आपकी कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए कहानी में से क्या क्रिया बिंदु प्राप्त होते हैं? अपनी समझ साझा करें ।
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विविधता को संबोधित करने के लिए
ReplyDeleteबहुत-साधन प्रस्तुति, बहू-साधन अभिव्यक्ति और बहुत-साधन संलिप्तता इन तीनों का उपयोग विविधता को संबोधित करने के लिए किया जाना चाहिए
Deleteबच्चो की अपनी वक्तिगत भिन्नता होती ही उन्हें जान कर उन्हीं के समझ के अनुसार शिक्षा प्रदान करनी चाहिए
Deleteअलग अलग बच्चों की अलग अलग भिन्नता/विविधता होती है। उन्हें पहचान कर उनकी विविधताओं के परिप्रेक्ष्य में शिक्षा प्रदान करनी चाहिए।
Deleteप्रत्येक बच्चों में व्यक्तिगत भिन्नताएँ पाई जाती है.सिखने की क्षमता भी अलग अलग होती है. एक हीं कक्षा में सभी बच्चों को उनकी विविधता को पहचानकर शिक्षण करना चाहिए.
Deleteबच्चो की अपनी वक्तिगत भिन्नता होती ही उन्हें जान कर उन्हीं के समझ के अनुसार शिक्षा प्रदान करनी चाहिए
ReplyDeleteव्यक्तिगत विभिन्नता को समझ कर उचित व्यवस्था का बच्चों को शिक्षा प्रदान किया जाए जिससे शिक्षा का उद्देश्य पूरा हो
ReplyDeleteविविधता को समझ कर बच्चो की शिक्षा का उचित प्रारूप बनाना ।
ReplyDeleteव्यक्तिगत विभिन्नता को समझ कर उचित व्यवस्था का बच्चों को शिक्षा प्रदान किया जाए जिससे शिक्षा का उद्देश्य पूरा हो, बच्चो की अपनी वक्तिगत भिन्नता होती ही उन्हें जान कर उन्हीं के समझ के अनुसार शिक्षा प्रदान करनी चाहिए|
ReplyDeleteक्लास के सभी बच्चों की व्यक्तिगत विभिन्नता को समझ कर अगर शिक्षा दी जाती है तो बच्चों को उसे आत्मसात करने में आसानी होती है और वे सब्जेक्ट को अच्छे से समझ पाते है|
ReplyDeleteEvery student has his own interes and ability and the knowledge imparted in accordance with those traits leads to Florence of the students
ReplyDeleteव्यक्तिगत विभिन्नता को समझ कर उचित व्यवस्था का बच्चों को शिक्षा प्रदान किया जाए जिससे शिक्षा का उद्देश्य पूरा हो, बच्चो की अपनी वक्तिगत भिन्नता होती ही उन्हें जान कर उन्हीं के समझ के अनुसार शिक्षा प्रदान करनी चाहिए|
ReplyDeleteReply
Nice thought
Deleteहम सबका अंगूठा एक समान नहीं है। बच्चों का अपना स्वभाव अपनी व्यक्तिगत विशेषताएँ है, इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए विद्यार्थियों को शिक्षा दी जानी चाहिए।
ReplyDeleteThere are individual differences among the students.They must be taught according to their level and understanding
ReplyDeleteसभी बच्चे अपने आप में अद्वितीय होते हैं।बच्चों की व्यक्तिगत भिन्नताओं का सम्मान करते हुए सकारात्मक पक्ष उभारना चाहिए।
ReplyDeleteसभी बच्चो मे छुपी हुई प्रतिभा होती है एक शिक्षक होने के नाते हमारा यह कतर्व्य है उनको समान मौका दिया जाय ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो और वे अलग होते हुए भी सबके साथ साथ चले
ReplyDeletebachcho ko unki bhinnata aur unki chhamta ko samajh kar siksha di jaani chahiye.aur sikshan ke udeshya ko pura ki jaaye
ReplyDeleteStudents comes from different background which may be either physical or mental or social or economical, but at first we have to accept the differences and individual differences and have to be changed ideology accordingly.we must try to enhance those qualities in which they can do more better than previous.
