दरम्यान हम बच्चों से यह कैसे हुआ?, इसे ऐसे किया जाता तो क्या होता?, इसके आगे क्या हो सकता था?आदि कुछ पप्रश्नों को पूछ कर उनका मूल्यांकन भी किया जा सकता है।
    ANIL KR SINGH
    AMS RANCHI ROAD
    RAMGARH

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  118. Mere vichar se bacchhon ka aaklan aupcharik aur anoaupcharik dono ke vidhi se hona chaiye

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  119. औपचारिक और अनौपचारिक दोनों विधियों से बच्चों का आकलन बुनियादी स्तर पर होना चाहिए।

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  120. Aaklan ke kai prakar jinhe hum buniyadi awastha me bachcho ke sath sajha kar sakte hai –1) awalokan bidhi,2) khel bidhi 3) gatibidhio me bhag lene 4) sahapathiyo awang sikshako ke prati unka rujhan 5) vidyalay parivesh awang paryawaran ke prati rujhan.

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  121. इसमें सिखाने की प्रक्रिया में आकलन का या मूल्यांकन का बहुत ही महत्व है बाल्यावस्था में बच्चों का आकलन अनौपचारिक रूप से होना चाहिए इसके लिए निम्नांकित तरीके हो सकते हैं पहला अवलोकन इसके द्वारा हम बच्चों की बारीकी से अवलोकन कर उनका मूल्यांकन कर सकते हैं दूसरा खेल खेल में बड़ा छोटा का ज्ञान कराया जा सकता है तीसरा अन्य गतिविधियों में बच्चे की रुचि आदत स्वभाव आदि का पता लगाया जा सकता है और उसके बाद उचित निर्णय लिया जा सकता है धन्यवाद

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  122. SUBHADRA KUMARI
    RAJKIYAKRIT M S NARAYANPUR
    NAWADIH BOKARO
    बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन - अवलोकन के द्वारा,खेलों के माध्यम से तथा विभिन्न प्रकार के गतिविधियों के तहत अनौपचारिक तरीके से कर सकते है।इस प्रकार के आकलन से बच्चों को पता भी नहीं चलेगा कि उसका आकलन हो रहा है। जैसे -कहानी ,कविता, बालगीत आदि से संबंधित उनके रुचि के अनुसार वार्त्तालाप के माध्यम से बच्चों का आकलन कर सकते है।
    धन्यवाद

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  123. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन - अवलोकन के द्वारा,खेलों के माध्यम से तथा विभिन्न प्रकार के गतिविधियों के तहत अनौपचारिक तरीके से कर सकते है।इस प्रकार के आकलन से बच्चों को पता भी नहीं चलेगा कि उसका आकलन हो रहा है। जैसे -कहानी ,कविता, बालगीत आदि से संबंधित उनके रुचि के अनुसार वार्त्तालाप के माध्यम से बच्चों का आकलन कर सकते है।
    धन्यवाद

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  124. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन - अवलोकन के द्वारा,खेलों के माध्यम से तथा विभिन्न प्रकार के गतिविधियों के तहत अनौपचारिक तरीके से कर सकते है।इस प्रकार के आकलन से बच्चों को पता भी नहीं चलेगा कि उसका आकलन हो रहा है। जैसे -कहानी ,कविता, बालगीत आदि से संबंधित उनके रुचि के अनुसार वार्त्तालाप के माध्यम से बच्चों का आकलन कर सकते है।
    धन्यवाद jay parkash Singh ups hariya

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  125. बुनियादी आकलन के कई प्रकार हैं जिन्हें हम बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक है -
    (क) पर्यावरण के प्रति उनका रुझान:- पेड़-पोधे के प्रति जागरूक करने से बच्चे का उनके वातावरण के प्रति संवेदना पता चलता है।
    (ख) खेल विधि द्वारा:- इसके माध्यम से बच्चे संगठन रूप से किस प्रकार विकसित होता हैं ये सीखते हैं।
    (ग) गतिविधि द्वारा:- बच्चे जब विभिन्न गतिविधियों में भाग लेते हैं तो इससे यह पता चलता है कि किस बच्चे मैं आत्मविश्वास की कमी है और किसमे नहीं।

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  126. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्हे हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं आकलन के प्रकारों में हम आपने विचारों को साझा कर रहे हैं:_१)अवलोकन विधि २)खेल विधि द्वारा ३)गतिविधियों में भाग लेने, ४)सहपाठियों एवम पर्यावरण के प्रति रुझान

