Monday, 31 January 2022

कोर्स 10 गतिविधि 2 : अपने विचार साझा करें

 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए आप विभिन्न हितधारकों के साथ कैसे जुड़ सकते हैं? विद्यालय के एक नेतृत्वकर्ता के रूप में अपनी भूमिका पर विचार करें।

141 comments:

  1. 3-9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है।उसके पास ज्ञान ,कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।उसमें सन्दर्भ आधारित,अनुकलात्मक,सहयोगात्मक और परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिये।सभी के बीच समन्वय बनाने की क्षमता तथा विद्यालय में सीखने के वातावरण निर्माण करने की क्षमता भी होनी चाहिए।गतिविधि निर्माण,खेल विधि सहित विभिन शिक्षा शास्त्र का संज्ञानत्मक समझ तथा उसे विद्यालय में लागूं करने के लिए एक सकारात्मक और सृजनात्मक सोच का होना आवश्यक है।
    बच्चो के भावनाओ और सन्दर्भ की समझ के साथ उनसे जुड़ाव होना एक महत्वपूर्ण पहलू है।

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  2. 3-9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है।उसके पास ज्ञान ,कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।उसमें सन्दर्भ आधारित,अनुकलात्मक,सहयोगात्मक और परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिये।सभी के बीच समन्वय बनाने की क्षमता तथा विद्यालय में सीखने के वातावरण निर्माण करने की क्षमता भी होनी चाहिए।गतिविधि निर्माण,खेल विधि सहित विभिन शिक्षा शास्त्र का संज्ञानत्मक समझ तथा उसे विद्यालय में लागूं करने के लिए एक सकारात्मक और सृजनात्मक सोच का होना आवश्यक है।

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  3. 3-9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है।उसके पास ज्ञान ,कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।उसमें सन्दर्भ आधारित,अनुकलात्मक,सहयोगात्मक और परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिये।

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    1. 3-9वर्ष बच्चों कोबुनियादी साक्षरता और संख्या
      ग्यान सीखने की जरूरी को पूरा करने में विद्यालय की भूमिका अहम है। उसके पास ग्यान,कौशल और दृष्टिकोण का होना जरुरी है। उसमें संदर्भ आधारित, अनुकलात्मक,सहयोगत्मक और परिवर्तन कारी सोच और नेतृत्व क्षमता होना चाहिए।

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    2. For 3-9 years children FLN method will be successful with the full support of school staffs parents and cdpo staff. All the guardians must take care about their physical mental and other activities.

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  4. 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ प्रत्यक्ष एवं परोक्ष दोनों ही रूप से जुड़ सकते हैं।विद्यालय के एक नेतृत्वकर्ता के रूप में हमारी भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।6-9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में हमारी (विद्यालय नेतृत्व की) भूमिका महत्वपूर्ण है।उसके पास ज्ञान ,कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।उसमें सन्दर्भ आधारित,अनुकलात्मक,सहयोगात्मक और परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिये।सभी के बीच समन्वय बनाने की क्षमता तथा विद्यालय में सीखने के वातावरण निर्माण करने की क्षमता भी होनी चाहिए।गतिविधि निर्माण,खेल विधि सहित विभिन शिक्षा शास्त्र का संज्ञानत्मक समझ तथा उसे विद्यालय में लागूं करने के लिए एक सकारात्मक और सृजनात्मक सोच का होना आवश्यक है।
    बच्चो के भावनाओ और सन्दर्भ की समझ के साथ उनसे जुड़ाव होना एक महत्वपूर्ण पहलू है।बच्चों के परिवेश की वास्तविक समझ भी महत्वपूर्ण हो जाता है।सहयोगात्मक एवं टीम भावना से नेतृत्व का गुण भी महत्वपूर्ण हो जाता है।बाल-विकास का मनोविज्ञान एवं अन्य कई कारण भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं।बहुत-बहुत धन्यवाद।
    कौशल किशोर राय,
    सहायक शिक्षक,
    उत्क्रमित उच्च विद्यालय पुनासी,
    उत्क्रमित उच्च विद्यालय पुनासी,
    शैक्षणिक अंचल:- जसीडीह,
    जिला:-देवघर,झारखण्ड।

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  5. 3-9 आयुवर्ग के बच्चों की बुनियादी स्तर में संज्ञानात्मक सृजनात्मक एवं सहयोगात्मक के साथ सीखाने पर बल देना चाहिए.

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    1. 3-9 आयुवर्ग के बच्चों की बुनियादी स्तर में संज्ञापित सृजनात्मक एवं सहयोगात्मक के साथ सीखने पर बल देना चाहिए।

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  6. 3-9वर्ष के बच्चों की बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के आवश्यकताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। विद्यालय में शिक्षक ही सीखने के वातावरण तैयार करने में सक्षम होता है। शिक्षक और बच्चे भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं। इससे बच्चों को सीखने में सहुलियत होती ऊं।

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  7. 3-9 age group children should be taught by activities and play methods cordially.An academic leader,parents and teachers are required to be more careful about the children's physical,mental,social and cultural backgrounds and accordingly plan learning strategies.Children wouldn't feel pleasant when they are taught instead they like playing.So a teacher should plan teaching strategies in which more activities of their surrounding,toys of their interests,conversation in their first language can be prominently included.
    Thus one can achieve learning outcomes set to this age group.

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  8. 3-9 varsh ke bacchon ki buniyadi Saksharta aur sankhya Gyan sikhane ke abstract noun ki purti mein main mahatvapurna hoti hain iske liye Hamen main Sabhi hit Dhaar kaun se Sahyog atmak Roop apnana chahie Vidyalay mein Main bacchon ko sikhane ke liye uchit vatavaran taiyar karne ke ki kshamta honi chahie Vidyalay mein vibhinn Prakar ke a gatividhi AVN Khel aadharit Shiksha Sujan karne ke liye ki ki kshamta honi chahie Taki bacchon ke bich aasani se a Lagu Kiya Ja sake

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  9. 3-9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है।उसके पास ज्ञान ,कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।उसमें सन्दर्भ आधारित,अनुकलात्मक,सहयोगात्मक और परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिये। भानु प्रताप मांझी,उ उ वि चिपड़ी, ईचागढ़ सरायकेला-खरसावां झारखंड

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  10. 3 से 9 वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने की आवश्यकताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है। उनके पास ज्ञानकौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है। उसमें संदर्भ आधारित अनुकूलात्मक, सहयोगात्मकऔर परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिए।

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  11. For 3-9years Children fln method will be successful with the full support of school staffs parents and cdpo staff. All the Guardian must take care about their physical mental and other activities activities

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  12. 3-9वर्ष के बच्चों की बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के आवश्यकताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। विद्यालय में शिक्षक ही एक मात्र सीखने सिखाने के वातावरण तैयार करने में सक्षम होते है। शिक्षक और बच्चे एक दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं, इससे बच्चों को सीखने में काफी सहुलियत मिलती है।

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    1. 9वर्ष के बच्चों की बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के आवश्यकताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। विद्यालय में शिक्षक ही एक मात्र सीखने सिखाने के वातावरण तैयार करने में सक्षम होते है। शिक्षक और बच्चे एक दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं, इससे बच्चों को सीखने में काफी सहुलियत मिलती है।

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  13. बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान सीखने की आवश्कता की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व का अहम योगदान है। उसमें कुशल नेतृत्व की क्षमता,ज्ञान एवं दृष्टिकोण हो।

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  14. 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सिखने कि आवश्यकताओं के बिच सामंजस्य बैठाने के हम विद्यालय नेतृत्व के रुप मे उनके हितधारकों के साथ जूड़ने के लिए कई तरीक़े अपना सकते है--
    *शिक्षक अभिभावक मिटींग।
    *खेल,संगीत, नृत्य, नाटक आदि गतिविधियों का आयोजन।
    *हितधारकों से व्यक्तिगत रूप से मिलना।

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  15. 3-9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है।उसके पास ज्ञान ,कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।उसमें सन्दर्भ आधारित,अनुकलात्मक,सहयोगात्मक और परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिये।
    G.M.S Premlata devi

