Saturday, 24 October 2020

मॉड्यूल-4 - गतिविधि 2: जेंडर का मीडिया चित्रण का विश्लेषण

 

एक ऐसे विज्ञापन के बारे में सोचें जो जेंडर संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करता है और एक अन्य विज्ञापन जो जेंडर के अनुकूल है। आप विज्ञापन वीडियो के लिंक को कॉपी और पेस्ट कर सकते हैं।

4,726 comments:

  1. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  2. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  3. We should do equal behave with both gender

    ReplyDelete
  4. We should do equal behave with both gender.

    ReplyDelete
  5. हमें लिग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।

    ReplyDelete
  6. रूढ़िवादिता से ऊपर उठकर सोचना चाहिए

    ReplyDelete
  7. बिना भेदभाव के शिक्षा अती आवश्यक है

    ReplyDelete
  8. हमें लिग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।

    ReplyDelete
  9. I am a teacher.
    I have good teaching ability.
    I can teach my student without any discrimination

    ReplyDelete
  10. A good teacher is a mirror of social.He should teach his students without any discrimination. I am also a good teacher .We should do equal behave with both gender.

    ReplyDelete
  11. https://youtu.be/9OEf5IYsRi8

    ReplyDelete
  12. एक शिक्षक को लड़का-लड़की में बिना किसी प्रकार के भेदभाव किए शिक्षा देना चाहिए।

    ReplyDelete
  13. एक शिक्षक को लड़का-लड़की में बिना किसी प्रकार के भेदभाव किए शिक्षा देना चाहिए।

    ReplyDelete
  14. Hum meena aur mittu ke kahani ke bare me jante hai jahan par gender discrimination hota hai.baad me meena ke brave work se impress ho kar uske grandmaa ne meena aur raju ko barbar prem aur cheeze,khana dete hain.SHYAMAL SARKAR.

    ReplyDelete
  15. एक शिक्षक को लड़का-लड़की में बिना किसी प्रकार के भेदभाव किए शिक्षा देना चाहिए।

    ReplyDelete
  16. शिक्षक होना एक गौरवान्वित जिम्मेदारी है और शिक्षक होने के नाते मेरे मन में इस तरह की रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का कोई स्थान नहीं है ।

    ReplyDelete
  17. I want to teach my students without any discrimination.

    ReplyDelete
  18. शिक्षक होना एक गौरवान्वित जिम्मेदारी है और शिक्षक होने के नाते मेरे मन में इस तरह की रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का कोई स्थान नहीं है ।

    ReplyDelete
  19. I want to teach my students without any discrimination.

    ReplyDelete
  20. शिक्षक देश का भविष्य बनाते हैं। इसलिए शिक्षक होने के नाते लड़का , लड़की में रूढ़िवादी विचारों को अलग होकर बिना भेदभाव के समान शिक्षा देने चाहिए और विधालय में भेदभाव ना हो इसका ख्याल रखना चाहिए।

    ReplyDelete
  21. जेंडर संबंधी रोगियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन हैं जैसे घर के कामों को महिलाओं को दिखाना तथा जेंडर के अनुकूल विज्ञापन खेलकूद सेना आदि में लड़के और लड़कियों को समान अवसर देते हुए दिखाना।

    ReplyDelete
  22. जेंडर संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन है जैसे घर के कामों को महिलाओं को दिखाना तथा जेंडर के अनुकूल विज्ञापन खेलकूद, सेना आदि में लड़के और लड़कियों को समान रुप में अवसर देते हैं दिखाना

    ReplyDelete
  23. हमलोगों को लिंग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।

    ReplyDelete
  24. Ek shikshak Ko ladka aur ladki ke bich bhedbhav nahin karna chahie donon ko saman Adhikar Milana chahie aur iski shuruaat hamen Vidyalay star per nahin karna chahie taki logon ki rudhivadi soch mein Parivartan Na sake

    ReplyDelete
    Replies
    1. Ek teacher ko boy &girl me bina kisi prakar k bhedbhaw kiye education dena cahiye.Kyonki rudhiwadi dharnawon ko aaj hamlog bahut piche chod cuke hain.

      Delete
  25. Sabhi ko ek samaan samajhna ...ek sikchak ka dharm hai

    ReplyDelete
  26. हमें समझना चाहिए कि लड़का-लड़की एक समान । और लिंग भेद के बिना शिक्षा देने चाहिए ।

    ReplyDelete
  27. हमें सम भाव रखते हुए काम करना चाहिए और समाज मे उदाहरण बनना चाहिए।समाज मे लिंग भेद का पुरजोर विरोध करते हुए, समाज में जागरूकता फैलाना चाहिए।

    ReplyDelete
  28. हमें लिग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।Dinesh Kumar Rana,MIDDLE SCHOOL SHIMLA MANDRO Karmatar jamtara

    ReplyDelete
  29. We should do equal behave with both gohdes

    ReplyDelete
  30. शिक्षक होना एक गौरवान्वित जिम्मेदारी है और शिक्षक होने के नाते मेरे मन में इस तरह की रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का कोई स्थान नहीं है ।

    ReplyDelete
  31. हमारे समाज में लिंग भेद सदियों से चली आ रही है ।आज भी गांवों में यह भेद अपनी जगह बनाए हुए है जबकि शहरी क्षेत्रों में कम हुआ है ।
    विज्ञापन के क्षेत्र में..

    1) एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में जहां अतिथियों के स्वागत में स्वागत गीत सिर्फ लड़कियों से ही प्रस्तुत कराई जाती है।
    2) मतदाता जागरूकता अभियान के क्षेत्र में जहां समान रूप से दोनों लड़का-लड़की नजर आते हैं ।

    ReplyDelete
  32. I am a teacher.i read my student without any difference o gender.i tell him that you should read together then you will feel better and study free mind

    ReplyDelete
  33. A good teacher is a mirror of social.He should teach his students without any discrimination. I am also a good teacher .We should do equal behave with both gender.