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  127. आकलन के कई प्रकार हैं, जिन्हें हम बुनियदि अवस्था में प्रयोग कर सकते हैं जैसे
    १.अवलोकन विधि।
    २.खेल विधि।
    ३.खोज विधि।
    ४.सहपाठियों एवं शिक्षकों के प्रति व्यवहार।
    ५.विद्यालय गतिविधियों के प्रति रुझान।
    ६.कक्षा के प्रति रुचि एवं उपस्तिथि।
    ७.पर्यावरण के प्रति रुझान।
    ८.सामजिक सद्भावना एवं व्यवहार।
    उपरोक्त आकलन के प्रकारों द्वारा बुनियदि अवस्था में बच्चों का बिना लिखित परीक्षा के आकलन किया जा सकता है।

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  128. आकलन जिन बच्चों काम किया जाना है वह वास्तव में बहुत कम उम्र एवं परीक्षण जैसे शब्दों से अनभिज्ञ होते हैं।बुनियादी स्तर पर बच्चों काम आकलन एक कठिन और सावधानी से किया जाने वाला कार्य है।मेरे विचार से प्रारंभिक स्तर पर बच्चों काम आकलन निम्न विधियों से किया जाना श्रेयस्कर होगा--
    क. बच्चों के अभिभावकों से बच्चों की विस्तृत जानकारी इक्कठा करना।
    ख बच्चों काम विद्यालय में व्यवहार।
    ग साथियों के साथ उनका व्यवहार।
    घ. शिक्षकों के साथ उनका व्यवहार।
    च विद्यालय के विभिन्न गतिविधियों में उनकी भागीदारी।
    च गतिविधियों के अवलोकन में उनका व्यवहार।
    ज उनका रुझान किस तरह के खेलों में है।
    झ विद्यालय परिवेश से वे कितना अपनापन रखते हैं।
    ट प्रयावरण के प्रति उनका दृष्टिकोण।
    ठ साथियों के साथ संवाद, खेलने,पढ़ने, खाने एवं वस्तुओं के आदान-प्रदान में उनका व्यवहार।
    ड. परिवार, एवं समाज के प्रति उनका लगाव एवं व्यवहार।
    उपरोक्त बातें ध्यान में रखकर हम बच्चों काम बुनियादी स्तर पर गैर लिखित आकलन कर सकते हैं।
    अनिल तिवारी
    सहायक शिक्षक
    रा म विद्यालय दुलदुलवा
    मेराल, गढवा, झारखंड







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  129. आकलन के कई प्रकार हैं जिसको हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं- अवलोकन विधि,खेल विधि,गतिविधियों में भाग लेना,सहपाठियों एवं शिक्षको के प्रति रूझान,विद्यालय परिवेश एवं पर्यावरण के प्रति रूझान।

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  130. बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग की जाने वाली अनौपचारिक आकलन की विधियां निम्न प्रकार से अपनाई जा सकती है 1.बच्चों को कहानी,कविता,गीत आदि सुनाकर या चित्र दिखाकर मौखिक प्रश्न पूछकर। 2. बच्चों के व्यवहार अपने मित्रो, शिक्षकों,एवम अन्य लोगों के साथ कैसा है यह देखना। 3.कक्षा या विद्यालय की गतिविधियों में उनकी सहभागिता एवम उपलब्धि के आधार पर। 4.सामुदायिक कार्यों जैसे असेंबली, प्रार्थना, बागवानी आदि में सहभागिता एवम रुचि के आधार पर।

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  131. Buniyadi awastha me bachchon ke aakalan ki nimna widhiyan apanayi ja sakti hai ......
    1 maukhik prashnotri
    2 vibhin gatividhiyon me bhagidari
    3 apne se badon aour chhoton ke sath bewvhar ,etc

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    1. Buniyadi awastha me bachchon k aakalan ki nimna widhiyan apnayi ja sakti hai......
      1.maoukhik (kahani, prashnotri)
      2.wibhinn gatividhiyon me bhagidari
      3.vidhalay me sixhakon awam sahpathiyon ke sath beecha.etc

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  132. आकलन के कई ऐसे प्रकार हैं जिन्हें हम बच्चों के बुनियादी अवस्था में प्रयोग कर सकते हैं जैसे-अवलोकन, खेल विधि, गतिविधि, सहपाठी एवं शिक्षकों के प्रति बच्चों का रुझान।

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  133. Buniyadi awastha me prayog ki jane wali gatividhi tatha kahani sangit ke madhyam se abam khel vidi tatha kabita pathan ke madhyam se tatha unke sahapathio ke dwara bachho ka rujhan lana

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  134. Kahani,kawita, khel-khel me shiksha, paryawaran,sahpathi sahayak gatiwidhi, swayam shikhnee ka prayas ityadi ke madhyam se bachhon me rujhan laya ja sakta hai.

