एक ऐसे विज्ञापन के बारे में
सोचें जो जेंडर संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करता है और एक अन्य विज्ञापन जो जेंडर के
अनुकूल है। आप विज्ञापन वीडियो के लिंक को कॉपी और पेस्ट कर सकते हैं।
This blog is for online NISHTHA Training for Jharkhand State. You are welcome to share your reflections/comments/suggestions on this page.
आप अपनी कक्षा/ स्कूल में खिलौना क्षेत्र कैसे सृजित करेंगे – इस बारे में सोचें। डी-आई-वाई खिलौनों का सृजन करने में बच्चों की सहायता के लिए ...
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteWe should do equal behave with both gender
ReplyDeleteWe should do equal behave with both gender.
ReplyDeleteहमें लिग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।
ReplyDeleteYes
DeleteYes
ReplyDeleteरूढ़िवादिता से ऊपर उठकर सोचना चाहिए
ReplyDeleteबिना भेदभाव के शिक्षा अती आवश्यक है
ReplyDeleteहमें लिग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।
ReplyDeleteI am a teacher.
ReplyDeleteI have good teaching ability.
I can teach my student without any discrimination
A good teacher is a mirror of social.He should teach his students without any discrimination. I am also a good teacher .We should do equal behave with both gender.
ReplyDeletehttps://youtu.be/9OEf5IYsRi8
ReplyDeleteएक शिक्षक को लड़का-लड़की में बिना किसी प्रकार के भेदभाव किए शिक्षा देना चाहिए।
ReplyDeleteएक शिक्षक को लड़का-लड़की में बिना किसी प्रकार के भेदभाव किए शिक्षा देना चाहिए।
ReplyDeleteHum meena aur mittu ke kahani ke bare me jante hai jahan par gender discrimination hota hai.baad me meena ke brave work se impress ho kar uske grandmaa ne meena aur raju ko barbar prem aur cheeze,khana dete hain.SHYAMAL SARKAR.
ReplyDeleteएक शिक्षक को लड़का-लड़की में बिना किसी प्रकार के भेदभाव किए शिक्षा देना चाहिए।
ReplyDeleteशिक्षक होना एक गौरवान्वित जिम्मेदारी है और शिक्षक होने के नाते मेरे मन में इस तरह की रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का कोई स्थान नहीं है ।
ReplyDeleteI want to teach my students without any discrimination.
ReplyDeleteशिक्षक होना एक गौरवान्वित जिम्मेदारी है और शिक्षक होने के नाते मेरे मन में इस तरह की रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का कोई स्थान नहीं है ।
ReplyDeleteI want to teach my students without any discrimination.
ReplyDeleteशिक्षक देश का भविष्य बनाते हैं। इसलिए शिक्षक होने के नाते लड़का , लड़की में रूढ़िवादी विचारों को अलग होकर बिना भेदभाव के समान शिक्षा देने चाहिए और विधालय में भेदभाव ना हो इसका ख्याल रखना चाहिए।
ReplyDeleteजेंडर संबंधी रोगियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन हैं जैसे घर के कामों को महिलाओं को दिखाना तथा जेंडर के अनुकूल विज्ञापन खेलकूद सेना आदि में लड़के और लड़कियों को समान अवसर देते हुए दिखाना।
ReplyDeleteजेंडर संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन है जैसे घर के कामों को महिलाओं को दिखाना तथा जेंडर के अनुकूल विज्ञापन खेलकूद, सेना आदि में लड़के और लड़कियों को समान रुप में अवसर देते हैं दिखाना
ReplyDeleteहमलोगों को लिंग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।
ReplyDeleteEk shikshak Ko ladka aur ladki ke bich bhedbhav nahin karna chahie donon ko saman Adhikar Milana chahie aur iski shuruaat hamen Vidyalay star per nahin karna chahie taki logon ki rudhivadi soch mein Parivartan Na sake
ReplyDeleteEk teacher ko boy &girl me bina kisi prakar k bhedbhaw kiye education dena cahiye.Kyonki rudhiwadi dharnawon ko aaj hamlog bahut piche chod cuke hain.
DeleteSabhi ko ek samaan samajhna ...ek sikchak ka dharm hai
ReplyDeleteहमें समझना चाहिए कि लड़का-लड़की एक समान । और लिंग भेद के बिना शिक्षा देने चाहिए ।
ReplyDeleteहमें सम भाव रखते हुए काम करना चाहिए और समाज मे उदाहरण बनना चाहिए।समाज मे लिंग भेद का पुरजोर विरोध करते हुए, समाज में जागरूकता फैलाना चाहिए।
ReplyDeleteहमें लिग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।Dinesh Kumar Rana,MIDDLE SCHOOL SHIMLA MANDRO Karmatar jamtara
ReplyDeleteWe should do equal behave with both gohdes
ReplyDeleteशिक्षक होना एक गौरवान्वित जिम्मेदारी है और शिक्षक होने के नाते मेरे मन में इस तरह की रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का कोई स्थान नहीं है ।
ReplyDeleteहमारे समाज में लिंग भेद सदियों से चली आ रही है ।आज भी गांवों में यह भेद अपनी जगह बनाए हुए है जबकि शहरी क्षेत्रों में कम हुआ है ।
ReplyDeleteविज्ञापन के क्षेत्र में..
1) एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में जहां अतिथियों के स्वागत में स्वागत गीत सिर्फ लड़कियों से ही प्रस्तुत कराई जाती है।
2) मतदाता जागरूकता अभियान के क्षेत्र में जहां समान रूप से दोनों लड़का-लड़की नजर आते हैं ।
I am a teacher.i read my student without any difference o gender.i tell him that you should read together then you will feel better and study free mind
ReplyDeleteAmbuja ciment ka addverties
ReplyDeleteA good teacher is a mirror of social.He should teach his students without any discrimination. I am also a good teacher .We should do equal behave with both gender.