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  16. 3 से 9 वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने की क्षमता की उपलब्धियों के लिए अभिभावक से मिलकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं बाल वाटिका शिक्षक आदि के साथ मिलकर बच्चों में संख्या ज्ञान को बढ़ाने के विषय पर एक बात चित करने का प्रयास करेंगे। अभिभावक से मिलकर यह प्रयास करने को कहेंगे कि वे बच्चों के साथ खेल खेल में संख्या को बोलकर उनको खंख्या का अभ्यास करवाने का प्रयास करें। इस कार्यों में उन सभी बाल विकास के मुद्दों पर बातचित करेंगे, शायद इन प्रयासों से बच्चों को आत्मनिर्भर बनने तार्किक सोच के विकास और साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के बुनियादी कौशल को विकसित करने में मदद मिल सके। इसके लिए मुझे अपने आप एक नेतृत्वकर्ता के रूप में व्यक्त करने तथा अपने और अभिभावक के अंदर के बच्चों को जगाना होगा क्योंकि जब तक अभिभावक और मैं नेतृत्वकर्ता स्वयं को बच्चों की तरह बच्चों के साथ जोड़ते हैं तो रिश्ता गहरा और अधिक सार्थक हो जाएगा और यह विश्वास और खुशहाल वातावरण निर्मित करने में मदद करेगा, जिससे व्यस्क और बच्चे दोनों साथ मिलकर कार्य और विकास कर सकेंगे, ताकि बच्चों का संज्ञानात्मक संख्या ज्ञान और उसके सीखने की क्षमता का भरपूर विकास हो सके,अर्चना सिन्हा, यू एम एस पचपेड़ी, मेराल, गढ़वा, झारखंड धन्यवाद।

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  17. 3-9 वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मैं सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए विभिन्न हित धारकों से जुड़ना जरूरी होता है । विद्यालय के नेतृत्वकर्ता की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि सीखने के सारे अवसर उन्हीं के माध्यम से एवं निगरानी में किया जाता है। नेतृत्वकर्ता के ज्ञान, कौशल, अनुभव, सहयोगात्मक क्षमता , अभिभावकों से संपर्क स्थापित कर साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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  18. 3-9varsh ke baccho ko buniyaadi sakeshrata or sankhya gyaan sikhane ke aavsayaktaao kipurti mevidhylaya netritava ki bhumika mahahtawapurn hai

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  19. 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ प्रत्यक्ष एवं परोक्ष दोनों ही रूप से जुड़ सकते हैं।विद्यालय के एक नेतृत्वकर्ता के रूप में हमारी भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।6-9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में हमारी (विद्यालय नेतृत्व की) भूमिका महत्वपूर्ण है।उसके पास ज्ञान ,कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।उसमें सन्दर्भ आधारित,अनुकलात्मक,सहयोगात्मक और परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिये।सभी के बीच समन्वय बनाने की क्षमता तथा विद्यालय में सीखने के वातावरण निर्माण करने की क्षमता भी होनी चाहिए।गतिविधि निर्माण,खेल विधि सहित विभिन शिक्षा शास्त्र का संज्ञानत्मक समझ तथा उसे विद्यालय में लागूं करने के लिए एक सकारात्मक और सृजनात्मक सोच का होना आवश्यक है।
    बच्चो के भावनाओ और सन्दर्भ की समझ के साथ उनसे जुड़ाव होना एक महत्वपूर्ण पहलू है।बच्चों के परिवेश की वास्तविक समझ भी महत्वपूर्ण हो जाता है।सहयोगात्मक एवं टीम भावना से नेतृत्व का गुण भी महत्वपूर्ण हो जाता है।बाल-विकास का मनोविज्ञान एवं अन्य कई कारण भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं।बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  20. विद्यालय के एक नेतृत्वकर्ता के रूप में हम विभीन हितकरकों के साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्षकश रूप में जुड़ सकते हैं|नेत्रतो कर, सहयोग कर, ज्ञान देकर, समझौता स्थापित कर, देख हलकर, सीखने की अवसर को बताकर, प्रेरक बांकर आदि कर हम नेत्रलता के रूप में अपनी भूमिका करसते हैं|

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  21. 3 से 9 वर्ष के बच्चों को सीखाने की आवश्यकताओं
    के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए आप विभिन्न हितधारकों के साथ विभिन्न मध्यम जैसे खेल के मध्यम से पिक्चर कार्ड विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के मध्यम और साथ ही यह ध्यान देने योग्य बातें हैं कि उनके पास उनकी समझ और भावनाओं को ध्यान में रखते हुए ज्ञान कौशल और दृष्टिकोण होना आवश्यक है साथ ही नेतृत्वकर्ता को परिस्थितियों की समझ, सहयोग और परिवर्तन की भवाना होनी चाहिए।

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  22. 3-9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है।उसके पास ज्ञान ,कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।उसमें सन्दर्भ आधारित,अनुकलात्मक,सहयोगात्मक और परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिये।Lalit kumar sawansi kumardungi W singhbhum

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  23. 3 se 9varsh ke bachche ko bhuniyadi sakhachharta aur kuishal vikash hona aavashyak hai.

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    1. 3 se 9 varsh ke bachche ko buniyadi sikshartha aur koushal vikash hona aavashyak hai.

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  24. Iske liye ye tarike apnaye ja sakte hain_ parents _teacher meeting 2. Class me gatividhi ka aayogan kerke. 3.parents se personally milker.

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  25. 3-9 वर्ष के बच्चों की बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान की आवश्यकता की पूर्ति के लिए विद्यालय नेतृत्व की भुमिका महत्वपूर्ण होती है। विद्यालय का वातावरण सहयोगात्मक होनी चाहिए। बच्चों को खेल विधि, पिक्चर कार्ड, गतिविधि आधारित शिक्षा के माध्यम से बुनियादी ज्ञान को मजबूत किया जा सकता है।

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  26. 3-9 aayuwarg k bachho Ki buniyadi astar me sangyanatmak, srijnatmak,sahyogatmak K sath sikhane par bal Dena chahie.

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  27. 3-9 वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मैं सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए विभिन्न हित धारकों से जुड़ना जरूरी होता है । विद्यालय के नेतृत्वकर्ता की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि सीखने के सारे अवसर उन्हीं के माध्यम से एवं निगरानी में किया जाता है। नेतृत्वकर्ता के ज्ञान, कौशल, अनुभव, सहयोगात्मक क्षमता , अभिभावकों से संपर्क स्थापित कर साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है

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  28. कमजोर बुनियाद पर ऊंची इमारत खड़ी नहीं की जा सकती है,इसी प्रकार बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के बिना आगे की पढ़ाई करना कठिन है। अतः नई शिक्षा नीति 2020 में इसपर काफी जोर दिया जा रहा है।3 से 9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान को विकसित करने केलिए शिक्षकों के साथ-साथ बच्चों के माता-पिता, अभिभावक एवं समाज के सभी सदस्यों का कर्तव्य हो जाता है कि वे बच्चों के ज्ञान और सोच को सही दिशा देने में अपना योगदान दें और इसमें शिक्षकों का मार्गदर्शन और निगरानी आवश्यक है क्योंकि उन्हीं के अनुभव, ज्ञान, कौशल और सहयोग से यह कार्य सफल हो सकता है।

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  29. 3-9 वर्ष के बच्चों की साक्षरता एवं संख्या ज्ञान सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए नेतृत्वकर्ता की भूमिका बहुत ही अहम होता है. इसके लिए हमें समाज, समूदाय, माता पिता/अभिभावक, सामाजिक कार्यकर्ता, प्रबुद्ध व्यक्ति आदि हितधारकों के साथ समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता है जिनके मार्गदर्शन व अनुभव से बच्चों के अधिगम कौशल को विकसित करने में सहायक हो.

