समग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलु के तहत आप कौन- सी नवीन गतिविधियाँ संचालित कर सकते हैं ? अपने विचार साझा करें I
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सबसे पहले बच्चों में पर्यावरण और सांस्कृतिक पहलुओं को लेकर रुचि पैदा करनी होगी तत्पश्चात रंगमंच के कार्यक्रमों सांस्कृतिक जानकारी तथा पर्यावरण को समझने के लिए आसपास के परिवेश से ही उदाहरण जुटाने होंगे! समग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम बच्चो को नाटक के माध्यम से हमारी संस्कृति के बारे में ज्यादा बता पाएंगे। पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए हम बच्चो से अलग अलग विषय पर मॉडल बनवाकर।
ReplyDeleteBachchon me paryawaran aur sanskritik pahluon ko lekar ruching payda karni hogi uske baad stage program me calturel information and nature ko samjhate k liye Asia's k parivesh se hi udaharan jutane hone, samarg education k cultural and nature pahlu k antarctic ham student ko drama k madhyam se hamari cultural ko samja payenge and jagruk karenge
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ReplyDeleteसबसे पहले बच्चों में पर्यावरण और सांस्कृतिक पहलुओं को लेकर रुचि पैदा करनी होगी तत्पश्चात रंगमंच के कार्यक्रमों सांस्कृतिक जानकारी तथा पर्यावरण को समझने के लिए आसपास के परिवेश से ही उदाहरण जुटाने होंगे! समग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम बच्चो को नाटक के माध्यम से हमारी संस्कृति के बारे में ज्यादा बता पाएंगे। पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए हम बच्चो से अलग अलग विषय पर मॉडल बनवाकर
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ReplyDeleteसबसे पहले बच्चों में पर्यावरण और सांस्कृतिक पहलुओं को लेकर रुचि पैदा करनी होगी तत्पश्चात रंगमंच के कार्यक्रमों सांस्कृतिक जानकारी तथा पर्यावरण को समझने के लिए आसपास के परिवेश से ही उदाहरण जुटाने होंगे! समग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम बच्चो को नाटक के माध्यम से हमारी संस्कृति के बारे में ज्यादा बता पाएंगे।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलुओं के तहत विद्यार्थीयों को दो समूहों में बांट देते हैं समूह एक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे उस क्षेत्र के नृत्य संगीत के द्वारा और समूह दो पयावरण से संबंधित गायन नृत्य और नाटक प्रस्तुत करेगा इस गतिविधि को विद्यालय में बाषिक समारोह के दौरान प्रतियोगिता आयोजित करेंगे ।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलूओं के तहत् विद्यार्थियों को दो समूहों में बांट देंगे प्रथम समूह ़सांस्कृतिक कार्य क्रम करेंगे क्षेत्रीय नृत्य गायन और नाटक प्रस्तुत करेंगे|
ReplyDeleteअपने क्षेत्र के तीज त्योहारों के मनाने के तरीके के बारे में जानकारी देते हुए उनको मनाने के पर्यावरण सहिष्णु तरीकों को बताते हुए विद्यालय में सबों के साथ मनाने का निर्णय लिया जा सकता है। इस विषय पर चर्चा, रंगोली गीत संगीत और नाटिका का आयोजन किया जा सकता है I
ReplyDeleteSamarg siksha k sanskritik aur pariyawaraniye pahalu k vikash hetu vidyarathiyo ko rachnatakmak tarike s padhana hoga taki unki ruchi bani rhe. Unhe tour k jariye pariyawaran aur sanskriti ka vikas kiya ja skta hai.
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम बच्चो को नाटक के माध्यम से हमारी संस्कृति के बारे में ज्यादा बता सकते हैं। पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए तरह तरह के नाटक किये जा सकते हैं।
ReplyDeleteSchool me sanskritik karyakramo ko barhawa Dena hai .Pryavaran jagruk k liye bachon ko per lagana ewam prakritik jagah ka daura kiya ja sakta hai.