    ReplyDelete
  34. मैं विद्यालय का प्रधान शिक्षक हूं अक्सर मेरे विद्यालय से सिर्फ लड़कियों को ही पदाधिकारियों के स्वागत सम्मान में गीत गाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा बुलाया जाता है।

    ReplyDelete
  35. Isse ladkiyon ko kyu padhana yeh to shadi ho ke dusre ke ghar jayengi
    Rudriwadi Drishtikon

    ReplyDelete
  36. Ladki se kewal ghar ke hi Kam liya Jana hamare samaj ke aik rudhiwadi dharna hai

    ReplyDelete
  37. शिक्षक समाज का आईना होता है अतः एक शिक्षक होने के नाते हमारा जिम्मेदारी है कि हम एक ऐसे समाज का निर्माण करें जिसमें लड़के लड़कियों की भागीदारी बराबर हो।

    ReplyDelete
  38. शिक्षक होना एक गौरवान्वित जिम्मेदारी है और शिक्षक होने के नाते मेरे मन में इस तरह की रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का कोई स्थान नहीं है ।

    ReplyDelete
  39. Main ek shikshika hun isliye Mera kartavya hai ki ladke ladkiyon mein bhedbhav ki Bhavna ko khatm karna

    ReplyDelete
  40. Ek shikshak hone ke naate main apne vidyalaya main bina kisi bhed bhav ke ladke aur ladkiyon ko saman avsar dete hue shiksha pradan karta hoon.parantu rural area main abhi bhi gender main bhed bhav dekha jaata hai jise hame samuhik prayas kar use khatm karne ke baare main sochne ki aavasyakta hai.

    ReplyDelete
  41. No difference of gender in fundamentals.

    ReplyDelete
  42. https://youtu.be/y4QxRV4pMcI

    https://youtu.be/9OEf5IYsRi8

    ReplyDelete
  43. There should be no gender inequalities.All children are equal for me and treated equally.

    ReplyDelete


  44. जेंडर संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन है जैसे घर के कामों को महिलाओं को दिखाना तथा जेंडर के अनुकूल विज्ञापन खेलकूद, सेना आदि में लड़के और लड़कियों को समान रुप में अवसर देते हैं|

    ReplyDelete
  45. There should not be any gender inequality.

    ReplyDelete
  46. विद्यालय में बिना किसी भेद-भाव के पढ़ाना चाहिए। जेंडर संबंधी रुढियों बढ़ाने वाली गतिविधियों को प्रश्रय नहीं देना चाहिए।

    ReplyDelete
  47. As HM I will try 100 percent to promote activities favouring gender equality in my school.

    ReplyDelete
  48. स्कूलों में किसी भी समारोह में अतिथियों के स्वाग़त की जिम्मेदारी केवल लड़कियों को न देकर लड़कों को भी दी जानी चाहिए।

    ReplyDelete
  49. शिक्षा का अधिकार सबको बराबर है। इसलिए हमें शिक्षा के प्रति शिक्षा देने में लेने में हमें लिंग भेद नहीं करनी चाहिए। एक अच्छे शिक्षक होने के नाते इस पर अमल करना हमें अति आवश्यक लगता है।

    ReplyDelete
  50. हमें लिग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।

    ReplyDelete
  51. किसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता।इसलिए हमें लिंग भेद को बढ़ावा नहीं देना चाहिए ।इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी।सभी शिक्षकों को लिंग भेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर कार्य करनी चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा।और हम तभी मान सकते हैं कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए । --संतोष कुमार सिन्हा(उ.म.वि.बासोडीह, बिरनी ,गिरिडीह ।

    ReplyDelete
  52. जेंडर भेद भाव एक सामाजिक मुद्दा है
    भेद भाव को खत्म करने में शिक्षक अहम भूमिका निभा सकतें हैं विधालय में बच्चो को
    जेंडर संबंधी बातों को सिखाकर या जागरूक कर

    ReplyDelete
  53. हमें बिना भेदभाव किये ही कार्य करना चाहिये इससे पूर्व से चली आ रही धारणा को समाप्त करने में मदद मिलेगी स्त्री या पुरुष कोई किसी से कम नही है
    हम शिक्षको को प्रारंभ से ही बच्चों में इस अवधारणा को विकसित करना चाहिये

    ReplyDelete
  54. मैं एक शिक्षक हूं ।हमारा कार्य अत्यंत जिम्मेदारी वाला है ।अतः हमें जेंडर संबंधी दूरियां बढ़ाने वाली गतिविधियों को प्रश्रय नहीं देना चाहिए।
    जेंडर संबंधी दूरियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन- घर के कामों में महिलाओं को दिखाना
    जेंडर के अनुकूल विज्ञापन- सेना में लड़के और लड़कियों को समान रुप में अवसर देना
    अनुपमा
    टाटा कॉलेज कॉलोनी मध्य विद्यालय सदर चाईबासा
    पश्चिमी सिंहभूम
    झारखंड

    ReplyDelete
  55. https://youtu.be/9OEf5IYsRi8 येह लिंक लिंग संबंधि रूढ्यो को दर्षता है। https://youtu.be/y4QxRV4pMcI ये दुसरा लिंक ज़ेंडर के आनुकुल है।

    ReplyDelete
  56. लिंग भेद को सक्षझते हुए समानता का भाव करना चाहिए। बिना भेदभाव के कार्य करना चाहिए।

    ReplyDelete
  57. सामाजिक रूढीवाद् जेंडर का सबसे बडा कारण है हमे शिक्षण के दौरान ही इस भेद भाव को समाप्त करना चाहिए तथा कक्षा कक्ष मे ही अभिभावक एवं प्रबंधन के साथ मिलकर इस पूर्वाग्रहो को दूर करना होगा!

