Wednesday, 9 December 2020

मॉड्यूल 16 : गतिविधि 6: अपने विचार साझा करें

 सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है। किये गये चरणों का पालन करके सहयोगी दीवार पर लगभग 50 शब्दों का एक परिच्छेद लिखकर अपने विचारों को साझा करें

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196 comments:

  1. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सन् २०१२ में व्यावसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा में जोड़ने का फैसला किया, ताकि बच्चों को शुरू से ही रोजगार के अवसर प्राप्त हो जाएं और वह बच्चें कक्षा ९वीं से १२वीं तक लगातार व्यावसायिक शिक्षा के बारे में अध्ययन करते रहे, व्यावसायिक शिक्षा से तात्पर्य हमारा यह हैं,कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।

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  2. 👇👇[अवलोकन]👇👇
    ■ व्यावसायिक शिक्षा शिक्षा है जो लोगों को विभिन्न नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
    ■व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक, आगे की शिक्षा, और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है; और शिक्षुता प्रणाली के साथ बातचीत कर सकते हैं। माध्यमिक स्तर के बाद, व्यावसायिक शिक्षा अक्सर अत्यधिक विशिष्ट व्यापार, तकनीकी स्कूलों, सामुदायिक कॉलेजों, आगे के शिक्षा के कॉलेज ब्रिटेन, विश्वविद्यालयों, प्रौद्योगिकी संस्थान / पॉलिटेक्निक संस्थानों द्वारा प्रदान की जाती है।
    हाल ही में, लगभग सभी व्यावसायिक शिक्षा कक्षा में, या नौकरी साइट पर, मान्यता प्राप्त प्रोफेसरों या स्थापित पेशेवरों से व्यापार कौशल और व्यापार सिद्धांत सीखने वाले छात्रों के साथ हुई थी। हालांकि, ऑनलाइन व्यावसायिक शिक्षा लोकप्रियता में बढ़ी है, और छात्रों के लिए उद्योग में स्थापित पेशेवरों से विभिन्न व्यापार कौशल और सॉफ्ट कौशल सीखने के लिए पहले से कहीं अधिक आसान बना दिया है।
    ■नौकरी पाने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल हासिल करने के उद्देश्य से शिक्षा। सामान्य शिक्षा या सामान्य शिक्षा की जोड़ी। इसे औद्योगिक शिक्षा भी कहा जाता है, जिसे उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध से पहले व्यावहारिक शिक्षा कहा। यह माध्यमिक शिक्षा पर केंद्रित है, और यह आम तौर पर विश्वविद्यालय और इसी तरह से संदर्भित करता है। जूनियर हाई स्कूलों में उच्च विद्यालयों के अलावा, व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के साथ उच्च विद्यालय ( व्यावहारिक विद्यालय के पीछे के बराबर), व्यावसायिक विद्यालय , तकनीकी कॉलेज इत्यादि, विभिन्न स्कूल , व्यावसायिक प्रशिक्षण स्कूल व्यावसायिक प्रशिक्षण कानूनों , शैक्षणिक सुविधाओं के आधार पर कंपनियां भी यह हो जाती है।

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    1. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा सन् 2012 में व्यवसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा के साथ जोड़ने का फैसला किया है जिससे बच्चे अपने तकनीक कौशलों विकास कर वे स्वयं रोजगार के अऔसर खोज सके । जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा आत्मनिर्भर बन सके ।व्यवसायिक शिक्षा से बच्चे खुद को नौकरी,व्यापार , शिल्प या तकनीशियन के रुप में तैयार कर पाते हैं तथा अपनी मनपसंद कैरियर की ओर आगे बढ़ते हैं,अपना भविष्य गढ़ते हैं।

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  3. व्यावसायिक शिक्षा से तात्पर्य हमारा यह हैं,कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

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  4. व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चों को शिक्षा के साथ साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने के अवसर प्रदान करते हैं और कौशल को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है,माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है जबकि उच्चस्तरीय व्यावसायिक शिक्षा अत्यंत ही महत्वपूर्ण और विश्वस्तरीय होती है, इसमें उच्च कोटि के पेशेवरों द्वारा नौकरी, व्यापार और आधुनिक तकनीकियों के बारे में शिक्षा दी जाती है, जिससे बच्चे भविष्य में अपने इच्छानुसार नौकरी अथवा व्यापार आसानी से कर पाते हैं ।

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    1. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा सन् 2012 में व्यवसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा के साथ जोड़ने का फैसला लिया है- जिससे बच्चे अपने तकनीकी कौशलों का विकास कर वे स्वयं रोजगार के अवसर खोज सकें|जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा आत्मनिर्भर बन सकें|व्यवसायिक शिक्षा से बच्चे खुद को नौकरी, व्यापार, शिल्प या तकनीशियन के रूप में तैयार कर पाते हैं तथा अपनी मनपसंद कैरियर की ओर अग्रसर होते हैं, अपनी भविष्य गढ़ते हैं|

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  5. नकुल कुमार बल
    M S PANDRA KAYESTHAPARA NIRSA DHANBAD
    व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चों को शिक्षा के साथ साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने के अवसर प्रदान करते हैं और कौशल को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है,माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है जबकि उच्चस्तरीय व्यावसायिक शिक्षा अत्यंत ही महत्वपूर्ण और विश्वस्तरीय होती है, इसमें उच्च कोटि के पेशेवरों द्वारा नौकरी, व्यापार और आधुनिक तकनीकियों के बारे में शिक्षा दी जाती है, जिससे बच्चे भविष्य में अपने इच्छानुसार नौकरी अथवा व्यापार आसानी से कर पाते हैं ।

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  6. तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

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  7. No doubt that general course including vocational training from class 6 is good.

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  8. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा व्यवसायिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है । इसके अंतर्गत कक्षा 6-8में पूर्व व्यवसायिक शिक्षा फिर कक्षा 9से ऊपर में व्यासयिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है जिससे बच्चे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेंगे । स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे
    राजेंद्र प्रसाद
    उ. म. वि. ईचातु

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  9. सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का एकीकरण करने से हमारी सोच पहले से ही जीवनयापन संबंधी व्यवसायों से परिपूर्ण रहती है । हम केवल सरकारी नौकरी के भरोसे ही ना रहकर स्वयं का व्यवसाय भी आरंभ कर सकते हैं ।

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  10. samnya sikha ke sath vocational education ko ekikaran karne se hum vactional education me sikhe anubhobe se apne apne babsai suru kar sakte hai aur apne dainik jiban ke absakataye puri kar sakte hai.

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  11. व्यावसायिक शिक्षा से तात्पर्य हमारा यह हैं,कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है

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  12. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा व्यवसायिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है । इसके अंतर्गत कक्षा 6-8में पूर्व व्यवसायिक शिक्षा फिर कक्षा 9से ऊपर में व्यासयिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है जिससे बच्चे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेंगे । स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे

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  13. व्यवसायिक शिक्षा का तात्पर्य है कि छात्र अकादमिक ज्ञान के साथ व्यवसायिक ज्ञान भी सीखें। तकनीकी कौशल उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए आवश्यक है।हमारे देश की आधी से अधिक आबादी युवा है। ऐसे में हमारा कर्तव्य है कि छात्रों को अकादमिक ज्ञान के साथ व्यवसायिक ज्ञान एवं प्रशिक्षण दिया जाए।इस प्रकार हम भारतवर्ष को विश्व गुरु बनाने में अपना योगदान दे सकते हैं।
    मु० अफजल हुसैन, उर्दू प्राथमिक विद्यालय मंझलाडीह शिकारीपाड़ा दुमका।

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  14. आज के दौर में अकादमिक शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा अति महत्वपूर्ण है। सरकार की यह एक अनोखी पहल कि कक्षा 6 से ही बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा से परिचय एवं उनकी रुचि के अनुरूप उन्हें एक प्लेटफॉर्म दी जाय।
    Md Serajuddin Ansari
    SSA NPS Suratilouna, Deoghar

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  15. This comment has been removed by the author.

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  16. वर्तमान समय में आदमियों शिक्षा के साथ साथ ब्यवसायिकरण अति महत्वपूर्ण है। सरकार की यह अनोखी पहल है। कक्षा 6 से ही बच्चों को ब्यवसायिकरण शिक्षा से परिचय एवं उनकी रूचि के अरूप उन्हें एक प्लेटफार्म दिया जाता है।
    Usha kumari
    M. S. Hamidganj

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  17. This comment has been removed by the author.

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  18. व्यावसायिक शिक्षा से तात्पर्य हमारा यह हैं,कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है । UMS PALARPUR

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  19. व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है,माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है जबकि उच्चस्तरीय व्यावसायिक शिक्षा अत्यंत ही महत्वपूर्ण और विश्वस्तरीय होती है, इसमें उच्च कोटि के पेशेवरों द्वारा नौकरी, व्यापार और आधुनिक तकनीकियों के बारे में शिक्षा दी जाती है, जिससे बच्चे भविष्य में अपने इच्छानुसार नौकरी अथवा व्यापार आसानी से कर पाते हैं । एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।।।

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  20. व्यवसायिक शिक्षा बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ रोजगार के अवसर प्राप्त करने तथा व्यापार करने के अवसर प्रदान करता है ।यह बच्चों में विभिन्न प्रकार के कौशल को विकसित करने में सहायता प्रदान करता है। साथ ही साथ बच्चों को जीवन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का अवसर भी प्रदान करता है।

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  21. व्यावसायिक शिक्षा बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अच्छी योजना है। इससे बेरोजगारी खत्म होगी।

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  22. HRD ministry द्वारा व्यावसायिक शिक्षा बच्चों को स्वरोजगार उन्मुखीकरण की ओर एक उत्तम कदम है। बच्चे आत्मनिर्भर बनेंगे।

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  23. व्यावसायिक शिक्षा एक आत्मनिर्भर भारत बनाने में बहुत सहायक होगा,बच्चों में कौशलता आएगी.

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  24. MD.SHAMIM AKHTER,U.M.S.RAJOUN (URDU),MEHARMA,GODDA,JHARKHAND.उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा 6वी-8वी से विद्यालय मे व्यवसायिक शिक्षा देना दुरुस्त है। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पार होते ही बच्चे खुद रोजगार ढूढ पाएंगे और सरकारी नौकरी के लिए भटकना नही पडेगा।

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  25. व्यवसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ रोजगार प्राप्त करने और देखभाल करने के अवसर प्रदान करते हैं। कौशल को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करती है व्यवसायिक शिक्षा को ैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैै केरियर शिक्षा तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। व्यवसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है। माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यवसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है जबकि उच्च स्तरीय व्यवसायिक शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण और विश्वस्तरीय होती है इसमें उच्च कोटि के द्वारा और आधुनिक तकनीकों के बारे में शिक्षा दी जाती है जिससे बच्चे भविष्य में अपनी इच्छा अनुसार नौकरी अथवा व्यापार आसानी से कर पाते हैं।व्यवसायिक शिक्षा से तात्पर्य हमारा यह है कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौशल से परिचित होकर स्वयं रोजगार के अवसर पा सकते हैं जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सकें व्यवसायिक शिक्षा नौकरियों जैसे एक व्यापार शिल्प या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है व्यवसायिक शिक्षा को कभी-कभी केरियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है।

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    1. आज के बदलते परिवेश में सरकारी रोजगार की बहुत कमी है अपना स्वयं का रोजगार होना बहुत जरूरी है । इसलिए हमारी सरकार ने सामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दिया है ताकि शिक्षा प्राप्त करने के बाद हमारे विद्यार्थी सरकारी नौकरियों पर निर्भर ना हो, वे स्वयं को रोजगार स्थापित कर सके । इसलिए व्यावसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा के साथ जोड़ा जा रहा है, जो बहुत ही जरूरी है । विद्यार्थी अपने रुचि के अनुसार व्यावसायिक विषय चुन सकते है और आत्मनिर्भर हो सकते है ।

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  26. vyabsayik siksha larai kr sath sath swarojgar uplabdh karne kr diksha me ek prays hai isme ruching kr anusara rojgar hetu marshal visit karne me madam milti hai

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  27. Samanaya Siksha ke sath Vyavsayik Siksha bahut jaruri hai. Bharat Sarkar ke Manav Sansadhan Vikas Mangalmay ke dwara class 6 to 12 tak Vyavsayik Siksha ka pradhan kiya gaya hai.
    Vyavsayik Siksha ke dwara chhatraon main kushal vikas ke sath a Atmanirbhar arthat aarthik rup se sabal banne ki disha main aak sarthak prayash hai.