ReplyDeleteमैं विद्यालय का प्रधान शिक्षक हूं अक्सर मेरे विद्यालय से सिर्फ लड़कियों को ही पदाधिकारियों के स्वागत सम्मान में गीत गाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा बुलाया जाता है।
ReplyDeleteIsse ladkiyon ko kyu padhana yeh to shadi ho ke dusre ke ghar jayengi
ReplyDeleteRudriwadi Drishtikon
Ladki se kewal ghar ke hi Kam liya Jana hamare samaj ke aik rudhiwadi dharna hai
ReplyDeleteशिक्षक समाज का आईना होता है अतः एक शिक्षक होने के नाते हमारा जिम्मेदारी है कि हम एक ऐसे समाज का निर्माण करें जिसमें लड़के लड़कियों की भागीदारी बराबर हो।
ReplyDeleteशिक्षक होना एक गौरवान्वित जिम्मेदारी है और शिक्षक होने के नाते मेरे मन में इस तरह की रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का कोई स्थान नहीं है ।
ReplyDeletehttps://youtu.be/TCW3By6_vKc
ReplyDeleteMain ek shikshika hun isliye Mera kartavya hai ki ladke ladkiyon mein bhedbhav ki Bhavna ko khatm karna
ReplyDeleteEk shikshak hone ke naate main apne vidyalaya main bina kisi bhed bhav ke ladke aur ladkiyon ko saman avsar dete hue shiksha pradan karta hoon.parantu rural area main abhi bhi gender main bhed bhav dekha jaata hai jise hame samuhik prayas kar use khatm karne ke baare main sochne ki aavasyakta hai.
ReplyDeleteNo difference of gender in fundamentals.
ReplyDeletehttps://youtu.be/y4QxRV4pMcI
ReplyDeletehttps://youtu.be/9OEf5IYsRi8
There should be no gender inequalities.All children are equal for me and treated equally.
ReplyDelete
ReplyDeleteजेंडर संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन है जैसे घर के कामों को महिलाओं को दिखाना तथा जेंडर के अनुकूल विज्ञापन खेलकूद, सेना आदि में लड़के और लड़कियों को समान रुप में अवसर देते हैं|
There should not be any gender inequality.
ReplyDeleteविद्यालय में बिना किसी भेद-भाव के पढ़ाना चाहिए। जेंडर संबंधी रुढियों बढ़ाने वाली गतिविधियों को प्रश्रय नहीं देना चाहिए।
ReplyDeleteAs HM I will try 100 percent to promote activities favouring gender equality in my school.
ReplyDeleteस्कूलों में किसी भी समारोह में अतिथियों के स्वाग़त की जिम्मेदारी केवल लड़कियों को न देकर लड़कों को भी दी जानी चाहिए।
ReplyDeleteशिक्षा का अधिकार सबको बराबर है। इसलिए हमें शिक्षा के प्रति शिक्षा देने में लेने में हमें लिंग भेद नहीं करनी चाहिए। एक अच्छे शिक्षक होने के नाते इस पर अमल करना हमें अति आवश्यक लगता है।
ReplyDeleteहमें लिग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।
ReplyDeleteकिसी भी व्यवसाय में लिंग भेद उचित नहीं माना जा सकता।इसलिए हमें लिंग भेद को बढ़ावा नहीं देना चाहिए ।इसकी शुरुआत हमें स्कूली शिक्षा से ही करनी होगी।सभी शिक्षकों को लिंग भेद के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर कार्य करनी चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी का नव निर्माण हो सकेगा।और हम तभी मान सकते हैं कि हम सच्ची शिक्षा दे पाए । --संतोष कुमार सिन्हा(उ.म.वि.बासोडीह, बिरनी ,गिरिडीह ।
ReplyDeleteजेंडर भेद भाव एक सामाजिक मुद्दा है
ReplyDeleteभेद भाव को खत्म करने में शिक्षक अहम भूमिका निभा सकतें हैं विधालय में बच्चो को
जेंडर संबंधी बातों को सिखाकर या जागरूक कर
हमें बिना भेदभाव किये ही कार्य करना चाहिये इससे पूर्व से चली आ रही धारणा को समाप्त करने में मदद मिलेगी स्त्री या पुरुष कोई किसी से कम नही है
ReplyDeleteहम शिक्षको को प्रारंभ से ही बच्चों में इस अवधारणा को विकसित करना चाहिये
मैं एक शिक्षक हूं ।हमारा कार्य अत्यंत जिम्मेदारी वाला है ।अतः हमें जेंडर संबंधी दूरियां बढ़ाने वाली गतिविधियों को प्रश्रय नहीं देना चाहिए।
ReplyDeleteजेंडर संबंधी दूरियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन- घर के कामों में महिलाओं को दिखाना
जेंडर के अनुकूल विज्ञापन- सेना में लड़के और लड़कियों को समान रुप में अवसर देना
अनुपमा
टाटा कॉलेज कॉलोनी मध्य विद्यालय सदर चाईबासा
पश्चिमी सिंहभूम
झारखंड
https://youtu.be/9OEf5IYsRi8 येह लिंक लिंग संबंधि रूढ्यो को दर्षता है। https://youtu.be/y4QxRV4pMcI ये दुसरा लिंक ज़ेंडर के आनुकुल है।
ReplyDeleteलिंग भेद को सक्षझते हुए समानता का भाव करना चाहिए। बिना भेदभाव के कार्य करना चाहिए।
ReplyDeleteसामाजिक रूढीवाद् जेंडर का सबसे बडा कारण है हमे शिक्षण के दौरान ही इस भेद भाव को समाप्त करना चाहिए तथा कक्षा कक्ष मे ही अभिभावक एवं प्रबंधन के साथ मिलकर इस पूर्वाग्रहो को दूर करना होगा!