    ReplyDelete
  58. लिरिल साबुन का एडवर्टाइजमेंट लिंग भेदभाव को दर्शाता है। तथा जेंडर संबंधी रूडी बाद को मजबूत करती है।
    पेप्सोडेंट टूथपेस्ट का एडवर्टाइजमेंट में में लिंग भेदभाव नहीं है तथा जेंडर रूढ़ीवाद को मजबूत नहीं करती है।

    ReplyDelete
  59. no role of gender inequality in society

    ReplyDelete
  60. We should do equal behave with both gender

    ReplyDelete
    Replies
    1. माता-पिता को लड़का लडक़ी को समान अधिकार देना चाहिए उन में कोई भेद भाव नहीं करना चाहिए

      Delete
  61. A teacher makes the future of the country. So being a teacher there should not be any orthodoxy opinion for gender. A good teacher is a mirror of social. He should teach his students without any discrimination. A teacher should have equal behaviour with both gender.

    ReplyDelete
  62. विकास की गति सदैव जेण्डर आधारित नहीं होना चाहिए। उसके लिए हमें सदा जागरुक रहना चाहिए।

    ReplyDelete
  63. No difference of between human rights

    ReplyDelete
    Replies
    1. No difference of between gender human rights

      Delete
  64. Jender k aadhar per hum bhedbhav nahi kr saktye.students ko saman siksha dena hai

    ReplyDelete
  65. हमें लिंग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए। मेरे मन में इस तरह की रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का कोई स्थान नहीं है।

    ReplyDelete
  66. Hamen lingbhed Ko badhawa nahi deni chahiye

    ReplyDelete
    Replies
    1. सौंदर्य सामग्री विज्ञापन में महिलाओं का चित्र होना, बैंकर/बीमा एजेंट के रूप में केवल पुरुषों का विज्ञापन, घरेलू बर्तन,जेंडर साफ सफाई, वाशिंग पाउडर जैसे विज्ञापनों ने महिलाओं का चित्र संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करता है। शिक्षण संस्थान जिसे कॉलेज, कोचिंग क्लासेज में लड़कियों तथा लड़कों का विज्ञापन जेंडर के अनुकूल है

      Delete
  67. हमें लिंग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।

    ReplyDelete
  68. माता-पिता को पिता-पुत्री को समान अधिकार देना चाहिए उन में कोई भेद भाव नहीं करना चाहिए

    ReplyDelete
  69. Hame ling bhed se sadaiw upar uthkar teaching karna chahiye.

    ReplyDelete
  70. In advertising
    For house hold work. Women's were used to represent it..
    And for energy used works,mens are used to represent it..
    Which too work as to create Gender Discrimination.

    ReplyDelete
  71. Ladka ladki samaj ke ek hi pahlu ke hain

    ReplyDelete
  72. एक शिक्षक को लड़का-लड़की में बिना किसी प्रकार के भेदभाव किए शिक्षा देना चाहिए

    ReplyDelete
  73. बिना भेदभाव के शिक्षा अती आवश्यक है

    ReplyDelete
  74. There should be no discrimination on gender.

    ReplyDelete
  75. Bina bhedbhav ke Shiksha ki avashyakta hai

    ReplyDelete
  76. We should always promote gender equality.We should teach our students without any discrimination

    ReplyDelete
  77. शिक्षक को लड़का-लड़की में भेदभाव नहीं करना चाहिए

    ReplyDelete
  78. रूढ़िवादिता से ऊपर उठकर सोचना चाहिए|
    हमें लिग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।

    ReplyDelete
  79. रुढ़िवादिता की जंजीर को तोड़कर ही उत्तरोत्तर विकास संभव है.

    ReplyDelete
  80. एक शिक्षक होने के नाते हमारा कर्तव्य है कि हम एक ऐसे समाज को बनाएं जिसमें किसी भी जेंडर की भागीदारी सामान रूप से हो। दूरियां बढ़ाने वाली गतिविधियों को प्रश्रय नहीं देना चाहिए।

    ReplyDelete
  81. हमे जेंडर के आधार पर भेद-भव नही करना चाहिए। हमे रूढिवादी विचारों से बाहर निकल कर बच्चों को शिक्षा देनी चाहिए। बच्चों में समानता का भव होना चाहिए।

    ReplyDelete
  82. जेंडर संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन हैं:-घर के कामों में महिलाओं को दिखाना:-यथा खाना बनाना, कपड़े धोना, बच्चों की देखभाल करना तथा पुरुषों को ट्रेक्टर चलाते दिखाना, किसी उत्पादन की मजबूती दिखाना आदि। जेंडर के अनुकूल विज्ञापन:-सब पढ़ें सब बड़े, लड़का-लड़की एक समान इससे है भारत महान,मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा। आदि

    ReplyDelete
  83. हमें समझना चाहिए कि लड़का-लड़की एक समान । और लिंग भेद के बिना शिक्षा देने चाहिए ।

    ReplyDelete
  84. मैं एक शिक्षक के गोरवान्वित पद पर कार्यरत हूं। जहां रूढ़िवादीता को किसी भी तरह से स्वीकार किया जाना उचित नहीं है। हालांकि इस बात से इन्कार भी नहीं किया जा सकता है कि, रूढ़िवादीता की जंजीरों ने हमारे समाज को बड़ी मजबूती से जकड़ कर रखा हुआ है।
    जहां तक विज्ञापन में जेंडर सम्बन्धी रूढ़ियों को मजबूत करने की बात है यह सच ही प्रतीत होता है, जैसे-किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम या विशिष्ट अतिथि के स्वागत हेतु तथा घरेलू सामानों की साफ-सफाई विक्री के लिए सिर्फ लड़कियों/महिलाओं को विज्ञापन में आगे करके दिखाना।
    वहीं कुछ विज्ञापन जैसे- स्वच्छता व पल्स पोलियों तथा मतदाता जागरूकता अभियान के तहत वाले विज्ञापन जेंडर के अनुकूल हैं इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है।

    ReplyDelete
  85. We should treat the both gender equally and appose them the equal rights

