आप अपनी कक्षा/ स्कूल में खिलौना क्षेत्र कैसे सृजित करेंगे – इस बारे में सोचें। डी-आई-वाई खिलौनों का सृजन करने में बच्चों की सहायता के लिए आप कौन सी आवश्यक सामग्री या हस्तकौशलीय वस्तुएँ रखेंगे ?
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कोर्स 12 : गतिविधि 5 : खिलौना क्षेत्र का सृजन – अपने विचार साझा करें
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हम अपनी कक्षा में विभिन्न प्रकार के खिलौने का निर्माण अपने आसपास के पर्यावरण में मिलनेवाले शून्य निवेश संसाधनों के प्रयोग से करने का प्रयास करते हैं।विभिन्न प्रकार के कागज,(रंगीन सहित),लकड़ी, कंकड़-पत्थर,मिट्टी,बांस,नीम पत्ती के डंडल,मौजे,चार्टपेपर,पुराने टुटे-फुटे खिलौने के अंश,कपड़े आदि संसाधनों की समुचित उपलब्धि के साथ बच्चों के अंदर रचनात्मक कौशल वृद्धि कराने का निरंतर मेरा प्रयास रहता है।बहुत-बहुत धन्यवाद।
ReplyDeleteकौशल किशोर राय,
सहायक शिक्षक,
उत्क्रमित उच्च विद्यालय पुनासी,
शैक्षणिक अंचल:-जसीडीह,
जिला:- देवघर,
राज्य:-झारखण्ड।
अपने विद्यालय के कक्षा में खिलौना चित्र विकसित करने के लिए कक्षा के कोने का चुनाव करेंगे ।जहां पर सेल्फ बनवाकर के उस पर नजदीकी पर्यावरण एवं घर से संबंधित कुछ सामग्री रखेंगे ।इनसे खिलौने बन सकते हैं। सामग्रियों में रंगीन कागज, पुराने अखबार, बोतल, कंकड़, बोतल के ढक्कन, पुराने मोजे ,सूई धागा,पुरानी कलम ,कोई डब्बा, झाड़ू के तिनके, पुराने किताबों के पन्ने जिसमें सुंदर चित्र बने हो, मिट्टी ,गिलास इत्यादि चीजों के मदद से बच्चे खिलौने का निर्माण करेंगे और उन खिलौनों का प्रदर्शन वर्ग कक्ष में किया जाएगा।
Deleteधन्यवाद
अंजय कुमार अग्रवाल
मध्य विद्यालय कोयरी टोला
रामगढ़
Of course being a teacher we should make toy for students and use as TLM with waste materials like bottle,bottles cap,bangles,papers,seeds etc.
Deleteअपने आसपास मौजूद शून्य निवेश के साधनों जैसे लकड़ी के टुकड़े,कंकड़-पत्थर,अखबार की कतराने,पेड़ों के पत्ते,सूखे हुए पत्ते ,मिट्टी,बालू इत्यादि का प्रयोग करके विभिन्न प्रकार के खिलौने का निर्माण स्वयं एवं बच्चों द्वारा।साथ ही सादे पेपर एवं रंगीन पेपर से विभिन्न प्रकार की आकृतियां बनाकर एवं बच्चों से इस प्रकार की आकृतियों का अव्यश करवाकर खिलौना क्षेत्र का सृजन करेंगे।
ReplyDeleteखिलोने हमें मिट्टी, कागज़ की बोतल, कपड़े लकड़ी, पट्टी, कलंद, मुखोटे, टूटी फूटी वास्तुये आदि से बना कर सृजन कर सकते हैं|
ReplyDeleteहम बेकार पड़े सामान, मिट्टी, कागज,बोतल,कपड़े,आदि से खिलौने बनाकर खिलौना क्षेत्र का सृजन कर सकते हैं।
Deleteहम अपने आस पास बेकार पडे पानी की बोतले, जंगल से मिलने वाले फलों के सूखे बीज ' बाँस, लकडियों, पुराने डिब्बो, कपड़े इत्यादि सामानों से खिलौना क्षेत्र बनाएंगे जिसमें बचो शिक्षकों का सहयोग करेंगे ।
ReplyDeleteहम आसपास या घर मे पड़े बेकार चीजों या उपयोग किये गए सामान का उपयोग करके खिलौना बना सकते हैं।बनाते वक्त बच्चो को भी शामिल करके उनके कौशल को विकसित कर सकते है।खिलौनों को बनवाते समय या बनाते समय विभिन्न ज्यामितीय आकारों से परिचय करा सकते हैं।अधिगम का विकास के साथ कक्षा आनन्ददायी भी होगा।
ReplyDeleteबेकार चीजों का उपयोग करके खिलौने इत्यादि बनाये जा सकते हैं।इससे अधिगम का भी विकाश होता है।
DeleteP.K.THAKUR(H.M)
UHS UPAR SITUA ,JAMA ,DUMKA.
कक्षा या विद्यालय में खिलौना निर्माण कार्य करते वक्त निम्नांकित बिंदुओं को अपने जेहन (ध्यान) में रखेंगे।
ReplyDelete1.कम लागत/बिना लागत वाली वस्तुओं का उपयोग जो बच्चों के आसपास के परिवेश में आसानी से उपलब्ध हो जैसे - बोतल, डब्बे, कैप पेपर, पेपर रॉल, लकड़ी,पत्ते,कपड़े आदि का उपयोग।
2.खिलौने कौशल आधारित समस्या समाधान, सृजनात्मक, सम्प्रेषण, आत्माभिव्यक्ति रंग और आकृति की समझ को बढ़ाने वाली होंगे।
3.सीखने के कौशल/प्रत्यय और प्रतिफल को जेहन (ध्यान) में रखेंगे।
हम आसपास या घर मे पड़े बेकार चीजों या उपयोग किये गए सामान का उपयोग करके खिलौना बना सकते हैं।बनाते वक्त बच्चो को भी शामिल करके उनके कौशल को विकसित कर सकते है।खिलौनों को बनवाते समय या बनाते समय विभिन्न ज्यामितीय आकारों से परिचय करा सकते हैं।अधिगम का विकास के साथ कक्षा आनन्ददायी भी होगा। Lalit kumar Sawansi kumardungi W Singhbhum
ReplyDeleteहम आस-पास या घर में पड़े बेकार चीजों जैसे-अखबार,रंगीन पेपर ,या सादे पेपर ,पानी बोतले, तथा टूटी -फूटी वस्तुएं आदि या उपयोग किए गए सामान का उपयोग कर के खिलौना आदि बना कर सृजन कर सकते हैं।बनाते समय बच्चों को भी शामिल करके उनके कौशल को विकसित कर सकते हैं। विभिन्न ज्यामितीय आकारों से परिचय करा सकते हैं। अधिगम विकास के साथ कक्षा आनंददायी भी होगा। Oman khan UMS Tikuldiha (Meral) Garhwa
ReplyDeleteखिलोने हमें मिट्टी, कागज़ की बोतल, कपड़े लकड़ी, पट्टी मुखोटे, टूटी फूटी वास्तुये आदि से बना कर सृजन कर सकते हैं|हम अपने आस पास बेकार पडे पानी की बोतले, जंगल से मिलने वाले फलों के सूखे बीज ' बाँस, लकडियों, पुराने डिब्बो, कपड़े इत्यादि सामानों से खिलौना बनाएंगे जिसमें बचो शिक्षकों का सहयोग करेंगे ।
ReplyDeleteOld water bottles,pebbles,newspaper,colourful papers,gums,sticks of different sizes,waste wires,leaves of different sizes and colours,clays,old socks,stuff of old clothes,child friendly scissors,waste nets,card boards,tapes,tamarind seeds,seeds of different fruits and grains,waste cells,colour sketch pens and many other low or zero cost easily available things
ReplyDeleteApne aas paas maaujud sunay nivesh ke sadhanoo ex-lakri ketukare kankar pathar akhbaar ki katrane peroo ke pate sukhe pate mitti baalu etc . ka prayog karke vibheen prakaar ke khilone ka nirmman khud or bachho dawara saade paperorrangin papaer se vibheen parkaar ki aakritiya bana kar.
ReplyDeleteखिलोने हमें मिट्टी, कागज़ की बोतल, कपड़े लकड़ी, पट्टी मुखोटे, टूटी फूटी वास्तुये आदि से बना कर सृजन कर सकते हैं|हम अपने आस पास बेकार पडे पानी की बोतले, जंगल से मिलने वाले फलों के सूखे बीज ' बाँस, लकडियों, पुराने डिब्बो, कपड़े इत्यादि सामानों से खिलौना बनाएंगे जिसमें बचो शिक्षकों का सहयोग करेंगे kumardungi West Singhbhum
ReplyDeleteकक्षा या विद्यालय में खिलौना निर्माण कार्य करते वक्त निम्नांकित बिंदुओं को समर्पित करना चाहेंगे।
ReplyDelete1.कम लागत/बिना लागत वाली वस्तुओं का उपयोग जो बच्चों के आसपास के परिवेश में आसानी से उपलब्ध हो जैसे - बोतल, डब्बे, कैप पेपर, पेपर रॉल, लकड़ी,पत्ते,कपड़े आदि का उपयोग।
2.खिलौने कौशल आधारित समस्या समाधान, सृजनात्मक, सम्प्रेषण, आत्माभिव्यक्ति रंग और आकृति की समझ को बढ़ाने वाली होंगे।
3.सीखने के कौशल/प्रत्यय और प्रतिफल को जेहन (ध्यान) में रखेंगे।
4)पारस्परिक सहभागिता।
Khilone ka nirman hum kagaj,lakri,botal,purane khilone ke bivinn parts jaise sunya nibesh sansadhan se kar sakte hain tatha bachhon ka srijatmak bikash kar sakte hain.