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  135. बुनियादी अवस्था में बच्चों के आकलन के लिखित परीक्षा के अतिरिक्त निम्न प्रकार हो सकते हैं।1.अवलोकन2.जिज्ञासा प्रवृत्ति 3.खेल के माध्यम से आकलन.4.मौखिक रूप से परिवेश जनित ज्ञान का आकलन

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  136. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्‍हें हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं__
    01)अवलोकन विधि:- इसके द्वारा हम सतत् रूप से बच्चों का किसी कार्य क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों एवं कमजोरियों का आकलन आसानी से कर सकते हैं।
    02)खेल विधि द्वारा:- इसके द्वारा भी हम बच्चों का सतत् आकलन कर सकते हैं।
    03)गतिविधियों में भाग लेने:- इसके द्वारा भी इनका सकारात्मक एवं नकारात्मक भावों की ओर इनके रूझान को हम जान सकते हैं।
    04)सहपाठियों एवं शिक्षकों के प्रति उनका रूझान:- इसके आधार पर भी कई बातों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
    05)विद्यालय परिवेश एवं पर्यावरण के प्रति रुझान:- इसके द्वारा भी की बातों का पता लगाया जा सकता है।
    5) बच्चों से मौखिक प्रश्न पूछ कर भी उसका आकलन कर सकते हैं आदि।

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  137. आकलन के निम्नलिखित प्रकार हैं जिन्हें मैं बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकता हूं:-
    (1) अवलोकन विधि ।
    (2) गतिविधियों में भाग लेना ।
    (3) सहपाठियों के साथ व्यवहार ।
    (4) शिक्षकगण के साथ व्यवहार।
    (5) अभिभावक के साथ व्यवहार ।
    (6) विद्यालय परिसर से बच्चों का लगाव ।
    (7) सतत् मौखिक मूल्यांकन ।
    उपर्युक्त लिखित परीक्षण से भिन्न आकलन विधियों का उपयोग कर
    बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन किया जा सकता है ।

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  138. बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के आकलन कई प्रकार से किए जा सकते हैं जैसे-अवलोकन, खेल विधि, गतिविधि में सहभागिता,शिक्षकों एवं सहपाठियों के साथ व्यवहार, अभिव्यक्ति, विद्यालय के साथ जुड़ाव आदि कई तरीकों से किया जा सकता है।

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  139. Buniadi astar m bachho ka aaklan anopcharik hona Chahiye. Mere hisab se aaklan ke nimna tarike ho sakte hain :-
    1.Awlokan ke dwara
    2.Khel ke dwara
    3.Gatibidhiyon ke dwara
    4.Abhiwawak, Sahpathi tatha Sichhak ke prati wehwar.
    5.School campus tatha environment ke pratibachhon ka rujhan.
    ......MS KUSUNDA MATKURIA DHANBAD 1

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  140. Bachho ka aaklan anopcharik hona Chahiye. Yeh aaklan nimn prakar k ho sakte hain:-
    1.Awlokan dwara
    2.Khel dwara
    3.Gatibidhiyon dwara
    4.Teacher, Avivawak tatha Sahpathi ke prati wehwar.
    5.School campus tatha environment k prati rujhan.
    ......MS KUSUNDA MATKURIA DHANBAD 1

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  141. Jitendra Kumar Singh
    +2 upg high school Deokuli,Ichak,H.Bag, Jharkhand
    बच्चों का आकलन करते समय कुछ मूलभूत बातों पर ध्यान देने की जरूरत है।हमें उन बातों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत जो बच्चों ने सीखा है।

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  142. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन अवलोकन विधि, खेल विधि, एवं विभिन्न गतिविधियों द्वारा किया जा सकता है।

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  143. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन अनौपचारिक तरीके से होने चाहिए।अनौपचारिक मूल्यांकन के निम्नलिखित तरीके हो सकते हैं
    अवलोकन
    खेल
    विभिन्न प्रकार की गतिविधियां
    शिक्षक को पर्याप्त समय देकर बच्चों के क्रियाकलापों का सूक्ष्म अवलोकन कर आकलन करना चाहिए।
    विश्वनाथ मंडल
    महेन्द्र उच्च विद्यालय बरवा पूर्व ,धनबाद।

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  144. बुनियादी अवस्था में कई प्रकार के आकलन का प्रयोग किया जा सकता है जैसे अवलोकन, सामुहिक गतिविधियों में सहभागिता, परियोजना कार्य कलापों मे रुचि, गीत संगीत भाषण आदि में सहभागिता इत्यादि।

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  145. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्हे बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग किया जा सकता है:- 1 अवलोकन विधि:-इसके द्वारा सतत रूप से बच्चों का उपलब्धि तथा कमजोरी का आकलन किया जा सकता है. 2. खेल विधि:- इसके द्वारा भी सतत रूप से बच्चों का आकलन किया जा सकता है. 3. गतिविधि:-इसके द्वारा भी बच्चों का सकरात्मक तथा नकरामक भावों को जान पाते हैं. 4. शिक्षकों तथा सहपाठी के प्रति रुझान से भी उनका मनो भाव को जान पाते हैं. 5. विद्यालय परिवेश तथा पर्यावरण के प्रति रूझान से भी उनके मनो भाव को जान पाते हैं.Ravindra Prasad Mahto ups haraiya tandwa chatra jharkhand

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  146. Buniyadi awastha me bachho ka aaklan awalokan Vidhi,Khel Vidhi evam wibhin gatividhiyan dwara Kiya ja Sakta Hai.

