Wednesday, 9 December 2020

मॉड्यूल 18 : गतिविधि 5ः परावर्तन

 बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं?

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721 comments:

  1. Vastav Mein Balangik utpidan ashiksha ka ka parinaam hai

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    1. Vastav me balangik utpidan ashiksha ka parinam hai.

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  2. We get many precious things from many literaturs.In breaf,we can say that we become as wealthy as many languages we have in our learnings.

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  3. बच्चों का विश्वास जीतने के उपरांत शिक्षक को वे अपनी समस्याओं से अवगत कराते हैं ।

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  4. छात्र का। विश्वास जीतने के बाद हम अपनी समस्या से अवगत कराते हैं

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  5. बाल लैंगिक-उत्पीड़न को ख़त्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।
    स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए।
    मु० अफजल हुसैन, उर्दू प्राथमिक विद्यालय मंझलाडीह शिकारीपाड़ा दुमका।

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    1. बाल लैंगिक-उत्पीड़न को ख़त्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।
      स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

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    2. बच्चों को उनके कर्तव्यों एवं अधिकारों के प्रति जागरूक करेंगे।तथा शिक्षकों के समक्ष अपनी भावनाओं को वयक्त करने के लिए प्रेरित करेंगे। ऐसा माहौल तैयार करेंगे जिससे बच्चे बेझिझक अपनी समस्याओं को बोल सके।

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    3. बाल लैंगिक उत्पीड़न समाप्त करने क मे स्कूलों की भूमिका अहम है। बच्चों को उनके हक के लिए जागरूक कर उन्हे समाजिक दायित्व का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देते रहना चाहिए। विद्यालय ऐसा माहौल बनाना होगा जिससे बच्चे खासकर बालिकाएं बेझिझक अपनी बात कह सकें। पोस्को एक्ट के प्रति बच्चों और माता पिता को जागरूक करने में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका अहम योगदान होगा। बाल संसद को सक्रिय कर विद्यालय में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर सकते हैं।
      बिशेश्वर प्रसाद साव म वि चरक टुंडी धनबाद।

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  6. बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के बाद अपनी समस्याओं को शिक्षक से साझा करने के लिए प्रेरित करेंगे

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    1. बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के बाद अपनी समस्याओ को शिक्षक से साझा करने के लिए प्रेरित करेंगे।

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    2. बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने में विद्यालयी स्तर पर शिक्षकों के द्वारा बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सकती है।शिक्षकों के द्वारा मानव जीवन में चारित्रिक मूल्यों के महत्व पर प्रकाश डालना चाहिए।पाठ्यक्रम में महापुरुषों एवं मनीषियों के जीवन चरित्र को संलग्न करना चाहिए।बाल लैंगिक उत्पीड़न से उत्पन्न दुषपरिणाम एवं इसके निमित्त सजा के प्रावधानों के बारे मेंं बच्चों और अभिभावकों के बीच जागरूकता लानी चाहिए।

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  7. बाल लैंगिक-उत्पीड़न को ख़त्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।
    स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

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  8. विधालय एक कारखाना है। जहां से एक अच्छा इंसान बनकर निकलता है। पहले हम शिक्षकों नैतिकता पर ध्यान देने कि आवश्यकता है।अपने कर्तव्य का पालन करना होगा। हमारे ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेवारी होती है।दिन प्रतिदिन हमारे समाज का वातावरण बिगड़ते जा रहा है।ऐसी स्थिति में विधालय में पढ़ने वाले बच्चों की जिम्मेदारी अधिकांश शिक्षकों के ऊपर होती हैं।जैसा कि अधिकांश बच्चे अपने माता-पिता की बात नहीं मानते है। लेकिन शिक्षकों की बात पर काफी विश्वास करते हैं।हमें शिक्षा एवं रक्षा की जिम्मेवारी लेनी होगी। लैंगिक शोषण के बारे में पूर्ण प्रशिक्षत करके एवं आत्म रक्षा के लिए विधालय में जिडोकराटे,योग,पाॅक्सो अधिनियम2012 के बारे पूर्ण रूपेण जानकारी बच्चों को देना,बीच -बीच में अभिभावकों के साथ बैठक करना, विधालय में नैतिक शिक्षा कार्यक्रम होना। महिला संगठन के अधिकारियों के द्वारा खासकर बच्चियों जागरूक करना।
    अशोक कुमार यादव
    कन्या मध्य विद्यालय पोड़ैयाहाट गोड्डा, झारखंड

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    1. बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए स्कूलों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है|शिक्षकों को बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी होगी तथा बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना होगा, अभिभावकों के साथ समस्या के बारे में खुली बात- चित करना होगा साथ ही साथ स्कूलों में नैतिक पाठ्यक्रम को शामिल कर बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोका जा सकता है|

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  9. विद्यालय में बाल लैंगिक शोषण की रोकथाम के लिए निम्नलिखित कार्य किये जा सकते हैं-
    इसके बारे में खुली चर्चा करते हुए बच्चों में जागरूकता बढ़ा कर।
    अभिभावकों को जागरूक करके।
    बच्चों के अंदर डर/भय की भावना को दूर कर।
    बच्चे अपने साथ हुए किसी प्रकार की घटना को मौखिक बताने में डरते हैं,इसके लिए लिखित सूचना देने के लिए उन्हें प्रेरित किया जाना चाहिए।
    विद्यालय में इसके लिए अलग से एक सुझाव पेटिका/ शिकायत पेटिका लगाई जानी चाहिए।
    बच्चों, अभिभावकों को पोक्सो अधिनियम की जानकारी देकर, तथा बच्चों के उचित सुरक्षा व्यवस्था बनाकर शोषण की रोकथाम की जा सकती है।

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  10. बाल लैंगिक उत्पीड़न कि रोकथाम के लिए विद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। छात्रो को लैंगिक उत्पीड़न से संबधित जानकरी देकर उनको भावनात्मक रूप से जोड़ना ताकि अपनी हर बात को खुलकर बोल सके। छात्रो को कानून एव उनके अधिकारो कि जानकारी देना तथा कोई उत्पीड़न हो तो बताने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।

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    1. बाल लैंगिक उत्पीड़न रोकथाम के लिये माता पिता के बाद शिक्षक का दायित्व का महत्वपूर्ण है।बच्चे घर के बाद स्कूल में ज्यादा समय व्यतीत करते हैं।शिक्षको को बच्चे के व्यवहार का सूक्ष्म अध्ययन करना चाहिये और इस पर नजर भी रखनी चाहिये।किसी बात का शक होने पर बच्चों को विश्वास में लेकर बातों को जानना चाहिये।

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  11. स्कूल में बाल-लैंगिक उत्पीड़न की रोक थाम के लिए शिकायत सुझाव पेटी की व्यवस्था हो। लिंग, बाल यौन शोषण, आत्मरक्षा पर खुली चर्चा हो।

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  12. बच्चों का विश्वास जीतने के बाद शिक्षक को वे अपनी समस्याओं से अवगत कराते हैं।

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  13. बाल लैंगिक - उत्पीड़न को खत्म करने में विद्यालयों की एक अहम भूमिका हो सकती है।
    बच्चों से घुल-मिलकर, बिश्वास जीतकर तथा बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है।
    विद्यालय के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।
    विद्यालय के पाठ्यक्रम में नैतिक - शिक्षा को शामिल करते हुए।
    एन.टुडु (पूर्वीसिहभूम)

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  14. विधालय एक कारखाना है। जहां से एक अच्छा इंसान बनकर निकलता है। पहले हम शिक्षकों नैतिकता पर ध्यान देने कि आवश्यकता है।अपने कर्तव्य का पालन करना होगा। हमारे ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेवारी होती है।दिन प्रतिदिन हमारे समाज का वातावरण बिगड़ते जा रहा है।ऐसी स्थिति में विधालय में पढ़ने वाले बच्चों की जिम्मेदारी अधिकांश शिक्षकों के ऊपर होती हैं।जैसा कि अधिकांश बच्चे अपने माता-पिता की बात नहीं मानते है। लेकिन शिक्षकों की बात पर काफी विश्वास करते हैं।हमें शिक्षा एवं रक्षा की जिम्मेवारी लेनी होगी। लैंगिक शोषण के बारे में पूर्ण प्रशिक्षत करके एवं आत्म रक्षा के लिए विधालय में जिडोकराटे,योग,पाॅक्सो अधिनियम2012 के बारे पूर्ण रूपेण जानकारी बच्चों को देना,बीच -बीच में अभिभावकों के साथ बैठक करना, विधालय में नैतिक शिक्षा कार्यक्रम होना। महिला संगठन के अधिकारियों के द्वारा खासकर बच्चियों जागरूक करना।

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  15. बाल लैंगिक उत्पीड़न को ख़तम करने मे विद्यालयों की एक एहम भूमिका हो सकती है।
    बच्चों से घुल मिलकर, विस्वास जीतकर तथा बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है।

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  16. बाल लैंगिक-उत्पीड़न को ख़त्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।
    स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

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    1. बाल लैंगिक-उत्पिड़न को खत्म करने में स्कूलों की अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं। तथा स्कूल के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

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    2. विद्यालय में बाल लैंगिक शोषण की रोकथाम के लिए निम्नलिखित कार्य किये जा सकते हैं:--
      * इसके बारे में खुली चर्चा करते हुए बच्चों में जागरूकता
      बढ़ाकर।
      * अभिभावकों को जागरूक करके ।
      * बच्चों के अंदर डर/भय की भावना को दूर कर ।
      * बच्चे अपने साथ हुए किसी प्रकार की घटना को
      मौखिक बताने से डरते हैं, इसके लिये लिखित सुचना
      देने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिये ।
      * विद्यालय में इसके लिए अलग से एक सुझाव-पेटिका
      लगाई जानी चाहिये ।
      * बच्चों, अभिभावकों को पौक्सो अधिनियम की जानकारी
      देकर तथा बच्चों के उचित सुरक्षा व्यवस्था बनाकर
      शोषण की रोकथाम की जा सकती है ।

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    3. विद्यालय में बाल लैंगिक शोषण की रोकथाम के लिए निम्नलिखित कार्य किये जा सकते हैं:--
      * इसके बारे में खुली चर्चा करते हुए बच्चों में जागरूकता बढ़ाकर।
      * अभिभावकों को जागरूक करके ।
      * बच्चों के अंदर डर/भय की भावना को दूर कर ।
      * बच्चे अपने साथ हुए किसी प्रकार की घटना को मौखिक बताने से डरते हैं, इसके लिये लिखित सुचना देने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिये ।
      * विद्यालय में इसके लिए अलग से एक सुझाव-पेटिका लगाई जानी चाहिये ।
      * बच्चों, अभिभावकों को पौक्सो अधिनियम की जानकारी देकर तथा बच्चों के उचित सुरक्षा व्यवस्था बनाकर शोषण की रोकथाम की जा सकती है ।

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  17. Baal lengik utpidan ko hum nimn tarike se kgtm kr rhe h hum baccho ko pehle se v iske baare m bta skte h thatha unhe samjha skte h taki we sbkuch jaan ske

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  18. लैंगिक उत्पीडन समस्या के समाधान में शिक्षकों की भूमिका अहम है। बच्चे का विश्वास जीतने के लिए शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। बच्चों को आत्म सुरक्षा के लिये प्रशिक्षित किया जा सकता है।

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  19. Bachhon ka vishvas jitney ke liye shichhak mahatavpurn bhumika nibha sakta hai.