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  30. 3-9 के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्याज्ञान में सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए विभिन्न हितधारकों से जुड़ना जरुरी होता है। विद्यालय के नेतृत्व कर्ता की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है क्योंकि सीखने के सारे अवसर उन्हीं के माध्यम से एवं निगरानी में किया जाता है। नेतृत्व कर्ता के ज्ञान,कौशल, अनुभव, सहयोगात्मक क्षमता अभिभावकों से संपर्क स्थापित कर साक्षरता एवं संख्याज्ञान को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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  31. 3-9 वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मैं सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए विभिन्न हित धारकों से जुड़ना जरूरी होता है । विद्यालय के नेतृत्वकर्ता की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि सीखने के सारे अवसर उन्हीं के माध्यम से एवं निगरानी में किया जाता है। नेतृत्वकर्ता के ज्ञान, कौशल, अनुभव, सहयोगात्मक क्षमता , अभिभावकों से संपर्क स्थापित कर साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। किशोर कुमार राय, उत्क्रमित उच्च विद्यालय कठघरी देवघर

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  32. 3-9 barsh ke bacchon ki buniyadi saksharta avam sankhya gyan seekhne ki aavshaktao ke sath samanjasya stapit karne ke liye netritv ki bhumika aham hoti hai. iske liye humhe samaj samudaay mata pita abhibhawak samaajik kaaryakarta prabudd byakti yadi hitdharakon ke sath samanvay stapit karne ki avshakta hai jinke maargdarshan avam anubhav se bacchon ke adhigam kaushal ko viksit karne me sahaayak ho

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  33. Now a days we have been given broad platform t.


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  34. कमजोर बुनियाद पर ऊंची इमारत खड़ी नहीं की जा सकती है,इसी प्रकार बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के बिना आगे की पढ़ाई करना कठिन है।3-9 वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मैं सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए विभिन्न हित धारकों से जुड़ना जरूरी होता है ।

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  35. 3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के सीखने की आवश्यकता के साथ सामंजस्य स्थापित करने अथवा बच्चों के सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को एक नेतृत्वकर्ता के रूप में हम विभिन्न हितधारकों के साथ इस प्रकार अपनी भूमिका निभा सकते हैं -बच्चों की आवश्यकताओं की पहचान करके, सहयोगियों को साथ लेकर, समुदाय को एकीकृत करके, कुशल नेतृत्व प्रदान करके ,विकासात्मक जागरूकता के समझ रखकर ,आवश्यक ज्ञान व कौशल की समझ बनाकर, नवीन दृष्टिकोण को अपनाकर ,प्रयोगात्मक शिक्षण करके , उपयुक्त पाठ - योजना बनाकर ,सीखने के आकलन के प्रभावी तरीकों को अपनाकर ,तार्किक सोच रखकर एफ एल एन के प्रति समर्पण का भाव रखकर तथा उपयुक्त वातावरण का निर्माण करके इत्यादि ।

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  36. एक विद्यालय नेतृत्व कर्ता के रूप में बच्चो के माता पिता,परिवेश, सामाजिक पृष्ठ भूमि आदि सभी को समझते हुए तथा सभी समुचित सहयोग लेकर और अपने शिक्षण कौशल का उपयोग करते हुए 3-9 आयु वर्ग के बच्चो के सीखने के स्तर के साथ सामंजस्य स्थापित करना होगा।

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  37. 3-9 वर्ष के बच्चों के F.L.N सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामान्यजस्य स्थापित करने के लिए विद्यालय नेतृत्वकर्ता की महत्वपूर्ण भूमिका है। उसे ज्ञान,कौशल से पूर्ण सहयोगात्मक,सृजनात्मक,अनुकूलनात्म दृष्टिकोण होनी चाहिए।बच्चों से भावनात्मक लगाव,सीखने के लिए विद्यालय वातावरण का निर्माण करना एवं खेल एवं गतिविध आधारित विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था का उसे निर्माण करना चाहिए।

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  38. 3-9 वर्ष के FLN आवश्यकताओं को पूरा करने में सबसे अहम भूमिका SCHOOL LEADER की होती है।
    उसके पास ज्ञान ,कौशल और नेतृत्व क्षमता होती है।
    साथ ही वह सभी हितधारकों के बीच समन्वय स्थापित करना है।
    मु॰अफ़ज़ल हुसैन
    उर्दू प्राथमिक विद्यालय मंझलाडीह,
    शिकारीपाड़ा, दुमका।

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  39. विद्यालय नेतृत्वकर्ता के रूप में अपनी विचार साझा करना चाहूंगा कि 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओ के साथ सामंजस्य की बात करें । क्योंकि शुरुआती वर्षों में जो बच्चों का लगाव अपने माता-पिता या घर में बड़े व्यवस्थित है उनसे ज्यादा लगाव होता है । इसलिए विद्यालय नेतृत्वकर्ता को अभिभवकों , समुदायों , शिक्षाशास्त्रियों एवं हितधारकों से जुड़ कर FLN या बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान Emplimentation में शामिल करना है । नेतृत्वकर्ता परिस्थति के अनुसार प्रोत्साहित एवं अंतक्रियात्मक समुदाय के साथ संबंध बना कर , खेल आधारित , विषय आधारित गतिविधि , पूछताछ , कला , तथा खिलौना आधारित सहयोग का वातावरण बनाकर बच्चों की सीखने की आवश्कताओं को पूरा कर सकते है ... धन्यवाद ।

    सुना राम सोरेन (स.शि.)
    प्रा वि.भैरवपुर , धलभुमगढ़ ।
    पूर्वी सिंहभूम झारखंड ।

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  40. 3-9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है।उसके पास ज्ञान ,कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।उसमें सन्दर्भ आधारित,अनुकलात्मक,सहयोगात्मक और परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिये .

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  41. 3-9 वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षारता ओर संख्या ज्ञान सीखने की आवश्यकतओ की पूर्ति में विधालय नेतृत्व की भूमिक महत्वपूर्ण है उसके पास ज्ञान कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है जिससे परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व छमता होनी चाहिए।

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  42. 3 se 9 varsh ke bacchon ko Bulane ki Saksharta aur sankhya Gyan sikhane kya sakta hun ki ki purti ke liye Vidyalay netrutva Bhumika mahatvpurn Hoti Hai Uske pass gyan ko 16 August Kaun ka hona avashyak hai jisse parivartankari Socho netrutva kshamta honi chahie

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  43. 3 se 9 varsh ke bacchon ko sikhane ke liye unhen vatavaran Ke sath Samanjaysa sthapit karna chahie Vidyalay ko ko netrutva Karen Kim bhumika mahatvpurn Hoti Hai jisse Parivartan Karya Soch netrutva ki chamta honi chahie samuday ke sath milakar vista aadharit gatividhi khel aadharit gatiwidhi karna chahiye

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  44. भारतीय परिवेश, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश से आने वाले बच्चों के सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए हमें निम्नलिखित विचारों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है:-
    १)3-9 आयु वर्ग के बच्चों को तीन स्तरों का निर्माण जैसे विद्या प्रवेश,बाल-वाटिका तथा बुनियादी कक्ष का निर्माण,
    २) बच्चों को तीन चरणों में बांटना
    ३) शिक्षाशास्त्रीय नेतृत्वकर्ता के साथ सहयोगात्मक सम्बन्ध रखते हुए विज़न निर्माण करते हुए बच्चों के बीच खेल, गतिविधियों, परियोजनाओं एवं अन्य क्रियाकलापों के माध्यम से शिक्षण, आकलन एवं मुल्यांकन कार्यक्रम को आयोजित करना,
    ४) बच्चों को केन्द्र में रखकर कुशल नेतृत्व, सहयोगात्मक भावनात्मक दृष्टिकोण रखना,
    ५) बच्चों के विकास को ध्यान में रखते हुए सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन से सम्बंधित पार्टफालियो,एलटीएफ, तथा रुब्रिक्स तैयार करना,
    ६)वर्ग कक्ष में प्रभावी शिक्षण पद्धति का निर्माण करना,
    ७) बच्चों को बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान हेतु प्रिंट, आकृति,रंग, आकार इत्यादि के लिए खेल का कोना,दिवारलेख, विभिन्न प्रकार के खिलौनों आदि का उपयोग कर बहुआयामी ठोस अधिगम से धीरे-धीरे सूक्ष्म ज्ञान की ओर बढ़ने में मदद करना।

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  45. FLN कार्यक्रम मुख्य रूप से 3-9 वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने पर विशेष ध्यान देना है।जिससे विद्यालय के नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है।उसके पास ज्ञान ,कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।उसमें सन्दर्भ आधारित,अनुकलात्मक,सहयोगात्मक और परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिये।सभी के बीच समन्वय बनाने की क्षमता तथा विद्यालय में सीखने के वातावरण निर्माण करने की क्षमता भी होनी चाहिए।गतिविधि निर्माण,खेल विधि सहित विभिन शिक्षा शास्त्र का संज्ञानत्मक समझ तथा उसे विद्यालय में लागूं करने के लिए एक सकारात्मक और सृजनात्मक सोच का होना आवश्यक है।
    बच्चो के भावनाओ और सन्दर्भ की समझ के साथ उनसे जुड़ाव होना एक महत्वपूर्ण पहलू है।
    PHUL CHAND MAHATO
    UMS GHANGHRAGORA
    CHANDANKIYARI
    BOKARO

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  46. 3-9 aayuwarg k bachho Ki buniyadi astar me sangyanatmak, srijnatmak,sahyogatmak K sath sikhane par bal Dena chahie.