ReplyDeleteहर बच्चा किसी न किसी फील्ड में विशेष होते है।
ReplyDeleteवैयक्तिक विभिन्नता को ध्यान में रखकर बनाई गई पाठचर्या ही बच्चों के सर्वांगीण विकास को तय करती है। सभी बच्चों को एक ही तरह से एक ही राह पर चलने को विवश करने वाली पाठ्यचर्या से अधिकांश छात्रों में विकास की जगह उनकी अन्तर्निहित गुणों का भी ह्रास हो जाता है। अतः: यह आवश्यक है कि पहले बच्चे को समझने और जानने का प्रयास किया जाए तथा उन्हें स्वयं को बताने का अवसर दिया जाए।
ReplyDeleteविद्यालय की गतिविधियों में छात्रों को चयन का अवसर दिया जाए। जरूरी नहीं कि जो संगीत में अच्छा है वह विज्ञान में भी अच्छा करे। दोनों दो अलग-अलग क्षेत्र हैं दोनों ही अपना सामान महत्त्व रखते हैं।
प्रत्येक बच्चा एक विशेष गुण लिए होता है।हमे बच्चों को समझना होगा और उनके जरूरत के अनुसार ही विषयों को तैयार करना होगा जिससे हर बच्चे में कुछ सीखने की उत्सुकता बनी रहे।
ReplyDeleteहर बच्चा एक विशेष गुण वाला होता है
ReplyDeleteकहानी के माध्यम से आपका समझना पसंद आया। प्रत्येक विद्यार्थी अपनी विविधता और विशिष्टता के साथ विद्यालय में प्रविष्ट होता है। हमें व्यक्तिगत विविधता का सम्मान करते हुए शिक्षण को सार्थक आयाम तक ले जाना है। कहानी के अनुसार जैसे बत्तख़ और गिलहरी की अपनी योग्यता तथा पेड़ और पानी में तैरने-चढ़ने की प्रतिभा होती है, वैसे ही प्रत्येक इंडिविजुअल में कुछ खास बात होती है,एक शिक्षक होने के नाते हमें उसकी इस प्रतिभा को परिमार्जित करने वाली स्किल से संबंधित शिक्षण को बढ़ावा देना चाहिए।
ReplyDeletevijay.mahto84@gmail.com
Deleteये सही है कि बच्चों में जन्म से एक विशेष गुण होता है जिसमें वो निपुण होते है परंतु आज के दौर में चूंकि हमारा समाज तेजी से प्रगति कर रहा है ऐसे में अगर बच्चे को सिर्फ उसके पसन्दीदा या जिसमे वो निपुण है उस कार्य को करवाना उसके अन्य छुपी हुई प्रतिभाओं की अनदेखी होगी।इसीलिए हमें बच्चों की विवधताओं को ध्यान में रखकर उन्हें हर कार्य को करने के लिए प्रेरित करना होगा।परन्तु हमे ये ध्यान में भी रखना होगा कि इस कार्य मे उनको किसी प्रकार का मानसिक दबाव न हो।
ReplyDeleteWe should teach students according to their requirements according to gender, language,local environment etc
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे में कोई न कोई विशेष योग्यता होती है.उनकी योग्यतानुसार ही विषयों की व्यबस्था करने से उनके व्यक्तित्व का विकास होगा
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे में कोई न कोई विशेष गुण होते हैं.उनके गुण के आधार पर ही शिक्षक्षण व्यवस्था करने से उनके लिए सार्थक होगा|
ReplyDeleteबतख और खरगोश की तरह ही बच्चों को उनकी दक्षताओ, योग्यता और रुचियों को जाने बिना सीखना।
ReplyDeleteTeaching-learning methods should be very much flexible with respect to cognitive domain of every students.