ReplyDeleteलिरिल साबुन का एडवर्टाइजमेंट लिंग भेदभाव को दर्शाता है। तथा जेंडर संबंधी रूडी बाद को मजबूत करती है।
ReplyDeleteपेप्सोडेंट टूथपेस्ट का एडवर्टाइजमेंट में में लिंग भेदभाव नहीं है तथा जेंडर रूढ़ीवाद को मजबूत नहीं करती है।
no role of gender inequality in society
ReplyDeleteWe should do equal behave with both gender
ReplyDeleteमाता-पिता को लड़का लडक़ी को समान अधिकार देना चाहिए उन में कोई भेद भाव नहीं करना चाहिए
DeleteA teacher makes the future of the country. So being a teacher there should not be any orthodoxy opinion for gender. A good teacher is a mirror of social. He should teach his students without any discrimination. A teacher should have equal behaviour with both gender.
ReplyDeleteविकास की गति सदैव जेण्डर आधारित नहीं होना चाहिए। उसके लिए हमें सदा जागरुक रहना चाहिए।
ReplyDeleteNo difference of between human rights
ReplyDeleteNo difference of between gender human rights
DeleteJender k aadhar per hum bhedbhav nahi kr saktye.students ko saman siksha dena hai
ReplyDeleteहमें लिंग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए। मेरे मन में इस तरह की रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का कोई स्थान नहीं है।
ReplyDeleteHamen lingbhed Ko badhawa nahi deni chahiye
ReplyDeleteसौंदर्य सामग्री विज्ञापन में महिलाओं का चित्र होना, बैंकर/बीमा एजेंट के रूप में केवल पुरुषों का विज्ञापन, घरेलू बर्तन,जेंडर साफ सफाई, वाशिंग पाउडर जैसे विज्ञापनों ने महिलाओं का चित्र संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करता है। शिक्षण संस्थान जिसे कॉलेज, कोचिंग क्लासेज में लड़कियों तथा लड़कों का विज्ञापन जेंडर के अनुकूल है
Deleteहमें लिंग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।
ReplyDeleteमाता-पिता को पिता-पुत्री को समान अधिकार देना चाहिए उन में कोई भेद भाव नहीं करना चाहिए
ReplyDeleteHame ling bhed se sadaiw upar uthkar teaching karna chahiye.
ReplyDeleteIn advertising
ReplyDeleteFor house hold work. Women's were used to represent it..
And for energy used works,mens are used to represent it..
Which too work as to create Gender Discrimination.
Ladka ladki samaj ke ek hi pahlu ke hain
ReplyDeleteYes
ReplyDeleteYes
ReplyDeleteएक शिक्षक को लड़का-लड़की में बिना किसी प्रकार के भेदभाव किए शिक्षा देना चाहिए
ReplyDeleteबिना भेदभाव के शिक्षा अती आवश्यक है
ReplyDeleteThere should be no discrimination on gender.
ReplyDeleteBina bhedbhav ke Shiksha ki avashyakta hai
ReplyDeleteWe should always promote gender equality.We should teach our students without any discrimination
ReplyDeleteशिक्षक को लड़का-लड़की में भेदभाव नहीं करना चाहिए
ReplyDeleteरूढ़िवादिता से ऊपर उठकर सोचना चाहिए|
ReplyDeleteहमें लिग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।
रुढ़िवादिता की जंजीर को तोड़कर ही उत्तरोत्तर विकास संभव है.
ReplyDeleteएक शिक्षक होने के नाते हमारा कर्तव्य है कि हम एक ऐसे समाज को बनाएं जिसमें किसी भी जेंडर की भागीदारी सामान रूप से हो। दूरियां बढ़ाने वाली गतिविधियों को प्रश्रय नहीं देना चाहिए।
ReplyDeleteहमे जेंडर के आधार पर भेद-भव नही करना चाहिए। हमे रूढिवादी विचारों से बाहर निकल कर बच्चों को शिक्षा देनी चाहिए। बच्चों में समानता का भव होना चाहिए।
ReplyDeleteजेंडर संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन हैं:-घर के कामों में महिलाओं को दिखाना:-यथा खाना बनाना, कपड़े धोना, बच्चों की देखभाल करना तथा पुरुषों को ट्रेक्टर चलाते दिखाना, किसी उत्पादन की मजबूती दिखाना आदि। जेंडर के अनुकूल विज्ञापन:-सब पढ़ें सब बड़े, लड़का-लड़की एक समान इससे है भारत महान,मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा। आदि
ReplyDeleteहमें समझना चाहिए कि लड़का-लड़की एक समान । और लिंग भेद के बिना शिक्षा देने चाहिए ।
ReplyDeleteमैं एक शिक्षक के गोरवान्वित पद पर कार्यरत हूं। जहां रूढ़िवादीता को किसी भी तरह से स्वीकार किया जाना उचित नहीं है। हालांकि इस बात से इन्कार भी नहीं किया जा सकता है कि, रूढ़िवादीता की जंजीरों ने हमारे समाज को बड़ी मजबूती से जकड़ कर रखा हुआ है।
ReplyDeleteजहां तक विज्ञापन में जेंडर सम्बन्धी रूढ़ियों को मजबूत करने की बात है यह सच ही प्रतीत होता है, जैसे-किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम या विशिष्ट अतिथि के स्वागत हेतु तथा घरेलू सामानों की साफ-सफाई विक्री के लिए सिर्फ लड़कियों/महिलाओं को विज्ञापन में आगे करके दिखाना।
वहीं कुछ विज्ञापन जैसे- स्वच्छता व पल्स पोलियों तथा मतदाता जागरूकता अभियान के तहत वाले विज्ञापन जेंडर के अनुकूल हैं इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
