प्रारंभिक वर्षों में बच्चों को आपके द्वारा दिए गए अनुभवों पर विचार करें। क्या सभी बच्चों को समान शिक्षण प्रदान किया जा रहा है और उनकी निश्चित परीक्षण सारणी है या सीखने में विविधता को ध्यान में रखा जाता है? आपके विचार में शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग के क्या लाभ/सीमाएँ हैं? अपने विचार साझा करें।
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ReplyDeleteBal kendrit shikshan pranali yek bahut hi aachhi pranali hai es pranali me student ki sahbhagita 100/ hota hai jisase student bahut jald concept ko samjh banate hain
DeleteSexy bacchon ka sikhane ka Aastha alag alag Hote Hain tatha unke rotiyan bhi alag alag Hote Hain inke sarvangeen Vikas ke liye shiksharthi kendrit paddti Kafi kargar Honge
Deleteबच्चो के अनुभवों को शिक्षण में उपयोग करने से लाभ होंगे।बच्चों के अनुभवों से बच्चों को समझने में भी मदद मिलेगी।
DeleteShiksharthi kendrit padti kafi kargar honge
DeleteThis could be very benificial for every grade of students.This could be mentally, physically fit for the students.
DeleteGouri Sahu
MAHESHPUR, PAKUR, 816106
शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग से बहुत से लाभ हो सकते हैं जैसे बच्चे अपने पूर्व के अनुभवों का प्रयोग कर खुल कर प्रयोग कर सकेंगे।
ReplyDeleteसभी वर्ग के बच्चों को शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति के प्रयोग समान रूप से सभी बच्चों पर शिक्षकों को शिक्षणरुपी के साथ-2 रुचिकर ढंग से एवं लचीलापन पढ़ाने की आवश्यकता हैं।जिससे सभी वर्ग के बच्चें लाभान्वित हो सके।।धन्यवाद।।
ReplyDeleteशिक्षक होने के नाते मैं यह अनुभव करता हूँ कि सभी विद्यार्थियों के भाषायी कौशलों,दृश्यगत्यात्मक कौशलों सामाजिक तत्परता के स्तरों में भिन्नता,मौखिक भाषा के स्तरों में भिन्नता और घर की पृष्ठभूमि में विविधता के परिणाम स्वरूप भिन्नता हो सकती है जिसके कारण सीखने की अलग-अलग आवश्यकताएँ हो सकती है।ऐसी परिस्थिति में शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा देने की आवश्यकताएँ महसूस की जाती है,जिनके लाभ निम्नवत हो सकते हैं:-
ReplyDelete01) शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा में बच्चे अपने गति से सीखते हैं।
02)इस शिक्षण विधि से बच्चे विभिन्न गतिविधियों,अनुभवों,कला,खेल,तकनीक आदि के एकीकरण पर आधारित शिक्षण प्राप्त करते हैं।
03)इस शिक्षण विधि से शिक्षार्थियों का सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा।
04)इस शिक्षण विधि से शिक्षार्थियों के अंदर दक्षता आधारित शिक्षा की अवधारणा की संकल्पना को मूर्तरूप प्रदान किया जा सकेगा।
05)इस शिक्षण विधि से शिक्षार्थियों के अपने घरेलू परिवेश के संसाधनों का बेहतर प्रयोग करते हुए अपने ज्ञानेंद्रियों के आधार पर क्षेत्रीय /मातृभाषाओं में अपना सर्वांगीण विकास कर सकेंगे।आदि।
हालाँकि इस शिक्षण विधि के की सकारात्मक परिणाम संभव दिखलाई पड़ते हैं परन्तु इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगा कि हम सभी शिक्षकगणों,अभिभावकों,समुदायों,प्रशासकों आदि की भूमिका कैसी है।अगर इनके किसी भी स्तर पर सकारात्मक अनुसमर्थन में कमी आयेगी तो निश्चित रूप से इसके प्रतिफलों की प्राप्ति संभव नहीं होगा। अनुशासनात्मक एवं अन्य कई चुनौतियों को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।बहुत-बहुत धन्यवाद।
कौशल किशोर राय,
सहायक शिक्षक (CRG),
उत्क्रमित उच्च विद्यालय पुनासी,
शैक्षणिक अंचल:- जसीडीह,
जिला:- देवघर,
राज्य:- झारखण्ड
पिन:- 814152
सभी बच्चे अलग अलग स्तर के होते हैं इसलिए शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा देने कि आवश्यकता है।
DeleteThis new system would be very beneficial for the students coming from different background e.g socially, economically,educationally etc.
Deletethis new system would be very beneficial for the students coming from different background viz. social economic, educational etc.
ReplyDeleteसभी बच्चों का ज्ञान समान नहीं होता एवं सबकी रुचियां समान नहीं होती । शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति के प्रयोग से बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है।
ReplyDeleteSabhi bacchon ka gyan Saman Nahin Hota AVN sahab ki ruchiya Saman Nahin Hoti shiksharthi kendrit paddti ke prayog se bacchon ka sarvangeen Vikas Hota Hai. Sweta Kumari ,UMS MURAIDIH Baghmara Dhanbad
ReplyDeleteमेरे विचार से शिक्षार्थी केन्द्रित पध्दति के प्रयोग से बच्चों को बहुत ही लाभ मिलेगा । क्योंकि सभी बच्चों की सीखने की गति समान नहीं होती है, साथ ही साथ उनका परिवेश भी अलग अलग होता है । एक ही शिक्षण पध्दति का उपयोग सभी बच्चों पर करने से सभी के लिए कारगर नहीं होती है।अतः शिक्षार्थी केन्द्रित शिक्षण पद्धति का उपयोग कर सभी बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है
ReplyDeleteअनिमा
रा उ म वि मकरा घाघरा
गुमला ।
अनिमा जी के विचारों से मै सहमत हूं
Deleteमो शाहिद आलम
सहायक शिक्षक
रा उ म विद्यालय,कसपोडया
घाघरा,गुमला
I think this method can help all types of students in their physical and mental development
ReplyDeleteबच्चों को बहुत ही लाभ मिलेगा । क्योंकि सभी बच्चों की सीखने की गति समान नहीं होती है, साथ ही साथ उनका परिवेश भी अलग अलग होता है । एक ही शिक्षण पध्दति का उपयोग सभी बच्चों पर करने से सभी के लिए कारगर नहीं होती है।अतः शिक्षार्थी केन्द्रित शिक्षण पद्धति का उपयोग कर सभी बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है
ReplyDeleteबच्चों को बहुत ही लाभ मिलेगा क्योंकि सभी बच्चों की सीखने की गति समान नहीं होती है साथ ही साथ उनका परिवेश भी अलग अलग होता है एक ही शिक्षण पद्धति का उपयोग सभी बच्चों पर करने से सभी के लिए कारगर नहीं होती है अतः शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण पद्धति का उपयोग कर सभी बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है।
ReplyDeleteशिक्षक होने के नाते मैं यह अनुभव करता हूँ कि सभी विद्यार्थियों के भाषायी कौशलों,दृश्यगत्यात्मक कौशलों सामाजिक तत्परता के स्तरों में भिन्नता,मौखिक भाषा के स्तरों में भिन्नता और घर की पृष्ठभूमि में विविधता के परिणाम स्वरूप भिन्नता हो सकती है जिसके कारण सीखने की अलग-अलग आवश्यकताएँ हो सकती है।ऐसी परिस्थिति में शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा देने की आवश्यकताएँ महसूस की जाती है,जिनके लाभ निम्नवत हो सकते हैं:-
ReplyDelete01) शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा में बच्चे अपने गति से सीखते हैं।
02)इस शिक्षण विधि से बच्चे विभिन्न गतिविधियों,अनुभवों,कला,खेल,तकनीक आदि के एकीकरण पर आधारित शिक्षण प्राप्त करते हैं।
03)इस शिक्षण विधि से शिक्षार्थियों का सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा।
04)इस शिक्षण विधि से शिक्षार्थियों के अंदर दक्षता आधारित शिक्षा की अवधारणा की संकल्पना को मूर्तरूप प्रदान किया जा सकेगा।
05)इस शिक्षण विधि से शिक्षार्थियों के अपने घरेलू परिवेश के संसाधनों का बेहतर प्रयोग करते हुए अपने ज्ञानेंद्रियों के आधार पर क्षेत्रीय /मातृभाषाओं में अपना सर्वांगीण विकास कर सकेंगे।आदि।
हालाँकि इस शिक्षण विधि के की सकारात्मक परिणाम संभव दिखलाई पड़ते हैं परन्तु इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगा कि हम सभी शिक्षकगणों,अभिभावकों,समुदायों,प्रशासकों आदि की भूमिका कैसी है।अगर इनके किसी भी स्तर पर सकारात्मक अनुसमर्थन में कमी आयेगी तो निश्चित रूप से इसके प्रतिफलों की प्राप्ति संभव नहीं होगा। अनुशासनात्मक एवं अन्य कई चुनौतियों को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।बहुत-बहुत धन्यवाद।
बच्चों का ज्ञान समान नहीं होता एवं सबकी रुचियां समान नहीं होती । शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति के प्रयोग से बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है।
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित पद्दति के प्रयोग से बच्चों का अधिक विकास संभव है।इससे बच्चों का आत्मविश्वास प्रबल होता है।ये रुचिपूर्ण भी है।परंतु इसकी भी एक सीमा होती है कि बच्चे अनुशासन में रहे ।उपयुक्त संसाधन के साथ ये पद्धति बच्चों के लिए सही सावित हो सकती है ।
ReplyDeleteअक्सर देखा जाता हैं कि विभिन्न प्रकार पृष्टभुमियो के बच्चों का समावेश हमारे विद्यालय होता है।इसलिए एक शिक्षक होने के नाते मैं यह अनुभव करता हूँ कि सभी विद्यार्थियों के भाषायी कौशलों,दृश्यगत्यात्मक कौशलों सामाजिक तत्परता के स्तरों में भिन्नता,मौखिक भाषा के स्तरों में भिन्नता और घर की पृष्ठभूमि में विविधता के परिणाम स्वरूप भिन्नता हो सकती है जिसके कारण सीखने की अलग-अलग आवश्यकताएँ हो सकती है।ऐसी परिस्थिति में शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा देने की आवश्यकताएँ महसूस की जाती है।
ReplyDeletePHULCHAND MAHATO
UMS GHANGHRAGORA
CHANDANKIYARI
BOKARO
Siksharti kendrit sikshan se bachchon ko labh milega kyoki sabhi bachchon ka gyan saman nahi hota hai.
ReplyDeleteSiksharti kendrit shiksha se bochcho ka sarvangin Vikas kiya ja sakta hai.