ReplyDeleteहर एक यकीन करना है ब च च में व वि विन्नताए पाई जाती है उनकी प्रतिभा को प ह का कर उनके अनुरूप शि दक्ष्ण दे ना है
ReplyDeleteबतख और खरगोश की तरह ही बच्चों को उनकी दक्षताओ योग्यताओं और रुचियों को जाने बिना सीखाने से उनमें सीखने के प्रति रुचि नहीं रहती है और नतीजा खरगोश की तरह बच्चे विधालय से भागने लगते हैं। द्वारा - प्रीति पाठक
ReplyDeleteकिसी भी कक्षा में सभी बच्चों की किसी भी एक विषय पर समान रूप से दक्षता नहीं होती। बच्चों को उनके मानसिक स्तर को समझ कर पढ़ाने पर बेहतर परिणाम की उपलब्धि होती है।बच्चे अलग अलग परिवेश से आते हैं ऐसे में सबकी मानसिक दक्षता एक समान हो ये संभव नहीं है। ऐसे में हम शिक्षकों की ही ज़िम्मेदारी बनती है कि हम उन्हें उनके हिसाब से पढ़ाएं।
ReplyDeleteअक्सर ऐसा पाया है कि बच्चे पढ़ाई में रूचि भी तभी लेते हैं जब उन्हें उनकी रूचि समझ कर पढ़ाया जाए।
ReplyDeleteवर्गवार समूह बनाकर विद्यार्थीयों अध्यापन का कार्य करूँगा
ReplyDeleteसभी बच्चो मे छुपी हुई प्रतिभा होती है एक शिक्षक होने के नाते हमारा यह कतर्व्य है उनको समान मौका दिया जाय ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो और वे अलग होते हुए भी सबके साथ साथ चले
ReplyDeleteReply
बच्चोंको उनकी मानसिक स्तर के जॉंच करने के बाद पढ़ाना चाहिये
ReplyDeleteउनके योग्यता को पह्चान कर उन्हे निखारने का प्रयास करना चाहिये
Nice thoght
ReplyDeleteIsme Bache ek dusre ko dekh kar school Jane sikhega
ReplyDeleteNacho ka mansik star badgega
प्रत्येक बच्चा विशिष्ट गुण लेकर पैदा होता है l आवश्यकता है उसके विशिष्ट गुण को पहचान कर उसको उसी विशिष्टता के साथ शिक्षित करने की l इसके लिए अलग क्लासरूम की आवश्यकता नहीं है बल्कि समावेशी पर्यावरण में ही प्रत्येक बच्चे के लिए व्यवस्था करने की जरूरत है नहीं तो बत्तख वाली हाल हो जाएगी l
ReplyDeleteबहु-साधन प्रस्तुति,बहु-साधन अभिव्यक्ति तथा बहु-साधन संलिप्तता का उपयोग विविधता को सम्बोधित करने के लिए किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteविद्यार्थियों से निरंतर मोबाइल के माध्यम से संपर्क स्थापित कर उनसे जुड़ा रहा। ऑनलाइन कंटेंट,ऑनलाइन क्लास,ऑनलाइन क्विज इत्यादि के माध्यम से विद्यार्थियों को निरन्तर ज्ञान देने का प्रयास कर रहा हूँ।
ReplyDeleteबच्चे की उनकी व्यक्तिगत भिन्नता और योग्यता के आधार पर शिक्षा देनी चाहिए।
ReplyDeleteहमारे विद्यालय में विभिन्न,परिवेश से विभिन्न प्रकार की क्षमता एवं योग्यता वाले बच्चे आते हैं|अतः हमें सभी बच्चों को ध्यान में रखते हुए उनकी रूचियो, इच्छाओं को प्रोत्साहित करने की चेष्टा करना चाहिए, ताकि बच्चों में विद्यालय के प्रति आकर्षण हो|हमें सभी बच्चों को बिना भेदभाव किए, सभी को साथ लेकर चलना चाहिए|
ReplyDeleteClass k sabhi ke waiktigat wibhinnata ko agar samajhte huwe education di jaye to bachchon k ander self confidence aata h Or woh kisi bhi topic ko samajh sakte hn
ReplyDeleteकहानी के माध्यम से आपका समझाना पसंद आया। प्रत्येक विद्यार्थी अपनी विविधता और विशिष्टता के साथ विद्यालय में प्रविष्ट होता है। हमें व्यक्तिगत विविधता का सम्मान करते हुए शिक्षण को सार्थक आयाम तक ले जाना है। कहानी के अनुसार जैसे बत्तख़ और गिलहरी की अपनी योग्यता तथा पेड़ और पानी में तैरने-चढ़ने की प्रतिभा होती है, वैसे ही प्रत्येक इंडिविजुअल में कुछ खास बात होती है,एक शिक्षक होने के नाते हमें उसकी इस प्रतिभा को परिमार्जित करने वाली स्किल से संबंधित शिक्षण को बढ़ावा देना चाहिए।
ReplyDeleteCoronavirus ke samay main bacchon ka Whatsapp ke madhyam se class liya
