आप 3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को कैसे सुनिश्चित करेंगे? अपने विचारों को साझा करें।
This blog is for online NISHTHA Training for Jharkhand State. You are welcome to share your reflections/comments/suggestions on this page.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
कोर्स 12 : गतिविधि 5 : खिलौना क्षेत्र का सृजन – अपने विचार साझा करें
आप अपनी कक्षा/ स्कूल में खिलौना क्षेत्र कैसे सृजित करेंगे – इस बारे में सोचें। डी-आई-वाई खिलौनों का सृजन करने में बच्चों की सहायता के लिए ...
-
COVID-19 (कोरोना वायरस) के दौरान, आप अपने विद्यार्थियों के साथ किस प्रकार संपर्क में रहे? आपने अपने शिक्षण में क्या मुख्य बदलाव किये? अपने अ...
-
आई.सी.टी. से क्या तात्पर्य है ?
-
How does ICT support your Teaching- Learning- Assessment? Take a moment to reflect and share your understanding in the comment box.
3-9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिये चॉक और बात के इतर अन्य विधि से करनी चाहिए।जिसमें उनकी समझ विकसित हो।तथा उनकी अवधारणा स्पस्ट हो।उन्हें दैनिक जीवन की गति विधि ,पौधे और पशुओं से जुड़ी तथ्य से अवगत कराकर उपलब्धि देखी जा सकती है।उनकी संख्या ज्ञान की समझ कितनी है इसके विद्यालय में इसतरह की गतिविधियों में शामिल करके जिसमे उन्हें अपने संख्या को प्रदर्शित करने का मौका मिले।और अपने आसपास की चीजों कर बारे में उन्हें बुनियादी साक्षरता दृढ़ हो।
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिये चॉक और बात के इतर अन्य विधि से करनी चाहिए।जिसमें उनकी समझ विकसित हो।तथा उनकी अवधारणा स्पस्ट हो।
ReplyDelete3-9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है।उसके पास ज्ञान ,कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।उसमें सन्दर्भ आधारित,अनुकलात्मक,सहयोगात्मक और परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिये।सभी के बीच समन्वय बनाने की क्षमता तथा विद्यालय में सीखने के वातावरण निर्माण करने की क्षमता भी होनी चाहिए।गतिविधि निर्माण,खेल विधि सहित विभिन शिक्षा शास्त्र का संज्ञानत्मक समझ तथा उसे विद्यालय में लागूं करने के लिए एक सकारात्मक और सृजनात्मक सोच का होना आवश्यक है।
ReplyDeleteबच्चो के भावनाओ और सन्दर्भ की समझ के साथ उनसे जुड़ाव होना एक महत्वपूर्ण पहलू है।
3-9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की कोशिश में उसके माता जो ज्यादातर बच्चों के साथ अपेक्षाकृत निकट होते है अगर वो पढ़ी लिखी कम होती है को रसोई के काम में काम आने वाले सब्जी जैसे आलू, प्याज, टमाटर, परवल आदि गिनती या रंग,आकार की सीख जैसे अवधारणा स्पष्ट सीखने मेें काफी मदद मिलती है।
ReplyDeleteआप 3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को हम की तरह से सुनिश्चित कर सकते हैं। हम अपने विचारों को निम्नवत साझा कर रहे हैं:-
ReplyDelete01)बच्चों के सर्वांगीण विकास की अवधारणाओं को सुनिश्चित करना,
02)बच्चों के विकास के सभी क्षेत्रों पर बल देकर,
03)गतिविधि आधारित शिक्षण अधिगम पर बल देकर,
04)खेल गतिविधि एवं पर्यावरण से जुड़े सरोकार पर विशेष बल देकर,
05)बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान के अवधारणाओं पर बल देकर आदि।बहुत-बहुत धन्यवाद
कौशल किशोर राय,
सहायक शिक्षक,
उत्क्रमित उच्च विद्यालय पुनासी,
शैक्षणिक अंचल:-जसीडीह,
जिल्:- देवघर,
राज्य:- झारखण्ड।
3-9आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की कोशिश में बच्चे की माता का योगदान काफी अहम होता है। जन्म के बाद से ही माता अपने बच्चे से बात करती ही रहती है। इसलिए बच्चे स्कूल आने से पहले ही बहुत कुछ सीख चुके होते हैं। स्कूल आने के बाद उनकी अवधारणा और स्पष्ट हो जाती है।
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिये चॉक और बात के इतर अन्य विधि से करनी चाहिए।जिसमें उनकी समझ विकसित हो।तथा उनकी अवधारणा स्पस्ट हो।उन्हें दैनिक जीवन की गति विधि ,पौधे और पशुओं से जुड़ी तथ्य से अवगत कराकर उपलब्धि देखी जा सकती है।उनकी संख्या ज्ञान की समझ कितनी है इसके विद्यालय में इसतरह की गतिविधियों में शामिल करके जिसमे उन्हें अपने संख्या को प्रदर्शित करने का मौका मिले।और अपने आसपास की चीजों कर बारे में उन्हें बुनियादी साक्षरता दृढ़ हो। भानु प्रताप मांझी, उ उ वि चिपड़ी, ईचागढ़, सरायकेला-खरसावां, झारखंड
ReplyDelete3 से 9वर्ष का आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए चॉक और बात से हट कर अन्य विधि से करनी चाहिए। जिसमें उनकी समझ विकसित हो तथा उनकी अवधारणा स्पष्ट हो। उन्हें दैनिक जीवन की गतिविधि, पौधे और पशुओं से जुड़ी तथ्य से अवगत कराकर उपलब्धि देखी जा सकती है। उनकी संख्या ज्ञान की समझ कितनी इसके लिए विद्यालय में इस तरह की गतिविधि में शामिल कराकर उन्हें संख्या को प्रदर्शित करने का मौका देना चाहिए।
ReplyDelete3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें मौका देना चाहिए ताकी उनके दैनिक जीवन की गतिविधियों को उनकी संख्याज्ञान में शामिल करा कर उनकी उपलब्धि देखी जा सकती है और उनका अवधारणा को स्पष्ट किया जा सकता है।
ReplyDelete3-9 aayu varg ke bachho ki sikhne ki chamta ko sunischit karne ke liye unhe mouka dena chahiye taki unke dainik jivan ki gatividhiyo ko unki sankhya gyan me samil kara kar unki uplabdhi dekhi ja sakti hai aur unka audharna ko clear kiya ja sakta hai.
DeleteAccording to me 3to9 age group needs only the concept of deep thought. So should try our best to develop their concepts through talking playing introducing them with different situations solving the day to day life problems.
Delete3-9 varsh ke aayu varg ke ke bacchon ko sikhane ki ki kshamta ki uplabdhiyan ko ko Nind vicharon se a sunishchit Karenge 1 gatividhi aadharit Shikshan dwara number 2 Khel Khel ke Madhyam se number 3 sikhane ka mahaul Banakar 4 aaj ke Shyam Galiyon Ka prayog Kar
ReplyDeleteGatiwidhi adharit shikshan,khel-khel me siksha,sayam karne ko prerit karne,sikhne ka uchit watawaran etc.ke madhyam se 3-9 varsh ayu wary ke bachhon ki sikhne ki shakta ko sunishicit kiya ja sakta hai.