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  47. I agree with all above comments. Thank you

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  48. 3-9 आयुवर्ग के बच्चों की बुनियादी स्तर में संज्ञानात्मक सृजनात्मक एवं सहयोगात्मक के साथ सीखाने पर बल देना चाहिए|

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  49. 3-9 वर्ष आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता उपलब्धियों को सुनिश्चित करने में विद्यालय नेतृत्व में ज्ञान,कौशल,सकारत्मक एवम सृजनात्मक दृष्टिकोण,बालमनोविज्ञान की समझ के साथ परिवेश की वास्तविक समझ का होना जरूरी है। अनुकूल वातवरण के साथ गतिविधि निर्माण की क्षमता का उपयोग बच्चों के सीखने की क्षमता को आगे ले जाने में सहायक होता है।

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  50. 3-9 आयुवर्ग के बच्चों की सिखने की क्षमता बढने हेतू विद्यालय नेतृत्व ज्ञान कौशल,संज्ञानात्मक और सृजनात्मक दृष्टिकोण समझ का होना जरुरी है

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  51. Bachhon ki behtar samajh Joni awashyak hai.anukul watawaran Norman Kiya Jana chahiye.

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  52. बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान सीखने की आवश्कता की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व का अहम योगदान है | उसमें कुशल नेतृत्व की क्षमता ' ज्ञान एवं दृष्टिकोण हो।

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  53. 3-9 वर्ष के बच्चों की बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान संबंधी जानकारी की पूर्ति हेतु विद्यालय नेतृत्व की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है इसके लिए विद्यालय नेतृत्व विभिन्न हितधारकों तथा खेल विधिआधारित एवं गतिविधियां आधारित शिक्षण माध्यम से बच्चों के ज्ञान कौशल में विकास रा सकता है

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  54. 3-9 वर्ष के बच्चों की साक्षरता एवं संख्या ज्ञान सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए नेतृत्वकर्ता की भूमिका बहुत ही अहम होता है. इसके लिए हमें समाज, समूदाय, माता पिता/अभिभावक, सामाजिक कार्यकर्ता, प्रबुद्ध व्यक्ति आंगनबाड़ी कार्यकर्ता,बालवाटिका शिक्षिका,NGO कार्याकर्ता,BRP,CRP, आदि हितधारकों के साथ समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता है जिनके मार्गदर्शन व अनुभव से बच्चों के अधिगम कौशल को विकसित करने में सहायक हो.

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  55. 3 से 9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।उसके पास ज्ञान ,कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।उसमें सन्दर्भ आधारित,अनुकूलात्मक,सहयोगात्मक और परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिये ।सब के बीच समन्वय स्थापित करने की क्षमता तथा विद्यालय में सीखने के वातावरण का निर्माण करने की क्षमता भी होनी चाहिए।गतिविधि निर्माण,खेल विधि आदि विभिन्न शिक्षा शास्त्रीय संज्ञानात्मक समझ तथा उसे विद्यालय में लागू करने के लिए सकारात्मक और सृजनात्मक सोच का होना आवश्यक है।
    बच्चों के भावनाओं और सन्दर्भों की समझ के साथ उनसे जुड़ाव होना एक महत्वपूर्ण पहलू है। उसे स्थानीय परिवेश और आवश्यकताओं के अनुरूप व्यवस्था तथा प्रशासन के विभिन्न अंगों के बीच समन्वय कर्ता के रूप में कार्य करने की क्षमता एवं रूचि दोनों आवश्यक है। विद्यालय नेतृत्वकर्ता को यह आवश्यक है की वह बच्चों के लिए अपने उपलब्ध संसाधनों एवं सहयोगियों तथा अभिभावकों को निरंतर प्रेरित करता रहे।

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  56. 3-9 years ke baccho ki buniyadi saccharta ar sankha gyan sambandhi jankari ki purti hetu vidyalaya netritwokrta ki bhumika atyante mahatwapurn hoti hai. Iske liye vidyalaya netritwa vibhinn hitdharko ke sath samanjashya sthapit karne ki awasakta hai jinke margdarshan ke anubhav se baccho ke adhigam kaushal jo vikshit kiya ja sakta hai
    Binod kumar

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  57. 9वर्ष के बच्चों की बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के आवश्यकताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। विद्यालय में शिक्षक ही एक मात्र सीखने सिखाने के वातावरण तैयार करने में सक्षम होते है। शिक्षक और बच्चे एक दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं, इससे बच्चों को सीखने में काफी सहुलियत मिलती है।

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  58. All the above comments are useful.

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  59. 3 - 9 varsh ke bacchon ki buniyadi saksharta aur sankhya Gyan sikhane ke avashyakta ki purti mein vidyalay netrutva ki bhumika mahatvpurn hoti hai. ek netrutva Karta mein sandrbh aadharit Anukulatmak Sahyogatmak aur parivartankari soch aur netrutva kshamta me honi chahie . vidyalaya main shikshak hi sikhane sikhane ka vatavaran taiyar karne mein saksham hota hai. vibhinn gatividhiyo Jaise vishay aadharit ,theme based khel aadharit gatividhi aadharit, Katha Vachan, pariyojna, khilauna aadharit ,ICT ekikirit adhigam, aadi ke madhyam se bacchon ko sikhane mein sahuliyat hoti hai.
    Manju Kumari
    UPG PS PURANA SALDIH BASTI , Adityapur
    Saraikela kharsawan
    Jharkhand

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  60. 3-9 आयु वर्ग के बच्चों के सीखने के आवश्यकताओं के लिए विभिन्न हितधारकों का सहयोग अत आवश्यक है| इसके लिए मैं खेल, विभिन्न प्रकार के गतिविधियों, आवश्यक खिलौनों व अन्य के लिए बच्चों के माता पिता, अभिभावक, विधालय प्रबंधन समिति के सदस्य तथा समाज के गणमान्य लोगों का सहयोग लूंगा|

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  61. बुनियादी शिक्षा की अगर बात की जाए तो 3-9 वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान में सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए विभिन्न हित धारकों से जुड़ाव भी अत्यंत आवश्यक होता है । विद्यालय के नेतृत्वकर्ता की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि सीखने के सारे अवसर उन्हीं के माध्यम से एवं निगरानी में किया जाता है। नेतृत्वकर्ता के ज्ञान, कौशल, अनुभव, सहयोगात्मक क्षमता , अभिभावकों से संपर्क स्थापित कर साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
    बच्चों में स्थानीय परिवेश और आवश्यकताओं के अनुरूप व्यवस्था तथा प्रशासन के विभिन्न अंगों के बीच समन्वय कर्ता के रूप में कार्य करने की क्षमता एवं रूचि दोनों आवश्यक है। विद्यालय नेतृत्वकर्ता को यह आवश्यक है की वह बच्चों के लिए अपने उपलब्ध संसाधनों एवं सहयोगियों तथा अभिभावकों को निरंतर प्रेरित करता रहे।

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  62. 3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता बच्चों की विकासात्मक आवश्यकताओं के अनुरूप की आवश्कता है।बच्चे बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता की दृष्टिकोण से सक्षम हो सके।

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  63. 3 से 9 वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने की आवश्यकताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है। उनके पास ज्ञानकौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है। उसमें संदर्भ आधारित अनुकूलात्मक, सहयोगात्मकऔर परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिए।
    सूर्य महतो
    उत्क्रमित मध्य विद्यालय तुमसा।
    सरायकेला खरसावां।

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  64. SUBHADRA KUMARI
    RAJKIYAKRIT M S NARAYANPUR
    NAWADIH BOKARO
    3-9 वर्ष की आयु बच्चों की सीखने का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। इस उम्र के बच्चें को बुनियादी शिक्षा देने के लिए अपने हितधारकों के साथ वातावरण अनुकूलित सहयोगात्मक रुप से रुचि पूर्वक सिखाने सीखाने में सहयोग करुंगी।
    धन्यवाद

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  65. 3 se 9 barsh ki aayu ke bachcho ki sikhne ki aawashyakta ke beech samanjasya baithane ke lie hum vidyalay netritwakarta ke rup me unke hitdharko ke saath judne ke lie kai tarike apnasakte hai –
    *Shikshak abhibhawak meeting
    *Khel, sangeet, nritya,natak aadi gatibidhio ka aayojan
    *Hitdharko se byaktigat rup se milna.