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  28. व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चों को शिक्षा के साथ साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने के अवसर प्रदान करते हैं और कौशल को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है,माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है जबकि उच्चस्तरीय व्यावसायिक शिक्षा अत्यंत ही महत्वपूर्ण और विश्वस्तरीय होती है, इसमें उच्च कोटि के पेशेवरों द्वारा नौकरी, व्यापार और आधुनिक तकनीकियों के बारे में शिक्षा दी जाती है, जिससे बच्चे भविष्य में अपने इच्छानुसार नौकरी अथवा व्यापार आसानी से कर पाते हैं।

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  29. व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चों को शिक्षा के साथ साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने के अवसर प्रदान करते हैं।जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार प्राप्त कर आत्मनिर्भर बन सके ।व्यावसायिक शिक्षा को कैरियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जा सकता है ।व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है ।माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही प्रांरभिक स्तर की होती है जबकि उच्च स्तरीय व्यावसायिक शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण और विश्व स्तरीय होता है इसमें उच्च कोटि के द्वारा आधुनिक तकनीकों के बारे में शिक्षा दी जाती है ।जिससे बच्चे भविष्य मे अपनी इच्छानुसार नौकरी अथवा व्यापार आसानी से कर पाते हैं।व्यावसायिक शिक्षा से तात्पर्य है कि छोटे छोटे तकनीकी कौशल से परिचित होकर स्वयं रोजगार के अवसर पा सकते हैं ।

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  30. व्यावसायिक शिक्षा एक आत्मनिर्भर भारत बनाने में बहुत सहायक होगा,बच्चों में कौशलता आएगी.

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  31. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण बुनियादी शिक्षा की मूल भावना में शामिल है जिसे गाँधीजी ने काफी जोर देकर लागू करने की वकालत की थी ।वास्तव में शिक्षा का अंतिम लक्ष्य व्यक्ति का बहुमुखी चतुर्दिक विकास ही है । बच्चों को प्रारम्भ से ही व्यावसायिक शिक्षण देकर विकास की ओर प्रेरित करने से उनमें रुचिगत स्वाभाविक विकास होगा और इसका सकारात्मक प्रभाव देश और समाज के सभी स्तरों के विकास पर भी पड़ेगा ।

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  32. व्यवसायिक शिक्षा वह शिक्षा है, जो बच्चों को तकनीकी शिक्षा के साथ -साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने के अवसर प्रदान करते हैं और कौशल को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करते हैं।व्यावसायिक शिक्षा को तकनीकी शिक्षा के रूप में भी जाना जाता है।व्यासायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है, माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है जबकि उच्च स्तरीय व्यावसायिक शिक्षा अत्यंत ही महत्वपूर्ण और विश्वस्तरीय होती है।इसमें उच्च श्रेणी के पेशेवरों द्वारा नौकरी, व्यापार और आधुनिक तकनीकों के बारे में शिक्षा दी जाती है, जिससे बच्चें भविष्य में अपने इच्छानुसार नौकरीअथवा व्यापार कर सकते हैं।

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  33. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सन् २०१२ में व्यावसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा में जोड़ने का फैसला किया, ताकि बच्चों को शुरू से ही रोजगार के अवसर प्राप्त हो जाएं और वह बच्चें कक्षा ९वीं से १२वीं तक लगातार व्यावसायिक शिक्षा के बारे में अध्ययन करते रहे, व्यावसायिक शिक्षा से तात्पर्य हमारा यह हैं,कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर खोज सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।

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  34. व्यावसायिक शिक्षा हमें स्वावलम्बी बनाता है।

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  35. 2021 at 22:17
    तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया

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  36. वर्तमान शिक्षा प्रणाली में छात्र जो पढ़ लिख कर जीवन के पथ पर आगे बढ़ते हैं। तब उन्हें पता चलता है कि मुझमें कोई कार्यकुशलता नहीं है, यानी बेरोजगारी से सामना करना पड़ता है। आज के परिस्थिति में सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा बच्चों को प्रदान करना बहुत आवश्यक है। जब हम छात्रों को पूर्व व्यवसायिक शिक्षा वर्ग छह से आठ में देते हैं, तो उनकी अभिरुचि के बारे में पता चल जाता है और बच्चे प्रारंभ से ही अपनी कार्यक्षमता के हिसाब से काम सीखते हैं। जब पर विद्यालय से बाहर जाएंगे तो वह आत्मविश्वास से भरे रहेंगे कि हमें काम करना आता है। जीविकोपार्जन के लिए उन्हें भटकना नहीं पड़ेगा। स्वरोजगार के माध्यम से अपनी व्यवसाय का मालिक स्वयं बनकर प्रगति के पथ पर अग्रसर होंगे और सफलता उनके कदम चूमेगी। वर्तमान शिक्षा प्रणाली बेरोजगारों की फौज तैयार करती है लेकिन व्यवसायिक शिक्षा के बाद सभी स्वरोजगार कर सकेंगे।

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  37. कोविड-19 महामारी ने जीने अंदाज़ बदल दिया। वह घड़ी बहुत कठिन थी जब महामारी ने अपनों से दूर कर दिया।दूर
    -दूर रह कर जीना सिखाया, परहेज के साथ जिन्दगी गुजारने पर बेबस होगये। आशा करते हैं कि 2021 खुशियों
    का संदेश लाये, इस महामारी से निजात मीले।
    Md Serajuddin Ansari
    Ssa NPS Suratilouna, Deoghar

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    1. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा व्यावसायिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया है। इसके अंतर्गत कक्षा 6 से 8 में पूर्व -व्यावसायिक शिक्षा एवं कक्षा 9वीं से 12वीं तक सामान्य शिक्षा के साथ -साथ व्यावसायिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। व्यावसायिक शिक्षा बच्चों में सामाजिक और जीवन कौशल को सुधारने की ओर अग्रसर करता है जिससे बच्चे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेंगे साथ ही स्वरोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

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  38. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा व्यवसायिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है । इसके अंतर्गत कक्षा 6-8में पूर्व व्यवसायिक शिक्षा फिर कक्षा 9से ऊपर में व्यासयिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है जिससे बच्चे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेंगे । स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे (upgps Arkosa Nawa Toli,lohardaga )

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  39. व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है,जो बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने के अवसर प्रदान करते है और कौशल विकसित करने मै भी सहायता प्रदान करती हैं।व्यवसाई शिक्षा को कैरियर शिक्षा , तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है।

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  40. Bebsaike shiksha wah shiksha hai jo bacchon ko shiksha ke saath saath rojgar prapt karne aur vyapar karne ke avsar pradan karte hain aur kaushal ko viksit karne mein bhi sahayata pradan karti hai. vyavsayik shiksha ko kabhi kabhi career shiksha ya takniki shiksha ke roop mein jana jata hai. Vyavsayik shiksha madhyamik aur uchch shiksha star per ho sakti hai, madhyamik star par di jaane wali Vyavsayik shiksha bahut hi peramvik star ki hoti hai, jabki uchh stariya vyavsayik shiksha ettante hi mahatvpurn aur vishwastariya hoti hai, ismein uchch koti ke paisewaro dwara naukari,vyapar aur aadhunik taknik ke bare mein shiksha Di jaati hai, jisse bacche bhavishya mein apne ichcha anusar naukari athva vyapar aasani se Kar paate Hain.

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  41. स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का एकीकरण बेहतर विकल्प है ।व्यवसायिक एवं पूर्व व्यवसायिक शिक्षा में छात्रों को सामग्री,उपकरण और व्यवसाय से परिचित कराया जाता है ।पहले कक्षा 9 से 12 कक्षा में व्यवसायिक शिक्षा दी जाती थी ।अब समग्र शिक्षा के अंतर्गत कक्षा 6 से कक्षा 8 तक के छात्रों को स्कूल शिक्षा की एकीकृत योजना के तहत व्यवसायिक शिक्षा के रूप में परिकल्पित किया जा रहा है ।इसमे छात्रों विज्ञान,भाषा,सामाजिक विज्ञान जैसे सामान्य शैक्षणिक विषयों के साथ कौशल आधारित गतिविधियों को जोड़ने में सक्षम होंगे ।व्यवसायिक शिक्षा के तहत छात्रों को विभिन्न हस्तशिल्प जैसे मिट्टी,लकड़ी,कार्ड बोर्ड,बाँस से विभिन्न वस्तुओं बनाने के कौशल से अवगत करवाया जाएगा ।इसके अलावा सिलाई -कढ़ाई,पैंटींग आदि के बारे मे जानकारी प्राप्त होगी ।

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  42. ■व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक, आगे की शिक्षा, और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है; और शिक्षुता प्रणाली के साथ बातचीत कर सकते हैं। माध्यमिक स्तर के बाद, व्यावसायिक शिक्षा अक्सर अत्यधिक विशिष्ट व्यापार, तकनीकी स्कूलों, सामुदायिक कॉलेजों, आगे के शिक्षा के कॉलेज ब्रिटेन, विश्वविद्यालयों, प्रौद्योगिकी संस्थान / पॉलिटेक्निक संस्थानों द्वारा प्रदान की जाती है।
    हाल ही में, लगभग सभी व्यावसायिक शिक्षा कक्षा में, या नौकरी साइट पर, मान्यता प्राप्त प्रोफेसरों या स्थापित पेशेवरों से व्यापार कौशल और व्यापार सिद्धांत सीखने वाले छात्रों के साथ हुई थी। हालांकि, ऑनलाइन व्यावसायिक शिक्षा लोकप्रियता में बढ़ी है, और छात्रों के लिए उद्योग में स्थापित पेशेवरों से विभिन्न व्यापार कौशल और सॉफ्ट कौशल सीखने के लिए पहले से कहीं अधिक आसान बना दिया है।

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  43. बावसायिक शिक्षा से बच्चे सामान्य शिक्षा के साथ साथ रोजगारपरक शिक्षा ग्रहण करते है जो कि बहुत ही आवश्यक है यह हमरे दैनिक जिवन मैं बहुत उपयोगी हैं इस शिक्षा के माध्यम से हम स्वयं रोजगार के अवसर खोज सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है ।

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  44. व्यवसायिक शिक्षा वह शिक्षा है, जो बच्चों को तकनीकी शिक्षा के साथ -साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने के अवसर प्रदान करते हैं और कौशल को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करते हैं।व्यावसायिक शिक्षा को तकनीकी शिक्षा के रूप में भी जाना जाता है।व्यासायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है, माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है जबकि उच्च स्तरीय व्यावसायिक शिक्षा अत्यंत ही महत्वपूर्ण और विश्वस्तरीय होती है।इसमें उच्च श्रेणी के पेशेवरों द्वारा नौकरी, व्यापार और आधुनिक तकनीकों के बारे में शिक्षा दी जाती है, जिससे बच्चें भविष्य में अपने इच्छानुसार नौकरीअथवा व्यापार कर सकते हैं।