We should treat the both gender equally and appose them the equal rights
ReplyDeleteमैं एक शिक्षक के गोरवान्वित पद पर कार्यरत हूं। जहां रूढ़िवादीता को किसी भी तरह से स्वीकार किया जाना उचित नहीं है। हालांकि इस बात से इन्कार भी नहीं किया जा सकता है कि, रूढ़िवादीता की जंजीरों ने हमारे समाज को बड़ी मजबूती से जकड़ कर रखा हुआ है।
ReplyDeleteजहां तक विज्ञापन में जेंडर सम्बन्धी रूढ़ियों को मजबूत करने की बात है यह सच ही प्रतीत होता है, जैसे-किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम या विशिष्ट अतिथि के स्वागत हेतु तथा घरेलू सामानों की साफ-सफाई विक्री के लिए सिर्फ लड़कियों/महिलाओं को विज्ञापन में आगे करके दिखाना।
वहीं कुछ विज्ञापन जैसे- स्वच्छता व पल्स पोलियों तथा मतदाता जागरूकता अभियान के तहत वाले विज्ञापन जेंडर के अनुकूल हैं इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
शिक्षक समाज का दप॔ण है|शिक्षक का काय॔ बहुत ही संव॓दनशील और जिमेवारी वाला होता है|इसलिए हमॆ जॆडर संबंधी दूरियाॕ बढाने वाली कामॊं को आश्रय नहीं देना चाहिए|जेंडर संबंधी दूरियॊं को मजबूत करने वाले विज्ञापन है-घर के कामॊं म॓ं महिलाऔं को दिखाना| जेंडर के अनॢकूल विज्ञापन है- शिक्षण संसथानों से जॢडे विज्ञापन लड़कों एवं लड़कियों के लिए जेंडर के अनॢकूल है|
ReplyDeleteWe should treat all person of different gender equally and give them equal opportunities as others get
ReplyDeleteEqual behabhiour to all gender
ReplyDeleteशिक्षक देश के निर्माता हैऺ।निर्माता होने के कारण हम शिक्षकों कोन इन संवेदनशील मुद्ददो को प्रश्रय नहीं देना चाहिए।जहां तक जेंडर संबंधी दूरियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन का सवाल है तो इसमें मेरे विचार से घर के कामों में महिलाओं को दिखाना न्यायसंगत विज्ञापन लगता है तथा जेंडर के अनुकूल विज्ञापन में -मतदाता जागरूकता अभियान में जहां लड़का-लड़की एक समान नजर आते हैं।
ReplyDeleteरूढ़िवादिता से ऊपर उठकर सोचना चाहिए। बच्चों में एक समानता के आधार पे शिक्षा देना चाहिए, भेदभाव बच्चों में हीनता का भाव पैदा करता है।
ReplyDeletebina bhed bhaw ke sichan jaruri hai
ReplyDeleteReception ke vigyapan me samanyata gender sambandhi bhedbhav dekhne ko milta hai.Dukan me kam karne ke liye nikale gaye vigyapan gender anukul late hain.
ReplyDeleteThere should be not any difference on the basis of gender male and female must be treated as equal.
ReplyDeleteशिक्षक का पद बहूत जिम्मेदारी का होता है। विद्यालय मे शिक्षक के शिक्षण का गहरा प्रभाव विद्यार्थी पर होता है। उसी तरह लिंग सम्बन्धी विज्ञापनों से समाज मे भी प्रभाव पड़ता है। रसोई के समान का में महिलाओ को ही दिखाया जाता है और पहाड़ों से कूदने वाले साहसिक कार्य वाले विज्ञापन में पुरुषो को दिखाया जाता है। कुछ विज्ञापन महिला पुरुष के समानता वाले विज्ञापन है जैसे - पल्स पोलियो, मतदान, शिक्षा के क्षेत्र मे आगे बढ़ना । हम सभी का प्रयास सभी लिगों के मनुष्यों को समानता का अधिकार मिलें जो हमारे संविधान मे भी है। हम सभी के साथ सामंजस्य करते हुए समान रहे।
ReplyDeleteसौन्दर्य सम्बन्धित सामानों के विज्ञापन में महिला प्रधान वीडियो दिखाया जाता है जो कि रूढ़ियों को दर्शाता है।
ReplyDeleteनौकरी के लिए जैसे कस्टमर केयर,अस्पताल वागैरह में लड़की व लड़का दोनों के लिए विज्ञापन निकालना, जेंडर के अनुकूल है।
There should be no discrimination between girls and boys to promote healthy growing environment.
ReplyDeleteThere should be no discrimination between girls and boys to promote healthy growing environment.
ReplyDeleteSabun ke prachar me sirf ladkiyo ko dikhana gender sambandhi roodhiyo ko majboot karta hai. Lekin jab sena ke prachar me ladkiyo aur ladko ko saath dikhaya jaata hai to yah gender ke anukul hai.Hum shichhko ko gender se sambandhit roodhiyo ko todkar aage badhkar kaam karna chahiye.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteEducation should be free from gender discrimination. Both boys and girls should be treated equally.
ReplyDeleteशिक्षक होना एक गौरवान्वित जिम्मेदारी है और शिक्षक होने के नाते मेरे मन में इस तरह की रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का कोई स्थान नहीं है ।
ReplyDeleteटेलिविजन पर जेंडर संबंधित विज्ञापन में मुख्यत पुरुष बाहर के काम और महिलाएँ घर काम करते दिखाया जाता है लेकिन वर्तमान में दिखाए जाने वाले विज्ञापन में समानता दिखाया जा रहा है।
ReplyDeleteyes its right
ReplyDeleteI am a teacher. I read my student any difference of gender.