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  147. Aakalan ke aise prakar jinhe hum bachchon ke buniyadi awastha me prayog kar sakte hain..wo hain...by oral questioning,by observation,by playing games,by behavior with others..etc..

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  148. आकलन के कई ऐसे प्रकार है जिन्हें हम बच्चों के बुनियादी अवस्था में प्रयोग कर सकते है जैसे - अवलोकन,खेल विधि,गतिविधि, सहपाठी एवम शिक्षको के प्रति बच्चो का रुझान।

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  149. बुनियादी स्तर पर बच्चों का मूल्यांकन विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जैसे अवलोकन, खेल, गतिविधियों में भागीदारी, सहपाठियों और शिक्षकों के प्रति दृष्टिकोण।

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  150. बच्चों के बुनियादी स्तर पर आकलन के कई प्रकार हैं, इस स्तर पर मुख्यतः अनौपचारिक रूप से ही आकलन किया जाना बेहतर होता है जैसे 1 अवलोकन विधि 2 खेल विधि 3 गतिविधि विधि 4 कहानी, गीत, कविता सुनाकर और इससे संबंधित बातचीत करके एवम प्रश्न पुछकर 5 बच्चों का अपने शिक्षक एवम सहपाठियों के प्रति रुझानों को जानकर आदि आदि। तारकेश्वर राणा, सहायकअध्यापक,UPG MS Ramu Karma, Rampur, chouparan, hazaribagh

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  151. बुनियादी स्तर पर बच्चों का मूल्यांकन विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है । परन्तु हमें लिखित परीक्षा पर निर्भर न रहकर मौखिक आकलन करना चाहिए । आकलन अधिगम के पूर्व ' अधिगम के दौरान और अधिगम के उपरान्त किया जा सकता है । आकलन स्वयं के द्वारा ' सहपाठियों के द्वारा तथा शिक्षणकर्ता के द्वारा किया जाता है। इसके कई तरीके हो सकते हैं यथा :अवलोकन,खेल विधि,गतिविधि, सहपाठी एवम शिक्षको के प्रति बच्चो का रुझान आदि आदि ।

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  152. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्हे बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग किया जा सकता है:- 1 अवलोकन विधि:-इसके द्वारा सतत रूप से बच्चों का उपलब्धि तथा कमजोरी का आकलन किया जा सकता है. 2. खेल विधि:- इसके द्वारा भी सतत रूप से बच्चों का आकलन किया जा सकता है. 3. गतिविधि:-इसके द्वारा भी बच्चों का सकरात्मक तथा नकरामक भावों को जान पाते हैं. 4. शिक्षकों तथा सहपाठी के प्रति रुझान से भी उनका मनो भाव को जान पाते हैं. 5. विद्यालय परिवेश तथा पर्यावरण के प्रति रूझान से भी उनके मनो भाव को जान पाते हैं.

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  153. विभिन्न आकलन की गतिविधियों को हम दो श्रेणियों में बांट सकते हैं :-
    1)औपचारिक आकलन
    2)अनौपचारिक आखयान।
    औपचारिक आकलन के तहत लिखित परीक्षाएं ,साक्षात्कार कविता पाठ ,कहानी कथन,व्याख्यान आदि हो सकते हैं।
    अनौपचारिक आकलन के तहत विभिन्न गतिविधियों के दौरान बच्चों द्वारा दी गई भागीदारी, विभिन्न गतिविधियों के दौरान बच्चों का अवलोकन ,सामूहिक चर्चा, खेल आधारित गतिविधि और अवलोकन आदि आ सकते हैं।
    बुनियादी अवस्था में बच्चों के आकलन के लिए औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों आकलन का समावेश करना जरूरी है। हां! यह सत्य है कि अनौपचारिक आकलन की भागीदारी ज्यादा होनी चाहिए।

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  154. आकलन दो तरह से किया जा सकता है
    1.औपचारिक
    2.अनौपचारिक
    औपचारिक आकलन साक्षात्कार, कविता पाठ,कहानी,व्याख्यान आदि।
    अनौपचारिक विभिन्न गतिविधियों के द्वारादी गई भागीदारी, सामुहिक चर्चा आदि आ सकते हैं।
    बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन मे अनौपचारिक आकलन की भागीदारी अधिक होनी चाहिए।

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  155. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्हे हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं। जैसे - अवलोकन विधि,खेल विधि,गतिविधियों में भाग लेना,सहपाठियों एवं शिक्षकों के प्रति रुझान,विद्यालय और पर्यावरण के प्रति रुझान आदि

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  156. Akalan ke koi prakar hai jinhe ham buniyadi abastha me bochchon ke sath prayog kar sakte hain.Akalan ke prakaron me ham apne bicharon ko sajha kar sake hain.Abalokan bidhi khel bidhi dwara gatibidhon me bhag Lena Saha pathion Anam parjabaran ke prati rujhan.