ReplyDelete3-9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की कोशिश में उसके माता जो ज्यादातर बच्चों के साथ अपेक्षाकृत निकट होते है अगर वो पढ़ी लिखी कम होती है को रसोई के काम में काम आने वाले सब्जी जैसे आलू, प्याज, टमाटर, परवल आदि गिनती या रंग,आकार की सीख जैसे अवधारणा स्पष्ट सीखने मेें काफी मदद मिलती है।
ReplyDeleteG.M.S Premlata devi
DEOCHARAN ORAON 24 FEBRUARY2022 For the physical, mental and social development teacher support father, mother very must necessory.
Delete3 se varg ke tatha mansik Vikas hetu Mata pita shikshak aur samuday ki bhagidari bahut avashyak hai
DeleteFor the physical, mental and social development teacher support parents support must be necessary
ReplyDeleteFor the physical, mental and social development teacher support parents support must necessary.
Delete
ReplyDelete3 से 9वर्ष का आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए चॉक और बात से हट कर अन्य विधि से करनी चाहिए। जिसमें उनकी समझ विकसित हो तथा उनकी अवधारणा स्पष्ट हो। उन्हें दैनिक जीवन की गतिविधि, पौधे और पशुओं से जुड़ी तथ्य से अवगत कराकर उपलब्धि देखी जा सकती है। उनकी संख्या ज्ञान की समझ कितनी, इसके लिए विद्यालय में इस तरह की गतिविधि में शामिल कराकर उन्हें संख्या को प्रदर्शित करने का मौका देना चाहिए
3-9आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की कोशिश में बच्चे की माता का योगदान काफी अहम होता है। जन्म के बाद से ही माता अपने बच्चे से बात करती ही रहती है। इसलिए बच्चे स्कूल आने से पहले ही बहुत कुछ सीख चुके होते हैं। स्कूल आने के बाद उनकी अवधारणा और स्पष्ट
ReplyDelete3:00 से नव वर्ष के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को प्राप्त करने के लिए हमें आंगनबाड़ी शिक्षिका प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका और उनके अभिभावक बच्चों के आसपास के लोग दोस्त भाई बहन सबके साथ मिलकर उनके या बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उनके उनकी मदद करने को कहेंगे समय-समय पर अभिभावक मीटिंग अन्य शिक्षकों से बातचीत करके उनमें सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को उद्धृत करने का प्रयास करेंगे इसके अलावा वर्ग में चौक और बात से हटकर अन्य गतिविधि करवाएंगे जिससे उनकी समाज विकसित हो और संख्या की अवधारणा स्पष्ट हो दैनिक जीवन में काम आने वाले वस्तुओं से भी गतिविधि अभिभावकों के द्वारा करवाने को कहेंगे जैसे रसोई से ही ले पांच आलू लिया दो प्याज लाना तीन टमाटर लाना ऐसी गतिविधियां अभिभावक के साथ मिलकर बच्चों से करवाने से उनमें संख्या ज्ञान की अवधारणा और अस्पष्टता विकसित की जा सकती है धन्यवाद
ReplyDelete3से9वर्ष के बच्चो की सीखने की क्षमता की उपलब्धियो को प्राप्त करने के लिए संख्या की समझ हेतु पर्यावरण, दैनिक गतिविधी,पारिवारिक,सामाजिक अवलोकन से अवगत कराकर विकसित की जा सकती है।
ReplyDelete3-9varsh ki aayu varg ke bachoo ki sekhane ki chamata ki uplabadhi sunischit karne ke liyedaainik jivan ki gatividhidikhi ja sakati hai
ReplyDelete3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को हम उसके ज्ञान कौशल को देख कर, उसके कार्यकलाप को देख कर, उसके स्वभाव को, आदत को देख कर, उसके परिवार को देख कर, उसके समाज को देख कर, उसके दोस्तो को देख कर, आदि द्वारा जिनीचित करेंगे|
ReplyDelete3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को हम उसके ज्ञान कौशल को देख कर, उसके स्वभाव को, आदत को देख कर,उसके समाज को देख कर, उसके दोस्तो को देख कर, आदि द्वारा जिनीचित करेंगे|
ReplyDelete3-9 Varsh k aayu warg k bachho Ki sikhne Ki chhamtaki uplabdhiyon ko hum uske Gyan koushal ko dekh Kar,us k swa have ko,aadat ko dekh Kar,us k Samaj Ko dekh Kar,us k dosto ko dekh kar sunishchit karenge.
ReplyDelete3 se 9 varsha aayu wale bacchon ki sikhne ki chamta ki uplabhdhiyon ko hum is prakar dekh sakte hain ki sikhe Gaye koushal ka prayog apne dainik jivan me aane Wali problem ko solve ker pane me saksham hai ki nahi.
ReplyDelete3 से 9वर्ष के बच्चे की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को हम उसके ज्ञान कौशल को देखकर,उसके स्वभाव को देखकर, उसके आदत को, उसके समाज को देखकर चिन्हित करेंगे।
ReplyDelete3-9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को हम उसके ज्ञान कौशल,स्वभाव,आदत, सामाजिक परिवेश आदि को देखकर चिन्हित करेंगे।
Delete3 से 9 वर्ष के बच्चे की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए हमें सीखने सीखाने के साथ साथ ही निरंतर अवलोकन एवं आकलन करने की आवश्यकता होती है. बच्चे की दैनिक गतिविधियों को समेकित करना बहुत ही जरुरी होता है ताकि उनकी परिवर्तन का आकलन किया जा सके और उपलब्धियों को नोटिस कर नोट किया जा सके.
ReplyDelete3-9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है।उसके पास ज्ञान ,कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।उसमें सन्दर्भ आधारित,अनुकलात्मक,सहयोगात्मक और परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिये।सभी के बीच समन्वय बनाने की क्षमता तथा विद्यालय में सीखने के वातावरण निर्माण करने की क्षमता भी होनी चाहिए।गतिविधि निर्माण,खेल विधि सहित विभिन शिक्षा शास्त्र का संज्ञानत्मक समझ तथा उसे विद्यालय में लागूं करने के लिए एक सकारात्मक और सृजनात्मक सोच का होना आवश्यक है।
ReplyDeleteबच्चो के भावनाओ और सन्दर्भ की समझ के साथ उनसे जुड़ाव होना एक महत्वपूर्ण पहलू है। किशोर कुमार राय, उत्क्रमित उच्च विद्यालय कठघारी, देवघर
3-9 bars ki aayu varg ke bacche ki seekhne kshamta ki uplabdhi sunishchit karne ke liye chouk aur baat se hatkar anya vidhi se karni chaiye jinme unki samaj viksit ho tatha unki avdharana spasht ho unhe dainik jivan ki gatividhi paudhe aur pashuon se juri tathya se avgat karakar uplabdhi deko ja sakti hai unki sankhya gyan ki samaj kitni hai iske liye vidhalaya me is tarah ki gatividhi me shaamil karakar unhe sankhya ko pradarshit karne ka mouka dena chaiye.