ReplyDeleteHame rudhiwadita aur ling bhed ko hatakar shikshan karna hai kinyoki hain samaj ke liye liye roll module h samaj hamri har ek activity ka anukaran karti h aur bachche bhi hamre tarah hi banna chahte h .
ReplyDeleteLadkiyon ko dheere aur salinta ke sath bolna chahiye ye rudhivadita ha jab ki ek ladki bahadur sainik, doctor scientists ban sakti ha yah samanta ko darsata ha.
ReplyDeleteजेंडर संबंधित रुढ़ियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन है जैसे सौंदर्य सामग्री तथा घर के कामों में महिलाओं को दिखाया जाना।जेंडर के अनुकूल विज्ञापन खेल कूद, टूथ पेस्ट, नेतृत्व, बीमा आदि में लड़के औऱ लड़कियों को समान रुप से अवसर देते हैं दिखाया जाना।
ReplyDeleteएक शिक्षक को बिना विभेद किए हुए लड़का और लड़की को समान शिक्षा एवं अवसर देना चाहिए
ReplyDeleteहमें लिग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।
ReplyDeleteएक शिक्षक को लड़का-लड़की में बिना किसी प्रकार के भेदभाव किए शिक्षा देना चाहिए।
ReplyDeleteशिक्षक होना एक गौरवान्वित जिम्मेदारी है और शिक्षक होने के नाते मेरे मन में इस तरह की रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का कोई स्थान नहीं है
ReplyDeletePrabir Kumar Shaw
H.S.Karaikela.westSinghbhum
शिक्षक समाज का दर्पण होता है। उसकी नजर परिवेश के हर गतिविधि पर जाता है। आज ज्यादा से ज्यादा जो विज्ञापन दिखाया जाता है,वह जेंडर प्रभावित होता है चाहे वह सौंदर्य प्रसाधन सामग्री का हो या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का या फिर घरेलू प्रयोग के समान हो।यह सभी रुढ़िवादी विचारों से पोषित हैं, जबकि कुछ विज्ञापन जैसे शिक्षा संस्थान, खेल- कूद के विज्ञापन जेंडर अनुकूल होते हैं। हमें ऐसे ही विज्ञापन पर जोर देने की कोशिश करनी चाहिए।
ReplyDeleteहमे लिंग भेद को समझते हुए,रूढ़िवादिता से ऊपर उठकर सभी के साथ समानता का भाव रखना चाहिए
ReplyDeleteहम अपने आप को कितना भी शिक्षित एवं सभ्य कहें समाज में जेंडर संबंधी भेदभाव को समाप्त नहीं कर पा रहे हैं| आज भी घरेलू उत्पादों का विज्ञापन महिलाओं से ही कराया जाता है|इस असमानता को दूर करने में हम शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है|
ReplyDeleteशिक्षक समाज का दर्पण होता है। हमें लिग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए। शिक्षक होना एक गौरवान्वित जिम्मेदारी है |
ReplyDeleteUPS HARIPALDIH
SAVITRI DEVI
GIRIDIH
GANDEY
Ladkiyon ko gharelu kam me dyan dena chahiye.Use km aur salinta ke sath bolna chahiye,ye rudiwadita ha.Lekin ek ladki bhi ek safal sainik,doctor , scientist ,teacher ho sakti ha yah samanta ko darsata ha.Ek teacher hone ke nate hamea gender sambandhit kupratha o dur karne ke liye apne students me iski neev rakhni chahiye.
ReplyDeleteशिक्षक संपूर्ण राष्ट्र का निर्माता है और एक अच्छे निर्णायक के रूप में हमेशा कार्य करता है। ऐसी परिस्थिति में हमें किसी भी प्रकार का लिंग भेद करके किसी के मार्ग को अवरुद्ध करने के लिए कताई विचार मन में नहीं लाना चाहिए।। जहां तक हो सके और जितना हो सके हम बच्चों के भविष्य निर्माण में अपना सर्वस्व नौ छावर करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।।
ReplyDeleteहमें लिंग भेद समझते हुए रुढ़िवादिता से उपर उठकर सभी बच्चों पर समान रुप से ध्यान देना चाहिए ।
ReplyDeleteलिंग भेद से हटकर सभी बच्चो को समान अवसर देना चाहिए |
ReplyDeleteO
ReplyDeleteहमें लिंग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।
ReplyDeleteएक शिक्षक को लड़का-लड़की में बिना किसी प्रकार के भेदभाव किए शिक्षा देना चाहिए।
ReplyDeleteएक शिक्षक को विद्यालय में लड़के और लड़कियों में भेदभाव नहीं करना चाहिए। विज्ञापनों में रूढ़िवादी विचारों को दूर करने के लिए लड़कियों द्वारा किए जाने वाले उत्कृष्ट कार्यों को दिखाया जाना चाहिए।
ReplyDeleteजेंडर सम्बंधित रूढ़ियों को मजबूत करने वाला एक विज्ञापन maithan steel का है जिसमें शक्ति के प्रतीक के रूप में एक पुरुष खली को दर्शाया गया है। जेंडर के अनुकूल विज्ञापन के रूप में बॉर्न वीटा का विज्ञापन "तैयारी जीत की" लिया जा सकता है जिसमें बच्चे को दौड़ने का प्रैक्टिस उसके पिता नहीं बल्कि उसकी माँ कराती है।
ReplyDeleteएक शिक्षक को विद्यालय में लड़के और लड़कियों में भेदभाव नहीं करना चाहिए। विज्ञापनों में रूढ़िवादी विचारों को दूर करने के लिए लड़कियों द्वारा किए जाने वाले उत्कृष्ट कार्यों को दिखाया जाना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों में जेंडर संबंधी रूढ़ियों का विकास उनके प्रथम पाठशाला परिवार से ही शुरु होकर क्रमशः विद्यालय और सामाजिक परिवेश में इसका उत्तरोत्तर विकास होता जाता है| इसमें सुधार के लिए हम शिक्षकों को एक ऐसा वातावरण का निर्माण करना होगा जिसमें बच्चे परिवार से ही जेंडर संबंधी रूढ़ियों से दूर रहें|
ReplyDeleteTeachers should do equal behave with both gender.