ReplyDelete.........MS KUSUNDA MATKURIA DHANBAD-1
खिलोने हमें मिट्टी, कागज़ की बोतल, कपड़े लकड़ी, पट्टी मुखोटे, टूटी फूटी वास्तुये आदि से बना कर सृजन कर सकते हैं|हम अपने आस पास बेकार पडे पानी की बोतले, जंगल से मिलने वाले फलों के सूखे बीज ' बाँस, लकडियों, पुराने डिब्बो, कपड़े इत्यादि सामानों से खिलौना बनाएंगे।
ReplyDeleteनिसंदेह हम एक शिक्षक होने की नाते हमे खिलौना क्षेत्र का सृजन करना हमारा नैतिक जिम्मेवारी है जिसके लिए खिलोने हमें मिट्टी, कागज़ की बोतल, कपड़े लकड़ी, पट्टी मुखोटे, टूटी फूटी वास्तुये आदि से बना कर सृजन कर सकते हैं|हम अपने आस पास बेकार पडे पानी की बोतले, जंगल से मिलने वाले फलों के सूखे बीज ' बाँस, लकडियों, पुराने डिब्बो, कपड़े इत्यादि सामानों से खिलौना बनाएंगे जिसमें बचो शिक्षकों का सहयोग करेंगे ।
ReplyDeletePHUL CHAND MAHATO
UMS GHANGHRAGORA
CHANDANKIYARI
BOKARO
एक शिक्षक होने के नाते हमें खिलौने क्षेत्र का सृजन करना हमारे नैतिक जिम्मेवारी है जिसके लिए खिलौने हमें मिट्टी कागज की बोतल कपड़े लकड़ी मुखोटे पुट्टी पुट्टी वस्तुएं आदि से बना कर सृजन कर सकते हैं हम अपने आसपास बेकार पड़े पानी की बोतलें जंगल से मिलने वाले फलों के सूखे बीज बात लकड़ियां पुराने डिब्बों पुराने खिलौने इत्यादि से चिल्लाना बनाएंगे जिसमें बच्चों का सहयोग करेंगे
DeleteOf course being a teacher we should make toys for students and use as TLM with waste materials like bottle, bottle's cap,bangles,papers, seeds etc
ReplyDeleteIn our class room we should made toys with waste materials like bottle and cap,papers ,seed ,bangles etc and use it as our instant TLM.
ReplyDeleteखिलोने हमें मिट्टी, कागज़ की बोतल, कपड़े लकड़ी, पट्टी मुखोटे, टूटी फूटी वास्तुये आदि से बना कर सृजन कर सकते हैं|हम अपने आस पास बेकार पडे पानी की बोतले, जंगल से मिलने वाले फलों के सूखे बीज ' बाँस, लकडियों, पुराने डिब्बो, कपड़े इत्यादि सामानों से खिलौना बनाएंगे जिसमें बच्चे शिक्षकों का सहयोग करेंगे ।
ReplyDeleteकक्षा या विद्यालय में खिलौना निर्माण कार्य करते वक्त निम्नांकित बिंदुओं को समर्पित करना चाहेंगे।
ReplyDelete1.कम लागत/बिना लागत वाली वस्तुओं का उपयोग जो बच्चों के आसपास के परिवेश में आसानी से उपलब्ध हो जैसे - बोतल, डब्बे, कैप पेपर, पेपर रॉल, लकड़ी,पत्ते,कपड़े आदि का उपयोग।
2.खिलौने कौशल आधारित समस्या समाधान, सृजनात्मक, सम्प्रेषण, आत्माभिव्यक्ति रंग और आकृति की समझ को बढ़ाने वाली होंगे।
3.सीखने के कौशल/प्रत्यय और प्रतिफल को जेहन (ध्यान) में रखेंगे। रणजीत प्रसाद, मध्य विद्यालय मांडू, रामगढ़।
Ham apni class me aspas ke paryavaran se milnevala sansadhnon ke paryog se karne ka paryas karten hai.
ReplyDeleteखिलोने हमें मिट्टी, कागज़ की बोतल, कपड़े लकड़ी, पट्टी मुखोटे, टूटी फूटी वास्तुये आदि से बना कर सृजन कर सकते हैं|हम अपने आस पास बेकार पडे पानी की बोतले, जंगल से मिलने वाले फलों के सूखे बीज ' बाँस, लकडियों, पुराने डिब्बो, कपड़े इत्यादि सामानों से खिलौना बनाएंगे
ReplyDeletePuran kapre,paper,musk,bekar pare bottle,lakri ke tukre,purane dibbe adi se hum bachho ke sath khilonae banayenge
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में विभिन्न प्रकार के खिलौने का निर्माण अपने आसपास के पर्यावरण में मिलनेवाले शून्य निवेश संसाधनों के प्रयोग से करने का प्रयास करते हैं।विभिन्न प्रकार के कागज,(रंगीन सहित),लकड़ी, कंकड़-पत्थर,मिट्टी,बांस,नीम पत्ती के डंडल,मौजे,चार्टपेपर,पुराने टुटे-फुटे खिलौने के अंश,कपड़े आदि संसाधनों की समुचित उपलब्धि के साथ बच्चों के अंदर रचनात्मक कौशल वृद्धि कराने का निरंतर मेरा प्रयास रहता है। KISHOR KUMAR ROY UHS.KATHGHARI,DEOGHAR
ReplyDeleteखिलोने हमें मिट्टी, कागज़ की बोतल, कपड़े लकड़ी, पट्टी मुखोटे, टूटी फूटी वास्तुये आदि से बना कर सृजन कर सकते हैं|हम अपने आस पास बेकार पडे पानी की बोतले, जंगल से मिलने वाले फलों के सूखे बीज ' बाँस, लकडियों, पुराने डिब्बो, कपड़े इत्यादि सामानों से खिलौना बनाएंगे जिसमें बचो शिक्षकों का सहयोग करेंगे
ReplyDeleteAnjani Kumar Choudhary. 8809058368
ReplyDeleteकक्षा या विद्यालय में खिलौना निर्माण कार्य करते वक्त निम्नांकित बिंदुओं को समर्पित करना चाहेंगे।
1.कम लागत/बिना लागत वाली वस्तुओं का उपयोग जो बच्चों के आसपास के परिवेश में आसानी से उपलब्ध हो जैसे - बोतल, डब्बे, कैप पेपर, पेपर रॉल, लकड़ी,पत्ते,कपड़े आदि का उपयोग।
2.खिलौने कौशल आधारित समस्या समाधान, सृजनात्मक, सम्प्रेषण, आत्माभिव्यक्ति रंग और आकृति की समझ को बढ़ाने वाली होंगे।
3.सीखने के कौशल/प्रत्यय और प्रतिफल को जेहन (ध्यान) में रखेंगे।
4)पारस्परिक सहभागिता।
हम अपने आसपास या घर में बेकार चीजों जैसे कूट, कपडे के टुकड़े, लकड़ी के बुरादे, कागज इत्यादि से खिलौना बना सकते हैं। बनाते समय बच्चों को भी शामिल करके उनके कौशल को विकसित कर सकते हैं। बनाते समय विभिन्न गणितीय आकृतियों से परिचय कराया जा सकता है।
ReplyDeleteLoni Hamen mitaye kagaj ki Botal kapde Lakadi Patti mukhote Tuti futi Bachpan Mein Jise Banakar Sajan kar sakte hain Basilica De purane dibbon ka per De Pyar De Saman se Khilona Banayenge jisse bacche se choco ka Sahyog Karenge
ReplyDeleteHum apne aas pas ki bekar ki chizo se bahut se khilone bna sakte hain.kut,lakdi,Kagan,plastic,socks se khilone bna skate hain aur bachcho ko banane ke liye shikha skate hain.zero investment mein khelona taiyar kar bachcho ko khel khel mein shiksha de skate hain.