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  45. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा व्यवसायिक शिक्षा को अनिवार्य कर किया गया है। इसके अंतर्गत कक्षा 6-8 मैं पूर्व व्यावसायिक शिक्षा तथा कक्षा 9-12 के शिक्षार्थियों को व्यवसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रम को शामिल किया गया है। जिससे शिक्षार्थी अकादमिक ज्ञान के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा को ग्रहण करके आत्मनिर्भर बन सके। इस प्रकार युवा वर्ग में स्वरोजगार का अवसर मिल सकेगा।

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  46. व्यवसायिक शिक्षा छात्रों का सरकारी नौकरी पर निर्भरता कम करने के साथ अपनी रूचि के अनुरूप क्षेत्र में प्रतिष्ठापित होने और सम्मान पाने का अवसर प्रदान करता है|इसे अलग विषय के रूप में कक्षा में शामिल करने से बच्चों पर विषय बोझ के साथ तनाव को बढ़ाएगा जबकि इसको सामान्य शिक्षा के साथ जोड़ने से सामान्य शिक्षा का क्षेत्र व्यापक होने के साथ रुचिकर बनेगा और बच्चे तनाव मुक्त रहकर अपना भविष्य सरकारी नौकरी के अलावे भी तलाश सकेंगे |

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  47. सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा भी बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है यह बच्चों के जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि जितने भी मनुष्य एवं लोग हैं उन लोगों को सभी क्षेत्रों में निपुणता हासिल किया जा सकता है एवं पढ़ाई के पश्चात जो बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो रही है उसको दूर करने के लिए यह एक बहुत ही लाभकारी शिक्षण प्रक्रिया है क्योंकि अक्सर बच्चे पढ़ाई के पश्चात बेरोजगार भु में फिरते हैं अगर व्यवसायिक शिक्षा शुरू से ही हासिल करेंगे और अगर उनको नौकरी भी नहीं मिले तो अपने जीवन यापन के लिए यह व्यवसाय बहुत ही मील का पत्थर साबित होगा

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  48. व्यवसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ रोजगार प्राप्त करने और देखभाल करने के अवसर प्रदान करते हैं। कौशल को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करती है व्यवसायिक शिक्षा को ैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैै केरियर शिक्षा तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। व्यवसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है। माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यवसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है जबकि उच्च स्तरीय व्यवसायिक शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण और विश्वस्तरीय होती है इसमें उच्च कोटि के द्वारा और आधुनिक तकनीकों के बारे में शिक्षा दी जाती है जिससे बच्चे भविष्य में अपनी इच्छा अनुसार नौकरी अथवा व्यापार आसानी से कर पाते हैं।व्यवसायिक शिक्षा से तात्पर्य हमारा यह है कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौशल से परिचित होकर स्वयं रोजगार के अवसर पा सकते हैं जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सकें व्यवसायिक शिक्षा नौकरियों जैसे एक व्यापार शिल्प या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है व्यवसायिक शिक्षा को कभी-कभी केरियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है।

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  49. Skilled human resource is a requirement for highly populated country,like India. Integration of academic education with vocational training is a better idea for our country.We can take as a example from Japanese students.In our schools, many students have no enthusiasm and interest in academic education. Vocational training can help them.

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  50. वर्तमान समय में रोजगार की जो अवस्था है वह अत्यंत ही दयनीय है इसलिए यह जरूरी है कि बच्चों को विद्यालय में सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा प्रदान की जाए जैसे कि विद्युत उपकरण से संबंधित कंप्यूटर कृषि से संबंधित प्रिंटिंग से संबंधित तकनीकी ज्ञान अगर बच्चों को स्कूल और कॉलेज स्तर पर दी जाए तो बच्चे आगे चलकर आत्मनिर्भर होंगे और अपना रोजगार स्वयं पैदा कर सकते हैं

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  51. मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार व्यवसायिक शिक्षा की योजना को समग्र शिक्षा के अंतर्गत लागू कर रही है।इस योजना के तहत बच्चे व्यवसायिक कौशल का विकास कर रोजगार के अवसर खोज सकेंगे जिससे बच्चे आनेवाले भविष्य में आत्म निर्भर बन सकेंगे।व्यवसायिक शिक्षा से बच्चे नौकरी,व्यपार, शिल्प या तकनीशियन के रूप में तैयार हो पायेंगे तथा अपनी मनपसंद कैरियर की ओर अग्रसर हो पाएंगे।

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    1. मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार व्यवसायिक शिक्षा की योजना को समग्र शिक्षा के अंतर्गत लागू कर रही है।इस योजना के तहत बच्चे व्यवासायिक कौशल का विकास कर रोज़गार के अवसर खोज सकेंगे जिससे बच्चे आने वाले भविष्य में आत्म निर्भर बन सकेंगे।व्यवासायिक शिक्षा से बच्चे नौकरी, व्यपार, शिल्प या तकनीशियन के रूप में तैयार हो पायेंगे तथा अपनी मनपसंद कैरियर की ओर अग्रसर हो पायेंगे

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  52. मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार व्यवसायिक योजना शिक्षा की योजना को समग्र विकास के लिये माध्यमिक से उच्च माध्यमिक स्तर पर इस योजना के तहत बच्चे व्यवसायिक शिक्षा कौशल प्राप्त कर स्वरोज्गार,आत्मनिर्भर होने के लिये व्यसायिक का अतिआवश्यक है।इससे अपनी मनपसंद कैरियर की ओर अग्रसर हो पायेंगे।

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  53. व्यवसायिक शिक्षा मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा चलाई जाने वाली एक समग्र विकास के लिए माध्यमिक से उच्च माध्यमिक स्तर पर इस योजना के तहत बच्चे व्यवसायिक शिक्षा कौशल प्राप्त कर सकेंगे रोजगार आत्मनिर्भर होने के लिए व्यवसायिक शिक्षा बहुत ही जरूरी है जिससे बच्चे अपने मनपसंद केरियर बना सकते हैं अपने आप को एक नई मुकाम तक पहुंचा सकते हैं उन्हें सरकारी नौकरियों पर ही आश्रित नहीं रहना पड़े इसकी और स्वरोजगार जैसे बढ़ाई मैकेनिकल कृषि उद्योग कुटीर उद्योग सिलाई बुनाई कढ़ाई यानी अपनी सोच के अनुसार अपने व्यवसाय को बढ़ा सकते हैं

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  54. विधालय की सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का जोड़ भावी पीढ़ी को आत्मचिंतन के लिए मजबूर करेगी। वे अपने भावी जीवन में इसका उपयोग आत्मनिर्भर बनने में करेंगे। वे मनपसंद नौकरी या रोजगार में इसका उपयोग करेंगे। अतः व्यवसायिक शिक्षा कौशल की शुरुआत कक्षा छह से करना एक साहसिक और सराहनीय कदम है।

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  55. विद्यालय में छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा देना चाहिए बढ़ती हुई जनसंख्या में सभी को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकता|यह छात्रों में विभिन्न प्रकार के कौशल विकसित करने में सहायता प्रदान करती है व्यवसायिक शिक्षा को ैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैैै केरियर शिक्षा तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। व्यवसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है। माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यवसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है जबकि उच्च स्तरीय व्यवसायिक शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण और विश्वस्तरीय होती है इसमें उच्च कोटि के द्वारा और आधुनिक तकनीकों के बारे में शिक्षा दी जाती है जिससे बच्चे भविष्य में अपनी इच्छा अनुसार नौकरी अथवा व्यापार आसानी से कर पाते हैं।व्यवसायिक शिक्षा से तात्पर्य हमारा यह है कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौशल से परिचित होकर स्वयं रोजगार के अवसर पा सकते हैं जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सकें व्यवसायिक शिक्षा नौकरियों जैसे एक व्यापार शिल्प या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है व्यवसायिक शिक्षा को कभी-कभी केरियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है।

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  56. व्यवसायिक शिक्षा बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ रोजगार के अवसर प्राप्त करने तथा व्यापार करने के अवसर प्रदान करता है ।यह बच्चों में विभिन्न प्रकार के कौशल को विकसित करने में सहायता प्रदान करता है। साथ ही साथ बच्चों को जीवन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का अवसर भी प्रदान करता है।

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  57. व्यवसायिक शिक्षा से तात्पर्य है कि बच्चो को आकादमिक शिक्षा के साथ-साथ रोजगारपरक शिक्षाप्रदान कि जाय ताकि बच्चे अपने हुनर एवं कौशल का विकसित कर स्वरोजगार तथा जीविकोपार्जन अपने तथा परिवार बच्चो का जीवन यापन बेहतर शिक्षा तथा अपने जीवन को बेहतर सामन्यस स्थापित कर सकता है ।जो आज कक्षा छः से बारहवी तक व्यवसायिक शिक्षाप्रदान एवं कौशल विकास पाठ्यक्रम मे समाहित करना केंद्र एवं राज्य सरकार की सराहनीय कदम है।

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  58. Samanya shiksha ke sathwayasayik shiksha ka ekikaran school awam ucch shiksha pranali mein wayasayik shiksha di jay taki bacche bhavisya mein apne aor apne pariwar ke liye upyog ker atmnirbher ban sake aor wayasay ker sake.

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  59. व्यावसायिक शिक्षा से तात्पर्य हमारा यह हैं,कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

    * दयामय माजि (स.शिक्षक)
    * उ.म.वि.चौका (कुकड़ू )
    * सरायकेला-खरसावां ।

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  60. हमारे देश में आबादी के हिसाब से आगे बढ़ने के लिए सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का जुड़ना यानी एकत्रित करना आवश्यक होता नजर आ रहा है। उच्च प्राथमिक कक्षा 6 से 8 एवं माध्यमिक कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का कौशल विकसित करना तथा बच्चों को भविष्य में आगे बढ़ने के लिए जरूरी है। बच्चे सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसाय शिक्षा के तकनीकी कौशल को प्राप्त कर भविष्य में आगे बढ़ेंगे। देश भी आगे बढ़ेगा ।व्यवसायिक शिक्षा के कुछ उदाहरण जो विद्यालय में कराया जा सकता है वह है मिट्टी का पुतला या मूर्ति बनाना। उसमें रंग भरना। मोम का कार्य, चुना मिट्टी से खल्ली बनाना, पेरिस का मूर्ति बनाना, कपड़े एवं रूई से टेडी बेयर बनाना लकड़ी का कार्य, फूलों के खेती ,बांस का कार्य ,इलेक्ट्रिकल सामानों का मरम्मत का कार्य आदि, कराया जा सकता है। ताकि बच्चे अपने जीवन में आगे बढ़ सके।

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  61. सामान्यतः शिक्षा को व्यवसाय के साथ जोड़ना ही व्यवसायिक शिक्षा कहलाती हैं परन्तु वास्तव में इसका अर्थ इससे अधिक व्यापक हैं। व्यावसायिक शिक्षा छात्रों को व्यवसाय चुनने एवं व्यवसाय संबंधित योग्यता प्राप्त कराने का अवसर प्रदान करती हैं। व्यावसायिक शिक्षा की शुरुआत राष्ट्रीय शिक्षा आयोग 1964-66 के सुझावों द्वारा हुई। जिस आधार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 ने अपनी मंजूरी प्रदान की और यह शिक्षा का एक माध्यम बन गयी। इसके आधार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 ने 1995 तक +2 कक्षा के 25% छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया। व्यावसायिक शिक्षा का विस्तार करने हेतु इसे दूरस्थ शिक्षा में भी सम्मिलित किया गया।

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  62. व्यावसायिक शिक्षा से तात्पर्य हमारा यह हैं,कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया

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  63. सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का एकीकरण करने से हमारी सोच पहले से ही जीवन यापन संबंधी व्यवस्थाओं से परिपूर्ण रहती है हम केवल नौकरी के भरोसे ना रहकर स्वयं का व्यवसाय भी आरंभ कर सकते हैं|

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  64. व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चों को शिक्षा के साथ साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने के अवसर प्रदान करते हैं और कौशल को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है,माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है जबकि उच्चस्तरीय व्यावसायिक शिक्षा अत्यंत ही महत्वपूर्ण और विश्वस्तरीय होती है, इसमें उच्च कोटि के पेशेवरों द्वारा नौकरी, व्यापार और आधुनिक तकनीकियों के बारे में शिक्षा दी जाती है, जिससे बच्चे भविष्य में अपने इच्छानुसार नौकरी अथवा व्यापार आसानी से कर पाते हैं ।

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  65. व्यावसायिक शिक्षा से तात्पर्य हमारा यह हैं,कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। व्यावसायिक शिक्षा हमें स्वावलम्बी बनाता।

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  66. Skilled human resource is a requirement for highly populated country, like India. Integration of academic education with vicational training is a better idia for our country. Our government has start vocational education from class 6 .It is a good idea.