ReplyDeleteएक शिक्षक होने के नाते मैं जेंडर संबंधी रूढ़ियों को दूर करने की कोशिश करते हुए तथा समानता के सिद्धान्त को अपनाते हुए शिक्षण कार्य करुंगी । एक शिक्षक को लड़का-लड़की में भेदभाव किए बगैर शिक्षण कार्य करना चाहिए
ReplyDeleteएक शिक्षक होने के नाते जेंडर संबंधी रूढ़िवादी विचारों को अलग करते हुए बिना किसी भेदभाव के शिक्षा देनी चाहिए
ReplyDeleteबच्चों में जेंडर संबंधित रूढ़ियों का विकास उनके प्रथम पाठशाला परिवार से ही शुरू होती है। विद्यालय में लड़के और लड़कियों में भेदभाव नही करना चाहिए। हमें रूढ़िवादी विचारों को दूर करने के लिए लिंग भेद से हटकर सभी बच्चों को समान अवसर देना चाहिए।
ReplyDeleteशिक्षक देश का भविष्य बनाते हैं। इसलिए शिक्षक होने के नाते लड़का , लड़की में रूढ़िवादी विचारों को अलग होकर बिना भेदभाव के समान शिक्षा देने चाहिए और विधालय में भेदभाव ना हो इसका ख्याल रखना चाहिए।
ReplyDeleteएक शिक्षक होने के नाते जेंडर संबंधी रूढ़िवादी विचारों को अलग करते हुए बिना किसी भेदभाव के शिक्षा देनी चाहिए
ReplyDeleteजेंडर संबंधित विग्यापन में टेलीविजन मे मुख्यतः महिलाओं को घर से संबंधित काम एवं पुरूषो को बाहरी कार्य करते हुए दिखाया जाता है जो कि बिल्कुल भी उचित नही है
ReplyDeletehttps://www.youtube.com/watch?v=y4QxRV4pMcI&feature=youtu.be
https://www.youtube.com/watch?v=SpPozOvNrKA
हमे जेंडर के आधार पर भेद-भव नही करना चाहिए। हमे रूढिवादी विचारों से बाहर निकल कर बच्चों को शिक्षा देनी चाहिए। बच्चों में समानता का भव होना चाहिए।
ReplyDeleteकिसी सांस्कृतिक कार्यक्रम या विशिष्ट अतिथि के स्वागत हेतु तथा सामानों की विक्री के लिए सिर्फ लड़कियों/महिलाओं को विज्ञापन में आगे करके दिखाना।
ReplyDeleteवहीं कुछ विज्ञापन जैसे- स्वच्छता व पल्स पोलियों तथा मतदाता जागरूकता अभियान के तहत वाले विज्ञापन जेंडर के अनुकूल हैं इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
शिक्षक का पद गरिमामयी होता है,अतः मैं एक शिक्षक होने के नाते लिंग भेद को बढ़ावा दिए बिना सारे बच्चों के लिए समान शिक्षा की व्यवस्था अपने विद्यालय में करने की पक्षधर हूँ |
ReplyDeleteएक शिक्षक को लड़का-लड़की मे बिना किसी प्रकार के भेदभाव किए शिक्षा देना चाहिए
ReplyDeleteअक्सर सौंदर्य प्रसाधन के विज्ञापन जेंडर संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करते हैं।
ReplyDeletelink - https://youtu.be/HQNMxsqlkoQ
जबकि साक्षरता अभियान, पल्स पोलियो अभियान, राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन जैसे विज्ञापन जेंडर के अनुकूल होते हैं।
link - https://youtu.be/wq4kfbzA7_1
एक शिक्षक के एक तरफ लड़का दूसरी तरफ लड़की साथ में झंडा थामे हुए हैं जिसमें लिखा हुआ है"पढ़कर इंसान बनो" जेंडर साम्य का अनुकूल विज्ञापन हो सकता है।
ReplyDeleteदूसरी ओर मां बच्चा को स्कूल भेज रही हैं पर बच्ची को स्कूल जाने से रोक रही हैं । जेंडर का रूढीवादीता का विज्ञापन है ।
शिक्षा को लिंग आधारित भेदभाव से उपर उठकर बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है!
ReplyDelete"गुरूर ब्रम्हा गुरूर विष्णु गुरूर देवो महेश्वरः गुरु: साक्षात्परब्रम्हा तस्मै श्री गुरूवे नमः"
ReplyDeleteएक गुरु(शिक्षक) का स्थान ईश्वर से भी ऊँचा होता है। अतः एक शिक्षक होने के नाते हमारा यह जिम्मेदारी है कि हम एक ऐसे समाज का निर्माण करें, जिसमें रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का कोई स्थान न हो।
शिक्षा में भेदभाव सही नही है।
ReplyDeleteबोर्नविटा का प्रचार 'I am growing boy.I am growing girl' लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है.जबकि कोल्ड ड्रिंक्स के प्रचार में मर्दोंवाली बात कहना लैंगिक रुढ़िवाद को बताता है|जैविक भिन्नता सामजिक भिन्नता की वजह कभी नहीं बनाना चाहिए;क्योंकि जीवन की जरूरतें सामान होती हैं|जैविक भिन्नता श्रृष्टि की निरंतरता के लिए मात्र हैं|
ReplyDeleteLarka larki ek saman sabko shiksha sabko maan kisi bhi activity men boys girls kosaman rup se bhag LENE ka awsar pradan karma chahie
ReplyDeleteWe should behave equally with both gender. We should not discriminate among genders. Being a teacher, I shall teach my students without any discrimination of gender.