ReplyDelete3:00 से 9:00 आयु वर्ग के बच्चों के सीखने की उपलब्धि को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें स्वयं करके सीखने का अवश्य देना चाहिए शिक्षक को एक मार्गदर्शक के रूप में उनके साथ काम करना चाहिए तथा हमेशा शिक्षक की देखरेख में बच्चों को गतिविधि गतिविधि कराना चाहिए
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की क्षमता सुनिश्चित करने हेतु बच्चों में सीखने की बेहतर समझ विकसित के लिए उनकी बौद्धिक क्षमता को ध्यान में रखते हुए साथ ही उन्हें इस तरह का माहौल दिया जाए की बिना डर और सहजता के साथ सीखने के लिए अग्रसारित हो। उन्हें किसी भी प्रकार की गतिविधियों को कराने के पहले सुनिश्चित करना होगा कि वे उनके लिए सटीक और अनुकूल हो। ताकि उनके सीखने की क्षमता को सुनिश्चित किया जा सके।
ReplyDelete3 se 9 wars ke bachchon ki sikhne ki skhmta sunichit karne ke liye gathi vidhi adharit,khel adharit shikshachn adhigam ke dwara unhe karwana chahiye.
ReplyDelete3-9वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को हम उसके ज्ञान कौशल को देखकर, उसके स्वाभाव को आदत को देखकर, सामाजिक परिवेश को देखकर, उनके दोस्तों को देखकर आदि द्वारा चिन्हित करेंगे।
ReplyDelete3-9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है।
ReplyDelete3-9वर्ष के बच्चे के सीखने की क्षमता की उपलब्धि का पता उसके व्यवहार परिवर्तन से होता है।बच्चे का अधिगम जैसे जैसे बढेगा उसका आत्मविश्वास बढेगा।बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिए खेल आधारित आनन्द
ReplyDeleteपरक माहौल का निर्माण करना आवश्यक है।
We should try another methods like games, introducing through surroundings or field,kitchen, day to day life work etc.
ReplyDeleteAccording to me 3to9 age group needs only the concept of deep thought.so we should try our best to develop their concept through talking , playing,introducing them with different situations,soving the day to day life problems.
ReplyDelete3 से 9 वर्ष आयुवर्ग के बच्चों को बोरियत वाली शिक्षण प्रक्रिया की जगह आनंददायक प्रक्रिया से शिक्षण कार्य करना चाहिए।
ReplyDeleteखेल गतिविधियों का उपयोग होना आवश्यक है।
बच्चे स्वंय कार्य करें और शिक्षक सुगमकर्ता की भूमिका में रहें।
सभी हितधारकों को FLN से सक्रिय रप से जोड़ें।
मु॰ अफ़ज़ल हुसैन
उर्दू प्राथमिक विद्यालय मंझलाडीह,
शिकारीपाड़ा,दुमका।
3 se 9 warsaayu warg ke bacchon ki sikhne ki chamta ko prapt karne ke liye paryavaran,dainik gatiwidhi, paribarik, samajik ablokon se abgat karakar biksit ki ja sakti hai
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को एक विद्यालय नेतृत्वकर्ता इस प्रकार सुनिश्चित कर सकते हैं - अपने ज्ञान ,कौशल एवं नवीन दृष्टिकोण का उपयोग करना ,बच्चों के पूर्व ज्ञान से भलीभांति परिचित होना, अन्य सहयोगि शिक्षकों का विश्वास बनाए रखना ,अभिभावक /समुदाय को जागृत करना एवं घर में अभिभावकों की बच्चों के प्रति भूमिका के लिए जागृत करना, गतिविधि आधारित शिक्षण विधि अपनाना ,सीखने - सिखाने के लिए भयमुक्त एवं आकर्षक वातावरण का निर्माण करना ,टी एल एम का उचित प्रयोग एवं बच्चों को उसमें भाग लेने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना, गतिविधियों में पर्यावरण को प्रमुखता देना, प्रत्येक बच्चे पर ध्यान देना प्रत्येक बच्चे की प्रगति पर ध्यान देना ,सीखने के लिए आकलन की व्यवस्था, बच्चे की पारिवारिक /सामाजिक /भावनात्मक स्थिति की जानकारी रखना इत्यादि ।
ReplyDelete3-9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है. .
ReplyDelete3-9varsh ke bacchon ki sikhane ki uplabdhiyon ko se sunishchit Karenge unhen vatavaran Ke Sath Samanya sthapit Karenge sankhya Gyan ke liye tatha Paryavaran se sambandhit vibhinn Prakar Ki gatividhiyan Kar aaenge Khel Khel Mein unhen sankhya ke bare mein bataenge tlm ka prayog Karenge aur bacchon aur Dekhenge ki pratyek bacche usmein sahbhagi bane bacchon ko ananddayak gatividhi ke sath sikhaenge
ReplyDelete
ReplyDelete3 से 9वर्ष का आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए चॉक और बात से हट कर अन्य विधि से करनी चाहिए। जिसमें उनकी समझ विकसित हो तथा उनकी अवधारणा स्पष्ट हो। उन्हें दैनिक जीवन की गतिविधि, पौधे और पशुओं से जुड़ी तथ्य से अवगत कराकर उपलब्धि देखी जा सकती है। उनकी संख्या ज्ञान की समझ कितनी, इसके लिए विद्यालय में इस तरह की गतिविधि में शामिल कराकर उन्हें संख्या को प्रदर्शित करने का मौका देना चाहिए
Reply
मेरे विचार से 3-9 वर्ष के आयुवर्ग के बच्चे की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने में विद्यालय नेतृत्वकर्ता की भूमिका महत्वपूर्ण है । बच्चों में शिक्षा के प्रारम्भिक चरण के निर्माण में मदद करने के लिए अभिभावकों, समुदायों, शिक्षाशास्त्रीयों, शिक्षकाें, सहयोगियों एवं हितधारकों से संपर्क स्थापित करेंगे । जिनके माध्यम से बच्चों को खेल आधारित,कविता, संगीत,नाटक, कला, गतिविधि आधारित शिक्षण विधि , भयमुक्त वातावरण अपनाकर बच्चों के सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित kr सकेंगे । ...धन्यवाद ।
ReplyDeleteसुना राम सोरेन,(स.शि.)
प्रा.वि.भैरवपुर, धालभूमगढ़।
पूर्वी सिंहभूम, झारखंड ।
3-9 varsh ke are you work ke bacchon ke sikhane ke chamta ko sunishchit karne ke liye Namo karna chahie Taki unke Dainik Jeevan Ki gatividhiyon Kaun ke sankhya Gyan Mein Shamil kar Uske uplabdhi Dekhi Ja sakti hai
ReplyDelete3 - 9 वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्याज्ञान सीखने के आवश्यकताओ की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है ।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धिय सुनिश्चित करने के लिए FLN आधारित खेल खेल में सीखने सिखाने की आनन्ददायी पद्धतियों/प्रक्रियाओं को बच्चों के साथ अपनाएंगे ताकि सीखना बालकेन्द्रित हो जाय।"चॉक और बात" पद्धति तक सीमित न रहते हुए वर्ग कक्ष के बाहर के पर्यावरण और समाज को सीखने सिखाने का क्षेत्र विस्तार करने का प्रयास करेंगे।दूसरी बात बच्चों के अभिभावक एवम माता पिता के साथ मिलकर/बातचीत कर उनको भी सीखने की क्षमता विकास में मददगार/हिस्सा बनाएंगे।
ReplyDeleteपूर्व प्राथमिक एवं प्राथमिक स्तर अर्थात 3-9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिये परंपरागत विधि के अतिरिक्त अन्य विधि से करनी चाहिए। जिससे उनकी समझ विकसित हो तथा उनकी अवधारणा स्पष्ट हो सके। उन्हें दैनिक जीवन की गतिविधियों , पौधों, पशुओं और परिवेश से जुड़े अनेक तथ्यों से अवगत कराकर उपलब्धि में अभिवृद्धि की जा सकती है।उनकी संख्या ज्ञान एवं साक्षरता की समझ विकसित करने हेतु विद्यालय में इस तरह की गतिविधियों में शामिल करके जिसमे उन्हें अपनी उपलब्धियों को प्रदर्शित करने का मौका मिले।और अपने आसपास की चीजों के बारे में उन्हें बुनियादी साक्षरता दृढ़ हो सके
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें मौका देना चाहिए ताकि उनके दैनिक जीवन की गतिविधियों को उनकी संख्या ज्ञान में शामिल करा कर उनकी उपलब्धि देखी जा सकती है और उनकी अवधारणा को स्पष्ट किया जा सकता है।
ReplyDeleteमैं 3-9 वर्ष के बच्चों की सिखने की क्षमता की उपलब्धियों की जांच के लिए प्राकृतिक संसाधनों, खिलौनों, विभिन्न जरूरी गतिविधि एवं खेल का सहारा लूंगा ताकि मैं जान सकूँ कि बच्चे में अपेक्षित स्तर आया कि नहीं|
ReplyDelete3-9 years ke baccho ki sikhne ki chamta ki uplabdhiyon ka test krne ke liye nimn ka sahara loonga-
ReplyDeletePrakrit sanshadhan
Khilone
Tlm
Chart
Khel ar anya awasyak gatividhi ka vyabhar krunga.