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  66. 3 se 9 varsh ke bacchon ko buniyadi saksharta aur sankhya Gyan sikhane ki avashyakta ki purti mein Vidyalay ka netrutva mahatvpurn hota hai is umra ke bacchon ko buniyadi Shiksha dene ke liye ye apne hit karak ke sath vatavaran anukulit Sahyogatmak roop se Ruchi purvak sikhane mein Sahyog karegi

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  67. Sandarbh aadhaarit,vishay aadharit,chhetriya bhasha ,unki anusar rochak gatividhi,khel khel me,kahani kahna etyadi ke duwara.

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  68. Vidyalay ke netritwa ke rup me ek shikshak bachon ko inki aawsykta ke anurup prtyaksh ar aprtyaksh rup se jud kr onko sahyog kr ar inke anurup apne aap ko daalkr ek acha hitsadhak bna ja skta hai.

    Prakash Mundu
    Middle school rowauli
    Bandgaon, west singhbhum

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  69. 3-9वर्ष के बच्चों की बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के आवश्यकताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। विद्यालय में शिक्षक ही सीखने के वातावरण तैयार करने में सक्षम होता है। शिक्षक और बच्चे भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं। इससे बच्चों को सीखने में सहुलियत होती है।

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  70. 3-9 varsh ki aayu ke bachchon ki buniyadi sakcharta aur sankhya gyan sikhne ki aavashyaktaon ki purti me vidyalaya netritva ki bhumika atyant mahatvapurna hoti hai.Shikchak aur bachche bhavnatmak rup se jure hote hai.Shikchak khel, sangeet, nritya, natak aur gatividhiyon dwara bachchon3 ko sikhne me madad kar sakte hai.

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  71. I totally agree with most of the comments given above

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  72. 3 se 9 vrs k bachhong ko ghar ka mahaul denge. Unko khel khel me padhayenge ,unki hi bhasha me bat chit karenge

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  73. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की जरूरातोंके साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए नेतृत्वकर्ता (शिक्षकों) में अनुकलात्मक,सहयोगात्मक एवं परीवर्तनशील स्पष्ट नेतृत्व क्षमता का होना परमावश्यक है|इसके साथ नेतृत्वकर्ताकी भूमिका एक मार्गदर्शक की होनी चाहिए तथा बच्चों को स्वयं करके सीखने को प्रेरित करना चाहिए |

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  74. 3-9वर्ष के बच्चों की बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के आवश्यकताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। विद्यालय में शिक्षक ही एक मात्र सीखने सिखाने के वातावरण तैयार करने में सक्षम होते है। शिक्षक और बच्चे एक दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं, इससे बच्चों को सीखने में काफी सहुलियत मिलती है।

    Yudika Dungdung
    GMS Awga Bolba jharkhand

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  75. 3-9 वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मैं सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए विभिन्न हित धारकों से जुड़ना जरूरी होता है । विद्यालय के नेतृत्वकर्ता की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि सीखने के सारे अवसर उन्हीं के माध्यम से एवं निगरानी में किया जाता है। नेतृत्वकर्ता के ज्ञान, कौशल, अनुभव, सहयोगात्मक क्षमता , अभिभावकों से संपर्क स्थापित कर साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। रणजीत प्रसाद मध्य विद्यालय मांडू।

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  76. 3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को सीखने के लिए उसके पूर्व ज्ञान,आसपास के वातावरण पर चर्चा,उसकी रूचि एवं सहभागिता को ध्यान में रखकर गतिविधि,खेल खेल में शिक्षा के माध्यम से सीखने सिखाने की प्रक्रिया को सुनिश्चित किया जा सकता है।

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  77. 3-9 varsh ke bachcho ko buniyadi sankhyatmak gyan sikhne me vidyalaya netritwa ka mahatwapurn sthan hai.Usme gyan , koshal ka hona nihayat jaruri hai sath hi unki soch sahyogatmak,anukulatmak nishchit rup se honi chahiye.

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  78. प्रश्न अनुसार मैं उक्त आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को निम्नवत सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे --
    १) हर बच्चा के सीखने की क्षमता को खुद एवं अपने साथी शिक्षकों में सकारात्मक रखेंगे।
    २) अभिभावकों तथा समुदाय में उपस्थित हर प्रकार की हित- धारकों में भी सकारात्मक सोच को बच्चों के सीखने की क्षमता के लिए बढ़ावा देते रहेंगे तथा विभिन्न कार्यनीतिक शैलियों से यथासंभव दृढ़ता प्रदान करेंगे।
    ३) बच्चों में उनके सीखने की क्षमता को जागृत करेंगे तथा उचित माहौल पैदा कर उनमें भी इसी उम्र से सकारात्मक सोच को पनपने में विभिन्न कार्यनीतियों को अपनाएंगे।
    ४) सहयोगात्मक भावनाओं को भली भांति सामाजिक परिवेश में पनपने में पोषकता प्रदान करेंगे।
    ५) भावनात्मक गतिविधियों में सुधारात्मक नीति को अपनाएंगे तथा कार्यान्वित करेंगे।
    ६) शिक्षण को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न कार्यक्रमों को हित धारकों की सहयोग से विद्यालय स्तर पर करवाएंगे।
    ७) विभागीय सुविधाओं के साथ-साथ व्यक्तिगत सुविधाओं को भी यथासंभव समुदाय को मुहैया कराने का प्रयास करेंगे।
    ८) समय-समय पर विद्यालय स्तर पर विभिन्न सभाओं को आयोजित कर बच्चों के उपलब्धियों को प्रदर्शित करवाएंगे तथा उनके कमियों पर सुधारात्मक उपायों को कार्यान्वित करवाएंगे।
    ९) जागरूकता-रैली ,अभियान (पोषक क्षेत्र में )सांस्कृतिक कार्यक्रम,खेलकूद ,मनोरंजक शैक्षिक गतिविधियां आदि का उचित व्यवस्था करवाएंगे।
    १०) समुदाय के हर परिवार में बच्चों के सीखने की क्षमता को सर्वांगीण स्तर पर विकसित करने हेतु उचित कार्य नीतियों को सतत रूप से जारी रखते हुए पैनी अवलोकन अपनाते रहेंगे तथा प्रोत्साहित, प्रेरित एवं मार्गदर्शक का सहयोग मुहैया कराते रहेंगे ।

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  79. 3-9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान में सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए एक नेतृत्वकर्ता को विभिन्न हित धारकों से जुड़ना आवश्यक हो जाता है।नेतृत्वकर्ता की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है ।वह बच्चों के समग्र विकास के लिए ज्ञान, कौशल, सहयोगात्मक कौशल, उचित परिवेश निर्माण एवं अभिभावकों
    से लम्बी स्थापित करके बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान
    विकसित करने में गति प्रदान कर सकता है ।

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  80. 3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चे को बुनियादी साक्षरता एवम् संख्या ज्ञान आधारित शिक्षा मे विद्यालय शिक्षकों की भुमिका अहम है | उनके नेतृत्व में बच्चों में FLN कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया जाना चाहिए| Himanshu Shekhar jha, teacher, Dumka.

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  81. 3-9 ayuvarg ke bachhon ki sikhane ki kshamta bardane hetu vidyalay netritva gyan kaosal, sagyanatamak aur srijanatamak drishtikon samaj ka hona jaruri hai.