ReplyDeleteहम अपने आसपास बेकार पडे पानी की बोतलें, पेडों-पौधों से मिलने वाले फल,फूल, पते,बीज, लकडियाँ, पुराने डिब्बे, कपडे, मिट्टी, कार्डबोर्ड, थर्मोकोल से खिलौने बनाएंगे। जिससे छात्र-छात्राओं शिक्षकों का भरपूर मदद करेंगे। DEOCHARAN ORAON,GUMS LALGANJ,LAPUNG RANCHI
ReplyDeleteVERY GOOD METHOD TEACHING SMALL CHILDREN
ReplyDeleteम आसपास या घर मे पड़े बेकार चीजों या उपयोग किये गए सामान का उपयोग करके खिलौना बना सकते हैं।बनाते वक्त बच्चो को भी शामिल करके उनके कौशल को विकसित कर सकते है।खिलौनों को बनवाते समय या बनाते समय विभिन्न ज्यामितीय आकारों से परिचय करा सकते हैं।अधिगम का विकास के साथ कक्षा आनन्ददायी भी होगा।
ReplyDeleteAn entertaining method by making dolls with zero investment...can helps child skillfull and energetic learning
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में विभिन्न प्रकार के खिलौने का निर्माण अपने आसपास के पर्यावरण में मिलनेवाले शून्य निवेश संसाधनों के प्रयोग से करने का प्रयास करते हैं।विभिन्न प्रकार के कागज,(रंगीन सहित),लकड़ी, कंकड़-पत्थर,मिट्टी,बांस,नीम पत्ती के डंडल,मौजे,चार्टपेपर,पुराने टुटे-फुटे खिलौने के अंश,कपड़े आदि संसाधनों की समुचित उपलब्धि के साथ बच्चों के अंदर रचनात्मक कौशल वृद्धि कराने का निरंतर मेरा प्रयास रहता है।बहुत-बहुत धन्यवाद।
ReplyDeleteअपने आसपास के बेकार तथा अनुपयोगी वस्तुएं जैसे कपड़े बांश, लकड़ी, कंकड़, पत्थर, मिट्टी आदि चीज का उपयोग करते हुए खिलौना, गुड़िया आदि बच्चों के द्बारा बनवाकर उनके कौशल विकास कर सकते हैं।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में विभिन्न प्रकार के खिलौने का निर्माण अपने आसपास के पर्यावरण में मिलनेवाले शून्य निवेश संसाधनों के प्रयोग से करने का प्रयास करते हैं।विभिन्न प्रकार के कागज,(रंगीन सहित),लकड़ी, कंकड़-पत्थर,मिट्टी,बांस,नीम पत्ती के डंडल,मौजे,चार्टपेपर,पुराने टुटे-फुटे खिलौने के अंश,कपड़े आदि संसाधनों की समुचित उपलब्धि के साथ बच्चों के अंदर रचनात्मक कौशल वृद्धि कराने का निरंतर मेरा प्रयास रहता है।अपने आसपास के बेकार तथा अनुपयोगी वस्तुएं जैसे कपड़े बांश, लकड़ी, कंकड़, पत्थर, मिट्टी आदि चीज का उपयोग करते हुए खिलौना, गुड़िया आदि बच्चों के द्बारा बनवाकर उनके कौशल विकास कर सकते हैं।
ReplyDeleteमिट्टी,कंकर, कागज ,बोतल, पत्तियाँ कपड़े etc use kar kam कम निवेश से बहुत सारे खिलौने बना सकते है
ReplyDeleteHam Apne aaspaas bekar pade mitti Kanker botal kapde aadi chij ka prayog karte hue khilona gudiya h Di bacchon ke dwara banva kar unke Kaushal Vikas kar sakte hain
ReplyDeleteकक्षा या विद्यालय में खिलौना निर्माण कार्य करते वक्त निम्नांकित बिंदुओं को समर्पित करना चाहेंगे। (१) कम लागत/बिना लागत वालीवस्तुओं का उपयोग जो बच्चों के आसपास के परिवेश में आसानी से उपलब्ध हो, जैसे_बोतल,डब्बे,कैंप पेपर,पेपर रोल, लकड़ी,पते, कपड़े आदि का उपयोग।(२) खिलौना कौशल आधारित समस्या समाधान, सृजनात्मक, संप्रेषण, अभिव्यक्ति रंग और आकृति की समझ को बढ़ाने वाले होंगे। (३) सीखने के कौशल/प्रत्यय और प्रतिफल को ध्यान में रखेंगे। (४) पारस्परिक सहभागिता।
ReplyDeleteहम अपने विद्यालय में खिलौना क्षेत्र सृजित करने हेतु अपने आसपास शून्य लागत या कम लागत पर मिलने वाली सामग्री से खिलौना बनाकर कक्षा के आसपास रखेंगे जो बच्चों को आकर्षित करते हैं।जब बच्चे स्वयं इन खिलौनो को बनायेंगे तो वे अधिक खुश होंगे साथ ही उनकी सृजन क्षमता का विकास होगा।
ReplyDeleteकक्षा या विद्यालय में विभिन्न प्रकार के खिलौने कामुक निर्माण अपने आसपास के पर्यावरण में मिलने वाले शून्य निवेश या निम्न निवेश संसाधनों के प्रयोग से करने काम प्रयास करेंगे।खिलौना निर्माण के वक्त एसी वस्तुओं काम उपयोग करेंगे,जो बच्चों के आसपास के वातावरण में आसानी से उपलब्ध हो, जैसे-बोतल,डिब्बे,क्रैप पेपर, पेपर लाल, लकड़ी, पत्ते, कपड़े आदि का उपयोग।
ReplyDeleteखिलौने कौशल आधारित, समस्या समाधान, सृजनात्मक,सम्प्रेषण, आत्मिक अभिव्यक्ति, रंग एवं आकृति की समझ को बढाने वाले होने चाहिए।
सीखने के कौशल,प्रत्यय और प्रतिफल को ध्यान में रखेंगे।
पारस्परिक सहभागिता की भावनाओं को अभिव्यक्ति मिलनी चाहिए।
अनिल तिवारी
सहायक शिक्षक
रा मध्य विद्यालय दुलदुलवा, मेराल, गढवा, झारखंड।
Hum Apne Vidyalay mein khilonon ka ek sangrah kar sakte hain sunya nivesh par bekar padi chijon se bacchon ke liye tarah tarah ke khilona Bana kar bacchon ko akarshit kar sakte hain is tarah Apne Khel Khel mein Shiksha grahan karne mein sahayata milegi
ReplyDeleteHum apne aas pass ya ghar me bekar chijon jaise kut, kapre ke tukre, lakri ke burade, kahan ityadi se khilauna bana sakte hain banate samay bacchon ko bhi shamil karke unke kaushal ko viksit kar sakte hain banate samay bibhinn garitiy akritiyon se parichay karaya ja sakta hai
ReplyDeleteकक्षा या विद्यालय में खिलौना निर्माण कार्य करते वक्त निम्नांकित बिंदुओं को समर्पित करना चाहेंगे।
ReplyDelete1.कम लागत/बिना लागत वाली वस्तुओं का उपयोग जो बच्चों के आसपास के परिवेश में आसानी से उपलब्ध हो जैसे - बोतल, डब्बे, कैप पेपर, पेपर रॉल, लकड़ी,पत्ते,कपड़े आदि का उपयोग।
2.खिलौने कौशल आधारित समस्या समाधान, सृजनात्मक, सम्प्रेषण, आत्माभिव्यक्ति रंग और आकृति की समझ को बढ़ाने वाली होंगे।
3.सीखने के कौशल/प्रत्यय और प्रतिफल को जेहन (ध्यान) में रखेंगे।
कक्षा या विद्यालय में बच्चों को के लिए खिलौना निर्माण करने के लिए शून्य निवेश या कम लागत वाले वस्तुओं का उपयोग करना चाहेंगे, जैसे बेकार पानी की बोतलें, बोतल के ढक्कन ,कागज ,डब्बे ,पेपर रोल ,पेपर ,कैप ,ग्लास, कॉफी कप, लकड़ी ,कंकड़ ,पत्थर, बांस के पत्ते, नीम के पत्ते ,नीम के डंठल ,आदि का उपयोग करेंगे। खिलौने कौशल आधारित सृजनात्मक ,संप्रेषण ,अभिव्यक्ति , रंग,आकार, आकृति आदि की समझ बढ़े इसका भी ध्यान रखेंगे।
ReplyDeleteHamare charon taraf milne bali bekar vastuon se khilona ka nirmaan kar vidyalay mein khilona kshetra ka srijan kar sakte hai
ReplyDeleteHamare charon taraf milne wali bekar vastuon se khilouna ka nirman kar vidyalay mein khilouna kshetra ka srijan kar sakte hain.