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  20. बाल उत्पीड़न रोकने में विद्यालय निम्नलिखित रूप से अपनी भूमिका निभा सकते हैं:-
    01)बाल उत्पीड़न रोकने से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करके,
    02)अभिभावक-शिक्षकों के बढ़कर आयोजित करके इस पर विस्तार से चर्चा किया जा सकता है।
    03)लैंगिक शोषण शिकायत,सुझाव पेटी लगाकर,
    04)प्रकटीकरण के लिए सुरक्षित स्थान बनाकर,
    05)बाल यौन शोषण,लिंग,,आत्मरक्षा पर विस्तार से खुली चर्चा आयोजित कर,
    06)बाल सुरक्षा नियमों के तहत कार्यनीति बनाकर,
    07)सभी शिक्षकगणों,अभिभावकों,कर्मचारियों आदि से सकारात्मक माहौल में चर्चा करके,
    08)ऑनलाइन सुरक्षा पर ध्यान देकर,
    09) स्कूलों का निरंतर ऑडिट करके,
    10)विद्यालय में चाइल्डलाइन नम्बर,नजदीकी पुलिस थानों का संपर्क लिखवाकर,
    11) बच्चों की गोपनीयता बनाए रखते हुए कार्य करना आदि
    धन्यवाद!

    कौशल किशोर राय,
    सहायक शिक्षक,
    उत्क्रमित उच्च विद्यालय पुनासी,
    जसीडीह,देवघर,झारखण्ड।

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  21. Baal lengik utpidan KO him u sake adhikar batakar .

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  22. विद्यालय में बाल लैंगिक शोषण की रोकथाम के लिए निम्नलिखित कार्य किये जा सकते हैं:--
    * इसके बारे में खुली चर्चा करते हुए बच्चों में जागरूकता
    बढ़ाकर।
    * अभिभावकों को जागरूक करके ।
    * बच्चों के अंदर डर/भय की भावना को दूर कर ।
    * बच्चे अपने साथ हुए किसी प्रकार की घटना को
    मौखिक बताने से डरते हैं, इसके लिये लिखित सुचना
    देने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिये ।
    * विद्यालय में इसके लिए अलग से एक सुझाव-पेटिका
    लगाई जानी चाहिये ।
    * बच्चों, अभिभावकों को पौक्सो अधिनियम की जानकारी
    देकर तथा बच्चों के उचित सुरक्षा व्यवस्था बनाकर
    शोषण की रोकथाम की जा सकती है ।

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  23. बाल लैंगिक उत्पिडं को खत्म करने में स्कूल की एक अहम भूमिका है। बच्चों को उनके अधिकार के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभाबक से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने का कोशिश कर सकते हैं। स्कूल में नैतिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए।

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  24. बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूलों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है|जिस तरह से स्कूलों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों जैसे शिक्षा, स्वस्थ, खेल आदि को बढ़ावा दिया जाता है उसी तरह स्कूलों में बाल लैंगिक उत्पीड़न के प्रति विद्यालय से जागरुकता अभियान चलाया जा सकता है| बाल संरक्षण अधिनियम से जुड़े विभिन्न अधिनियम जैसे पोक्सो एक्ट2012 को पाठ्यक्रम में शामिल करके भी इसे रोका जा सकता है|
    Dinesh Prasad Shanti Rani middle school Bara Ghaghra Ranchi.

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  25. बच्चो के साथ अपनापन बनाए रखना होगा उनके abnormal activity पर ध्यान रखना होगा ।बच्चो को जागरूक बनाना होगा।हर पहलू को जानकारी देना चाहिए

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  26. प्रदीप कुमार मंडल
    उमवि जयपहाड़ी रानीश्वर
    लैंगिक उत्पीड़न कि रोकथाम के लिए विद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
    * विदयाथी और अभिभावकों को जागरूक करने के लिए निम्नलिखित कार्य किये जा सकते हैं:-- ।
    * बच्चों के अंदर डर/भय की भावना को दूर कर ।
    * बच्चे अपने साथ हुए किसी प्रकार की घटना को
    मौखिक बताने से डरते हैं, इसके लिये लिखित सुचना
    देने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिये ।
    * बच्चों, अभिभावकों को पौक्सो अधिनियम की जानकारी देकर।
    *सभी शिक्षकगणों,अभिभावकों,कर्मचारियों आदि से सकारात्मक माहौल में चर्चा करके,
    *ऑनलाइन सुरक्षा पर ध्यान देकर,
    *स्कूलों का निरंतर ऑडिट करके,
    *विद्यालय में चाइल्डलाइन नम्बर,नजदीकी पुलिस थानों का संपर्क लिखवाकर।

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  27. "बाल लैंगिक उत्पीडन" की रोकथाम में स्कूल निम्नलिखित विंदुओ पर ध्यान आकृष्ट कर बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
    बच्चों को बोलने की स्वतंत्रता देकर, बच्चों को खुलकर बोलने हेतु प्रेरित कर, बच्चों की बातों को ध्यान से सुनकर, बच्चों को अपनापन का एहसास करा कर, शिक्षकों द्वारा इस मुद्दे पर बात करके, इस मुद्दे से संबंधित कानून (पौकसो अधिनियम) की जानकारी बच्चों व अविभावकों और समाज में उपलब्ध कराने, इससे संबंधित शिकायतों के लिए दूरभाष संख्या-1098 उपलब्ध कराकर, आदि।

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  28. अपने विद्यालय में बाल लैंगिक शोषण को रोकने के लिए हम बच्चों को लैंगिक शोषण क्या है ,इसके बारे में जानकारी दे सकते हैं ।अगर ऐसा कुछ उनके साथ होता है ,तो वह इससे अपना बचाव कैसे कर सकते हैं इसकी जानकारी दे सकते हैं ।बच्चों से मित्रवत व्यवहार कर सकते हैं ताकि वे अपने साथ होने वाले किसी भी तरह के दुर्व्यवहार को हमारे साथ साझा कर सकें।

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  29. बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करके, अभिभावकों को जागरूक करके, बच्चों के डर को दूर करके, बाल उत्पीड़न की रोकथाम कर सकते है।

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  30. बाल लैंगिक _उत्पीड़न की रोकथाम के लिए विद्यालय की भूमिका महत्वपूर्ण है ।शिक्षक अभिभावकों से मिलकर इसको रोकने के उपाय सुझाये जा सकते हैं ।
    Manuel Baske
    UHS Madhura
    Meharma Godda
    03/01/2021 10:54

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  31. बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के बाद अपनी समस्याओं को शिक्षक से साझा करने के लिए प्रेरित करेंगे।
    Rakesh Kumar Ranjan
    M S Ranibahal

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  32. शिक्षकों और अभिभावकों के बीच लगातार बैठकें होनी चाहिए बच्चों को इसके प्रति जागरूकता अभियान चलाना चाहिए सभी स्कूलों में इसके लिए अलग से पाठ्यक्रम होना अनिवार्य है कुछ प्रशिक्षण जो बच्चों को सुरक्षित करते हैं जैसे शोर मचाना अपने आसपास के लोगों को बताना आधे सिखाया जाना चाहिए

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  33. बाल लैंगिक-उत्पीड़न को ख़त्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

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  34. Anil Kumar Roy. Para teacher.M.S.PALAMU, NAWADIH BOKARO.

    विद्यालय में समय-समय पर शिक्षक अभिभावक मीटिंग बुलाकर इस विषय से संबंधित वार्तालाप के माध्यम से अभिभावकों को जागरूक कर तथा कक्षाओं में बच्चों को अपने अधिकार व सुरक्षा के प्रति पाठ पढ़ाकर हम स्वच्छ वातावरण का निर्माण कर सकते हैं। कभी-कभी नुक्कड़ नाटक के माध्यम से भी बच्चों को वह समाज को आदर्श बनाने का कार्य कर सकते हैं। धन्यवाद।

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  35. बच्चों को बोलने की स्वतंत्रता देकर, बच्चों को खुलकर बोलने हेतु प्रेरित कर, बच्चों की बातों को ध्यान से सुनकर, बच्चों को अपनापन का एहसास करा कर, शिक्षकों द्वारा इस मुद्दे पर बात करके, इस मुद्दे से संबंधित कानून (पौकसो अधिनियम) की जानकारी बच्चों व अविभावकों और समाज में उपलब्ध कराने, इससे संबंधित शिकायतों के लिए दूरभाष संख्या-1098 उपलब्ध कराकर, आदि।

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  36. बाल लैंगिक उत्पीड़न को खत्म करने के लिए विद्यालय की एक यहम भूमिका साबित हो सकती है इसके लिए बच्चों को आत्मविश्वास जगाना होगा उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता फैलाना होगा एवं अभिभावकों एवं समिति के सदस्यों को पोस्को एक्ट 2012 के बारे में जागरूकता बढ़ाना होगा बच्चों में आत्म सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित करना होगा

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  37. विद्यालय में बाल लैंगिक शोषण की रोकथाम के लिए निम्नलिखित कार्य किए जा सकते हैं:-
    * बच्चों में जागरूकता बढ़ाकर तथा इस के बारे खुली जानकारी देकर|
    * अभिभावकों को जागरूक करके|
    * बच्चों के अंदर डर/भय की भावना को दूर करके|
    * बाल सुरक्षा नियम का कार्य नीति बनाकर|
    * शिक्षकों,अभिभावकों,कर्मचारियों आदि के बीच सकारात्मक माहौल में चर्चा करके|
    * ऑनलाइन सुरक्षा पर ध्यान देकर|
    * लैंगिक शोषण शिकायत/सुझाव पेटी लगाकर|
    बच्चों अभिभावकों को पोस्को अधिनियम की जानकारी देकर|
    * विद्यालय में चाइल्ड लाइन नंबर, नजदीकी पुलिस थानों का संपर्क लिखवाकर|
    * बच्चों को अपनी बात स्वतंत्रता पूर्वक बोलने की आजादी देकर|
    * बच्चों से घुल मिलकर,उनका विश्वास जीतकर, उनके मंतव्य को जानकर|
    इसके अलावे अन्य बहुत से उपाय है जिससे अपनाकर हम बाल लैंगिक उत्पीड़न को स्कूल में रोकने हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं|