ReplyDeleteदुसरे भाग मे हम बच्चों की बात बच्चों के ही भाषा मे करते हुए उसे पाठ्यक्रम के अनुसार आगे की बाते करेंगे और दक्ष बनाएँगे ।
ReplyDeleteबच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए इफेलान अति आवश्यक है।यह बाल केंद्रित होता है और इसमें बच्चे पूर्ण रूप से सीख पाते हैं और यह बिल्कुल खेल खेल की विधि के द्वारा सीखना एक सहज गतिविधि है।
ReplyDeleteसभी वर्ग के बच्चों को शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति के प्रयोग समान रूप से सभी बच्चों पर शिक्षकों को शिक्षणरुपी के साथ-2 रुचिकर ढंग से एवं लचीलापन पढ़ाने की आवश्यकता हैं।जिससे सभी वर्ग के बच्चें लाभान्वित हो सके।।बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान बच्चों को उनके वास्तविक जीवन में उपयोग करने के लिए अच्छी अधिगम प्रतिफल अर्जित करने की कोशिश करेंगे।
ReplyDeleteChild development is very important. but EFLN is most important.
ReplyDeleteChild developement is very important.butEFLN is most important.
DeleteChild development is very important. but EFLN Plan is most important
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा से यह लाभ होता है कि बच्चे अपनी अपनी गति से सीख सकते हैं।सभी बच्चे अपने आप मे विशिष्ट होते हैं।
ReplyDeleteइसका हानि यह भी हो सकता है कि कमजोर बच्चे काफी पीछे रह सकते हैं। एक ही वर्ग में बच्चों के बीच मे काफी समानता हो सकती है।
Sikasha kenderit padhati ke prayog se baccho ko bahut hi laabh melega.
ReplyDeleteमेरे विचार से शिक्षार्थी केन्द्रित पध्दति के प्रयोग से बच्चों को बहुत ही लाभ मिलेगा । क्योंकि सभी बच्चों की सीखने की गति समान नहीं होती है, साथ ही साथ उनका परिवेश भी अलग अलग होता है । एक ही शिक्षण पध्दति का उपयोग सभी बच्चों पर करने से सभी के लिए कारगर नहीं होती है।अतः शिक्षार्थी केन्द्रित शिक्षण पद्धति का उपयोग कर सभी बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है
ReplyDeleteसभी बच्चों का ज्ञान एक जैसी नहीं होता है।सभी का रुचि समान नहीं होती हैं। बाल केंद्रित पद्धति के प्रयोग से बच्चों का विकास किया जा सकता हैं।
ReplyDeleteShikhcharthi kendrit padhti ke prayog se bachchon ko unki ruchi aur aabashakta ke anusaar shiksha pradan kiya ja sakta hai jisse unka sarvangin vikas sambhav ho sake.
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित पद्दति के प्रयोग से बच्चों का अधिक विकास संभव है।इससे बच्चों का आत्मविश्वास प्रबल होता है।ये रुचिपूर्ण भी है।उपयुक्त संसाधन के साथ ये पद्धति बच्चों के लिए सही सावित हो सकती है ।
ReplyDeleteइससे बच्चों को बहुत लाभ मिलेगा क्योंकि सभी बच्चों की सीखने की गति समान नहीं होती साथ ही साथ उनका प्रवेश भी अलग-अलग होता है एक ही शिक्षण पद्धति का उपयोग सभी बच्चों पर करने से कारगर नहीं होती अतः शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण पद्धति का उपयोग करते हुए सर्वांगीण विकास किया जा सकता है
ReplyDeleteसभी बच्चों का ज्ञान समान नहीं होता एवं सबकी रुचियां समान नहीं होती । शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति के प्रयोग से बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। आता बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए एक समान शिक्षा पद्धति अति आवश्यक है। ताकि बच्चे बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान तथा भाषा में अपनी समझ बेहतर रूप से समझ बना सके।
ReplyDeleteSikashathi kendrit paddhati ke prayog se baccho ko labh milega kyuki unki ruchi aur aabashyakta ke anusaar shiksha pradan kiya ja sakta hai jisse unka sarvangin vikas sambhav ho sake.
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग से बच्चों को बहुत लाभ मिलेगा। क्योंकि सभी बच्चों की सीखने की गति,एक समान नहीं होती है। बच्चों का परिवेश अलग अलग होता है, घर के पृष्ठभूमि में विविधता होती है, एक ही शिक्षण पद्धति का उपयोग सभी बच्चों पर, कारगर नहीं होती है, इसलिए शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण पद्धति का उपयोग करते हुए बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है।
Deleteशिक्षक होने के नाते मैं यह विश्वास पूर्वक कहा सकता हूं कि सभी बच्चों की भाषायी विविधता, घरेलू वातावरण, मौखिक भाषा विविधता, दृष्यात्मक विभिन्नता,समझ की विभिन्नता आदि के आधार पर समझ अलग-अलग होती है और इस कारण सभी बच्चों का कौशल विकास, ज्ञान एक नहीं होता है। कुछ बच्चे में तो आसानी से भलीभांति समझ विकसित हो जाती है परन्तु कुछ में काफी दिक्कतें आती है। ऐसे में शिक्षार्थी केन्द्रित शिक्षा का अनिवार्य रूप से आवश्यक है। जिनके लाभ निम्नलिखित हैं:-
ReplyDelete01. बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव है।
02. बच्चे अपने गति के अनुसार दक्षता पूर्वक सीख विकसित करते हैं।
03. वे अपनी घरेलू पृष्ठभूमि,भाषायी,देख रेख आदि के अनुसार दक्षता को विकसित करने में सक्षम होते हैं।
04. इस विधि में बच्चों का दृष्यात्मक क्षमता, कौशल विकास आदि का पूर्ण रूपेण विकास होता है।
05. यह सम्पूर्ण रूप से बच्चों के बुद्धि विकास में सफल योगदान देता है।
अपितु इस विधि के व्यापक सफलता संभव है जब तक कि इसमें शिक्षकगणों, समुदायिक सहयोग, अभिभावक सहयोग की अपेक्षा है। बहुत बहुत धन्यवाद।
पंकज कुमार ओझा
सहायक शिक्षक
मध्य विद्यालय झखरा,
अंचल- ठाकुरगंगटी
जिला- गोड्डा।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसीखने के प्रतिफलों का आकलन करने के लिए रचनात्मक आकलन का प्रयोग होता है।
ReplyDeletePremlata devi
G.M.S Pancha Ormanjhi Ranchi Jharkhand
मेरे विचार यह कहना चाहूंगा कि शिक्षार्थी केन्द्रित पध्दति के प्रयोग से बच्चों को बहुत ही लाभ मिलेगा । क्योंकि सभी बच्चों की सीखने की गति समान नहीं होती है, साथ ही साथ उनका परिवेश भी अलग अलग होता है । एक ही शिक्षण पध्दति का उपयोग सभी बच्चों पर करने से सभी के लिए कारगर नहीं होती है।अतः शिक्षार्थी केन्द्रित शिक्षण पद्धति का उपयोग कर सभी बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है।Motiur Rahman UPS CHANDRA PARA, Pakur
ReplyDeleteविद्यार्थी केन्द्रित शिक्षण पद्धति के द्वारा बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव है जबकि शिक्षक केन्द्रित शिक्षण बच्चों विधि द्वारा सिर्फ पाठ्यक्रम पूरा किया जाता है|
ReplyDeleteDinesh Prasad, Shanti Rani middle school Bara Ghaghra, Ranchi.
शिक्षक केंद्रीत शिक्षण पद्धति में सिर्फ पाठ्यक्रम पुरा किया जाता है जबकी विद्यार्थी केन्द्रित शिक्षण द्वारा बच्चों का सर्वांगीण विकास सम्भव है।
ReplyDeleteमेरे विचार से शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग से बच्चों को बहुत ही लाभ मिलता है, क्योंकि सभी बच्चे में सीखने का तरीका अलग-अलग होता है। इसमें बच्चे स्वयं करके सीखता है । अपने विचार को प्रस्तुत करना , सारे चीजों का चयन करना , जो भी हमारे learning method होगी वह शिक्षार्थी को ही निर्णय लेने का मौका मिलता है । शिक्षार्थी व्यक्तिगत रूप से या दोनों प्रकार से कार्य कर सकते है । किसी भी क्रियाकलाप के अनुसार इस पद्धति में बच्चों को बैठने की व्यवस्था का सुविधा मिल पाता है और उसके अधिगम वातावरण स्वतंत्रतापूर्वक अवसर मिलकर विभिन्न प्रकार की शिक्षण अधिगम सामग्री का उपयोग कर सकता है । साथ ही हस्त कौशल शिक्षक व शिक्षार्थी के द्वारा किया जा सकता है । अत: इस पद्धति से बच्चे बहुत जल्द अधिगम के क्षेत्र में सर्वांगीण विकास प्राप्त हो जाता है ।
ReplyDelete- सुना राम सोरेन , (प्रा.वि.भैरवपुर)
धालभूमगढ , पूर्वी सिंहभूम ।
प्रारंभिक वर्षों में बच्चों को परंपरागत रूप से शिक्षा प्रदान किया जाता रहा है । प्रायः उसमें सभी बच्चों को समान शिक्षण विधि से शिक्षा प्रदान की जाती रही है । सीखने के प्रतिफल के मापन हेतु भी पारंपरिक परीक्षण सारणी का उपयोग होता है । समय के साथ-साथ बच्चों के प्रारंभिक वर्षों के शिक्षण में उनके विभिन्न विविधताओं को निश्चित रूप से ध्यान में रखा जा रहा है । शिक्षार्थी के पारिवारिक , सामाजिक , भाषाई एवं दृश्यात्मक कौशल को ध्यान में रखकर प्रदान की जाने वाली शिक्षण पद्धति से अंततः बच्चों को ही लाभ होता है । इससे हम भी बच्चों की सीखने की सीमाओं के बारे में अच्छी तरह जान पाते हैं और इससे हम आगे की शिक्षण रणनीतियों में बदलाव हेतु अपने आप को तैयार भी कर पाते हैं । शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण पद्धति के प्रयोग की अपनी कुछ सीमाएं भी दिखती हैं । संसाधनों की समुचित उपलब्धता तथा समुदाय का सकारात्मक सहयोग भी अपेक्षित है ताकि शिक्षण कार्य में लचीलापन हो सके ।
ReplyDeleteसभी बच्चों का ज्ञान समान नहीं होता है एवं सब की रूचि भी समान नहीं होती है। बाल केंद्रीत पद्धति का प्रयोग से बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है।
ReplyDeleteBalkendrit shiksha bahut hi labhkari hoti bachon ko behtar shiksha dene k liye
ReplyDeleteसभी बच्चों को सीखने की गति भिन्न भिन्न होती है, बाल केन्द्रित शिक्षा के द्वारा बच्चे ज्यादा सक्रिय होकर सीखते हैं।
ReplyDeleteबच्चों को सीखने की गति भिन्न भिन्न होती है, बाल केंद्रित शिक्षा के द्वारा बच्चे ज्यादा सक्रिय होकर सीखते हैं।
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित पद्दति के प्रयोग से बच्चों का अधिक विकास संभव है।इससे बच्चों का आत्मविश्वास प्रबल होता है।ये रुचिपूर्ण भी है।परंतु इसकी भी एक सीमा होती है कि बच्चे अनुशासन में रहे। उपयुक्त संसाधन के साथ ये पद्धति बच्चों के लिए सही सावित हो सकती है ।शिक्षार्थी केन्द्रित पध्दति के प्रयोग से बच्चों को बहुत ही लाभ मिलेगा । क्योंकि सभी बच्चों की सीखने की गति समान नहीं होती है, साथ ही साथ उनका परिवेश भी अलग अलग होता है । एक ही शिक्षण पध्दति का उपयोग सभी बच्चों पर करने से सभी के लिए कारगर नहीं होती है।अतः शिक्षार्थी केन्द्रित शिक्षण पद्धति का उपयोग कर सभी बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है।
ReplyDelete. सभी बच्चे अलग-अलग स्तर के होते हैं। इसलिए शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा देने की आवश्यकता है!