ReplyDeleteजानवर और इंसान में मैं काफी अंतर होता है इंसान वह सभी काम कर सकता है जो कि जानवर नहीं कर पाते हैं प्रत्येक जानवर का एक विशिष्ट गुण होता है परंतु इंसान में कौन सा गुण है यह पता कर पाना काफी दुरूह है ,यह पता करते करते काफी समय निकल जाता है। इंसान का दिमाग सबसे विकसित होता है तो हम इनकी तुलना जानवरों से क्यू करते हैं।
ReplyDeleteव्यक्तिगत विभिन्नता को समझकर उचित व्यवस्था का बच्चों को शिक्षा प्रदान किया जाए जिससे शिक्षा का उद्देश्य पूरा हो। क्लास के सभी बच्चों की व्यक्तिगत विभिन्नताओं को समझकर अगर शिक्षा दी जाती है तो बच्चों को उसे आत्मसात करने में आसानी होती है और वे विषय को अच्छे से समझ पाते हैं।
ReplyDeleteविविधता के केंद्र बिंदु से यह प्राप्त होता है कि हर बच्चा मे एक विशेष गुण होता है।
ReplyDeleteयह कहानी हमारे कक्षा से बहुत मिलती है।इस कहानी से हमे ये पता चलता है कि विद्यार्थी को उनके अभिरुचि के अनुरूप ही शिक्षा देनी चाहिए ,वर्ना बच्चे अपनी अंतर्निहित योग्यता को भी भूल जाएंगे।
ReplyDeleteबच्चे की उनकी व्यक्तिगत भिन्नता और योग्यता के आधार पर शिक्षा देनी चाहिए
ReplyDeleteसभी की अपनी-अपनी जरूरतें, अभिरुचि और जन्मजात गुण हैं, उन सभी का सम्मान करते हुए उनके भिन्न-भिन्न गुणों को और निखारने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteबच्चों में भिन्नता ओर yogyata के आधार पर शिक्षा देना चाहिए
ReplyDeleteवैयक्तिक विभिन्नता (Individual Difference) प्रत्येक व्यक्ति/बच्चा का स्वभाव सिद्ध बात होती है। बच्चों के व्यक्तिगत प्रतिभा, विशेषता और मौलिकता अनन्य एवं अतुल्य होती है। बच्चे अपने आप में विशिष्ट और अद्वितीय होते हैं।
ReplyDeleteराष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 का उद्देश्य समावेशन की नीति है ताकि सभी प्रकार की भिन्नता वाले बच्चों के जीवन के सभी क्षेत्रों में भागीदारी सुनिश्चित हो सके।उनके उन्मुखीकरण तथा समायोजन में ही गुणवत्ता वाली शिक्षा (Quantity Education) की सफलता निहित है। इस प्रक्रिया से सभी विद्यार्थी शिक्षा को सर्वांगीण रूप से ग्रहण और आत्मसात कर पाएंगे। कक्षा में गुणों की विविधता एवं अनुभवों के प्रति संवेदनशीलता के साथ सम्मान पूर्वक व्यवहार और अधिगम प्रदान करने से समावेशी शिक्षा का आधारभूत उद्देश्य सफल सार्थक रूप से चरितार्थ हो पाएगा।
John stephan hansda ums Barmasia 15.8.2021 alag alag bachon me pahle se hi kuch vises talent rahta hai hame unhe aur bhi adhik softly sikha kar ya unke khamta ke anusar viksit karna hai hame apne niyam 'vicar vyahar ya Anusara ityadi ladna nahi hai nahi to jo bhi ve Janet hai usse being pichar jayenge
ReplyDeleteविधालय में विभिन परिवेश से विभिन्न
ReplyDeleteछामता और योगयता वाले बच्चे आते हैं अतः हमें बच्चो की
रूचि और इच्छाओ को प्रोतसाहित करके सभी बच्चो पर
धयान देना है।
Student me jo maulik gun hai us par focus karna chahiye sabhi ko ek hi mapdand par nahi parkhna chahiye
ReplyDeleteव्यक्तिगत विभिन्नता को समझकर उचित व्यवस्था का बच्चों को शिक्षा प्रदान किया जाए जिससे शिक्षा का उद्देश्य पूरा हो। क्लास के सभी बच्चों की व्यक्तिगत विभिन्नताओं को समझकर अगर शिक्षा दी जाती है तो बच्चों को उसे आत्मसात करने में आसानी विविधता के केंद्र बिंदु से यह प्राप्त होता है कि हर बच्चा मे एक विशेष गुण होता है।विविधता के केंद्र बिंदु से यह प्राप्त होता है कि हर बच्चा मे एक विशेष गुण होता है।
ReplyDeleteIn my point of view every student is having different qualities and ability to observe the subject matter.we have to recognise their interest and ability in such field and provide them opportunity to achieve success in life.