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  38. विद्यालय बाल लैंगिक उत्पीड़न या शोषण को ख़त्म/रोकथाम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। सर्वप्रथम बच्चों का विश्वास जीतना होगा।उन्हें यह बताना होगा कि यदि कोई व्यक्ति आपको अनुचित ढंग से स्पर्श करे या ग़लत बातें करे, जो आपको अच्छा न लगे तो आप चुप न रहें और इसके लिए स्वंय को इसका दोषी न समझें आप दुविधाग्रस्त और असहाय अनुभव न करें, क्योंकि इस अनुचित व्यवहार के लिए आप जिम्मेदार नहीं हैं।




    इस बारे में किसी ऐसे व्यक्ति/शिक्षक/माता पिता को बतायें ,जिस पर आप भरोसा करते हैं।


    इस प्रकार से विद्यालय भी लैंगिक शोषण के रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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  39. बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के बाद अपनी समस्याओं को शिक्षक से साझा करने के लिए प्रेरित करेंगे

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  40. Baal shoshan Rockne me lite samujagrukat me awashakta hi

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  41. Bachhon ko jagruk kar,biswas me lekar utpidan ke bare me jankari dekar abhiwawak ke sahyog se ,sujhaw petika lagakar apni baat kahne ko protsahit kar adhikaron ke bare me jankari dekar

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  42. विद्यालय बाल लैंगिक शोषण या उत्पीड़न को रोकने और उसके खात्मे में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। ग़ौर से देखा जाए तो ऐसे अपराध अशिक्षा तथा असजगता के कारण फलते फूलते हैं।

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  43. bal lengik apradh hum bachho ke abhibhako ko jagruk karke abchoo se apradh ke aum unke parinamo ke bare me batakar rok sakte hai

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  44. बाल लैंगिक - उत्पीड़न को खत्म करने में विद्यालयों की एक अहम भूमिका हो सकती है।
    बच्चों से घुल-मिलकर, बिश्वास जीतकर तथा बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है।
    विद्यालय के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।
    विद्यालय के पाठ्यक्रम में नैतिक - शिक्षा को शामिल करते हुए।
    एन.टुडु (पूर्वीसिहभूम)

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  45. Md Iquwal Alam,UPG Govt MS Nimgachhi,Rajmahal, Sahibganj.विद्यालय बाल लैंगिक शोषण को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।सबसे पहले बच्चों को जागरूक करना होगा।जैसे उसे कहना होगा कि यदि तुम्हारे साथ कुछ ऐसा बर्ताव हो रहा है जो तुमको पसंद नही है,तुम अपने टीचर को जरूर बताना वह तुम्हारी मदद करेगें।बच्चों का ब्याबहार के प्रति टीचर को सचेत रहना होगा।आदि कुछ एहतियात किया जा सकता है।

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  46. लैंगिक उत्पीडन समस्या के समाधान में शिक्षकों की भूमिका अहम है। बच्चे का विश्वास जीतने के लिए शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। बच्चों को आत्म सुरक्षा के लिये प्रशिक्षित किया जा सकता है।

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  47. बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के बाद अपनी समस्याओं को शिक्षक से साझा करने के लिए प्रेरित करेंगे

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  48. विद्यालय में बाल लैंगिक शोषण की रोकथाम के लिए निम्नलिखित कार्य किये जा सकते हैं-
    इसके बारे में खुली चर्चा करते हुए बच्चों में जागरूकता बढ़ा करके,
    अभिभावकों को जागरूक करके,
    बच्चों के अंदर डर/भय की भावना को दूर करके,
    बच्चे अपने साथ हुए किसी प्रकार की घटना को मौखिक बताने में डरते हैं,इसके लिए लिखित सूचना देने के लिए उन्हें प्रेरित करके,
    विद्यालय में इसके लिए अलग से एक सुझाव पेटिका/ शिकायत पेटिका लगा करके ,
    बच्चों, अभिभावकों को पोक्सो अधिनियम की जानकारी देकर, तथा बच्चों के उचित सुरक्षा व्यवस्था बनाकर शोषण की रोकथाम करके ।
    विद्यालय समिति के सदस्यों की बैठक की सहमति लेकर सहयोग लेना सही रहेगा ।

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  49. बाल लैंगिक उत्पीड़न समस्या के रोकथाम के लिए स्कूल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है स्कूल में हम बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर सकते है । हम बच्चों के माता पिता को इन समस्यों से अवगत करा सकते है । जिससे वे बच्चों के ऊपर ध्यान दे सके ।

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  50. बाल लैंगिक उत्पीड़न कि रोकथाम के लिए विद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। छात्रो को लैंगिक उत्पीड़न से संबधित जानकरी देकर उनको भावनात्मक रूप से जोड़ना ताकि अपनी हर बात को खुलकर बोल सके। छात्रो को कानून एव उनके अधिकारो कि जानकारी देना तथा कोई उत्पीड़न हो तो बताने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।

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  51. बाल लैंगिक उत्पीड़न समस्या के रोकथाम के लिए स्कूल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है स्कूल में हम बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर सकते है । हम बच्चों के माता पिता को इन समस्यों से अवगत करा सकते है । जिससे वे बच्चों के ऊपर ध्यान दे सके

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  52. अपने विद्यालय में बाल लैंगिक शोषण को रोकने के लिए हम बच्चों को लैंगिक शोषण क्या है ,इसके बारे में जानकारी दे सकते हैं ।अगर ऐसा कुछ उनके साथ होता है ,तो वह इससे अपना बचाव कैसे कर सकते हैं इसकी जानकारी दे सकते हैं ।बच्चों से मित्रवत व्यवहार कर सकते हैं ताकि वे अपने साथ होने वाले किसी भी तरह के दुर्व्यवहार को हमारे साथ साझा कर सकें।

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  53. NAKUL KUMAR BALL
    MS PANDRA KAYESTHAPARA NIRSA DHANBAD
    बाल उत्पीड़न रोकने में विद्यालय निम्नलिखित रूप से अपनी भूमिका निभा सकते हैं:-
    #बाल उत्पीड़न रोकने से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करके,
    #अभिभावक-शिक्षकों के बढ़कर आयोजित करके इस पर विस्तार से चर्चा किया जा सकता है।
    #लैंगिक शोषण शिकायत,सुझाव पेटी लगाकर,
    #प्रकटीकरण के लिए सुरक्षित स्थान बनाकर,
    #बाल यौन शोषण,लिंग,,आत्मरक्षा पर विस्तार से खुली चर्चा आयोजित कर,
    #बाल सुरक्षा नियमों के तहत कार्यनीति बनाकर,
    #सभी शिक्षकगणों,अभिभावकों,कर्मचारियों आदि से सकारात्मक माहौल में चर्चा करके,
    #ऑनलाइन सुरक्षा पर ध्यान देकर,
    # स्कूलों का निरंतर ऑडिट करके,
    #विद्यालय में चाइल्डलाइन नम्बर,नजदीकी पुलिस थानों का संपर्क लिखवाकर,
    #बच्चों की गोपनीयता बनाए रखते हुए कार्य करना आदि

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  54. बाल लैंगिक उत्पीड़न खत्म करने के लिए बच्चों में जागरूकता के साथ-साथ पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
    नैतिक शिक्षा पर जोर दिया जाए।

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  55. विद्यालय में बाल लैंगिक शोषण की रोकथाम के लिए निम्नलिखित कार्य किये जा सकते हैं-
    1.इसके बारे में खुली चर्चा करते हुए बच्चों में जागरूकता बढ़ा करके,
    2.अभिभावकों को जागरूक करके,
    3.बच्चों के अंदर डर/भय की भावना को दूर करके,
    बच्चे अपने साथ हुए किसी प्रकार की घटना को मौखिक बताने में डरते हैं,इसके लिए लिखित सूचना देने के लिए उन्हें प्रेरित करके,
    4.विद्यालय में इसके लिए अलग से एक सुझाव पेटिका/ शिकायत पेटिका लगा करके ,
    5.बच्चों, अभिभावकों को पोक्सो अधिनियम की जानकारी देकर, तथा
    6.बच्चों के उचित सुरक्षा व्यवस्था बनाकर शोषण की रोकथाम करके ।
    विद्यालय समिति के सदस्यों की बैठक की सहमति लेकर सहयोग लेना सही रहेगा । एवम् प्रति महिना बेठक एतायादी ।

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  56. Bal laingik utpidan rokne me school nimnalikhit tarike se apni bhumika nibha sakta hai -
    * Naitik siksha par jor dena
    * Bal adhikar kanuno ki jankari dekar
    * Online suraksha ki jankari dekar
    * Samaj me jagrukta lakerLaingik shoshan/sikayat peti rakhkar.

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  57. बाल लैंगिक उत्पीड़न समाप्त करने में स्कूलों की महत्वपूर्ण भूमिका है इसमें शिक्षक एक अहम रोल कर सकते हैं शिक्षक बच्चों से मित्रवत एवं प्यार से पेश आ कर उनका विश्वास जीत सकते हैं विश्वास जीत ने से ही छात्र उन्हें सब कुछ बता सकते हैं

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  58. बाल लैंगिक अपराधों को रोकने के लिए बच्चों में शिक्षको के प्रति विश्वास की भावना जगाना होगा। बच्चों के मन से डर को हटाना होगा। अभिभावकों में लैंगिक अपराधों के प्रति साथ ही पॉक्सो अधिनियम के प्रति और बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना होगा। विद्यालय में शिकायत पेटी की व्यवस्था होनी चाहिए। कोर्स में वर्णित लक्षण पर नजर रख सकते हैं। इन तरीको से विद्यालय मे बच्चों को लैंगिक अपराधों से बचाया जा सकता है।

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  59. BAL laingik utpiran rokne keliye sikshakon ko nimna Kam Karna hota h (1)naitik siksha par Joe dena (2) BAL adhikar ki jankari dena etc.