Deleteहम अपनी कक्षा में विभिन्न प्रकार के खिलौने का निर्माण अपने आसपास पर्यावरण में मिलनेवाले संसाधनों के प्रयोग से करने का प्रयास करते हैं।विभिन्न प्रकार के कागज,लकड़ी, कंकड़-पत्थर,मिट्टी,बांस, पत्ती के डंडल,चार्टपेपर,पुराने टुटे-फुटे खिलौने के अंश,कपड़े आदि संसाधनों की समुचित उपलब्धि के साथ बच्चों के अंदर रचनात्मक कौशल वृद्धि कराने का निरंतर प्रयास कर सकते हैं।
ReplyDeleteहमें अपने आसपास मिलने वाले पर्यावरण में शून्य निवेश संसाधनों का उपयोग खिलौने एवं पपेट पपेट बनाने में करना चाहिए जैसे कपड़े की कतरन रूई सादा रंगीन कागज पुरानी मौजा आदि का उपयोग कर विभिन्न प्रकार के खिलौने पोपट बना सकते हैं और बच्चों के रचनात्मक एवं गत्यात्मक विकास में सहयोग कर सकते हैं जूता का डब्बा में पहिया लगा दे का पहिया लगाकर गाड़ी बना सकते हैं इससे बच्चे उत्सुक होकर विभिन्न प्रकार के खिलौने बनाने में अग्रसर होंगे इस तरह आसानी से बच्चों में रचनात्मक कौशल का विकास किया जा सकता है धन्यवाद
ReplyDelete18:39
ReplyDeleteमिट्टी के खिलौनों में विभिन्न प्रकार के जानवर और ग्वालिन मिलते हैं जिनका प्रयोग हम जानवरों की आकृति तथा नाम बताने मे कर सकते है। इन सब के अलावा छोटे छोटे मिट्टी के बरतन तथा अंधरा चुका भी बनाया जाता है जिससे बच्चे खाना पकाना सीखते हैं तथा पैसे की बचत करना सीखते हैं।
हम आपने आस पास बेकार पड़े पानी की बोतलें,जंगल से मिलने वाले फलों के बीज,बांस,लकड़ियां,पुराने डिब्बों,कपड़े इत्यादि जिससे अधिगम का विकास के साथ कक्षा आनंददाई भी होगा।
ReplyDeleteहम अपने आस-पास या घर में पड़े बेकार वस्तुओ का उपयोग करके खिलौना क्षेत्र का निमार्ण कर सकते है जैसे लकड़ी कागज पुरानी बोतल कपड़े मिट्टी, पत्ती ' पेपर, कंकड़ ' पत्थर ' इत्यादि जिससे अधिगम का विकास के साथ कक्षा आनंददाई भी हो।
ReplyDeleteWe can use so many things which are not usable and make varieties of toys, pictures to use as TLM
ReplyDeleteकक्षा में गतिविधि कोना मैं ही एक हिस्से के रूप में खिलौना एवं खिलौनों को बनाने के लिए आवश्यक सामग्री होनी चाहिए। खिलौने एवं खिलौनों की सामग्रियां स्वस्ति एवं सहज उपलब्ध वाली होनी चाहिए। मॉडल के रूप में कुछ खिलौने इन गतिविधि कोना में होनी चाहिए जिससे देखकर छात्र स्वयं से अपने लिए खिलौनों का विकास कर सके। शिक्षकों छात्रों के साथ खिलौना बनाने एवं अधिगम में इसके उपयोग के लिए गतिविधियों में सम्मिलित होना चाहिए।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा /स्कूल में आसपास के पर्यावरण से मिलने वाले चीजों से या बेकार पड़े वस्तुओं से विभिन्न प्रकार के शिक्षण TLM का निर्माण कर खिलौना क्षेत्र का सृजन करना चाहूंगा । डी -आई वाई
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा / स्कूल में आसपास के पर्यावरण से मिलने वाले चीजों से या बेकार पड़े वस्तुओं से विभिन्न प्रकार के शिक्षण TLM का निर्माण कर खिलौना क्षेत्र का सृजन करना चाहूंगा । डी -आई-वाई खिलौना सृजन करने में बच्चों के लिए हम समुचित संसाधन जैसे - बोतल , पेपर, जूते के बॉक्स कार्टून , बेकार पड़े चप्पल , पेपर रोल, पुराने कपड़े , लकड़ी, सूखे बीज, पत्ते, डिब्बे, बांस, मिट्टी के बर्तन , माचिस के डिब्बे, रूई, जूट, कंकड़ पत्थर, चार्ट पेपर व अन्य आवश्यक सामग्री या हस्तकौशल वस्तुओं को रखेंगे । इससे बनने वाले वस्तुएं बच्चों के लिए आकर्षक , मनोरंजक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षण में सहायक होंगे ।... धन्यवाद ।
ReplyDeleteप्रा.वि.भैरवपुर (धालभूमगढ़)
पूर्वी सिंहभूम, झारखंड ।
अखबार,बोतल के ढक्कन,खाली बोतल,रुई,कतरन इत्यादि से हम विभिन्न प्रकार के खिलौने बना सकने के साथ बच्चो को बनाना सीखा सकते हैं|यातायात से जुड़े चिन्ह,नियमों को समझा सकते हैं बस जरुरत के अनुसार हम खिलौने का निर्माण करेगे |
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में विभिन्न प्रकार के खिलौने का निर्माण अपने आसपास के पर्यावरण में मिलनेवाले शून्य निवेश संसाधनों के प्रयोग से करने का प्रयास करते हैं।विभिन्न प्रकार के कागज,(रंगीन सहित),लकड़ी, कंकड़-पत्थर,मिट्टी,बांस,नीम पत्ती के डंडल,मौजे,चार्टपेपर,पुराने टुटे-फुटे खिलौने के अंश,कपड़े आदि संसाधनों की समुचित उपलब्धि के साथ बच्चों के अंदर रचनात्मक कौशल वृद्धि कराने का निरंतर मेरा प्रयास रहता है।
ReplyDeleteहम आसपास या घर में पड़े बेकार चीजों या उपयोग किए गए सामान का उपयोग करके खिलौना बना सकते हैं। खिलौना बनाते समय बच्चों को भी शामिल करके उनके कौशल को विकशित कर सकते हैं। खिलौनों को बनवाते समय या बनाते समय विभिन्न ज्यामितिय आकारों से परिचय करा सकते हैं। इससे अधिगम विकास के साथ कक्षा आनंददाई होगा।
ReplyDeleteमैं एक शिक्षक रूप में कम लागत या शून्य निवेश आधारित खिलौने बनाने एवं बच्चों को बनाने में मदद करूँगा ।इसके लिए सूखे बीज,बाँस,लकडी,पुराने डिब्बे,बोतल,रंगीन कागज, ढक्कन,स्केचपेन,पुराने कपड़े इत्यादि संसाधनों का
ReplyDeleteउपयोग करके बच्चों में रचनात्मक कौशल विकसित करूँगा
ReplyDeleteकक्षा या विद्यालय में खिलौना निर्माण कार्य करते वक्त निम्नांकित बिंदुओं को अपने जेहन (ध्यान) में रखेंगे।
1.कम लागत/बिना लागत वाली वस्तुओं का उपयोग जो बच्चों के आसपास के परिवेश में आसानी से उपलब्ध हो जैसे - बोतल, डब्बे, कैप पेपर, पेपर रॉल, लकड़ी,पत्ते,कपड़े आदि का उपयोग।
2.खिलौने कौशल आधारित समस्या समाधान, सृजनात्मक, सम्प्रेषण, आत्माभिव्यक्ति रंग और आकृति की समझ को बढ़ाने वाली होंगे।
3.सीखने के कौशल/प्रत्यय और प्रतिफल को जेहन (ध्यान) में रखेंगे।
Reply
Kam Lagat ya zero nivesh ki cheejoon jaise bottle ka cap.,patthar,Karcher,pattiyan,sukhe beej,sketch pen,color paper, puppet,dinse block,etc ka prayog karenge.
ReplyDeleteअपने आसपास के बेकार तथा अनुपयोगी वस्तुएं जैसे कपड़े, बांस, लकड़ी, कंकर, पत्थर, मिट्टी आदि चीज का उपयोग करते हुए खिलौना गुड़िया आदि बच्चों के द्वारा बनवा कर उनके कौशल का विकास कर सकते हैं।
ReplyDeleteSUBHADRA KUMARI
ReplyDeleteRAJKIYAKRIT M S NARAYANPUR
NAWADIH BOKARO
खिलौने का सृजन मैं, छात्र-छात्राओं के साथ कक्षा में मिलकर बनाएगें। जिसमें कम लागत या बिना लागत की सामग्री हो ,जो आस-पास मौजूद हो। और आसानी से प्रात कर सकते है। जैसे-पत्ता,कंकड़,बालु, कपड़े की कतरन, पुराने ऊन,रुई,जूट,बटन,बोतल की ढक्कन,सुतली इत्यादि।
धन्यवाद
हम आपने आस-पास बेकार पडे चीज जैसे कपड़े के तरन, मिट्टी, फलों के बीत कागज लकडिया, बांस इत्यादि जिससे बच्चों की सहायता से बना सकते है ऐसा करने से बच्चों का सृजनात्मक प्रक्रिया होगी
ReplyDeleteकक्षा या विद्यालय में खिलौना निर्माण कार्य करते वक्त निम्नांकित बिंदुओं को समर्पित करना चाहेंगे। (१) कम लागत/बिना लागत वालीवस्तुओं का उपयोग जो बच्चों के आसपास के परिवेश में आसानी से उपलब्ध हो, जैसे_बोतल,डब्बे,कैंप पेपर,पेपर रोल, लकड़ी,पते, कपड़े आदि का उपयोग।(२) खिलौना कौशल आधारित समस्या समाधान, सृजनात्मक, संप्रेषण, अभिव्यक्ति रंग और आकृति की समझ को बढ़ाने वाले होंगे। (३) सीखने के कौशल/प्रत्यय और प्रतिफल को ध्यान में रखेंगे। (४) पारस्परिक सहभागिता।Ravindra prasad mahto ups haraiya tandwa chatra jharkhand
ReplyDeleteHum apni kaksha me khilona chetra ka srijan karne ke liye kum lagat wali vastuon aur aasani se uplabdh hone wale sansadhano ka upyog karenge.Udaharan ke liye mitti, Lakri, kagaj, baans, patte, kapre aadi ka prayog karke bachchon ki ruchi aur aavashyakta ke anusaar unko sikhne me madad karenge. Sikhne ke kaushal aur pratifal ka dhyaan rakkhenge.
