खिलोनों के उपयोग से आप अपनी कक्षा को कैसे रोचक बना सकते हैं ? अपने विचार साझा करें I
This blog is for online NISHTHA Training for Jharkhand State. You are welcome to share your reflections/comments/suggestions on this page.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
कोर्स 12 : गतिविधि 5 : खिलौना क्षेत्र का सृजन – अपने विचार साझा करें
आप अपनी कक्षा/ स्कूल में खिलौना क्षेत्र कैसे सृजित करेंगे – इस बारे में सोचें। डी-आई-वाई खिलौनों का सृजन करने में बच्चों की सहायता के लिए ...
-
COVID-19 (कोरोना वायरस) के दौरान, आप अपने विद्यार्थियों के साथ किस प्रकार संपर्क में रहे? आपने अपने शिक्षण में क्या मुख्य बदलाव किये? अपने अ...
-
आई.सी.टी. से क्या तात्पर्य है ?
-
How does ICT support your Teaching- Learning- Assessment? Take a moment to reflect and share your understanding in the comment box.
Jis prakar baccho k tv shows m kai janwar kai naitic khaniya sunate h issi tarah hm bhi khilono ka isstemal kar baccho ko rochak tarike se padha sakte h jaise maths m addition, subtraction aur vibhin prakar k concepts ko bahut assani se samjhaya jaa sakta h itna he nahi easy way m unhe Eng aur hindi literature, history, geography, science ek kahani ya natkiya roop m easily samjhaya jaa sakta h isse unka dhyan aur padhai k prati ruchi aur bhi badhega. Market m aajkal aise khilone bhi aate h jo problem solving ability ko ko badhawa dete h .
ReplyDeleteखिलौनों का इस्तेमाल कर बच्चों को रोचक तरीके से पढ़ा सकते हैं जैसे गणित में जोड़, घटाव और विभिन्न प्रकार के अवधारणाओं को बहुत आसानी से समझाया जा सकता है।
ReplyDeleteखेल, बच्चे की स्वाभाविक क्रिया है। भिन्न-भिन्न आयु वर्ग के बच्चे विभिन्न प्रकार के खेल खेलते हैं। ये विभिन्न प्रकार के खेल बच्चों के समपूर्ण विकास में सहायक होते हैं। खेल से बच्चों का शारीरिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, संवेगात्मक विकास, सामाजिक विकास एवम् नैतिक विकास को बढ़ावा मिलता है किन्तु अभिभावकों की खेल के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति एवम् क्रियाकलाप ने बुरी तरह प्रभावित किया हैं। जटिल भूमिकाओं वाले खेलों में बच्चों का अपने व्यवहार को संगठित करने का बेहतर व सुरक्षित अवसर मिलता है जो वास्तविक स्थितियों में नहीं मिलता। इस तरह खेल बच्चे के लिए निकट विकास का क्षेत्र बनाते है। स्कूली स्थिति की तुलना में खेल के दौरान बच्चों की एकाग्रता, स्मृति आदि उच्चतर स्तर पर काम करती हैं। खेल में बच्चे की नई विकासमान दक्षताएँ पहले उभर कर आती हैं। खेल-नाटकों में बच्चा अपने आन्तरिक विचार के अनुसार काम करता है और मूर्त रूप में दिखने वाली वस्तुओं से बँधा नहीं रहता।
ReplyDeleteखिलौनों का उपयोग पढ़ाई में करने से न सिर्फ बच्चों की पढ़ाई के प्रति जागरूकता बढ़ती है बल्कि उनके तथ्यों को समझने और कुछ नया करने के की उत्सुकता भी बनी रहती है।
ReplyDeleteये विभिन्न प्रकार के खेल बच्चों के समपूर्ण विकास में सहायक होते हैं। खेल से बच्चों का शारीरिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, संवेगात्मक विकास, सामाजिक विकास एवम् नैतिक विकास को बढ़ावा मिलता है किन्तु अभिभावकों की खेल के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति एवम् क्रियाकलाप ने बुरी तरह प्रभावित किया हैं। जटिल भूमिकाओं वाले खेलों में बच्चों का अपने व्यवहार को संगठित करने का बेहतर व सुरक्षित अवसर मिलता है जो वास्तविक स्थितियों में नहीं मिलता। इस तरह खेल बच्चे के लिए निकट विकास का क्षेत्र बनाते है। स्कूली स्थिति की तुलना में खेल के दौरान बच्चों की एकाग्रता, स्मृति आदि उच्चतर स्तर पर काम करती हैं।
ReplyDeleteसुखलाल मुर्मू धनबाद। खेलना बच्चों की प्रवृत्ति है। बच्चों को विभिन्न प्रकार के खिलौनों से खेलना बहुत ही आनंद आता है। इसलिए हम विद्यालय में खिलौनों का उपयोग करते हुए बच्चों को पढ़ायेंगे। इस प्रकार बच्चे आसानी से सीख सकते हैं। इसके द्वारा बच्चों को जटिल से जटिल विधा को सरलतापूर्वक समझने में आसानी होगी। इसलिए हमें अधिगम प्रक्रिया में खिलौनों का उपयोग करने के लिए बढ़ावा देना चाहिए