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  60. बाल लैंगिक-उत्पीड़न को ख़त्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।
    स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए।(upgps Arkosa Nawa Toli,lohardaga)

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  61. बाल लैंगिक उत्पिड़न को समाप्त करने में स्कूल की अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिर्वतन का वाहक बनाया जा सकता है।इसके बारे में खुली चर्चा करते हुए बच्चों में जागरुकता लाकर, अभिभावकों को जागरुक करके, बच्चों के भीतर डर/भय की भावना को दूर कर, विद्यालय में इसके लिए अलग से एक सुझाव पेटिका लगा कर, बच्चों, अभिभावकों व शिक्षको को पोक्सो अधिनियम की जानकारी देकर तथा स्कूल के पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को शामिल कर बाल लैंगिक शोषण की रोकथाम कर सकते हैं।

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  62. मु.शमीम अख्तर,सहायक शिक्षक, रा.उ.म.वि.रजौन (उर्दू),मेहरमा,गोड्डा,झारखण्ड। बाल लैंगिक उत्पीड़न को समाप्त करने मेन् विद्यालय की भूमिका:-बच्चों मेन् उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता लाकर सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जाना चाहिए। माता-पिता/अभिभावकों को जागरूक करना,बच्चों के अंदर का डर/भय दूर करते हुए बे झिझक प्रधान अथ्यापक/शिक्षकों से शिकायत करना,विद्यालय में सुझाव पट्टिका लगाना,पोक्सो अधिनियम की जानकारी देना,पाठ्यक्रम मेन् नैतिक शिक्षा का समावेश करना आदि। धन्यवाद।

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  63. बाल उत्पीड़न रोकने में विद्यालय निम्नलिखित रूप से अपनी भूमिका निभा सकते हैं:-
    01)बाल उत्पीड़न रोकने से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करके,
    02)अभिभावक-शिक्षकों के बढ़कर आयोजित करके इस पर विस्तार से चर्चा किया जा सकता है।
    03)लैंगिक शोषण शिकायत,सुझाव पेटी लगाकर,
    04)प्रकटीकरण के लिए सुरक्षित स्थान बनाकर,
    05)बाल यौन शोषण,लिंग,,आत्मरक्षा पर विस्तार से खुली चर्चा आयोजित कर,
    06)बाल सुरक्षा नियमों के तहत कार्यनीति बनाकर,
    07)सभी शिक्षकगणों,अभिभावकों,कर्मचारियों आदि से सकारात्मक माहौल में चर्चा करके,
    08)ऑनलाइन सुरक्षा पर ध्यान देकर,
    09) स्कूलों का निरंतर ऑडिट करके,
    10)विद्यालय में चाइल्डलाइन नम्बर,नजदीकी पुलिस थानों का संपर्क लिखवाकर,
    11) बच्चों की गोपनीयता बनाए रखते हुए कार्य करना आदि
    धन्यवाद! विजय कुमार
    UHS नावाटांड
    टुंडी, धनबाद

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  64. सभी समस्याओं का जड़ अशिक्षा है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है।

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  65. बाल लैंगिक-उत्पीड़न को ख़त्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।
    पोक्सो अधिनियम 2012 में वर्णित कानूनी प्रावधानों के बारे में जानकारी देना।
    शोशण के विरुद्ध 1098 में शिकायत दर्ज करना।
    स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

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  66. बाल उत्पीड़न की रोकथाम में विद्यालय की भूमिका अहम हो सकती है ।हमें बच्चों का विश्वास जीतकर ,अधिकारों की जानकारी प्रदान कर उन्हें जागरूक और सजग बनाना चाहिए। विद्यालय के पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को शामिल करना चाहिए ,ताकि बच्चों में अच्छे चरित्र का निर्माण हो व उनका सामाजिक विकास हो।

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  67. Bal utpidan rokne ke liye baccho ko iss se Jude sabhi jankari pradan karenge aur khul Kar apni samasya teacher ke samne rakhne ke leya protsahit karenge.

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  68. बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में विद्यालयों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है क्योंकि यहां बच्चों को जागरूक किया जा सकता है,लैंगिक अपराध की सजा के बारे में बताया जा सकता है, बेवजह प्यार या उपहार देने वाले लोगों से सचेत रहने या अपने माता पिता को इससे संबंधित बात बताने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

    U P S Kairidih
    अजय कुमार गुप्ता
    जमुआ गिरिडीह

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  69. By creating awareness among students and parents against sexual abuse . teacher should show trust over students so that children feel free to express their feelings.

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  70. बाल लैंगिक उत्पीड़न कि रोकथाम के लिए विद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। छात्रो को लैंगिक उत्पीड़न से संबधित जानकरी देकर उनको भावनात्मक रूप से जोड़ना ताकि अपनी हर बात को खुलकर बोल सके। छात्रो को कानून एव उनके अधिकारो कि जानकारी देना तथा कोई उत्पीड़न हो तो बताने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।

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  71. बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम के लिए विद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। जैसे छात्रों को लैंगिक उत्पीड़न से संबंधित जानकारी देकर तथा उनमें जागरूकता लाकर भावनात्मक रूप से जोड़ना ताकि अपनी हर बात को बच्चा रख सके एवं उनके अंदर डर की भावना को हटाना एवं लैंगिक उत्पीड़न हेतु अपने विद्यालय में साप्ताहिक कार्यक्रम का आयोजन कर बच्चों को जागरूक कर सकते हैं एवं उनके अधिकार क्या-क्या हैं एवं उनके साथ अगर कोई उत्पीड़न करें तो वह अपनी समस्या कैसे रखें और कानूनी सलाह या सहायता कहां से लें उनको पूर्ण रूप से प्रेरित कर उनकी अधिकारों के बारे में कह सकते हैं जिससे बच्चे निर्भीक होकर अपनी बातों को अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य के पास सुगम पूर्वक सहजता के साथ रख सके।

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  72. बाल लैंगिक उत्पीड़न समस्या के समाधान में शिक्षकों की अहम भूमिका होती है बच्चों के विश्वास जीतने के लिए शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। बच्चों को आत्म सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है तथा स्कूल के पाठ्यक्रम में नैतिक -शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

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  73. Bal laingik utpiran ek samajik buraee hai hamen apni soch men pariwartan lane k1 jarurat hai bachchon ka adhikans samay vidyalay men gujarta hai shikshak mata pita ke tuly hote hain unhen vidyalay men swaksh laingik watawaran banana chahiye class men anushasit mahoul hona chchie warg men laingik utpiran ki jahkari isse sambandhit banaye gaye kanoon etc. Ki jankari di jani chchie vigyan men isse Sam and hit hapteron KO wistar se bataya jana chchie aur class men shikshak chhatron ke bich dar ki sthiti nahin ho taki bachche apni baat nihsankoch kah sake

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  74. Bal laingik utpidan rokne ke liye bacchon ko iss se Jude sabhi jankari de nge,bacchon ko khul kar apni samasya teacher ke samne rakhne ke liye protsahit karenge.

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  75. विद्यालय में बाल लैंगिक उत्पीड़न समस्या के समाधान में शिक्षकों की एवं विद्यालय की अहम भूमिका हो सकती है हो सकती है शिक्षक एवं अभिभावक परस्पर बैग मिल बैठकर इन समस्याओं को खत्म कर सकते हैं और बच्चों के उनके अधिकार के प्रति और बच्चों के माता-पिता में है जागरूकता फैलाकर हम इस लैंगिक उत्पीड़न खत्म करने का प्रयास कर सकते हैं

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  76. बाल उत्पीड़न रोकने में विद्यालय निम्नलिखित रूप से अपनी भूमिका निभा सकते हैं:-
    1)बाल उत्पीड़न रोकने से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करके,
    2)अभिभावक-शिक्षकों के बढ़कर आयोजित करके इस पर विस्तार से चर्चा किया जा सकता है।
    3)लैंगिक शोषण शिकायत,सुझाव पेटी लगाकर,
    4)प्रकटीकरण के लिए सुरक्षित स्थान बनाकर,
    5)बाल यौन शोषण,लिंग,,आत्मरक्षा पर विस्तार से खुली चर्चा आयोजित कर,
    6)बाल सुरक्षा नियमों के तहत कार्यनीति बनाकर,
    7)सभी शिक्षकगणों,अभिभावकों,कर्मचारियों आदि से सकारात्मक माहौल में चर्चा करके,
    8)ऑनलाइन सुरक्षा पर ध्यान देकर,
    9) स्कूलों का निरंतर ऑडिट करके,
    10)विद्यालय में चाइल्डलाइन नम्बर,नजदीकी पुलिस थानों का संपर्क लिखवाकर,

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  77. Cerat Awareness among children against sexual assault indication.feel good and free from fear with teacher is must to share feelings can prevent children from sexual abuse.

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  78. बाल लैंगिक-उत्पीड़न को ख़त्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।
    स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

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  79. बाल लैंगिक उत्पीड़न को खत्म खत्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है।

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  80. विद्यालय बाल लैंगिक शोषण या उत्पीड़न को रोकने और उसके खात्मे में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। ग़ौर से देखा जाए तो ऐसे अपराध अशिक्षा तथा असजगता के कारण फलते फूलते हैं।

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  81. बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम के लिए विद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। जैसे छात्रों को लैंगिक उत्पीड़न से संबंधित जानकारी देकर तथा उनमें जागरूकता लाकर भावनात्मक रूप से जोड़ना ताकि अपनी हर बात को बच्चा रख सके एवं उनके अंदर डर की भावना को हटाना एवं लैंगिक उत्पीड़न हेतु अपने विद्यालय में साप्ताहिक कार्यक्रम का आयोजन कर बच्चों को जागरूक कर सकते हैं एवं उनके अधिकार क्या-क्या हैं एवं उनके साथ अगर कोई उत्पीड़न करें तो वह अपनी समस्या कैसे रखें और कानूनी सलाह या सहायता कहां से लें उनको पूर्ण रूप से प्रेरित कर उनकी अधिकारों के बारे में कह सकते हैं जिससे बच्चे निर्भीक होकर अपनी बातों को अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य के पास सुगम पूर्वक सहजता

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  82. बाल लैंगिक उत्पीड़न को खत्म करने में स्कूली की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकार के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावको से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।

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  83. शिक्षक बच्चों के साथ बाल लैंगिक उतपीड़न पर चर्चा करते हुए बच्चों को जागरूक करने की प्रयास कर सकते है।

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  84. Bacchon ko jagruk Karen ke baad unhe pani samasya butane ke liye karenge.