Is prakar hum baccho mein apakeshit sstar tak sudhar hua ki nhi jan skte hain.
Binod kumar
3-9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को सीखने की छमता को हम उसके ज्ञान, कौशलों ,आदतों,,दोस्तो तथा सामाजिक परिवेश को देखकर ही उनके उपलब्धियो को सुनिश्चित करेंगेL
ReplyDeleteSUBHADRA KUMARI
ReplyDeleteRAJKIYAKRIT M S NARAYANPUR
NAWADIH BOKARO
3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों का सीखने की क्षमताओं को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें अधिक से अधिक अवसर देने कि आवश्यकता है। साथ ही रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी गतिविधियों को शामिल करेंगे । जिससे बच्चो की उपलब्धियों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
धन्यवाद
Uoonhain dainik gatividhi se awgat karakar uooplabdhi dekhi ja sakti hai.
ReplyDelete3से9आयुवर्ग के छात्रों कियधीगं क्षमता विकसित और उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिये खल्ली बैट से हटकर अन्य विधि को अपनाना चाहिये जिसमे उनकी समझ विकसित तथा उनकी अवधारणा स्पष्ट हो सके । अनिल कुमार मध्य विद्यालय तेलौ बोकारो
ReplyDelete3 से 9 आयू वर्ग के बच्चों को चाक और बातों से इतर उन्हें अपने आस-पास की सामग्रियों के माध्यम से विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के द्वारा करनी चाहिए|जिससे उनकी समझ विकसित हो सके, तथा उनकी अवधारणा, स्पष्ट हो सके जैसे-घरों के आस -पास उपलब्ध फल, फुल, पेड़-पौधो पशु-पक्षियो आदि के द्वारा उन्हें विभिन्न गतिविधियों में शामिल करके संख्या को प्रदर्शित करने का मौका देना चाहिए |
ReplyDelete3 se 9 varsh ke aayi wrg ke bachon ke shikhbe ke liye aaspaas oplabd sansadhan ar pryaorn se jude vastu ar Dainik jiwan me kaam aane wali chijon ka vaywhaar kr inke shikhbe ki samta ko badaya ja skta hai.
ReplyDeletePrakash Mundu
Middle school rowauli
Bandgaon, west singhbhum
3-9 varsh aayu varga ke bachchon ki sikhne ki uplabdhi sunishchit karne me vidyalaya netritva ki mahatvapurna bhumika hai.Bachchon ko dainik jivan se juri gatividhiyon ke dwara sikhne me sahyog kiya ja sakta hai.
ReplyDeleteBy giving more attention to them...
ReplyDeleteBy giving more attention in play method as well as in story telling we may achieve it
ReplyDeleteI have already done my comment
ReplyDelete3 से 9वर्ष का आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए चॉक और बात से हट कर अन्य विधि से करनी चाहिए। जिसमें उनकी समझ विकसित हो तथा उनकी अवधारणा स्पष्ट हो। उन्हें दैनिक जीवन की गतिविधि, पौधे और पशुओं से जुड़ी तथ्य से अवगत कराकर उपलब्धि देखी जा सकती है। उनकी संख्या ज्ञान की समझ कितनी, इसके लिए विद्यालय में इस तरह की गतिविधि में शामिल कराकर उन्हें संख्या को प्रदर्शित करने का मौका देना चाहिए1
ReplyDelete3 से 9वर्ष का आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए चॉक और बात से हट कर अन्य विधि से करनी चाहिए। जिसमें उनकी समझ विकसित हो तथा उनकी अवधारणा स्पष्ट हो। उन्हें दैनिक जीवन की गतिविधि, पौधे और पशुओं से जुड़ी तथ्य से अवगत कराकर उपलब्धि देखी जा सकती है। उनकी संख्या ज्ञान की समझ कितनी, इसके लिए विद्यालय में इस तरह की गतिविधि में शामिल कराकर उन्हें संख्या को प्रदर्शित करने का मौका देना चाहिए। रणजीत प्रसाद मध्य विद्यालय मांडू।
ReplyDelete3-9 varsh ke bachcho ke sikhne ki kshamta viksit karne me uske mata pita ka mahatwapurn yogdan hota hai.kyoki we bachche ke kafi karib hote hai. Khaskar mata ka jinka adhiktam samay bachcho ke sath gujarta hai.agar we anpadh bhi hai to ghar ki chhoti moti bastuo jaise sabji, roti aadi ke dwara bhi bachcho ko madad kar sakti hai.
ReplyDeleteI agree all of the above mentioned comments.Thank you.
ReplyDeleteTo teach three to nine years old children in friendly manner with step to step activities with them. Himanshu Shekhar jha, Teacher, Dumka
ReplyDeleteMera yah manana hai ki 3-9 varsh ki aayu varg ke bacchon ki sikhane ki chamta ki uplabdhiyan ko sunishchit karne ke liye bacchon ko co pass ki chijon Jaise a flower, Patti, Janwar ,pakshi ghar mein paye jaane wale vibhinn saman ka upyog bade hi rochak dhang se alag -alag Khel vidhi apna te hue karaya ja sakta hai. vahi unki sankhya gyan ko bhi jaane ke liye yehi aas-paas ki chijon ko alag -
ReplyDeletealag Khel vidhi dwara rochak dhang se apna te hue ham bacchon Ko aasani se sikha sakte hain.
Manju Kumari
UPG PS PURANA SALDIH BASTI Adityapur
Saraikela kharsawan
Jharkhand.