    ReplyDelete
  86. मैं एक शिक्षक के गोरवान्वित पद पर कार्यरत हूं। जहां रूढ़िवादीता को किसी भी तरह से स्वीकार किया जाना उचित नहीं है। हालांकि इस बात से इन्कार भी नहीं किया जा सकता है कि, रूढ़िवादीता की जंजीरों ने हमारे समाज को बड़ी मजबूती से जकड़ कर रखा हुआ है।
    जहां तक विज्ञापन में जेंडर सम्बन्धी रूढ़ियों को मजबूत करने की बात है यह सच ही प्रतीत होता है, जैसे-किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम या विशिष्ट अतिथि के स्वागत हेतु तथा घरेलू सामानों की साफ-सफाई विक्री के लिए सिर्फ लड़कियों/महिलाओं को विज्ञापन में आगे करके दिखाना।
    वहीं कुछ विज्ञापन जैसे- स्वच्छता व पल्स पोलियों तथा मतदाता जागरूकता अभियान के तहत वाले विज्ञापन जेंडर के अनुकूल हैं इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है।

    ReplyDelete
  87. शिक्षक समाज का दप॔ण है|शिक्षक का काय॔ बहुत ही संव॓दनशील और जिमेवारी वाला होता है|इसलिए हमॆ जॆडर संबंधी दूरियाॕ बढाने वाली कामॊं को आश्रय नहीं देना चाहिए|जेंडर संबंधी दूरियॊं को मजबूत करने वाले विज्ञापन है-घर के कामॊं म॓ं महिलाऔं को दिखाना| जेंडर के अनॢकूल विज्ञापन है- शिक्षण संसथानों से जॢडे विज्ञापन लड़कों एवं लड़कियों के लिए जेंडर के अनॢकूल है|

    ReplyDelete
  88. We should treat all person of different gender equally and give them equal opportunities as others get

    ReplyDelete
  89. शिक्षक देश के निर्माता हैऺ।निर्माता होने के कारण हम शिक्षकों कोन इन संवेदनशील मुद्ददो को प्रश्रय नहीं देना चाहिए।जहां तक जेंडर संबंधी दूरियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन का सवाल है तो इसमें मेरे विचार से घर के कामों में महिलाओं को दिखाना न्यायसंगत विज्ञापन लगता है तथा जेंडर के अनुकूल विज्ञापन में -मतदाता जागरूकता अभियान में जहां लड़का-लड़की एक समान नजर आते हैं।

    ReplyDelete
  90. रूढ़िवादिता से ऊपर उठकर सोचना चाहिए। बच्चों में एक समानता के आधार पे शिक्षा देना चाहिए, भेदभाव बच्चों में हीनता का भाव पैदा करता है।

    ReplyDelete
  91. bina bhed bhaw ke sichan jaruri hai

    ReplyDelete
  92. Reception ke vigyapan me samanyata gender sambandhi bhedbhav dekhne ko milta hai.Dukan me kam karne ke liye nikale gaye vigyapan gender anukul late hain.

    ReplyDelete
  93. There should be not any difference on the basis of gender male and female must be treated as equal.

    ReplyDelete
  94. शिक्षक का पद बहूत जिम्मेदारी का होता है। विद्यालय मे शिक्षक के शिक्षण का गहरा प्रभाव विद्यार्थी पर होता है। उसी तरह लिंग सम्बन्धी विज्ञापनों से समाज मे भी प्रभाव पड़ता है। रसोई के समान का में महिलाओ को ही दिखाया जाता है और पहाड़ों से कूदने वाले साहसिक कार्य वाले विज्ञापन में पुरुषो को दिखाया जाता है। कुछ विज्ञापन महिला पुरुष के समानता वाले विज्ञापन है जैसे - पल्स पोलियो, मतदान, शिक्षा के क्षेत्र मे आगे बढ़ना । हम सभी का प्रयास सभी लिगों के मनुष्यों को समानता का अधिकार मिलें जो हमारे संविधान मे भी है। हम सभी के साथ सामंजस्य करते हुए समान रहे।

    ReplyDelete
  95. सौन्दर्य सम्बन्धित सामानों के विज्ञापन में महिला प्रधान वीडियो दिखाया जाता है जो कि रूढ़ियों को दर्शाता है।
    नौकरी के लिए जैसे कस्टमर केयर,अस्पताल वागैरह में लड़की व लड़का दोनों के लिए विज्ञापन निकालना, जेंडर के अनुकूल है।

    ReplyDelete
  96. There should be no discrimination between girls and boys to promote healthy growing environment.

    ReplyDelete
  97. There should be no discrimination between girls and boys to promote healthy growing environment.

    ReplyDelete
  98. Sabun ke prachar me sirf ladkiyo ko dikhana gender sambandhi roodhiyo ko majboot karta hai. Lekin jab sena ke prachar me ladkiyo aur ladko ko saath dikhaya jaata hai to yah gender ke anukul hai.Hum shichhko ko gender se sambandhit roodhiyo ko todkar aage badhkar kaam karna chahiye.

    ReplyDelete
  99. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  100. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  101. Education should be free from gender discrimination. Both boys and girls should be treated equally.

    ReplyDelete
  102. शिक्षक होना एक गौरवान्वित जिम्मेदारी है और शिक्षक होने के नाते मेरे मन में इस तरह की रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का कोई स्थान नहीं है ।

    ReplyDelete
  103. टेलिविजन पर जेंडर संबंधित विज्ञापन में मुख्यत पुरुष बाहर के काम और महिलाएँ घर काम करते दिखाया जाता है लेकिन वर्तमान में दिखाए जाने वाले विज्ञापन में समानता दिखाया जा रहा है।

    ReplyDelete
  104. I am a teacher. I read my student any difference of gender.

    ReplyDelete
  105. Hame rudhiwadita aur ling bhed ko hatakar shikshan karna hai kinyoki hain samaj ke liye liye roll module h samaj hamri har ek activity ka anukaran karti h aur bachche bhi hamre tarah hi banna chahte h .