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  85. School aisi jagah hai jaha students ko har prakar ki siksha di jati hai wo jagruk ho jate hai har prakar se teacher's,dosto se baat kar students atmnirbhar,nirbhay bante hai

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  86. लैंगिक उत्पीड़न से संबंधित जागरूकता बच्चों में पैदाकर, बच्चों से मित्रवत व्यवहार कर, लैंगिक उत्पीड़न के दंड के बारे बच्चों को बताकर बाल लैंगिक उत्पीड़न को विद्यालय में रोका जा सकता है|

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  87. बाल लैंगिक उत्पीड़न समाप्त करने में स्कूलों की महत्वपूर्ण भूमिका है इसमें शिक्षक एक अहम रोल कर सकते हैं शिक्षक बच्चों से मित्रवत एवं प्यार से पेश आ कर उनका विश्वास जीत सकते हैं विश्वास जीत ने से ही छात्र उन्हें सब कुछ बता सकते हैं

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  88. बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने में स्कूल महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। बच्चे एक बड़ा समय विद्यालय में बिताते हैं। यहाँ ये महत्त्वपूर्ण सूचनाओं को पाते हैं। विद्यालय उनमें जागरूकता पैदा कर सकता है।बच्चों के साथ-साथ समुदाय को भी स्कूल जागरूक कर सकता है। स्कूल बच्चों के भय को दूर कर सकता है। उनकी काउंसिलिंग कर सकता है। यदि किसी बच्चे के लैंगिक शोषण की सूचना स्कूल को प्राप्त होती है तो स्कूल इस सूचना को सही जगह प्रेषित कर सकता है।

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  89. बाल लैंगिक उत्पीड़न को खत्म करने में स्कूली की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकार के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावको से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।

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  90. बाल लैंगिक-उत्पीड़न को ख़त्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।
    स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

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  91. बाल उत्पीड़न रोकने में विद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका हो ऐसे हो सकती है कि सर्वप्रथम हम विद्यालय में बच्चों के साथ ऐसा सम्बंध बनाए जिस से बच्चे अपनी कोई भी बात रखने में हिचके नहीं ,और बच्चों द्वारा कही गयी बातों को गम्भीरता से सुनने के पश्चात उनकी भावनाओं का ख़याल रखते हुए उचित निर्णय भी लेना,ज़रूरत पड़ने पर पुलिस की मदद लेना आदि ।हम बीच बीच में विद्यालय में छोटे छोटे कार्यशाला भी करें जिनमे खुल कर यौन सम्बंधी शिक्षा दी जाय एवं इस विषय पर चर्चा की जाय।

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  92. विधालय एक कारखाना है। जहां से एक अच्छा इंसान बनकर निकलता है। पहले हम शिक्षकों नैतिकता पर ध्यान देने कि आवश्यकता है।अपने कर्तव्य का पालन करना होगा। हमारे ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेवारी होती है।दिन प्रतिदिन हमारे समाज का वातावरण बिगड़ते जा रहा है।ऐसी स्थिति में विधालय में पढ़ने वाले बच्चों की जिम्मेदारी अधिकांश शिक्षकों के ऊपर होती हैं।जैसा कि अधिकांश बच्चे अपने माता-पिता की बात नहीं मानते है। लेकिन शिक्षकों की बात पर काफी विश्वास करते हैं।हमें शिक्षा एवं रक्षा की जिम्मेवारी लेनी होगी। लैंगिक शोषण के बारे में पूर्ण प्रशिक्षत करके एवं आत्म रक्षा के लिए विधालय में जिडोकराटे,योग,पाॅक्सो अधिनियम2012 के बारे पूर्ण रूपेण जानकारी बच्चों को देना,बीच -बीच में अभिभावकों के साथ बैठक करना, विधालय में नैतिक शिक्षा कार्यक्रम होना। महिला संगठन के अधिकारियों के द्वारा खासकर बच्चियों जागरूक करना।

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  93. बाल लैंगिक उत्पीड़न को खत्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है

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  94. बाल लैंगिक-उत्पीड़न को ख़त्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।
    स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

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  95. बच्चों को यह बतलाना कि हमलोग 1 परिवार के सदस्यों के जैसाहै।

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  96. बछो को इससे संबंधित उनके अधिकारों और इन अधिकारों की रक्षा हेतु कार्यरत संस्थाओं की जानकारी देनी चाहिए,ताकि उनका डर हटे और कोई भी बात अपनो से या शिक्षकों से कर सके।बच्चों को अकेले सुनसान जगह पर जाने से बचने की भी जानकारी देनी चाहिए।
    Manohar lal chakram.UMS Kherho .BOKARO.

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  97. क्योंकि विद्यालय ही एक ऐसा परिवेश होता है जहां समाज परिवार अभिभावक बच्चे यबों शिकचक पारस्परिक रूप से समायोजित रहते हैं यदि वे सभी मिलकर POCSOके प्रावधानों को लागू करेंगे तो बहुत हद तक इस पर रोक लग सकती है ।R K DANGIL KUCHAI S K LA JHAR

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  98. अपने विद्यालय में बाल लैंगिक शोषण को रोकने के लिए हम बच्चों को लैंगिक शोषण क्या है ,इसके बारे में जानकारी दे सकते हैं ।अगर ऐसा कुछ उनके साथ होता है ,तो वह इससे अपना बचाव कैसे कर सकते हैं इसकी जानकारी दे सकते हैं ।बच्चों से मित्रवत व्यवहार कर सकते हैं ताकि वे अपने साथ होने वाले किसी भी तरह के दुर्व्यवहार को हमारे साथ साझा कर सकें।

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  99. Bachon ko bal laingik ke bare jankari deke apni smsyaon ko shikshak ke sath sajha krne ke liye prerit Krna.

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  100. Baal laingik ootpidan ki roktham me school ek mahatvapoorna bhumika nibha sakta hai. Chhatro ke saath saath abhibhavko ko baal laingik shosan par bane vibhinn kaanoono ko batakar aur chhatro ko aatmanirbhar banane ke liye karate aur yog ki shikchha dekar.

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  101. RAJ KISHOR PRASAD
    GPS SEWAI
    DIST SIMDEGA, JHARKHAND
    बाल उत्पीड़न को रोकने में विद्यालय की अहम भूमिका हो सकती है ।बच्चों को अधिकारों की जानकारी दी जानी चाहिए,उन्हें अपने विश्वास में लाना और किसी प्रकार की बातों को न छुपाकर बतलाने हेतू प्रेरित करना । नैतिक शिक्षा प्रदान कर । कुछ बच्चे कम बोलते हैं इसलिए शिकायत पेट्टी रखना जिसमें अपने शिकायत को साझा कर सकें ।लैंगिक उत्पीडन से संबंधित कार्यक्रम भी रखकर भी बच्चों को जागरुक किया जा सकता है।

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  102. विद्यालय में बाल लैंगिक शोषण की रोकथाम के लिए निम्नलिखित कार्य किये जा सकते हैं :-
    इसके बारे में खुली चर्चा करते हुए बच्चों में जागरूकता बढ़ा कर।
    अभिभावकों को जागरूक करके।
    बच्चों के अंदर डर/भय की भावना को दूर कर।
    बच्चे अपने साथ हुए किसी प्रकार की घटना को मौखिक बताने में डरते हैं,इसके लिए लिखित सूचना देने के लिए उन्हें प्रेरित किया जाना चाहिए।
    विद्यालय में इसके लिए अलग से एक सुझाव पेटिका/ शिकायत पेटिका लगाई जानी चाहिए।
    बच्चों, अभिभावकों को पोक्सो अधिनियम की जानकारी देकर, तथा बच्चों के उचित सुरक्षा व्यवस्था बनाकर शोषण की रोकथाम की जा सकती है।

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  103. Naitik shiksha lagu karke and self defence ki trening dekar taki wo apni raksha khud kar sake

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  104. विद्यालय में बाल लैंगिक शोषण की रोकथाम के लिए अनेक कार्य किये जा सकते हैं-
    इसके बारे में खुली चर्चा करते हुए बच्चों और अभिभावकों को जागरूक करके।
    बच्चों के अंदर भय की भावना को दूर करके।
    बच्चे अपने साथ हुए किसी प्रकार की घटना को बताने में डरते हैं,इसलिए ऐसी माहौल बनाने चाहिए जिससे प्रेरित होकर बच्चें अपनी बात बिना किसी भय के व्यक्त कर सके।

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  105. बच्चों का विश्वास जीतने के बाद शिक्षक को वे अपनी समस्याओं से अवगत कराते हैं ।

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  106. अपने विद्यालय में बाल लैंगिक शोषण रोकने के लिए हम बच्चों को इससे जुड़े अपराधों के प्रति जागरूक करने के लिए लैंगिक शोषण के सामान्य संकेत के बारे में बताना, बच्चों में खुद के प्रति भरोसा तथा विश्वास उत्पन्न करना, बाल लैंगिक शोषण रोकने के लिए बनाए गए कानूनों के बारे में बताना तथा बच्चों के लिए खुद की रक्षा संबंधी गतिविधियों की व्यवस्था करना जैसे-जुडो-कराटे आदि का प्रशिक्षण देंगे।

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  107. बच्चों का विश्वास जीतने के बाद शिक्षक को वे अपनी समस्याओं से अवगत कराते हैं।

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  108. लैंगिक-उत्पीड़न को ख़त्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।
    स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए

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  109. बाल लैंगिक उत्पीड़न कि रोकथाम के लिए विद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। छात्रो को लैंगिक उत्पीड़न से संबधित जानकरी देकर उनको भावनात्मक रूप से जोड़ना ताकि अपनी हर बात को खुलकर बोल सके। छात्रो को कानून एव उनके अधिकारो कि जानकारी देना तथा कोई उत्पीड़न हो तो बताने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।

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  110. विद्यालय में बच्चों बाल लैंगिक उत्पीडन की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।बच्चों को अच्छी शिक्षा दें अच्छी एवं बूरी के बारे में बच्चों को विस्तार से बताया जाए।उन्हें खुलकर बोलने की आजादी दी जाए ।

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  111. स्कूल में बाल-लैंगिक उत्पीड़न की रोक थाम के लिए शिकायत सुझाव पेटी की व्यवस्था हो। लिंग, बाल यौन शोषण, आत्मरक्षा पर खुली चर्चा हो।

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  112. बाल लैंगिक उत्पीडन" की रोकथाम में स्कूल निम्नलिखित विंदुओ पर ध्यान आकृष्ट कर बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
    बच्चों को बोलने की स्वतंत्रता देकर, बच्चों को खुलकर बोलने हेतु प्रेरित कर, बच्चों की बातों को ध्यान से सुनकर, बच्चों को अपनापन का एहसास करा कर, शिक्षकों द्वारा इस मुद्दे पर बात करके, इस मुद्दे से संबंधित कानून (पौकसो अधिनियम) की जानकारी बच्चों व अविभावकों और समाज में उपलब्ध कराने, इससे संबंधित शिकायतों के लिए दूरभाष संख्या-1098 उपलब्ध कराकर, आदि।

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  113. To prevent child abuses and exploitation all teachers can strictly follow these guidelines.1.-memorise
    simple information about posco act.2.-creating child teacher friendship in school campus.3.-observing any abnormal behavior behavior among children.4.-regular talking bitbeen teacher parents about their school children.5.-to create a fear free environment in school campus.6.-listening bravery stories of those children whose age are under 18.