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा से बच्चों के सर्वांगीण विकास के साथ उनकी रूचि के अनुसार उनके ग्यान की वृद्धि की जा सकती हैं।
ReplyDeleteछात्र का सीखने का स्तर विभिन्न हो सकता है। परंतु शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा देने की आवश्यक्ता है। इससे सीखने की दक्षता में विकास भी संभव है एवं सभी में एकरूपता भी आएगा।
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित पद्दति के प्रयोग से बच्चों का अधिक विकास संभव है।इससे बच्चों का आत्मविश्वास प्रबल होता है।ये रुचिपूर्ण भी है। शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा में बच्चे अपने गति से सीखते हैं। इस शिक्षण विधि से बच्चे विभिन्न गतिविधियों,अनुभवों,कला,खेल,तकनीक आदि के एकीकरण पर आधारित शिक्षण प्राप्त करते हैं।बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए इफेलान अति आवश्यक है।यह बाल केंद्रित होता है और इसमें बच्चे पूर्ण रूप से सीख पाते हैं और यह बिल्कुल खेल खेल की विधि के द्वारा सीखना एक सहज गतिविधि है।
ReplyDeleteKendrit Shikshan bacchon mein swawlambi tatha Lakshya tay karne main madad karta hai Sath hi Apne Anubhav ko Sajha kar sakte hain.
ReplyDeleteNahi.sabhi bacche adwitiye hain.sabhi bacchon ki sikhne ki chamta alag alag hoti hai.sikharthi kendrit paddhati ke prayog se sabhi bacchon me sikhne ki chamta ka vikas Kiya ja sakta hai.
ReplyDeleteBirajmani Burh
ReplyDeleteAsst. Teacher UHS Putunga
Early childhood development depends on child's environment along with child's heridity both of the above factor has important role to develop Fundamental Literacy and Numerals.
I agree with the above points that ECCE has important role in this regard.
बच्चों को बहुत ही लाभ मिलेगा क्योंकि सभी बच्चों की सीखने की गति समान नहीं होती है साथ ही साथ उनका परिवेश भी अलग अलग होता है एक ही शिक्षण पद्धति का उपयोग सभी बच्चों पर करने से सभी के लिए कारगर नहीं होती है अतः शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण पद्धति का उपयोग करते हुए का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है।
ReplyDeleteशिक्षा बालकेन्दृत होनी चाहिए क्योंकि सभी बच्चे अलग-अलग पृष्ठभूमि एवं सामाजिक परिवेश से आते हैं। बच्चों के रुचि,स्थानीय भाषा,पृष्ठभूमि को समझते हुए समय निर्धारण कर अधिगम स्तर तक पहुंच सकते हैं।
ReplyDeleteShiksharthi kendrit padhti se bachcho ke bhinna-bhinna astaro ka khayal rakha ja sakta hai.jiske falaswarup bachcho ka sarwangin vikash sambhaw ho sakta hai.
ReplyDeleteबच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है।
ReplyDeleteSUBHADRA KUMARI
ReplyDeleteRAJKIYAKRIT M S Narayanpur
Nawadih Bokaro
बच्चें भिन्न-भिन्न परिबेश से विद्यालय आते हैं अतः उनकी पारिवारिक परबरिश भी भिन्न-भिन्न होती हैं। जिसके कारण विद्यालय द्वारा दी जाने वाली शिक्षा में एक रुपया का अभाव होता है। एक शिक्षक होने के नाते हमें बच्चें की आवश्यकता के अनुसार शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि सभी बच्चें दक्षता आधारित शिक्षा ग्रहण करने में सक्षम हो सके।
विद्यालय में विभिन्न परिवेश से बच्चे आते हैं और सभी बच्चों का लर्निंग लेवल अलग अलग होता है। शिक्षक द्वारा बच्चों को कक्षा में समान शिक्षा प्रदान की जाती है किंतु बच्चों में सीखने का स्तर समान नहीं होता। बच्चों के सीखने के स्तर के आधार पर एक समान आकलन किया जाता है जो सही नहीं है। बच्चों के शिक्षण का आकलन उनके स्तर के अनुसार किया जाना चाहिए। विद्यालय में शिक्षण कार्य शिक्षार्थी केंद्रित होना चाहिए ताकि बच्चे अपने स्तर के अनुसार सीख सके। ऐसा करने से बच्चों में शिक्षण के प्रति रुचि जागृत होगी जिससे उसका सर्वांगीण विकास हो सकेगा।
ReplyDeleteराजेंद्र पंडित, स.शि। PS चांदसर महागामा गोड्डा
प्रारंभिक स्तर पर बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा के परंपरागत रूप में बच्चों की पृष्ठभूमि, अवधारणाओं को समझने की उनकी क्षमता को ध्यान में रखे बिना एक समान कक्षाएं और परीक्षाएं होती रही हैं। इसमें निदान के लिए ज्यादा संभावना नहीं दिखती।
ReplyDeleteशिक्षार्थी केन्द्रीय शिक्षण व्यवस्था अत्यंत वैज्ञानिक सार्थक और सफल पद्धति सिद्ध हो रही है। बच्चे की शारीरिक, मानसिक अवस्था, उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और अन्य विभिन्न कारकों के अनुरूप सहायता उपलब्ध करा कर आरंभिक काल में ही बच्चों को भाषा और गणित की बुनियादी जानकारी से लैस कर उसे आगामी शैक्षणिक और सामान्य जीवन के लिए सक्षम सबल और काफी हद तक सफल बनाने में शिक्षार्थी केन्द्रीय शिक्षण सहायक सिद्ध हो सकती है और इस में शिक्षक, अभिभावक, समाज और शासन-प्रशासन सबकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। बेशक नियम और नीतियां सब बनाएंगे किंतु जमीन पर इसका निष्पादन निडर, उत्साहित, और मोटिवेटेड शिक्षक ही मुख्य रूप से कर सकते हैं।
शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग से बच्चों को बहुत लाभ मिलेगा।
ReplyDeleteBachchon ko unke ruchi ke anusar hi shikshan paddhati ko ruchikar banana chahiye jisse asani se sabhi chijon ko sikh sake
ReplyDeleteविभिन्न स्तर के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति का प्रयोग बहुत लाभप्रद होगा ।
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा से यह लाभ होता है कि बच्चे अपनी अपनी गति से सीख सकते हैं। परन्तु हमें एक ही वर्ग के बच्चों की दक्षता में काफी असमानता देखने मिलेगा।सभी हितधारकों के सक्रिय सहयोग की चुनौतीपूर्ण आवश्यकता होगी। शिक्षकों को भी अन्य लिपिकीय व असैनिक कार्यो से मुक्त करना पड़ सकता है।
ReplyDeleteप्रारम्भिक वर्षो में विद्यालय के परिवेश में बच्चों का आगमन विभिन्न पृष्ठभूमियों से होती है।उनके माता पिता,अभिभावक और परिवार जहां बच्चा पल बढ़ रहा होता है अलग अलग पृष्ठभूमि/स्तर से होते है।शिक्षार्थियों के सीखने का स्तर भी स्वभाविक रूप से विभिन्नता पाई जाती है।ऐसे में एक ही तरीके सबके लिए कारगर नही हो पाता है और कुछ बच्चे भी सीखने सीखने की प्रक्रिया से तालमेल नहीं बिठा पाते हैं परिणाम स्वरूप असहाय महसूस कर पिछड़ जाते हैं।
ReplyDeleteबहुआयामी गतिविधि एवम खेल आधारित शिक्षा जो शिक्षार्थी केंद्रित और दक्षता आधारित हो तो शिक्षार्थियों के लिए अपेक्षाकृत अधिक सहूलियत भरा हो होगा।बच्चे बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान में अपेक्षाकृत अधिक दक्षता को प्राप्त कर पाएंगे।
यह कदम शिक्षार्थियों के लिए हम शिक्षक उनके माता पिता, अभिभावक, समुदाय एवम प्रशासकों की सकारात्मक सहयोग और भागीदारी के साथ ही लेकर सफलीभूत हो पाएंगे।
धन्यवाद।
Right sir
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletePraramVik siksha ek balkedrit siksha hai isme bachhoke anusar sikshan dene se sikshan prakriya sabse behtar hota hai tatha sikshan upyogi hota hai
ReplyDeleteप्रारम्भिक शिक्षा में सभी बच्चों को सीखने का मौका होता है और ज्यादातर बच्चे बुनियादी शिक्षा प्राप्त करते हैं बस शिक्षक उसके रुचि के अनुसार सिखाने का प्रयास से ही हो सकता है l
ReplyDeleteहालांकि सीखने के विविधता को ध्यान में रखकर हर समय नहीं हो पाता है लेकिन खेल - खेल में शिक्षा प्रदान करने में खुद को भी सन्तुष्टि लगता है l
शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति , बुनियादी शिक्षा की मुख्य भूमिका अदा करती है / कारगर साबित करने में मदद मिलती है, इसमें बच्चे खुद पर भरोसा होने लगता है l
शिक्षार्थी केन्द्रित शिक्षा पद्धति का अनुसरण प्रत्येक बच्चों के सरवांगीण विकास में मील का पत्थर सावित हो सकता है।इस पद्धति में शिक्षक,अभिभावक एवं समुदाय की सहभागिता चुनौतीपूर्ण हो सकती है।इसके प्रयोग में सफलता हेतु अधिक समय अपेक्षित है।स्पष्टतःशिक्षकों को अन्य गैरशैक्षणिक कार्योंं से मुक्त करना आवश्यक है।
ReplyDeleteवर्तमान समय में सभी बच्चों को समान शिक्षा नहीं दी जा रही है और न ही उनका परीक्षण भी समान होता है एक ही समय अवधि में एक ही प्रकार की शिक्षण विधि के द्वारा सभी बच्चों का परीक्षण किया जाता है जिससे बच्चों में सर्वांगीण विकास नहीं होता क्योंकि सभी बच्चे अलग-अलग पृष्ठभूमि के होते हैं मेरे ख्याल से विद्यालयों में शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण बहुत जल्दी और वर्ग एक से ही लागू किया जाना चाहिए और इसके लिए प्राथमिक विद्यालयों में पर्याप्त संसाधनों की आवश्यकता है जब प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ होगी तभी हम गुणवत्तायुक्त माध्यमिक और उच्च शिक्षा व्यवस्था की परिकल्पना कर सकते हैं इसके लिए प्रारंभिक स्तर से ही विभिन्न योग्यता वाले विभिन्न विषयों में विशेषता वाले शिक्षकों की आवश्यकता अनुसार उपलब्धता सुनिश्चित करा कर और उनको आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराकर बच्चों के साथ शामिल करना होगा शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण आज की आवश्यकता है।
ReplyDeleteअंजय अग्रवाल
रामगढ़
विभिन्न पृष्ठभूमि की, विभिन्न स्तर के, विभिन्न योग्यता के बच्चों को विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा के द्वारा ज्यादा सिखाया जा सकता हैं।
ReplyDeleteबच्चों की बौद्धिक क्षमता भिन्न -भिन्न होती है |अत:पारंपरिक तरीके से पढाने से सबको सीखने का समान अवसर नहीं मिलता |ईसलिए विद्यार्थी केन्द्रित शिक्षा पद्धति अपनानी चाहिए |ईससे बच्चे खुलकर अपनी विचारों को रख सकते हैं | बजरंग महतो. उत्क्रमित मध्य विद्यालय देवघरा बाघमारा. घननाद.