Bachhon ko as Pas ki vastuwon co relate Karke khel khel me sikhaya Jana chahiye
ReplyDeleteप्रश्न अनुसार उक्त आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को निम्न वत सुनिश्चित करेंगे :
ReplyDelete१) एक भयमुक्त वातावरण में बच्चों की भाषा में सहज सरल अभिव्यक्ति को सुनकर।
२) कक्षा स्तरीय रोचक गतिविधियों में बच्चों की भागीदारी, नेतृत्व-क्षमता तथा व्यक्तिगत तकनीकों का प्रयोग को देखकर|
३) स्वाध्याय में रुचि तथा उनके विचार एवं प्रश्नों को सुनकर। |
४) लेखनशैली ,अनुकरण ,अनुशीलन,आज्ञाकारीता,कर्मबोध कार्यकुशलता आदि को देखकर।
५) घरेलू-क्रियाकलाप,बुजुर्गों से बातचीत,छोटो के साथ व्यवहार आदि को देखकर।
६) साथियों से बातचीत,सामाजिक दायित्व बोध ,समुदाय के प्रति कर्तव्यपरायणता, स्वच्छता के प्रति चेतनता बोध तथा कोविड-19 के प्रति जागरूकता आदि को देखकर।
3-9 words are you work ke bacchon ko sikhane ki kshamta ko ham uske Gyan Kaushal aadaton doston tatha samajik parivesh Ko dekhkar hi unke uplabdhiyon ko sunishchit Karen gharelu kriyakalap Kaun mein bujurgon se batchit karna
ReplyDelete3-9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए एफ. एल. एन आधारित खेल-खेल में सीखने सिखाने की आनन्दायी प्रक्रियाओं को बच्चों के साथ अपनाएँगे ताकि सीखना बाल केन्द्रित हो जाए।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों को सिखाने के लिए बात ही बात में sikcha देंगे। आपके कितने हाथ हैं? पैर हैं? इस हरह की सवाल करेंगे। मार्बल लेकर गिनती कराएंगे।
ReplyDelete9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए एफ. एल. एन आधारित खेल-खेल में सीखने सिखाने की आनन्दायी प्रक्रियाओं को बच्चों के साथ अपनाएँगे ताकि सीखना बाल केन्द्रित हो जाए। Manoj kumar u p s Gargu lal Dist -Godda
ReplyDeleteआप 3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को हम की तरह से सुनिश्चित कर सकते हैं,यथा
ReplyDelete01)बच्चों के विकास के सभी क्षेत्रों पर बल देकर,
02)गतिविधि आधारित शिक्षण अधिगम पर बल देकर,
03)खेल गतिविधि एवं पर्यावरण से जुड़े सरोकार पर विशेष बल देकर,
04)बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान के अवधारणाओं पर बल देकर आदि।
3-9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की कोशिश में उसके माता जो ज्यादातर बच्चों के साथ अपेक्षाकृत निकट होते है अगर वो पढ़ी लिखी कम होती है को रसोई के काम में काम आने वाले सब्जी जैसे आलू, प्याज, टमाटर, परवल आदि गिनती या रंग,आकार की सीख जैसे अवधारणा स्पष्ट सीखने मेें काफी मदद मिलती है।
ReplyDeleteSonamani Soren
BERAHATU
Ghatsila
3 से 9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को एक विद्यालय नेतृत्वकर्ता के रूप में हम इस प्रकार सुनिश्चित कर सकते हैं - अपने ज्ञान ,कौशल एवं नवीन दृष्टिकोण का उपयोग करना ,बच्चों के पूर्व ज्ञान से भलीभांति परिचित होना, अन्य सहयोगि शिक्षकों का विश्वास बनाए रखना ,अभिभावक /समुदाय को जागृत करना एवं घर में अभिभावकों की बच्चों के प्रति भूमिका के लिए जागृत करना, गतिविधि आधारित शिक्षण विधि अपनाना ,सीखने - सिखाने के लिए भयमुक्त एवं आकर्षक वातावरण का निर्माण करना ,टी एल एम का उचित प्रयोग एवं बच्चों को उसमें भाग लेने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना,बच्चों के साथ पूर्णतः घुल मिल कर एक खुशनुमा माहौल तैयार करना, गतिविधियों में पर्यावरण को प्रमुखता देना, प्रत्येक बच्चे पर ध्यान देना प्रत्येक बच्चे की प्रगति पर ध्यान देना ,सीखने के लिए आकलन की व्यवस्था इत्यादि।
ReplyDeleteANIL KUMAR SINGH
AMS RANCHI ROAD, RAMGARH
3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को प्राप्त करने के लिए संख्या की समझ हेतु पर्यावरण, दैनिक गतिविधि, पारिवारिक, सामाजिक अवलोकन से अवगत करा कर विकसित की जाती है।
ReplyDelete3-9 वर्ष के बच्चों के सीखने की क्षमता को विकसित करने के लिए उन्हें दैनिक जीवन एवं परिवेश पर आधारित तथ्यों से अवगत कराते हुए समझ पैदा करानी आवश्यक है।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए चाॅक और बात विधि को ना अपनाते हुए हम खेल विधि कोअपनाएंगे संख्या ज्ञान या अक्षर ज्ञान दोनों के लिए खेल विधि विधि अधिक उपयोगी होती है बच्चों के लिए क्योंकि बच्चे किताबों से बहुत देरी तक जुड़े रहना पसंद नहीं करते हैं हम बेकार में जुगाड़ के द्वारा बच्चों को गतिविधि के माध्यम से सीखने सिखाने के लिए भयमुक्त वातावरण का निर्माण करेंगे टी एल एम का उचित उपयोग करेंगे इसके साथ ही मैं बच्चों के माता पिता का सहारा लेते हुए बच्चों को सिखाने एवं उनकी उपलब्धियों को सुनिश्चित करेंगे
ReplyDeleteAnjani Kumar Choudhary. 8809058368
ReplyDelete3:9 से नव वर्ष के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को प्राप्त करने के लिए हमें आंगनबाड़ी शिक्षिका प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका और उनके अभिभावक बच्चों के आसपास के लोग दोस्त भाई बहन सबके साथ मिलकर उनके या बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उनके उनकी मदद करने को कहेंगे समय-समय पर अभिभावक मीटिंग अन्य शिक्षकों से बातचीत करके उनमें सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को उद्धृत करने का प्रयास करेंगे इसके अलावा वर्ग में चौक और बात से हटकर अन्य गतिविधि करवाएंगे जिससे उनकी समाज विकसित हो और संख्या की अवधारणा स्पष्ट हो दैनिक जीवन में काम आने वाले वस्तुओं से भी गतिविधि अभिभावकों के द्वारा करवाने को कहेंगे जैसे रसोई से ही ले पांच आलू लिया दो प्याज लाना तीन टमाटर लाना ऐसी गतिविधियां अभिभावक के साथ मिलकर बच्चों से करवाने से उनमें संख्या ज्ञान की अवधारणा और अस्पष्टता विकसित की जा सकती है धन्यवाद
3-9 आयु वर्ग के बच्चों को संख्या ज्ञान की समझ का उपलब्धि हासिल करने के लिए बच्चों को विद्यालय में वास्तविक जीवन में भी उपयोग करने के लिए प्रेरित करेंगे। बच्चों के माता पिता को बुलाकर उन्हें भी सलाह दूंगा कि वे अपने बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान पर ही न सीमित रखें , वास्तविक जीवन में भी उपयोग करने को कहेंगे।
ReplyDelete3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों का सीखने की क्षमताओं को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें अधिक से अधिक अवसर देने कि आवश्यकता है। साथ ही रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी गतिविधियों को शामिल करेंगे ।