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  67. Skilled human resource is a requirement for highly populated country, like India. Integration of academic education with vicational training is a better idia for our country. Our government has start vocational education from class 6 .It is a good idea.

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  68. Skilled human resource is a requirement for highly populated country, like India. Integration of academic education with vicational training is a better idia for our country. Our government has start vocational education from class 6 .It is a good idea.

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  69. हम छोटे-छोटे तकनीकों से परिस्थिति होकर स्वयं रोजगार के लिए तैयार हो सके एवं व्यवसायिक शिक्षा में यह दर्शाया गया है कि बच्चे स्वरोजगार के लिए है स्वयं को तैयार करें और आत्मनिर्भर होकर आगे जीवन को जीने के नए-नए तरीकों के साथ आगे बढ़े भारत सरकार द्वारा व्यवसायिक शिक्षा को लागू करने का यही तात्पर्य है कि बच्चे स्वयं अपने लक्ष्य को स्वरोजगार की ओर अग्रसर करें

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  70. व्यावसायिक शिक्षा से तात्पर्य हमारा यह हैं,कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

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  71. व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चों को शिक्षा के साथ साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने का अवसर प्रदान करते हैं और कौशल को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करती है । सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण करने से हमारी सोच पहले से ही जीवनयापन संबंधी व्यावसायों से परिपूर्ण रहती है हम केवल सरकारी नौकरी के भरोसे ही ना रहकर स्वयं का व्यवसाय भी आरंभ कर सकते हैं।

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  72. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा बच्चों के लिए बहुत आवश्यक हैं छोटे-छोटे व्यावसायिक ज्ञान से बच्चों को आगे चलकर रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकते हैं बच्चे आत्मनिर्भर बनेंगे।मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा सन् २०१२ में व्यावसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा के साथ जोड़ने का फैसला लिया गया है।

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  73. व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चों को शिक्षा के साथ साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने के अवसर प्रदान करते हैं और कौशल को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है,माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है जबकि उच्चस्तरीय व्यावसायिक शिक्षा अत्यंत ही महत्वपूर्ण और विश्वस्तरीय होती है, इसमें उच्च कोटि के पेशेवरों द्वारा नौकरी, व्यापार और आधुनिक तकनीकियों के बारे में शिक्षा दी जाती है, जिससे बच्चे भविष्य में अपने इच्छानुसार नौकरी अथवा व्यापार आसानी से कर पाते हैं ।

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  74. व्यावसायिक शिक्षा बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये अच्छी योजना है इसे बेरोजगारी भी खत्म होगी बच्चे स्वावलंबन होगें।

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  75. सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा को जोड़ना एक सकारात्मक कदम है। विद्यालय में उच्च कक्षा से हीं छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा से परिचय कराना, उनमें इसके प्रति अभिरुचि एवं जागरूकता उत्पन्न करती है, जो उच्चतर वर्गों में रोजगार के विभिन्न क्षेत्रों की खोज एवं कौशल में वृद्धि करता है ।यह छात्रों को भावी जीवन में श्रेष्ठ करने एवं अपना जीवन स्तर ऊंचा उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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  76. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा के एकीकरण से बच्चों में व्यावहारिक कुशलता का विकास होगा और वे शिक्षा के महत्व का अनुभव करते हुए रुचिगत विषयों पर सरलता से प्रशिक्षित हो सकेंगे ।इस प्रक्रिया में बच्चें प्रारम्भ से ही लक्ष्य के प्रति सहज और सजग हो सकेंगे ।

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  77. व्यवसायिक शिक्षा बच्चों को शिक्षण के साथ साथ रोजगार के अवसर प्राप्त करने एवं बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अच्छी योजना है। इससे बेरोजगारी खत्म होगा एवं बच्चे आत्मनिर्भर बनेंगे।

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  78. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा व्यवसायिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है । इसके अंतर्गत कक्षा 6-8में पूर्व व्यवसायिक शिक्षा फिर कक्षा 9से ऊपर में व्यासयिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है जिससे बच्चे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेंगे । स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे

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  79. व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चों को शिक्षा के साथ साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने के अवसर प्रदान करते हैं और कौशल को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है,माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है जबकि उच्चस्तरीय व्यावसायिक शिक्षा अत्यंत ही महत्वपूर्ण और विश्वस्तरीय होती है, इसमें उच्च कोटि के पेशेवरों द्वारा नौकरी, व्यापार और आधुनिक तकनीकियों के बारे में शिक्षा दी जाती है, जिससे बच्चे भविष्य में अपने इच्छानुसार नौकरी अथवा व्यापार आसानी से कर पाते हैं ।

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  80. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण बुनियादी शिक्षा की मूल भावना में शामिल है जिसे गांधी जी ने काफी जोर लगा कर लागू करने में सफल रहे। वास्तव में शिक्षा का अंतिम लक्ष्य व्यक्ति का बहुमुखी चतुर्दिक विकास ही है बच्चों को प्रारंभ से ही व्यावसायिक शिक्षण देकर विकास की ओर प्रेरित करने से उनमें रुचि गर्ग स्वाभाविक विकास होगा और इसका सकारात्मक प्रभाव देश और समाज के सभी स्तरो के विकास पर भी पड़ेगा।

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  81. वर्तमान समय में अकादमिक शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा अति महत्वपूर्ण है। सरकार की यह एक अनोखी पहल कि कक्षा 6 से ही बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा दी जाय ताकि वे सरकारी नौकरी के भरोसे न रहें|आत्म निर्भर हो सकें और स्वरोजगार के लिए प्रेरित हो सकें|

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  82. व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चों को शिक्षा के साथ साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने के अवसर प्रदान करते हैं और कौशल को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है,माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है जबकि उच्चस्तरीय व्यावसायिक शिक्षा अत्यंत ही महत्वपूर्ण और विश्वस्तरीय होती है, इसमें उच्च कोटि के पेशेवरों द्वारा नौकरी, व्यापार और आधुनिक तकनीकियों के बारे में शिक्षा दी जाती है, जिससे बच्चे भविष्य में अपने इच्छानुसार नौकरी अथवा व्यापार आसानी से कर पाते हैं ।
    Prabir Kumar Shaw
    High School Karaikela
    West Singhbhum.

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  83. Samanya shiksha ke sath vyavsayik shiksha bacchon ke liye bahut avashyak hai. Chote-chote vyavsayik gyan se bacchon ko aage chalkar rojar ke avsar prapt ho sakte hain. Bacche aatm nirbhar banenge. Manav sansadhan Vikas,Bharat Sarkar ke dwara vyavsayik shiksha ko anivarya kar diya gya hai. Iske antargat kaksha 6 se 8 mein purv vyavsayik shiksha fir kaksha 9 se upar mein vyavsayik shiksha ko pathyakram mein shamil kiya gaya hai jisse bacche aatm nirbhar ban sake. Swarojgar ke avsar badhenge.

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  84. किसी देश के विकास में उस देश की शैक्षिक व्यवस्था का बहुत अत्यधिक महत्व होता हैं और अगर उस शिक्षा का मुख्य उद्देश्य छात्रों को व्यवसाय दिलाना और उनको जीविकोपार्जन योग्य बनाना हो तो उस देश का विकास निश्चित होता हैं। शिक्षा अपने वास्तविक उद्देश्यों और लक्ष्यों की प्राप्ति तभी कर सकती हैं जब वह शिक्षा व्यावसायिक शिक्षा हो। वर्तमान में शिक्षा की घटती गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए जरूरी हैं कि शिक्षा को पुर्णतः व्यावसायिक शिक्षा में परिवर्तित किया जाए।

    व्यावसायिक शिक्षा छात्रों को व्यवसाय चुनने में ही सहायक नही है अपितु इसके द्वारा छात्रों का सर्वांगीण विकास भी किया जाता हैं। आधुनिक युग में बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक हैं कि शिक्षा को छात्रों के अनुरूप बनाया जाए जिससे वह अपने वास्तिविक उद्देश्यो की प्राप्ति कर सकें।

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  85. व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक, आगे की शिक्षा, और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है; और शिक्षुता प्रणाली के साथ बातचीत कर सकते हैं। माध्यमिक स्तर के बाद, व्यावसायिक शिक्षा अक्सर अत्यधिक विशिष्ट व्यापार, तकनीकी स्कूलों, सामुदायिक कॉलेजों, आगे के शिक्षा के कॉलेज ब्रिटेन, विश्वविद्यालयों, प्रौद्योगिकी संस्थान / पॉलिटेक्निक संस्थानों द्वारा प्रदान की जाती है।
    हाल ही में, लगभग सभी व्यावसायिक शिक्षा कक्षा में, या नौकरी साइट पर, मान्यता प्राप्त प्रोफेसरों या स्थापित पेशेवरों से व्यापार कौशल और व्यापार सिद्धांत सीखने वाले छात्रों के साथ हुई थी। हालांकि, ऑनलाइन व्यावसायिक शिक्षा लोकप्रियता में बढ़ी है, और छात्रों के लिए उद्योग में स्थापित पेशेवरों से विभिन्न व्यापार कौशल और सॉफ्ट कौशल सीखने के लिए पहले से कहीं अधिक आसान बना दिया है।
    ■नौकरी पाने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल हासिल करने के उद्देश्य से शिक्षा। सामान्य शिक्षा या सामान्य शिक्षा की जोड़ी। इसे औद्योगिक शिक्षा भी कहा जाता है, जिसे उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध से पहले व्यावहारिक शिक्षा कहा। यह माध्यमिक शिक्षा पर केंद्रित है, और यह आम तौर पर विश्वविद्यालय और इसी तरह से संदर्भित करता है। जूनियर हाई स्कूलों में उच्च विद्यालयों के अलावा, व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के साथ उच्च विद्यालय ( व्यावहारिक विद्यालय के पीछे के बराबर), व्यावसायिक विद्यालय , तकनीकी कॉलेज इत्यादि, विभिन्न स्कूल , व्यावसायिक प्रशिक्षण स्कूल व्यावसायिक प्रशिक्षण कानूनों , शैक्षणिक सुविधाओं के आधार पर कंपनियां भी यह हो जाती है।

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  86. samanya Shiksha ke sath vyavsayik Shiksha bacchon ke liye bahut avashyak hai chhote chhote vyavsay Gyan se bacchon ko aage chalkar rojgar ke avsar prapt ho sakte hain bacche aatm nirbhar banenge Manav sansadhan Vikas vibhag Bharat Sarkar ke dwara san 2012 mein vyavsayik Shiksha ko sammanit Shiksha ke sath jodne Ka faisla liya gaya hai

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  87. व्यवसायिक शिक्षा का तात्पर्य है कि छात्र अकादमी ज्ञान के साथ व्यवसायिक ज्ञान भी सीखें तकनिकी कोशल को उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए आवश्यक है

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  88. Vaywsayik shiksha ke daura bachon ko onke vavisya me aane wali problem ko Hal krne me saksham honge. Is shiksha ke daura bachon ko vivin prakar ke kausalon ko shikhaya jata hai jaise shilpkla, vyapaar, kpdon ki rangai putai , badaigiri, rajmistri, technician, farmarin, aadi jisko hasil KR Bache aage chal KR shiksha ke sath apne life ko v acha bna skte hai. Isliye hm kah skte ki Samantha shiksha ke sath vywsayik shiksha ka ekikarn school awm uch shiksha pranali me vywsayik shiksha ko stream krne se behtar vikalp hai.