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  114. पोस्को एक्ट की जानकारी देकर बच्चों तथा उनके माता-पिता को जागरूक करने में अहम योगदान हो सकता है। इसके अलावा विद्यालय के पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा का एक विषय शामिल करना होगा ताकि बच्चों को नैतिकता का पाठ पढ़ाते हुए बेझिझक अपनी बातें बोलने के लिए प्रेरित किया जा सके ।

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  115. स्कूल बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है जैसे-स्कूल का वातावरण आनंदमय अपनत्व सौहार्दपूर्ण हो।अभिभावकों मे जागृति लाकर ,भयमुक्त वातावरण,अभिभावकों के साथ नियमित विचार-विमर्श, पोस्को कानून के सम्बन्धित बात चीत,स्कूल मे सभी शिक्षकों, शिक्षिकाओं द्वारा खुला बातचित कर बच्चों को इसके प्रति जागरूक कर इस शोषण से बच्चों को स्कूल बचा सकता है।

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  116. बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के बाद अपनी समस्याओं को शिक्षक से साझा करने के लिए प्रेरित करेंगे

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  117. बाल उत्पीड़न रोकने में विद्यालय निम्नलिखित रूप से अपनी भूमिका निभा सकते हैं:-
    01)बाल उत्पीड़न रोकने से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करके,
    02)अभिभावक-शिक्षकों के बढ़कर आयोजित करके इस पर विस्तार से चर्चा किया जा सकता है।
    03)लैंगिक शोषण शिकायत,सुझाव पेटी लगाकर,
    04)प्रकटीकरण के लिए सुरक्षित स्थान बनाकर,
    05)बाल यौन शोषण,लिंग,,आत्मरक्षा पर विस्तार से खुली चर्चा आयोजित कर,
    06)बाल सुरक्षा नियमों के तहत कार्यनीति बनाकर,
    07)सभी शिक्षकगणों,अभिभावकों,कर्मचारियों आदि से सकारात्मक माहौल में चर्चा करके,
    08)ऑनलाइन सुरक्षा पर ध्यान देकर,
    09) स्कूलों का निरंतर ऑडिट करके,
    10)विद्यालय में चाइल्डलाइन नम्बर,नजदीकी पुलिस थानों का संपर्क लिखवाकर,
    11) बच्चों की गोपनीयता बनाए रखते हुए कार्य करना आदि

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    1. बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए स्कूल शिक्षकों का कर्तव्य है कि हमारे विद्यालय के बच्चों को इस संबन्ध में जागरूक करेंगे यदि कोई बच्चा लैंगिक शोषण का मामला साझा करता है तो इस मामले में रिपोर्टिंग प्राधिकरण पुलिश को रिपोर्ट करना अनिवार्य होगा । साथ ही स्कूल में शिकायत या सुझाव पेटी पर बोलने में संकोच बातों को डालवा सकते है । पोक्सो अधिनियम , चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर 1098 पर कॉल कर सकते है । इसके अलावा स्कूल में बाल जागरूकता कार्यक्रम एवं बाल संरक्षण नीति को प्रभावी ढंग से लागू करना होगा । छात्रों के लिए करार्टे , आत्मरक्षा प्रशिक्षण , नुक्कड़ , नाटक , पोस्टर प्रतियोगिता , लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए बहस और बाल यौन शोषण के मुद्दे पर जागरूकता जैसे कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजन कर बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकथाम किया जा सकता है ।

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  118. बाल लैगिक उत्पीड़न की रोकथाम विद्यालय स्तर पर निम्नवत् किया जा सकता है-
    बच्चों को बैड ट्च और गुड ट्च की जानकारी देकर
    बच्चों में आत्मविश्वास और साहस का भाव भर कर
    विषम से विषम स्थिति की जानकारी अपने आभिभावक और शिक्षकों से निःसंकोच शेयर करना |

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  119. vidyalay mein laingik shoshan ki roktham ke liye nimnalikhit karya kiye ja sakte hain. iske bare mein khuli charcha karte hue bacchon ko jagrukta bada karke,avivawak ko jagruk karke, bacchon ke andar dar ki bhavna ko dur karke, vidyalay mein iske liye alag se sujhav peti yah shikayat peti laga kar ke, vidyalay samiti ke sadasyon ki baithak karke.

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  120. बच्चों का विश्वास जीतने के बाद शिक्षक को वे अपनी समस्या से अवगत कराते हैं! जीवाधन महतो उतक्रमित प्राथमिक विद्यालय कुजूबेडा

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  121. Wastav me BalLangik utpidan asiksha ka parinaam hai.

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  122. बच्चों को यौन शोषण के बारे मे सचेत करना और उन्हें इससे बचाव हेतु सजग रहने की सलाह देना है।

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  123. बाल लैंगिक-उत्पीड़न को ख़त्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।
    स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

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  124. School environment should be child friendly. We can teach about good touch or bad touch.

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  125. बच्चों का विश्वास जीतने के बाद वे शिक्षक को अपनी समस्याओं से अवगत कराते हैं।

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  126. बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए स्कूलों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है|शिक्षकों को बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी होगी तथा बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना होगा, अभिभावकों के साथ समस्या के बारे में खुली बातचीत करना होगा साथ ही साथ स्कूलों में नैतिक पाठ्यक्रम को शामिल कर बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोका जा सकता है|

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  127. Md Aabid hussain स्कूल में बाल लैगिंग उत्पीडऩ की रोकथाम के लिए शिकायत सुझाव पेटी की ब्यवस्था हो बाल यौन शोषण आत्म रक्षा पर खुली चर्चा हो।

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  128. पंकज कुमार ओझा
    सहायक शिक्षक
    मध्य विद्यालय झखरा, ठाकुरगंगटी, गोड्डा
    बाल लैंगिक उत्पीडन की रोकथाम में विद्यालय, शिक्षक, एवं पूरे विद्यालय परिवार की अहम भूमिका होती है। विद्यालय बच्चों को इस अनभिज्ञ विषय वस्तु से अवगत कराता है ताकि उस पर इस तरह से होने वाले उत्पीडन का पूर्व आभास हो जाएं और वह सतर्क, जागरूक हो जाएं।
    साथ ही शिक्षक ऐसे मामलों में बच्चों को इससे लड़ने,खुल कर विरोध करने, इसके बारे में अपने विश्वसनीय को हिंसा की घटनाओं की जानकारी देना आदि सीखाता बताता है।
    शिक्षक ही ऐसे मामलों में फसने पर इसका पूर्व आभास कर आत्मसुरक्षा तरीकों जैसे कराटे,कुम्फू, आंखों में धूल झोंक कर चकमा देकर अपने आप को बचाने आदि जैसे तरीकों से बच्चों को अवगत कराता है और साथ ही सभी निहित प्रावधानों की जानकारी बच्चों को देता है।
    इस प्रकार विद्यालय बच्चों को लैंगिक उत्पीडन मामले में बचने, उससे अपने आप की रक्षा करने,उसका खुल कर विरोध करने, उसके बारे में जानकारी देने, चर्चा करने, निहित प्रावधानों की जानकारी देने आदि कई मुद्दों पर बच्चों के साथ बातचीत करने का मौका देता है। धन्यवाद।

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  129. विधालय एक कारखाना है। जहां से एक अच्छा इंसान बनकर निकलता है। पहले हम शिक्षकों नैतिकता पर ध्यान देने कि आवश्यकता है।अपने कर्तव्य का पालन करना होगा। हमारे ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेवारी होती है।दिन प्रतिदिन हमारे समाज का वातावरण बिगड़ते जा रहा है।ऐसी स्थिति में विधालय में पढ़ने वाले बच्चों की जिम्मेदारी अधिकांश शिक्षकों के ऊपर होती हैं।जैसा कि अधिकांश बच्चे अपने माता-पिता की बात नहीं मानते है। लेकिन शिक्षकों की बात पर काफी विश्वास करते हैं।हमें शिक्षा एवं रक्षा की जिम्मेवारी लेनी होगी। लैंगिक शोषण के बारे में पूर्ण प्रशिक्षत करके एवं आत्म रक्षा के लिए विधालय में जिडोकराटे,योग,पाॅक्सो अधिनियम2012 के बारे पूर्ण रूपेण जानकारी बच्चों को देना,बीच -बीच में अभिभावकों के साथ बैठक करना, विधालय में नैतिक शिक्षा कार्यक्रम होना। महिला संगठन के अधिकारियों के द्वारा खासकर बच्चियों जागरूक करना।

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  130. बाल लैंगिक उत्पीड़न समाप्त करने मे स्कूलों की भूमिका अहम है। बच्चों को उनके हक के लिए जागरूक कर उन्हे समाजिक दायित्व का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देते रहना चाहिए। विद्यालय ऐसा माहौल बनाना होगा जिससे बच्चे खासकर बालिकाएं बेझिझक अपनी बात कह सकें। पोस्को एक्ट के प्रति बच्चों और माता पिता को जागरूक करने में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका अहम योगदान होगा। बाल संसद को सक्रिय कर विद्यालय में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर सकते हैं।
    विजय कुमार
    UHS NAWATAND
    टुंडी, धनबाद

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  131. Bal laingik utpidan rokne me school nimnalikhit tarike se apni bhumika nibha sakta hai -
    * Naitik siksha par jor dena
    * Bal adhikar kanuno ki jankari dekar
    * Online suraksha ki jankari dekar
    * Samaj me jagrukta lakerLaingik shoshan/sikayat peti rakhkar.vidyalay mein laingik shoshan ki roktham ke liye nimnalikhit karya kiye ja sakte hain. iske bare mein khuli charcha karte hue bacchon ko jagrukta bada karke,avivawak ko jagruk karke, bacchon ke andar dar ki bhavna ko dur karke, vidyalay mein iske liye alag se sujhav peti yah shikayat peti laga kar ke, vidyalay samiti ke sadasyon ki baithak karke.