ReplyDelete3-6 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमताओं को सुनिश्चित करने के लिए चेक और बात विधि को न अपनाकर संख्याज्ञानऔर अक्षर ज्ञान सुनिश्चित करने के लिए खेल एवं गतिविधि आधारित शिक्षण करने की आवश्यकता है ।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धिय सुनिश्चित करने के लिए FLN आधारित खेल खेल में सीखने सिखाने की आनन्ददायी पद्धतियों/प्रक्रियाओं को बच्चों के साथ अपनाएंगे ताकि सीखना बालकेन्द्रित हो जाय।"चॉक और बात" पद्धति तक सीमित न रहते हुए वर्ग कक्ष के बाहर के पर्यावरण और समाज को सीखने सिखाने का क्षेत्र विस्तार करने का प्रयास करेंगे।दूसरी बात बच्चों के अभिभावक एवम माता पिता के साथ मिलकर/बातचीत कर उनको भी सीखने की क्षमता विकास में मददगार होगा। Motiur Rahman, UPS-Chandra para, Pakur
ReplyDelete3से9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को एक विद्यालय नेतृत्वकर्ता के रूप में हम इस प्रकार सुनिश्चित कर सकते हैं-अपने ज्ञान कौशल एवं नवीन दृष्टिकोण काम उपयोग करना, बच्चे के पूर्व ज्ञान से भली-भांति परिचित होना, अन्य सहयोगी शिक्षकों काम विश्वास बनाए रखना, अभिभावकों/समुदाय का विश्वास बनाए रखना, गतिविधि आधारित शिक्षण विधियों को अपनाना, सीखने सिखाने के लिए भयमुक्त एवं आकर्षक वातावरण कहां निर्माण करना,टी एवं एम कार्यालय उचित प्रयोग एवं बच्चों को उसमें भाग लेने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना, बच्चों के साथ पूर्णत घुल-मिल कर एक खुशनुमा माहौल तैयार करना, गतिविधियों में पर्यावरण को प्रमुखता देना, प्रत्येक बच्चे की प्रगति पर ध्यान देना, सीखने के लिए आकलन की व्यवस्था करना आदि।
ReplyDeleteअनिल तिवारी
सहायक शिक्षक
रा मध्य विद्यालय दुलदुलवा, मेराल, गढवा, झारखंड
3-9 आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें मौका देना चाहिए ताकि उनके दैनिक जीवन की गतिविधियों को उनके संख्या ज्ञान में शामिल कराकर उनके उन्नति और उनमें एक शक्ति को साफ किया जा सके।
ReplyDelete3-6 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमताओं को सुनिश्चित करने के लिए चेक और बात विधि को न अपनाकर संख्याज्ञान और अक्षर ज्ञान सुनिश्चित करने के लिए खेल एवं गतिविधि आधारित शिक्षण करने की आवश्यकता है । साथ ही रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी गतिविधियों को शामिल करना चाहिए जिससे बच्चों में सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित किया जा सकें।
ReplyDeleteCooperation of all stakeholders is expected in children's learning,aged 3-9.
ReplyDelete, दैनिक गतिविधियों के माध्यम से अध्ययन किया जाता है और पहचान;रंग आदि।
ReplyDelete3 से 9 आयु वर्ग के बच्चे अपने आस पास की चीजों से भलि भाति परिचित होते हैं |हम उनके सहज अधिगम हेतु उनके आस-पास की चीजों का सहारा लेंगे ताकि वह बेहतर ढंग से समझ पाए |
ReplyDeleteसर्वप्रथम मैं बातचीत और कुछ प्रश्न पूछकर बच्चों के सीखने के स्तर का अनुमान लगाऊंगी। इसके पश्चात् विषय को जोड़ते हुए विभिन्न गतिविधियों की रचना करूंगी,जैसे खेल, दैनिक जीवन से जुड़ी गतिविधियां आदि के द्वारा बच्चों की समझ और विषय की अवधारणा स्पष्ट करने का प्रयास करूंगी।
ReplyDelete3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए हमें उनके परिवेश में उपलब्ध सामग्री का उपयोग करना चाहिए । अधिगम अनुभवात्मक एवं मौखिक अधिक हो। कर के सीखने के अवसर उपलब्ध हों । प्रिंट रिच वातावरण हो ।
ReplyDelete3-9 varsh ke ayu varg ke bachchon ki sikhne. Ki kshamta ki uplabdhiyon ko sunishchit karne ke liye hamen unke parivesh me uplabdh samgri ka upyog karna chahiye. Bachchon ko sikhane hetu planing hona chahiye.khel-khel me, gatividh adharit, swayn karke sikhna, swastya avanm sharirik shiksha, samajik, sanskritik, bhawanatamak, sangyanatamak, print-rich watavaran aadi hona chahiye.
ReplyDeleteTeen se nav varsh ki aayu ke bacchon ke sikhane ki chamta ki uplabdhiyon ko ham uske gyan ko sab Ko dekhkar uske swabhav ko aadat ko dekh kar lo kam se baat kara Uttara kar viksit ki ja sakti hai
ReplyDeleteTeen se kata yuvak ki bacchon ki sikhane ki chamta ki ladkiyon ko ham uske Gyan koshal Ko dekhkar uske swabhav ko aadat Ko dekhkar ab lokan se avgat kara kar Vishesh ki ja sakti hai
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की प्रक्रिया में माँ का योगदान बहुत आवश्यक है। जन्म से ही मां अपने बच्चे से लगातार बात करती रहती है। इसलिए, बच्चे स्कूल जाने से पहले ही बहुत कुछ सीखते हैं। जैसे-जैसे उनकी शिक्षा जारी रहती है, ये अवधारणाएँ स्पष्ट होती जाती हैं।
ReplyDelete3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए चौक और बात का उपयोग कम ही करना चाहिए|बाल केंद्रित शिक्षा पर बल दीया जाना चाहिए|गतिविधि आधारित शिक्षण प्रक्रिया अपनाया जाना चाहिए|इससे बच्चों में समझ मजबूत किया जा सकता है धन्यवाद
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए चौक और बात की पद्धति से हटकर खेल आधारित ,गतिविधि आधारित ,परियोजना आधारित तथा व्यक्तिगत भिन्नता का सम्मान करते हुए अधिगम सुनिश्चित करना चाहिए। अधिगम रूचिकर एवं दबावहीन वातावरण में सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteMere bichard se:-
ReplyDelete1. Bachhon ke Allround development per dhyan dena chahiae.
2. Learning by doing
3. Learning by Playing
4. Sankhya Gyan ki samajh biksit kar ke.
.....MS KUSUNDA MATKURIA DHANBAD 1
9 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए एफ. एल. एन आधारित खेल-खेल में सीखने सिखाने की आनन्दायी प्रक्रियाओं को बच्चों के साथ अपनाएँगे ताकि सीखना बाल केन्द्रित हो जाए।
ReplyDelete3-9वर्ष उम्र के बच्चों के सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने हेतु उसके परिवार, परिवेश, बोली, प्रवृति के अनुसार शिक्षण रणनीति अपनायी जाएगी. गतिविधि आधारित आनंददायी शिक्षण किया जाएगा. आवधिक एवं शिक्षण के साथ आकलन किया जाएगा. आचार्य राजेंद्र प्रसाद प्रभारी प्रधानाध्यापक, उत्क्रमित मध्य विद्यालय ऊपरलोटो, लातेहार.
