Saturday, 30 October 2021

कोर्स 12 : गतिविधि 1 : अपने विचार साझा करें

 खिलोनों के उपयोग से आप अपनी कक्षा को कैसे रोचक बना सकते हैं ? अपने विचार साझा करें I

26 comments:

  1. Jis prakar baccho k tv shows m kai janwar kai naitic khaniya sunate h issi tarah hm bhi khilono ka isstemal kar baccho ko rochak tarike se padha sakte h jaise maths m addition, subtraction aur vibhin prakar k concepts ko bahut assani se samjhaya jaa sakta h itna he nahi easy way m unhe Eng aur hindi literature, history, geography, science ek kahani ya natkiya roop m easily samjhaya jaa sakta h isse unka dhyan aur padhai k prati ruchi aur bhi badhega. Market m aajkal aise khilone bhi aate h jo problem solving ability ko ko badhawa dete h .

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  2. खिलौनों का इस्तेमाल कर बच्चों को रोचक तरीके से पढ़ा सकते हैं जैसे गणित में जोड़, घटाव और विभिन्न प्रकार के अवधारणाओं को बहुत आसानी से समझाया जा सकता है।

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  3. खेल, बच्चे की स्वाभाविक क्रिया है। भिन्न-भिन्न आयु वर्ग के बच्चे विभिन्न प्रकार के खेल खेलते हैं। ये विभिन्न प्रकार के खेल बच्चों के समपूर्ण विकास में सहायक होते हैं। खेल से बच्चों का शारीरिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, संवेगात्मक विकास, सामाजिक विकास एवम् नैतिक विकास को बढ़ावा मिलता है किन्तु अभिभावकों की खेल के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति एवम् क्रियाकलाप ने बुरी तरह प्रभावित किया हैं। जटिल भूमिकाओं वाले खेलों में बच्चों का अपने व्यवहार को संगठित करने का बेहतर व सुरक्षित अवसर मिलता है जो वास्तविक स्थितियों में नहीं मिलता। इस तरह खेल बच्चे के लिए निकट विकास का क्षेत्र बनाते है। स्कूली स्थिति की तुलना में खेल के दौरान बच्चों की एकाग्रता, स्मृति आदि उच्चतर स्तर पर काम करती हैं। खेल में बच्चे की नई विकासमान दक्षताएँ पहले उभर कर आती हैं। खेल-नाटकों में बच्चा अपने आन्तरिक विचार के अनुसार काम करता है और मूर्त रूप में दिखने वाली वस्तुओं से बँधा नहीं रहता।

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  4. खिलौनों का उपयोग पढ़ाई में करने से न सिर्फ बच्चों की पढ़ाई के प्रति जागरूकता बढ़ती है बल्कि उनके तथ्यों को समझने और कुछ नया करने के की उत्सुकता भी बनी रहती है।

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  5. ये विभिन्न प्रकार के खेल बच्चों के समपूर्ण विकास में सहायक होते हैं। खेल से बच्चों का शारीरिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, संवेगात्मक विकास, सामाजिक विकास एवम् नैतिक विकास को बढ़ावा मिलता है किन्तु अभिभावकों की खेल के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति एवम् क्रियाकलाप ने बुरी तरह प्रभावित किया हैं। जटिल भूमिकाओं वाले खेलों में बच्चों का अपने व्यवहार को संगठित करने का बेहतर व सुरक्षित अवसर मिलता है जो वास्तविक स्थितियों में नहीं मिलता। इस तरह खेल बच्चे के लिए निकट विकास का क्षेत्र बनाते है। स्कूली स्थिति की तुलना में खेल के दौरान बच्चों की एकाग्रता, स्मृति आदि उच्चतर स्तर पर काम करती हैं।

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  6. सुखलाल मुर्मू धनबाद। खेलना बच्चों की प्रवृत्ति है। बच्चों को विभिन्न प्रकार के खिलौनों से खेलना बहुत ही आनंद आता है। इसलिए हम विद्यालय में खिलौनों का उपयोग करते हुए बच्चों को पढ़ायेंगे। इस प्रकार बच्चे आसानी से सीख सकते हैं। इसके द्वारा बच्चों को जटिल से जटिल विधा को सरलतापूर्वक समझने में आसानी होगी। इसलिए हमें अधिगम प्रक्रिया में खिलौनों का उपयोग करने के लिए बढ़ावा देना चाहिए
    ताकि बच्चों को कक्षा में आनंद एवं उत्साह महसूस हो।

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  7. खिलोनों के द्वारा हम मनोरंजक तरीकों से बॉल lattu,ghirni, धागों से विषय से संबंधित नए खिलौने बनाकर उनको क्रियात्मक बनाते हुए अच्छे तरीके से पढ़ाया जा सकता है।