ReplyDeleteसभी बच्चों का ज्ञान समान नहीं होता एवं सबकी रुचियां समान नहीं होती शिक्षार्थी केन्द्रित पध्दति के प्रयोग से बच्चे का सर्वांगीण विकास किया जा सकता हैं|
ReplyDeleteSikhyarthi kendrit siksha padhyati ke dwara bachho ko unke boudhik khamata ke anusar siksha denese unke siksha star ka bridhi hota.hai unke Ruchi ke anusar siksha grahan karte hai bachhoki boudhik khamata alag alag hota hai isiliye unke anusar siksha lavdayak hota hai
ReplyDeleteस्कूल में बच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं। सब में समान रूप से सीखने की क्षमता नहीं होती है। अतः शिक्षण पद्धति शिक्षार्थी केंद्रित होना सबसे उपयुक्त है। इस पद्धति से बच्चों की कमजोरियों को ध्यान में रखते हुए बुनियादी अधिगम के लिए भिन्न भिन्न समय और मार्ग अपनाया जाता है। इससे बच्चे का सर्वांगीण विकास संभव है।
ReplyDeleteसभी बच्चों का ज्ञान समान नहीं होता है एवं सब की रूचि भी समान नहीं होती है। बाल केंद्रीत पद्धति का प्रयोग से बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है
ReplyDeleteबाल केंद्रित प्रणाली के अनुप्रयोग से बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। क्योंकि सभी बच्चों का सीखने का प्रतिफल एक जैसा नहीं होता है तथा उनकी रुचि भी समान नहीं होती ।
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण प्रणाली में बच्चों के विकास पर ध्यान दिया जा सकता है क्योंकि हम जानते हैं कि सभी बच्चे सीखने के समान स्तर को प्राप्त नहीं कर पाते हैं । बच्चों में सीखने की गति अलग-अलग होती है बाल केंद्रित शिक्षण पद्धति से सभी बच्चों पर ध्यान केंद्रित कर उनकी आवश्यकता के अनुसार उन्हें शिक्षा प्रदान किया जा सकता है। उन्हें सीखने में हो रही कठिनाइयों को दूर किया जा सकता है। वर्तमान समय में बाल केंद्रित शिक्षण पद्धति पर विशेष कार्य पद्धति अपनाई जा रही है कहा जा सकता है कि बाल केंद्रित शिक्षा शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रणाली साबित हो सकती है।
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित अधिगम से बच्चों में सर्वांगीण विकास होता है बच्चे खुद करके सीखते हैं और अपने जीवन को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित अधिगम से बच्चों में सर्वांगीण विकास होता है और उसके हर एक पहलू पर ध्यान दिया जाता है। बच्चे के विकास मेंअत्यंत आवश्यक है इ।शिक्षार्थी केंद्रित अधिगम में बहुत ही आवश्यक है
Deleteशिक्षार्थी केंद्रित अधिगम बच्चों के सर्वांगीण विकास में महती भूमिका निभाती है।
Deleteशिक्षार्थी केंद्रित अधिगम से बच्चों में सर्वांगीण विकास होता है ।खुद करके सीखते हैं और अपने जीवन को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
Deleteप्रारम्भिक वर्षो में बच्चे के सीखने के प्रतिफल अधिक तीव्र गति से विकसित होता है हाँ कुछ बच्चे तीव्र गति से सीखते हैं तथा कुछ मंद गति से सीखते हैं हाँ सभी बच्चे को समान शिक्षण प्रदान किया जाता है तथा सीखने में विविधता को ध्यान में रखकर मंदगति से सीखने वाले बच्चों पर विशेष ध्यान रखा जाता है । मेरे विचार में शिक्षार्थी पद्ति के प्रयोग से शिक्षार्थी स्वयं गतिविधि में भाग लेते है तथा सीखने के प्रतिफल अधिक होता है , तथा वाद-विवाद से एक प्रतिफल के निष्कर्ष तक पहुँचते हैं तथा संतुष्ट होते हैं।
ReplyDeleteमैं 2009 से एक शिक्षक के रूप में अपना फर्ज निभा रहा हूँ और शिक्षण देना मेरा पैशन रहा है एवं इसमें नयी सोंच, नये उपरण, नया तकनीकी तथा नये उपकरणों का समावेशन करना रोमांचित करता है। मै यह समझा करता हूँ कि सभी विद्यार्थियों के समाजिक स्तर, समझ, कौशल,परिवेश , तत्परता ,बोलचाल भाषा के स्तरों में भिन्नता। घरेलु स्थितियों में विविधता के परिणाम स्वरूप भिन्नता हो सकती है जिसके कारण सबों के सीखने की आवश्यकताएँ विभिन्न हो सकती है।इस परिस्थितियों में हमें आवश्यकता और जरूरत होती है शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा देने की ।
ReplyDeleteजिनके विभिन्न लाभ हो सकते हैं।
शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा में बच्चे अपने समझ ,सोंच, लय और गति से सीखते हैं।
इस शिक्षण विधि से शिक्षार्थी गतिविधियों से ,समझ से ,अपने कला दक्षता से,खेल खेल से,विभिन्न टुल से,शिक्षण प्राप्त करते हैं।
दक्षता आधारित शिक्षण व्यवस्था हमें शिक्षण के और शिक्षार्थीयों को नये आयामों तक छुने देता है पहुंचाता है।
हम इसे लागू कर अपने विद्यालय के विभिन्न स्तरों के बच्चों का सर्वांगीण विकास कर सकते हैं।
अतः हम कह सकते हैं कि दक्षता आधारित शिक्षण व्यवस्था सच में विभिन्न परिवेश, स्तर, समझ के बच्चों के लिये एक बेहतर वयवस्था और विकल्प है।
धन्यवाद🙏
रूपेश कुमार
रामगढ़
दुमका
मेरे विचार से शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग से बच्चों को बहुत ही लाभ मिलेगा।क्योंकि सभी बच्चों की सीखने की गति समान नहीं है ,साथ ही साथ उनका परिवेश भी अलग अलग होता है ।एक ही शिक्षण पद्धति का उपयोग सभी बच्चों पर करने से सभी के लिए कारगर नहीं होती है। अतः शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण पद्धति का उपयोग कर सभी बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है।
ReplyDeleteइससे बच्चों को बहुत लाभ मिलेगा क्योंकि सभी बच्चों की सीखने की गति समान नहीं होती साथ ही साथ उनका प्रवेश भी अलग-अलग होता है एक ही शिक्षण पद्धति का उपयोग सभी बच्चों पर करने से कारगर नहीं होती अतः शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण पद्धति का उपयोग करते हुए सर्वांगीण विकास किया जा सकता है.
ReplyDeleteप्रारम्भिक वर्षों में बच्चों को दिए गए अनुभव एक जैसे नहीं होते हैं और ना ही सभी बच्चे विभिन्न अनुभवों को समान ग्रहण कर पाते हैं ।आज की शिक्षा प्रणाली में हम देखते हैं कि कक्षा में प्रवेश लेने वाले सभी बच्चों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे नियत समय पर अपनी कौर्स विषयवस्तु को सीख लेंगे ।अधिकांश शिक्षण पाठ्यपुस्तक पर आधारित होता है और शिक्षकों का ध्यान निश्चित पाठ्यक्रम को करने पर होता है ।समूचे कक्षा को एक जैसी शिक्षा दी जाती है
ReplyDeleteविविध प्रकार की विविधताओं के कारण शिक्षार्थियों में भिन्नता होती है,जिस कारण सीखने की अलग-अलग आवश्यकताएँ हो सकती हैं ।वर्तमान शिक्षा प्रणाली इस और ध्यान नहीं देती है ।सभी शिक्षार्थियों से कक्षा की विषय सामग्री के मानकों को पूरा करने और सीमित शिक्षा प्रणाली में परीक्षण देने के लिए तैयार होने की अपेक्षा की जाती है ।परंतु बच्चों में सीखना परिवर्तनशील होता है ।अवधारणाओं को कुछ बच्चे तेजी से सीख लेते हैं तो कुछ बच्चों को अधिक अभ्यास की आवश्यकता होती है ।
अतः हमें दक्षता आधारित शिक्षा की और बढ़ने की सख्त जरूरत है ।हमें शिक्षण पद्धति में बदलाव/सुधार करना
होगा ।शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को शिक्षक और पाठ्यपुस्तक केन्द्रित न होकर उसे शिक्षार्थि केंद्रित करना होगा ।
शिक्षार्थि केंद्रित पद्धति के बहुत सारे लाभ है जिनमें मुख्य हैं:- 1:इस पद्धति में शिक्षण का केंद्रबिन्दु शिक्षार्थि होता है ।इस पद्धति के अंतर्गत छात्र की रूचियों,क्षमताओं और प्रवृत्तियों को ध्यान में रखकर शिक्षण प्रदान किया जाता है।
2:इसमें व्यक्तिगत शिक्षण को महत्व दिया जाता है ।
3:इसमें बच्चों का व्यक्तिगत रूप से निरीक्षण कर उनकी कठिनाइयों को दूर किया जाता है ।
4:इस पद्धति में स्वाभाविक रूप से अनुशासन स्थापित होता है ।
5:इससे बालक में स्वावलम्बन तथा स्वतंत्रता की भावना उत्पन्न होती है ।
6:बालक चुने हुए साधनों में से अपनी इच्छानुसार साधन का चुनाव कर सकते हैं ।
7:बालक द्वारा स्वयं किए गए कार्य से उसे मानसिक संतुष्टि और शान्ति का अनुभव होता है ।
8:इससे उसके शारीरिक और मानसिक विकास में सहायता मिलती है ।
इसकी कुछ सीमाएं भी हैं,जैसे:-समय की कमी,सभी बच्चों की इच्छानुसार साधन की कमी,पाठ्यक्रम पूरा करने का दबाव आदि हालांकि शिक्षक धैर्य लगन और अपनी विवेक से इन सीमाओं पर पार पा सकते हैं,एक शिक्षक होने के नाते तथा बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हमें ऐसा करना ही होगा ।
MD JAMIL AKHTAR ANSARI
URDU PS LIPIDIH