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  157. Buniyadi avastha mein sabse pahle bacche ka purv Anubhav ka aakalan hona chahie isase shikshakon ko bacchon ke Parivar ki prishthbhumi ka pata chalta hai aur shikshak bacchon ki avashyakta anusar uske Vikas mein yathasambhav madad kar sakte hain

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  158. प्रारंभिक कक्षाओं के बच्चों के अधिगम स्तर की जांच और मूल्यांकन हेतु लिखित से अधिक उपयुक्त मौखिक जांच होगा क्योंकि प्रारंभिक स्तर पर बच्चों की लिखित की अपेक्षा मौखिक भाषा की पकड़ अच्छी होती है। और मातृभाषा से अच्छी दूसरी भाषा हो नहीं सकती।

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  159. मेरे विचार से बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग की जा सकने वाली आकलन के प्रकार निम्नवत हो सकते हैं,जो लिखित परीक्षा से भिन्न भी होगी :
    १) मातृ-भाषा में बोलने,व्यक्त करने,विचार देने आदि की क्षमता का आकलन।
    २) समुदाय की अन्य भाषाओं का आदर तथा सीखने में रूचि पर आकलन।
    ३) अपने साथियों के बीच लिंक भाषा का प्रयोग पर |
    ४) कहानी सुनने तथा बोलने की प्रति रुचि एवं विचार अभिव्यक्तिकरण पर।
    ५) परिवेश ( पर्यावरण)के प्रति ध्यान तथा जवाबदेही (कर्तव्य)पर।
    ६) जिज्ञासा, अनुभव तथा ज्ञान पर।
    ७) पूर्वज्ञान का प्रयोग पर।
    ८) प्राकृतिक वस्तुओं की पहचान पर।
    ९) शिष्टाचार,एकाग्रता तथा नैतिकता का ज्ञान पर।
    १०) बड़ों के प्रति सम्मान व्यक्त पर।
    ११) डर,भय,दहशत,झिझक,भूख,प्यास,अधिगम आदि को साथियों से साझा करने की क्षमता पर।
    १२) सहयोग की भावना संवेदना ( अनुभूति) की प्रकाश पर।
    १३) सु-स्वास्थ्य पर।
    १४) खेल के प्रति रुचि एवं नेतृत्व क्षमता पर।
    १५) गतिविधि के प्रति रुझान तथा भागीदारी पर।
    १६) रूचि रखने वाले भोजन के नाम की जानकारी पर।
    १७) घर पर खाई जाने वाली भोजन के नाम की जानकारी पर।
    १८) संपर्कित व्यक्तियों की "संबोधन शब्द"की जानकारी,जैसे- चाचा,मामा,नाना,दादा ,भैया,दीदी आदि पर |
    १९) गांव में उगने वाले फसलों, सब्जियों ,फलों,फूलों आदि के नाम पर।
    २०) अपने परिवेश में पाए जाने वाले पक्षियों तथा जंतुओं के नाम पर।
    २१) जल स्रोत का नाम की जानकारी( कुंआ,चापाकल,नदी पोखर,नल,बादल आदि पर।
    २२) छोटी-बड़ी ,लंबा -छोटा ,हल्की -भारी, पतला -मोटा ,गर्म -ठंडा ,कम -बेसी ,थोड़ा -अधिक, रुखड़ा- मुलायम,कड़ा- नरम,खुरदरा-चिकना ,खट्टा -मीठा आदि का अंतर के साथ ज्ञान की जानकारी पर|
    २३) गरम वस्तुओं को छूने का अनुभव, बर्फ /आइसक्रीम को छूने का अनुभव ,बिजली से खतरे का ज्ञान आदि पर।
    २४) गिनती का ज्ञान तथा कम -अधिक का अनुभव पर।
    २५) स्वास्थ्य चेतना ,स्वच्छता के प्रति सचेतनता,स्वच्छ पानी पीने का आदत आदि पर।
    २६) धीरज के साथ बात करना, समझ के साथ सुनना एवं बोलना,विचार अभिव्यक्तिकरण पर।
    27) संगीत,नृत्य,नाटक,हावभाव आदि का अभिव्यक्ति करण पर |
    28) सहानुभूति ,दुख ,शोक ,आनंद ,हर्ष आदि की अभिव्यक्ति करण पर।