    ReplyDelete
  106. Ladkiyon ko dheere aur salinta ke sath bolna chahiye ye rudhivadita ha jab ki ek ladki bahadur sainik, doctor scientists ban sakti ha yah samanta ko darsata ha.

    ReplyDelete
  107. जेंडर संबंधित रुढ़ियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन है जैसे सौंदर्य सामग्री तथा घर के कामों में महिलाओं को दिखाया जाना।जेंडर के अनुकूल विज्ञापन खेल कूद, टूथ पेस्ट, नेतृत्व, बीमा आदि में लड़के औऱ लड़कियों को समान रुप से अवसर देते हैं दिखाया जाना।

    ReplyDelete
  108. एक शिक्षक को बिना विभेद किए हुए लड़का और लड़की को समान शिक्षा एवं अवसर देना चाहिए

    ReplyDelete
  109. हमें लिग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।

    ReplyDelete
  110. एक शिक्षक को लड़का-लड़की में बिना किसी प्रकार के भेदभाव किए शिक्षा देना चाहिए।

    ReplyDelete
  111. शिक्षक होना एक गौरवान्वित जिम्मेदारी है और शिक्षक होने के नाते मेरे मन में इस तरह की रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का कोई स्थान नहीं है
    Prabir Kumar Shaw
    H.S.Karaikela.westSinghbhum

    ReplyDelete
  112. शिक्षक समाज का दर्पण होता है। उसकी नजर परिवेश के हर गतिविधि पर जाता है। आज ज्यादा से ज्यादा जो विज्ञापन दिखाया जाता है,वह जेंडर प्रभावित होता है चाहे वह सौंदर्य प्रसाधन सामग्री का हो या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का या फिर घरेलू प्रयोग के समान हो।यह सभी रुढ़िवादी विचारों से पोषित हैं, जबकि कुछ विज्ञापन जैसे शिक्षा संस्थान, खेल- कूद के विज्ञापन जेंडर अनुकूल होते हैं। हमें ऐसे ही विज्ञापन पर जोर देने की कोशिश करनी चाहिए।

    ReplyDelete
  113. हमे लिंग भेद को समझते हुए,रूढ़िवादिता से ऊपर उठकर सभी के साथ समानता का भाव रखना चाहिए

    ReplyDelete
  114. हम अपने आप को कितना भी शिक्षित एवं सभ्य कहें समाज में जेंडर संबंधी भेदभाव को समाप्त नहीं कर पा रहे हैं| आज भी घरेलू उत्पादों का विज्ञापन महिलाओं से ही कराया जाता है|इस असमानता को दूर करने में हम शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है|

    ReplyDelete
  115. शिक्षक समाज का दर्पण होता है। हमें लिग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए। शिक्षक होना एक गौरवान्वित जिम्मेदारी है |
    UPS HARIPALDIH
    SAVITRI DEVI
    GIRIDIH
    GANDEY

    ReplyDelete
  116. Ladkiyon ko gharelu kam me dyan dena chahiye.Use km aur salinta ke sath bolna chahiye,ye rudiwadita ha.Lekin ek ladki bhi ek safal sainik,doctor , scientist ,teacher ho sakti ha yah samanta ko darsata ha.Ek teacher hone ke nate hamea gender sambandhit kupratha o dur karne ke liye apne students me iski neev rakhni chahiye.

    ReplyDelete
  117. शिक्षक संपूर्ण राष्ट्र का निर्माता है और एक अच्छे निर्णायक के रूप में हमेशा कार्य करता है। ऐसी परिस्थिति में हमें किसी भी प्रकार का लिंग भेद करके किसी के मार्ग को अवरुद्ध करने के लिए कताई विचार मन में नहीं लाना चाहिए।। जहां तक हो सके और जितना हो सके हम बच्चों के भविष्य निर्माण में अपना सर्वस्व नौ छावर करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।।

    ReplyDelete
  118. हमें लिंग भेद समझते हुए रुढ़िवादिता से उपर उठकर सभी बच्चों पर समान रुप से ध्यान देना चाहिए ।

    ReplyDelete
  119. लिंग भेद से हटकर सभी बच्चो को समान अवसर देना चाहिए |

    ReplyDelete
  120. हमें लिंग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।

    ReplyDelete
  121. एक शिक्षक को लड़का-लड़की में बिना किसी प्रकार के भेदभाव किए शिक्षा देना चाहिए।

    ReplyDelete
  122. एक शिक्षक को विद्यालय में लड़के और लड़कियों में भेदभाव नहीं करना चाहिए। विज्ञापनों में रूढ़िवादी विचारों को दूर करने के लिए लड़कियों द्वारा किए जाने वाले उत्कृष्ट कार्यों को दिखाया जाना चाहिए।

    ReplyDelete
  123. जेंडर सम्बंधित रूढ़ियों को मजबूत करने वाला एक विज्ञापन maithan steel का है जिसमें शक्ति के प्रतीक के रूप में एक पुरुष खली को दर्शाया गया है। जेंडर के अनुकूल विज्ञापन के रूप में बॉर्न वीटा का विज्ञापन "तैयारी जीत की" लिया जा सकता है जिसमें बच्चे को दौड़ने का प्रैक्टिस उसके पिता नहीं बल्कि उसकी माँ कराती है।

    ReplyDelete
  124. एक शिक्षक को विद्यालय में लड़के और लड़कियों में भेदभाव नहीं करना चाहिए। विज्ञापनों में रूढ़िवादी विचारों को दूर करने के लिए लड़कियों द्वारा किए जाने वाले उत्कृष्ट कार्यों को दिखाया जाना चाहिए।

    ReplyDelete
  125. बच्चों में जेंडर संबंधी रूढ़ियों का विकास उनके प्रथम पाठशाला परिवार से ही शुरु होकर क्रमशः विद्यालय और सामाजिक परिवेश में इसका उत्तरोत्तर विकास होता जाता है| इसमें सुधार के लिए हम शिक्षकों को एक ऐसा वातावरण का निर्माण करना होगा जिसमें बच्चे परिवार से ही जेंडर संबंधी रूढ़ियों से दूर रहें|

    ReplyDelete
  126. Teachers should do equal behave with both gender.