GOVINDPUR-2, DHANBAD
शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा पद्धति में शिक्षा बच्चों को ध्यान में रखकर दी जाती है।जिससे बच्चे खुलकर अपनी बात को साझा करते हैं।शिक्षकों को भी उनकी समस्याओं को समाधान करने में सुविधा होती है।
ReplyDeleteस्कूल में भिन्न-भिन्न परिवेश और भिन्न-भिन्न सामाजिक आर्थिक स्तर के बच्चे पढ़ने आते हैं। बच्चों में सीखने की गति भी भिन्न-भिन्न होती है। कोई जल्दी सीखता है तो कोई की देर से। इस प्रकार मैं कहना चाहूंगा कि शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा पद्धति द्वारा बच्चों को समान रूप से शिक्षा दी जा सकती है ।इस विधि द्वारा बच्चे खेल- खेल और गतिविधि द्वारा आसानी से सीख पाते है।
ReplyDeleteAll children are of different level, so there is a need to give learner-centred education, not all children have the same knowledge and everyone's interests are also different, so the use of learner-centred method
ReplyDeleteशिक्षार्थी केन्द्रित शिक्षा से यह लाभ होता है कि बच्चे अपनी गति से सीख सकते हैं, इसका हानि यह भी हो सकता है कि कमजोर बच्चे काफी पीछे रह सकते हैं एक ही वर्ग में बच्चों के बीच में काफी समानता हो सकती है|
ReplyDeleteसभी बच्चे अलग अलग स्तर के होते हैं इसलिए शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा देने की आवश्यकता है
ReplyDeleteसमान रूप से सभी बच्चों पर शिक्षकों को शिक्षणरुपी के साथ-2 रुचिकर ढंग से एवं लचीलापन पढ़ाने की आवश्यकता हैं।जिससे सभी वर्ग के बच्चें लाभान्वित हो सके।।धन्यवाद।।
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा से यह लाभ होता है कि बच्चे अपनी अपनी गति से सीख सकते हैं। परन्तु हमें एक ही वर्ग के बच्चों की दक्षता में काफी असमानता देखने मिलेगा।सभी हितधारकों के सक्रिय सहयोग की चुनौतीपूर्ण आवश्यकता होगी। शिक्षकों को भी अन्य लिपिकीय व गैरशैक्षणिक कार्यो से मुक्त करना पड़ सकता है,आवश्यकतानुसार शिक्षकों की संख्या बढ़ानी होगी।
ReplyDeleteशिक्षा केंद्रित शिक्षा से यह लाभ होता है कि बच्चे अपनी अपनी गति से सीख सकते हैं परंतु हमें एक ही बार के बच्चों की दक्षता में काफी असमानता देखने मिलेगा। सभी हित धारको के सक्रिय सहयोग की चुनौतीपूर्ण आवश्यकता होगी। बाल केंद्रित शिक्षा के निसंदेह बहुत सारे लाभ हैं लेकिन साथ ही साथ कुछ इसकी सीमाएं भी हैं जैसे: समय की कमी, पाठ्यक्रम को समय अनुसार पूर्ण करने का दबाव ,बच्चों के इच्छानुसार साधन का उपलब्ध ना होना इत्यादि लेकिन इस चुनौतीपूर्ण उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए बाल केंद्रित शिक्षा अति आवश्यक है।
ReplyDeleteभारत विविधताओं का देश है जहाँ सामाजिक,आर्थिक, शैक्षणिक, परंपरागत एवं भाषागत विविधताएं पायीं जाती है और इन विविध परिस्थितियों से आने वाले प्रारंभिक स्तर के बच्चों की बौद्धिक क्षमता तथा ज्ञान ग्राह्यता भिन्न भिन्न होती है.ऐसे में पाठ्यक्रम अथवा पाठ्यचर्या आधारित शिक्षण पद्धति की अपेक्षा बाल केन्द्रित शिक्षण पद्धति अधिक कारगर होगी बशर्ते शिक्षकों की संख्या पर्याप्त हो, पाठ्यक्रम न हो और शिक्षक तथा अभिभावक बच्चों के सीखने-सिखाने के प्रति संवेदनशील हो और बच्चे नियमित रूप से स्कूल आएं.
ReplyDeleteप्रारंभिक वर्षों में समान शिक्षण से बच्चों को सीखने के प्रतिफल प्रभावित होती है। शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति से बच्चों में सीखने के प्रतिफल में वृद्धि होती है।
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग से बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव है,क्योंकि इस पद्धति से बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है तथा यह पद्धति रुचिपूर्ण भी है| इस पद्धति से बच्चे के हर पहलू पर ध्यान दिया जाता है| बच्चे खुद सीखते हैं और जीवन में आगे बढ़ते हैं,इसलिए शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण पद्धति बच्चों के लिए अति आवश्यक है|
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित पद्दति के प्रयोग से बच्चों का अधिक विकास संभव है।इससे बच्चों का आत्मविश्वास प्रबल होता है।ये रुचिपूर्ण भी है। उपयुक्त संसाधन के साथ ये पद्धति बच्चों के लिए सही सावित हो सकती है ।
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ReplyDeleteसभी बच्चौं की भाषायी विविधता,घरेलु वातावरण, समझने कीविभिन्नता के आधार पर बच्चौं मे समझ अलग-अलग होती है जिसके कारण सभी बच्चौं का कौशल विकास एक समान नहीं होता ऐसे मे शिक्षार्थी केंंद्रित पध्दति नितांत आवशयक है जिससे बच्चौं का सर्वांगिन विकास किया जा सकता है ।
सभी वर्ग के बच्चों को शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति के प्रयोग समान रूप से सभी बच्चों पर शिक्षकों को शिक्षणरुपी के साथ-2 रुचिकर ढंग से एवं लचीलापन पढ़ाने की आवश्यकता हैं।जिससे सभी वर्ग के बच्चें लाभान्वित हो सके।
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा बच्चों के लिए बहुत उपुयक्त है।बच्चे अपने अनुभव से सीखते है।
ReplyDeleteसभी बच्चे एक समान नहीं होते, सभी के सीखने का समय भी एक जैसा नही होता अतः शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के उपयोग से शिक्षार्थियों का मनोबल बढ़ता है जिससे वे रुचि के साथ नई नई विषयों के बारे में सीखते हैं।
ReplyDeleteएक शिक्षक बच्चों को शिक्षा देते समय बहुत ही सक्रिय रहते है परंतु छात्र के केन्द्र में रखकर दी जाने वाले शिक्षा में छात्रों को भी सक्रीय कर देती है परंतु कभी कभी छात्र इसका दुरुपयोग भी करने लगते है। छात्र केंद्रित शिक्षा होने पर छात्रों की रुचि बढ़ जाती है छात्र अनुशाषित हो जाते है साथ ही छात्र शिक्षक की सहायता से अपनी अवधारणा को स्पस्ट कर लेते है।परन्तु इसके कुछ दोहा भी है
ReplyDeleteइसमे शिक्षक को ज्यादा महत्व नही रह जाता है।
कभी कभी ज्यादा समय इसमे बर्बाद हो जाता हैं।
प्रत्येक छात्र के सीखने का स्तर एवं सीखने की गति भिन्न होने के कारण उनके सीखने की आवश्यकताएं भी भिन्न होती हैं। मेरे विचार से शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति अधिगम में सकारात्मक परिणाम दे सकता है जिसमे विभिन्न गतिविधियों को शामिल कर जहां छात्रों के कौशलों को निखारा जा सकता है तो वहीं उनके छुपे हुनर को उभारा भी जा सकता है। इस पद्धति में पर्याप्त शिक्षकों का होना एवं कक्षा में उचित छात्र संख्या का होना एक आवश्यक शर्त हो सकती है।
ReplyDeleteयह बाल केंद्रित शिक्षा है इसमें बच्चे वास्तविक शिक्षा प्राप्त करते हैं और वे पाठ को अच्छी तरह समझ जाते हैं।पाठ को इस प्रकार शिक्षक भी उनको अच्छी तरह से समझा सकते हैं और इस प्रकार बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है इसलिए बच्चा को इसमें लाभ ही लाभ है।
ReplyDeleteयह बाल केन्द्रित शिक्षा है। बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार
ReplyDeleteव्यवहारिक और वास्तविक शिक्षा दिया जाता है। जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है।
मेरे विचार से प्रांभिक वर्षो में बच्चो को एक ही प्रकार से शिक्षा देना उचित नहीं है । शिक्षक केंद्रित पद्दति के प्रयोग से बच्चों का अधिक विकास संभव है।इससे बच्चों का आत्मविश्वास प्रबल होता है।ये रुचिपूर्ण भी है।परंतु इसकी भी एक सीमा होती है कि बच्चे अनुशासन में रहे ।उपयुक्त संसाधन के साथ ये पद्धति बच्चों के लिए सही सावित हो सकती है ।
ReplyDeleteसभी बच्चों को शिक्षण तो समान प्रदान किया जाता है पर सभी बच्चों के सीखने की क्षमता अलग अलग होती है । शिक्षण बाल केंद्रित होना चाहिए।
ReplyDeleteMost children can exchange their experiences in his own mother language and so learning will be spontaneous and continued without mental hindrance. They can interexchange their ideas and learnings.
ReplyDeleteसभी बच्चों का बौद्धिक स्तर, परिवेश, और उनकी रुचि अलग अलग होती हैं इसलिए उन्हें बाल केंद्रित शिक्षण सर्वथा उचित होगा।
ReplyDeleteAdhiktar bachhe alag alag samajik privesh se aate h, isliye unki sikhne ki gati v alag alag hoti h. Aise me bal kendrit shisha ki avshkta h. Taki bachhon ki sarvangin vikash ho sake.