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  8. खिलौनों का उपयोग पढ़ाई में करने से न सिर्फ बच्चों की पढ़ाई के प्रति जागरूकता बढ़ती है बल्कि उनके तथ्यों को समझने और कुछ नया करने के की उत्सुकता भी बनी रहती है।भिन्न-भिन्न आयु वर्ग के बच्चे विभिन्न प्रकार के खेल खेलते हैं। ये विभिन्न प्रकार के खेल बच्चों के समपूर्ण विकास में सहायक होते हैं। खेल से बच्चों का शारीरिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, संवेगात्मक विकास, सामाजिक विकास एवम् नैतिक विकास को बढ़ावा मिलता है किन्तु अभिभावकों की खेल के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति एवम् क्रियाकलाप ने बुरी तरह प्रभावित किया हैं। जटिल भूमिकाओं वाले खेलों में बच्चों का अपने व्यवहार को संगठित करने का बेहतर व सुरक्षित अवसर मिलता है जो वास्तविक स्थितियों में नहीं मिलता। इस तरह खेल बच्चे के लिए निकट विकास का क्षेत्र बनाते है। स्कूली स्थिति की तुलना में खेल के दौरान बच्चों की एकाग्रता, स्मृति आदि उच्चतर स्तर पर काम करती हैं। खेल में बच्चे की नई विकासमान दक्षताएँ पहले उभर कर आती हैं। खेल-नाटकों में बच्चा अपने आन्तरिक विचार के अनुसार काम करता है और मूर्त रूप में दिखने वाली वस्तुओं से बँधा नहीं रहता।

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  9. बच्चे खिलौने के माध्यम से बहुत सारी चीजें सीखते है,

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  11. छात्रों में जिज्ञासा तथा उत्सुकता लाने के लिए खिलौने के सहारे गणित अध्यापन विषय में रोचकता उत्पन्न करता है।

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  12. Khel k madhyam se bachon k bhawnatmak lgaw ko barhaya ja sakta hai ewam gahan rup se samajhne me shaya
    .

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  13. खिलोनो का उपयोग करके शिक्षणकार्य को और अधिक रूचिकर बना सकते हैं|गणित अध्ययन में बच्चे उत्सुकता पूर्वक गणित में जोड़ घटाव की अवधारणा को अच्छी तरह समझ सकते हैं|

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  14. खिलौनों की दुनिया आकर्षक, रोचक, मनोरंजक और ज्ञानवर्धक होती है। यह कौतूहल, उत्सुकता जगाती है। जब हम किसी पाठ से किसी खिलौने को जोड़ते हैं तो बच्चों की जिज्ञासा का स्तर, उनकी कनेक्टिविटी बहुत बढ़ जाती है। हम खेल खेल में कठिन से कठिन विषय को रोचक बनाकर उसे स्मृति में चिरस्थाई बना सकते हैं। कागज की कश्ती के साथ पानी की सारी कहानी कही जा सकती है और कागज का हवाई जहाज बच्चों को कागज की कहानी, कल्पना की उड़ान या उड़ान की कल्पना, राइट बंधुओं के खोज और एयरोडायनामिक्स का परिचय कराने में मददगार हो सकता है। निर्भर करता है कि हम पाठ को नवाचारों के साथ, बचपन के खिलौनों के साथ और ऐसी ही विविध सामग्रियों के साथ जोड़ कर अधिगम को कैसे सरल और ग्राह्य बनाते हैं।

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  15. खिलौने बच्चों को सहज ही आकर्षित करते हैं और खिलौना द्वारा कराई गतिविधि को जल्दी सीखते हैं जैसे वे कागज की नाव हवाई जहाज फूल गुड़िया आदि बनाते हैं इससे उनकी अवधारणा जल्द स्पष्ट होने लगती है वे काफी उत्सुकता से खिलौना का निर्माण करते हैं और खिलौना द्वारा जल्दी सीखते हैं ।

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  16. Khilono air khel ke madhyam se adhigam prakriya ruchikar hota hai jisse bachhe sahazta se sikhte hai

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  17. खिलौने के माध्यम से कक्षा के माहौल को जीवंत बनाया है। इससे शिक्षार्थी केंद्रित हो कर अधिक रूचिपूर्ण एवं जिज्ञासा पूर्वक शिक्षण अधिगम प्रक्रियाओं में सम्मिलित होते हैं।

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  18. Bacho ko different games and khilono se jaldi sikhte h

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  19. खिलौनों के माध्यम से न सिर्फ प्रत्येक विषय को रोचक ढंग से पढाया जा सकता है अपितु कक्षा के माहौल को भी आनंद दाई और जीवंत बनाया जा सकता है।

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  20. खिलौनों की दुनिया आकर्षक, रोचक, मनोरंजक और ज्ञानवर्धक होती है। यह कौतूहल, उत्सुकता जगाती है। जब हम कोई खिलौना तैयार करते हैं।

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  21. Bacche khilaunon ke madhyam se bahut kuchh sikhate hai

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  22. Bachhe khilaunon k Madhyam se jigyasu ho Kar bahut kuchh sikhte Hain.

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  23. By using playway method, applying toys

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