ReplyDeleteमैं अपनी कक्षा में विभिन्न प्रकार के खिलौने का निर्माण अपने आसपास के पर्यावरण में मिलने वाले कम लागत/बिना लागत के सामग्री संसाधनों का प्रयोग कर सकती हूं। जैसे खाली बोतल की ढकने, पेपर रोल, जूते के डिब्बे, गते, कपड़ों की कतरनी, फटे पुराने कपड़े, पुरानी सोंग्स, कागज के टुकड़े/रंगीन कागज, पेड़ पौधे से जुड़ी वस्तुएं, कंकर, पत्थर, मिट्टी, टूटे फूटे खिलौने, आदि संसाधनों के साथ बच्चों के अंदर रचनात्मक और सृजनात्मक कौशल वृद्धि कराने का निरंतर प्रयास करती हूं
ReplyDeleteधन्यवाद
खिलौने हमें मिट्टी कागज की बोतल कपड़े लकड़ी पट्टी कलंद मुखोटे टूटी-फूटी वस्तुएं आदि से बनाकर सृजन कर सकते है।
ReplyDeleteहम पेड़ की छोटी टहनियों, चूड़ी के छोटे टुकडों, पतों, पेपर,बीजों आदि से खिलौना क्षेत्र का निमार्ण कर सकते हैं।
ReplyDeleteहम आसपास या घर मे पड़े बेकार चीजों या उपयोग किये गए सामान का उपयोग करके खिलौना बना सकते हैं।बनाते वक्त बच्चो को भी शामिल करके उनके कौशल को विकसित कर सकते है।खिलौनों को बनवाते समय या बनाते समय विभिन्न ज्यामितीय आकारों से परिचय करा सकते हैं।अधिगम का विकास के साथ कक्षा आनन्ददायी भी होगा।
ReplyDeleteमोनिका सिन्हा
उ.म.वि.छप्परगढा पेटरवार बोकारो
निसंदेह हम एक शिक्षक होने की नाते हमे खिलौना क्षेत्र का सृजन करना हमारा नैतिक जिम्मेवारी है जिसके लिए खिलोने हमें मिट्टी, कागज़ की बोतल, कपड़े लकड़ी, पट्टी मुखोटे, टूटी फूटी वास्तुये आदि से बना कर सृजन कर सकते हैं|हम अपने आस पास बेकार पडे पानी की बोतले, जंगल से मिलने वाले फलों के सूखे बीज ' बाँस, लकडियों, पुराने डिब्बो, कपड़े इत्यादि सामानों से खिलौना बनाएंगे जिसमें बचो शिक्षकों का सहयोग करेंगे ।
ReplyDeleteHam apni kaksha mein Khilauna Kshetra design karne ke liye d i y yani do it yourself padhati ka prayog karte hue Aise khilaune ka prayog Karenge Jiska baccha Swayam prayog kar sake Jaise Mitti ke Bane khilaune kapdon se Bane khilaune kagaj se Bane khilaune Lakadi se Bane khilaune Iske alava papet banaenge Hath Mein moja pahankar mauja ko papet ke dwara bacchon ko kahaniyan sunaenge avashyak samagri De Denge ine sab chij se baccha Swayam Apne se Srijit Karke sikhega to usmein Ek baudhik kshamta sochne ki tarksangatta aadi ka Vikas apne aap Hoga thank u Archana Sinha ums Pachferi re meral Garhwa Jharkhand
ReplyDeleteशुन्य निवेश के तहत अपने आस पास में मौजूद विभिन्न तरह के साधन जैसे लकड़ी, कागज के टुकड़े, प्लास्टिक, बोतल, मिट्टी, पत्तियों, फूलों आदि के द्वारा खिलौना का निर्माण बच्चों के द्वारा बनवाया जा सकता है। इससे बच्चों में सृजनात्मक शक्ति का विकास होता है।
ReplyDeleteखिलौने हमें मिट्टी कागज की बोतल कपड़े लकड़ी पट्टी कलंद मुखोटे टूटी-फूटी वस्तुएं आदि से बनाकर सृजन कर सकते है.
ReplyDeleteमैं अपने आसपास में मौजूद एक बार उपयोग में लाई गई वस्तुओं से कक्षोपयोगी खिलौनों का निर्माण कराकर उसे कक्षा में निमित्त खिलौना कोना में सिलसिलेवार ढंग सजा कर रखवाने की कोशिश करूँगा|
ReplyDeleteमैं अपने आसपास मिलने वाली अव्यवहृत सामग्रियों जैसे कागज, कपड़े बांध, लकड़ी आदि से बच्चों के लिए अलग अलग सामग्री निर्माण कर बच्चों के लिए तरह खेल सामग्री बना सकते है। जिससे उनके बौद्धिक क्षमता विकसित कर सकते हैं।
ReplyDeleteहम अपने आसपास या घर मे पड़े बेकार चीजों या उपयोग कर सकते हैं और खिलौना बना सकते हैं। खिलौने बनाते समय बच्चो को भी शामिल करके उनके कौशल को विकसित कर सकते है।खिलौनों को बनवाते समय या बनाते समय तरह तरह के गणितीय आकारों और गिनतियों से परिचय करा सकते हैं। मनोरंजन के साथ ही साथ अधिगम का विकास होगा और साथ ही साथ कक्षा आनन्ददायी भी होगा।
ReplyDeleteApne aaspaas ke Vikar Pade vibhinn Prakar ke vastuon se khilaune banaa sakte hain. Jo bacchon ke liye aakarshak Lage. Usmein vibhinn Prakar ke rangon Ka prayog Kar AVN aakritiyon ka Nirman kar kaksha ko anandai banaa sakte hain.
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा/स्कूल में एक खिलौना क्षेत्र इस प्रकार सृजित कर सकते हैं -परिवेश में मिलने वाले कम लागत या बिना लागत वाली वस्तुओं का संग्रह करके जैसे पत्ते, कपड़े, पेपर ,प्लास्टिक के बोतल ,उसके ढक्कन, पुराने खिलौने, कंकड़, मिट्टी के बर्तन, डब्बे इत्यादि| इन वस्तुओं का संग्रह करने में हम बच्चों का भी सहयोग ले सकते हैं| फिर इन्हें अपनी कक्षा में विषय आधारित खिलौनों का निर्माण बच्चों की रुचि के अनुसार करके खिलौना को बना सकते हैं |खिलौना बनाने में या उसे सजाने में बच्चों का भी सहयोग ले सकते हैं |
ReplyDeleteहम अपने आसपास बेकार पडे पानी की बोतलें, पेडों-पौधों से मिलने वाले फल,फूल, पते,बीज, लकडियाँ, पुराने डिब्बे, कपडे, मिट्टी, कार्डबोर्ड, थर्मोकोल से खिलौने बनाएंगे। जिससे छात्र-छात्राओं शिक्षकों का भरपूर मदद करेंगे।
ReplyDeleteखेल बच्चों के लिए आनन्ददायक और ज्ञानवर्धक होता है। हमें शून्य लागत या कम खर्च वाले वाले खिलौने का उपयोग या निर्माण बच्चों के स्तर के अनुसार बच्चों के सामने करना चाहिए जो हमारे आसपास के परिवेश में उपलब्ध हैं, जैसे बोतल,साक्स, कपड़ों के कतरन, पुराने अखबार, विभिन्न रंगों के ड्राइंग पेपर,बटन, बीज, कैंची बच्चों के स्तर के अनुसार,कलर, मिटृटी आदि।हम बच्चों को विभिन्न आकृतियों, चित्रकारी,जोड़-तोड़, बड़े-छोटे,कम-अधिक, बूझो तो जानें, स्वयं निर्माण करो आदि क्रियाकलापों को सामूहिक स्तर पर मूल्यांकन करते हुए रचनात्मक एवं संज्ञानात्मक विकास को बढ़ावा देने में मदद करेंगे।
ReplyDeleteसुरेन्द्र कुमार
उ.म.वि.घोड़दाग
प्रखण्ड:-काण्डी(गढ़वा)
बच्चे खिलोखिलोने के प्रति बड़ा अचानक होता है| इसे खेल- खेल करे दिखाकर, गिनती कर कर, इस्के कार्य कलाप कोबताकर, इसमे बारे में बताकर इतनादि द्वारा विभीन प्रत्ययों कोशलों के शिक्षण अधिगम कर सकते हैं।
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ReplyDeleteहम अपनी कक्षा/स्कूल में एक खिलौना क्षेत्र इस प्रकार सृजित कर सकते हैं -परिवेश में मिलने वाले कम लागत या बिना लागत वाली वस्तुओं का संग्रह करके जैसे पत्ते, कपड़े, पेपर ,प्लास्टिक के बोतल ,उसके ढक्कन, पुराने खिलौने, कंकड़, मिट्टी के बर्तन, डब्बे इत्यादि| इन वस्तुओं का संग्रह करने में हम बच्चों का भी सहयोग ले सकते हैं| फिर इन्हें अपनी कक्षा में विषय आधारित खिलौनों का निर्माण बच्चों की रुचि के अनुसार करके खिलौना को बना सकते हैं |
हम अपनी कक्षा/स्कूल में एक खिलौना क्षेत्र इस प्रकार सृजित कर सकते हैं -परिवेश में मिलने वाले कम लागत या बिना लागत वाली वस्तुओं का संग्रह करके जैसे कपड़े, पेपर ,प्लास्टिक के बोतल ,उसके ढक्कन, पुराने खिलौने, कंकड़, मिट्टी के बर्तन, डब्बे इत्यादि| इन वस्तुओं का संग्रह करने में हम बच्चों का भी सहयोग ले सकते हैं| फिर इन्हें अपनी कक्षा में विषय आधारित खिलौनों का निर्माण बच्चों की रुचि के अनुसार करके खिलौना को बना सकते हैं |
ReplyDeleteReply
We can create toy arena by using the things from our surroundings likewise leaves, waste things,bottles, pebbles,clothes, cardboard, mud,paper boxes and many other things.