ReplyDeleteKyunki bachche alag alag parivesh se ate hai shikhne ki kshamata v alag alag hoti hai isliye shiksha balkendrit honi chahiye taki sabhi bachche apni dakshata ko prapt kar sake
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित पध्दति के प्रयोग से बच्चों में कई लाभ हो सकते हैं।
ReplyDelete1)शिक्षार्थी केंर्दित शिक्षा में बच्चे अपनी गति से सिखते हैं।
2)इस शिक्षण विधि से बच्चे अपने घरेलू परिवेश के संसाथनो का एवं अपनी मातृभाषाओं का प्रयोग करके सिखते
हैं।
3)इस विथि से बच्चों का सर्वांगिण विकास संभव हो सकेगा।
बच्चे अलग-अलग स्तर के होते है अतः बाल केन्द्रित शि हो।
ReplyDeleteI LIKE THIS COURSE
ReplyDeleteअब तक हम में से अधिकांश शिक्षक वर्ग के सभी बच्चों को सामान्यीकृत रूप से ही पढ़ाते रहे हैं| लेकिन इस तरह से पढ़ाने में सीमाएँ हैं कि सभी बच्चों की अधिगम गति एक समान नहीं होती,वे अलग - अलग परिवेश से आते हैं,उनमें वैयक्तिक विभिन्नता होती है,रुचियां,सीखने के तरीके आदि भिन्न होते हैं| अतः सभी बच्चों के शैक्षिक आवश्यकताओं के साथ न्याय नहीं हो पाता था|
ReplyDeleteसमय की मांग है कि बाल केंद्रित शिक्षा अपनाया जाए| इसमें कुछ सीमाएँ तो हैं,जैसे - प्रत्येक बच्चे की कमियों और विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षण रणनीतियां बनाना एक कौशलपूर्ण तथा श्रमसाध्य कार्य है| पर बाल केंद्रित शिक्षा के लाभों के समक्ष यह कुछ भी नहीं है, इसके अतिरिक्त इससे शिक्षकों के कौशल और दक्षता में भी वृद्धि होगी|
बच्चो के अनुभवों को शिक्षण में उपयोग करने से लाभ होंगे।बच्चों के अनुभवों से बच्चों को समझने में भी मदद मिलेगी।
ReplyDeleteChabindra Kumar Jha
GhatAmarpur
प्रारंभिक वर्षों में बच्चों को मेरे द्वारा विभिन्न प्रकार की गतिविधि आधारित शिक्षा दी जा रही है, परंतु सभी बच्चों का परीक्षण एक ही परीक्षण सारणी द्वारा किया जाता है। सीखने में विविधता को ध्यान में रखते हैं इसमें सुधार करने की आवश्यकता है, मेरे विचार से शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति का प्रयोग काफी लाभदायक होगा। इसे समस्त विद्यालयों में समान रूप से लागू किया जाना चाहिए, परंतु इसकी कुछ सीमाएं हैं जैसे कि सभी विद्यालयों में पर्याप्त मात्रा में शिक्षक शिक्षिकाएं नहीं है बहुत बड़ी समस्या है इस समस्या को दूर किए बिना FLN की रणनीति और मकसद प्रभावित होगी।
ReplyDeleteKrishna Kumar Baitha.
ReplyDeleteGovt.MS Parsodih (Ketar) Jharkhand
स्कूल में बच्चे विभिन्न सामाजिक परिवेश से आते हैं। सब में समान रूप से सीखने की क्षमता नहीं होती है। अतः शिक्षण पद्धति शिक्षार्थी केंद्रित होना सबसे उपयुक्त है। इस पद्धति से बच्चों की कमजोरियों को ध्यान में रखते हुए बुनियादी अधिगम के लिए भिन्न भिन्न समय और मार्ग अपनाया जाता है। इससे बच्चे का सर्वांगीण विकास संभव है।
विद्यालय में विभिन्न परिवेश से बच्चे आते हैं और सभी बच्चों का लर्निंग लेवल अलग अलग होता है। शिक्षक द्वारा बच्चों को कक्षा में समान शिक्षा प्रदान की जाती है किंतु बच्चों में सीखने का स्तर समान नहीं होता। बच्चों के सीखने के स्तर के आधार पर एक समान आकलन किया जाता है जो सही नहीं है। बच्चों के शिक्षण का आकलन उनके स्तर के अनुसार किया जाना चाहिए। विद्यालय में शिक्षण कार्य शिक्षार्थी केंद्रित होना चाहिए ताकि बच्चे अपने स्तर के अनुसार सीख सके। ऐसा करने से बच्चों में शिक्षण के प्रति रुचि जागृत होगी जिससे उसका सर्वांगीण विकास हो सकेगा।
ReplyDeleteइस पद्धति से बच्चों की कमजोरियों को ध्यान में रखते हुए बुनियादी अधिगम के लिए भिन्न -भिन्न समय पर भिन्न -भिन्न मार्ग अपनाया जाता हैl इससे बच्चे का सर्वांगीण संभव है l
Jagannath Bera.
Oriya MS Arong, Baharagora-1
East Singhbhum.
शिक्षार्थी केंद्रित पध्दति के प्रयोग से बच्चे अपने पूर्व के अनुभवों का प्रयोग खुल कर प्रयोग कर सकेंगे। बच्चे अपनी अपनी गति से सीख सकते है। अपने विचारों को रख सकेंगे। जिससे सभी बच्चों का सर्वंगीण विकास किया जा सकता हैं।
ReplyDeleteMera manna hai ki svi baccho ko saman rup se shikshan pradan nhi kiya ja sakta hai kyoki school me bachche alag-alag samagik parivesh se aate hai. Svi baccho me dikhane ki kshamta ak nhi hoti hai. shiksharthi kendrit paddhati se baccho ko lav hai. 1-khel-khel me dikhna 2.Tnavmukat shikshan ka hona. 3-nirdharit dakhta our prikdhan ka hona. 4bachche ki gunwata ke aadhar per pathkaram banana. 5-shikshak our baccho me achchha sambandh banana. Taki svi baccho ka sarvangin vikash sambhav ho sake
ReplyDeleteSabhi bachho ka gyan tatha richie saman nahi hota hai.Sath hin bachho ko samajik level v diffrent hota hai.Aatah school m teaching work sikcharti kendrit hona chahiae.
ReplyDeleteSHAMBHU SHARAN PRASAD
MS KUSUNDA MATKURIA DHANBAD 1
बाल केंद्रित शिक्षा हो और उनके सीखने की क्षमता के अनुरूप हो। जो बच्चे कमजोर हैं उन्हें अलग से ध्यान दिया जाए।
ReplyDeleteवर्तमान समय में बच्चों के अनुभव, दक्षता तथा सीखने की गति को ध्यान में ना रखकर कक्षा स्तर को महत्व दिया जा रहा है जिस कारण सभी बच्चों का शैक्षणिक प्रगति एक समान नही हो पाता है क्योंकि सभी बच्चे अलग अलग परिवेश से आते है तथा सबकी मातृभाषा भी अलग अलग होती है।कक्षाएं बाल केंद्रित न होकर शिक्षक केंद्रित होती है।शिक्षकों को समय pe पाठ्यक्रम पूर्ण करने का दबाव बनाया जाता है जिस कारण किसी भी तरह से पाठ्यक्रम को पूरी कर खानापूर्ति कर दी जाती है जिस कारण उपलब्धि स्तर निम्न होता है।
ReplyDeleteप्रशिक्षित शिक्षक तथा गुणावतापूर्ण शिक्षक का न होना भी एक बड़ा कारण है।
वास्तव में एक बड़ी बदलाव की आवश्यकता है जिससे छात्र छात्राओं की शैक्षणिक स्तर खासकर प्राथमिक स्तर को सुधारा जा सके।वर्तमान समय में बाल केंद्रित कक्षाएं होना नितांत आवश्यक है इसके लिए समुचित संसाधनों के साथ साथ समुचित व्यवस्था बहुत जरुरी है।शिक्षकों पर से आर्थिक दबाव को भी काम करने की आवश्यकता है ताकि शिक्षक अपने मन से ईमानदारी के साथ बच्चों को शिक्षा दे सके।विभाग के आला अधिकारियों को भी इस बात को संज्ञान में लेकर आगे की रणनीति बनानी चाहिए।
अशोक कुमार ,उत्क्रमित मध्य विद्यालय बोंगावार,मांडू रामगढ़,
Bal kendrit Shiksha mein bacche ka gunatmak Vikas hota hai
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित PADDHATI के प्रयोग के लाभ इस प्रणाली में छात्र की सहभागिता शत प्रशित होता है। जिससे छात्र बहुत जल्दी AWADHAARANA को समझ पातें हैं । बाल केंद्रित प्रणाली से सर्वांगीण विकाश किया जा सकता है।
ReplyDeleteबाल केंद्रित अधिगम से बच्चों में आत्मबिस्वास प्रबल होता है।
ReplyDeleteसीबीई का लक्ष्य है-बच्चों को क्या सीखना है एवं उनका मूल्यांकन कैसे किया जाएगा।
ReplyDeleteBachhon ke liye bahut hi labhprad aur ruchipurn hoga.bachhe teji se sikhenge.
ReplyDeleteसभी वर्ग के बच्चों को शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति के प्रयोग समान रूप से सभी बच्चों पर शिक्षकों को शिक्षणरुपी के साथ-2 रुचिकर ढंग से एवं लचीलापन पढ़ाने की आवश्यकता हैं।
ReplyDeleteदक्षता आधारित शिक्षा एक महत्वपूर्ण पहल है। झारखंड में ज्ञानसेतु नामक एक कार्यक्रम दक्षता आधारित शिक्षा के समतुल्य चल रही है। जिसमें बच्चों को दक्षता के स्तर के आधार पर समूह निर्माण कर शिक्षण अधिगम कार्य चल रही है।
ReplyDeleteबच्चों का sarvangeen Vikas Kiya Ja sakta hai
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग से बहुत से लाभ हो सकते हैं जैसे बच्चे अपने पूर्व के अनुभवों का प्रयोग कर खुल कर प्रयोग कर सकेंगे
ReplyDeleteएवं मात्रिभाषासे आते हैंतथासीखने की क्षमताभीअलग-अलगहोती हैऐसे मेंबाल केंद्रित शिक्षा की पतिबाल केंद्रित शिक्षा की अति आवश्यक हैताकिबच्चों का समान रूप सेबच्चों का समान रूप से सर्वांगीण विकास हो सकेओके
ReplyDeleteकि सभी बच्चों का समान रूप से शिक्षा प्रदान नहीं किया जा सकता है क्योंकि स्कूल में बच्चे अलग-अलग परिवेश एवं मातृभाषा से आते हैं तथा सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होती है ऐसे में बाल केंद्रित शिक्षा की अति आवश्यक है ताकि बच्चों का समान रूप से सर्वांगीण विकास हो सके
ReplyDeleteदक्षता आधारित शिक्षण एक महत्वपूर्ण पहल है। सभी छात्रों को एक समान शिक्षण व्यवस्था के अभाव में भयावह परिणाम दृष्टिगोचर हो रहे हैं। शिक्षार्थी केन्द्रित शिक्षण के कई सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। विविध सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के शिक्षार्थी तीव्र गति से शैक्षिक एवं मानसिक शारीरिक विकास की जानिब कदम मील का पत्थर साबित होगा।
ReplyDeleteSHAKIL AHMAD
R M S BAREPUR HUSSAINABAD PALAMU
मेरा विचार है किसभी बच्चों का समान रूप से शिक्षासभी बच्चों का समान रूप से शिक्षा प्रदान नहीं किया जा सकता है क्योंकि स्कूल में बच्चे अलग अलग परिवेश एवं मात्री भाषा से आते हैं तथा सीखने की क्षमता भी अलगसभी बच्चों का समान रूप से शिक्षा प्रदान नहीं किया जा सकता है क्योंकि स्कूल में बच्चे अलग अलग परिवेश एवं मात्री भाषा से आते हैं तथा सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होती है ऐसे में बाल केंद्रित शिक्षा कीसभी बच्चों का समान रूप से शिक्षा प्रदान नहीं किया जा सकता है क्योंकि स्कूल में बच्चे अलग अलग परिवेश एवं मात्री भाषा से आते हैं तथा सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होती है ऐसे में बाल केंद्रित शिक्षा के प्रतिसभी बच्चों का समान रूप से शिक्षा प्रदान नहीं किया जा सकता है क्योंकि स्कूल में बच्चे अलग अलग परिवेश एवं मात्री भाषा से आते हैं तथा सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होती है ऐसे में बाल केंद्रित शिक्षा की अति आवश्यक है ताकि बच्चों का
ReplyDeleteबहुत से बच्चे अलग अलग सामाजिक परिवेश से विद्यालय मैं आते हैं जिनमे वैयक्तिक भिन्नता होती है शिक्षार्थी केन्द्रित शिक्षा से बच्चों मैं अलग अलग रूप से सीखने की दक्षता होती है जिस कारण बच्चों मैं सामान रूप से शिक्षा देना मेरी राय मैं सही नहीं होगा अलग अलग बच्चों मैं उनके स्तर के हिसाब से ही उन्हें शिक्षा देना सही होगा
ReplyDeleteबच्चों के दक्षता के अनुसार सीखने को अवसर मिलेगा।
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा से बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है।
ReplyDeleteचूकि सभी विधार्थी असमान माहौल से आते हैं इसलिए एक समान शिक्षा से उनका समुचित विकास नहीं होगा|विधार्थी केंद्रित शिक्षा इस समस्या का समाधान हो सकता है|
ReplyDeleteChildren with different mindset come to school. Over all development of the child is experienced.