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  82. ,3-9 वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्याज्ञान सीखने की आवश्यकताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्वकर्ता की भूमिका महत्वपूर्ण है।नेतृत्वकर्ता अपने ज्ञान,कौशल,अनुभव ,सहयोगात्मक क्षमता और अभिभावकों से संपर्क स्थापित कर साक्षरता और संख्या ज्ञान को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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  83. With the help of Foundation literary and numeracy programs ,it becomes easier for teachers to create an atmosphere for growing children. One should develop themselves for FLN.
    Gums khirabera Ormanjhi

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  84. 3 से 9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की आवश्यकता के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए विद्यालय एक नेतृत्वकर्ता के रूप में अहम भूमिका निभाती है बच्चों की सीखने की आवश्यकता की पूर्ति के लिए विद्यालय के सभी हितधारकों के साथ जुड़ना होगा एक साथ मिलकर काम करना होगा इस काम के लिए शिक्षक की अहम भूमिका होती है वह बच्चों के सीखने के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करेगा शिक्षक के दिशा निर्देश पर सभी हहितधारकों को अपना कर्तव्य पालन करते हुए आगे बढ़ना होगा तभी हमें सफलता मिलेगी अपनी कर्तव्य निष्ठा पर अडिग रहकर काम करना होगा बच्चों के माता पिता अभिभावक सभी सदस्य गण के साथ मिलकर बच्चों की सीखने की आवश्यकता को देखते हुए मिलकर काम करना होगा

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  85. 3-9वर्ष के बच्चों की बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के आवश्यकताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। विद्यालय में शिक्षक ही सीखने के वातावरण तैयार करने में सक्षम होता है। शिक्षक और बच्चे भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं। इससे बच्चों को सीखने में सहुलियत होती है

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  86. 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों के हितधारक के रुप में विद्यालय नेतृत्व,शिक्षकों का सहयोग एवं बच्चे के संदर्भ आधारित ज्ञान सहायक हो सकते हैं।

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  87. 3-9वर्ष बच्चों कोबुनियादी साक्षरता और संख्या
    ग्यान सीखने की जरूरी को पूरा करने में विद्यालय की भूमिका अहम है। उसके पास ग्यान,कौशल और दृष्टिकोण का होना जरुरी है। उसमें संदर्भ आधारित, अनुकलात्मक,सहयोगत्मक और परिवर्तन कारी सोच और नेतृत्व क्षमता होना चाहिए।
    PS BERAHATU
    GHATSILA

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  88. एक नेतृत्वकर्ता को सकारात्मकता एवं सहज मानसिकता होना चाहिए।

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  89. 3-9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ प्रत्यक्ष एवं परोक्ष दोनों ही रूप से जुड़ सकते हैं।विद्यालय के एक नेतृत्वकर्ता के रूप में हमारी भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।6-9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में हमारी (विद्यालय नेतृत्व की) भूमिका महत्वपूर्ण है।उसके पास ज्ञान ,कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।उसमें सन्दर्भ आधारित,सहयोगात्मक और परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिये।सभी के बीच समन्वय बनाने की क्षमता तथा विद्यालय में सीखने के वातावरण निर्माण करने की क्षमता भी होनी चाहिए।गतिविधि निर्माण,खेल विधि सहित विभिन शिक्षा शास्त्र का संज्ञानत्मक समझ तथा उसे विद्यालय में लागूं करने के लिए एक सकारात्मक और सृजनात्मक सोच का होना आवश्यक है।
    बच्चो के भावनाओ और सन्दर्भ की समझ के साथ बच्चा बन कर उनसे जुड़ाव होना एक महत्वपूर्ण पहलू है।बच्चों के परिवेश की वास्तविक समझ भी महत्वपूर्ण हो जाता है।सहयोगात्मक एवं टीम भावना से नेतृत्व का गुण भी महत्वपूर्ण हो जाता है।बाल-विकास का मनोविज्ञान एवं अन्य कई कारण भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
    ANIL KUMAR SINGH
    AMS RANCHI ROAD,RAMGARH

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  90. 3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को सीखने के लिए उसके पूर्व ज्ञान, आसपास के वातावरण पर चर्चा, उसकी रूचि एवं सहभागिता को ध्यान में रखकर गतिविधि, खेल खेल में शिक्षा के माध्यम से सीखने सिखाने की प्रक्रिया को सुनिश्चित किया जाता है।

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  91. Anjni Kumar Choudhary. 8809058368
    3-9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ प्रत्यक्ष एवं परोक्ष दोनों ही रूप से जुड़ सकते हैं।विद्यालय के एक नेतृत्वकर्ता के रूप में हमारी भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।6-9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में हमारी (विद्यालय नेतृत्व की) भूमिका महत्वपूर्ण है।उसके पास ज्ञान ,कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।उसमें सन्दर्भ आधारित,अनुकलात्मक,सहयोगात्मक और परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिये।सभी के बीच समन्वय बनाने की क्षमता तथा विद्यालय में सीखने के वातावरण निर्माण करने की क्षमता भी होनी चाहिए।गतिविधि निर्माण,खेल विधि सहित विभिन शिक्षा शास्त्र का संज्ञानत्मक समझ तथा उसे विद्यालय में लागूं करने के लिए एक सकारात्मक और सृजनात्मक सोच का होना आवश्यक है।

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  92. सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है।उसके पास ज्ञान ,कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।उसमें सन्दर्भ आधारित,अनुकलात्मक,सहयोगात्मक और परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिये।सभी के बीच समन्वय बनाने की क्षमता तथा विद्यालय में सीखने के वातावरण निर्माण करने की क्षमता भी होनी चाहिए।गतिविधि निर्माण,खेल विधि सहित विभिन शिक्षा शास्त्र का संज्ञानत्मक समझ तथा उसे विद्यालय में लागूं करने के लिए एक सकारात्मक और सृजनात्मक सोच का होना आवश्यक है।

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  93. 3-9 वर्ष के बच्चों को सीखने की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बच्चों के मातृभाषा में उनके रुचि के अनुसार विषयों का चयन कर, बच्चों से भावनात्मक संबंध बनाकर एक नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभा सकते हैं ।

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  94. 3से9वर्ष के बच्चों में बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान की अवधारणा को मजबूत बनाने की कोशिश तभी सार्थक एवं साकार होगी,जब हम अर्थात शिक्षक एवं विद्यालय प्रबंधन एक उत्कृष्ट और सहयोगात्मक परिवेश का निर्माण करें। इस परिवेश में अभिभावकों की भूमिका भी बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है।बच्चे अपने पूर्व ज्ञान के सहारे नये ज्ञान को तुलनात्मक बार देते हैं।सीखने की आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए बच्चों के मातृभाषा में उनके रुचि के अनुसार विषयों काम चयन कर, बच्चों से भावनात्मक संबंध बनाकर उन्हें ज्यादा से ज्यादा बोलने, अभिव्यक्ति का अवसर देने, करके सीखने, गलती करने काअवसर देने, सीखने के लिए आकलन करने,खेल खेल में सीख ने, और अन्य उपयुक्त विधियों के माध्यम से साक्षरता एवं संख्या ज्ञान की अवधारणा को मजबूत बनाने हेतु प्रोत्साहित कर सकते हैं।
    अनिल तिवारी
    सहायक शिक्षक
    रा मध्य विद्यालय दुलदुलवा ,मेराल ,गढवा।

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  95. 3-9 वर्ष बच्चों में बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान का विकास करने में विद्यालय तथा शिक्षक महत्वपूर्ण है। शिक्षक अपने विद्यार्थियों को अपने व्यवहार से आकर्षित कर उनके मन में समा जाते हैं , विद्यार्थियों के हरेक जिज्ञासा को उचित समाधान कर मन की तृष्णा मिटाते हैं।

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  96. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान की आवश्यकता की पूर्ति के लिए विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण होती है विद्यालय का वातावरण सहयोगात्मक होनी चाहिए। बच्चों को खेल विधि पिक्चर कार्ड गतिविधि आधारित शिक्षा के माध्यम से बुनियादी ज्ञान को मजबूत किया जा सकता है।

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  97. 3-9 वर्ष आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता उपलब्धियों को सुनिश्चित करने में विद्यालय नेतृत्व में ज्ञान,कौशल,सकारत्मक एवम सृजनात्मक दृष्टिकोण,बालमनोविज्ञान की समझ के साथ परिवेश की वास्तविक समझ का होना जरूरी है। अनुकूल वातवरण के साथ गतिविधि निर्माण की क्षमता का उपयोग बच्चों के सीखने की क्षमता को आगे ले जाने में सहायक होता है।Motiur Rahman, UPS-Chandra para, Pakur

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  98. 3-9 आयु वर्ग के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को खेल गतिविधि आधारित, खेल खेल में शिक्षा, मनोरंजक कहानियां, कविता आनंदमई कक्षा से जोड़-तोड़ वाले खिलौने से नाटक की प्रस्तुति से और प्रत्येक दिन का आकलन से उनकी उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता है

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  99. 3 से 9 वर्ष के बच्चों के फिल्म सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए विद्यालय नेतृत्व करता की महत्वपूर्ण भूमिका है उसे ज्ञान कौशल से पूर्ण सहयोगात्मक सृजनात्मक दृष्टिकोण होना चाहिए बच्चों से भावनात्मक लगाओ सीखने के लिए विद्यालय वातावरण का निर्माण करना एवं खेल गतिविधि आधारित विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था का निर्माण करना चाहिए।

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  100. 3-9 आयुवर्ग के बच्चों को एक बेहतर माहौल देने से FLN का जो दूरगामी मिशन है उसे आसानं हो जायगा |

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  101. Guidelines according to FLN will be most effective for children aged 3-9to teach.