ReplyDeleteव्यक्तिगत विभिन्नता को समझ कर उचित व्यवस्था का बच्चों को शिक्षा प्रदान किया जाए जिससे शिक्षा का उद्देश्य पूरा हो, बच्चो की अपनी व्यक्तिगत भिन्नता होती ही उन्हें जान कर उन्हीं के समझ के अनुसार शिक्षा प्रदान करनी चाहिए,जिससे बच्चो,के रूची के विषयो मे अधिक प्रखरता आऐगी।
ReplyDeleteहमे बच्चों की मनोविज्ञान को समझते हुए उनके रुचि के अनुसार बाल केंद्रित शिक्षण बिधि द्वारा सभी बच्चों को सीखने का अवसर देना है ।
ReplyDeleteEvery child is unique and has different kind of thought, mental ability, interest.so according to their need and understanding we have to give them education
ReplyDeleteBchcho ki oyaktigt vinnta ko smjh kr
ReplyDeleteUnke wyaktigt guno ke aadhar pr unka baudhik, samajik, sanskritik aur saikshik vikas krna
Bacche ki shamta aur Ruchi ke anusar pathyakram ho to use sikhane mein aur aage badhane mein sahaj mahsus hogi
ReplyDeleteHame bachhon ki samasyaon unki ruchi yogyata aur chhamta ke anusar padhana chahiye
ReplyDeleteबच्चों के जरूरत के अनुसार पढ़ने में पढ़ाने की विधि और ढंग को बदलना चाहिए बच्चों के गुणों और अनुभव के प्रति परस्पर सम्मान रखना चाहिए । बच्चों में उनके अंदर निहित निपुणता एवं कौशल के अनुसार उसका विकास करना चाहिए । बच्चों पर ना पढ़ने का दोष नहीं देना चाहिए बल्कि हमें उसे लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए मिलकर सिस्टम अप्रूव करना है। कक्षा को समावेशी बना कर रखना चाहिए। भेदभाव कुछ के लिए विशेषाधिकार बनाता है और अन्य के लिए नुकसान करता है। बच्चों के बीच सभी प्रकार के भेदभाव को मिटाने और मतभेदों के बीच संबंध स्थापित करने के लिए मिलकर काम किया जाए।
ReplyDeleteHer baccha kisi ek field me special hota hai.
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे में अलग अलग गुण विशिष्टता होती है उनकी विशिष्टता के अनुसार शिक्षा देनी चाहिए
ReplyDeleteबच्चों की खूबियों को पहचान कर हम उसे आगे बढ़ने को प्रोत्साहित करेंगे।
ReplyDeleteStudents should be facilitated according to their individual differences.
ReplyDeleteOk
ReplyDeleteSabhi bacho k vividhata ko dhyan m rakh kar hi curriculum bnana chahiye. Sarwanging vikas k liye bacho ki vividhta aur unke ruchi ko dhyan m rakh kar unhe protsahan dena chahiye taki wo apni vividhta s apni alag pehchan bna ske.