ReplyDeleteKumari Sandhya Rani
Effective teaching for children
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ReplyDeleteप्रारम्भिक वर्षों में बच्चों को दिए गए अनुभव एक जैसे नहीं होते हैं और ना ही सभी बच्चे विभिन्न अनुभवों को समान ग्रहण कर पाते हैं ।आज की शिक्षा प्रणाली में हम देखते हैं कि कक्षा में प्रवेश लेने वाले सभी बच्चों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे नियत समय पर अपनी कौर्स विषयवस्तु को सीख लेंगे ।अधिकांश शिक्षण पाठ्यपुस्तक पर आधारित होता है और शिक्षकों का ध्यान निश्चित पाठ्यक्रम को करने पर होता है ।समूचे कक्षा को एक जैसी शिक्षा दी जाती है
ReplyDeleteविविध प्रकार की विविधताओं के कारण शिक्षार्थियों में भिन्नता होती है,जिस कारण सीखने की अलग-अलग आवश्यकताएँ हो सकती हैं ।वर्तमान शिक्षा प्रणाली इस और ध्यान नहीं देती है ।सभी शिक्षार्थियों से कक्षा की विषय सामग्री के मानकों को पूरा करने और सीमित शिक्षा प्रणाली में परीक्षण देने के लिए तैयार होने की अपेक्षा की जाती है ।परंतु बच्चों में सीखना परिवर्तनशील होता है ।अवधारणाओं को कुछ बच्चे तेजी से सीख लेते हैं तो कुछ बच्चों को अधिक अभ्यास की आवश्यकता होती है ।
अतः हमें दक्षता आधारित शिक्षा की और बढ़ने की सख्त जरूरत है ।हमें शिक्षण पद्धति में बदलाव/सुधार करना
होगा ।शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को शिक्षक और पाठ्यपुस्तक केन्द्रित न होकर उसे शिक्षार्थि केंद्रित करना होगा ।
शिक्षार्थि केंद्रित पद्धति के बहुत सारे लाभ है जिनमें मुख्य हैं:- 1:इस पद्धति में शिक्षण का केंद्रबिन्दु शिक्षार्थि होता है ।इस पद्धति के अंतर्गत छात्र की रूचियों,क्षमताओं और प्रवृत्तियों को ध्यान में रखकर शिक्षण प्रदान किया जाता है।
2:इसमें व्यक्तिगत शिक्षण को महत्व दिया जाता है ।
3:इसमें बच्चों का व्यक्तिगत रूप से निरीक्षण कर उनकी कठिनाइयों को दूर किया जाता है ।
4:इस पद्धति में स्वाभाविक रूप से अनुशासन स्थापित होता है ।
5:इससे बालक में स्वावलम्बन तथा स्वतंत्रता की भावना उत्पन्न होती है ।
6:बालक चुने हुए साधनों में से अपनी इच्छानुसार साधन का चुनाव कर सकते हैं ।
7:बालक द्वारा स्वयं किए गए कार्य से उसे मानसिक संतुष्टि और शान्ति का अनुभव होता है ।
8:इससे उसके शारीरिक और मानसिक विकास में सहायता मिलती है ।
इसकी कुछ सीमाएं भी हैं,जैसे:-समय की कमी,सभी बच्चों की इच्छानुसार साधन की कमी,पाठ्यक्रम पूरा करने का दबाव आदि हालांकि शिक्षक धैर्य लगन और अपनी विवेक से इन सीमाओं पर पार पा सकते हैं,एक शिक्षक होने के नाते तथा बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हमें ऐसा करना ही होगा ।
उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय जिरहुलिया, सी.आर.सी- म.वि.बांका, प्रखंड- हंटरगंज, जिला- चतरा, झारखण्ड।
अनुभव
ReplyDeleteBal kendrit shiksha se bachchon aatmvishwas badhega.
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा से यह लाभ होता है कि बच्चे अपनी अपनी गति से सीख सकते हैं।सभी बच्चे अपने आप मे विशिष्ट होते हैं।
ReplyDeleteइसका हानि यह भी हो सकती है की कुछ कमजोर बच्चे काफी पीछे रह सकते हैं। एक ही वर्ग में बच्चों के बीच मे काफी समानता हो सकती है।लेकिन शिक्षक की भूमिका यह है कि उन कमज़ोर बच्चों को भी किसी भी तरह उन बच्चों के साथ ले कर चलना होगा जो काफी तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं।
Child centre education ke bahut benefits hai. Jaise bachche kta soch rahe hai unki kis chis me ruching hai sari bato ko dhyan me rekh kar padhai se bachcho ko bahut labh mil sakta hai
ReplyDeleteबच्चो के अनुभवों को शिक्षण में उपयोग करने से लाभ होंगे।बच्चों के अनुभवों से बच्चों को समझने में भी मदद मिलेगी
ReplyDeleteशिक्षक होने के नाते मैं यह विश्वास पूर्वक कहा सकता हूं कि सभी बच्चों की भाषायी विविधता, घरेलू वातावरण, मौखिक भाषा विविधता, दृष्यात्मक विभिन्नता,समझ की विभिन्नता आदि के आधार पर समझ अलग-अलग होती है और इस कारण सभी बच्चों का कौशल विकास, ज्ञान एक नहीं होता है। कुछ बच्चे में तो आसानी से भलीभांति समझ विकसित हो जाती है परन्तु कुछ में काफी दिक्कतें आती है। ऐसे में शिक्षार्थी केन्द्रित शिक्षा का अनिवार्य रूप से आवश्यक है। जिनके लाभ निम्नलिखित हैं:-
ReplyDelete01. बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव है।
02. बच्चे अपने गति के अनुसार दक्षता पूर्वक सीख विकसित करते हैं।
03. वे अपनी घरेलू पृष्ठभूमि,भाषायी,देख रेख आदि के अनुसार दक्षता को विकसित करने में सक्षम होते हैं।
04. इस विधि में बच्चों का दृष्यात्मक क्षमता, कौशल विकास आदि का पूर्ण रूपेण विकास होता है।
05. यह सम्पूर्ण रूप से बच्चों के बुद्धि विकास में सफल योगदान देता है।
अपितु इस विधि के व्यापक सफलता संभव है जब तक कि इसमें शिक्षकगणों, समुदायिक सहयोग, अभिभावक सहयोग की अपेक्षा है।
शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग से बहुत से लाभ हो सकते हैं जैसे बच्चे अपने पूर्व के अनुभवों का प्रयोग कर खुल कर प्रयोग कर
ReplyDeleteसभी छात्र अलग अलग परिवेश से विद्यालय आते है।उनके सीखने का स्तर भी अलग अलग होता है।बच्चों के अधिगम को सुधारने के लिए स्कूलों में सभी बच्चों को एक ही तरीके तथा समान पाठ्यसामग्री के साथ पढाया जाता है।यह तरीका सही नहीं है।शिक्षार्थी केन्द्रित शिक्षा में बच्चे अपनी गति से सीखते हैं,साथ ही उनपर पाठ्यसामग्री का बोझ भी नहीं रहता है।
ReplyDeleteBal kendrit shikshan labhkari siddh hogi.
ReplyDeleteएक कक्षा में कई स्तर के छात्र होते हैं। इसलिए शिक्षार्थी केन्द्रीत शिक्षण लाभदायक है
ReplyDeleteहर बच्चा अलग परिवेश से आते है। इसलिए उनके सीखने में भी अन्तर आ जाता है। अतः शिक्षार्थी केन्द्रित शिक्षा का होना लाज़मी है।
ReplyDeleteEvery child have individual differences, so education should be provided child centered.
ReplyDelete
ReplyDeleteबच्चों को बहुत ही लाभ मिलेगा क्योंकि सभी बच्चों की सीखने की गति समान नहीं होती है साथ ही साथ उनका परिवेश भी अलग अलग होता है एक ही शिक्षण पद्धति का उपयोग सभी बच्चों पर करने से सभी के लिए कारगर नहीं होती है अतः शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण पद्धति का उपयोग कर सभी बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है|
बच्चों की सामाजिक पृष्ठभूमि भिन्न-भिन्न होती है, जिससे उनके सीखने की गति भी भिन्न होती हैं ।अतः बाल केंद्रित शिक्षण पद्धति से सभी बच्चों का शैक्षिक विकास किया जा सकता है ।
ReplyDeleteदक्षता आधारित शिक्षण एक महत्वपूर्ण पहल है।बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये यह अत्यावश्यक है।
ReplyDeleteसभी बच्चों का समझ, ज्ञान और रुचि समान नहीं होती अत:शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग से बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है|
ReplyDeleteकिसी भी वर्ग में समान बुद्धि वाले छात्र, छात्राएं नहीं होते इसलिए जो छात्र जहां पर है वहीं से पढ़ाई शुरु करते हैं_जैसे, यदि किसी छात्र को अक्षर ज्ञान नहीं है तो फिर से हम अक्षर ज्ञान से ही पढ़ाई शुरु कर देते हैं ताकि उस छात्र को आगे चलकर पढ़ाई में दिक्कत न हो , पढ़ाई में रुचि बढ़ेगी।
ReplyDeleteबच्चे एक समान नहीं सिखते इसलिए शिक्षार्थी केन्द्रित शिक्षा प्रक्रिया लाभदायक सिद्ध हो सकती है।
ReplyDeleteप्रत्येक एक बच्चा अपने आप में अलग होता है। उसकी पारिवारिक परिस्थिति, आर्थिक स्थिति, घर पर उपस्थित सदस्यों की संख्या एवं अन्य कार्य जो उसे सामाजिक रूप से मिले होते हैं के कारण अलग होता है।
ReplyDeleteलेकिन वही बच्चा जब कक्षा में होता है तो सभी समान होते हैं ऐसे में दी जाने वाली शिक्षा अगर समान होती है तो निश्चित तौर पर उसका अधिग्रहण बच्चों के द्वारा सामान्य नहीं हो पाता है। दूसरी तरफ शिक्षकों की समस्या, ग्रामीणों के साथ तालमेल अधिकारियों की निर्देशों का दबाव और अभिभावकों की रोजमर्रा जिंदगी में बढ़ती उलझन आवश्यक माहौल बना पाने में सक्षम नहीं हो पाती है अतः मिशन की सफलता को प्राप्त करने के लिए इन सभी हीतकारकों के बीच आवश्यक समन्वय की भी आवश्यकता है
This course will also be very useful for over-all development of our students of grade 1-3.