ReplyDeleteइस प्रकार के कई विज्ञापन हम प्रतिदिन देखते हैं जिसमें किसी खास चीज को खाने से शक्तिशाली बना जाता है जिसमें मुख्य रूप से पुरुषों को दिखाया जाता है.
ReplyDeleteएक शिक्षक होने के कारण किसी तरह की रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का स्थान नहीं होना चाहिए। लड़का लड़की दोनों को हर क्षेत्रों में समानता होनी चाहिए।
ReplyDeleteविशेष समारोह कार्यक़म के तोरणदव्आर मे स्व।गतम लिखकर उसके अगल -बगल लड़कियों के स्व।गत मुद़। मे चित्र बनाना जेंड़र संबंधी रूढियों को मजबूत करता है,और सर्व शिक्ष। अभियान के सिंबल सब पढे सब बढे पर बैठे लडका और लड़की को पढते हुए दिखाना जेंड़र के अनुकूल है।
ReplyDeleteहमें सम भाव रखते हुए काम करना चाहिए और समाज मे उदाहरण बनना चाहिए।समाज मे लिंग भेद का पुरजोर विरोध करते हुए, समाज में जागरूकता फैलाना चाहिए।
ReplyDeleteविशेष समारोह कार्यक़म के तोरणदव्।र मे स्व।गतम लिखकर उसके अगल-बगल लडकियो के स्व।गत मुद़। मे चित्र बनाना जेंडर संबंधी रूढियो को मजबूत करता है,और सर्व शिक्ष। अभियान के सिंबल सब पढे सब बढे मे पेंसिल पर लडका और लडकी को पढते हुए दिखाना जेंड़र के अनुकूल है।
ReplyDeleteTeacher kisi desh ya logon ka future banate hai aise me teacher ke upar ye jimmedari as jati hai ki oh ling bhed kiye bina zender ar transgender ko saman rup se siksha Dena chahiye . Kyonki kisi nhi desh ya oski arthvyvsta ka vikash dono Yani boys ar
ReplyDeletegirl dono ke sahyog se hi smbhaw hai is Karn ek suruwat priwar se school at samaj ar rastr tk dono me bhedbhaw na krte hue dono ka brabar samman at aadr hona chahiye.ek teacher hone ke Nate hmen sbhon ko yhi shiksha Deni chahiye Taki logon ka sochne ka tarika smy ke sath bdle .
Ms ROWAULI Bandgaon
PRAKASH MUNDU
Ling ke prati samvedansheel rahte hue main apni kaksha men ladaka-ladaki Ko saman Mahatva dete hue sabhiko ek-ek gatividhi karne dunga .aur ghumate hue nirikshan karunga .
ReplyDeleteशिक्षक को शिक्षण के दौरान बिना भेदभाव के किए शिक्षा देना चाहिए यही एक सच्चे शिक्षक की जिम्मेवारी है
ReplyDeleteBhedbhav ko education ke duwara hi mitaya ja sakta hai.
ReplyDeleteहमें लिंग भेदभाव से हटकर समान रूप से शिक्षा देनी चाहिए
ReplyDeleteहमे जेंडर के आधार पर भेद-भव नही करना चाहिए। हमे रूढिवादी विचारों से बाहर निकल कर बच्चों को शिक्षा देनी चाहिए। बच्चों में समानता का भव होना चाहिए।
ReplyDeleteWe should do equal behave with both gender witout any discrimination.
ReplyDeleteमैं एक ऐसा उदाहरण देना चाहुँगा जिसमें लड़के और लड़कियों एक साथ दौड़ते है पर रूढ़ीवादी सोच के विपरीत लड़के के बजाय लड़की दौड़ में प्रथम आती हैं।
ReplyDeletehttps://youtu.be/SpPozOvNrKA
अन्य विज्ञापन जो आभूषण या श्रृंगार से जुड़ी हो जेंडर के अनुकूल हैं।
https://youtu.be/Qh2Rg1Yag_g
ReplyDeletehttps://youtu.be/xW8PKdTgWwg
Both ideas were given.
मैं शिक्षक हुं ।मेरा मानना है कि लड़के और लड़कियों को समान अवसर प्रदान करते हुए शिक्षण प्रक्रिया को इस प्रकार चलाना चाहिए ताकि उनमें लिंग भेद की कुप्रवृति न पनपे।मीडिया ऐसे विज्ञापन न छापे जो दोनों में किसी को कम दिखाये।शरीर के जैविक अंतर को क्षमता से न आकांक्षा जाना चाहिए ।
ReplyDeleteWe should do equal behave with same gender
ReplyDeletegender stereotypes is a social evil advertisement is a good and effective way to remove this.