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  132. बाल लैंगिक utpidan की रोकथाम में विधालय निम्न तरह से भूमिका निभा सकती है_विद्यालय परिवार के सदस्यों द्वारा बच्चों को उनके कर्तव्यों एव्ं अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाय|जिससे शिक्षकों के समक्ष बच्चें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रेरित हों|विधालय में विधालय परिवार द्वारा ऐसा माहौल तैयार किया जाय जिससे बच्चें बेझिझक अपनी समस्याओं को बोल सकें|विधायल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्याओं को सामाधान करने की कोशिश करें तथा विधालय में नियमित रूप से नैतिक_शिक्षा पर चर्चा करें|

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  133. बाल लैंगिक-उत्पीड़न को ख़त्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।
    स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

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  134. Bal lengik utpirdan ki roktham main vidyalay ki bhumika mahatvapurn hai.
    Sarvpratham school main bachhon ko Yon Siksha ki puri jankari dena. Bachhon main atma suraksha aur atmbal vikas ka prasikhan dena. Sikshikaon ka vyavhar bachhon ke sath madhur ho taki yadi yon soshan ki koi ghatna ho tou wah aapni baat Sikshikaon ke sath bagair kisi sankoch ke kah sake.
    Vidyalay main samay samay par Iss vishay par Sikshikaon aur Vidhyarthiyon ke madhya charcha honi chahiye.

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  135. बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के बाद अपनी समस्याओ को शिक्षक से साझा करने के लिए प्रेरित करेंगे।

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  136. बच्चो के साथ अपनापन बनाए रखना होगा उनके abnormal activity पर ध्यान रखना होगा ।बच्चो को जागरूक बनाना होगा।हर पहलू को जानकारी देना चाहिए

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  137. बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर, शिक्षक अभिभावकों से मिलकर, साथ ही पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देकर तथा शिक्षा का उद्देश्य के बारे में बच्चों के बीच रखकर। बाल लैंगिक उत्पीड़न समाप्त करने में स्कूल की भूमिका हो सकती है।

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  138. Bachho ka atamviswash me lekar & unke adhikar ko batakar ham unhe jagruk karenge

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  139. गणेश प्रसाद
    स. शि.
    म. वि. दिग्घी.
    ठाकुरगंगटी, गोड्डा
    Unknown6 January 2021 at 18:47
    बाल लैंगिक-उत्पीड़न को ख़त्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।
    स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

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  140. बच्चों को उनके कर्तव्यों एवं अधिकारों के प्रति जागरूक करेंगे।तथा शिक्षकों के समक्ष अपनी भावनाओं को वयक्त करने के लिए प्रेरित करेंगे। ऐसा माहौल तैयार करेंगे जिससे बच्चे बेझिझक अपनी समस्याओं को बोल सके।

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  141. Salita Kumari
    Assistant Teacher
    PS Manikpur Block-Thakur Gangti Goddaबच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर, शिक्षक अभिभावकों से मिलकर, साथ ही पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देकर तथा शिक्षा का उद्देश्य के बारे में बच्चों के बीच रखकर। बाल लैंगिक उत्पीड़न समाप्त करने में स्कूल की भूमिका हो सकती है।

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  142. Saurav Kumar
    Para Teacher
    P. S. Manikpur
    Block-Thakurgangati
    Dist-Godda
    बाल लैंगिक-उत्पिड़न को खत्म करने में स्कूलों की अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं। तथा स्कूल के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

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  143. बच्चों को बोलने की स्वतंत्रता देकर, बच्चों को खुलकर बोलने हेतु प्रेरित कर, बच्चों की बातों को ध्यान से सुनकर, बच्चों को अपनापन का एहसास करा कर, शिक्षकों द्वारा इस मुद्दे पर बात करके, इस मुद्दे से संबंधित कानून (पौकसो अधिनियम) की जानकारी बच्चों व अविभावकों और समाज में उपलब्ध कराने, इससे संबंधित शिकायतों के लिए दूरभाष संख्या-1098 उपलब्ध कराकर, आदि।

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  144. Bina bhidhbhav ke Learning Activity karayange Sikayat ke liye 1098 Per Call karenge.

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  145. विद्यालय में छात्रों को खुल कर बोलने का अवसर प्रदान करता चाहिए। उन्हें यह समझाना होगा कि अगर तुम्हे कोई गलत तरीके से छुता है तो शिक्षक या माता पिता को बताना चाहिए।
    Usha Kumari
    M. S. Hamidganj

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  146. बाल लैंगिक-उत्पीड़न को ख़त्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।
    स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

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  147. बाल लैंगिक उत्पीड़न को खत्म करने में शिक्षक की भूमिका अहम है बच्चों में जागरूकता पैदा करता बच्चों के विश्वास जीतकर सामाजिक परिवर्तन ला सकते हैं ।बच्चों को उनके कर्तव्य अधिकारों के प्रति जागरूकता पैदा कर उनके अंतर्गत यौन उत्पीड़न खत्म कर सकते हैं।

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  148. बाल लैंगिक उत्पीडन रोकथाम के लिए विद्यालय द्वारा निम्नलिखित कार्य किए जा सकते हैं-
    *बच्चों को ऐसे व्यक्तियों के पहचान के लिए सामान्य संकेतकों को बताकर
    *बाल लैंगिक उत्पीडन से जुड़े अधिनियम एवं अधिकार की जानकारी देकर
    *बच्चों का विश्वासपात्र बनकर
    *गुड-टच और बैड-टच के बारे में जानकारी देकर

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  149. विधालय एक कारखाना है। जहां से एक अच्छा इंसान बनकर निकलता है। पहले हम शिक्षकों नैतिकता पर ध्यान देने कि आवश्यकता है।अपने कर्तव्य का पालन करना होगा। हमारे ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेवारी होती है।दिन प्रतिदिन हमारे समाज का वातावरण बिगड़ते जा रहा है।ऐसी स्थिति में विधालय में पढ़ने वाले बच्चों की जिम्मेदारी अधिकांश शिक्षकों के ऊपर होती हैं।जैसा कि अधिकांश बच्चे अपने माता-पिता की बात नहीं मानते है। लेकिन शिक्षकों की बात पर काफी विश्वास करते हैं।हमें शिक्षा एवं रक्षा की जिम्मेवारी लेनी होगी। लैंगिक शोषण के बारे में पूर्ण प्रशिक्षत करके एवं आत्म रक्षा के लिए विधालय में जिडोकराटे,योग,पाॅक्सो अधिनियम2012 के बारे पूर्ण रूपेण जानकारी बच्चों को देना,बीच -बीच में अभिभावकों के साथ बैठक करना, विधालय में नैतिक शिक्षा कार्यक्रम होना। महिला संगठन के अधिकारियों के द्वारा खासकर बच्चियों जागरूक करना।

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  150. बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के बाद अपनी समस्याओं को शिक्षक से साझा करने के लिए प्रेरित करेंगे

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  151. We must work together for children's rights and freedom

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  152. बच्चों को बोलने की स्वतंत्रता देकर, बच्चों को खुलकर बोलने हेतु प्रेरित कर, बच्चों की बातों को ध्यान से सुनकर, बच्चों को अपनापन का एहसास करा कर, शिक्षकों द्वारा इस मुद्दे पर बात करके, इस मुद्दे से संबंधित कानून (पौकसो अधिनियम) की जानकारी बच्चों व अविभावकों और समाज में उपलब्ध कराने, इससे संबंधित शिकायतों के लिए दूरभाष संख्या-1098 उपलब्ध कराकर, आदि।

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  153. Bal laingik utpidan ashiksha ka parinam hai

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  154. विद्यालय में बाल लैंगिक उत्पीड़न समस्या के समाधान में शिक्षकों की एवं विद्यालय की अहम भूमिका हो सकती है हो सकती है शिक्षक एवं अभिभावक परस्पर बैग मिल बैठकर इन समस्याओं को खत्म कर सकते हैं और बच्चों के उनके अधिकार के प्रति और बच्चों के माता-पिता में है जागरूकता फैलाकर हम इस लैंगिक उत्पीड़न खत्म करने का प्रयास कर सकते हैं

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  155. बाल लैंगिक उत्पीड़न समाप्त करने क मे स्कूलों की भूमिका अहम है। बच्चों को उनके हक के लिए जागरूक कर उन्हे समाजिक दायित्व का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देते रहना चाहिए। विद्यालय ऐसा माहौल बनाना होगा जिससे बच्चे खासकर बालिकाएं बेझिझक अपनी बात कह सकें। पोस्को एक्ट के प्रति बच्चों और माता पिता को जागरूक करने में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका अहम योगदान होगा। बाल संसद को सक्रिय कर विद्यालय में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर सकते हैं।

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  156. Awareness among children against sexual assault indication.feel good and free from fear with teacher.

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  157. Rupak kumarबाल लैंगिक - उत्पीड़न को खत्म करने में विद्यालयों की एक अहम भूमिका हो सकती है।
    बच्चों से घुल-मिलकर, बिश्वास जीतकर तथा बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है।
    विद्यालय के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।

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  158. बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के बाद अपनी समस्याओं को शिक्षक से साझा करने के लिए प्रेरित करेंगे

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  159. बच्चों का विश्वास जीतने के उपरांत शिक्षक को वे अपनी समस्याओं से अवगत कराते हैं ।

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  160. बाल लैंगिक उत्पीड़न समाप्त करने में स्कूलों की भूमिका अहम है । बच्चों को उनके अधिकारों के लिए पोकसो अधिनियम 2012 की जानकारी देकर जागरूक करना । स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देकर । बच्चे बेझिझक अपनी बात कह सकें ऐसा माहौल बनाना । बाल संसद को सक्रिय कर लैंगिक उत्पीड़न के विषय में जानकारी देना।

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  161. To prevent C S A in school teacher act as a parent and create a fearless environment among the children.

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  162. Bina bhedbhaw ke lerning activity karayenge sikayat ke liye 1098 par call karenge

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  163. बाल लैंगिक उत्पीड़न समाप्त करने क मे स्कूलों की भूमिका अहम है। बच्चों को उनके हक के लिए जागरूक कर उन्हे समाजिक दायित्व का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देते रहना चाहिए। विद्यालय ऐसा माहौल बनाना होगा जिससे बच्चे खासकर बालिकाएं बेझिझक अपनी बात कह सकें। पोस्को एक्ट के प्रति बच्चों और माता पिता को जागरूक करने में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका अहम योगदान होगा। बाल संसद को सक्रिय कर विद्यालय में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर सकते हैं।
    Prabir Kumar Shaw
    High School Karaikela
    West Singhbhum.