    PRAKASH MUNDU
    Middle School rowauli Bandgaon
    West singhbhum

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  89. व्यवसायिक शिक्षा वर्ग 6से ही शुरू होनी चाहिए ताकि बच्चे नौकरी नहीं मिलने पर भी अपने मे आत्म निर्भर हो सके और अपना जीवन यापन चला सके

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  90. ■ व्यावसायिक शिक्षा शिक्षा है जो लोगों को विभिन्न नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
    ■व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक, आगे की शिक्षा, और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है; और शिक्षुता प्रणाली के साथ बातचीत कर सकते हैं। माध्यमिक स्तर के बाद, व्यावसायिक शिक्षा अक्सर अत्यधिक विशिष्ट व्यापार, तकनीकी स्कूलों, सामुदायिक कॉलेजों, आगे के शिक्षा के कॉलेज ब्रिटेन, विश्वविद्यालयों, प्रौद्योगिकी संस्थान / पॉलिटेक्निक संस्थानों द्वारा प्रदान की जाती है।
    हाल ही में, लगभग सभी व्यावसायिक शिक्षा कक्षा में, या नौकरी साइट पर, मान्यता प्राप्त प्रोफेसरों या स्थापित पेशेवरों से व्यापार कौशल और व्यापार सिद्धांत सीखने वाले छात्रों के साथ हुई थी। हालांकि, ऑनलाइन व्यावसायिक शिक्षा लोकप्रियता में बढ़ी है, और छात्रों के लिए उद्योग में स्थापित पेशेवरों से विभिन्न व्यापार कौशल और सॉफ्ट कौशल सीखने के लिए पहले से कहीं अधिक आसान बना दिया है।
    ■नौकरी पाने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल हासिल करने के उद्देश्य से शिक्षा। सामान्य शिक्षा या सामान्य शिक्षा की जोड़ी। इसे औद्योगिक शिक्षा भी कहा जाता है, जिसे उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध से पहले व्यावहारिक शिक्षा कहा। यह माध्यमिक शिक्षा पर केंद्रित है, और यह आम तौर पर विश्वविद्यालय और इसी तरह से संदर्भित करता है। जूनियर हाई स्कूलों में उच्च विद्यालयों के अलावा, व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के साथ उच्च विद्यालय ( व्यावहारिक विद्यालय के पीछे के बराबर), व्यावसायिक विद्यालय , तकनीकी कॉलेज इत्यादि, विभिन्न स्कूल , व्यावसायिक प्रशिक्षण स्कूल व्यावसायिक प्रशिक्षण कानूनों , शैक्षणिक सुविधाओं के आधार पर कंपनियां भी यह हो जाती है।

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  91. Vyavsayik Shiksha ka bacchon ko co-chairman shikshan ke sath sath rojgar ke avsar prapt karne AVN bacchon ko aatm nirbhar banane ke liye kachi Yojana hai isase berojgari khatm hoga AVN bacchan aap nirbhar banenge

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  92. एक व्यवसाय की स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है जो बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने का अवसर और कौशल को विकसित करने में सहायता प्रदान करती है

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  93. Kaushal Vikas aur udhyamita par rashtriya niti me dwara byawsayik shikcha par back diya gaya. Taki bacchon me shuru se hi shram ki garima aur mahta ko samjhaya ja sake. Ata: ucch Vidyalaya star see hi samanya shikcha aur byawsayik shikcha ko ekikrit Hina chahiye.

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  94. व्यवसायिक शिक्षा छात्रों को दी जाने वाली कौशल आधारित शिक्षा है।यह उन छात्रों के लिए भी लाभदायक है जो अकादमिक स्तर पर कमजोर होते हैं। आज सभी क्षेत्रों में प्रशिक्षित जनशक्ति की जबरदस्त मांग है।स्कूली शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा इस मांग को पूरा करती है तथा युवाओं को तैयार करती है।आज के इस प्रतिस्पर्धी समय में यह शिक्षा युवाओं को संबल प्रदान करती है तथा उनमें आत्मविश्वास भरती है। हमारे देश में सामाजिक व आर्थिक विकास के लिए सभी क्षेत्रों में कुशल पेशेवरों को विकसित करने के लिए अकादमिक संग व्यवसायिक शिक्षा का समागम कारगर सिद्ध होगा। शैक्षिक सत्र पर पिछड़े छात्र तथा युवा निश्चित तौर पर पारिवारिक व सामाजिक दबाव कम महसूस करेंगे।साथ ही देश में समाजोपयोगी नागरिकता का निर्माण होगा।

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  95. व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो हमें छोटे छोटे तकनीकी संसाधनों से परिचित होकर नयें ज्ञान की ओर ले जाते हैं, जिससे भविष्य में सभी बच्चों को सभी प्रकार से रोजगार में आत्मनिर्भर बन सकें। नौकरी पाने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल हासिल कर सकें।

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  96. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सन् २०१२ में व्यावसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा में जोड़ने का फैसला किया, ताकि बच्चों को शुरू से ही रोजगार के अवसर प्राप्त हो जाएं और वह बच्चें कक्षा ९वीं से १२वीं तक लगातार व्यावसायिक शिक्षा के बारे में अध्ययन करते रहे, व्यावसायिक शिक्षा से तात्पर्य हमारा यह हैं,कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।
    RAJMOHAN SINGH UMS Gamharia

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  97. Vocational training is most important thing for self dependent.

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  98. व्यावसायिक शिक्षा से तात्पर्य यह है की हमलोग अपने अकादमिक शिक्षा के अलग तकनिकी शिक्षा का ज्ञान प्रप्त करते हैं उसी से संबंधीत हैं। यह हमरे दैनिक जिवन मैं बहुत सरे कं मे लगते हैं।हमारा यह हैं,कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

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  99. व्यावसायिक शिक्षा से तात्पर्य हमारा यह हैं,कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

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  100. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा व्यवसायिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है । इसके अंतर्गत कक्षा 6-8में पूर्व व्यवसायिक शिक्षा फिर कक्षा 9से ऊपर में व्यासयिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है जिससे बच्चे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेंगे । स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।एम एच आर डी भारत सरकार द्वारा समग्र शिक्षा के अंतर्गत कक्षा 6 से 8 तक पूर्व व्यावसायिक शिक्षा, कक्षा 9 से 12 तक व्यवसायिक शिक्षा को सामान्य स्कूली विषयों के साथ साथ लागू किया गया है। यह एक अच्छा कदम है, साथ ही रोजगारोन्मुखी भी है। इसमें व्यवसाय के नए क्षेत्रों का पता लगाने एवं उसके लिए छात्रों में आवश्यक योग्यता एवं कौशल विकसित की जाती है जिससे आगे चलकर छात्रों में तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र के प्रति रुचि विकसित होती है और एक अच्छा कैरियर का चुनाव करने में सक्षम होते हैं

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  101. Vocational education (commercial education)is very necessary for students. Because it is a pillar of employment. So commercial education is must for upper middle class and high school.

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  102. सामान्य शिक्षा के साथ ही व्यवसायिक शिक्षा से परिचय एवं उनका उपयोग विद्यार्थियों के लिए एक वरदान होगा। यहाँ उन्हें अपनी रुचि के काम समझने और सीखने का प्रचुर अवसर उपलब्ध होगा जिसे विद्यार्थी रुचि लेकर सीख सकते हैं और जिसका उपयोग उन्हें सक्षम बनाएगा। पर इस व्यवसायिक शिक्षा को उन्हें अलग से पढाये जाने से वे इसे मजबूरीवश और दबाव में करते हैं और अधिकतर मामलों में उन्हें असफलता हाथ लगती है।

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  103. सामान्य शिक्षा और व्यवसायिक शिक्षा का एकीकरण करने का उद्देश्य बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए है।

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  104. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सन् २०१२ में व्यावसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा में जोड़ने का फैसला किया, ताकि बच्चों को शुरू से ही रोजगार के अवसर प्राप्त हो जाएं और वह बच्चें कक्षा ९वीं से १२वीं तक लगातार व्यावसायिक शिक्षा के बारे में अध्ययन करते रहे, व्यावसायिक शिक्षा से तात्पर्य हमारा यह हैं,कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।
    Lalita Mahto
    High school karaikella
    West Singhbhum.

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  105. तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्या

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  106. व्यवसायिक शिक्षा से छात्रों में कौशलता आएगी. जिससेे भारत एक आत्मनिर्भर देश बनने की ओर अग्रसर होगा.

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  107. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा व्यवसायिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है । इसके अंतर्गत कक्षा 6-8में पूर्व व्यवसायिक शिक्षा फिर कक्षा 9से ऊपर में व्यासयिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है जिससे बच्चे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेंगे । स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे

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  108. व्यावसायिक शिक्षा से छात्रों में कौशल पाएगी उन्हें पढ़ने में सहायता होगी उन्हें मजा भी आएगा इससे रोजगार बनने के भी अवसर प्राप्त होंगे इस तरह भारत एक आत्मनिर्भर देश बनेगा

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  109. तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

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  110. Bewsaik shiksha wah shiksha hai jo padai ke saath Rojgar pradan karta hai

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  111. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा सन् 2012 में व्यवसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा के साथ जोड़ने का फैसला लिया है- जिससे बच्चे अपने तकनीकी कौशलों का विकास कर वे स्वयं रोजगार के अवसर खोज सकें|जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा आत्मनिर्भर बन सकें|व्यवसायिक शिक्षा से बच्चे खुद को नौकरी, व्यापार, शिल्प या तकनीशियन के रूप में तैयार कर पाते हैं तथा अपनी मनपसंद कैरियर की ओर अग्रसर होते हैं, अपनी भविष्य गढ़ते हैं|

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  112. सामान्य शिक्षा के तहत व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण, स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को जोड़ना है।इसका उद्देश्य-काम और जीवन के प्रति छात्रों के बीच एक स्वस्थ दृष्टिकोण विकसित करना,विभिन्न व्यवसायों, उद्यमशीलता और स्वरोजगार के लिए ज्ञान और कौशल को विकसित करना,रोजगार कौशल के लिए तैयार करना,विशेष रूचि या उद्देश्य के बिना जो बच्चे उच्च शिक्षा, आगे पढ़ने के इच्छुक हैं उनके लिए एक विकल्प तैयार करना ताकि भविष्य में वे आत्मनिर्भर बन सके।

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  113. सामान्य शिक्षा व व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण एक बेहतर विकल्प है ।ऐसा करने से शिक्षा के साथ साथ जीवकोपारजन के लिए आवश्यक कौशलों की जानकारी व प्रशिक्षण प्राप्त हो जाता है और शिक्षा का मुख्य उद्देश्य सर्वागीण विकास की प्राप्ति से ही सम्भव हो सकेगी ।
    HARENDRA PRASAD
    M.S.DAHIYARI
    NAWADIH, BOKARO
    JHARKHAND

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    1. व्यावसायिक शिक्षा बच्चों को अपने जीवन से जुड़ी समस्याओं को हल करने और रोजगार प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगी। बच्चे अपनी योग्यता,क्षमता और रूचि के अनुसार विषय चुन सकते हैं और आत्मनिर्भर बन सकते हैं,इससे भविष्य में उनका जीवन यापन आसान होगा।