ReplyDeleteमैं शिक्षक हूं और मेरा मानना है कि शिक्षा में दोनों का अधिकार समान है और दोनों ही समान रूप से इसको ग्रहण कर सकते हैं बिना किसी भेदभाव के एक शिक्षक का कर्तव्य है कि दोनों को आगे के लिए प्रोत्साहित करें और मार्गदर्शन करें
ReplyDeleteजेंडर संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन है जैसे घर के कामों को महिलाओं को दिखाना तथा जेंडर के अनुकूल विज्ञापन खेलकूद, सेना आदि में लड़के और लड़कियों को समान रुप में अवसर देते हैं दिखाना
ReplyDeleteविद्यालय हो या घर हमें जेंडर संबंधी भेद-भाव से परहेज करना चाहिए।लड़का हो लड़की सभी को समान अवसर मिले ताकि वे अपनी पूरी क्षमता के साथ खुद का विकास कर सके तथा समाज,देश का विकास कर सके।
ReplyDeleteशिक्षक होना एक गौरवान्वित जिम्मेदारी है और शिक्षक होने के नाते मेरे मन में इस तरह की रूढ़िवादी विचारों और भावनाओं का कोई स्थान नहीं है ।
ReplyDeleteReply
देश में महिलाओं के साथ भेदभाव मिटाने तथा उन्हें विकास के समान अवसर उपलब्ध कराने में मीडिया अहम भूमिका निभा सकता है। बाजारीकरण औैर व्यावसायिकता के प्रभाव में मीडिया भी महिलाओं संबंधी रिपोर्टिंग में अक्सर भेदभाव व पक्षपात करता है।
ReplyDeleteयह निष्कर्ष यहां विमर्श संस्था की ओर से आयोजित जेंडर समानता तथा मीडिया संबंधी राज्य स्तरीय परिचर्चा में सामने आया।
Mai ek teacher hu aur Mera jimmedari h samaj ko jagruk krna na ki vedh bhaw krna ek ldka or ladki m..sabko Saman bhaw se dekhna or Saman izzat dena..
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteNishtha training Jharkhand is very nice
ReplyDeleteहमें लिग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।
ReplyDeleteशिक्षकों का यह नैतिक कर्तव्य होना चाहिए कि वह रूढ़िवादी धारणाओं से ऊपर उठकर बिना भेदभाव के अपने बच्चों एवं विद्यालय के बच्चों को शिक्षित करें और समाज में फैले कुरीतियों को दूर करें/
ReplyDeleteजेंडर असमानता को बढ़ावा देन वाले advertisement है, काम करते हुए वीमेन या लड़की को दिखाना, ब्यूटी प्रोडक्ट मै सुंदरता से सम्बंधित सोच /जेंडर समानता के example हैं, ऑफिस वर्क, स्पोर्ट मै भाग लेती लड़कियों के advertisement,. हम टीचर्स की जिम्मेबारी हैं की जेंडर समानता को स्थापित करते हुए शिक्षा दे
ReplyDeleteHame ek teacher hone ke Nate bina vad van ke bachho ke poti samanata ka vab rakhna hai
ReplyDeleteशिक्षक को विद्यार्थियों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए ।सभी को समान अवसर प्रदान करना चाहिए । स्कूली गतिविधियों में सभी को शामिल करना चाहिए।
ReplyDeleteशिब नाथ साहानी
ReplyDeleteहमें लिग भेद को समझते हुए समानता का भाव रखना चाहिए।
ReplyDeleteजेंडर संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन है जैसे घर के कामों को महिलाओं को दिखाना तथा जेंडर के अनुकूल विज्ञापन खेलकूद, सेना आदि में लड़के और लड़कियों को समान रुप में अवसर देते हैं दिखाना।
ReplyDeleteहमें विद्यालय में लड़के और लड़कियों में भेदभाव नहीं करना चाहिए। नंद गोपाल तिवारी सहायक शिक्षक परतापुर
एक शिक्षक की समाज के प्रति बढी जिम्मेदारी और कर्तव्य है किकिसी भी रूढिवादी विचार और भावना के आधार पर लड़के,लड़की मे भेदभाव न हो। सभी को समान अवसर और शिक्षा मिले। जिससे सशक्त समाज की रचना हो सके।
ReplyDeleteरूढ़िवादी विचारधारा से ऊपर उठकर बिना किसी लिंग भेद के समान शिक्षा एवं अवसर प्रदान करना चाहिए।
ReplyDeleteEk HM k Nate Hume yeh dekhna Chahiye ki koi teacher Kisi bhi bachhe me bhedbhav na kare tatha sabhi gender k bachho ko ek hi avsar pradan karna Chahiye. Agar koi ladka aur ladki apase bhedbhav ki bhavna rakhe to teacher Ka kartavya hai ki teacher dono k bhavo ko samajh Kar dono ko santusti pradan kare
ReplyDeleteजेंडर संबंधी रूढ़ियों को मजबूत करने वाले विज्ञापन है जैसे घर के कामों को महिलाओं को दिखाना तथा जेंडर के अनुकूल विज्ञापन खेलकूद, सेना आदि में लड़के और लड़कियों को समान रुप में अवसर देते हैं दिखाना
ReplyDeleteLing bhed prakriti ka niyam hai.Kintu hum sikchha ki ko hamesha yeh dhyan rakhna chahiye ki bina ling bhed kiye ladke asim ladkiyo ko n sirf sikchha varan anya sabhi school gatividhiyon mein unhe vina bhedbhav je saman aware uplabdha karayein.
ReplyDeleteशिक्षकों का यह नैतिक कर्तव्य होना चाहिए कि वह रूढ़िवादी धारणाओं से ऊपर उठकर बिना भेदभाव के अपने बच्चों एवं विद्यालय के बच्चों को शिक्षित करें और समाज में फैले कुरीतियों को दूर करें।
ReplyDeleteशिक्षकों का यह नैतिक कर्तव्य होना चाहिए कि वह रूढ़िवादी धारणाओं से ऊपर उठकर बिना भेदभाव के अपने बच्चों एवं विद्यालय के बच्चों को शिक्षित करें और समाज में फैले कुरीतियों को दूर करें।
ReplyDeleteशिक्षकों का यह नैतिक कर्तव्य होना चाहिए कि वह रूढ़िवादी धारणाओं से ऊपर उठकर बिना भेदभाव के अपने बच्चों एवं विद्यालय के बच्चों को शिक्षित करें और समाज में फैले कुरीतियों को दूर करें।
ReplyDeleteWe should treat all the person of different gender equally and give them equal opportunities as others get in their life
ReplyDeleteThere should be no discrimination between girls and boys to promote healthy growing environment.
ReplyDelete