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  102. 3 से 9 आयु वर्ग के बच्चों में साक्षरता एवं संख्या ज्ञान सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने हेतु नेतृत्वकर्ता की अहम भूमिका होती है इस परिपेक्ष में हमें समाज समुदाय माता पिता सामाजिक कार्यकर्ता प्रबुद्ध व्यक्ति सीडीपीओ शिक्षा शास्त्री आदि हित धारकों के साथ समन्वय स्थापित कर उनके मार्गदर्शन व अनुभव के आधार पर बच्चों के अधिगम कौशल को विकसित करने में सहायक हो सकते हैं

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  103. 3-9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए एक नेतृत्वकर्ता के रूप में एक शिक्षक की भूमिका अहम होती है। शिक्षक को इस कार्य के लिए हितधारकों से जुड़ना और उनसे सहयोग प्राप्त करना विभिन्न गतिविधियों के द्वारा हो सकता है जैसे:शिक्षक अभिभावक संघ की नियमित बैठक, बच्चों के विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर या कभी कभी स्वयं समुदाय के बीच जाकर बातचीत आदि। हितधारकों से सहयोग प्राप्त करने के लिए शिक्षक में कुशल नेतृत्व,सहयोग देने व लेने का कौशल,कार्य के प्रति समर्पण जैसे गुण होने चाहिए। इन सभी के अतिरिक्त विद्यालय का शैक्षिक वातावरण ऐसा हो जिससे हितधारक संतुष्ट हों।

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  104. 3-9 varsh ki umra ke bachchon ki sikhne ki awashyaktaon ke samanjsya sthapit karne ke liye ek netritwakarta ke rup me ek shikshak ki bhumika aham hoti hai. Shikshak ko is karya ke liye hitdharakon se judna aur unse sahayog prapt karna vibhinn gatividhiyon ke dwara ho dakta hai. Jaise:-shikshak abhbhawak bathak, bachchon ke vibhinn karyakramon ka ayojan kar, samuday ke bich jakar batchit. Hitdharakon se sahayog prapt karne ke liye shikshak me kushal netritwa, sahayog lene ya dene ka kaushal, karya ke prati samparpan jaise gun hone chahiye. In sabhi ke alawe vidyalay ka dhakshik vatavaran aisa ho jisse hitdharak santusht hon.

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  105. 3-9 वर्ष के बच्चों की बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने की आवश्यकताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है उनके पास ज्ञान कौशल और दृष्टिकोण का होना उनमें ज्ञान कौशल और संदर्भ आधारित अनुकूलन आत्मक एवं रचनात्मक परिवर्तनकारी सोच होनी चाहिए विद्यालय का वातावरण आनंददायक बनाया जिसमें बच्चे भयमुक्त होकर आनंद पूर्वक सीख सकें धन्यवाद

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  106. 3 sal ke bacchon ki buniyadi star mein sangyanatmak srijanatmak yog ke sath dekhne per dal Dena chahie

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  107. 3-9 साल के बच्चों की बुनियादी साक्षरता और अंकगणित सीखने की जरूरतों को पूरा करने के लिए, स्कूल महत्वपूर्ण हैं। शिक्षक ही एक सकारात्मक सीखने के माहौल को विकसित करने में सक्षम हैं। शिक्षक और छात्र एक भावनात्मक बंधन साझा करते हैं। इससे बच्चों को काफी फायदा होता है।

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  108. 3 से 9 वर्ष के बच्चों की शिक्षा सामान्य चाॅकएवं बात से हटकर गतिविधि आधारित ,खेल आधारित, परियोजना आधारित आदि होनी चाहिए। इसके लिए संसाधनों के अलावे बच्चों की पृष्ठभूमि की जानकारी भी आवश्यक है; तभी उनके अधिगम के लिए उचित रणनीति बनाते हुए योजना का निर्माण एवं गतिविधियों का चयन किया जा सकेगा । फलतः विभिन्न व्यक्तियों की सहभागिता पूर्ण निष्ठा के साथ आवश्यक हो जाती है ।अतः छात्रों के अभिभावक, बच्चों की शिक्षा से जुड़े शिक्षक, संसाधनों की पूर्ति हेतु शिक्षा अधिकारियों अभी सभी के साथ समन्वय स्थापित करना जरूरी पड़ जाता है। क्योंकि बच्चों की चित्र शिक्षा के लिए हित धारकों के रूप में स्वयं छात्र ,अभिभावक ,शिक्षक, समाज एवं राष्ट्र सभी आते हैं। मुख्य बीच समन्वय स्थापित करने की जिम्मेवारी विद्यालय के प्रमुख एवं शिक्षकों की होती है।

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  109. School k leader k rup m 3-9 year k bachhon K sikhne ki aawasyakta k samanjasya asthapit karne k liae hum nimna activity kardnge :--
    1. Parent-teacher meeting.
    2. Different types of play.
    .....MS KUSUNDA MATKURIA DHANBAD 1
    3. Sangit tatha Niritya ka aayojan.

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  110. 3-9 ayubarga ke bachchon ki buniyadi star me sanganatmak srijnatmak tatha sahayoganatmak ke sath sikhne par bal Dena chahiye.

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  111. सीखने की जरूरतों को पूरा करने के लिए, स्कूल महत्वपूर्ण हैं। शिक्षक ही एक सकारात्मक सीखने के माहौल को विकसित करने में सक्षम हैं। शिक्षक और छात्र एक भावनात्मक बंधन साझा करते हैं। इससे बच्चों को काफी फायदा होता है।

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  112. 3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता को विकसित करने के लिए विद्यालय के प्रमुख एवं शिक्षकों को बच्चों के विकास संबंधी जरूरतों के बारे में समझना होगा । सर्वप्रथम बच्चों के विकास से जुड़ी आवश्यकताओं की पहचान,गतिविधियों की योजना, एवं सीखने का वातावरण का निर्माण करना अति आवश्यक है। उसके बाद विद्यालय और घर दोनों जगहों पर बच्चों के लिए सीखने के अवसर का वातावरण तैयार करना होगा । साथ ही साथ नेतृत्वकर्ता के पास समुदाय, अभिभावक ,और अन्य हित धारको के साथ संपर्क बनाने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल होनी चाहिए।

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  113. बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने की अवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नेतृत्वकर्ता के रूप में निम्न भूमिकाएं महत्वपूर्ण है:-
    1. सहज शिक्षण वतावतं तैयार करना
    2. रुचिपूर्ण शिक्षण हेतु एक रोड मैप तैयार करना
    3. शिक्षकों के बीच आपसी संवाद को बढ़ावा
    4. नियमित शिक्षक-अभिभावक बैठक का आयोजन
    5. आंगनवाड़ी को सहयोगी बनाना

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  114. Jitendra kumar singh
    TGT upg +2High School Deokuli, Ichak, H. Bag
    3-9 के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के आवश्यकताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण होती है

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  115. FLN activities are of great importance for children aged 3 to 9 years. The school leader must have knowledge,skill and vision and he must possess revolutionary thinking as well as cooperative and leadership qualities.He should be able to create a conducive environment for learning in schools for complete social,emotional and cognitive development of children.