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  114. aaj ke samay mai sabhi ko nokri sarkar nahi de sakti ath yh jarurat hai ki baccho ko padayi ke sath vavsatyik shiksha awayas deni chahiye

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  115. सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में एक बेहतर विकल्प है। ऐसा करने से बच्चे स्वयं आत्मनिर्भर बनेंगे बड़े होकर वे भिन्न प्रकार के नौकरियों के अलावा व्यापार के माध्यम से भी जीवन जापान निर्वाह सुचारू रूप से कर सकेंगे।
    Anil kumar Das
    NPS Allatand
    Nirsa Dhanbad

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  116. Bewsaik shiksha wah shiksha hai Jo padai ke saath rojgar pradan karta hai

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  117. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा सन् 2012 में व्यवसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा के साथ जोड़ने का फैसला लिया है- जिससे बच्चे अपने तकनीकी कौशलों का विकास कर वे स्वयं रोजगार के अवसर खोज सकें|जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा आत्मनिर्भर बन सकें|व्यवसायिक शिक्षा से बच्चे खुद को नौकरी, व्यापार, शिल्प या तकनीशियन के रूप में तैयार कर पाते हैं तथा अपनी मनपसंद कैरियर की ओर अग्रसर होते हैं, अपनी भविष्य गढ़ते हैं|

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  118. जिस प्रकार पूरे विश्व की जनसंख्या दिन प्रतिदिन तेजी से बढ़ रही है और नौकरियों की संख्या सीमित हो रही है,प्रतिस्पर्धा में नित्य नए बदलाव आ रहें हैं वहाँ अपने आप को टिका पाना कठिन होता जा रहा है ऐसी स्थिति में स्वावलंबी बनने के लिए रोजार के अवसर खुद बनाने हेतु विद्यालय से ही व्यवसायिक शिक्षा अतिआवश्यक हो गया है|अपनी रुचियों के अनुरुप बच्चों में यह शिक्षा उनके विकास को सुनिश्चित करेगी|

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  119. व्यवसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ रोजगार प्राप्त करने और देखभाल करने के अवसर प्रदान करते हैं। कौशल को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करती है। मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा व्यवसायिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है । इसके अंतर्गत कक्षा 6-8में पूर्व व्यवसायिक शिक्षा फिर कक्षा 9 से 12वीं में व्यासयिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है जिससे बच्चे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेंगे । स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

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  120. Vyvsayik shiksha ka mukhya tatpary hai bachchon ko takniki shiksha ke sath sath rojgarounmukhi kaushal ka vikas karna .yah shiksha kaksha 6-8 ke liye purv vyvsayik shiksha tatha kaksha 9-12 ke liye vyvsayik shiksha ke roop me bharat sarkar dwara samagra shiksha karyakram men shamil kiya gaya hai

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  121. सुभद्रा कुमारी-
    मध्य विद्यालय नारायणपुर
    व्यवसायिक शिक्षा का तात्पर्य है कि छात्र अकादमिक ज्ञान के साथ व्यवसायिक ज्ञान भी सीखें। तकनीकी कौशल उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए आवश्यक है।हमारे देश की आधी से अधिक आबादी युवा है। ऐसे में हमारा कर्तव्य है कि छात्रों को अकादमिक ज्ञान के साथ व्यवसायिक ज्ञान एवं प्रशिक्षण दिया जाए।इस प्रकार हम अपने बच्चों को बेहतर बनाने में अपना योगदान दे सकते हैं।

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  122. व्यवसायिक शिक्षा से तात्पर्य यह है कि छोटे छोटे तकनीकी कौशल से परिचित होकर स्वयं रोजगार के अवसर पा सकते है। व्यवसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चो को शिक्षा के साथ साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने के अवसर प्रदान करते है।जिससे आने वाले भविष्य मे प्रत्येक बच्चा रोजगार प्राप्त कर आत्मनिर्भर बन सके। व्यवसायिक शिक्षा को कैरियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप मे जाना जा सकता है। व्यवसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है। माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यवसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है जबकि उच्च स्तरीय व्यवसायिक शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण और विश्व स्तरीय होता है इसमे उच्च कोटि के द्वारा आधुनिक तकनीको के बारे मे शिक्षा दी जाती है। जिससे बच्चे भविष्य मे अपनी इच्छानुसार नौकरी अथवा व्यापार आसानी से कर पाते है।

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  123. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार व्यवसयिक
    शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है।इसके अंतर्गत कक्षा
    6-8में पूर्व व्यसायिक शिक्षा फिर कक्षा9वी से ऊपर मैं व्यवसयिक शिक्षा को पाठ्यक्रम मैं शामिल किया गया है।जिसमें बच्चे आत्मनिर्भता की ओर बरेंगे।स्वरोजगार के अवसर बरेंगे।

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  124. व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो लोगों को विभिन्न नोकरियों, एक व्यापारी, शिल्प या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यवसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है।

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  125. जिस प्रकार पूरे विश्व की जनसंख्या दिन प्रतिदिन तेजी से बढ़ रही है और नौकरियों की संख्या सीमित हो रही है,प्रतिस्पर्धा में नित्य नए बदलाव आ रहें हैं वहाँ अपने आप को टिका पाना कठिन होता जा रहा है ऐसी स्थिति में स्वावलंबी बनने के लिए रोजार के अवसर खुद बनाने हेतु विद्यालय से ही व्यवसायिक शिक्षा अतिआवश्यक हो गया है|अपनी रुचियों के अनुरुप बच्चों में यह शिक्षा उनके विकास को सुनिश्चित करेगी

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  126. तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया

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  127. School ke saishik shiksha ke sath sath vocational ki shiksha se bachho thatha guardian me ek sukhad asha ka sanchar hoga.Iske sath bacche padne ke sath carier ke bare me vi sajag,jagruk ho payenge.Guardion vi bachho ko school bejenge.Desh vi tarakki karega.Bachha self dependent ho payenge.Bachhe padai ke baad kuch karya kar payenga.Thatha parivar ko vi help kar payenge.Bharat me ek naye yug ki suruaat ho payegi.SHYAMAL SARKAR.

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  128. व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है,माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है ।समझने और सीखने का प्रचुर अवसर उपलब्ध होगा जिसे विद्यार्थी रुचि लेकर सीख सकते हैं ।

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  129. Samaneya shiksha ke sath vyawasaik shiksha ka ekikarn se hamari soch yaha hai ki hum sarkari naukri ke bharose hi nahi rahe balki aatamnirbharta ki or badhenge.

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  130. Samaneya shiksha ke sath vyawasaik shiksha ka ekikarn se hamari soch yaha hai ki hum sarkari naukri ke bharose hi nahi rahe balki aatamnirbharta ki or badhenge.

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  131. सामान्य या अकादमिक शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा को जोड़ने का निर्णय एक लाभदायी एवं सकारात्मक निष्कर्ष को प्रतिष्ठित करता है जिसमें बच्चें सामान्य शिक्षा के साथ साथ तकनीकी ज्ञान व कौशलों को प्राप्त कर स्वयं रोजगार के अवसर को खोज सकते हैं। सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण अकादमिक ज्ञान एवं तकनीकी ज्ञान का सामंजस्य स्थापित करने का सुनहरा अवसर है जिसमें बच्चें अपने आप को शिल्प,व्यापार, नौकरी या तकनीशियन के रूप में अपनी योग्यता को सिद्ध कर भविष्य में आत्मनिर्भर बन सकते हैं। इस पद्धति में शिक्षार्थी सामान्य शिक्षा के साथ औद्योगिक या व्यावसायिक शिक्षा को लाभ कर अपने मनपसंद कैरियर को चुनते हुए एक उज्वल भविष्य की ओर अग्रसर होते हैं।
    अवश्य ही स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली के क्षेत्रों में इन दोनों अवधारणाओं के मिश्रण एक बेहतर विकल्प है।
    Manjushree Chatterjee
    HAZARIBAGH

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  132. व्यावसायिक शिक्षा से तात्पर्य हमारा यह हैं,कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया

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  133. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा व्यवसायिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है |इसके अंतर्गत कक्षा 6 से 8 में पूर्व व्यवसायिक शिक्षा फिर कक्षा 9 से ऊपर में व्यवसायिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है |जिससे बच्चे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेंगे |स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे| श्री भगवान प्रसाद, मेराल( गढ़वा) झारखंड|

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  134. व्यवसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो शैक्षिक प्रक्रिया के सभी रूप और स्तर में सामान्य ज्ञान के अलावा आर्थिक और सामाजिक जीवन के विभिन्न व्यवसायोप प्रौघोगिकिया और विज्ञान से संबंधित ज्ञान, दृष्टिकोण और समाज का अध्ययन एवं व्यवहारिक कौशल का अधिग्रहण करने में मदद करती है! भारत सरकार ने स्कूलों में शिक्षा का व्यवसायिक कार्य अनुभव या कार्य शिक्षा, पूर्व व्यवसायिक शिक्षा और व्यवसायिक शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही है! कक्षा 1 से 5 तक - कार्य अनुभव या कार्य शिक्षा के बारे में सीखेंगे! कक्षा 6 से 8 तक -पूर्व व्यवसायिक शिक्षा! कक्षा 9 से 12 तक -व्यवसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण लेंगे!

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  135. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा, वह शिक्षा है जो छात्रों को रोजगार कौशल के लिए तैयार करना।काम और जीवन के प्रति छात्रों के बीच एक स्वस्थ दृष्टिकोण तथा विभिन्न व्यवसायों और स्वरोजगार के लिए ज्ञान और कौशल को विकसित करना जिससे व्यवसायिक शिक्षा ग्रहण करके जीवन में आत्मनिर्भर बन सके।

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  136. व्यवसायिक शिक्षा एक प्रणाली या अध्ययन के पाठ्यक्रम को संदर्भित करती है, जो व्यावहारिक गतिविधियों पर आधारित नौकरियों के लिए व्यक्तिगत रूप से तैयार करती हैं
    'व्यवसाय' शब्द स्वयं ही सुझाव देता है,
    व्यवसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण देश की शिक्षा पहल का एक महत्वपूर्ण तत्व है. व्यवसायिक शिक्षा किसी व्यक्ति को किसी विशेष क्षेत्र में एक विशेषज्ञ बनाती है.