ReplyDeleteSamagra siksha ke sanskritik aur paryavarniya pahlu ke adhigam ke liye class ke bachho ko alag alag team me batkar gatividhi karakar sikhne me madad karenge
ReplyDeleteशिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम बच्चो को नाटक के माध्यम से हमारी संस्कृति के बारे में ज्यादा बता सकते हैं। पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए तरह तरह के नाटक किये जा सकते हैं।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलूओं के तहत् विद्यार्थियों को दो समूहों में बांट देंगे प्रथम समूह ़सांस्कृतिक कार्य क्रम करेंगे क्षेत्रीय नृत्य गायन और नाटक प्रस्तुत करेंगे
ReplyDeleteसुखलाल मुर्मू धनबाद । बच्चों में सांस्कृतिक पहलुओं का महत्व समझा न होगा ।समय समय पर सांस्कृतिक प्रोग्राम का आयोजन किया जायेगा ।ताकि बच्चों में उत्साहपूर्ण माहौल तैयार हो ।इस प्रकार बच्चों में आंतरिक मनोबल सुदृढ़ होगा जिससे इनकी अधिगम अभिवृत्ति का जागॄत होगी और लंबे समय तक ऐसी भावना कायम रह सकती है ।साथ ही साथ हम पर्यावरणीय विशेषताओं को भी इन्हें बतायेंगे ।जैसे पर्यावरण की रक्षा करने से हमें क्या लाम है ।इन्हें पेड़ पौधों को बचाने का महत्व बतायेंगे ।इस प्रकार अनेक गतिविधियाँ बच्चों को करा सकते हैं जिससे बच्चों में अधिगम अभिवृत्ति भली भांति जागॄत हो सकेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteशिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम बच्चों को नाटक के माध्यम से हमारी संस्कृति के बारे में ज्यादा बता सकते हैं। पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए तरह-तरह के नाटक किए जा सकते हैं
ReplyDeleteविद्यार्थियों में सांस्कृतिक पहलुओं एवं पर्यावरणीय ज्ञान को जागृत करने के लिए विद्यालय में ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है। मेरे विचार से पारंपरिक - सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं के माध्यम से भी ऐसा किया जा सकता है। हम जब सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं के बारे बात करते है तो केवल नृत्य, गान,नाटक तक ही सीमित हो जाते है। इससे इतर भी कई ऐसे क्षेत्र है जो अबतक अनछुए है। मै यहाँ कुछ नये विचारों को साझा करना चाहूँगा - हमारे पूर्वजों ने हमें कई सारी कलाएँ सौंपी है उनसे हम विद्यार्थियों को रुबरु करवा सकते है,जैसे भूमिगत जलस्रोत का पता लगाना, अपने आस - पास के औषधीय पौधों के बारे जानना,चटाई,पत्तल झाड़ू बनाना आदि । विद्यार्थियों को अपने आस पास के ऐतिहासिक स्थलों के बारे जानकारी जुटाकर एक व्यवस्थित एक फोटो प्रदर्शनी या छोटा वीडियो प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। स्थानीय लोक त्योहारों को विद्यालय में मनाया जा सकता हैं।
ReplyDeleteभाषा, संस्कृति और पर्यावरण वर्तमान समय में मानव जीवन की सकुशलता के लिए महत्वपूर्ण पहलू है। इन तीनों विषयों पर विद्यार्थियों को जीवनोपयोगी ज्ञान देना आवश्यक है। अतः इनके विषय के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक करना है। इस के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए। पर्यावरण के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए चित्रकला, लेखन, वाद विवाद आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteShiksha k sanskritik or paryawarniya pahlu k antargat hum bachho ko Natak k madhyam se Hamari sanskriti k bare me jyada Bata sakte hain.paryawaran k prati jagruk Karne k lie tarah tarah k Natak kiye ja sakte Hain.
ReplyDeleteNirmala kumari-teacher
Ms karkoma, Meral
DIST-GARHWA
JHARKHAND
बच्चो को पर्यावरण और सांस्कृतिक अभिरुचि पैदा करने की जरूरत है।
ReplyDeleteCultural Programme and short dramas on nature related themes
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