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  116. 9 वर्ष के बच्चों की बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के आवश्यकताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। विद्यालय में एक शिक्षकही है जो सीखने सिखाने के लिए वातावरण तैयार करने का बिड़ा उठाता है। साथ ही शिक्षक और बच्चे एक दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़े भी होते हैं, इससे बच्चों को सीखने में काफी सहुलियत मिलती है।

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  117. सीखने की जरूरतों को पूरा करने के लिए, स्कूल महत्वपूर्ण हैं। शिक्षक ही एक सकारात्मक सीखने के माहौल को विकसित करने में सक्षम हैं। शिक्षक और छात्र एक भावनात्मक बंधन साझा करते हैं। इससे बच्चों को काफी फायदा होता है।
    कालेश्वर प्रसाद कमल
    प्रा विधालय झण्डापीपर गादी (द) धनवार (गिरिडीह)
    झारखण्ड

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  118. 3-9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है।उसके पास ज्ञान ,कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।उसमें सन्दर्भ आधारित,अनुकलात्मक,सहयोगात्मक और परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिये।सभी के बीच समन्वय बनाने की क्षमता तथा विद्यालय में सीखने के वातावरण निर्माण करने की क्षमता भी होनी चाहिए।गतिविधि निर्माण,खेल विधि सहित विभिन शिक्षा शास्त्र का संज्ञानत्मक समझ तथा उसे विद्यालय में लागूं करने के लिए एक सकारात्मक और सृजनात्मक सोच का होना आवश्यक है। के सभी हिट दार को को एक साथ लेकर चलने विकास कौशल नेतृत्वकर्ता के पास होना चाहिए और उनको एक साथ ले कर के भी क्या मैंने 3 से 9 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए गतिविधियों का आयोजन किस प्रकार किया जाए ताकि उनमें सीखने की भावना एवं उसकी क्षमता का विकास हो सके।
    अंजय कुमार अग्रवाल
    मध्य विद्यालय कोयरी टोला रामगढ़

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  119. 3-9 वर्ष के बच्चों की बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के आवश्यकताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। विद्यालय में शिक्षक ही एक मात्र सीखने सिखाने के वातावरण तैयार करने में सक्षम होते है। शिक्षक और बच्चे एक दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं, इससे बच्चों को सीखने में काफी सहुलियत मिलती है।

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  120. 3-9 वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान मैं सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए विभिन्न हित धारकों से जुड़ना जरूरी होता है । विद्यालय के नेतृत्वकर्ता की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि सीखने के सारे अवसर उन्हीं के माध्यम से एवं निगरानी में किया जाता है। नेतृत्वकर्ता के ज्ञान, कौशल, अनुभव, सहयोगात्मक क्षमता , अभिभावकों से संपर्क स्थापित कर साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। किशोर कुमार राय, उत्क्रमित उच्च विद्यालय कठघरी देवघर

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  121. 3-9 वर्ष की उम्र के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए मैं विद्यालय के एक नेतृत्वकर्ता के रूप में विभिन्न हितधारको के साथ निम्नलिखित भूमिकाओं के माध्यम से जुड़ सकता हूँ:-
    (1) शिक्षक-अभिभावक गोष्ठी ।
    (2)विद्यालय मेें खेल, नाटक, नृत्य-संगीत आदि गतिविधियों का आयोजन।
    (3) विभिन्न हिताधारको से व्यक्तिगत सम्पर्क कर सामंजस्य बनाना।

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  122. 3-9 वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सिखाने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए माता-पिता /अभिभावक ,सामाजिक कार्यकर्ता ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ,बाल वाटिका शिक्षिका ,एनजीओ कार्यकर्ता ,बीआरपी ,सीआरपी आदि विधायकों के साथ समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता है |

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  123. 3-9 ayu samuh ke bachon ko bunyadi saksharta aur sankhya gyan sikhane ki awasyaktao ke sath samanjasya sthapit karne ke liye sabhi hith dharakon ke sath jaise mata pita abhibhawak samajik karyakarta, anganwadi, baal vatika purv prathamik sikshako, no,brp,crp block adhikari media ewam samajik karyakartao, ke sath samanjas sthapit kiya jay....John stephan hansda ums Barmasia shikaripara

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  124. 3 9 varsh ki aayu ke bacche ke sath samaj se sthapit karne ke liye bacchon ki matrubhasha uska parivesh AVN parivarik prishthbhumi per Dhyan dekar unke Vikas mein sahayata Kiya ja sakta hai

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  125. 3 se 9 varsh ke bacchon ka buniyadi Saksharta aur Kaushal Vikas hona avashyak hai.

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  126. 3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें मौका देना चाहिए ताकी उनके दैनिक जीवन की गतिविधियों को उनकी संख्याज्ञान में शामिल करा कर उनकी उपलब्धि देखी जा सकती है और उनका अवधारणा को स्पष्ट किया जा सकता है।

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  127. 3-9 वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान में विद्यालय नेतृत्व की अहम भूमिका होती है, विद्यालय में शिक्षक ही वातावरण निर्माण, अनुकूल परिवेश,सहोयोगात्मक वातावरण, अनुरूप परिवेश सकारात्मक सोच की अहम भूमिका होती है

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  128. 3से9 वर्ष की आयु के बच्चों के साथ सहयोगात्मक एव॔ सृजनात्मक शिक्षण पर ध्यान केंद्रित कर शिक्षण देंगे।

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  129. 3-9 वर्ष की आयु के बच्चो की सीखने की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए हम विभिन्न हितधारकों के साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में जुड़ सकते है। विद्यालय के एक नेतृत्वकर्ता के रूप में हमें समाज,समुदाय,माता-पिता/अभिभावक, सामाजिक कार्यकर्ता आदि हितधारकों के साथ समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता है। नेतृत्वकर्ता के ज्ञान, कौशल, अनुभव, सहयोगात्मक क्षमता अभिभावकों से संपर्क स्थापित कर साक्षरता एवं संख्याज्ञान को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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  130. मैं विद्यालय के 3 से 9 वर्ष के बच्चों को सीखने और सिखाने के लिए मात्रिभाषा या स्थानीय भाषा का उपयोग करते हुए स्कूल की भाषा से जोड़ेंगे बच्चों को अधिक से अधिक भाषाई विकास पर ध्यान दें जब बच्चे मेरी बातों को समझेंगे तब वह आसान इसके उपाय बच्चों को और वस्तुओं आसपास के प्रथम वर्ष हुए का उदाहरण देकर शिक्षा देंगे बच्चों को बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान पर अधिक जोर देंगे ताकि बच्चे का पूर्णांक मजबूत हो और वे आसानी से सीख सकें। बच्चों को ELPS के सिद्धांत के आधार पर गतिविधि द्वारा सिखाएंगे ।

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  131. 3 se 9 varse ke ayu verg ke bacchon ki sikhne ki kshmta ki uplabdhi mein vidyalaya netritwa ki bhumika mahatwapurn hoti hai
    .v

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  132. 3 se 9 vars ke bachcho ka buniyadi bikash ki awayashkta hai

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  133. 3-9 वर्ष के बच्चो को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के आवश्यकताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है। इसीलिए खिलौने के साधनों द्वारा और कहानी द्वारा बच्चो के साथ खुद भी बच्चा बनकर उनकी ज्ञान दूढीकरण के लिए मदद मिलेगी।

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  134. विद्यालय के एक नेतृत्वकर्ता के रूप में हमें समाज,समुदाय,माता-पिता/अभिभावक, सामाजिक कार्यकर्ता आदि हितधारकों के साथ समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता है। नेतृत्वकर्ता के ज्ञान, कौशल, अनुभव, सहयोगात्मक क्षमता अभिभावकों से संपर्क स्थापित कर बुनियादी साक्षरतां एवम् संख्याज्ञान ( FLN) को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भुमिका विद्यालय नेतृत्व द्वारा की जा सकती है।

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  135. 3-9 आयुवर्ग के बच्चों की बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान सिखने की आवश्यकता की पूर्ती मे विद्यालय नेतृत्व का अहम योगदान है! विषय आधारित , नाटक आधारित, गतिविधि आधारित, खिलोना आधारित, कला आधारित, कहानी कथन आधी माध्यम से छोटे बच्चो मे रचनात्मक और दक्षता विकसित करणे मे बहुत सहाय्यक है! विद्यालय नेतृत्वकर्ता को यह आवश्यक है कि वह बच्चो के लिए अपने उपलब्ध संसाधन एवं सहयोगियों की मदद से बच्चोकी भावनात्मक बुद्धी को विकसित करे और बच्चो की मानवीय व्यवहार ओर रिश्तों को समझने मे सहाय्यता करे!

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