    ReplyDelete
  127. एक शिक्षक होने के नाते मैं जेंडर संबंधी रूढ़ियों को दूर करने की कोशिश करते हुए तथा समानता के सिद्धान्त को अपनाते हुए शिक्षण कार्य करुंगी । एक शिक्षक को लड़का-लड़की में भेदभाव किए बगैर शिक्षण कार्य करना चाहिए

    ReplyDelete
  128. एक शिक्षक होने के नाते जेंडर संबंधी रूढ़िवादी विचारों को अलग करते हुए बिना किसी भेदभाव के शिक्षा देनी चाहिए

    ReplyDelete
  129. बच्चों में जेंडर संबंधित रूढ़ियों का विकास उनके प्रथम पाठशाला परिवार से ही शुरू होती है। विद्यालय में लड़के और लड़कियों में भेदभाव नही करना चाहिए। हमें रूढ़िवादी विचारों को दूर करने के लिए लिंग भेद से हटकर सभी बच्चों को समान अवसर देना चाहिए।

    ReplyDelete
  130. शिक्षक देश का भविष्य बनाते हैं। इसलिए शिक्षक होने के नाते लड़का , लड़की में रूढ़िवादी विचारों को अलग होकर बिना भेदभाव के समान शिक्षा देने चाहिए और विधालय में भेदभाव ना हो इसका ख्याल रखना चाहिए।

    ReplyDelete
  131. एक शिक्षक होने के नाते जेंडर संबंधी रूढ़िवादी विचारों को अलग करते हुए बिना किसी भेदभाव के शिक्षा देनी चाहिए

    ReplyDelete
  132. जेंडर संबंधित विग्यापन में टेलीविजन मे मुख्यतः महिलाओं को घर से संबंधित काम एवं पुरूषो को बाहरी कार्य करते हुए दिखाया जाता है जो कि बिल्कुल भी उचित नही है

    https://www.youtube.com/watch?v=y4QxRV4pMcI&feature=youtu.be

    https://www.youtube.com/watch?v=SpPozOvNrKA

    ReplyDelete
  133. हमे जेंडर के आधार पर भेद-भव नही करना चाहिए। हमे रूढिवादी विचारों से बाहर निकल कर बच्चों को शिक्षा देनी चाहिए। बच्चों में समानता का भव होना चाहिए।

    ReplyDelete
  134. किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम या विशिष्ट अतिथि के स्वागत हेतु तथा सामानों की विक्री के लिए सिर्फ लड़कियों/महिलाओं को विज्ञापन में आगे करके दिखाना।
    वहीं कुछ विज्ञापन जैसे- स्वच्छता व पल्स पोलियों तथा मतदाता जागरूकता अभियान के तहत वाले विज्ञापन जेंडर के अनुकूल हैं इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है।

    ReplyDelete
  135. शिक्षक का पद गरिमामयी होता है,अतः मैं एक शिक्षक होने के नाते लिंग भेद को बढ़ावा दिए बिना सारे बच्चों के लिए समान शिक्षा की व्यवस्था अपने विद्यालय में करने की पक्षधर हूँ |

    ReplyDelete
  136. एक शिक्षक को लड़का-लड़की मे बिना किसी प्रकार के भेदभाव किए शिक्षा देना चाहिए

    ReplyDelete
  137. अक्सर सौंदर्य प्रसाधन के विज्ञापन जेंडर संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करते हैं।
    link - https://youtu.be/HQNMxsqlkoQ
    जबकि साक्षरता अभियान, पल्स पोलियो अभियान, राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन जैसे विज्ञापन जेंडर के अनुकूल होते हैं।
    link - https://youtu.be/wq4kfbzA7_1

    ReplyDelete
  138. एक शिक्षक के एक तरफ लड़का दूसरी तरफ लड़की साथ में झंडा थामे हुए हैं जिसमें लिखा हुआ है"पढ़कर इंसान बनो" जेंडर साम्य का अनुकूल विज्ञापन हो सकता है।
    दूसरी ओर मां बच्चा को स्कूल भेज रही हैं पर बच्ची को स्कूल जाने से रोक रही हैं । जेंडर का रूढीवादीता का विज्ञापन है ।

    ReplyDelete
  139. शिक्षा को लिंग आधारित भेदभाव से उपर उठकर बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है!

    ReplyDelete
  140. "गुरूर ब्रम्हा गुरूर विष्णु गुरूर देवो महेश्वरः गुरु: साक्षात्परब्रम्हा तस्मै श्री गुरूवे नमः"
    एक गुरु(शिक्षक) का स्थान ईश्वर से भी ऊँचा होता है। अतः एक शिक्षक होने के नाते हमारा यह जिम्मेदारी है कि हम एक ऐसे समाज का निर्माण करें, जिसमें रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का कोई स्थान न हो।

    ReplyDelete
  141. शिक्षा में भेदभाव सही नही है।

    ReplyDelete
  142. बोर्नविटा का प्रचार 'I am growing boy.I am growing girl' लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है.जबकि कोल्ड ड्रिंक्स के प्रचार में मर्दोंवाली बात कहना लैंगिक रुढ़िवाद को बताता है|जैविक भिन्नता सामजिक भिन्नता की वजह कभी नहीं बनाना चाहिए;क्योंकि जीवन की जरूरतें सामान होती हैं|जैविक भिन्नता श्रृष्टि की निरंतरता के लिए मात्र हैं|

    ReplyDelete
  143. Larka larki ek saman sabko shiksha sabko maan kisi bhi activity men boys girls kosaman rup se bhag LENE ka awsar pradan karma chahie

    ReplyDelete
  144. We should behave equally with both gender. We should not discriminate among genders. Being a teacher, I shall teach my students without any discrimination of gender.