ReplyDeleteखिलोने हमें मिट्टी, कागज़ की बोतल, कपड़े लकड़ी, पट्टी, कलंद, मुखोटे, टूटी फूटी वास्तुये आदि से बना कर सृजन कर सकते हैं
ReplyDeleteहम एक शिक्षक होने के नाते हमें खिलौने क्षेत्र का सृजन करना हमारे नैतिक जिम्मेदारी है जिसके लिए खिलौने हमें मिट्टी कागज बोतल कपड़े लकड़ी मुखौटे टुटी पुटी वस्तुएं आदि अपने आसपास बेकार पड़े पानी की बोतले जंगल से मिलने वाले फलों के सूखे बीज लकड़ियां पुराने डिब्बों पुराने खिलौने इत्यादि से खिलौना बनाएंगे जिसमें बच्चों शिक्षकों को सहयोग करेंगे।
ReplyDeleteहम अपने आसपास या घर में बेकार पड़ी चीज़ें जैसे कूट, कपड़े के टुकड़े, लकड़ी के बुरादे, कागज इत्यादि से खिलौने बना सकते हैं। खिलौने बनाते वक्त बच्चों को भी शामिल करके उनके कौशल को विकसित कर सकते हैं। खिलौने बनाते समय विभिन्न गणितीय आकृतियों से परिचय कराया जा सकता है।
ReplyDeleteवे कपड़े, बांस, लकड़ी, कंकड़, पत्थर, मिट्टी आदि से खिलौने बनाकर अपने कौशल का विकास कर सकते हैं। फिर वे जो चाहें उन्हें सजा सकते हैं।
ReplyDeleteएक शिक्षक होने के नाते खिलौने क्षेत्र का सृजन करना हमारे नैतिक जिम्मेवारी है जिसके लिए खिलौने हमें मिट्टी ,कागज की बोतल,कपड़े, लकड़ी,मुखोटे पुट्टी,पुट्टी वस्तुएं आदि से बना कर सृजन कर सकते हैं हम अपने आसपास बेकार पड़े पानी की बोतलें, जंगल से मिलने वाले फलों के सूखे बीज, लकड़ियां,पुराने डिब्बों,पुराने खिलौने इत्यादि से हाथ के कौशल का विकास करेंगे जिसमें बच्चों का सहयोग करेंगे।
ReplyDeleteखिलौनों का निर्माण आधारित करेंगे इसके लिए अपने आसपास में बड़े हुए सामग्रियों जैसे जब से बोले थे लकड़ी त्यागी संबंधियों से विभिन्न प्रकार के खिलौनों का निर्माण करेंगे साथ ही साथ विभिन्न प्रकार के पत्तियों से भी रोचक व ज्ञानवर्धक खिलौनों का निर्माण किया जा सकता है ।
ReplyDeleteखिलौना कोना
ReplyDeleteहम अपने विद्यालय में हर कक्षा कक्ष के एक कोने में एक कार्डबोर्ड का डब्बा रखेंगे और स्वयं से पहल करते हुए ऐसी चीजें जो प्रयोग के बाद बेकार हो गई है जैसे कोल्ड ड्रिंक की बोतल और ढक्कन बटन बेकार पड़ी पेन रीफिल जूते के डब्बे, मोजे आदि को उस बड़े डब्बे में डाल देंगे. डब्बे को सुंदर खिलौनों के चित्रों से सजा कर रखेंगे और उस पर लिखेंगे,- "आओ बनाएं खिलौने". इस तरह हम एक कोने को सृजनात्मक कोना बना सकते हैं। फिर कभी बच्चों के साथ बैठकर स्वयं खिलौने बनाएंगे और बच्चों को उनकी कल्पनाशीलता के अनुरूप सृजन करने को प्रेरित करेंगे।
हम अपने आसपास या घर मे पड़े बेकार चीजों जैसे कागज,पुराने मोज़े या अन्य पुराने कपड़ों का उपयोग कर सकते हैं और खिलौना बना सकते हैं। खिलौने बनाते समय बच्चों को भी शामिल करके उनके कौशल को विकसित कर सकते है।खिलौनों को बनवाते समय या बनाते समय तरह तरह के गणितीय आकारों और गिनतियों से परिचय करा सकते हैं। मनोरंजन के साथ ही साथ अधिगम का विकास होगा और साथ ही साथ कक्षा आनन्ददायी भी होगा।
ReplyDeleteकक्षा या विद्यालय में खिलौना निर्माण कार्य करते वक्त निम्नांकित बिंदुओं को समर्पित करना चाहेंगे।
ReplyDelete1.कम लागत/बिना लागत वाली वस्तुओं का उपयोग जो बच्चों के आसपास के परिवेश में आसानी से उपलब्ध हो जैसे - बोतल, डब्बे, कैप पेपर, पेपर रॉल, लकड़ी,पत्ते,कपड़े आदि का उपयोग।
2.खिलौने कौशल आधारित समस्या समाधान, सृजनात्मक, सम्प्रेषण, आत्माभिव्यक्ति रंग और आकृति की समझ को बढ़ाने वाली होंगे।
एक शिक्षक होने के नाते हमें खिलौना क्षेत्र का सृजन करना हमारी नैतिक जिम्मेवारी है जिसके लिए रद्दी कपड़े पुराने लकड़ी पुराने पट्टी या बेकार की वस्तुओं से खिलौना बना कर उनका सृजन कर सकते हैं और बच्चों का सहयोग खिलौना बनाने में कर सकते हैं खिलौना बनाने में कर सकते हैं
ReplyDeleteBachcho ka padhai rochak banane ke liye khilauna jaruri hai .khilauna ham mitti pani ka botal kapde tuti phuti wasstuye mukhota etc se banakar Surjan kar sakte hai
ReplyDeleteअपनी कक्षा में खिलौनों का सृजन करने के लिए बेकार तथा अनुपयोगी वस्तुएँ कंकडृ, रंगीन कागज,पानी के बोतल,मिट्टी आदि का उपयोग करते हुए बच्चों से खिलौने बनवाकर उनके कौशल का विकास करेंगे।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा / स्कूल में आसपास के पर्यावरण से मिलने वाले चीजों से या बेकार पड़े वस्तुओं से विभिन्न प्रकार के शिक्षण TLM का निर्माण कर खिलौना क्षेत्र का सृजन करना चाहूंगा । डी -आई-वाई खिलौना सृजन करने में बच्चों के लिए हम समुचित संसाधन जैसे - बोतल , पेपर, जूते के बॉक्स कार्टून , बेकार पड़े चप्पल , पेपर रोल, पुराने कपड़े , लकड़ी, सूखे बीज, पत्ते, डिब्बे, बांस, मिट्टी के बर्तन , माचिस के डिब्बे, रूई, जूट, कंकड़ पत्थर, चार्ट पेपर व अन्य आवश्यक सामग्री या हस्तकौशल वस्तुओं को रखेंगे । इससे बनने वाले वस्तुएं बच्चों के लिए आकर्षक , मनोरंजक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षण में सहायक होंगे ।..