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  164. बाल लैंगिक-उत्पीड़न को ख़त्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।

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  165. बाल लैंगिक उत्पीड़न रोकथाम के लिये माता पिता के बाद शिक्षक का दायित्व का महत्वपूर्ण है।बच्चे घर के बाद स्कूल में ज्यादा समय व्यतीत करते हैं।शिक्षको को बच्चे के व्यवहार का सूक्ष्म अध्ययन करना चाहिये और इस पर नजर भी रखनी चाहिये।किसी बात का शक होने पर बच्चों को विश्वास में लेकर बातों को जानना चाहिये।

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  166. बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करके, अभिभावकों को जागरूक करके, बच्चों के डर को दूर कर के, बाल उत्पीड़न के रोकथाम कर सकते हैं| अभिभावकों एवं समिति के सदस्यों को पोक्सो एक्ट 2012 के बारे में जागरूकता बढ़ाना होगा बच्चों में आत्म सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित करना होगा|

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  167. बच्चों को उनके कर्तव्यों एवं अधिकारों के प्रति जागरूक करेंगे।तथा शिक्षकों के समक्ष अपनी भावनाओं को वयक्त करने के लिए प्रेरित करेंगे। ऐसा माहौल तैयार करेंगे जिससे बच्चे बेझिझक अपनी समस्याओं को बोल सके।

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  168. विद्यालय के शिक्षकों में जो बच्चे आत्मीयता का भाव सहयोगी का रूप संरक्षण करता के रूप में देखेंगे तो उनके प्रति उनमें एक अतुल अटूट विश्वास की भावना विकसित होगी और बच्चे अपनी बातों को बेझिझक होकर शिक्षकों के सामने रख पाएंगे इसमें यौन उत्पीड़न संबंधी बातें भी हो सकती हैं जिसे जानकर शिक्षक आवश्यक कदम उठा सकते हैं इस प्रकार विद्यालय बाहर लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है

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  169. बाल लैंगिक उत्पीड़न समाप्त करने में स्कूलों की भूमिका अहम है। बच्चों को उनके हक के लिए जागरूक कर उन्हे सामाजिक दायित्व का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देते रहना चाहिए। विद्यालय में ऐसा माहौल बनाना होगा जिससे बच्चे खासकर बालिकाएं बेझिझक अपनी बात कह सकें। पोस्को एक्ट के प्रति बच्चों और माता पिता को जागरूक करने में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका अहम योगदान होगा। बाल संसद को सक्रिय कर विद्यालय में सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करना।प्रबंधन समिति को सक्रिय कर समाज को जागरूक करने का कार्य करना।ANJANI KUMAR JHA, Asst.Teacher, U.H.S.BHAGAIYA, THAKUR GANGATI, GODDA.

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  170. बच्चों को उनके कर्तव्यों एवं अधिकारों के प्रति जागरूक करेंगे।तथा शिक्षकों के समक्ष अपनी भावनाओं को वयक्त करने के लिए प्रेरित करेंगे। ऐसा माहौल तैयार करेंगे जिससे बच्चे बेझिझक अपनी समस्याओं को बोल सके।

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  171. बाल लैंगिक-उत्पीड़न को ख़त्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।
    स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

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  172. बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करके, अभिभावकों को जागरूक करके, बच्चों के डर को दूर करके, बाल उत्पीड़न की रोकथाम कर सकते है।

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  173. बाल उत्पीड़न के रोकथाम के विद्यालय यह कर सकता है।
    १.यौन शिक्षा
    २.पोक्स़ो अधिनियम के बारे में जानकारी देना।
    ३.बच्चों विश्वास हासिल करना।
    ४.भय मुक्त वातावरण तैयार करना।
    ५.आत्म सुरक्षा के लिए प्रशिक्षण देना।

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  174. Swarup kumar chatterjee
    Assistant teacher
    M. S. Bhagaiya Godda
    Bacchon ko unke adhikar ke prati jagruk karke roktham ki ja sakti hain

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  175. बाल लैंगिक उत्पीडन की रोकथाम में जय स्कूल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जैसे:-
    1-शिकायत पेंटी उपलब्ध होना।
    2-स्कूल परिसर का वातावरण भयमुक्त होना।
    3-नैतिक शिक्षा प्रदान करना।
    4-पोक्सो अधिनियम -2012की जानकारी बच्चो और अभिभावकों को देना।
    5-आत्मरक्षा का प्रशिक्षण प्रदान कराना।

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  176. बाल लैंगिक उत्पीडन को खत्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना होगा विद्यालय में ऐसा माहौल बनाना होगा ताकि बच्चे बेझिझक अपनी बात कह सके। विद्यालय में अभिभावकों को नियमित रूप से बुलाकर उनसे बातचीत करनी चाहिए।

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  177. बच्चों को गुड टच और बेड टच के बारे में जागरूक कर लैगिक अपराध को कम किया जा सकता है ।बच्चों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक कर इस समस्या का समाधान किया जा सकता है ।

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  178. बाल लैंगिक उत्पीडन की रोकथाम में स्कूलों की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह स्कूल की जिम्मेवारी है कि अभिभावकों एवं छात्रों के बीच
    बाल लैंगिक उत्पीडन के संबंध में जागरूकता बढ़ाये। उन्हें अपराध के स्वरूप की जानकारी दें। उन्हें इससे संबंधित पोक्सो एक्ट की जानकारी दें। उन्हें दूरभाष सं.-1098 के बारे में बतायें। बच्चों का विश्वास अपने शिक्षकों पर मजबूत करे ताकि वे अपने साथ घटित किसी भी अनुचित व्यवहार की शिकायत कर सके। शिकायत पेटी की भी व्यवस्था हो।उन्हें आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देना अच्छा होगा।

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  179. बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना। शिक्षक अभिभावक मिलकर समस्या समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं। पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देना, बाल लैंगिक उत्पीड़न से उत्पन्न दुष्परिणाम एवं उसके सजा के प्रावधानों के बारे में बच्चों और अभिभावकों के बीच जागरूकता लानी चाहिए।

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  180. बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम के उपायों द्वारा विद्यालय
    एक महत्वूर्ण संस्था है। विद्यालय में बच्चों को निज अंगों की जानकारी दिया जाए।good touch और bad touch की जानकारी दिया जाए। बच्चों एवं अभिभवकों
    के साथ पूरे समाज को जागरूक करके बाल अधिकर और
    पॉक्सो अधिनियम की जानकारी दिया जाए। बाल संसद को
    शस्कत किया जाए। शिकायत पेटी को उपयोग किया जाए।
    आदि।
    कमल चंपिया
    गोइलकेरा।
    P Singhbhum.

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  181. बच्चों को उनके कर्तव्यों एवं अधिकारों के प्रति जागरूक करेंगे।तथा शिक्षकों के समक्ष अपनी भावनाओं को वयक्त करने के लिए प्रेरित करेंगे। ऐसा माहौल तैयार करेंगे जिससे बच्चे बेझिझक अपनी समस्याओं को बोल सके।

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  182. बाल लैंगिक उत्पीड़न रोकने में विद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। वहां का वातावरण इस प्रकार का हो कि बच्चे बेझिझक अपनी बात कर सके। उन्हें उत्पीड़न से बचाव के प्रति जागरूक करके, अभिभावकों के साथ बैठक करके पोक्सो एक्ट आदि की सही जानकारी प्रदान की जा सकती है। विद्यालय में प्राय: विभिन्न सामाजिक परिवेश से बच्चे आते हैं, उन्हें नैतिक रूप से संबल प्रदान कर उत्पीड़न की रोकथाम की जा सकती है। शिक्षकगण बच्चों की सुरक्षा हेतु सतर्क रहकर एवं असामाजिक तत्वों का दृढ़ता पूर्वक निदान कर बच्चों का बचाव कर सकते हैं।

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  183. बाल लैंगिक शोषण की रोकथाम में विद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जैसे:-
    बच्चों का बोलने की स्वतंत्र स्वतंत्रता देखकर बच्चों को खुलकर बोलने हेतु प्रेरित कर उनकी बातों को ध्यान से सुन कर उन्हें अपनापन का एहसास करा कर शिक्षकों द्वारा इस मुद्दे पर बात करके पोक्सो अधिनियम की जानकारी बच्चों अभिभावकों तथा समाज में उपलब्ध करा कर इससे संबंधित शिकायतों के लिए संख्या 1098 उपलब्ध करा कर स्कूल में शिकायत या सुझाव पेटी लगाकर स्कूल में चाइल्डलाइन नंबर तथा नजदीकी पुलिस थाना का संपर्क लिखवा कर आदि।

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  184. बाल लैंगिक उत्पीड़न का रोकथाम करने मे स्कूलों की महत्वपूर्ण भूमिका है| बच्चों को उनके हक के लिए जागरूक कर उन्हे समाजिक दायित्व का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देते रहना चाहिए। विद्यालय ऐसा माहौल बनाना होगा जिससे बच्चे खासकर बालिकाएं बेझिझक अपनी बात कह सकें। पोस्को एक्ट के प्रति बच्चों और माता पिता को जागरूक करने में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका अहम योगदान होगा। बाल संसद को सक्रिय कर विद्यालय में बाल लैंगिक शोषण के प्रति जागरूक माहौल बनाया जा सकता है|

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  185. बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करके, अभिभावकों को जागरूक करके, बच्चों के डर को दूर करके, बाल उत्पीड़न की रोकथाम कर सकते है।

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  186. बाल लैंगिक उत्पीड़न रोकने में विद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है ।सबसे पहले शिक्षक बच्चों का विश्वास जीतेंगे और उन्हें भरोसा दिलाएँगे कि वे उनके हित के लिए ही काम कर रहें है ।इससे बच्चों से भय दुर हो जायेगा,वे खुलकर अपनी बातों को रख सकेंगे ।

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  187. बाल लैंगिक-उत्पीड़न को ख़त्म करने में स्कूलों की एक अहम भूमिका हो सकती है। बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर उन्हें सामाजिक परिवर्तन का वाहक बनाया जा सकता है। स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से नियमित रूप से मिलकर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर सकते हैं।
    स्कूलों के पाठ्यक्रम में नैतिक-शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

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  188. Bal laingik utpidan ki roktham me school mahatvapurn bhumika nibha sakata hai.eske bare me khulkar bachcho se charcha karake,abhibhavako ko jagruk karake ,bachcho ke andar ke dar ya bhay ki bhavana ko dur karake,bachcho,abhibhavako ko pocso adhiniyam ki jankari dekar aadi.ANJU KUMARI R B V PARASBANIA BALIAPUR DHANBAD JHARKHAND.

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