    ReplyDelete
  145. इस प्रकार के कई विज्ञापन हम प्रतिदिन देखते हैं जिसमें किसी खास चीज को खाने से शक्तिशाली बना जाता है जिसमें मुख्य रूप से पुरुषों को दिखाया जाता है.

    ReplyDelete
  146. एक शिक्षक होने के कारण किसी तरह की रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का स्थान नहीं होना चाहिए। लड़का लड़की दोनों को हर क्षेत्रों में समानता होनी चाहिए।

    ReplyDelete
  147. विशेष समारोह कार्यक़म के तोरणदव्आर मे स्व।गतम लिखकर उसके अगल -बगल लड़कियों के स्व।गत मुद़। मे चित्र बनाना जेंड़र संबंधी रूढियों को मजबूत करता है,और सर्व शिक्ष। अभियान के सिंबल सब पढे सब बढे पर बैठे लडका और लड़की को पढते हुए दिखाना जेंड़र के अनुकूल है।

    ReplyDelete
  148. हमें सम भाव रखते हुए काम करना चाहिए और समाज मे उदाहरण बनना चाहिए।समाज मे लिंग भेद का पुरजोर विरोध करते हुए, समाज में जागरूकता फैलाना चाहिए।

    ReplyDelete
  149. विशेष समारोह कार्यक़म के तोरणदव्।र मे स्व।गतम लिखकर उसके अगल-बगल लडकियो के स्व।गत मुद़। मे चित्र बनाना जेंडर संबंधी रूढियो को मजबूत करता है,और सर्व शिक्ष। अभियान के सिंबल सब पढे सब बढे मे पेंसिल पर लडका और लडकी को पढते हुए दिखाना जेंड़र के अनुकूल है।

    ReplyDelete
  150. Teacher kisi desh ya logon ka future banate hai aise me teacher ke upar ye jimmedari as jati hai ki oh ling bhed kiye bina zender ar transgender ko saman rup se siksha Dena chahiye . Kyonki kisi nhi desh ya oski arthvyvsta ka vikash dono Yani boys ar
    girl dono ke sahyog se hi smbhaw hai is Karn ek suruwat priwar se school at samaj ar rastr tk dono me bhedbhaw na krte hue dono ka brabar samman at aadr hona chahiye.ek teacher hone ke Nate hmen sbhon ko yhi shiksha Deni chahiye Taki logon ka sochne ka tarika smy ke sath bdle .

    Ms ROWAULI Bandgaon
    PRAKASH MUNDU

    ReplyDelete
  151. Ling ke prati samvedansheel rahte hue main apni kaksha men ladaka-ladaki Ko saman Mahatva dete hue sabhiko ek-ek gatividhi karne dunga .aur ghumate hue nirikshan karunga .

    ReplyDelete
  152. शिक्षक को शिक्षण के दौरान बिना भेदभाव के किए शिक्षा देना चाहिए यही एक सच्चे शिक्षक की जिम्मेवारी है

    ReplyDelete
  153. Bhedbhav ko education ke duwara hi mitaya ja sakta hai.

    ReplyDelete
  154. हमें लिंग भेदभाव से हटकर समान रूप से शिक्षा देनी चाहिए

    ReplyDelete
  155. हमे जेंडर के आधार पर भेद-भव नही करना चाहिए। हमे रूढिवादी विचारों से बाहर निकल कर बच्चों को शिक्षा देनी चाहिए। बच्चों में समानता का भव होना चाहिए।

    ReplyDelete
  156. We should do equal behave with both gender witout any discrimination.

    ReplyDelete
  157. मैं एक ऐसा उदाहरण देना चाहुँगा जिसमें लड़के और लड़कियों एक साथ दौड़ते है पर रूढ़ीवादी सोच के विपरीत लड़के के बजाय लड़की दौड़ में प्रथम आती हैं।
    https://youtu.be/SpPozOvNrKA
    अन्य विज्ञापन जो आभूषण या श्रृंगार से जुड़ी हो जेंडर के अनुकूल हैं।

    ReplyDelete
  158. https://youtu.be/Qh2Rg1Yag_g

    https://youtu.be/xW8PKdTgWwg

    Both ideas were given.

    ReplyDelete
  159. मैं शिक्षक हुं ।मेरा मानना है कि लड़के और लड़कियों को समान अवसर प्रदान करते हुए शिक्षण प्रक्रिया को इस प्रकार चलाना चाहिए ताकि उनमें लिंग भेद की कुप्रवृति न पनपे।मीडिया ऐसे विज्ञापन न छापे जो दोनों में किसी को कम दिखाये।शरीर के जैविक अंतर को क्षमता से न आकांक्षा जाना चाहिए ।

    ReplyDelete
  160. We should do equal behave with same gender

    ReplyDelete
  161. gender stereotypes is a social evil advertisement is a good and effective way to remove this.

    ReplyDelete
  162. मैं शिक्षक हूं और मेरा मानना है कि शिक्षा में दोनों का अधिकार समान है और दोनों ही समान रूप से इसको ग्रहण कर सकते हैं बिना किसी भेदभाव के एक शिक्षक का कर्तव्य है कि दोनों को आगे के लिए प्रोत्साहित करें और मार्गदर्शन करें

    ReplyDelete
  163. जेंडर संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन है जैसे घर के कामों को महिलाओं को दिखाना तथा जेंडर के अनुकूल विज्ञापन खेलकूद, सेना आदि में लड़के और लड़कियों को समान रुप में अवसर देते हैं दिखाना

    ReplyDelete
  164. विद्यालय हो या घर हमें जेंडर संबंधी भेद-भाव से परहेज करना चाहिए।लड़का हो लड़की सभी को समान अवसर मिले ताकि वे अपनी पूरी क्षमता के साथ खुद का विकास कर सके तथा समाज,देश का विकास कर सके।

    ReplyDelete
  165. शिक्षक होना एक गौरवान्वित जिम्मेदारी है और शिक्षक होने के नाते मेरे मन में इस तरह की रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का कोई स्थान नहीं है ।

    Reply

    ReplyDelete
  166. देश में महिलाओं के साथ भेदभाव मिटाने तथा उन्हें विकास के समान अवसर उपलब्ध कराने में मीडिया अहम भूमिका निभा सकता है। बाजारीकरण औैर व्यावसायिकता के प्रभाव में मीडिया भी महिलाओं संबंधी रिपोर्टिंग में अक्सर भेदभाव व पक्षपात करता है।

    यह निष्कर्ष यहां विमर्श संस्था की ओर से आयोजित जेंडर समानता तथा मीडिया संबंधी राज्य स्तरीय परिचर्चा में सामने आया।

    ReplyDelete
  167. Mai ek teacher hu aur Mera jimmedari h samaj ko jagruk krna na ki vedh bhaw krna ek ldka or ladki m..sabko Saman bhaw se dekhna or Saman izzat dena..