ReplyDeleteमैं अपनी कक्षा/स्कूल में खिलौना क्षेत्र कैसे सृजित करेंगे इस बारे में सोचने के उपरांत डी-आई-वाई खिलौनों का सृजन करने में बच्चों की सहायता के लिए जिन आवश्यक सामग्री या हस्तकौशलीय वस्तुएं रखेंगे वे निम्नवत होंगे --
ReplyDelete१) रंग-बिरंगे कपड़े,धागे और बच्चा उपयोगी कैंची।
२) विभिन्न किस्म के कागज,पुराने पेपर, गौंद, गत्ते एवं मोटे कागज।
३) छोटे नेल(कांटी),पिन,सेफ्टीपिन,क्लिप, गार्डार, सेलोटेप ब्लैक-टैप(रंगीन)स्टेपलर आदि।
४) छोटे-छोटे प्लास्टिक बोतल, कॉर्क, बोतल के ढक्कन,स्ट्र, प्लास्टिक एवं कागज की प्याली इत्यादि।
५) पुराने अव्यवहृत कलम, स्केच-पेन,मार्कर,मोतियां आदि।
६) विभिन्न आकर्षक बीज,पत्ते,अनाज, तिलियां, माचिस के डिब्बे, रेऑन,मोमबत्ती,पुराने सेल, कंचे।
७) विभिन्न आकृतियों के डिब्बे,बिंदिया,पुरानी चूड़ियां,पटसन,रुई,प्लास्टिक बोतल आदि।
८) मिट्टी के विभिन्न खिलौने।
९) कागज के विभिन्न खिलौने जैसे- फिरकी ,फूल,नाव, बॉल चिड़िया,मेंढक आदि।
१०) तीलियों एवं गर्डरों का प्रयोग कर बनाए गए विभिन्न खिलौने।
११) पुराने डिब्बों का प्रयोग कर बनाए गए विभिन्न गाड़ी जैसे खिलौने।
१२) मोटे गत्ते, पेन आदि के प्रयोग से बनाए गए दिनपंजी (कैलेंडर),घड़ी,शब्दह्वील, दिक-सूचक,डिग्री-निर्देशक(विभिन्न कोणों की अवधारणा देने वाले)खिलौने।
१३) गत्ते के प्रयोग से बने पजल(उलझनी) जैसे खिलौने।
१४) विभिन्न आकार की मोतियों,कागज,स्ट्र, एवं विंदियों के प्रयोग से बनाए गए सौरमंडल के ज्ञान हेतु खिलौने,स्थानीय मान की समझ हेतु खिलौने,गिनतारा आदि।
१५) तीलियों के प्रयोग से गुना निकालना जैसे गतिविधि हेतु खिलौने,इकाई-दहाई-सैकड़ा आदि का अवधारणा हेतु आकर्षक रंगीन बंडल जैसी खिलौने।
१६) बीजों का प्रयोग से गिनती का ज्ञान हेतु"खिलौने की डलिया" जैसी खिलौना।
१७ रंगीन मोतियों से बनाई हुई विभिन्न मालाएं जैसी खिलौने जो बच्चों में मुख्यत: दस तक की पहाड़ा का अवधारणा को दृढ़ता प्रदान करेगा।
I agree with all above comments. Thank you very much.
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में विभिन्न प्रकार के खिलौने का निर्माण अपने आसपास के पर्यावरण में मिलनेवाले शून्य निवेश संसाधनों के प्रयोग से करने का प्रयास करते हैं।विभिन्न प्रकार के कागज,(रंगीन सहित),लकड़ी, कंकड़-पत्थर,मिट्टी,बांस,नीम पत्ती के डंडल,मौजे,चार्टपेपर,पुराने टुटे-फुटे खिलौने के अंश,कपड़े आदि संसाधनों की समुचित उपलब्धि के साथ बच्चों के अंदर रचनात्मक कौशल वृद्धि कराने का निरंतर मेरा प्रयास रहता है
ReplyDeleteBachcho ke padhai ke sath sath un he khilauno ke saath khelna bhi jruri h.
ReplyDeleteThank you.....
मिट्टी,कंकड़,कागज,बोतल,बटन, पुराने कपड़े आदि को उपयोग करके अधिगम को सुगम बनायेंगे ।
ReplyDeleteFor making toys in classrooms, we can use low cost or no cost materials like cotton, old bottles, papers etc. We can set up a toy corner in schools where children can make toys and learn many things . They can bring materials from their house for making toys.
ReplyDeleteमिट्टी, कागज़ की बोतल, कपड़े लकड़ी, पट्टी मुखोटे, टूटी फूटी वास्तुये आदि से बना कर सृजन कर सकते हैं|हम अपने आस पास बेकार पडे पानी की बोतले, जंगल से मिलने वाले फलों के सूखे बीज ' बाँस, लकडियों, पुराने डिब्बो, कपड़े इत्यादि सामानों से खिलौना बनाएंगे
ReplyDeleteएक शिक्षक होने के नाते मैं बच्चों में सृजनात्मक विकास हेतु शून्य निवेश जैसे हमारे घरों में पड़ी बेकार की वस्तुएं कागज, पेपर आदि या बहुत कम लागत पर विभिन्न प्रकार के वस्तुओं को एकत्रित कर एवं उसके उपयोग से खिलौने का निर्माण करूँगा एवं बच्चों को ऐसा करने के लिए सिखाऊंगा ताकि उनके सूक्ष्म मांस पेशियों में गति आ सके साथ ही उनके सृजनात्मक एवं मानसिक विकास सही तरीके से हो पाए। ऐसे में हमारी कक्षा अनंदायी होगी और बच्चे पूर्ण रूप से हमसे जुड़ पाएंगे। धन्यवाद
ReplyDeleteANIL KR SINGH
AMS RANCHI ROAD
RAMGARH
We can create a toy area in our classroom/school by collecting low cost or no cost items like clothes, paper, plastic bottles, its caps, old toys, pebbles, pottery , boxes etc. We can also take the help of children in collecting these items. Then you can make the toy in your class by making them subject based toys according to the interest of the children. Gums khirabera Ormanjhi
ReplyDeleteHam Apne kaksha Mein vibhinn Prakar ke khilaunon ka Nirman Apne aaspaas ke Paryavaran se milane wale shunya nivedan sadhan ke prayog se karne ka Prayas karte hain vibhinn Prakar ke kagaj Lakadi Pathar Mitti pattiyan Phool Aadi ke Madhyam Se bacchon Ke Andar rachnatmakta Kaushal vriddhi karne ka Prayas karte hain aur UN per UN sansadhanon ke se bani chijon ka Pradarshan varg Kutch Mein Karte Hain bacchon ke sikhane ka pratifal aur Kaushal ko bhi Dhyan Mein rakhte Hain
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा में विभिन्न प्रकार के खिलौने का निर्माण अपने आसपास के पर्यावरण में मिलनेवाले शून्य निवेश संसाधनों के प्रयोग से करने का प्रयास करते हैं।विभिन्न प्रकार के कागज,(रंगीन सहित),लकड़ी, कंकड़-पत्थर,मिट्टी,बांस,नीम पत्ती के डंडल,मौजे,चार्टपेपर,पुराने टुटे-फुटे खिलौने के अंश,कपड़े आदि संसाधनों की समुचित उपलब्धि के साथ बच्चों के अंदर रचनात्मक कौशल वृद्धि कराने का निरंतर मेरा प्रयास रहता है।बहुत-बहुत धन्यवाद ! तारकेश्वर राणा उत्क्रमित मध्य विद्यालय रामु करमा रामपुर चौपारण हजारीबाग
ReplyDeleteHam bekar pade saman jaisebotal,botal ke dhakkan,rangin kagaj,purane kapde,moje,patte,kankad adi se khiloana banaker kaksha mein khiloana kshtra ka srijan ker sakte hain.
ReplyDeleteHam bekar pade saman jaise botal,botal ke dhakkan,rangin kagaj,purane kapde ,moje,kankad,patte adi se khiloana banaker kaksha mein khiloana kshtra ka srijan ker sakte hain.
ReplyDeleteApne Vidyalay ke kisi kaksha ko Khilauna Kshetra ke roop Mein Shrijit Karenge aur Khilauna ke liye kagaj ,Kalam ,mitti ,kanche Aadi samagri uplabdh karaenge Taki bacche UN samanon se khilaune banaa sake aur Unka madad bhi Karenge.
ReplyDeleteअपने आसपास मौजूद शून्य निवेश के साधनों जैसे लकड़ी के टुकड़े,कंकड़-पत्थर,अखबार की कतराने,पेड़ों के पत्ते,सूखे हुए पत्ते ,मिट्टी,बालू इत्यादि का प्रयोग करके विभिन्न प्रकार के खिलौने का निर्माण स्वयं एवं बच्चों द्वारा।साथ ही सादे पेपर एवं रंगीन पेपर से विभिन्न प्रकार की आकृतियां बनाकर एवं बच्चों से इस प्रकार की आकृतियों का अव्यश करवाकर खिलौना क्षेत्र का सृजन करेंगे। MANOJ THAKUR RUPG MS CHANAIGIR LESLIGANJ PALAMAU JHARKHAND
ReplyDeleteमैं अपनी कक्षा में खिलौना क्षेत्र सृजित करने के लिए अनुपयोगी वस्तुओ जैसे: कागज़,गेहूं के डंठल,टहनियां,सुखी पतियां,कार्डबोर्ड,चॉकलेट के रैपर आदि के अलावा काम लागत में आने वाली वस्तुएं जैसे:स्केच पेन,वाटर कलर, गोंद,चार्ट पेपर, सूई धागे आदि का उपयोग करूंगी। इन सामग्रियों का उपयोग मैं बच्चों की सहायता से विभिन्न खिलौने बनने में करूंगी। मैं बच्चों के साथ मिट्टी के विभिन्न मॉडल भी बनाऊंगी और उन्हे कलर करने कहूंगी। इन गतिविधियों से बच्चों के हस्तकौशलीय विकास, सृजनात्मक विकास, रंग एवम आकृति की समझ,सामुदायिक सहभागिता आदि का विकास होगा।
ReplyDeleteAapne aas pass ke bekar vastuain jaise kagaj, gehun ke danthal, tahniyan sukhi pattiyan kardbord, chokalet ke rapper etc ke alawe kam lagat wali chain jaise pen, water colour gond, chart paper etc ka uoopyog karungi. Inn samagriyon ka uoopyog khilone banane karungi.