ReplyDelete3-9वर्ष उम्र के बच्चों के सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने हेतु उसके परिवार, परिवेश, बोली, प्रवृति के अनुसार शिक्षण रणनीति अपनायी जाएगी. गतिविधि आधारित आनंददायी शिक्षण किया जाएगा. आवधिक एवं शिक्षण के साथ आकलन किया जाएगा.
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों की सीखने की क्षमता सुनिश्चित करने हेतु बच्चों में सीखने की बेहतर समाज विकसित के लिए उनकी बौद्धिक क्षमता को ध्यान में रखते हुए साथ ही उन्हें इस तरह का माहौल दिया जाए कि बिना डर और सहजता के साथ सीखने के लिए अग्रसारित हो उन्हें किसी भी प्रकार की गतिविधियों को कराने के पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि वे उनके लिए सटीक और अनुकूल हो ताकि उनके सीखने की क्षमता को सुनिश्चित किया जा सके
ReplyDelete3 से 9 आयु वर्ग के बच्चों के सीखने की उपलब्धि को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें स्वयं करके सीखने का अवश्य देना चाहिए शिक्षक को एक मार्गदर्शक के रूप में उनके साथ काम करना चाहिए तथा हमेशा शिक्षक की देखरेख में बच्चों को गतिविधि गतिविधि कराना चाहिए
ReplyDelete3se9 barsh ke aayu barg ke bachcho ki sikhne ki chhamata ko sunishchit karne ke lie unhe mouka dena chahie taki unke dainik jeevan ki gatibidhio ko unki sankhagyan me shamil kara kar unki uplabdhi dekhi ja sakti hai aur unka awadharna ko spast kiya ja sakta hai.
ReplyDelete3-9 warsh ayubarg ke bachchon ki sikhne ki kshamata ki upalabdhiyon ko ham uske Gyan,koushal,sabhaw,adat,samajik paribesh adi ko dekh kar chnhit karenge.
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिये चॉक और बात के इतर अन्य विधि से करनी चाहिए।जिसमें उनकी समझ विकसित हो।तथा उनकी अवधारणा स्पस्ट हो।puna Singh GPS sutilong
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता सुनिश्चित करने के लिए नेतृत्वकर्ता को कक्षा में नामांकित बच्चों के माता-पिता एवं अभिभावकों से बातचीत करके उन्हें घर पर भी सीखने का माहौल प्रदान करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।शिक्षण की पद्धति बाल केंद्रित होनी चाहिए। एवं बच्चों की सीखने की क्षमता बढ़ाने के लिए गतिविधि आधारित शिक्षण,खेल आधारित शिक्षण, खिलौना आधारित शिक्षण,चित्र कहानी -कथन पद्धति सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने वाली होती है।
ReplyDeleteसीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने हेतु विभिन्न उपाय:-
ReplyDelete1. विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में बच्चों को शामिल होने
के अवसर प्रदान कर के
2. पर्यावरण भ्रमण के माध्यम से
3. बच्चों को अपने-अपने विचारों को एक दूसरे से साझा
करने के अवसर प्रफां कर के
3से9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को एक विद्यालय नेतृत्वकर्ता के रूप में हम इस प्रकार सुनिश्चित कर सकते हैं-अपने ज्ञान कौशल एवं नवीन दृष्टिकोण काम उपयोग करना, बच्चे के पूर्व ज्ञान से भली-भांति परिचित होना, अन्य सहयोगी शिक्षकों काम विश्वास बनाए रखना, अभिभावकों/समुदाय का विश्वास बनाए रखना, गतिविधि आधारित शिक्षण विधियों को अपनाना, सीखने सिखाने के लिए भयमुक्त एवं आकर्षक वातावरण कहां निर्माण करना,टी एवं एम कार्यालय उचित प्रयोग एवं बच्चों को उसमें भाग लेने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना, बच्चों के साथ पूर्णत घुल-मिल कर एक खुशनुमा माहौल तैयार करना, गतिविधियों में पर्यावरण को प्रमुखता देना, प्रत्येक बच्चे की प्रगति पर ध्यान देना, सीखने के लिए आकलन की व्यवस्था करना आदि।
ReplyDeleteWe can ensure learning ability achievements of children aged 3-9 years by promoting activity based and sport based programs for the overall development of children.
ReplyDeleteWe can ensure learning ability achievements of children aged 3-9 years by promoting activity based and sport based programa for the overall development of children.
ReplyDelete3 से 9वर्ष का आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए चॉक और टाक विधि से हट कर अन्य विधि से करनी चाहिए। जिसमें उनकी समझ विकसित हो तथा उनकी अवधारणा स्पष्ट हो। उन्हें दैनिक जीवन की गतिविधि, पौधे और पशुओं से जुड़ी तथ्य, खिलौने आधारित विधि,रोचक आईसीटी से अवगत कराकर उपलब्धि देखी जा सकती है। उनकी संख्या ज्ञान की समझ कितनी इसके लिए विद्यालय में इस तरह की गतिविधि में शामिल कराकर उन्हें संख्या को प्रदर्शित करने का मौका देना चाहिए।
ReplyDeleteअंजय कुमार अग्रवाल
मध्य विद्यालय कोयरी टोला रामगढ़
आप 3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को हम की तरह से सुनिश्चित कर सकते हैं। हम अपने विचारों को निम्नवत साझा कर रहे हैं:-
ReplyDelete01)बच्चों के सर्वांगीण विकास की अवधारणाओं को सुनिश्चित करना,
02)बच्चों के विकास के सभी क्षेत्रों पर बल देकर,
03)गतिविधि आधारित शिक्षण अधिगम पर बल देकर,
04)खेल गतिविधि एवं पर्यावरण से जुड़े सरोकार पर विशेष बल देकर,
05)बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान के अवधारणाओं की मजबूत पकड़ से।
06)उनके अनुसार सीखने के परिवेश तैयार कर सकते हैं तो सबसे बड़ी उपलब्धि हो सकता है। छात्रों की शैक्षणिक स्तर बेहतर हो सकता है।
3-9वर्ष के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के अवश्यताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है।उसके पास ज्ञान ,कौशल और दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।बच्चों के लिए तैयार ऐसा गतिविधि आधारित शिक्षण अधिगम प्राप्ति के लिए माहौल तैयार हो जहाँ वे स्वयं करके सीख सकते हैं। छात्र आधारित,अनुकलात्मक,सहयोगात्मक और परिवर्तनकारी सोच और नेतृत्व क्षमता होनी चाहिये।सभी के बीच समन्वय बनाने की क्षमता तथा विद्यालय में सीखने के वातावरण निर्माण करने की क्षमता भी होनी चाहिए।गतिविधि निर्माण,खेल विधि सहित विभिन शिक्षा शास्त्र का संज्ञानत्मक समझ तथा उसे विद्यालय में लागूं करने के लिए एक सकारात्मक और सृजनात्मक सोच का होना आवश्यक है।
ReplyDeleteबच्चो के भावनाओ और सन्दर्भ की समझ के साथ उनसे जुड़ाव होना एक महत्वपूर्ण पहलू है।
Age group of 3-9 years is a fundamental stage. We should handle such children politely. We should give chance to them to express their feelings freely in schools. Play method teaching is required to them. Parents, teachers, SMC members, PTM, can play an important role to support the children.