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  160. बुनियादी अवस्था में बच्चे औपचारिक मूल्यांकन के लिए परिपक्व नही होते है।इस अवस्था मे बच्चो का मूल्यांकन अनौपचारिक होना चाहिए। जिसमें बच्चो को आनंद आए।मूल्यांकन अवलोकन, खेल विधि,अनेक गतिविधियों के माध्यम से किया जा सकता है।साथ ही बचचों के माता पिता से उनकी रूची,गतिविधि जो घर
    पर करते है की जानकारी लेनी चाहिए। मूल्यांकन करने में सहयोग करेगा।

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  161. आकलन के निम्नलिखित प्रकार हो सकते हैं
    अवलोकन
    खेल
    विभिन्न प्रकार की गतिविधियां
    शिक्षक बच्चों के साथ अधिकतम समय व्यतीत कर के बच्चों की प्रत्येक गतिविधियों का सूक्ष्मता से अवलोकन कर सकते है

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  162. बुनियादी अवस्थाओं में हमें बच्चों का औपचारिक आकलन की जगह अनौपचारिक आकलन करना चाहिए। जैसे:-खेल-खेल में अवलोकन के द्वारा,विभिन्न प्रकार के गतिविधियों में क्रियाशीलता के अवलोकन के द्वारा, इत्यादि

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  163. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन गतिविधियों एवं अन्य क्रियाकलापों से किया जा सकता हैं.

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  164. बच्चों को खेलना बहुत अधिक प्रिय लगता है उन्हें खेलने में बहुत अधिक मजा आता है बहुत अधिक आनंद मिलता है बुनियादी अवस्था में बच्चों के खेल के विभिन्न माध्यमों से शिक्षा बच्चों के रुचि के खेल खेल के दौरान सक्रिय गतिविधि घर और आस पड़ोस के वातावरण के माहौल से उनकी अभिव्यक्ति और भागीदारी के माध्यम से हम छोटे बच्चों का आकलन कर सकते हैं

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  165. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन उचित और आवश्यक माना जाता है| आकलन के कई प्रकार हैं जो क्षेत्र एवं परिवेश विशेष के आधार पर प्राथमिकता में फर्क हो सकते हैं| आकलन में बच्चों की भागीदारी हो और इनके माता पिता या अभिभावकों की भी भागीदारी होना चाहिए। लिखित परीक्षा से भिन्न आकलन कहेंगे और यह आकलन लिखित परीक्षा के पूर्व के आकलन होंगे| अनौपचारिक आकलन में सर्वप्रथम हम बच्चे की विभिन्न गतिविधियों का सूक्ष्मता से अवलोकन करते हैं| विशेषकर बच्चे को खेल के माध्यम से देखते हैं कि बच्चे के शरीर के सभी अंग ठीक ढंग से विकसित है या नहीं| कहीं बच्चे विकलांग की गिनती में तो नहीं आते हैं? उनके ज्ञान इंद्रियां सही काम करते हैं या नहीं? साथ ही बच्चे इनमें से किसी न किसी तरह से बच्चों के समुदाय में कोई लीडरशिप का काम अवश्य कर सकता हो जिससे वह शिक्षिका के काम में भी सहायक होगा| इस तरह के और भी बच्चों को चुनकर दलगत विधि से छोटे-छोटे समुदाय में बच्चों को बांटकर, सभी बच्चों को शामिल करके क्रियाशील बना सकते हैं| इस समय हम कमजोर बच्चों का विशेष ख्याल करेंगे| इसके साथ ही हम देखेंगे कि बच्चे मुस्कुराते हंसते हुए एक दूसरे के साथ घुल मिल जाते हैं| एक दूसरे को स्वीकार करते हैं| अपने विचारों का आदान- प्रदान करते हैं| खेल सामग्री को एक दूसरे के साथ साझा करते हैं| एक दूसरे के साथ मिलकर रहने से उनके शब्द- भंडार का विस्तार करते हैं| बच्चों की रुचियों,खूबियों को पहचान कर उन्हें हम प्रोत्साहित करेंगे|

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  166. Aawlokan Vidhi, Khel Vidhi, Gatividhi yon main bhag lena, Sahpathiyon aiwam sikshak ke prati rujhan, Vidhyalay parvesh aiwam Paryavaran ke prati rujhan etc.