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  137. सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा परमावश्यक है । इससे बच्चे प्रारंभिक अवस्था से रोज़गारपरक शिक्षा प्राप्त करेंगे ताकि उन्हें भविष्य में जिविकोपार्जन में कोई कठिनाई न हो।

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  138. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देना अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है सुदूरवर्ती इलाकों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में अकसर यह देखा जाता है कि कृषि क्षेत्र के व्यवसाय के आलावे दूसरी तरह की रोजगार के अवसर कम प्राप्त होते हैं।बच्चे की नींव अपने जीवन कौशल और विकास को लेकर बेहतर होगा भविष्य में बेरोजगार रहने की संभावना कम हो जाएगी। अतः व्यावसायिक शिक्षा सामान्य शिक्षा के साथ अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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  139. विद्यालयी शिक्षा में सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा शुरू करने से छात्रों का सर्वांगीण विकास होगा एवं सरकार पर विशेष आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ेगा। इससे युवाओं में सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक एवं तकनीकि कौशल का भी विकास होगा और युवाओं में आत्मनिर्भरता आएगी। इससे बेरोजगारी की समस्या का समाधान निकलेगा और एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहायता मिलेगी।

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  140. एक शिक्षिका हूँ, लॉकडौन के दौरान जब विद्यालय बकन्द हो गए औऱ पठन पाठन से संबंधित सभी कार्य ऑनलाइन संचालित होने लगे , ऐसे में मोबाइल और लैपटॉप की उपयोगिता अचानक से बढ़ गई, मैने पूर्व में व्यवसायिक शिक्षा के रूप मेें DCA का प्रशिक्षण किया था जिसका फायदा हमे लॉकडौन के दौरान मिला।

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  141. Samanaya Siksha ke sath Vyavsayik Siksha bahut jaruri hai. Bharat Sarkar ke Manav Sansadhan Vikas Mangalmay ke dwara class 6 to 12 tak Vyavsayik Siksha ka pradhan kiya gaya hai.
    Vyavsayik Siksha ke dwara chhatraon main kushal vikas ke sath a Atmanirbhar arthat aarthik rup se sabal banne ki disha main aak sarthak prayash hai.

    ums sandeburu

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  142. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा को स्कूल एवं उच्च-शिक्षा के मुख्य धारा के साथ चरणबद्ध तरीके से एकीकृत करने का बेहतर विकल्प है, जिसे हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में विशेष महत्व एवं बल दिया गया है |
    इससे विद्यार्थियों को--
    १) शुरुआती वर्ग से ही व्यावसायिक अवसरों के बारे में जानकारी मिल पाएगी |
    २) माध्यमिक एवं उच्च-माध्यमिक स्कूलों के माध्यम से उत्कृष्ट व्यावसायिक शिक्षा मिल पाएगी |
    ३) उच्च शिक्षा में व्यावसायिक शिक्षा का सुचारू संचालन होगा |
    ४) जीवन यापन के लिए विभिन्न प्रकार के आवश्यक व्यवसायों के बारे में जागरूकता प्राप्त होगा|
    ५) दुनिया के विभिन्न व्यवसायों में विकल्प तथा स्किलस की जानकारियां अन्वेषण करने में सहयोग मिलेगा |
    ६) व्यावसायिक कौशल के साथ शैक्षिक कौशल को एकीकृत करने का प्रशिक्षण प्राप्त होंगे |
    ७) एक कुशल कर्मी के रूप में तैयार हो पाएंगे |
    ८) रोजगार के अवसर से परिचित होंगे तथा व्यावसायिक तकनीकी कार्यक्रमों में एवं भविष्य में कैरियर के विकास में प्रवेश करने के लिए तैयार हो सकेंगे |
    ९) श्रम की गरिमा को समझते हुए जीवन उपयोगी व्यवसाय और कैरियर के बारे में भी उनमें समझ विकसित होगी !!

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  143. व्यवसायिक शिक्षा मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा चलाई जाने वाली एक समग्र विकास के लिए माध्यमिक से उच्च माध्यमिक स्तर पर इस योजना के तहत बच्चे व्यवसायिक शिक्षा कौशल प्राप्त कर सकेंगे रोजगार आत्मनिर्भर होने के लिए व्यवसायिक शिक्षा बहुत ही जरूरी है जिससे बच्चे अपने मनपसंद केरियर बना सकते हैं अपने आप को एक नई मुकाम तक पहुंचा सकते हैं उन्हें सरकारी नौकरियों पर ही आश्रित नहीं रहना पड़े इसकी और स्वरोजगार जैसे बढ़ाई मैकेनिकल कृषि उद्योग कुटीर उद्योग सिलाई बुनाई कढ़ाई यानी अपनी सोच के अनुसार अपने व्यवसाय को बढ़ा सकते हैं

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  144. Vocational education is very essential for students. They can choose by their own choices related course and it helps to them get jobs.

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  145. स्कूली शिक्षा के साथ साथ बच्चों की व्यवसायिक एवं तकनीक शिक्षा आज के समय में बहुत ही आवश्यक है। इससे बच्चे न केवल तकनीकी रूप से सक्षम होंगे बल्कि आगे चलकर स्वरोजगार के लिए आत्मनिर्भर भी बनेंगे।

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  146. व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चों को शिक्षा के साथ साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने के अवसर प्रदान करते हैं और कौशल को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है,माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है जबकि उच्चस्तरीय व्यावसायिक शिक्षा अत्यंत ही महत्वपूर्ण और विश्वस्तरीय होती है, इसमें उच्च कोटि के पेशेवरों द्वारा नौकरी, व्यापार और आधुनिक तकनीकियों के बारे में शिक्षा दी जाती है, जिससे बच्चे भविष्य में अपने इच्छानुसार नौकरी अथवा व्यापार आसानी से कर पाते हैं ।UMS PALARPUR nirsa 1

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  147. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा परमावश्यक है।वास्तव मेंं शिक्षा का अंतिम लक्ष्य व्यक्ति का बहुमुखी चतुर्दिक विकास ही है।बच्चो को प्रारंभ से ही व्यावसायिक शिक्षा देकर विकास की ओर प्रेरित करने से उनमें रूचि स्वाभाविक रूप से विकसित होगा।ऐसा करने से बच्चे स्वयं आत्मनिर्भर बनेंगे।इससे भविष्य में उनका जीवन आसान होगा।

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  148. पिछले कुछ वर्षों में भारत ने तेजी से प्रगति की हैं एवं वैश्विक मंदी का इस पर प्रतिकूल प्रभाव नही पड़ा हैं. तो इसके पीछे हमारी व्यावसायिक शिक्षा का ही हाथ हैं. छात्रों का रुझान पारम्परिक शिक्षा के बदले व्यावसायिक शिक्षा की ओर बढ़ा हैं. चिकित्सा, कृषि, अभियांत्रिकी, विज्ञान, तकनीक, औषधि विज्ञान, कंप्यूटर, सूचना प्रोद्योगिकी इत्यादि से सम्बन्धित विभिन्न बहुत से व्यावसायिक कोर्स में नामांकन करवाने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई हैं.

    शीघ्र रोजगार प्राप्त करने या स्वरोजगार के उद्देश्य से दसवीं के बाद अधिक संख्या में छात्र अब आई टी आई एवं पोलिटेक्निक जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेना चाहते हैं. लेकिन समस्या यह होती हैं कि छात्रों की तुलना में संस्थानों में सीटें कम होती हैं. यदि व्यावसायिक शिक्षा को हम बढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए नयें व्यावसायिक संस्थानों के साथ साथ विभिन्न रोज गार उन्मुखी पाठ्यक्रमों की सीटों की संख्या में भी बढ़ोतरी करनी होगी.

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  149. NARAYAN CHANDRA MAHATO CHAS BOKARO
    सामान्य शिक्षा के साथ, स्कूल एवं उच्च प्रणाली मे व्यवसायिक शिक्षा का एकीकरण करने से शिक्षार्थी का भविष्य उज्जवल होगा । वे बेरोजगार नही होगें । वे अपना व्यवसाय कर सकेगें । आर्थिक तंगी के कारण कई लोग आत्महत्या कर लेते है । व्यवसायिक शिक्षा से आत्महत्या मे कमी आ सकती है । शिक्षार्थी का समग्र विकास हो सकता है ।

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  150. व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने के अवसर प्रदान करते हैं और कौशल विकसित करने में भी सहायता प्रदान करती है। व्यावसायिक शिक्षा को करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में भी जाना जाता है।व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है।माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है, जबकि उच्च स्तरीय व्यावसायिक शिक्षा अत्यंत ही महत्वपूर्ण और विश्व स्तरीय होती है, इसमें उच्च कोटि के पेशवरों द्वारा नौकरी, व्यापार और आधुनिक तकनीकियों के बारे में शिक्षा दी जाती है, जिससे बच्चे भविष्य में अपने इच्छानुसार नौकरी या व्यापार आसानी से कर पाते हैं।

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  151. व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चों को शिक्षा के साथ साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने के अवसर प्रदान करते हैं और कौशल को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करती है।व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ अकादमिक शिक्षा का एकीकरण हमारे देश के लिए एक बेहतर आइडिया है। हमारी सरकार ने कक्षा 6 से व्यावसायिक शिक्षा शुरू की है। यह एक अच्छा विचार है।

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  152. कक्षा 6-8में पूर्व व्यवसायिक शिक्षा फिर कक्षा 9से ऊपर में व्यासयिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है जिससे बच्चे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेंगे । स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

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  153. तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

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  154. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा सन् 2012 में व्यवसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा के साथ जोड़ने का फैसला लिया है- जिससे बच्चे अपने तकनीकी कौशलों का विकास कर सकें। वे स्वयं रोजगार के अवसर खोज सकें|जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा आत्मनिर्भर बन सकें|व्यवसायिक शिक्षा से बच्चे खुद को नौकरी, व्यापार, शिल्प या तकनीशियन के रूप में तैयार कर पाते हैं तथा अपनी मनपसंद कैरियर की ओर अग्रसर होते हैं, अपनी भविष्य गढ़ते हैं|यह एक ऐसा माध्यम है
    जिसे कह सकते हैं:-पढ़ाई के साथ भी पढ़ाई के बाद भी।

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  155. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा व्यवसायिक शिक्षा को अब सामान्य शिक्षा के साथ जोड़ा गया है| कक्षा 9 से आगे के छात्रों के लिए उनके पास सामान्य शिक्षा के साथ-साथ वेबसाइट शिक्षा भी उनको प्रदान की जा रही है भारत सरकार का यह कदम छात्रों को स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनाने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है छात्र सामान्य शिक्षा के साथ-साथ छोटे-छोटे रोजगार ओं की भी जानकारियां ले रहे हैं

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  156. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा सन् 2012 में व्यवसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा के साथ जोड़ने का फैसला किया है जिससे बच्चे अपने तकनीक कौशलों विकास कर वे स्वयं रोजगार के अऔसर खोज सके । जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा आत्मनिर्भर बन सके ।व्यवसायिक शिक्षा से बच्चे खुद को नौकरी,व्यापार , शिल्प या तकनीशियन के रुप में तैयार कर पाते हैं तथा अपनी मनपसंद कैरियर की ओर आगे बढ़ते हैं,अपना भविष्य गढ़ते हैं।

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  157. अकादमिक शिक्षा के साथ साथ व्यवसायिक शिक्षा जीवकोपार्जन के लिए आवश्यक है जिसमें बच्चें अपने आप को शिल्प,व्यापार सिलाई कढ़ाई,चित्रकारी, तकनीशियन या अन्य कौशलों रूप में अपनी योग्यता को सिद्ध कर भविष्य में आत्मनिर्भर बन सकते हैं। इस पद्धति में शिक्षार्थी सामान्य शिक्षा के साथ औद्योगिक या व्यावसायिक शिक्षा को लाभ कर अपने मनपसंद कैरियर को चुनते हुए एक उज्वल भविष्य की ओर अग्रसर होते हैं।
    अवश्य ही स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली के क्षेत्रों में इन दोनों अवधारणाओं के मिश्रण एक बेहतर विकल्प है।

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  158. व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चों को शिक्षा के साथ साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने के अवसर प्रदान करते हैं और कौशल को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है,माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है जबकि उच्चस्तरीय व्यावसायिक शिक्षा अत्यंत ही महत्वपूर्ण और विश्वस्तरीय होती है, इसमें उच्च कोटि के पेशेवरों द्वारा नौकरी, व्यापार और आधुनिक तकनीकियों के बारे में शिक्षा दी जाती है, जिससे बच्चे भविष्य में अपने इच्छानुसार नौकरी अथवा व्यापार आसानी से कर पाते हैं ।

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  159. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण बच्चों को आरंभ से ही आत्मनिर्भर बनाने का एक अवसर है। केवल औपचारिक शिक्षा बच्चो के ज्ञान में वृद्धि तो कर सकता है लेकिन कौशल निर्माण नही करता। जबकि आज के तकनीकी युग मे बड़ी संख्या में पेशेवरों की आवश्यकता है। इससे रोजगार के क्षेत्र में प्रतियोगिता को संतुलित किया जा सकता है और रोजगार के नए द्वार खोले जा सकते है।