ReplyDeleteThis course will also enhance our students ,teacher for great achievement in our curriculum.
ReplyDeleteबाल केन्द्रित पद्दति के प्रयोग से बच्चों का सर्वांगीण विकास काफी लाभदायक है |
ReplyDeleteबच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु बाल केन्द्रित शिक्षा सर्वतम है
ReplyDeleteसभी बच्चे अलग अलग स्तर के होते है। इसलिए बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु बाल केन्द्रित शिक्षा अतिआवश्यक है।
ReplyDeleteशिक्षक होने के नाते मैं यह अनुभव करता हूँ कि सभी विद्यार्थियों के भाषायी कौशलों,दृश्यगत्यात्मक कौशलों सामाजिक तत्परता के स्तरों में भिन्नता,मौखिक भाषा के स्तरों में भिन्नता और घर की पृष्ठभूमि में विविधता के परिणाम स्वरूप भिन्नता हो सकती है जिसके कारण सीखने की अलग-अलग आवश्यकताएँ हो सकती है।ऐसी परिस्थिति में शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा देने की आवश्यकताएँ महसूस की जाती है,जिनके लाभ निम्नवत हो सकते हैं:-
ReplyDelete01) शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा में बच्चे अपने गति से सीखते हैं।
02)इस शिक्षण विधि से बच्चे विभिन्न गतिविधियों,अनुभवों,कला,खेल,तकनीक आदि के एकीकरण पर आधारित शिक्षण प्राप्त करते हैं।
03)इस शिक्षण विधि से शिक्षार्थियों का सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा।
04)इस शिक्षण विधि से शिक्षार्थियों के अंदर दक्षता आधारित शिक्षा की अवधारणा की संकल्पना को मूर्तरूप प्रदान किया जा सकेगा।
05)इस शिक्षण विधि से शिक्षार्थियों के अपने घरेलू परिवेश के संसाधनों का बेहतर प्रयोग करते हुए अपने ज्ञानेंद्रियों के आधार पर क्षेत्रीय /मातृभाषाओं में अपना सर्वांगीण विकास कर सकेंगे।आदि
शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति के प्रयोग द्वारा बच्चों में विषय वस्तु की अवधारणा को बेहतर ढंग से विकसित किया जा सकता है ।
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा पद्धति से पाठ रोचक एवं सहज हो जाता है बच्चे आसानी से पाठ को सीख पाते हैं घर पर जाकर अपने माता-पिता से चर्चा करते हैं जिससे पाठ की पुनरावृति भी हो जाती है यह एक अच्छी शिक्षा शिक्षण है
ReplyDeleteShiksharthi adharit shikshan pranali see anekon labh hain bhin bhin gatividhiyon dears unki dakshata kaushalon ko viksit Kiya ja sakta hai
ReplyDeleteबच्चे का शिक्षण रुचि आधारित होने चाहिए।शिक्षार्थी केन्द्रित पध्दति के प्रयोग से बच्चों को सिखने मे लाभ होगा ।
ReplyDeleteSiksharthi kendrit sikshan se bachcho ka sarvangin bikash hoga.
ReplyDeleteBalkendrit sikshan se bachcho ka sarvangin vikash ho sakta hai.
ReplyDeleteGood course
ReplyDeleteमैं एकल शिक्षकीय विद्यालय में हूं, जहां बच्चों की संख्या बहुत अधिक नहीं है। ऐसे में बच्चों को उनके सीखने की क्षमता के अनुसार अलग-अलग समूह में काम कराती हूं। लेकिन समय कम हो और पाठ्यक्रम आगे बढ़ाना हो तो परेशानी होती है।
ReplyDeleteशिक्षिका के नाते मैं यह अनुभव करती हूँ कि सभी विद्यार्थियों के भाषायी कौशलों,दृश्यगत्यात्मक कौशलों सामाजिक तत्परता के स्तरों में भिन्नता,मौखिक भाषा के स्तरों में भिन्नता और घर की पृष्ठभूमि में विविधता के परिणाम स्वरूप भिन्नता हो सकती है जिसके कारण सीखने की अलग-अलग आवश्यकताएँ हो सकती है।ऐसी परिस्थिति में शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा देने की आवश्यकताएँ महसूस की जाती है,जिनके लाभ निम्नवत हो सकते हैं:-
ReplyDelete01) शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा में बच्चे अपने गति से सीखते हैं।
02)इस शिक्षण विधि से बच्चे विभिन्न गतिविधियों,अनुभवों,कला,खेल,तकनीक आदि के एकीकरण पर आधारित शिक्षण प्राप्त करते हैं।
03)इस शिक्षण विधि से शिक्षार्थियों का सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा।
04)इस शिक्षण विधि से शिक्षार्थियों के अंदर दक्षता आधारित शिक्षा की अवधारणा की संकल्पना को मूर्तरूप प्रदान किया जा सकेगा।
05)इस शिक्षण विधि से शिक्षार्थियों के अपने घरेलू परिवेश के संसाधनों का बेहतर प्रयोग करते हुए अपने ज्ञानेंद्रियों के आधार पर क्षेत्रीय /मातृभाषाओं में अपना सर्वांगीण विकास कर सकेंगे।आदि।
हालाँकि इस शिक्षण विधि के की सकारात्मक परिणाम संभव दिखलाई पड़ते हैं परन्तु इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगा कि हम सभी शिक्षकगणों,अभिभावकों,समुदायों,प्रशासकों आदि की भूमिका कैसी है।अगर इनके किसी भी स्तर पर सकारात्मक अनुसमर्थन में कमी आयेगी तो निश्चित रूप से इसके प्रतिफलों की प्राप्ति संभव नहीं होगा। अनुशासनात्मक एवं अन्य कई चुनौतियों को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।बहुत-बहुत धन्यवाद।
बच्चों को बहुत ही लाभ मिलेगा । क्योंकि सभी बच्चों की सीखने की गति समान नहीं होती है, साथ ही साथ उनका परिवेश भी अलग अलग होता है । एक ही शिक्षण पद्धति का उपयोग सभी बच्चों पर करने से सभी के लिए कारगर नहीं होती है।अतः शिक्षार्थी केन्द्रित शिक्षण पद्धति का उपयोग कर सभी बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है !
ReplyDeleteबच्चों के अनुभवों को शिक्षणो में शामिल करने से लाभ होगा ।शिक्षाथी केंद्रित पद्धति के प्रयोग से बहुत लाभ हो सकता है।
ReplyDeleteसभी विद्यार्थियों के भाषायी कौशलों,दृश्यगत्यात्मक कौशलों सामाजिक तत्परता के स्तरों में भिन्नता,मौखिक भाषा के स्तरों में भिन्नता और घर की पृष्ठभूमि में विविधता के परिणाम स्वरूप भिन्नता हो सकती है जिसके कारण सीखने की अलग-अलग आवश्यकताएँ हो सकती है।ऐसी परिस्थिति में शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा देने की आवश्यकताएँ महसूस की जाती है,जिनके लाभ निम्नवत हो सकते हैं:-
ReplyDelete01) शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा में बच्चे अपने गति से सीखते हैं।
02)इस शिक्षण विधि से बच्चे विभिन्न गतिविधियों,अनुभवों,कला,खेल,तकनीक आदि के एकीकरण पर आधारित शिक्षण प्राप्त करते हैं।
03)इस शिक्षण विधि से शिक्षार्थियों का सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा।
04)इस शिक्षण विधि से शिक्षार्थियों के अंदर दक्षता आधारित शिक्षा की अवधारणा की संकल्पना को मूर्तरूप प्रदान किया जा सकेगा।
05)इस शिक्षण विधि से शिक्षार्थियों के अपने घरेलू परिवेश के संसाधनों का बेहतर प्रयोग करते हुए अपने ज्ञानेंद्रियों के आधार पर क्षेत्रीय /मातृभाषाओं में अपना सर्वांगीण विकास कर सकेंगे। भानु प्रताप मांझी, उत्क्रमित उच्च विद्यालय चिपड़ी, ईचागढ़, सरायकेला-खरसावां, झारखंड
शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति के प्रयोग से बच्चे खेल-खेल,गतिविधि समूह चर्चा के माध्यम से रूचिपूर्ण तथा जल्दी सीखते हैं।
ReplyDeleteशिक्षक होने के नाते मैं यह अनुभव करता हूँ कि सभी विद्यार्थियों के भाषायी कौशलों,दृश्यगत्यात्मक कौशलों सामाजिक तत्परता के स्तरों में भिन्नता,मौखिक भाषा के स्तरों में भिन्नता और घर की पृष्ठभूमि में विविधता के परिणाम स्वरूप भिन्नता हो सकती है जिसके कारण सीखने की अलग-अलग आवश्यकताएँ हो सकती है।ऐसी परिस्थिति में शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा देने की आवश्यकताएँ महसूस की जाती है,जिनके लाभ निम्नवत हो सकते हैं:-
ReplyDelete01) शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा में बच्चे अपने गति से सीखते हैं।
02)इस शिक्षण विधि से बच्चे विभिन्न गतिविधियों,अनुभवों,कला,खेल,तकनीक आदिसभी बच्चों का ज्ञान समान नहीं होता एवं सबकी रुचियां समान नहीं होती । शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति के प्रयोग से बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है।
शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग से बहुत से लाभ हो सकते हैं जैसे बच्चे अपने पूर्व के अनुभवों को साझा कर खुलकर प्रयोग कर सकेंगे । सभी बच्चों का ज्ञान समान नहीं होता एवं सबकी रुचियां समान नहीं होती है साथ ही उनका परिवेश भी अलग अलग होता है अतः शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के माध्यम से बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है।
ReplyDeleteसीखना जीवन पर्यंत चलने वाली घटना है और यही सीखना जब हम बच्चों के लिए लागू करते हैं तो बच्चों पर केंद्रित होने वाली विधियां ही जीवन पर्यंत चलती है ।सीखने की घटना किताबों से कम बच्चों के क्रियाकलाप और गतिविधि आधारित होनी चाहिए , तो उसके समस्या समाधान के रास्ते भी बच्चे स्वयं कई बार ढूंढ निकालते हैं।
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा में बच्चे अपने गति से सीख सकते है। इस शिक्षण विधि से बच्चो का सर्वागीण विकास किया जा सकता है।
ReplyDeleteBenifit from "Bal kendrit"
ReplyDeleteGrowth and allround development in field such as knowledge,sports,good communication skill, knowledge about new advancement technology .Good surrounding create great oppuranity to know there interest of teacheres as well as students.