    ReplyDelete
  168. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  169. Nishtha training Jharkhand is very nice

    ReplyDelete
  170. हमें लिग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।

    ReplyDelete
  171. शिक्षकों का यह नैतिक कर्तव्य होना चाहिए कि वह रूढ़िवादी धारणाओं से ऊपर उठकर बिना भेदभाव के अपने बच्चों एवं विद्यालय के बच्चों को शिक्षित करें और समाज में फैले कुरीतियों को दूर करें/

    ReplyDelete
  172. जेंडर असमानता को बढ़ावा देन वाले advertisement है, काम करते हुए वीमेन या लड़की को दिखाना, ब्यूटी प्रोडक्ट मै सुंदरता से सम्बंधित सोच /जेंडर समानता के example हैं, ऑफिस वर्क, स्पोर्ट मै भाग लेती लड़कियों के advertisement,. हम टीचर्स की जिम्मेबारी हैं की जेंडर समानता को स्थापित करते हुए शिक्षा दे

    ReplyDelete
  173. Hame ek teacher hone ke Nate bina vad van ke bachho ke poti samanata ka vab rakhna hai

    ReplyDelete
  174. शिक्षक को विद्यार्थियों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए ।सभी को समान अवसर प्रदान करना चाहिए । स्कूली गतिविधियों में सभी को शामिल करना चाहिए।

    ReplyDelete
  175. शिब नाथ साहानी

    ReplyDelete
  176. हमें लिग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।

    ReplyDelete
  177. जेंडर संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन है जैसे घर के कामों को महिलाओं को दिखाना तथा जेंडर के अनुकूल विज्ञापन खेलकूद, सेना आदि में लड़के और लड़कियों को समान रुप में अवसर देते हैं दिखाना।
    हमें विद्यालय में लड़के और लड़कियों में भेदभाव नहीं करना चाहिए। नंद गोपाल तिवारी सहायक शिक्षक परतापुर

    ReplyDelete
  178. एक शिक्षक की समाज के प्रति बढी जिम्मेदारी और कर्तव्य है किकिसी भी रूढिवादी विचार और भावना के आधार पर लड़के,लड़की मे भेदभाव न हो। सभी को समान अवसर और शिक्षा मिले। जिससे सशक्त समाज की रचना हो सके।

    ReplyDelete
  179. रूढ़िवादी विचारधारा से ऊपर उठकर बिना किसी लिंग भेद के समान शिक्षा एवं अवसर प्रदान करना चाहिए।

    ReplyDelete
  180. Ek HM k Nate Hume yeh dekhna Chahiye ki koi teacher Kisi bhi bachhe me bhedbhav na kare tatha sabhi gender k bachho ko ek hi avsar pradan karna Chahiye. Agar koi ladka aur ladki apase bhedbhav ki bhavna rakhe to teacher Ka kartavya hai ki teacher dono k bhavo ko samajh Kar dono ko santusti pradan kare

    ReplyDelete
  181. जेंडर संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन है जैसे घर के कामों को महिलाओं को दिखाना तथा जेंडर के अनुकूल विज्ञापन खेलकूद, सेना आदि में लड़के और लड़कियों को समान रुप में अवसर देते हैं दिखाना

    ReplyDelete
  182. Ling bhed prakriti ka niyam hai.Kintu hum sikchha ki ko hamesha yeh dhyan rakhna chahiye ki bina ling bhed kiye ladke asim ladkiyo ko n sirf sikchha varan anya sabhi school gatividhiyon mein unhe vina bhedbhav je saman aware uplabdha karayein.

    ReplyDelete
  183. शिक्षकों का यह नैतिक कर्तव्य होना चाहिए कि वह रूढ़िवादी धारणाओं से ऊपर उठकर बिना भेदभाव के अपने बच्चों एवं विद्यालय के बच्चों को शिक्षित करें और समाज में फैले कुरीतियों को दूर करें।

    ReplyDelete
  184. शिक्षकों का यह नैतिक कर्तव्य होना चाहिए कि वह रूढ़िवादी धारणाओं से ऊपर उठकर बिना भेदभाव के अपने बच्चों एवं विद्यालय के बच्चों को शिक्षित करें और समाज में फैले कुरीतियों को दूर करें।

    ReplyDelete
  185. शिक्षकों का यह नैतिक कर्तव्य होना चाहिए कि वह रूढ़िवादी धारणाओं से ऊपर उठकर बिना भेदभाव के अपने बच्चों एवं विद्यालय के बच्चों को शिक्षित करें और समाज में फैले कुरीतियों को दूर करें।

    ReplyDelete
  186. We should treat all the person of different gender equally and give them equal opportunities as others get in their life

    ReplyDelete
  187. There should be no discrimination between girls and boys to promote healthy growing environment.

    ReplyDelete

कोर्स 12 : गतिविधि 5 : खि‍लौना क्षेत्र का सृजन – अपने विचार साझा करें

आप अपनी कक्षा/ स्कूल में खि‍लौना क्षेत्र कैसे सृजित करेंगे – इस बारे में सोचें। डी-आई-वाई खि‍लौनों का सृजन करने में बच्चों की सहायता के लिए ...