ReplyDeleteएक शिक्षक होने के नाते हमें खिलौने क्षेत्र का सृजन करना हमारे नैतिक जिम्मेवारी है जिसके लिए खिलौने हमें मिट्टी कागज की बोतल कपड़े लकड़ी मुखोटे पुट्टी पुट्टी वस्तुएं आदि से बना कर सृजन कर सकते हैं हम अपने आसपास बेकार पड़े पानी की बोतलें जंगल से मिलने वाले फलों के सूखे बीज बात लकड़ियां पुराने डिब्बों पुराने खिलौने इत्यादि से चिल्लाना बनाएंगे जिसमें बच्चों का सहयोग करेंगे
ReplyDeleteहम शून्य निवेश के जरिए विभिन्न प्रकार के खिलौनों का सृजन कर सकते हैं जैसे पुरानी चीजों द्वारा (कपड़े टुटे बर्तन चुड़ियां इत्यादि) मिट्टी, विभिन्न प्रकार के पत्ते, फूल बीज पर्यावरण में उपलब्ध विभिन्न प्रकार की सामग्री के माध्यम से बनाया जा सकता है। नन
ReplyDeleteहम अपने आसपास या घर मे पड़े बेकार चीजों या उपयोग किये गए सामान का उपयोग करके खिलौना बना सकते हैं।बनाते वक्त बच्चो को भी शामिल करके उनके कौशल को विकसित कर सकते है।खिलौनों को बनवाते समय या बनाते समय विभिन्न ज्यामितीय आकारों से परिचय करा सकते हैं।अधिगम का विकास के साथ कक्षा आनन्ददायी भी होगा।
ReplyDeleteHm bekar pare khilone,plastic,kapdon,kartoon,chote daabon ka istemal kr upyogi khilone ar akarsak chotimoti bana kr baccho ke adhigam staar mein vikas kr skte hain.
ReplyDeleteBinod kumar
हमारे आसपास की अनुपयोगी बहुत से वस्तुएं जिन्हें खिलौने के रूप में बनाकर शिक्षण गतिविधियों में शामिल किया जा सकता है।
ReplyDeleteमैं एक शिक्षक के रूप में शुन्य निवेश पर आधारित खिलौनों को प्राथमिकता देता हूँ । रद्दी पेपर से विभिन्न आहतियों का निर्माण, खाली बोतल, कार्टून के डब्बे, इत्यादि का प्रयोग करता हूँ जो कि आसानी से उपलब्ध हैं तथा बच्चों के प्रयोग के वृष्टिकोण से सुरक्षित भी हैं।
ReplyDeleteहम अपने विद्यालय में एक कक्षा खिलौना क्षेत्र के रूप में इस्तेमाल करेंगे ,जहां पर मैंने प्रकृति में पाया जाने वाला सामग्री जैसे पत्ता ,बीज, रंग-बिरंगे छोटे-छोटे पत्थर तथा वैसे सामग्री जो बड़ों के लिए बेकार है जैसे पुराने बोतल ,ढक्कन ,धागा ,सुतली ,पुराना डब्बा ,कागज का टुकड़ा पुराने कपड़े आदि रखूंगा और बच्चों को उस पुराने सामग्री से तरह-तरह के खिलौने बनाना सिखाएंगे| खिलौने क्षेत्र में बच्चे में आनंददायक माहौल में सृजनात्मक तथा सहभागिता आदि का विकास होगा
ReplyDeleteअपने विद्यालय के कक्षा में खिलौना चित्र विकसित करने के लिए कक्षा के कोने का चुनाव करेंगे ।जहां पर सेल्फ बनवाकर के उस पर नजदीकी पर्यावरण एवं घर से संबंधित कुछ सामग्री रखेंगे ।इनसे खिलौने बन सकते हैं। सामग्रियों में रंगीन कागज, पुराने अखबार, बोतल, कंकड़, बोतल के ढक्कन, पुराने मोजे ,सूई धागा,पुरानी कलम ,कोई डब्बा, झाड़ू के तिनके, पुराने किताबों के पन्ने जिसमें सुंदर चित्र बने हो, मिट्टी ,गिलास इत्यादि चीजों के मदद से बच्चे खिलौने का निर्माण करेंगे और उन खिलौनों का प्रदर्शन वर्ग कक्ष में किया जाएगा।
ReplyDeleteहम मिट्टी,कागज,लकड़ी, पत्ती रद्दी कपडे,टूटी फूटी वस्तुओं आदि से खिलौने बनाकर खिलौना क्षेत्र का सृजन कर सकते हैं।
ReplyDeleteHum khilouna chhetra ka srijan class me ek kone me karenge jaha par hum different colour ke paper,mitti,bottle,dhakkan,purane kapre ityadi saman rakhenge taki bachche inse apne ichchhanusar kuchh bhi bana sake is se bachcho me rachnatmak koushal ka bikash hoga.
ReplyDeleteमैं कागज, पुराने बेकार पडी वस्तुएँ, कपडे, मिट्टी, लकड़ी, बोतल इत्यादि से खिलौना बनाकर खिलौना क्षेत्र का सृजन करूँगा।
ReplyDeleteApne Vidyalay mein tatha aaspaas ke parivesh mein uplabdh chijon se mitti Balu lakadi kagaj AVN plastic ke khilaune banane se bacche bhi utsahit hokar khilaune ka Nirman karenge jisse unmen vibhinn kaushalon ke sath sath srijanshilta ka bhi
ReplyDeleteअपने विद्यालय में खिलौना क्षेत्र बनाने के लिए घर में लाएं गए किसी वस्तु का पैकेट, डब्बा, कार्टन, पूरानी या प्रयोग में नहीं आनेवाले पदार्थ आदि का प्रयोग करेंगे।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा/स्कूल में विभिन्न प्रकार के खिलौने का निर्माण अपने आसपास पर्यावरण में मिलनेवाले संसाधनों के प्रयोग करेंगे। मिट्टी, कपड़े की कतरनें, लकड़ी,बांस, पत्ते,फलो के सूखे बीज, कंकड़-पत्थर, पुराने मौजें,चार्टपेपर, थर्मोकोल, पुराने टूटे-फूटे खिलौने,बेकार पड़ी पानी की बोतलें, पुराने डिब्बो, पुरानी चुड़िया, मोतियों, तीलियों इत्यादि सामानो से खिलौना का निर्माण बच्चो के सहयोग से किया जा सकता है। इससे बच्चो में सृजनात्मक शक्ति, बौद्धिक क्षमता आदि का विकास होता है।
ReplyDeleteहम अपनी कक्षा / स्कूल में आसपास के पर्यावरण से मिलने वाले चीजों से या बेकार पड़े वस्तुओं से विभिन्न प्रकार के शिक्षण TLM का निर्माण कर खिलौना क्षेत्र का सृजन करना चाहूंगा । डी -आई-वाई खिलौना सृजन करने में बच्चों के लिए हम समुचित संसाधन जैसे - बोतल , पेपर, जूते के बॉक्स कार्टून , बेकार पड़े चप्पल , पेपर रोल, पुराने कपड़े , लकड़ी, सूखे बीज, पत्ते, डिब्बे, बांस, मिट्टी के बर्तन , माचिस के डिब्बे, रूई, जूट, कंकड़ पत्थर, चार्ट पेपर व अन्य आवश्यक सामग्री या हस्तकौशल वस्तुओं को रखेंगे । इससे बनने वाले वस्तुएं बच्चों के लिए आकर्षक , मनोरंजक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षण में सहायक होंगे ।... धन्यवाद ।
ReplyDeleteउत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय जिरहुलिया हंटरगंज चतरा।
अपने विद्यालय के कक्षा में खिलौना चित्र विकसित करने के लिए कक्षा के कोने का चुनाव करेंगे ।जहां पर सेल्फ बनवाकर के उस पर नजदीकी पर्यावरण एवं घर से संबंधित कुछ सामग्री रखेंगे ।इनसे खिलौने बन सकते हैं। सामग्रियों में रंगीन कागज, पुराने अखबार, बोतल, कंकड़, बोतल के ढक्कन, पुराने मोजे ,सूई धागा,पुरानी कलम ,कोई डब्बा, झाड़ू के तिनके, पुराने किताबों के पन्ने जिसमें सुंदर चित्र बने हो, मिट्टी ,गिलास इत्यादि चीजों के मदद से बच्चे खिलौने का निर्माण करेंगे और उन खिलौनों का प्रदर्शन वर्ग कक्ष में किया जाएगा।
ReplyDeleteउत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय जिरहुलिया।
Any corner place of the classroom can be utilized for toy area. DIY toys can be made from paper,clay,wood,bamboo, plastic and other waste materials.
ReplyDeleteहम अपने कक्षा के बच्चों के लिए बेकार सामग्री और कम लागतवाली आसपास प्राप्त होनेवाली सामग्रियों से बना सकते हैं।
ReplyDeleteविद्यालय प्रवेश के आसपास कंकड़ पत्थर पत्ते लकड़ी तिनके आदि के माध्यम से बच्चे को हम गिनती छोटे बड़े आकार आदि के बारे में हम बता सकते हैं
ReplyDeleteJohn stephan hansda ums Barmasia, shikaripara bachon ke khilone kuch bhi ho sakte hai jarurat sirf unka estemal bachon ke sath kaise karna, karana hai ki hum visay vastu ko samjha sake ye mahtwapurn hota hai
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