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  160. सामान्य शिक्षा के साथ पूर्व व्यवसायिक शिक्षा एवं व्यवसायिक शिक्षा बच्चों में कौशल विकसित करने का एक बेहतर विकल्प है । ग्रामीण क्षेत्रों के मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चों को शिक्षा के साथ साथ रोजगार उपलब्ध कराने हेतु अथवा रोजगार की ओर उनका ध्यान आकर्षित करने हेतु यह अच्छी पहल है । एक साथ उन्हें ये शिक्षा प्रदान करने से उनके सर्वांगीण विकास में काफी सहायता मिल सकती है ।

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  161. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षाबच्चों को रोजगार परक व्यवसाय से जोड़ता है एवं बच्चों में कौशल विकास में सहायक है इसकी शरुआत उच्च प्राथमिक कक्षा से होकर माध्यमिक, इंटरमीडियेट, शिक्षा प्राप्त करते करते छात्रों में भावी लक्ष्य निर्धारित करती है तथा यह लक्षयहीन उच्च शिक्षा प्राप्त करने वालों को एक सही दिशा देती हैइस तरह कौशल विकसित उच्च कोटि के पेशेवर तैयार होते हैं जो देश को विकसित कौशल वाला मानव संसाधन उपलब्ध कराते हैं।

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  162. शिक्षा के रोजगारपरक होने से मानव अपने संसाधन रूप में देश के विकास में अपना योगदान देता है।सिर्फ किताबी ज्ञान के प्राप्ति से बच्चों में प्रायोगिक ज्ञान का भारी अभाव रह जाता है। जिससे बच्चों के पास डिग्रियां तो रहती है परन्तु व्यावहारिक कौशल की कमी रह जाती है। अपने सीखे हुए ज्ञान का व्यावहारिक प्रयोग का अवसर व्यावसायिक शिक्षा हमें प्रदान करता है। बच्चे अपने वर्ग कक्ष में सीखे ज्ञान का साक्षात् अनुभव प्राप्त करते हैं।जो कि चिरस्थाई तथा विनिर्माण हेतु आवश्यक गुणों का विकास करती है। अत: व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक स्तर पर एक अनिवार्य सोपान है।

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  163. Laltu Pramanik
    P.S.Kendadangri
    Chakuliya,East Singhbhum.
    Vyasayik shiksha aatmanirbhar Jivan our Aatmanirbhar bharat ke liye atyant aavashyak hai.

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  164. व्यावसायिक शिक्षा को औपचारिक शिक्षा से जोड़कर पढ़ने का शिक्षा विभाग का नूतन पहल (2012) तकनीक रूप से सक्षम और स्वावलंबी युवा को तैयार करना है जो आर्थिक और विकासशील भारत की पहचान बने

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  165. व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चों को शिक्षा के साथ साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने के अवसर प्रदान करते हैं और कौशल को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है,माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है जबकि उच्चस्तरीय व्यावसायिक शिक्षा अत्यंत ही महत्वपूर्ण और विश्वस्तरीय होती है, इसमें उच्च कोटि के पेशेवरों द्वारा नौकरी, व्यापार और आधुनिक तकनीकियों के बारे में शिक्षा दी जाती है, जिससे बच्चे भविष्य में अपने इच्छानुसार नौकरी अथवा व्यापार आसानी से कर पाते हैं ।

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  166. सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का एकीकरण करने से हमारी सोच पहले से ही जीवनयापन संबंधी व्यवसायों से परिपूर्ण रहती है । व्यावसायिक शिक्षा को औपचारिक शिक्षा से जोड़कर पढ़ने का शिक्षा विभाग का नूतन पहल (2012) तकनीक रूप से सक्षम और स्वावलंबी युवा को तैयार करना है जो आर्थिक और विकासशील भारत की पहचान बने केवल सरकारी नौकरी के भरोसे ही ना रहकर स्वयं का व्यवसाय भी आरंभ कर सकते हैं ।

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  167. TAPAS KUMAR PATHAK, U.M.S SIRPURIA, Nirsha, Dhanbad, Jharkhand

    व्यावसायिक शिक्षा हमारे वर्तमान जीवन में बहुत ही अहम भूमिका निभा रही हैं ।
    जम बच्चे हमारे विद्यालय में सामान्य शिक्षा ग्रहण करते हैं लेकिन हमारे विद्यालय के पाठ्यक्रम में सामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा को जिस हद तक बच्चों के वर्गवार या बच्चों के अनुरूप जोड़ा गया है और थोड़ा ज्यादा जोड़ा जाना चाहिए साथ ही साथ विद्यालय में संसाधनों का उपलब्धता भी होना चाहिए।
    सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा को देने से बच्चे आत्मनिर्भर बनेगा साथ ही साथ बच्चों में तार्किक शक्ति का विकास होगा आगे उच्च वर्ग में चलकर बच्चों में व्यावसायिक प्रशिक्षण पर भी ध्यान देंगे।
    बच्चों में व्यावसायिक शिक्षा ज्ञान होने से भविष्य में वह स्वरोजगार बन पाएँगे । नए नए प्रयोग कर पाएँगे हमारे घरों में छोटे छोटे होने वाले असुविधा को हल कर पाएँगे।
    आज वर्तमान में व्यावसायिक कौशल के ऊपर अधिक से अधिक सिखने और सिखाने पर ज्यादा जोर दिया गया है क्योंकि जिस तरह से हमारे विश्व में उद्योग बढ़ रहे हैं सामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा का ज्ञान होने से भविष्य में बेरोजगार की समस्या बच्चों उत्पन्न नहीं होगी।

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  168. वर्तमान परिवेश में वोेकेशनल कोर्स का होना बहुत जरूरी है। क्योंकि इसके न होने से देश में वेरोजगार जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती है।

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  169. बच्चों में यदि प्राथमिक कक्षाओं से ही उनके रोजगार की मानसिकता और दक्षता को देखते हुए पाठ यदि पढ़ाया जाए तो आगे चलकर भविष्य में बेरोजगारी की समस्या से निदान पाना बहुत ही आसान हो जाएगा आज बहुत से युवा बेरोजगार भटक रहे हैं नौकरी की तलाश मेंवह अपने स्वरोजगार कर पाएंगे जिससे उनकी परिवारिक आर्थिक स्थिति मजबूत होगी किसी को रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा बच्चों की रुझान किस दिशा में है वह शिक्षकों को पहले ही पता चल जाएगा

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  170. तकनीकी दृष्टिकोण से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है।

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  171. सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का एकीकरण हेतु बेहतर विकल्प है। इससे भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से आत्मनिर्भर बन सकेगा। हम केवल सरकारी नौकरी कहीं भरोसे ना रहकर स्वयं का व्यवसाय भी आरंभ कर सकते हैं, उन विद्यार्थियों के लिए विशेष उपयोगी रहेगा जो उच्च शिक्षा रुचि ना रहते हुए भी लेने के लिए मजबूर होते हैं। यह आत्मनिर्भर भारत बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।

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  172. व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जो बच्चों को शिक्षा के साथ साथ रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने के अवसर प्रदान करते हैं और कौशल को विकसित करने में भी सहायता प्रदान करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है,माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही प्रारंभिक स्तर की होती है जबकि उच्चस्तरीय व्यावसायिक शिक्षा अत्यंत ही महत्वपूर्ण और विश्वस्तरीय होती है, इसमें उच्च कोटि के पेशेवरों द्वारा नौकरी, व्यापार और आधुनिक तकनीकियों के बारे में शिक्षा दी जाती है, जिससे बच्चे भविष्य में अपने इच्छानुसार नौकरी अथवा व्यापार आसानी से कर पाते हैं ।

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  173. व्यावसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है ।व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण है इससे बच्चो में आत्मविश्वास बढ़ेगा और वो आत्मनिर्भर बनेंगे।बच्चों को भविष्य में जीने की नई राह मिलेगी।व्यावसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा से जोड़ना अच्छी पहल है इसमें बच्चे अपनी रुचि अनुसार कौशल विकसित कर अपना रोज़गार प्राप्त कर सकते हैं ।

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  174. व्यवसायिक शिक्षा में शिक्षार्थी अकादमिक ज्ञान के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा को ग्रहण करके आत्मनिर्भर बन सके। इस प्रकार युवा वर्ग में स्वरोजगार का अवसर मिल सकेगा।

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  175. व्यवसायीक शिक्षा रोजगार परक शिक्षा है जो बच्चो को रोजगार से जोड़ने का कार्य करेगा यह बहुत ही जरूरी भी था।

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  176. This comment has been removed by the author.

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  177. Ha barsat me maleria jaise bimari hoti hai

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  178. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सन् २०१२ में व्यावसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा में जोड़ने का फैसला किया, ताकि बच्चों को शुरू से ही रोजगार के अवसर प्राप्त हो जाएं और वह बच्चें कक्षा ९वीं से १२वीं तक लगातार व्यावसायिक शिक्षा के बारे में अध्ययन करते रहे, व्यावसायिक शिक्षा से तात्पर्य हमारा यह हैं,कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।

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  179. व्यवसायिक शिक्षा माध्यमिक और उच्च उच्च शिक्षा स्तर पर हो सकती है व्यवसायिक शिक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण है इससे बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ेगा और वह आत्मनिर्भर बनेंगे। बच्चों को भविष्य में जीवन की नई राह मिलेगी। व्यवसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा से जोड़ना अच्छी पहल है। इससे बच्चे अपनी रुचि अनुसार कौशल विकसित कर अपना रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।

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  180. सूचना और संचार प्रोदयोगिकी या ICT में पाठ्यपुस्तक से परे जाने और जो कुछ बच्चे सिखते हैं उस से बेहतर अर्थ जानने की अपार संभावनाएँ हैं।ऐसे सिखने में बच्चे अपने ज्ञानेंद्रियो को शामिल करते हैं ।

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  181. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा सन् 2012 में व्यवसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा के साथ जोड़ने का फैसला लिया है- जिससे बच्चे अपने तकनीकी कौशलों का विकास कर वे स्वयं रोजगार के अवसर खोज सकें|जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा आत्मनिर्भर बन सकें|व्यवसायिक शिक्षा से बच्चे खुद को नौकरी, व्यापार, शिल्प या तकनीशियन के रूप में तैयार कर पाते हैं तथा अपनी मनपसंद कैरियर की ओर अग्रसर होते हैं, अपनी भविष्य गढ़ते हैं|

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  182. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा व्यवसायिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है । इसके अंतर्गत कक्षा 6-8में पूर्व व्यवसायिक शिक्षा फिर कक्षा 9से ऊपर में व्यासयिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है जिससे बच्चे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेंगे । स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे

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  183. मानव संसाधन विकास विभाग भारत सरकार के द्वारा व्यवसायिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है । इसके अंतर्गत कक्षा 6-8में पूर्व व्यवसायिक शिक्षा फिर कक्षा 9से ऊपर में व्यासयिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है जिससे बच्चे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेंगे । स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे

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  184. व्यावसायिक शिक्षा से तात्पर्य हमारा यह हैं,कि हम छोटे-छोटे तकनीकी कौन से परिधित होकर स्वयं रोजगार के अवसर, अवसर खो सकते हैं। जिससे आने वाले भविष्य में प्रत्येक बच्चा रोजगार की तरफ से स्वयं आत्मनिर्भर बन सके।व्यावसायिक शिक्षा नौकरियों, जैसे एक व्यापार, शिल्प, या एक तकनीशियन के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। व्यावसायिक शिक्षा को कभी-कभी करियर शिक्षा या तकनीकी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। एक व्यावसायिक स्कूल एक प्रकार का शैक्षणिक संस्थान है जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

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