ReplyDelete3 से 9वर्ष का आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए चॉक और बात से हट कर अन्य विधि से करनी चाहिए। जिसमें उनकी समझ विकसित हो तथा उनकी अवधारणा स्पष्ट हो। उन्हें दैनिक जीवन की गतिविधि, पौधे और पशुओं से जुड़ी तथ्य से अवगत कराकर उपलब्धि देखी जा सकती है। उनकी संख्या ज्ञान की समझ कितनी, इसके लिए विद्यालय में इस तरह की गतिविधि में शामिल कराकर उन्हें संख्या को प्रदर्शित करने का मौका देना चाहिए।
ReplyDeleteJitendra kumar Singh
ReplyDeleteTGT +2Upg.High school Deokuli, Ichak, Hazaribag
3-9 आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की कोशिश में शिक्षा शास्त्री योग्य नेतृत्व शिक्षक एवं अभिभावक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है
आप 3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को हम की तरह से सुनिश्चित कर सकते हैं। हम अपने विचारों को निम्नवत साझा कर रहे हैं:-
ReplyDelete01)बच्चों के सर्वांगीण विकास की अवधारणाओं को सुनिश्चित करना,
02)बच्चों के विकास के सभी क्षेत्रों पर बल देकर,
03)गतिविधि आधारित शिक्षण अधिगम पर बल देकर,
04)खेल गतिविधि एवं पर्यावरण से जुड़े सरोकार पर विशेष बल देकर,
05)बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान के अवधारणाओं पर बल देकर
3 se 9 varsh ke bacchon ko buniyadi Saksharta aur sankhya Gyan sikhane ki avashyakta ki purti mein Vidyalay netrutva ki mahatvpurn Bhumika hai.
ReplyDelete3-9 ayu samuh ke bachon ki sikhne ki shamta ki uplabhdhiyon ko hum is parkar sunischit kar sakte hain ,1.bachon ke sikhne ki shamta ewam vikas ke sabhi shetron par nirantar awlokan kar, 2.gatividhi adharit sikhane adhigam karwaker, 3.bachon ko sikhne ke liye parhakar ya parne ke liye nirNtar vijan banakar...John stephan hansda ums Barmasia shikaripara
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता को मैं निम्नलिखित गतिविधियां विद्यालय मेें अपनाकर सुनिश्चित करूंगा:-
ReplyDelete(1) गतिविधि आधारित शिक्षण अधिगम प्रक्रिया अपनाकर ।
(2) बाल केंद्रित शिक्षण व्यवस्था लागू कर ।
(3) खेल गतिविधियों में बच्चों को सम्मिलित कर ।
(4) बच्चों का सर्वांगीण विकास हेतु सह-शैक्षणिक पाठ्यक्रम पर विशेष फोकस कर ।
3 se 9 varsh ke bacchon ko sikhane ke purv use gharelu jankari ke bare mein puchna chahie .fal ka naam ,sabji ka naam ,ki Jankari leni chahie. Kab bacchon Mein Ruchi badhati hai.
ReplyDelete3-9 वर्ष के बच्चों के सीखने की क्षमता में वृद्धि के लिए हम उसके घरेलू वातावरण घरेलू प्रवेश से बातचीत करना आरंभ करेंगे घर में कितने पालतू जानवर है कितने पालतू पक्षी हैं घर में कौन-कौन लोग हैं कितने दरवाजे हैं कितने खिड़की हैं इत्यादि संबंधित बातों से उनके अनुरूप पूछताछ करके हम उसे ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं और साथ ही सीखने की क्षमता में वृद्धि कर सकते हैं
ReplyDelete3-9 वर्ष के बच्चों की सीखने की क्षमता में सुधार एवं वृद्धि के लिए पुरानी पद्धति चॉक और बात से इतर नई पद्धति जो बाल केन्द्रित,खेल आधारित, परिचित भाषा एवं वतावरण से सम्बंधित गतिविधियों आधारित शिक्षण अधिगम पर जोर देना चाहिए।सभी हितधारकों का आपसी तालमेल एवं सहयोग भी अत्यावश्यक है।
ReplyDelete3से9 वर्ष के बच्चों की क्षमता में सुधार के लिए पुरानी पद्धति चॉक और बात से इतर बालकेन्द्रित से शिक्षण पर जोर देना चाहिए।
ReplyDelete3 se 9 varsh ki aayu varg ke bacche yadi sankhya Gyan ke samay sakte hain apni matrubhasha ke shabdon ko sunkar AVN bolkar samajhte hain aur likh de sakte hain to iska matlab hai yah vah ki usne 3 se 9 varsh ke Aasman mein jo Vikas hona chahie uske uplabdhi prapt kar liya hai iske liye bacche ki uplabdhi karni Amit aakalan avashyak hai
ReplyDelete3 से 9 वर्ष आयु वर्ग वाले बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सिखाने के लिए हम मात्रिभाषा या क्षेत्रीय भाषा का उपयोग करेंगे बच्चों को भाषाई विकास का अधिक से अधिक उपयोग करेंगे ताकि बच्चे भाषा समझ सके जब बच्चे भाषा समझ जाएंगे तो सीखने में उसे आसानी होगी बच्चों को ELPS के सिद्धांत द्वारा सिखाएंगे
ReplyDeleteबच्चों को खेल-खेल रोल प्ले क्षेत्र भ्रमण आदि गतिविधि के द्वारा आसानी से सिखाएंगे बिग बुक चित्र चार्ट फ्लैश कार्ड आदि के माध्यम से भी सिखाएंगे ।
एफ. एल. एन. के वांछित सीखने के प्रतिफलों को प्राप्त करने के लिए, नेतृत्वकर्ताओं को अपने विद्यालयों के लिए एक दृष्टिकोण एवं पाठ्यचर्या लक्ष्यों को निर्धारित करने की आवश्यकता होती है। दृष्टिकोण एवं पाठ्यचर्या लक्ष्यों को 3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की विकासात्मक आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है।
ReplyDelete3 se 9 warse ke ayu werg ke bacchon kisikhne kshmta ki uplabdhi uplabdhi sunishchit karne ke liye unhen dainik jiwan ki gatiwidhi ped-poadhe,pasuwon se juri tatyon se awgat karna hoga.
ReplyDelete3-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चो की सीखने की क्षमता की उपलब्धियो को सुनिश्चित करने के लिए एफ एल एन आधारित खेल-खेल में सीखने सिखाने की आनन्ददायी प्रक्रियाओं को बच्चो के साथ अपनायेगें ताकि सीखना बालकेन्दित हो।
ReplyDelete3-9 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिए चौक और बात के इतर अन्य पद्धति से करनी चाहिए! जिसमें उनकी समाज विकसित हो! तथा उनकी अवधारणा को समझने में आसानी हो, उन्हें दैनिक जीवन की गतिविधि प्राकृतिक संसाधनों जैसे पेड़ पौधे फुल पतियों शाखाएं और पशुओं से जुड़ी तथ्य से अवगत करा कर उपलब्धि देखी जा सकती है! उनकी संख्या ज्ञान की समस कितनी है
ReplyDeleteधन्यवाद
3-9 वर्ष के बाच्चो को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सीखने के आवश्यकताओं की पूर्ति में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। इसीलिए खिलौने के साधनों द्वारा और कहानी द्वारा बच्चो के साथ खुद भी बच्चा बनकर उनकी संकल्पनाओं की समझ विकसित के लिए ज्ञान दूढीकरण के लिए मदत मिलेगी
ReplyDelete