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  167. बुनियादी अवस्था में हमे बच्चों का आकलन बहुत ही सरल और मनोरंजन तरीकों से प्रयास किया जाना चाहिए.सबसे पहले बच्चों को खेलने के लिए प्रोत्साहित कर और फिर उनके गतिविधियों को ध्यान से अवलोकन करते हुए मुख्य बिंदुओं को नोट करते रहे. बच्चे चित्र से बहुत प्रभावित होता है तो हम चित्र से संबंधित गतिविधियों में बच्चों को शामिल कर उनका अवलोकन किया जा सकता है. इस प्रकार हम विभिन्न प्रकार के बच्चों का आकलन कर सकते हैं.

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  168. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन ऐसा होना चाहिए कि बच्चा यह समझ ना सके कि उसका आकलन किया जा रहा | इस तरह का आकलन अलग-अलग प्रकार का हो सकता है जैसे अवलोकन द्वारा , खेल खेल में, छोटे-छोटे प्रश्न पूछ कर आदि |

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  169. बुनियादी अवस्था में बच्चों के आकलन के कई प्रकार हैं । साधारण तौर पर आकलन के दो विधियों का प्रयोग किया जाता है। औपचारिक आकलन एवं अनौपचारिक आकलन। छोटे बच्चों को अनौपचारिक तरीके से आकलन किया जा सकता है। जैसे
    १. बच्चों के साथ मौखिक बातचीत करके।
    २. सहपाठी के साथ बातचीत का अवलोकन
    करके।
    ३. बच्चों को खेल में शामिल करके
    ४. बच्चों को छोटी-छोटी जिम्मेदारियां देकर।
    ५ माता पिता, शिक्षक, एवं सहपाठी के साथ उनका व्यवहार का अवलोकन कर।
    ६. किसी खास घटना या दृष्टांत पर मौखिक चर्चा करके
    ७. पर्यावरण के लगाव का अवलोकन करके।
    ८. किसी वस्तु,फल,फूल,सब्जी,पशु, पक्षी के बारे में मौखिक चर्चा करके।
    ९. गणित एवं भाषा का एक साथ आकलन कर सकते हैं।
    १०. चाहे कोई भी परिस्थिति हो बच्चों के साथ हर हमेशा सकारात्मक सोच के साथ साथ उत्साह के साथ प्रोत्साहित करते रहना चाहिए ताकि पठन-पाठन के प्रति उनका मनोबल हमेशा ऊंचा रहे। बच्चों के साथ कभी भी ऐसा व्यवहार कदापि नहीं करना चाहिए जिससे उनका मनोबल कमजोर हो।
    राजेंद्र पंडित, सहायक शिक्षक,
    प्राथमिक विद्यालय चांदसर, महागामा गोड्डा झारखंड।

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  170. At pre school level assessment should be taken through keenly observing children,their various activities in classroom,in group,peers,asking brainstorming questions as per their age.Teacher should have to document their portfolios,praise their efforts and give feedback positively.

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  171. Anklan ke kai prakar hoten hai jinhen hum buniyadi awastha mein baccho ke sath prayog kr sakte hain jaise-
    1.awlokan vidhi
    2.khel vidhi
    3.drawing vidhi
    4.block nirman vidhi
    5.paryavaran ke prati rujhan
    6.parivar ar samaj ke prati vyabhar
    7.batchit vidhi
    Binod kumar

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  172. Buniyadi avastha Mein shabdon Ka aakalan purnata anopcharik Hota Hai Jaise Khel aur login vibhinn Prakar ki avadhi vidhi aaklan ke Prakar aur login Vidhi Khel Vidhi gatividhiyon Mein Bhag Lene block Nirman Vidhi batchit bidhi

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  173. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्हें हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं जैसे अवलोकन विधि खेल विधि गतिविधियों में भाग लेना सहपाठियों एवं शिक्षकों के प्रति रुझान आदि।

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  174. We can judge children's learning outcome at fundamental level in various ways. We can use processes like individual observations by the parents and teacher in children's activities, in studies or project work on class work activities, talking or behaving with their colleagues and by group discussions and activities, assignment

    Kumari Sandhya Rani Gums khirabera

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  175. बुनियादी कक्षाओं में आकलन विभिन्न प्रकार से किया जा सकता है,जैसे अवलोकन विधि, खेल आधारित विधि, गतिविधियों मेंं सहभागिता,शिक्षकों तथा सहपाठियों के प्रति रूझान,विद्यालय परिवेश तथा पर्यावरण के प्रति रूझान आदि ।

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  176. बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ बिना दबाव के व‌ उनकी भावनाओं को बिना ठेस पहुंचाए
    =औपचारिक बातचीत से
    =खेल विधि द्वारा
    =खुद करके सीखने की विधि द्वारा
    =अवलोकन करके करने के लिए कहना
    =सामूहिक गतिविधियों को करा कर

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  177. बुनियादी अवस्था में बच्चों का मूल्यांकन निम्न विधियों से किया जा सकता है:-
    1 आवलोकन
    2 खेल
    3 शैक्षिक गतिविधियाँ
    4 दैनिक व्यवहार आदि।


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  178. Buniyadi avastha Mein bacchon ka aakalan Samanya Hona chahie Jaise khel sambandhi e ,Baton Baton ,Mein Geet Sangeet se , party sagami kriyakalap AVN vibhinn T. L. M ke Madhyam se.