ReplyDeleteVyaktigat vibhinta ko samajhkar uchit vyavastha kar bacchon ko shiksha pradan kiya jaaye jisse shiksha ka uddeshy pura ho bacchon ki vyaktigat vibhinta hoti hai unhen pahchan kar unhen ki samajh ke anusar shiksha pradan karni chahiy
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे में कुछ कमियों के साथ साथ कुछ विशेष योग्यता या विशेषता होती है, बच्चे के विशेषता को ध्यान में रखते हुए उसकी शिक्षा होनी चाहिए
ReplyDeleteसभी बच्चों में अलग-अलग खासियत या विशेषताएं होती है । उन विशेषताओं पर ध्यान रखते हुए उनको शिक्षा देनी होगी।
ReplyDeleteव्यक्तिगत विभिन्नता को समझ कर उचित व्यवस्था का बच्चों को शिक्षा प्रदान किया जाए जिससे शिक्षा का उद्देश्य पूरा हो, बच्चो की अपनी वक्तिगत भिन्नता होती ही उन्हें जान कर उन्हीं के समझ के अनुसार शिक्षा प्रदान करनी चाहिए| बहुत-साधन प्रस्तुति, बहू-साधन अभिव्यक्ति और बहुत-साधन संलिप्तता इन तीनों का उपयोग विविधता को संबोधित करने के लिए किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteहमें बच्चो की
ReplyDeleteरूचि और इच्छाओ को प्रोतसाहित करके सभी बच्चो पर
धयान देना है।
सभी बच्चों की अपनी अपनी विशिष्टता होती है और सभी बच्चे एक दूसरे से अलग हैं उनका अधिगम स्तर समझ सब अलग अलग होती है जिसका हमे सम्मान करते हुए और इस विशिष्टता को ध्यान में रखते हुए शिक्षण कार्य करनी चाहिए
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की व्यक्तिगत प्रतिभा, क्षमता और मौलिकता अनन्य एवं अतुल्य होती है। बच्चे अपने आप में विशिष्ट और अद्वितीय होते हैं। इसीलिए हमें बच्चों की विविधताओं को ध्यान में रखकर, समावेशी शिक्षा के कक्षा में गुणों की विविधता एवं अनुभवों के प्रति संवेदनशीलता के साथ सम्मान पूर्वक व्यवहार और अधिगम प्रदान करने से समावेशी शिक्षा का आधारभूत उद्देश्य सफल सार्थक रूप से चरितार्थ हो पाएगा।
ReplyDeleteबच्चों की व्यक्तिगत विभिनताओं को देखते हुए अच्छी शिक्षा हेतु उचित व्यवस्था करनी चाहिए जिससे शिक्षा का उद्देश्य पूरा हो सके।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चों में मान्सिक शारीरिक एवं सिखने के स्तर पर विविधता पाईजाती है, अत:इन विविधताओं को पहचानकर शिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए.
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की सीखने और समझने की क्षमता अलग अलग होती है। कक्षा में इस विविधता को ध्यान में रखकर शिक्षण कार्य करनी चाहिए।
ReplyDeleteव्यक्ति भिन्नता प्राकृतिक है इसका सम्मान होना चाहिए। सभी के अंदर कोई न कोई योग्यता होती है उसे पहचांचने की जरूरत है न की उस विशेष योग्यता को दबाने की
ReplyDeleteसभी बच्चो मे छुपी हुई प्रतिभा होती है एक शिक्षक होने के नाते हमारा यह कतर्व्य है उनको समान मौका दिया जाय ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो और वे अलग होते हुए भी सबके साथ साथ चले।
ReplyDeleteसभी बच्चों में अलग-अलग विशेषता होती है। उन विशेषताओं को पहचान कर यदि उन्हें शिक्षा दी जय तो वे बेहतर कर पाएंगे। सभी बच्चों को शिक्षण के एक ही मापदंड से मापना अनुचित है।
ReplyDeleteव्यक्तिगत विभिन्नता को समझकर उचित व्यवस्था का बच्चों को शिक्षा प्रदान किया जाए जिससे शिक्षा का उद्देश्य पूरा हो। क्लास के सभी बच्चों की व्यक्तिगत विभिन्नताओं को समझकर अगर शिक्षा दी जाती है तो बच्चों को उसे आत्मसात करने में आसानी होती है और वे विषय को अच्छे से समझ पाते हैं।
ReplyDeleteSabhi students me alag alag visheshtayein hoti hain..agar un visheshtaon ko pehchan Kar unhe shiksha di Jaye to wo behtar Kar paenge..sabhi bachho ko ek hi mapdand se maapna anuchit Hai
ReplyDeleteNirmala kumari (teacher)
Ms karkoma,Meral
Dis-Garhwa
Jharkhand