ReplyDeleteताकि बच्चों को कक्षा में आनंद एवं उत्साह महसूस हो।
Good Subject
ReplyDeleteखिलोनों के द्वारा हम मनोरंजक तरीकों से बॉल lattu,ghirni, धागों से विषय से संबंधित नए खिलौने बनाकर उनको क्रियात्मक बनाते हुए अच्छे तरीके से पढ़ाया जा सकता है।
ReplyDeleteखिलौनों का उपयोग पढ़ाई में करने से न सिर्फ बच्चों की पढ़ाई के प्रति जागरूकता बढ़ती है बल्कि उनके तथ्यों को समझने और कुछ नया करने के की उत्सुकता भी बनी रहती है।भिन्न-भिन्न आयु वर्ग के बच्चे विभिन्न प्रकार के खेल खेलते हैं। ये विभिन्न प्रकार के खेल बच्चों के समपूर्ण विकास में सहायक होते हैं। खेल से बच्चों का शारीरिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, संवेगात्मक विकास, सामाजिक विकास एवम् नैतिक विकास को बढ़ावा मिलता है किन्तु अभिभावकों की खेल के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति एवम् क्रियाकलाप ने बुरी तरह प्रभावित किया हैं। जटिल भूमिकाओं वाले खेलों में बच्चों का अपने व्यवहार को संगठित करने का बेहतर व सुरक्षित अवसर मिलता है जो वास्तविक स्थितियों में नहीं मिलता। इस तरह खेल बच्चे के लिए निकट विकास का क्षेत्र बनाते है। स्कूली स्थिति की तुलना में खेल के दौरान बच्चों की एकाग्रता, स्मृति आदि उच्चतर स्तर पर काम करती हैं। खेल में बच्चे की नई विकासमान दक्षताएँ पहले उभर कर आती हैं। खेल-नाटकों में बच्चा अपने आन्तरिक विचार के अनुसार काम करता है और मूर्त रूप में दिखने वाली वस्तुओं से बँधा नहीं रहता।
ReplyDeleteबच्चे खिलौने के माध्यम से बहुत सारी चीजें सीखते है,
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteछात्रों में जिज्ञासा तथा उत्सुकता लाने के लिए खिलौने के सहारे गणित अध्यापन विषय में रोचकता उत्पन्न करता है।
ReplyDeleteKhel k madhyam se bachon k bhawnatmak lgaw ko barhaya ja sakta hai ewam gahan rup se samajhne me shaya
ReplyDelete.
खिलोनो का उपयोग करके शिक्षणकार्य को और अधिक रूचिकर बना सकते हैं|गणित अध्ययन में बच्चे उत्सुकता पूर्वक गणित में जोड़ घटाव की अवधारणा को अच्छी तरह समझ सकते हैं|
ReplyDeleteखिलौनों की दुनिया आकर्षक, रोचक, मनोरंजक और ज्ञानवर्धक होती है। यह कौतूहल, उत्सुकता जगाती है। जब हम किसी पाठ से किसी खिलौने को जोड़ते हैं तो बच्चों की जिज्ञासा का स्तर, उनकी कनेक्टिविटी बहुत बढ़ जाती है। हम खेल खेल में कठिन से कठिन विषय को रोचक बनाकर उसे स्मृति में चिरस्थाई बना सकते हैं। कागज की कश्ती के साथ पानी की सारी कहानी कही जा सकती है और कागज का हवाई जहाज बच्चों को कागज की कहानी, कल्पना की उड़ान या उड़ान की कल्पना, राइट बंधुओं के खोज और एयरोडायनामिक्स का परिचय कराने में मददगार हो सकता है। निर्भर करता है कि हम पाठ को नवाचारों के साथ, बचपन के खिलौनों के साथ और ऐसी ही विविध सामग्रियों के साथ जोड़ कर अधिगम को कैसे सरल और ग्राह्य बनाते हैं।
ReplyDeleteखिलौने बच्चों को सहज ही आकर्षित करते हैं और खिलौना द्वारा कराई गतिविधि को जल्दी सीखते हैं जैसे वे कागज की नाव हवाई जहाज फूल गुड़िया आदि बनाते हैं इससे उनकी अवधारणा जल्द स्पष्ट होने लगती है वे काफी उत्सुकता से खिलौना का निर्माण करते हैं और खिलौना द्वारा जल्दी सीखते हैं ।
ReplyDeleteKhilono air khel ke madhyam se adhigam prakriya ruchikar hota hai jisse bachhe sahazta se sikhte hai
ReplyDeleteखिलौने के माध्यम से कक्षा के माहौल को जीवंत बनाया है। इससे शिक्षार्थी केंद्रित हो कर अधिक रूचिपूर्ण एवं जिज्ञासा पूर्वक शिक्षण अधिगम प्रक्रियाओं में सम्मिलित होते हैं।
ReplyDeleteBacho ko different games and khilono se jaldi sikhte h
ReplyDeleteखिलौनों के माध्यम से न सिर्फ प्रत्येक विषय को रोचक ढंग से पढाया जा सकता है अपितु कक्षा के माहौल को भी आनंद दाई और जीवंत बनाया जा सकता है।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
Deleteखिलौनों की दुनिया आकर्षक, रोचक, मनोरंजक और ज्ञानवर्धक होती है। यह कौतूहल, उत्सुकता जगाती है। जब हम कोई खिलौना तैयार करते हैं।
ReplyDeleteBacche khilaunon ke madhyam se bahut kuchh sikhate hai
ReplyDeleteAsiya Perween
ReplyDeleteBachhe khilaunon k Madhyam se jigyasu ho Kar bahut kuchh sikhte Hain.
ReplyDeleteBy using playway method, applying toys
ReplyDelete