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  179. Bhasha mein bacchon se Kahani ya Kavita puchna, Saksharta mein bacchon se Shruti Lekh AVN nibandh likhwana, sankhya Gyan mein ghar ke vastuon ka sankhya ke bare mein puchna, yah Sabhi alokin ki Ja sakti hai.

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  180. बुनियादी कक्षा में बच्चों विभिन्न तरीके होते हैं
    जैसे खेल बिधि
    मूल्यांकन विधि
    प्रश्न उत्तरी बिधि
    बात चित आदि के माध्यम से आकलन कर सकते हैं।

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  181. आकलन छात्रों की गतिविधि में ही निहित होना चाहिए। बच्चों के क्रियाकलाप से ही शिक्षक को अवलोकन कर ग्रेडिंग देना चाहिए।

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  182. FLN में बच्चों का आकलन छात्रों के साथ अनोपचारिक रूप से मुख्यतः1.अवलोकन विधि 2.खेल विधि 4.गतिविधि जिसमें परिवेश के प्रति ज्ञान का आकलन आदि का प्रयोग किया जा सकता है।

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  183. 1 संचयी रिकार्ड 2 अवलोकन 3 खेल 4 शैक्षणिक भ्रमण 5 वार्तालाप 6 पहेली एवं प्रतियोगिताएँ 7 चित्रांकन 8 नाटक एवं अभिनय

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  184. आकलन के कई प्रकार हैं जिन्हें हम बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं जैसे अवलोकन विधि खेल विधि गतिविधियों में भाग लेना सहपाठियों एवं शिक्षकों के प्रति रुझान आदि

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  185. मेरे विचार से बुनियादी अवस्था में बच्चे के साथ सीखने -सिखाने के लिए मुख्यत: तीन प्रकार का आकलन का प्रयोग करना चाहिए । जो निम्नवत है -
    (1) अधिगम का आकलन: (रचनात्मक ) - इस तरह के आकलन में छात्र और शिक्षक दोनों क्रियाशील होते है और दोनों के बीच अंर्तक्रिया होते हैं । शिक्षण के दौरान बच्चे क्या सीखा, कैसे सीखा, क्या नहीं सीखा के बारे में पता लगाया जा सकता है । जैसे - खेल विधि, भ्रमण विधि, कविता, कहानी, संगीत, कला इत्यादि के माध्यम से गतिविधि के दौरान आकलन होना चाहिए ।
    (2) अधिगम का आकलन: (योगात्मक ) - बच्चे को स्ंत्रांत में सम्पूर्ण पाठ पढ़ लेने, सभी प्रकार के सूचना ले लेने एवं उसके बाद की आकलन प्रक्रिया जो तहकीकात कर निर्माण होता है और कार्य के अंत में आकलन किया जाना चाहिए ।
    (3) अधिगम के रूप में आकलन: (निदानात्मक) - बच्चों को खुद से या स्वयं का आकलन होना चाहिए । उसके अंदर कितने क्षमता है, अपने कार्य से कितने पाया, कितने सीखा , कितने छात्रों को ज्ञान दे पाया इन सारी चीजों का आकलन होना चाहिए । ... धन्यवाद ।
    रणजीत यादव,
    उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय जिरहुलिया, सी.आर.सी- म.वि.बांका, प्रखंड- हंटरगंज, जिला- चतरा, झारखण्ड।

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  186. Aakalan varg kakshya nirdharit aadhigham ke aadhar par satat prakriya ke aanusaar hona chahiye.

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  187. बुनियादी अवस्था में बच्चों का आकलन अनौपचारिक होना चाहिए ।(१) अवलोकन विधि _ऐसी विधि द्वारा हम बच्चों को सतत एवं व्यापक मूल्यांकन हर एक कार्य क्षेत्र में कर सकते हैं।(२) खेल विधि_खेल के माध्यम से भी हम बच्चों को आकलन कर सकते हैं कौन बच्चा खेलने में तेज है कौन बच्चा कौन सा खेल में रुचि लेते हैं और खेल के द्वारा ही हम बच्चों का विशेष अस्पताल बच्चों का पहचान कर सकते हैं। (३) गतिविधि_गतिविधि द्वारा हम बच्चों का रुझान नकारात्मक हमशक्ल आत्मा का भाव हम जान सकते हैं (४) शिक्षकों के प्रति बच्चों का रुझान होना चाहिए।

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